मेरी बेकरार बीवी-1

(Meri Bekarar Biwi-1)

अरुण 2010-01-12 Comments

This story is part of a series:

मैंने पिछले दिनों अपनी बेबाक बीवी से सम्बन्धित दो रोमांचक घटनाएँ कहानी के रूप में अन्तर्वासना में भेजी थी, जिसमें मेरे एक दोस्त द्वारा मेरी बीवी को पूर्णतया नग्न करके झांटों की सफाई और गुप्तांगो का सम्पूर्ण मैडिकल मुआयना, और एक अन्य दोस्त के साथ वासनामय और निर्वस्त्र होली की घटना का जिक्र था।

जिन पाठकों ने ये कहानियाँ नहीं पढ़ी है वो अन्तर्वासना मेर इस पृष्ठ पर पढ़ सकते हैं।

इन कहानियों को सबने पसंद किया और मेल भी किये। कुछ लोगों ने मुझे बुरा भला भी कहा, लेकिन सबकी अपनी अपनी पसंद होती है। फिर भी तारीफ़ करने वाले ही ज्यादा थे, अब जो मैं लिखने जा रहा हूँ, उसमें भी अन्तर्वासना के पाठकों का ही योगदान है, जिन्होंने यह सवाल उठाया कि जब आपकी बीवी आपके दोस्तों के साथ इतने मजे ले सकती है तो आपके साथ भी कुछ तो करती होगी, उसके बारे में भी तो बताओ।

दोस्तो, आपकी सोच एकदम वाजिब है, मेरे साथ तो वो गज़ब ढाती है और आपकी मांग पर मैंने बीवी के साथ अपने उन्मुक्त यौन संबंधों की एक एक घटना को याद किया और कुछ प्रेमालाप और सहवास से क्षण तो इतने रोमांचक हैं कि जिन्हें सोचते ही मैं अभी भी उत्तेजित हो जाता हूँ। ऐसी ही एक अनोखी घटना बता रहा हूँ जो हो सकता है कुछ लोगों को अविश्वनीय लगे पर मेरे साथ गुजर चुकी है और यही वह घटना भी है जिससे मुझे पहली बार अहसास हुआ कि मेरी बीवी सेक्स के मामले में कितनी हाहाकारी है, उसके जिस्म की अन्तर्वासना की आग भड़क जाए तो फिर वो समय, स्थान और माहौल किसी चीज़ की परवाह नहीं करती है।

यह हमारी शादी के लगभग दो साल बाद की घटना है और इस दौरान हम लोग लगभग साथ ही रहे क्योंकि मेरा कोई टूरिंग जॉब नहीं है और हम स्टाफ क्वाटर्स में रहा करते थे जो ग्राउंड फ्लोर पर था, मेरे भाई और माता पिता दूसरे शहर में थे तो हमें भरपूर एकांत भी मिला हुआ था।

कई बार वो दिन में ऑफिस में भी फोन कर लेती थी और सेक्सी बहाने बनाती थी जैसे नहाने गई थी सारे कपड़े उतार कर सर्फ़ में डाल दिए पूरे शरीर पर साबुन लगा है और जाने कैसे नल में पानी ही नहीं आ रहा है, ऊ ओह्ह्ह आ आउच और ठण्ड से काम्पने जैसी उत्तेजक आवाजें निकालती, मुझे आना ही पड़ता, और वास्तव में जब में घर आता तो वो मुझे उसी हालत में मिलती बस सिर्फ एक बात झूठ निकलती वो यह कि नल बिल्कुल ठीक होता था और वो दरवाजे के पीछे साबुन समेत नंग धडंग छुपी मिलती और झपट कर पीछे से मुझे पकड़ लेती, यह भी नहीं देखती कि मेरे ऑफिस के नए कपड़े खराब हो जायेंगे।

और फिर वासना का जो खेल चलता तो मैं ऑफिस में लेट हो जाता और कपड़े बदल कर ऑफिस जाना पड़ता शरमाते हुए।

मेरे कहने का मतलब है कि ऐसे साथ रहने वाले हम दोनों को अगर दस बीस दिन अलग रहना पड़े तो यह तकलीफदेह तो होना ही था।

तो दोस्तो हुआ यों कि मुझे ऑफिस की तरफ से एक महत्वपूर्ण ट्रेनिंग के लिए मुंबई जाने को कहा गया। यह ट्रेनिंग मेरे जॉब और आगे के कैरियर के लिहाज से बहुत महत्व रखती थी इसलिए मैं जाने के लिए बहुत ही उत्साहित था, पर मेरी पत्नी अलग होने से उदास थी, वो भी जानती थी कि यह जरूरी है,

ये बीस दिन मेरे तो अच्छे निकल गए, नया काम सीखना था, नए लोग मिले और ऊपर से मुंबई जैसा शहर। बीवी से बात होती थी, वो बेसब्री से दिन गिन रही थी।

आखिरकार वापिसी का दिन भी आ ही गया, मेरी फ्लाईट रात नौ बजे लैंड होने वाली थी, मैंने कहा था कि मैं टेक्सी लेकर घर आ जाऊँगा पर उसकी जिद थी कि वो खुद ही लेने आएगी।

मेरी बीवी की यह जिद मुझे भी अजीब लग रही थी, साथ ही साथ चिंता भी हो रही थी पर वो नहीं मानी।

वैसे तो गर्मियों का मौसम था, वो अच्छे से कर ड्राइव कर लेती थी और एअरपोर्ट वाली सड़क पर ट्रेफिक भी नहीं रहता था, मैंने काफ़ी मना किया पर फिर लगा कि उसका इतना मन है तो आने देता हूँ।

फ्लाईट सही समय पर आ गई थी, मुझमें भी उससे मिलने का, उसे इतने लम्बे समय बाद देखने का उतावलापन था। मैं ट्रॉली लेकर बाहर टैक्सी और कार लाउंज में आया पर मुझे मेरी कार कहीं नहीं दिखी। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मैंने सोचा कि चलो अच्छा है कि अन्दर इतने ट्रैफिक में लेकर नहीं आई। मैं बाहर गया पर बाहर भी वो नज़र नहीं आई तो मैंने उसे फोन लगाया।

तो वो चहकते हुए बोली- हाँ मैं आगे हूँ, सीधे चले आओ !

मैं तेज़ कदमों से उस ओर बढ़ चला, दूर मुझे मेरी कार दिखाई दे गई पर वो नहीं दिखी।

अब मुझे थोड़ा अजीब लगा, मैं सोचे बैठा था कि वो दौड़ कर मेरे पास आएगी और लिपट जायेगी, पर वो बाहर आना तो दूर कार से ही नही उतरी और कार का शीशा भी चढ़ा हुआ था।

मैं अनमने मन से भारी बैग को उठाये कार के पास पहुँचा तब अचानक उसने दूसरा दरवाज़ा खोला, एक शानदार खुशबू का झोंका आया, साथ ही मेरी बीवी का हाथ एक बेहद खूबसूरत गुलाब के फूल के साथ बाहर आया, साथ ही उसकी खनकती हुई दिलकश आवाज आई- वेलकम होम डार्लिंग !

जब मैंने अन्दर झाँक कर देखा तो हक्का बक्का रह गया, वो ड्राइविंग सीट पर सिर्फ बिना बाहों वाली और बहुत ही डीप गले की नाइटी पहने ही बैठी हुई थी। मैंने घबरा क़र अन्दर बैठते हुए फ़ौरन दरवाज़ा बंद क़र लिया, मुझे लगा कि आसपास के लोगों को झलक मिल गई तो क्या सोचेंगे। और अन्दर आते ही उसने अपनी अनावृत बाहों में मुझे जकड़ लिया, और दोस्तों इतने लम्बे समय बाद उसके जिस्म से लिपटते ही में रास्ते की सारी थकान उसके एअरपोर्ट आने की चिंता सब भूल गया, मेरे हाथ भी उसके बदन को कसने लगे और फिर उसकी तरफ से चुंबनों की जो बारिश शुरू हुई तो मैं अभिभूत हो गया, अब मैं भी उसके माथे, गाल, नाक, ठोड़ी रसीले होठों को चूमते हुए उसका सर ऊपर उठाते हुए उसकी सुराहीदार गर्दन को भी चूमता हुआ उसके उन्नत वक्षस्थल पर आ पहुँचा और वक्ष का जितना भी हिस्सा बाहर निकल रहा था, उसे भी चूमा या कहो कि चाट ही डाला।

तभी पास से कोई अन्य कार गुजरी तो उसकी आवाज से हमारा ध्यान बंटा और मौजूदा स्थिति का अहसास भी हुआ। मैंने अपने आप को संभाला पर वो अभी भी वासना के आवेश में दिख रही थी।

मैंने उसे पुचकारते, सहलाते, समझाते हुए कहा- जानू, अभी घर पहुँच क़र प्यार करेंगे !

पर वो लिपटे ही जा रही थी।

तब मैंने उसे कहा- जानू मेरा तो अभी सामान भी सड़क पर ही पड़ा है, उसे तो डिक्की में रखने दो।

तब जाकर वो मुझसे अलग हुई, मैंने जल्दी से सामान डिक्की में रखा, तब तक वो ड्राइविंग सीट खाली क़रके वो पास वाली सीट पर अन्दर से ही पहुँच गई।

मैंने आकर स्टीयरिंग सम्भाला और एअरपोर्ट से निकल पड़े और वो अपने आप को रोक नहीं सकी और फिर मेरी बाहों में झूल गई उसने एक हाथ मेरी शर्ट के अन्दर घुसा दिया और मेरी छाती के बालों में उंगलियाँ फिराने लगी और दूसरे हाथ से अपनी नाइटी को खुद की जांघों से भी ऊपर सरका लिया, दोनों टाँगें नग्न क़र ली और उसमें से एक टांग मेरी टाँग के ऊपर पसरा दी।ऐसा करने से नाइटी इतनी ज्यादा ऊँची हो गई की उसकी अंडरवियर तक दिखाई देने लग गई। अब मैं भी और बेचैन हो गया मैंने एक हाथ से स्टीयरिंग संभालते हुए दूसरा हाथ उसकी नंगी जांघों पर रख दिया और कार की गति थोड़ी कम क़र दी ताकि कार काबू में रहे क्योंकि मैं अब अपने ही काबू से बाहर होता जा रहा था।

उस बदमाश ने अपने घुटने से पैंट के ऊपर से ही मेरे लण्ड पर रगड़ देना शुरू कर दिया। उसकी इस हरकत से मेरे लण्ड में भी उत्तेजना की चिंगारी सुलग उठी, वो आकार में बढ़ने लगा, सख्त होने लगा, अभी तक वो एक तरफ़ को दुबका पड़ा था। कड़क होते ही उसने ऊपर की दिशा में भी होना शुरू कर दिया और जब लिंग उत्तेजित हो जाता है तो वो दिमाग को भी अपने काबू में कर लेता है।

मैंने हाथ बढ़ाया तो था उसकी जांघ को हटाने के लिए लेकिन लण्ड की तरफ से इशारा हुआ उसे सहलाने का और मैं आहिस्ता-आहिस्ता दबाते हुए जांघ को सहलाने लगा।

ऐसा करने से उसकी आग और भी बढ़ गई और उसने दूसरा पैर भी मेरे उपर इस तरह से रख दिया कि क़ार का गियर हेंडल उसकी जांघो के बीचों बीच आ गया।

कहानी जारी रहेगी।

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