झगड़ा क्यों करती हो?

प्रिय पाठको !

संजय शर्मा का एक बार फिर से नमस्कार ! मेरी कहानी ‘फिर दूसरी से कर लेना’ और इसी का दूसरा भाग ‘कैसे तृप्त होती होगी !’ अन्तर्वासना पर आ चुकी है अब आपकी नज़र है इसी का तीसरा भाग !

पहले अंश में मैंने लिखा था कि किस तरह मैंने और भैया ने अपनी दोनों दीदियों को चोदा था और काफी मजे किये।

दूसरे अंश में कैसे मैं बड़ी दीदी के ससुराल गया और वहाँ दीदी की ननद को चोदा !

घटना काफी लम्बी है इसलिए जरुरी है कि मैं सबका नाम बता दूँ ! भैया का नाम विजय, बड़ी दीदी का नाम विमला, छोटी दीदी का नाम सीमा और मेरा नाम तो आप जानते ही हैं संजय !

अब आगे की घटना इस प्रकार है !

पहले दिन रात को गुड़िया (दीदी की ननद) को तीन बार चोद कर मैं वहीं सोफे पर सो गया था ! जब सुबह उठा तो देखा दीदी के सास ससुर और जीजू काम पर चले गए थे ! और गुड़िया भी अभी तक उठी नहीं थी क्योंकि मैंने रात को उसको कॉलेज जाने के लिए मना कर दिया था। इसलिए वो अभी तक उठी नहीं थी।

सब के जाने के बाद दीदी मेरे पास आई, मेरी लुंगी खोल कर मेरे लंड से खेलने लगी और मुँह में लेकर चूसने लगी और कहा- कि कल तो जल्दबाजी में कुछ ज्यादा नहीं हो सका पर आज मैं तुमको नहीं छोड़ूंगी ! आज सारा दिन मैं तुमसे चुदवाउंगी ! तुम आज जी भर कर मेरी इतने दिनों की चुदाई की कसर पूरी कर दो !

मैंने कहा- वो तो ठीक है पर तेरे साथ गुड़िया को भी चोदना पड़ेगा !

उसने कहा- क्या मतलब !

मैंने कहा- कल रात को गुड़िया को लंड भी चुसा चुका हूँ और ३ बार चोद भी चुका हूँ ! बड़ी चुद्दकड़ है तेरी ननद ! बहुत मस्त भी है ! मजे ले ले कर नए नए तरह से चुदवाती है ! उसका मम्मे भी बहुत मस्त हैं !

दीदी ने कहा- तू तो बड़ा शैतान है !

मैंने कहा- दीदी क्या करूँ ! तुम लोगों ने जो आदत डाल दी है ! अब तो एक दिन भी चुदाई के बैगर नहीं रह सकता !

तब दीदी ने कहा- अब तो कोई समस्या नहीं है, चल कपड़े खोल जल्दी से और तेरा लंड दे मुझे !

मैंने कहा- दीदी तुमने कपड़े ही कहाँ छोड़े हैं जो उतारूँ !

उसने कहा- बनियान भी उतार दो ! आज शाम तक तुमको कपड़े नहीं मिलेंगें !

मैंने कहा- दीदी, पहले बाथरूम जाकर पहले फ्रेश तो हो लेने दो !

तो उसने कहा- एक बार लंड चूसने दो और चोद दो ! फिर जाना ! मैं कल शाम से तेरे लंड के लिए मरी जा रही हूँ !

खैर एक बार कुछ देर दीदी को लौड़ा चुसवा कर उसको चोदा फिर फ्रेश होने को चला गया और दीदी को कहता गया कि कपड़े मत पहनना !

दीदी हंस कर रह गई ! फिर मैं बाथरूम से नंगा ही बाहर आया और सोफे पर बैठ गया !

दीदी नाश्ता लेने चली गई !

इतने में गुड़िया नंगी ही बाहर आई और मुझसे शिकायत करने लगी कि मैंने तो सोचा था कि तुम आओगे और अपने लंड का प्रसाद देकर मुझे उठाओगे !

मैंने कहा- मैं अभी अभी उठा हूँ ! अगर तुम और कुछ देर नहीं आती तो मैं ही अन्दर आ जाता तुझे उठाने को !

वह तुंरत मेरी गोद में आ बैठी और मेरे मुँह से अपना मुँह लगा दिया और अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी हम दोनों एक दूसरे को बहुत बुरी तरह चूम रहे थे साथ ही वो मेरा लंड सहला रही थी। मैं उसकी चूत में ऊँगली डाले हुए मस्ती कर रहा था !

उसने कहा- संजय मुझे तेरी रबड़ी खानी है ! कल रात को खाकर बहुत मजा आया था !

मैंने कहा- कौन मना करता है जी भर कर खाओ !

इतने में दीदी नाश्ता लेकर आ गई और हम लोगों को देख कर बोली- तो यहाँ यह सब चल रहा है !

गुड़िया बोली- भाभी ! संजय ने मुझे रात को बहुत मस्ती से चोदा है ! सच में बहुत दिनों बाद इतना मजा आया है ! नाश्ता-वाश्ता छोड़ो, जल्दी से आ जाओ, आज संजय का ही नाश्ता करते हैं !

चूकिं दीदी भी नंगी ही थी, वह तुरंत हमारे पास आ गई और हम दोनों से लिपट गई ! फिर दीदी ने गुड़िया से कहा कि तुमने या विनय (जीजू) ने कभी नहीं कहा कि विनय तुमको भी चोदता है ! अगर मुझे पहले पता होता हम दोनों एक ही साथ चुदवाते ! सच में तीन या ज्यादा मिलकर चुदाई करते हैं तो बहुत मजा आता है क्योंकि सबके पास कई ऑप्शन्स रहते हैं !

गुड़िया ने कहा- पहले संजय से तो चुदवा लूँ ! इसका लंड बहुत मजेदार है !

और हम तीनों चुदाई में लग गए ! कभी दीदी मेरा लंड चूसती कभी गुड़िया !

फिर गुड़िया ने कहा- संजय अपना अमृतरस मुझे पिलाओ !

मैंने कहा- मेरी रानी, घबराती क्यों हो ! आज दिन भर तुम दोनों को चोद चोद कर थका दूंगा !

दोनों ने कहा- देखेंगे कि तुम कौन सा तीर मार लेते हो !

फिर सिलसिला चालू हो गया और मैंने दोनों को बुरी तरह चोदा ! गुड़िया तो जल्दी ही पस्त हो गई पर दीदी अभी फिर से तैयार थी !

मैंने दीदी से कहा- यहाँ तो दिन के अलावा टाइम नहीं मिलता, क्यों ना मेरे साथ चलती !

दीदी ने कहा- मैं तो तैयार हूँ ! तुम मेरे सास-ससुर से बात कर लो !

तो गुड़िया ने कहा- मैं भी तुम लोगों के साथ चलूंगी !

मैंने कहा- ठीक है ! जब मैं बात करूँगा तब तुम कह देना कि तेरे कोलेज में एक हफ्ते की छुट्टी है और तुम भाभी के बिना यहाँ अकेली बोर हो जाओगी!

इस तरह हम चुदाई में लगे रहे फिर कुछ देर बाद गुड़िया बोली- संजय मेरी गांड मारो ना ! मुझे गांड मरवाने में बहुत मजा आता है !

तो दीदी ने कहा- अगर ऐसी बात है तो मैं भी मरवा कर देखूंगी !

तब गुड़िया ने कहा- भाभी पहली बार गांड मरवाने में बहुत तकलीफ होती है !

दीदी ने कहा- कोई बात नहीं ! मैं सह लूंगी, मज़े के लिए मैं सब कुछ कर सकती हूँ !

इसके बाद गुड़िया उठ कर गई और क्रीम की ट्यूब ले आई और मेरे लंड पर मलने लगी और मुझे कहा- तुम भाभी की गांड चूस कर गीला कर दो तो तकलीफ कुछ कम होगी! दीदी ने कहा- हट ! गांड को भी कोई चूसते हैं !

गुड़िया ने कहा- चुसवा कर तो देखो भाभी ! बहुत मजा आयेगा !

इस प्रकार गुड़िया ने दीदी की गांड में भी क्रीम लगा कर और ऊँगली डाल कर कुछ ढीला कर दिया ! फिर मुझसे कहा- आ जाओ संजय ! अब भाभी की गांड तैयार है !

मैं दीदी को घोड़ी बना के उसकी गांड के छेद में लंड डाल कर लंड का सुपारा अन्दर करने लगा, लेकिन छेद इतना टाइट था कि अन्दर जा ही नहीं रहा था !

तब गुड़िया ने कहा- संजय जरा जोर लगाओ !

और दीदी के नीचे आकर उसके मुँह को अपने मुँह से दबा लिया ! इस बार मैंने जोर लगा कर अपने लौड़े का सुपारा दीदी के गांड में घुसा दिया ! सुपारा घुसते ही दीदी चिल्ला उठी- अरे मेरी माँ ! मैं तो मर गई संजय ! और जोर जोर से चिल्लाने लगी !

मैंने कहा- दीदी जो होना था, वो हो चुका, ज्यादा जोर से चिल्लाओगी तो आस पड़ोस वालों को शक ना हो जाये !

दीदी कहने लगी- नहीं संजय, निकाल लो ! बहुत तकलीफ हो रही है !

गुड़िया ने कहा- मुझे भी हुई थी ! पर बाद में जब धीरे धीरे पूरा लौड़ा अन्दर बाहर होने लगा तो बहुत मजा आया !

तो दीदी ने कहा- जब इतना बर्दाश्त किया है तो थोड़ी तकलीफ और सही ! लेकिन धीरे धीरे प्यार से डालना !

मैंने कहा- ठीक है !

फिर मैंने धीरे धीरे पूरा लंड अन्दर कर दिया !

गुड़िया ने कहा- भाभी मेरी चूत चूसो ! मैं तुम्हारी चूची दबाती हूँ !

इस तरह दीदी को बहलाकर गुड़िया ने मुझे कहा- संजय ! अब अपना लंड आगे पीछे करो !

कुछ ही देर में दीदी ने कहा- संजय, अब मजा आ रहा है ! जरा जोर जोर से चोदो !

काफी देर चोदने के बाद गुड़िया ने कहा- अब मेरी गांड भी मारो ! मैं अब बर्दाश्त नहीं कर सकती !

इस तरह कहकर वह भी दीदी के बराबर घोड़ी बन गई ! अब मैं कभी दीदी की, कभी गुड़िया की गांड मारने लगा ! मुझे भी बहुत मजा आ रहा था ! मैंने कहा- अब मैं छुटने वाला हूँ !

तब दीदी और गुड़िया ने कहा- हम दोनों तो अब तक दो दो बार छुट चुकी हैं !

दीदी और गुड़िया ने कहा- अपना अमृतरस हम दोनों को पिलाओ !

मैंने अपना कामरस दोनों के मुँह में डाल दिया। दोनों ने थोड़ा थोड़ा अपने मुँह में लिया फिर दोनों ने आपस में मुँह से मुँह मिला कर काफी स्वाद ले ले कर सारा चाट लिया। फिर मेरे लौड़े पर जो कुछ बचा था वह चाट चाट कर साफ कर दिया !

सच ! मुझे इतना मजा कभी नहीं आया ! फिर हम लोगों ने कुछ देर आराम किया ! उसके बाद दोनों मेरे लौड़े पर भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी और मैं भी उनके चुचे दबाने लगा ! इस प्रकार हम लोगों ने एक फिर जम कर चुदाई का आनंद लिया और कपडे पहन कर शरीफों के जैसे बैठ गए !

कुछ ही देर में दीदी के सास ससुर आ गए, विनय कुछ देर बाद में आया ! मैंने उनसे दीदी को ले जाने की इजाजत मांगी तो पहले कुछ ना नुकुर करने लगे, लेकिन मेरे काफी जोर देने पर एक हफ्ते के लिए मान गए ! जैसा कि हम लोगों ने प्लान बनाया था- गुड़िया भी कहने लगी जाने को ! जैसे तैसे उसको भी मंजूरी मिल गई !

तब मैंने कहा- कल सुबह निकाल चलते हैं ! दोपहर तक पहुँच जायेंगे !

इस प्रकार हम हम करीब आठ बज़े की बस से रवाना हो गए ! बस में मैं बीच में बैठा था एक तरफ दीदी और एक तरफ गुड़िया ! थोड़ी देर बाद गुड़िया ने एक चद्दर निकाल कर हम तीनों पर डाल ली क्योंकि ठण्ड का मौसम चालू हो गया था इसलिए किसी को शक भी नहीं हुआ ! मैं पीछे से हाथ डाल कर दोनों एक एक चूची दबाने लगा !

और वो दोनों मेरे लौड़े से खेलने लगी ! करीब चार घंटे का सफ़र था। जब बस चाय पानी के लिए रुकी तो हम सब ने नीचे उतर कर चाय पी ! दोनों मुस्करा रही थी ! मैं समझ गया कि दोनों गरम हो रही हैं, दोनों घर पहुँचते ही चुदवाना चाहेंगी ! अब दोनों ने अपनी जगह बदल ली क्योंकि दोनों अपनी एक एक चूची दबवा चुकी थी अब दोनों की दूसरी चूची दबाने लगा और उन्होंने मेरा लंड निकाल लिया ! इस बीच गुड़िया को ना जाने क्या सूझा कि वो अपना सर चद्दर में डाल कर मेरी गोद में आ गई और मेरा लंड चूसने लगी। अब दीदी को कैसे बर्दाश्त होता ! कुछ देर बाद उसने गुड़िया को हटाया तो उसने कहा- पहले तुम कोने में बैठी थी, तेरे पास मौका था तुमने उसका फ़ायदा नहीं उठाया !

बात सही थी जिस तरफ दीदी बैठी थी उस तरफ से कोई मौका नहीं था !

इस प्रकार हम मजा करते हुए घर पहुँच गए ! जब मैंने घर की घंटी बजाई तो सीमा दीदी दरवाजा खोलने आई। चूकिं किसी को कोई खबर नहीं थी तो सीमा दीदी और विजय भैया चौंक पड़े एवं स्तब्ध रह गए ! इसके बाद विमला दीदी पहले सीमा दीदी के गले लगी फिर दौड़ कर विजय भैया के गले लग गई और उनको जोर जोर से चूमने लगी ! विजय भैया भी कहाँ चुप खड़े रहने वाले थे, वो भी दीदी चूमने लगे और उनकी चूची दबाने लगे।

इधर हम भी कहाँ चुप बैठने वाले थे मैंने सीमा दीदी और गुड़िया को अपने से चिपका लिया और दोनों के मम्मे दबाने लगा ! कुछ देर ऐसा ही चला फिर भैया ने कहा- तुम लोग सफ़र के थके हुए आए हो, कुछ देर आराम कर लो !

विमला दीदी ने कहा- नहीं भैया, हम लोग बिलकुल भी थके नहीं हैं, चलो एक राउंड चुदाई-चुसाई का हो जाये, फिर आराम कर लेंगे ! क्योंकि आज रात तो जागना ही है तुमसे चुदाये बहुत दिन हो गए हैं और तुमको नया स्वाद गुड़िया का भी तो लेना है !

इस तरह हम चाय पीते हुए एक दूसरे से छेड़ छाड़ करते हुए एक दूसरे के कपड़े उतारने लगे ! इस तरह हम सब नंगे हो गए। गुड़िया भी कम नहीं जा रही थी। वो उठ कर भैया के के पास चली गई और उनका लौड़ा मुँह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगी। अब विमला दीदी को कैसे बर्दाश्त होता, वो गुड़िया से झगड़ा करने लगी !

मैंने कहा- दीदी झगड़ा क्यों करती हो? हालांकि तुझे भैया का लंड काफी दिनों बाद मिला है पर गुड़िया को नए लंड का स्वाद चखने दो !

दीदी ने कहा- सिर्फ़ एक बार ही चूसने और चुदवाने दूंगी ! आज भैया केवल मेरा है ! कल से हम लोग सब मिलकर करेंगे, क्योंकि मुझे और गुड़िया को एक हफ्ते ही रहना है !

इस पर सब राजी हो गए। फिर एक बार चुदाई के बाद हम सब कपड़े पहन कर आराम से बैठ गए ! इसके बाद पापा-मम्मी, ताउजी-ताईजी आ गए और विमला दीदी और गुड़िया को देख कर काफी खुश हुए!

इस तरह हम पांचों ने पूरे हफ्ते बहुत मस्ती की जो कि मैं अगले भाग में बताऊंगा।

इंतजार करें और अपनी राय देना ना भूलें जिससे मैं इसको और रुचिकर शब्दों में पिरोकर आपके सामने प्रस्तुत कर सकूँ ! घटना बिल्कुल सच है !

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