सुहागरात में चूत चुदाई-2

(Suhagraat Me Chut Chudai-2)

जूजाजी 2015-01-05 Comments

This story is part of a series:

उन्होंने फिर मुझसे पूछा- तुमने पहले कभी किसी को चोदा है?

मैंने कहा- नहीं.. केवल मूठ मारी है।

तो बड़े चाव से बोली- किसके लिए?

मैंने कहा- बहुत सी लड़कियों के लिए और औरतों के लिए.. और..

वो बोली- हाँ हाँ कहो ना… और?

मैंने कहा- एक बार तुम्हें याद करके भी…

और मैंने अपनी नज़रें झुका लीं।

मुझे लगा था कि वो शायद नाराज़ हो जाएगी… मगर वो तो खुश हो गई।

उसकी आँखों में मुझे नशा दिखाई दे रहा था।

मेरा लौड़ा अब अपने काबू में नहीं था, वो पैन्ट से बाहर आने को मचलने लगा था।

उन्होंने मुझे और पास बुला कर मेरा हाथ अपनी जांघों पर रखा और बोली- तुम्हारे लंड की साइज़ क्या है?

अब मैं भी मस्ती में आ गया था, मैंने कहा- 7-8 इंच..

वो बोली- यकीन नहीं होता है।

तो मैंने उनका हाथ लेकर सीधे अपने खड़े लंड पर रख दिया।

सासू जी की सेक्सी बातों से मेरा लंड खड़ा हो गया था।

उन्होंने जैसे ही मेरे लंड को छुआ.. मेरे शरीर में एक अलग सा नशा छा गया।

उनके हाथों को जैसी लंड का स्पर्श हुआ.. उन्होंने अपना हाथ झटके से पीछे कर लिया।

मैंने कहा- क्या हुआ?

वो घबराकर बोली- अरे ये तो वाकयी बहुत बड़ा है.. मैंने अब तक इतना मोटा और लम्बा लौड़ा नहीं देखा।

मैंने फिर से उनका हाथ लेकर अपने लंड पर रखा और धीरे से दबाया.. उनको बहुत ही मज़ा आया।

उन्होंने भी मेरा हाथ अपने चूचियों पर रखा और बोली- तुम इन्हें दबाओ..

मैंने महसूस किया कि उसकी चूचियाँ बड़ी सख़्त हो गई थीं।

थोड़ी देर तक हमारा यही दबाने का प्रोग्राम चल रहा था।

अब मैंने उनकी नाईटी के हुक खोल दिए।

उसने भी मेरी पैन्ट की चैन खोल दी।

अब मुझसे रहा नहीं गया… मैंने उनकी नाईटी पूरी उतार दी।
अब वो मेरे सामने सिर्फ़ ब्रा और पैन्टी में थी।

मैं उसके नंगे बदन को देखने लगा।
उनकी चूची आम के जैसी नुकीली और ऊपर को उठी हुई थीं दबाने में भी वो काफ़ी कड़क महसूस हो रही थीं।

उन्होंने भी मेरे कपड़े उतार दिए।

अब मैं भी सिर्फ़ अंडरवियर में रह गया था।

उसमें से मेरा लंड खड़ा होकर अपना पूरे आकार का आभास दे रहा था।

उनकी नज़र उस पर से हट नहीं रही थी।

उनकी टाँगें काफ़ी गोरी और मस्त दिखाई दे रही थीं।

मैंने उनकी ब्रा का हुक खोलना चाहा तो वो बोलीं- मैं निकाल देती हूँ।

मैंने कहा- नहीं..

क्योंकि मेरे शैतान दिमाग में एक अजीब सा ख्याल आया।

मैंने उनसे कहा- आप मेरी अंडरवियर उतार दो लेकिन हाथों से नहीं बल्कि अपने मुँह से…

उनको बड़ा अचम्भा लगा.. कि ये कैसी कामुक चाह?

मैं खड़ा हो गया और उनका सर अपने हाथ से पकड़ कर मुँह अपनी नाभि पर रख दिया… वो धीरे से मेरा अंडरवियर अपने दांतों से पकड़ कर नीचे की तरफ खिसकाने लगीं।

हम दोनों को एक अजीब सा आनन्द मिलने लगा…

वो तो पूरी मस्त हो गई और बोली- मुझे आज तक इतना मज़ा कभी नहीं आया था..

फिर मैंने खड़ा लंड उनके मुँह में दे दिया..

पहले तो उन्होंने थोड़ा मना किया.. पर कुछ ही देर में शुरू हो गई।
वो तो मेरे लंड को आईसक्रीम की तरह चूस रही थी।

मेरा लंड अब बिल्कुल तैयार हो गया था।

फिर मैंने उनको ज़मीन पर उल्टा लेटने को बोल कर उनसे कहा- अब देखो मैं तुम्हारी ब्रा को कैसे उतारता हूँ..

मैं उनकी पीठ पर बैठ गया और अपना तन्नाए हुए लंड को उनकी पीठ पर रगड़ने लगा।
फिर मैंने उनकी ब्रा के हुक में लंड को फंसा कर उसको निकालने की कोशिश करने लगा.. मगर उनकी ब्रा बहुत ही कसी होने के कारण मुझे तकलीफ़ हो रही थी।

मेरे लंड का स्पर्श अपने पीठ पर पाकर तो वो मेरी दीवानी हो गई थी।

फिर मैंने अपने लंड को हुक में फंसा कर एक ऐसा झटका दिया कि उनका हुक टूट गया।

वो मेरे लंड की ताक़त देखकर दंग रह गई।

फिर मैंने उनकी पैन्टी भी उतार दी।

उनकी चूत बिल्कुल साफ़ थी… ऐसा लगता था कि अभी-अभी झांटें साफ़ की थीं।

उसके गुलाबी फांकों को देख कर मेरा दिल बाग़-बाग़ हो गया।

जैसे ही मैंने उसकी चूत में अपनी ऊँगली डाली.. वो एकदम से मचल उठी और उसके मुँह से ‘आहह..’ की आवाज निकलनी शुरू हो गई।

मैंने महसूस किया कि वो पूरी तरह से मस्त हो गई थी।

मैंने उसे बाँहों में भर लिया और चूमते हुए कहा- रूपा मेरी जान.. क्यों ना अपनी बेटी की जगह तू ही मेरे साथ सुहागरात मना ले…

वो कुछ नहीं बोली…

मैं उसे चूमते हुए कमरे में ले आया और बिस्तर पर धकेल कर उसके जिस्म से खेलने लगा।

मैं उस पर लेट कर उसकी चूचियों को दबाते हुए चूम रहा था और वो बुरी तरह से सिसक रही थी।

अब उससे रहा नहीं गया.. उसने मेरा लंड हाथों में ले कर अपनी चूत पर रखा और अपनी गाण्ड उछाल कर अन्दर लेने की कोशिश करने लगी..
पर उसकी चूत 5 सालों से सूखी पड़ी थी।
मेरा सुपारा उसकी चूत में अन्दर घुसने की बजाए फिसल रहा था।

मैंने उसकी टाँगें अपने कन्धों पर रखीं और अपने लंड को चूत के मुँह पर रख कर हल्के से दबाव दे कर सुपारा फँसा दिया और अगले ही पल अपनी पूरी शक्ति से एक करारा झटका मार दिया।

मेरा लंड इस जोरदार झटके से करीब-करीब 4″ तक उसकी छूट में घुस गया और वो बुरी तरह से चीख पड़ी।

मैंने फिर लंड थोड़ा खींचा और फिर एक धक्का दे मारा।
मेरा करीब आधे से ज़्यादा लंड चूत में घुस चुका था लेकिन इस झटके से उनकी आँखों में पानी भर आया।

वो चिल्लाने लगी- छोड़ दो.. मैं मर जाऊँगी.. तुम्हारा लंड नहीं खूँटा है..

मैंने उससे कहा- यह तो अभी शुरुआत है.. मेरी जान.. तू देखती जा, अभी तेरी क्या हालत करता हूँ।

उसकी आँखों में डर दिखाई दे रहा था।

मैंने फिर थोड़ा संभाल कर अपने हाथों से उसकी चूचियाँ ज़ोर से मसलीं फिर उसके एक निप्प्ल को मुँह में लेकर दांतों से काटने लगा।
तो वो कुछ ही देर दर्द भूल कर फिर से लंड खाने को मचलने लगी।

फिर मैंने अपना पूरा लंड बाहर निकाल कर फिर से एक ऐसा झटका मारा कि पूरा लवड़ा चूत को चीर कर अन्दर चला गया।

अब वो जोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी- फाड़ दी.. मुझे नहीं..ईईईई चुदना मेरी फट गई..इइई मैं मर जाऊँगी..

लेकिन मैंने उसकी चिल्लमपों की तरफ़ ध्यान नहीं दिया और अपने लंड को अन्दर-बाहर करने लगा।

कुछ ही देर में ही उसने पानी छोड़ दिया और उसका बदन काँपने लगा।

अब उसका दर्द मजे में बदल गया..
वो भी पूरे आनन्द के साथ मेरा लंड अपने अन्दर लेने लगी..
उसकी मस्ती से मेरी रफ़्तार और तेज़ हो गई।

थोड़ी देर बाद वो फिर झड़ गई।

लेकिन मैं पूरे जोश में था.. मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया और उसके मुँह में दे दिया।
हम दोनों की शर्म तो शराब ने खत्म कर ही दी थी… वो भी रंडी के मानिंद मेरे लंड को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी।

वो चाहती थी मैं उसके मुँह में ही झड़ जाऊँ इसलिए वो ज़ोर-ज़ोर से लवड़े को मुठियाते हुए चूस रही थी।

मगर मेरे मन में तो कुछ और ही था।
मैं पीछे से उसकी चूत को सहलाने लगा तो कुछ देर में ही वो फिर से गरम होने लगी।

अब मैंने अपना लंड मुँह से निकाला और कहा- रूपा रानी.. थोड़ा तेल ले आओ…

वो बोली- क्यों राजा.. अब तेल की क्या ज़रूरत है?

मैंने कहा- अब मैं तेल लगा कर चोदना चाहता हूँ।

उस बेचारी को क्या मालूम मैं क्या करने वाला हूँ।

वो तेल ले कर आई तो मैंने कहा- अपने हाथों से लौड़े पर तेल लगा दो।

उसने मेरे लंड को पूरी तरह तेल से रगड़ दिया।

मैंने उसे लेटा कर उसकी गाण्ड के नीचे तकिया रख दिया और कहा- मेरी प्यारी सासू जी.. अब मैं तुझे वो मज़ा दूँगा.. जिसे तू कभी नहीं भूलेगी।

मैंने उनके दोनों हाथों को उठा कर सिर के ऊपर से ले जाते हुए पलंग की एक छड़ से बाँध दिया.. जिससे उसकी चूचियों में और भी कसाव आ गया और वो और भी सख्त हो गईं।

थोड़ी देर मैं मम्मों को बारी-बारी से चूसता रहा.. जिससे वो और भी ज़्यादा गरमा गई और बोली- राजा अब और क्या करोगे.. मेरी चूत फिर से लपलपा रही है जल्दी से चोदो ना…

मैंने दोनों टाँगों के बीच अपने हाथ डाल कर उसकी चूत पर लंड टिकाया और एक ही धक्के में पूरा का पूरा अन्दर उतार दिया।

तेल की वजह से उसे ज़्यादा तकलीफ़ तो नहीं हो पाई, पर उसके मुँह से चीख ज़रूर निकल गई।

कुछ ही देर मैं वो बड़बड़ाने लगी- ओ.. मेरी जान.. मेरे राजा.. आहह.. बड़ा मज़ा आ रहा है.. मेरी लड़की के तो भाग खुल गए.. क्या मजेदार लंड है…रे.. चोद दे.. फाड़ दे आआअज.. इसकी सारी खुजली मिटा दे… ओह आआआहस्स्स..

उसकी चूत से पानी बहने लगा.. पूरे कमरा ‘पचपच’ की आवाज़ से गूँज रहा था।

वो जैसे ही मस्ती में झड़ने लगी.. मैंने लंड निकाल कर फ़ौरन गाण्ड के छेद पर रखा और अन्दर को धकेल दिया।

वो अचानक हुए इस हमले से बिलबिला उठी… उसने मुझसे छूटने की कोशिश की.. पर उसके हाथ बँधे हुए थे और मेरी पकड़ काफ़ी मजबूत थी।
उसका मुँह खुला का खुला रह गया।

मैंने जानबूझ कर एक और करारा धक्का मारा तो मेरा लंड उसकी गाण्ड में जड़ तक समा गया।

उसके मुँह से ज़ोरदार चीख निकल गई- ओह माँ मर जाऊँगी..इइई.. ये क्या कर दिया.. निकाल इसे…

अपने विचारों से अवगत कराने के लिए लिखें, साथ ही मेरे फेसबुक पेज से भी जुड़ें।
सुहागरात की चुदाई कथा जारी है।

https://www.facebook.com/pages/Zooza-ji/1487344908185448

 

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top