मेरी बेबाक बीवी-2

अरुण 2009-10-15 Comments

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फिर भी दोस्त ने उससे पूछा- भाभी, आप बताओ और कोई प्रोब्लम तो नहीं है ना इन दोनों में?

और मैं दंग रह गया जब वो पहली बार बोली- कभी-कभी सांस लेने में दिक्कत आती है और कभी-कभी चुचूकों के आस पास बहुत खुजली सी मचती है।

वो बोला- ओ के ! अपनी ब्रा दिखाओ और एक टेप ले कर आओ।

मैंने दोनों चीजे लाकर उसे दी, उसकी ब्रा 36 नंबर की थी।

फिर उसने उसे बैठने के लिए कहा, जब वो बैठ गई तो उसने टेप से उसके वक्ष का नाप लिया और बोला- भाभी, एक तो ब्रा थोड़े बड़े नंबर की पहना करो, मेरे ख्याल से बिना ब्रा के सांस लेने में कोई परेशानी नहीं होगी। लाओ ये भी देख लेते हैं।

और फिर मुझ से बोला- अरुण, इसकी पीठ के नीचे तीन तकिये लगा दो।

मैंने सोचा जाने क्या करेगा पर मैंने लगा दिए।

उसने मेरी बीवी को उस पर लिटा दिया और बाप रे ! इस मुद्रा में लेटने से उसके गदराये वक्ष और ज्यादा उभर गए और तन गए, गर्दन नीचे की तरफ हो गई।

अब उसने उसके हाथ भी ऊपर कर दिए मेरी बीवी को शायद होश ना हो लेकिन वो इस समय निहायत ही उत्तेजक स्थिति में आ गई थी और जब उसने उसे जोर जोर से सांस लेने को कहा तो जैसे क़यामत आ गई हो, गहरी गहरी साँसों के साथ फूल कर ऊपर उठते और गिरते उसके वक्ष गज़ब ढा रहे थे।

हम दोनों आँखे फाड़े इस उत्तेजक दृश्य को निहार रहे थे। मेरे दोस्त ने दोनों हाथों से उसके उभार थाम लिए और बोला- कहीं कोई दिक्कत नहीं है, एकदम सामान्य सांस आ रही है।

फिर मैग्नीफ़ाइंग ग्लास निकाल कर उसके दोनों चुचूकों का बारीकी से निरीक्षण करते हुए बोला- यहाँ थोड़ी खुश्की है, रोज क्रीम लगाने से फायदा होगा।

इस हद तक आकर दोस्त का भी हौंसला खूब खुल गया, मेरी बीवी की शर्मो-हया पर भी धीरे धीरे वासना की गर्मी चढ़ने लगी थी और दोनों के बीच में मैं मूकदर्शक सा बन गया था।

पर दोस्तो, मैं सच कह रहा हूँ कि मैं इस माहौल को रोकने के बजाये उसे और बढ़ावा दे रहा था। अब आप लोग इसे मेरी मानसिक विकृति ही समझें या कुछ और !

क्योंकि मैंने उसी समय दोस्त को बोरोप्लस लाकर दे दी और उसने दोनों चुचूकों पर क्रीम लगा कर मसलना शुरू कर दिया।

अब मेरी बीवी की छातियाँ और ज्यादा उठ-गिर रही थी और साँसों के साथ उसकी आहें भी शामिल हो गई थी।

यह रोमांचक नज़ारा तब रुका जब मेरे दोस्त ने कहा- चलो भाभी, अब बताओ कि आप के चकत्ते कहाँ हो रहे हैं?

वो बोली- हाँ, बहुत तकलीफ है, ये बताएँगे, मैं तो ठीक से देख भी नहीं सकती पर इन्हें कल दिखाई थी वो जगह !

और अब मैंने अपने दोस्त का ध्यान बीवी के जांघों के बीच किया और उसके दोनों पैरों को आहिस्ता-आहिस्ता चौड़ा करना शुरू किया। उसे पैर चौड़े करने में थोड़ी दिक्कत हो रही थी इस लिए मैंने एक पैर दोस्त को संभला दिया और दूसरा मैंने थाम लिया और हम दोनों ने मिल कर उसके पैर काफी चौड़े कर दिए, उसकी योनि के दोनों तरफ छिलने से घाव बन गए थे।

वह बोला- हाँ, ये तो काफी गहरे रेषेज़ हो गए है और ये काफी अन्दर तक होंगे।

फिर पहली बार मुझसे पूछते हुए बोला- इफ यू डोंट माइंड अगर पैंटी हटा दो तो ज्यादा अच्छे से जांच हो पाएगी।

माहौल गर्म हो चुका था, हम तीनों ही उत्तेजित अवस्था में थे, ऐसा लग रहा था जैसे बचपन में डॉक्टर डॉक्टर का खेल खेलते समय किसी भी बहाने से लड़कियों के कपड़े उतार दिया करते थे और यहाँ भी मात्र अंतिम वस्त्र बचा था वो भी बस एक महीन सी चड्डी जो ज्यादा कुछ छुपा नहीं रही थी, बस व्यवधान कर रही थी।

मैं बोला- जानू, थोड़ा सा को-ओपरेट करो !

वो बेचारी कुछ नहीं बोली, हमने इसे ही स्वीकृति मान लिया और यहाँ मैं स्वीकार करूँगा कि हम दोनों पर वासना इतनी हावी हो गई थी कि हमने बहुत ही गंदे तरीके से उसकी चड्डी उतारी। मैंने उसके दोनों पैर हवा में उठाते हुए उसके पूरे कूल्हे ऊपर उठा दिए और दोस्त ने उसकी चड्डी सरकाते हुए मेरी बीवी को मेरे ही सामने मेरी स्वीकृति से पूर्णतया नग्न अवस्था में ला दिया और अब मेरी पत्नी का सांचे में ढला बदन एकदम वस्त्रहीन हो कर पलंग पर पसरा हुआ था और उसकी साँसें अब रुक रुक कर चल रही थी, ऐसा प्रतीत हो रहा था कि नंगी होकर उसे राहत मिली हो।

कुछ देर उसके नंगे जिस्म को निहारने के बाद वो बोला- भाभी तो कमाल की सेक्सी है यार !

फिर उसके नंगे बदन को सहलाते उसके हाथ उसकी योनि पर छाये हुए झांटों के गुच्छे तक पहुँच गए, फिर झांटों को लम्बाई में खींचता हुआ हम दोनों को डांटने लगा- यह क्या जंगल उगा रखा है? इन में पसीना आकर और इन बालों की रगड़ जांघों पर लगने से ही रेषेज़ हुए हैं, इन्हें गर्मियों के दिनों में, माहवारी के दिनों में सफाचट रखा करो ! समझे?

इस दौरान हाथ से रेषेज़ वाली जगह को सहलाता भी रहा, इससे मेरी पत्नी को आराम मिल रहा था।

उसने फिर मुझसे डेटोल का पानी मंगाया और उसकी दोनों टाँगे पूरी चौड़ी करने को कहा। फिर चूत की खूब अच्छे से सफाई की, एंटीसेप्टिक क्रीम लगाई, फिर अचानक मुझसे बोला- अरुण देख, इधर आ, तुझे एक काम की चीज दिखाऊँ !

अब हम दोनों उसकी चूत के ठीक सामने आ गए, वो पैर चौड़े किये हुए निहायत ही अश्लील मुद्रा में पड़ी हुई थी।

अब दोस्त ने दोनों हाथ उसकी जांघों पर रखे फिर सरकाते हुए बीच में ले आया और अब दोनों अंगूठों से उसकी चूत एकदम खोल कर रख दी, बोला- देख, तुझे चूत के कुछ सेंसेटिव पॉइंट बताता हूँ !

यह कहते हुए उसने दोनों अंगूठों से ऊपर नीचे करते हुए सहलाना शुरू कर दिया। मुझे यह सब पता था पर अनजान बनते हुए मैं इसका मजा लेता रहा।

पर जब उसने योनि के दाने को रगड़ा तो मेरी बीवी उत्तेजना के मारे उछलने लगी, पैर पटकने लगी और ऐसा ही हाल दोस्त का हो गया।

उसने हाथों की हरकत जारी रखी पर इसमें कोई शक नहीं कि उसने मेरी बीवी की हालत खराब कर दी। वो अपनी सुधबुध, अपना-पराया सब भूल कर लगभग चिल्लाने ही लगी- चोदो मुझे, चाटो मेरी पुपु को !

उसकी यह हालत मुझसे देखी नहीं गई, मैं उसके सिरहाने गया उसका ऊपर का जिस्म अपनी गोद में रख लिया। वो पागल हुए जा रही थी, मेरे दोनों हाथ अपने वक्ष पर दबा लिए और भींचने का इशारा किया।

मैंने कस कर उसके उभार थाम लिए और रौंदने लगा। और फिर अचानक अपने पैर भरपूर फैला कर अपनी पूरी चूत चौड़ी कर के दोस्त के मुँह में दे दी।

और दोस्त ने जैसे ही चूत के पानी का स्वाद चखा, फिर वो रुका ही नहीं, जैसे ही उसने जीभ से चूत चाटी, वो लगभग उछल पड़ी। मैंने बड़ी मुश्किल से उसे थामे रखा और वक्ष को सहलाते हुए चेहरे और होठों को चूमते हुए उसे शांत करता रहा और दोस्त को भी थोड़ा तसल्ली से चाटने को कहा क्योंकि उसने दोनों हाथों से चूत के दोनों होंठों को पकड़ कर चूत को दो फाड़ किया हुआ था और पूरा मुँह, जीभ सब घुसाई हुई थी।

और यह सिलसिला तब थमा जब दोस्त का फव्वारा छूट गया और वो भी मेरी नग्न बीवी के जिस्म पर पसर गया।

कहानी जारी रहेगी।

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