प्यार की प्यास

लेखिका : नेहा वर्मा

मेरे ताऊ मेरे घर से दो किलोमीटर दूर ही रहते थे। जब भी कोई छुट्टी का मौका होता तो मैं वहाँ चला जाता था। और स्कूल की छुट्टी समाप्त होने तक वहीं रहता था। उसका एक कारण था….मेरी ताई मुझे बहुत प्यार करती थी। उनके प्यार में सेक्स का पुट अधिक होता था। चूंकि मैंने भी जवानी की दहलीज पर कदम रख दिया था इसलिए मेरे दिल में भी उमंगें अंगड़ाइयाँ लेने लगी थी।

अभी तक तो मैं सिर्फ़ ताई के नाम का ही मुठ मारता था क्योंकि अभी तक मेरे सम्पर्क में कोई लड़की नहीं थी। ताई ही मुझे अपनी ड्रीम-गर्ल लगती थी। मैं जब भी घर पहुंचता था वो मुझे चूमती थी और मुझे गले लगा लेती थी…. पर मुझे उसमें उनकी वात्सल्य कम, वासना वाला प्यार ज्यादा नजर आता था। यही वजह थी कि मैं बार बार वहां जाता था।

इन दिनों बस इतना बदलाव आया था कि वो अब अपनी छाती पर मेरा चेहरा दबा लेती थी …. उनके नरम नरम बोबे मेरे चेहरे पर जब लगते थे मुझे बहुत आनन्द आता था और मैं दोनों स्तनों के बीच की गहराई में अपना चेहरा और दबा लेता था।

वैसे ताई ज्यादा लम्बी नहीं थी, लगभग ५ फ़ुट ३ इंच की थी…. पर शरीर कसा हुआ था….चूतड़ भारी थे…. बोबे बड़े पर सधे हुए थे….जैसे कि कोई गुब्बारा तना हुआ होता है।

आज शाम को मैं ताऊ के यहाँ आ गया था। ताई मुझे देखते ही खिल गई। मुझे आते ही उन्होने मुझे गाल पर, होंठो पर चूमा और अपने से चिपका लिया। अपनी छाती से लगा लिया और हमेशा की तरह अपने बोबे के बीच मेरा चेहरा दबा लिया। मैं भी इसका मजा लेता रहा, अभी मुझे बच्चा रहने में ही भलाई लग रही थी। उनके बोबे का आनन्द लेता रहा। ताई भी मेरा पूरा मजा ले रही थी। मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे चिपकाये जा रही थी। उनका एक हाथ मेरे चूतड़ों को भी सहला देता था। फिर अलग करके मुझे कुछ खाने को दिया।

रात को खाने के बाद मैं बिस्तर पर लेट गया और टीवी चला दिया।

“आंटी…. मैं अपना रात का पजामा भूल गया….अब क्या करूँ….?”

“अरे इनका पहन ले…. ये तो वैसे नाईट ड्यूटी पर गये हैं….”

“नहीं आंटी…. मुझे अच्छा नहीं लगता ….!”

“तो फिर अंडरवियर में ही सो जा ना….! यहां कौन है देखने वाला….!”

मुझे उनकी ये बात ठीक लगी…. मैंने अपनी जीन्स उतारी और अंडरवियर में ही लेट गया। ऊपर से एक चादर ओढ़ ली। मैं बैठक में दीवान पर सोता था। इतने में आंटी भी आ गई….

“चल थोड़ी जगह दे…. मैं भी टीवी देखूंगी….”

मैंने थोड़ी सी जगह कर दी। आंटी बड़ी मुश्किल से किसी तरह से फ़िट हो गई। पर अब वो मेरे से लगभग चिपक सी गई थी। उन्होने मेरा सिर ऊंचा करके अपने बाहों पर रख दिया। इससे मेरा चेहरा उनकी चूंचियों के पास आ गया। उनके शरीर की गर्माहट और उनके प्यार से मुझे नींद सी आने लगी। उनके शरीर में जवानी की एक महक भी थी। मैंने करवट बदल कर आंटी की तरफ़ मुख कर लिया….और मेरी आँखें बन्द होने लगी…. आंटी भी थोड़ा तिरछी हो कर मेरी तरफ़ हो गई और मेरे बालों पर हाथ घुमाने लगी। पर इससे उनकी चूंचियां मेरे चेहरे से छूने लगी। मेरी नींद उड़ गई। मेरे शरीर में कुछ कुछ होने लगा।

“आंटी….आप मुझे मुझे बहुत प्यार करती है ना….!”

” हां बेटा …. तू मुझे बहुत प्यारा है….” कह कर उन्होने मुझे चूम लिया। मुझे ये साफ़ अहसास हो रहा था कि आंटी ने ना तो ब्रा पहन रखी थी और ना ही पेंटी। उनके शरीर के स्पर्श से साफ़ मालूम हो रहा था।

“आंटी मैं भी आपको प्यार कर लूँ….?”

“हां ….हां …. जरूर….!”

मैंने उनके गालों पर चुम्मा ले लिया…. मौका देखा ….आंटी की आंखे बंद थी…. मैंने उनके होंठ पर अपने होंठ जमा दिये और चूमने लगा।

“बस….बस…. अब कितना प्यार करेगा….!” पर इतने में तो मेरे में उबाल आ चुका था। मैंने उनका शरीर कस लिया। मेरा लण्ड खड़ा होने लगा था। शायद आंटी ने इसे भांप लिया था।

“आंटी…. आप कितनी अच्छी हैं…. कितनी प्यारी हैं….!”

आंटी ने देखा कि मैं प्यार में कम वासना में ज्यादा लिपट रहा हूँ…. तो उन्होंने भी मुझे होंठों पर चूमना करना चालू कर दिया। फिर अचानक वो उठी “अरे पहले घर तो बंद कर दूँ….!” कह कर बाहर का, पीछे का दरवाजा बन्द कर आई। और टीवी भी बंद कर दिया।

“ऐसा कर, सुनील…. तू मेरे कमरे में ही अन्दर सो जा, आज….ये तो है नहीं…. आजा….!”

मैं अंडरवीयर में ही उठ कर आंटी के साथ उनके बेडरूम में आ गया। आंटी मुझे और मेरे अंडरवीयर में उठे हुए लण्ड को देख रही थी। वो मुस्कुरा भी रही थी। शायद आज वो मुझसे चुदने के मूड में थी। आंटी ने अपने साथ ही मेरे सोने के लिये भी जगह कर दी। हम दोनों ही बिस्तर पर लेट गये। मुझे लग रहा था कि आज मुझे पता चलेगा कि वास्तव में चुदाई क्या होती है। आंटी के नाम के इतनी बार मुठ मारी, अब मेरा सपना साकार होने जा रहा था।

आंटी सरक कर मेरे पास आ गई। उनका पेटीकोट भी जांघो तक ऊंचा उठा हुआ था। मैंने भी यूं जताया कि मुझे आंटी से बहुत प्यार है। वस्तव में मैं उनके शरीर का स्पर्श चाहता था। सो उनके शरीर से लग कर सोने की कोशिश करने लगा। इसी बीच आंटी ने मुझे अपने सीने से लगा लिया।

“आंटी…. आपके साथ सोने में और प्यार करने में बहुत अच्छा लगता है….!”

“मेरे बेटे…. आ मेरे सीने से लग जा…. मुझे भी तुम पर बहुत प्यार आता है….!” कह कर अपने दोनो चूंचियो के बीच मेरे चेहरे को भींच लिया। मैंने उसकी गहराईयों अपना चेहरा गड़ा दिया।

“आंटी…. मेरी मम्मी मुझे यहा से दूध पिलाया करती थी….!”

“पियेगा क्या….? बोल ना….?”

“आंटी…….. मेरी प्यारी आंटी….!”

आंटी ने अपना ब्लाऊज खोल दिया…. अंधेरे में भी उनकी गोरी गोरी चूंची चमक उठी…. अपने चूचुक मेरे मुख पर उन्होंने रगड़ दिया। मेरा लण्ड खड़ा हो गया था। मैंने उनके कड़े निपल मुख में भर लिये और चूसने लगा। आंटी के मुख से आह निकल गई।

“पी ले मेरे बेटे…. दूध पी ले….!” उन्होने मुझे अपने से चिपटा लिया। और…. और…….. मेरा तन्नाया हुआ लन्ड उनकी जांघों के बीच टकरा गया। उन्हें तुरन्त पता चल गया कि मैं उत्तेजित हो चुका हूँ। उन्होने मुझे और भींच लिया। मेरा लण्ड अब उनकी चूत से भिंच गया था। अपना दूसरा चूचुक मेरे मुख में डालते हुये बोली,”अब इसे भी पी ले….अपनी प्यास बुझा ले….!” मैंने अब उनका दूसरा निपल भी चूसना शुरू कर दिया।

“आंटी…. आप मुझे ऐसे ही प्यार करोगी ना….?”

“हां …. इससे भी ज्यादा….!” कहते हुए वो मेरे शरीर के ऊपर पांव फ़ैला कर चढ़ गई। मेरा लण्ड उनकी चूत पर गड़ा जा रहा था।

मेरा ये पहला अनुभव था…. मुझे ये पता चल गया था कि आंटी के मन में मेरे लिये खूब वासना भरी थी और अब मेरे साथ वासना का खेल खेल रही थी। वो उत्तेजना में पूरी तरह से डूब चुकी थी। मेरी फ़्रेंची अंडरवियर की बगल में से लण्ड बाहर निकल चुका था। आंटी का गदराया हुआ जिस्म मेरे जिस्म से रगड़ खा रहा था। उनका जिस्म मेरे ऊपर पूरा हावी हो चुका था।

“सुन …. तू ये सब बातें इन से मत कह देना….कि तुम रात को यहा सोए थे ……..और…. और…. हमने प्यार किया था….!”

“आंटी ….नहीं….नहीं…. बिल्कुल नहीं कहूंगा…. पर आप इतना प्यार करेंगी….?”

“हां ….मैं और भी प्यार करुंगी….!” और उनके होंठ मेरे होंठ से जुड गये…. आंटी ने शरम छोड़ दी थी। मेरा लण्ड उनकी चूत में घुसा जा रहा था। आंटी का भारी शरीर भी अब मुझे फूलों जैसा हल्का लगने लगा था। मेरा छोटे से अंडरवियर में से मेरा लण्ड बाहर आ चुका था, पर तिरछा पड़ा था। शायद आंटी को पता नहीं चला।

“सुनील …. मुझे प्यार करने में तकलीफ़ हो रही है…. जरा अपना अंडरवियर तो नीचे कर दे….”

“आंटी कपड़े उतार कर प्यार करें….मजा आयेगा ना !” मुझे भी अब उनका नंगा शरीर चाहिये था। नंगा तो क्या आंटी तो पहले ही लगभग नंगी थी। उनका पेटीकोट तो वैसे ही कमर तक उठा था। नीचे से तो नंगी ही थी। ब्लाऊज सामने से मुझे दूध पिलाने के लिये पूरा खोल रखा था। मैंने अपनी बनियान उतार दी और छोटा सा अंडरवियर उतार दिया। आंटी ने भी अपने को अब पूरा नंगा कर लिया। फिर आंटी बिस्तर पर चित लेट गई।

“आजा…. मेरे ऊपर आजा….!” मेरे तन्नाये हुए कड़े लण्ड को उन्होने पकड़ लिया। अब मुझे उनका नंगा शरीर से अपना नंगा शरीर छुआ और शरीर पर उनका स्पर्श हुआ। मैं आनन्द से भर उठा। मैं उन पर सीधा लेट गया। उन्होने अपने दूध को मेरे हाथों में पकड़ा दिया। मैंने जान करके अपना लण्ड उनकी चूत पर रख दिया। मुझे नहीं पता था कि करना क्या है। बस मेरा कड़ा लण्ड आंटी की पेशाब की जगह के आस पास दब रहा था। पर कुदरत का खेल देखो….जाने कैसे अपने आप ही मेरा लण्ड किसी चिकनी जगह पर घुस गया। मुझे सुपाड़े पर एकदम से आनन्द की रगड़ महसूस हुई। आंटी के मुख से सिसकारी निकल पड़ी। और अब आंटी ने नीचे से अपने चूतड़ का कमाल दिखा दिया। एक नीचे से जबरदस्त ऊपर की ओर धक्का मारा। मेरे मुख से चीख निकल गई। मेरे लण्ड पर एक तीखा सा दर्द हुआ। मैंने अपना लण्ड बाहर निकालने की कोशिश की…. पर आंटी ने अपने दोनों पांवो को मेरी कमर पर कस लिया था। तभी दूसरा धक्का लगा। मेरी टीस और तेज हो गई।

“मुझे लग रही है आंटी…. छोड़ो ना मुझे….!”

“धक्के मार….! दो मिनिट के बाद वो ठीक हो जायेगा…. मार धक्के….!”

मैंने उनका कहा मान कर धक्के लगाना शुरु कर दिया। सच में मस्ती आने लगी….मैं जलन के बारे में भूल गया। और सारा ध्यान चोदने में लगा दिया। कुछ ही देर में आन्टी झड़ गई। शायद उमर का असर था या बहुत दिनों बाद चुदाया था, इसलिये जल्दी झड़ गई…. पर वो थक गई थी।

“बस …. अब नहीं…. ला….तेरा ला…. मैं निकाल दूं….” मैंने अपना लण्ड निकाल कर आंटी के हाथ में दे दिया…. पूरा लण्ड गीला हो रहा था…. उन्होने लण्ड को अपने मुँह में भर लिया…. और जोर जोर से चूसने लगी….

“आंटी…. बस करो…. मेरा निकलने वाला है….!” मेरा यह लण्ड चुसवाने का पहला अनुभव था…. मैं झड़ने से बचना चाह रहा था…. पर आंटी ने मेरा सुपाड़ा ऐसा कस के चूसा कि मेरी पिचकारी निकल पड़ी…. सारा वीर्य आंटी के मुख में भरने लगा। उन्होने पूरा वीर्य पी लिया और जोर जोर से चूस कर बाकी भी निचोड़ने लगी। मुझे लगा मैं बिलकुल खाली हो गया हूं। पर झड़ने से मुझे कोई फ़र्क नहीं पड़ा। लण्ड निकाल कर मैं बगल में आ गया।

“हाय सुनील…. तूने आज मुझे इतना प्यार दिया है कि मैं कभी नहीं भूल पाऊंगी….!”मुझे उन्होंने फिर से एक बार चूम लिया।

“आंटी…. मुझे नहीं पता था कि आप मुझे इतना प्यार करती हैं…. मैं तो अब आपके पास ही रहूंगा….!”

“अब सो जा…. ” पर सोना कहां था मेरा तो फिर से खड़ा हो गया था…. आंटी के प्यार का प्यासा था….उनका गदराया हुआ शरीर फिर से सहलाना था। मेरा लण्ड फिर से उसी प्यार को तरस रहा था…. पर आंटी का काम निकल चुका था…. वो खर्राटे भरने लगी थी…. मैं मन मार कर पास में सोने की कोशिश करने लगा….

What did you think of this story??

Click the links to read more stories from the category रिश्तों में चुदाई or similar stories about

You may also like these sex stories

Download a PDF Copy of this Story

प्यार की प्यास

Comments

Scroll To Top