आपा का हलाला-3

(Aapa Ka Halala- Part 3)

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आदाब दोस्तो, मैं आमिर खान हैदराबाद, मेरी इस सेक्सी कहानी पर आप सबकी ढेर सारी ईमेल मिलीं, आप सबके इस प्यार के लिए बहुत शुक्रिया.

आपने पढ़ा था कि कैसे मैंने सारा आपा के हलाला से पहले नूरी खाला को चोदा. उसके बाद मेरा निकाह-ऐ-हलाला कुंवारी सारा आपा के साथ हुआ और कैसे मैंने कश्मीर में उसके साथ सुहागरात में उसे चोदा.
>उस रात मैंने सारा आपा या सारा बेगम, जो भी कह लो, लगातार 4 बार चोदा, जब मैं आखरी बार उसकी गांड में लंड डाल कर चोद रहा था तो फजर का टाइम हो गया और मामू ने डोर नॉक कर के हमें आवाज़ दी. मैं ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगा ताकि मामू भी चुदाई की आवाज़ सुन लें और समझ जाएं कि हम जाग रहे हैं.

खैर फिर मैं फारिग हुआ. हमने एक बहुत लम्बी जफी लगाई और किस भी की.

फिर हम फ्रेश होने चले गए.< बाथरूम में जाकर मैंने मिरर में देखा कि मेरे सीने पे उसके नाखूनों के और उसके पूरे जिस्म पे मेरे दांतों के निशान बने थे. मैंने सारा से पूछा कि क्या वह अब भी इमरान के पास जाना चाहती है? उसने मुझसे पूछा- क्या आप चाहते हो? मैं इमरान के पास चली जाऊं? मैंने कहा- नहीं! सुबह मौलवी साहब को बुलाया गया. उन्होंने रवायत बताई. जिसके मुताबिक़ मैं सारा को तीन तलाक देकर उसकी इमरान से शादी का रास्ता साफ़ कर सकता हूँ. मैंने कहा- इमरान को बुलवाइए ... मैं उससे बात करूँगा ... फिर कोई फैसला करूंगा. इमरान आया और उसकी छोटी बहन भी साथ आयी. वह लगभग अठारह साल की होगी. बहुत हसीन और कमसिन थी. उसके बड़े बड़े चूचे थे और बड़ी मस्त गांड थी. उसका नाम दिलिया था. इमरान गिड़गिड़ाने लगा, अपनी गलती मानने लगा. मैंने उसको अलग ले जाकर पूछा तो उसने बताया कि वह इलाज कराने को तैयार है. मैंने कहा- तुम्हें अपना इलाज करना पड़ेगा ... अगर तुम ठीक हो जाओगे तो ही मैं सारा को तलाक़ देकर तुमसे शादी करवाऊंगा. वो राजी था. फिर मैंने कहा- शरीयत के हिसाब से सारा को तलाक़ देने के लिए तुम्हें सजा भी मिलेगी. वह बोला- जो सजा आप दोगे, मैं मानूंगा! मैं बोला- पर अगर तब तक सारा को मेरा बच्चा हो गया तो फिर तलाक़ नहीं दूंगा. वह फिर गिड़गिड़ाने लगा. मैं सारा की जवानी को याद करते हुए इमरान के मजे ले रहा था. सारा के पहले शौहर इमरान की बहन दिलिया को देख मेरा मन अब फिर बेईमान हो गया था. मैंने कहा- ठीक है, दिलिया की शादी मुझसे कर दो. इमरान झट से मान गया और मैंने उसी दिन दिलिया और ज़रीना से भी निकाह कर लिया. मैंने वापिस हैदराबाद जाने की जिद की तो खाला बोली- कुछ दिन रुक जाओ, लोग तो हनीमून मनाने कश्मीर आते हैं. तीनों बीवियों से मिल कर सुहागरात मना लो, फिर चले जाना. पर फिर मेरी जिद पर उन्होंने मुझसे कहा- ठीक है अपनी तीनों बीवियां अपने साथ ही ले जाओ. मैं मान गया और और उसी दिन अपनी नयी कमसिन तीनों दुल्हनों के साथ हैदराबाद की फ्लाइट पकड़ ली. मेरे साथ मेरी तीनों बीवियां, सारा, ज़रीना और दिलिया थीं लेकिन सारा तो फ्लाइट में भी मुझे छोड़ने को तैयार नहीं थी. चाचा और और कश्मीर वाली खाला भी साथ थे. सारा और ज़रीना के साथ हैदराबाद चल दी. दिलिया के साथ उसकी एक बहन अबीर भी आई थी. फ्लाइट में सारा ज़िद करके मेरे साथ हो चिपक कर बैठी और पूरी फ्लाइट में उसका हाथ मेरे लंड को दबाता सहलाता रहा. मैंने भी बीच बीच में उसकी चूत और मम्मों को खूब दबाया, सहलाया. सभी मुझसे मजाक करती रहीं और मैं हंस हंस कर सभी के जवाब देता रहा. हैदराबाद पहुंचने पर हमारा जोरदार स्वागत हुआ और सबने नयी नवेली दुल्हनों को ढेरों तोहफे दिए. तीन नयी ख़ूबसूरत दुल्हनें मिलने पर मुझे बधाई दी. सभी बहुत खुश थे. फिर अम्मी ने कहा- आज तुम ज़रीना के साथ सुहागरात मनाओ. मैं इधर अब थोड़ा सा ज़रीना के बारे में बता दूँ. उसका चेहरा मोहरा बिल्कुल एक्ट्रेस ज़रीन खान के जैसा है. हाइट भी पांच फिट सात इंच है, फिगर 32-28-30 की है और काली आंखें और काले बाल, गजब की मादक सुंदरता है. जब वह मुस्कुराती है, तो गालों के डिंपल बस दीवाना कर देते थे. लाल रंग के साड़ी में गहनों फूलों से लदी ज़रीना महकती हुई सुहाग की सेज़ पर मेरे इंतज़ार में सो गयी. दिन भर की भागदौड़ के बाद रात में जब सब लोग अपने कमरों में चले गए, तो सभी सालियां और बहनें मिल कर मुझे मेरे कमरे में ले गयी. कमरे में पहुंचकर देखा तो ज़रीना और सारा एक ही बिस्तर पर सो रही थीं. मैंने सारा को जगा कर उसे दूसरे कमरे में जाने के लिए कहा. परंतु उसने कहा कि वह भी यहीं सोएगी, ज़रीना भी तब तक जग चुकी थी. मेरा दिमाग खराब सा हो गया था, मैंने सारा से कहा- यार, आज मेरी और ज़रीना की सुहागरात है ... क्यों बेकार में कवाब में हड्डी बन रही हो? इस पर सारा ने कहा- क्यों? क्या मैं एक दिन में ही बेकार हो गयी हूँ. कल तो रात भर छोड़ नहीं रहे थे, अब मैं यहाँ रुक भी नहीं सकती? मैंने उससे कहा- मुझे कोई एतराज़ नहीं है, परन्तु तुम्हारे रहते, तुम्हारी बहन के साथ मैं कुछ कर नहीं पाऊंगा. इस पर सारा ने कहा- क्यों मेरे रहते तुम्हारा लंड खड़ा नहीं होगा क्या? दो-दो को देख़ कर गांड फ़ट गई, या दोनों को एक साथ झेलने की हिम्मत नहीं है? मैंने कहा- मेरा लंड तो कमरे में घुसने से पहले ही खड़ा हो गया था, परन्तु क्या तुम्हारे सामने तुम्हारी बहन का मन कुछ करने को करेगा? और रही बात दोनों को झेलने की, तो रात भर दोनों को इतना चोदूँगा कि दोनों की दोनों सुबह उठने लायक नहीं रहोगी. इस पर ज़रीना बोली- क्यों इसमें क्या बुराई है? हम दोनों को एक दूसरे की सब बात मालूम रहती हैं, हम आपस में कुछ भी नहीं छुपाती, मुझे तुम्हारी और सारा की भी सब बातें मालूम हैं. अब चौंकने की बारी मेरी थी, मैं वहीं बिस्तर पर बैठ गया और बोला- ठीक है ... जैसी तुम दोनों की मर्जी, मुझे तो फ़ायदा ही फ़ायदा है. सारा बोली- तुम अब जिसको मर्जी चोदो, जिसके साथ साथ मर्जी सुहागरात मनाओ मुझे कोई फ़र्क़ नहीं, लेकिन हर बार तुम्हें अपना पानी मुझमें ही छोड़ना पड़ेगा क्योंकि मुझे हर हाल में जल्दी से जल्दी तुम से बच्चा चाहिए. ज़रीना बोली- मुझे कोई ऐतराज नहीं, आप पानी सारा के अन्दर निकालें. अब तक मेरा लंड भड़क चुका था और पूरा 8 इंची का तन कर तैयार था. मैंने ज़रीना को तोहफा दिया और घूँघट हटाया. फ़िर मैंने ज़रीना को पकड़ लिया और उसके होंठ चूमने लगा. पहले तो वो ना-नुकुर करने लगी, परन्तु सारा के कहने पर उसने अपने आपको ढीला छोड़ दिया. काफ़ी देर तक मैं उसके होंठों को चूसता रहा, उसे भी अब इस सब में मजा आने लगा था. वाऊउउउ ... उसके चूचियां देख कर मैं तो चकित ही रह गया. छोटे छोटे सन्तरे के आकार की चूचियां और उसकी निप्पलों को नज़र ना लगे, बिल्कुल मटर के दाने से भी छोटे. मैंने 10-15 मिनट तक चूचियों को खूब दबाया. मेरा लंड एकदम से खड़ा और कड़क हो गया था और पजामे का तम्बू बना रहा था. मैं फिर से उसकी चूचियां दबाने लगा और फिर उसके ऊपर चढ़ कर उसकी साड़ी ऊपर करके उसकी पैन्टी में हाथ डाल कर थोड़ी देर उसे देखने लगा. वाह क्या कुंवारी और चिकनी बुर थी, एक भी बाल का नामोनिशान नहीं, बिल्कुल छोटा सा गुलाबी छेद. मैंने उसकी बुर में अपनी उंगली डाल दी तो वह जोर से चीख पड़ी ‘आआआह हहहह..’ वो उठ कर बिस्तर से नीचे उतर गई और बोली- दर्द होता है ... मार डालोगे क्या? इस पर सारा बोली- मियां जी, ज़रीना अभी कुंवारी है, इसकी चूत बहुत टाइट है. थोड़ा प्यार से और आराम से काम लो. मैंने कहा- यार, अभी तो दोनों बड़ी-बड़ी हांक रही थीं कि तुम्हें दोनों मिलकर निचोड़ देंगी, अब क्या हुआ? सारा ने कहा- निचोड़ेंगी तो जरूर ... पर अपने हिसाब से. ज़रीना और मैं आज रात तुमको छोड़ने वाली नहीं हैं, पर उसका पहली बार है, इसलिए थोड़ा घबरा रही है. एक काम करो पहले मुझे चोद लो ताकि वह चुदाई देख कर अच्छे से गर्म हो जाए और फ़िर वह अपने आप करने को कहेगी. बात मेरे को भी जमी. सारा ने मेरा और ज़रीना का हाथ पकड़ कर हमें सोफे पर बिठा दिया और बोली- शैल वी स्टार्ट? सारा ने सिर्फ आसमानी नीले रंग की साड़ी पहन रखी थी, न ब्रा न पैंटी सिर्फ साड़ी को छातियों पर साड़ी को बांधा हुआ था. सारा के कंधे नंगे थे, वो बड़ी गजब लग रही थी. वह बेड पर खड़ी हो गयी और अपने मम्मों पर हाथ फेरने लगी और कंधे हिलाने लगी. कभी आगे, तो कभी पीछे करने लगी. अपने होंठों पर जीभ फेरने लगी. उसने साड़ी को नीचे से उठा कर अपनी एक नंगी टांग बाहर निकाली और अपने बदन को लहराया, गांड को मटकाया और साड़ी को जांघों से भी ऊपर उठा दी. वाह क्या नज़ारा था, मेरा लंड बेकाबू होने लगा. मैंने ज़रीना का हाथ पकड़ कर लंड पर रख दिया. वह धीरे धीरे मेरे लंड को सहलाने लगी. ज़रीना भी ये सीन देख कर स्तब्ध थी. फिर सारा ने साड़ी गिरा कर दूसरी टांग नंगी करके अपनी गांड लहराई और जीभ अपने होंठों पर फेर कर मुझे ललचाने लगी. अब उसने धीरे धीरे नीचे झुक कर साड़ी को कमर तक ऊंची करके अपनी चूत की दर्शन करवाए. फिर पलट कर अपने चूतड़ दिखाए और उनको मटकाया. चूतड़ों को आगे पीछे किया. उफ्फफ्फ्फ़ क्या नज़ारा था ... क्या लचीली गांड थी, एकदम चिकनी नरम मुलायम और गद्देदार ... फिर वो कभी साड़ी गिरा देती, कभी उठा देती. फिर घोड़ी बन अपनी गांड दिखाने लगी और अपने हाथ गांड पर फेरने लगी. कभी इस साइड से घूम कर, कभी उस साइड से घूम कर गांड दिखाने लगी. साड़ी उसकी चिकने बदन से बार बार नीचे गिर जाती. वह कभी आधी कभी पूरी उठा कर अपनी गांड पर हाथ फेरती और जीभ निकाल कर होंठों पर फेरने लगती. मैं लगातार ललचा रहा था और ज़रीना के हाथ के ऊपर से अपने लंड को दबाने लगता था. सामने सारा कभी लेट जाती, कभी घोड़ी बन कर अपने बदन की लचक का नज़ारा दे रही थी. कभी अपने दाएं चूतड़ को दिखाती, कभी बांए चूतड़ को दिखाने लगी. फिर उसने साड़ी पेट तक उठा कर अपनी नाभि और सपाट पेट को दिखाया और कमर को लचकाते हुए मटकाया. फिर थोड़ा और ऊपर उठा कर अपनी चूची की गोलियों का नज़ारा करवाया. फिर लेट कर अपनी पूरी गांड का नज़ारा करवाया. इसके बाद वो घुटनों पर बैठ कर अपने सर और बालों पर अपने हाथ हाथ ले जाती. वो अपनी साड़ी को एक साइड से उठा कर उस तरफ के मम्मे को सहलाते हुए दूसरे मम्मे को सहलाने लगी. उसने कानों में झुमका, मांग में टीका और नथ पहन रखी थी और गले में एक बड़ा सा हार पहन रखा था. सच में बड़ी मादक लग रही थी. फिर उसने साड़ी की गांठ को खोला और पल्लू से चेहरा और बदन छुपा लिया. फिर धीरे धीरे नीचे करते हुए, उसने थोड़ा सा पल्लू गिरा कर मुझे अपने एक मम्मे का नजारा कराया. एकदम गोल गोल बड़े बड़े मम्मे, मैं उसकी तरफ लपका, उसने मुझे रोक दिया. वो बोली- राजा थोड़ा रुको ... सब तुम्हारा ही है. [email protected] कहानी जारी है.

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