जब सास हो ऐसी मतवाली तो लंड का आलम क्या होगा

(Jab Saas Ho Aisi Matwali To Lund Ka aalam Kya hoga)

दोस्तो, मेरा नाम सूर्य देव सिंह है, मैं आर्मी में एक ऑफिसर हूँ।

बात काफी पुरानी है, मेरी शादी से भी पहले की। मैं तब नया नया आर्मी में भर्ती हुआ था। कमांडो कोर्स किया था, सेहत बहुत ही शानदार थी, अब भी है। अच्छी ख़ासी बॉडी बनाई थी।

उन्हीं दिनों मेरी शादी की भी बात चल रही थी। हमारे ही आर्मी के बड़े अफसर की बेटी से मेरी बात चल रही थी। लड़की का नाम था साक्षी, अब वो मेरी पत्नी है, मेरे दो बच्चों की माँ भी है।

हमारे ब्रिगेडियर साहब, जिनकी बेटी से मेरी शादी की बात चल रही थी, बहुत ही सज्जन व्यक्ति थे, जब मेरी और साक्षी की मंगनी हो गई, तो मेरा उनके घर अक्सर आना जाना शुरू हो गया।
तब मेरी सास कोई 45- 46 साल की औरत थी। साक्षी तब 20- 22 साल की रही होगी और मैं सिर्फ 25 का था।

बेशक साक्षी बहुत सुंदर है, मगर उसकी माँ भी बहुत सुंदर लगती थी मुझे… हर वक़्त टिप टॉप सज संवर कर रहना, मैंने उन्हें कभी भी अस्त व्यस्त सा नहीं देखा। हर बात का खयाल रखना, शादी के सारे इंतजाम वो खुद देख रही थी, एक एक चीज़ को खुद खरीद रही थी।
मुझसे भी अक्सर वो फोन पे बहुत कुछ डिस्कस कर लिया करती थी।

मैं अपने घर में अकेला लड़का था, मैंने भी सारा इंतजाम खुद करना था। इसलिए यह सोचा गया कि क्यों न मिल कर इंतजाम किया जाए, जिससे दोनों को होने वाली परेशानी थोड़ा कम हो जाती। बात चल रही थी, दूल्हा दुल्हन के कपड़ों की… साक्षी की ड्रेस के साथ का मेचिंग ड्रेस मेरा होना था। साक्षी ने अपने लिए जो रंग पसंद किया वो बहुत गहरा था, और मैं साधारण से हल्के रंग पसंद करता हूँ, इस लिए हमारी मेचिंग नहीं बैठ रही थी।

इस लिए मैंने अपनी सास को फोन किया, और पूछना चाहा कि मम्मी (मैं उन्हें मम्मी ही कहता हूँ) क्या साक्षी और मेरी ड्रेस की कोई मेचिंग नहीं हो सकती?
मगर जब भी मैंने फोन लगाया, हर बार मम्मी का फोन बिज़ी, बिज़ी, बिज़ी।

तो मैंने सोचा कि क्यों उनके घर जाकर ही उनसे डिस्कस कर लूँ… मैंने गाड़ी उठाई और उनके घर चल पड़ा।
गाड़ी घर के बाहर ही खड़ी करके मैं अंदर गया, अब तो मुझे ये घर अपना ही लगता था, मैं बिना घण्टी बजाए अंदर चला गया।

अंदर उनकी मेड सोनिया मिली, उसने बताया कि साक्षी मैडम तो कहीं गई हुई हैं, बड़ी मैडम ऊपर अपने रूम में हैं।
वो मुझे पानी दे गई, मैं बैठ कर इंतज़ार करने लगा, मगर 10- 15 मिनट बाद भी मम्मी नीचे नहीं आई, तो मैंने सोचा मैं ही ऊपर जा कर मिल आता हूँ।

मैं उठा और सीढ़ियाँ चढ़ कर ऊपर चला गया।
ऊपर मम्मी के रूम का दरवाजा खुला ही था, मैं बिना दरवाजा खटखटाये अंदर चला गया। अंदर रूम में भी मम्मी कहीं नहीं थी। मगर बाथरूम से उनके किसी से फोन पे बात करने की आवाज़ बाहर भी आ रही थी, शायद किसी से पंडाल के बारे में बात कर रही थी।

पहले तो मुझे लगा ‘यार यूँ ही किसी के बेडरूम में घुस कर मैंने कोई गलती तो नहीं की?’
फिर सोचा कि यह भी तो मेरा ही घर है, इस में ऐसी क्या बात!

बेडरूम बहुत बड़ा था, और साथ में एक छोटा सा रूम और भी था, जिसमें सोफा लगा था।
मैं जाकर सोफा पर बैठ गया।

बेडरूम और और उस कमरे के बीच में एक पतला सा पर्दा भी लगा था। ए सी चल रहा था, पूरा कमरा ठंडा हो रहा था। मैं सोफा पर बैठा इंतज़ार करने लगा.

इतने में बाथरूम का दरवाजा खुला और मम्मी बाहर आई, मगर जब मैंने उन्हें देखा तो मेरी तो आँखें फटी की फटी रह गई, वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। गोरा बदन, 45 की उम्र भी बदन में पूरी कसावट, बड़े बड़े चूतड़, मोटी चिकनी जांघें, कटावदार कमर, चिकनी गुदाज़ पीठ, गोल गोल गुलाबी चुची!

वैसे तो हर तरह का कपड़ा उन पर जँचता है, चाहे वो कुछ भी पहनें, जीन्स, पैंट, साड़ी या सूट, मगर इस ब्रा पैंटी में तो वो और भी गजब लग रही थी। मेरा तो दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा। साक्षी भी बहुत सुंदर और सेक्सी है, मगर मेरी सासु माँ तो मुझे अपनी पत्नी से भी ज़्यादा सेक्सी लगी।

वो बाथरूम से निकली और सीधा बेड पे जाकर बैठ गई, वो लगातार फोन पे बात किए जा रही थी। उनका गोरा सुंदर जिस्म देख कर मेरा तो लंड फड़फड़ाने लगा।

पहले वो बेड पर बैठी थी, फिर लेट गई। सफ़ेद रंग की चड्डी में से उनकी फूली हुई चूत की पूरी शेप बन रही थी। सपाट पेट के ऊपर दो भरवां चुची… मेरे मन में रह रह कर शैतान अपना सर उठा रहा था, और नीचे पैंट में मेरा लंड अपना आकार लेने लगा था।
मैंने एक दो बार अपने लंड को एडजस्ट भी किया, मगर तना हुआ लंड किसी बंधन को नहीं मानता।

बेड पे लेटे लेटे सासु माँ ने अपना एक पाँव अपने घुटने पे रख लिया, अब उनकी गोरी चिकनी जांघ, चड्डी से बाहर आये थोड़े चूतड़, और चड्डी में कैद उनकी चूत की दरार मुझे सब दिख रही थी। चढ़ती जवानी और सामने लेटी अधनंगी औरत ने मेरे लंड को झझकोर कर रख दिया था।

कुछ देर तो मैं परेशान सा हुआ बैठा रहा कि अब इस हालत में मैं कमरे से बाहर भी नहीं जा सकता था। जब मेरे सब्र का घड़ा भर गया, तो मैंने धीरे से अपनी पैंट की ज़िप खोली, अपनी चड्डी नीचे को की और अपना पूरी तरह से तना हुआ लंड बाहर निकाल लिया।
8 इंच का लंड अपने पूरे जलाल पर था।
मैं सिर्फ अपने लंड को हिला रहा था कि इतने में सासु माँ ने फोन कट किया, फिर उल्टा होकर लेट गई, सफ़ेद चड्डी में बंद दो तरबूज जैसे बड़े बड़े नर्म चूतड़, इतनी बड़ी गांड देख कर मेरा तो दिल कर रहा था के सासु माँ के ऊपर जा कर लेट जाऊँ।

इतने में सासु माँ ने साक्षी को फोन लगा लिया और उससे बात करने लगी। उन्होंने साक्षी से पूछा के वो कितनी देर में आ रही है, तो साक्षी ने बताया के वो आधे घंटे में आ जाएगी।
पर्दे के इस पार एक नौजवान दामाद सोफ़े पर अपना तना हुआ लंड हाथ में लिए बैठा था, और पर्दे के उस पार एक अधेड़ मगर बहुत ही कामुक सास आधी नंगी हालात में बेड पे लेटी थी।

इतने में सोनिया फिर से रूम में आई और बोली- मैडम जी, सूर्य सर जी आए थे।
तो मेरी सास ने वैसे ही लेटे लेटे पूछा- आए थे मतलब, अब चले गए क्या?
तो सोनिया बोली- जी पता नहीं मैडम, पर नीचे तो नहीं हैं।

मेरी सास उठ बैठी और सोनिया से बोली- चल ठीक है, मैं देख लूँगी।
सोनिया चली गई तो मेरी सास ने फिर से अपना फोन उठाया और एक नंबर मिलाया, तभी मेरे फोन की घंटी बज उठी।

मैं एकदम से उठा और अपनी पैंट की जेब से अपना फोन निकालने लगा। फोन की आवाज सुन कर मेरी सास भी एकदम से चौंक पड़ी और झट से उठ कर आई और उसने पर्दा हटा दिया।

हम दोनों एक दूसरे को देख कर भौंचक्के रह गए, वो सिर्फ ब्रा पैंटी में और मैं अपनी पैंट से अपना लंड बाहर निकाले, दोनों एक दूसरे के सामने खड़े थे।
मेरी सास के मुँह से सिर्फ इतना निकला- सूर्य, आप?
और उसके बाद उसकी निगाह सिर्फ मेरे लंड से ही लिपट कर रह गई।

मैंने अपनी पैंट की जेब से फोन निकाल कर उसकी बैल बंद की और फोन सोफ़े पर ही फेंक दिया। मैंने देखा मेरी सासु माँ का मुँह खुला का खुला रह गया था, वो सब कुछ भूल कर सिर्फ मेरे लंड को ही देखे जा रही थी।
मैंने सोचा कि सूर्य यही मौका है, अगर हिम्मत करके इसको पकड़ लिया तो पक्का चुदवा कर जाएगी, इसलिए मैंने सोच लिया ‘आर या पार…’ इसको अगर न पकड़ा और इसका शिकार अगर मैंने नहीं किया तो लानत है मुझे पर!
अगर सासु मेरी लंड की दीवानी हो चुकी है, चूत में तो इसके भी खुजली हो रही होगी, इसके मुँह में और इसकी चूत के मुँह में भी पानी तो आ ही गया होगा, फिर क्यों इसको छोड़ा जाए!

वो अभी भी मेरे लंड को ही घूर रही थी। मैंने सोचा कि अगर इसको मेरा लंड इतना ही पसंद आ गया है, तो चलो इसको भी ट्राई करके देखा जाए।
मैं धीरे धीरे चलता हुआ अपनी सास के बिल्कुल सामने जा खड़ा हुआ।
‘कितना बड़ा है!’ वो धीरे से बोली।
मतलब मेरे ससुर का लंड मेरे लंड से छोटा है, यह तो पक्का हो गया।

मैंने अपने लंड को अपने हाथ में पकड़ा और उसे हिलाते हुये अपनी सास को दिखाया।
फिर मेरी सास जैसे होश आया हो, वो एकदम से शरमा गई और उन्होंने खुद को पर्दे से ही लपेट लिया- आप कब आए सूर्य?
उन्होंने मुझसे पूछा।

मैंने कहा- काफी देर हो गई।
तो वो बोली- और इस तरह मेरे बेडरूम कैसे घुस आए?
मैंने कहा- मैंने कभी सोचा ही नहीं था कि आपको कभी इस रूप में भी देखूँगा, पर इतना ज़रूर कहूँगा कि आपका यह रूप मुझे बहुत अच्छा लगा, आप सच में साक्षी की भी माँ हो।
वो और शरमा गई- चल झूठे!

मैं वैसे तो हमेशा उन्हें मम्मी कहता हूँ पर तब मैंने उन्हें आंटी कहा- नहीं आंटी, सच में आप साक्षी से कहीं ज़्यादा सेक्सी हो, आपको देख कर तो मेरा उस्ताद पैंट फाड़ कर बाहर आ गया।
वो बहुत शरमाई, और मंद मंद मुस्कुरा कर बोली- इतना बड़ा है, तो पैंट तो फाड़ेगा ही!

मैंने कहा- मगर, यह तो कहता है कि आंटी ने तो मुझे देखा भी नहीं, प्यार भी नहीं किया!
कह कर मैं अपनी सास के इतनी पास चला गया कि मेरा लंड उनकी पीठ से जा लगा, शायद उन्हें एहसास हो गया कि उनकी पीठ को एक तने हुया मर्दाना लंड ने छुआ है, वो थोड़ा सा आगे हो हुई, मगर मैंने आगे बढ़ कर उन्हें अपनी बाहों में कस लिया।

‘यह क्या कर रहे हो सूर्य, कोई आ जाएगा!’
मैंने ढीठ सा होते हुये कहा- कौन आएगा, घर में कोई भी तो नहीं।
वो बोली- सोनिया!
मैंने कहा- आ जाने दो, आज मैं पूरे मूड में हूँ, आपके बाद उसकी भी बैंड बजा दूँगा।

मेरी सास ने मुँह घूमा कर मेरी तरफ देखा- क्या चाहते हो सूर्य?
मैंने उनकी आँखों में देखते हुये कहा- आपको, आपको चाहता हूँ!
कह कर मैंने उनके बदन के गिर्द लिपटे हुये पर्दे को हटाना शुरू किया, जिसका उन्होंने बहुत विरोध किया, मगर मगर मैंने अपनी ताकत से उन्हें पर्दे से बाहर कर दिया।

अब वो सिर्फ ब्रा पैंटी में मेरी बाहों में थी, मैंने थोड़ा नीचे झुक कर अपना लंड उनकी दोनों जांघों के बीच में लगा दिया और ज़ोर लगा कर उसे उनकी जांघों के अंदर डालने लगा।
उन्होंने मेरी गिरफ्त से निकले की बहुत कोशिश, मेरे बाजू पे मारा, दाँतों से काटा भी मगर मैंने उन्हें नहीं छोड़ा।

मगर इतना ज़रूर मुझे पता था कि वो जो कुछ भी कर रही थी, सब एक तरह से ड्रामा ही था, उनके विरोध में वो जान ही नहीं थी, अगर सच में वो मुझे से बचना चाहती तो शोर भी मचा सकती थी, अपना सख्त विरोध भी जता सकती थी, मगर ऐसा नहीं थी, वो मुझे रोक भी रही थी और मुस्कुरा भी रही थी, इसी वजह से मेरा ढीठपना बढ़ता ही जा रहा था।

मैं अपनी कमर चला कर अपना लंड उनकी दोनों जांघों के बीच में घुसेड़ रहा था और मेरी कोशिश रंग लाई, मेरा लंड उनकी दोनों जांघों के बीच में से होकर आगे से बाहर निकल आया। मेरे लंड का लाल टोपा उनकी चूत के ठीक नीचे दिख रहा था।
अब मेरे लिए अपनी सासु माँ की जांघों को चोदना आसान हो गया था। अब जब मैं उनकी जांघों को चोद रहा था, तो मैंने आपने दोनों हाथों में उनकी दोनों चुची पकड़ ली।
‘आह… आउच…’ मेरी प्यारी सासु माँ ने हल्की सी किलकारी मारी।

मैंने कहा- अभी तो अंदर भी नहीं गया, और अभी से आउच?
वो बोली- नहीं सूर्य, जो कुछ भी हम दोनों में हो गया, बस इतना ही बहुत है, इस से आगे नहीं, कल को मेरी बेटी से तुम्हारी शादी होनी है, मैं ये सब तुमसे नहीं कर सकती।
उनकी बात में तर्क था, सच्चाई थी।

मैंने अपनी गिरफ्त ढीली की, उनको घुमा कर उनका मुँह अपनी तरफ किया और दोनों हाथों में उनका चेहरा पकड़ कर कहा- ठीक है, मैं आपकी बात मानता हूँ, मगर अब मैं यहाँ से ऐसे ही वापिस नहीं जा सकता, अब जब मेरा लंड खड़ा है तो इसे चूत चाहिए ही चाहिए, इतने तनाव की वजह से मेरा लंड दुखने लगा है, मुझे हल्का होना है, आप एक बार मुझे ठंडा कर दो, बस फिर मैं आपसे कभी और कुछ नहीं मांगूँगा।

वो बोली- अपने कलेजे का टुकड़ा, अपनी बेटी तो तुम्हें दे रही हूँ, अब और क्या लोगे?
मैंने अपनी सास को अपनी बाहों में उठाया और बेड पे गिरा दिया और खुद भी उसके ऊपर जा गिरा- मुझे साक्षी के साथ सुमन भी चाहिए!
कह कर मैंने तीन चार चुम्बन अपनी सास के मुँह पर जड़ दिये।
वो बोली- देखो सूर्य, मैं तुम्हें अपना जिस्म नहीं दे सकती।
मैंने कहा- मेरा इतना बड़ा लंड तुम्हारी चूत का प्यार पाने को मर रहा है, प्लीज सुमन, ले लो इसे अंदर!

कह कर मैंने अपनी सास की पेंटी उतारनी चाही मगर उसने मजबूती से मुझे रोक दिया।

फिर मैंने दूसरा पैंतरा इस्तेमाल किया, मैंने अपनी पैंट और चड्डी दोनों उतार दिये, और अपना तना हुआ लंड हवा में लहरा कर उसके सीने पे रख दिया। मेरे लंड का टोपा बिल्कुल उसकी ठुड्डी के पास था।
‘अगर चूत में नहीं ले सकती तो चूस तो सकती हो?’ मैंने कहा।
‘तुम समझते क्यों नहीं सूर्य?’ वो थोड़ा सा गिड़गिड़ाई।

मैंने कहा- अच्छा इसे अपने हाथ में पकड़ कर देखो!
कह कर मैंने उसके दोनों हाथ पकड़े और अपने लंड के आस पास लगा दिये।

मेरी सास ने भी मेरा लंड पकड़ लिया।
‘पहली बार इतना बड़ा लंड आपके सामने है, और आप उसके साथ कुछ भी नहीं करना चाहती?’ मैंने कहा।

अपनी सास की बेबसी मैं साफ तौर पर उसकी आँखों में देख रहा था। एक तरफ उसका दिल कर रहा था कि भाड़ में जाए दुनियादारी, पहले इस शानदार लंड के मज़े लिए जाए, मगर दूसरी तरफ उसे अपनी आगे की ज़िंदगी और अपनी बेटी का भविष्य भी दिख रहा था।
मेरे लंड को वो हल्का सा सहला कर समझौते वाली आवाज़ में बोली- क्या चाहते हो?

यह बात मेरे मतलब की थी, मैंने साफ कह दिया- सच तो यह है कि मैं इस वक़्त सेक्स करने के मूड में हूँ, पर अगर मैं आपकी चूत नहीं मार सकता तो कुछ ऐसा कीजिये कि मेरा पानी निकल जाए, और मैं ठंडा हो जाऊँ।
वो बोली- नहीं सूर्य, सेक्स मैं नहीं कर सकती तुम्हारे साथ, और साक्षी भी अभी 15- 20 मिनट में आ जाएगी, इतनी देर में और क्या हो सकता है, कुछ नहीं।

मैं समझ गया कि ये देने को तैयार है, मैंने कहा- आप इसे चूसना चाहेंगी, चुसवा कर तो मेरा जल्दी पानी छूट जाता है।
वो बोली- मगर मैंने आज तक कभी किसी का चूसा नहीं!
मैंने कहा- कोई बात नहीं, हर काम इंसान कभी न कभी तो पहली बार करता ही है, आज आप ये काम पहली बार करो!
कह कर मैं आगे को हुआ और अपने लंड का टोपा अपनी सासु माँ के होंठों पर रख दिया।

उन्होंने मेरे लंड को अपने हाथ में अच्छे से पकड़ा, और पहले एक चुम्बन मेरे टोपे का लिया और फिर अपने गुलाबी लिपस्टिक वाले होंठ खोल कर मेरा पूरा टोपा एक ही बार में अपने मुँह में ले लिया।
सच में मजा आ गया, टोपा मुँह में लेकर उसने खुद ही अपनी जीभ से मेरे लंड को चाटना शुरू कर दिया।
इतना अच्छा तो साक्षी भी नहीं चूसती थी।

खैर मैंने 1-2 मिनट तो वैसे ही उसको अपना लंड चुसवाया, जिसे वो बड़े प्यार से चूस रही थी, फिर मैंने भी उसके चूचे दबाये, ब्रा साइड में हटा कर उसके दोनों निप्पल बाहर निकाले और दोनों निप्पल मसले।
उसको भी मजा आया, बहुत कसमसाई, खूब दबा दबा कर उसके चूचे मसले मैंने।

फिर मैंने अपनी साइड बदली और उल्टा हो कर उसके ऊपर ही लेट गया, उसकी चूत बिलक्कुल मेरे मुँह के पास थी। मैंने उसकी पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को अपनी नाक, अपने होंठों और जीभ से सहलाना शुरू किया, तो उसने खुद ब खुद अपनी टाँगें खोल दी, मैंने अपना मुँह उसकी पेंटी से ही सटा दिया और पेंटी के ऊपर से ही उसकी चूत चाटने लगा।

तड़प उठी वो… नीचे से कमर उचका उचका कर वो मेरे मुँह पर अपनी चूत मार रही थी।
यही मौका देख कर मैंने उसकी पेंटी को एक तरफ हटाया, नीचे से बिल्कुल साफ शेव की हुई, गोरी, गुलाबी चूत के दर्शन हुये, मगर इससे पहले कि मैं उसकी चूत को अपना मुँह लगा पाता, उसने अपने हाथ से अपनी पेंटी ठीक कर ली और अपनी दोनों जांघें ज़ोर से भींच ली।
मैंने पूछा- क्या हुआ?

वो बोली- नहीं ये नहीं, अगर तुमने चाटनी शुरू कर दी तो फिर मुश्किल हो जाएगी।
मैंने जान बूझ कर पूछा- क्या मुश्किल?
वो बोली- अभी जिस बात के लिए तुम कह रहे, फिर वो बात मैं ज़बरदस्ती करूंगी, क्या फायदा, जो काम नहीं करना, उसे शुरू भी मत करो!
कह कर वो उठी और मुझे भी अपने साथ वापिस सोफ़े पर ले आई।

मुझे सोफ़े पर बैठा कर उसने दोबारा अच्छे से पर्दा किया और फिर मेरे सामने नीचे फर्श पर ही बैठ गई, मेरा लंड पकड़ा और बोली- देखो, जल्दी से ये काम निपटा दो, साक्षी कभी भी आ सकती है, और सोनिया का भी कोई पता नहीं।
मैंने कहा- तुम चूसो तो, अभी हो जाएगा।

उसने अपनी दोनों बाजू मेरी दोनों जांघों पर रखी, और मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर किसी तजुर्बेकार रंडी, प्रोफेशनल काल गर्ल की तरह चूसने लगी।
सच में मुझे बहुत मजा आ रहा था, मैंने आगे बढ़ कर उसकी दोनों चुची पकड़ ली और उन्हें दबा दबा कर मजा लेने लगा। कभी कभी उसकी पीठ पर भी हाथ फेर लेता।

पत्थर की तरह सख्त मेरा लंड वो ऐसे चूस रही थी, जैसे उसे कितने जन्मों बाद कुछ चूसने को मिला हो। बीच बीच में वो मेरे आंड भी सहला रही थी। उसके मुँह से थूक चू चू कर मेरे आंड, झांट सब को गीला कर रहा था।
मेरा दिल कर रहा था, उठ कर एक ऐसा झटका मारूँ के मेरा पूरा लंड इसके हलक में उतार दूँ, मगर मैं ऐसा नहीं कर सकता था.

वो भी अपनी तरफ से जितना ज़्यादा हो सकता था, मेरा लंड अपने गले तक ले जा कर चूस रही थी।

मैंने अपने दोनों हाथों में उसका चेहरा पकड़ा और बोला- ओह सुमन, तुम तो बहुत अच्छा चूसती हो जानेमन, और चूस अपने दामाद का लंड, पूरा मुँह में ले ले साली, चूस जा, जब मेरा माल गिरेगा, तो तेरे मुँह में ही गिराऊंगा, पी जाना, मेरी जान, पी जाना अपने यार का माल!
उसने सर हिला कर ही इशारा कर दिया कि वो मेरे माल पी लेगी।

मैंने भी अपनी कमर हिला हिला कर उसके मुँह को चोदना चालू रखा और फिर मेरा जोश बढ़ता ही गया, बढ़ता ही गया- ओह, आह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… मेरी जान, चूस साली!’
इससे बढ़ कर ‘खा जा इसे कुतिया, ले अपने यार का लौड़ा… बहनचोद’ तक मैंने अपनी सास को कह दिया मगर उसने कोई बुरा नहीं माना और मेरा लंड चूसती रही.

और फिर मेरे लंड से मेरा माल गिरा… और खूब गिरा… दे पिचकारी पे पिचकारी… जैसे सालों से बंधा बांध टूटा हो।
मेरी सास का मुँह भर गया, इतना कि वो पी नहीं पाई, उसका चेहरा, ब्रा, बोबे, पेट, जांघें, सब के सब मेरे माल में नहा गए।

माल गिराने के बाद मैं वहीं सोफ़े पर ही निढाल हो कर गिर गया।

मेरी सास उठी, और बेडरूम में गई, पहले मेरी पैंट और चड्डी मेरी तरफ फेंकी और फिर खुद बाथरूम में चली गई, अंदर जाकर उसने कुल्ला किया, फिर दाँतों को ब्रश किया, फिर फव्वारे के नीचे नहा कर तौलिया लपेट कर बाहर आई।

इतनी देर में मैं भी अपने कपड़े पहन कर रेडी हो गया था।
तौलिये में कैद उसका गोरा बदन देख कर मेरा फिर से मूड बनने लगा।

उसने अलमारी से अपने लिए नए कपड़े निकाले, बिना किसी शर्म के अपना तौलिया खोल कर अपना बदन पौंछा।
पहली बार मैंने उसकी मोटी गोल गांड देखी। अभी भी उसके चूतड़ कसे हुये थे, बेशक मेरी तरफ उसकी पीठ थी मगर एक बगल से उसकी चुची देखी, उम्र का असर था, थोड़ी ढलक गई थी मगर फिर भी उसका आकार अच्छा था।

उसने पहले ब्रा पहनी, फिर पेंटी, और फिर टीशर्ट और कार्गो पहन कर वो मेरे पास आई।
मैंने कहा- आप तो आज भी बहुत लाजवाब हैं, दिल करता है, साक्षी की बजाए आपसे ही शादी कर लूँ!

वो मेरे पास ही बैठ गई और बोली- देखो हमारे बीच जो कुछ भी हुआ है, वो साक्षी को कभी मत बताना।
मैंने कहा- अरे नहीं, पागल हूँ क्या जो उसको बताऊंगा?

वो फिर बोली- हाँ, इतना ज़रूर है कि तुम्हारे उस (लंड) जितना बड़ा मैंने पहले कभी नहीं देखा, इनका तो बस 5 इंच के ही करीब है, खैर, मगर एक बात और, अब हम सास और दामाद तो नहीं रहे, मगर दुनिया के लिए इस रिश्ते की लाज रखनी पड़ेगी, पर क्या हम अच्छे दोस्त बन सकते हैं?
मैंने कहा- ऑफ कोर्स, क्यों नहीं, दोस्त तो इतने अच्छे के आँख बंद कर के एक दूसरे पे एतबार कर लें, आगर आपका इशारा नहीं होगा, तो मैं कभी आपके सामने भी नहीं आऊँगा। दुनियावी रिश्ता पूरी ईमानदारी से निभायेंगे, पर एक बात मैं आपसे ज़रूर कहना चाहूँगा।

वो समझ तो गई थी, पर मुस्कुरा कर बोली- क्या?
मैंने आगे बात जारी रखी- अगर कभी ज़िंदगी ने आगे मौका दिया, तो मैं आपको अपनी पत्नी की तरह अपने बिस्तर पाना चाहूँगा।
वो हंस दी, बोली- तुम नहीं सुधर सकते, इस सबसे पेट नहीं भरा?
मैंने कहा- नहीं, इसने तो और भूख जगा दी है, क्या ऐसा हो सकता है कि जब तक साक्षी नहीं आती, मैं सिर्फ आपको किस कर लूँ?

उन्होंने मेरे गाल पे बड़े प्यार से हाथ रखा, आगे को आकर खुद मेरे होंठ पर हल्का सा किस किया और बोली- अपनी साक्षी तुम्हें दे रही हूँ, ये सब उसके साथ करना!
और वो उठ कर चली गई.

और मैं उनको अपनी गांड मटकाते हुये जाते हुये देखता रहा।

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