दरवाजा बंद करके चूत चोदना !

viky_sathe 2013-12-21 Comments

प्रेषक : विकी

मैं विकी, आपके साथ मेरा पहला सेक्स अनुभव शेयर कर रहा हूँ। मैं पूना में अपने परिवार के साथ रहता हूँ। मैं 24 वर्ष का 5’7″ कद वाला 60 किलो वजन का मस्क्युलर बॉडी वाला बंदा हूँ।

मेरी मौसी की बेटी अमृता 5’4″, 50 किलो अच्छे ख़ासे मस्त उभारों वाली गोरी-चिट्टी लौंडिया है, और मेरा और एक कज़िन भाई विवेक 26, 6′, 79 किलो कसरती बॉडी वाला है।

यह बात तब की है जब मैं 12वीं कक्षा में था। मेरे घर वाले सब लोग पापा के किसी दोस्त के बेटे की शादी में कोल्हापुर गये थे। मेरे इम्तिहान होने के कारण मैं अकेला था। माँ ने गाँव जाने से पहेले विवेक भैया को बताया था कि तुम विकी के साथ रहना।

सुबह सब लोग गाँव चले गये। मैंने उनको विदा करके वापस आया और पढ़ाई करने बैठा। मेरा दूसरे दिन पेपर था। पूरे दिन भर पढ़ाई की और रात में विवेक भैया सोने के लिए आ गये।

मैंने उनके साथ बातें की और फिर दोनों अपने अपने बिस्तर पर सो गये। दूसरे दिन सुबह मैं कॉलेज चला गया। भाई को कुछ काम था, इसलिए उसने छुट्टी ली थी।

मेरा गणित का पेपर था, पर पता नहीं क्यों मेरा पेपर में ध्यान ही नहीं था। पेपर में दो सवाल सॉल्व करके छोड़ कर बाहर आ गया। मैं काफ़ी परेशान था, सोचा घर जाकर थोड़ी देर के लिए सो जाऊँ, फिर फ्रेश हो कर बाकी पढ़ाई करूँगा।

मैं सिर्फ़ एक घंटे में पेपर अधूरा छोड़ कर घर आ रहा था, घर आकर देखा तो लाइट नहीं थी।

मैंने बेल बजाई, दरवाजा खटखटाया पर भाई शायद सो रहे थे। थोड़ी देर बाद मुझे याद आया कि एक और चाबी पड़ोस वाली आंटी के पास है।

मैंने उनके पास से चाबी ली और खोल कर अंदर आ गया। जूते निकाले और कपड़े बदलने के लिए बेडरूम की तरफ चला गया।

मैं काफ़ी तनाव में था, इसलिए कोई ध्यान ही नहीं रहा। जैसे ही मैंने दरवाजा खोला, ‘बाप रे बाप’ विवेक भैया और अमृता दीदी नंगे 69 पोजीशन में एक-दूसरे से चिपक कर लेटे थे।

मैं तो धक्क से रह गया। हालांकि भैया को कुछ नहीं लगा, पर दीदी घबरा गई। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मैं तुरंत बाहर आ गया, मेरे पीछे भाई आ गया, वो मुझे समझाने लगा और बोला- तू भी हमारे साथ आ सकता है।

मेरे तो होश ही उड़ गए यह सुनकर !

मैंने तुरंत कपड़े बदले किए और फ्रेश होकर अंदर गया।

तब तक वो दोनों कपड़े पहन कर बैठे थे। मैं शरमा रहा था।

भैया ने मुझे समझाया, ” देख अब तीनों मिल कर मज़े करेंगे, सिर्फ़ किसी को बताना मत।”

मैंने तुरंत ‘हाँ’ कर दी, फिर हम तीनों ने एक साथ स्मूच करके अपने सेक्स को शुरू कर दिया।

मैं बहुत ही उत्तेजित था और साथ ही मैं घबरा गया था। फिर बीच मे दीदी और बाजू में हम दोनों ऐसे ही लेट गये।

भाई ने दीदी के कपड़े और ब्रा उतारी और मैं दीदी को स्मूच कर रहा था। मेरे ज़ोर-ज़ोर से चूचियाँ चूसते वक्त दीदी सिसकारी भरने लगीं।

उसी वक्त भैया ने अपना हाथ दीदी की चड्डी में डाला। यह देखकर मैं पागल सा हो गया। मैं भी पूरे जोश में आकर दीदी को चूमने लगा। दीदी की तरफ से भी पूरा सहयोग मिल रहा था।

फिर भैया और दीदी ने मेरे कपड़े उतारे। मेरा लण्ड पहले से ही खड़ा था। 6” वाला कट लण्ड देख कर दीदी फुल मूड में आ गईं।

भाई भी अपने कपड़े उतार कर आ गये। उनका 9” लण्ड देख कर मैं तो सन्न रह गया। ऊपर से उनकी बॉडी? मैं सोचने लगा, दीदी इनको कैसे झेल सकती है?

उसके बाद दीदी ने विवेक भैया का लण्ड मुँह में लिया और भैया ने मेरा, मैं हैरान हो गया। भाई और मेरा लण्ड?

अब समझ में आया कि यह तो ‘बाय सेक्सुअल ग्रुप सेक्स’ था।

“ओह माय गॉड !”

मैं पहली बार अपना लौड़ा चुसवा रहा था, वो भी अपने भाई से, वो बहुत ज़ोर से चूस रहे थे।

उसके बाद अमृता दीदी ने मेरा लण्ड मुँह में लिया। उनके मुलायम होंठ और मुलायम जुबान मेरे लण्ड को मुँह से सहलाने लगी। मुझे गुदगुदी हो रही थी, बहुत मज़ा आ रहा था।

फिर मैंने सोचा कि चलो मैं भी भाई का लण्ड चख लेता हूँ। भैया बड़े खुश हो गये।

अब और मज़ा आ रहा था, मेरा लण्ड दीदी के मुँह में, भैया का मेरे मुँह में, और भाई हाथ से दीदी की चूत को सहला रहे थे। थोड़ी देर बाद हमने पोजीशन बदल दी, भाई मुझ से बड़े ही खुश थे।

सच कहें तो एक बार कामवासना से उत्तेजित होने के बाद कुछ भी अच्छा लगता है। इसलिए मैंने भाई का लण्ड चूस लिया।

अब तीनों बहुत गर्म हो गये थे। भाई दीदी को चोदना चाह रहा था।

उसने जल्दी से दीदी को इशारे से पूछा- पहले कौन चाहिए?

दीदी बोली- पहले विकी।

मैं सिर्फ़ मुस्कुराया और तैयार हो गया।

पर… पर… मुझे पता ही नहीं था कि अंदर कैसे घुसाना है।

तब भाई ने मेरी मदद की, उसने अपने हाथ से मेरा लण्ड को रास्ता दिखाया। अब बात बन गई। एक ही झटके में दीदी ने पूरा लण्ड निगल लिया। मैं हैरान था, इसका मतलब दीदी बहुत बार लण्ड अंदर ले चुकी थी। भाई आगे आए और अपना लंड दीदी की मुँह में डाल दिया।

मैं आराम से झटके देने लगा। ये सब सपने जैसा लग रहा था।

“थ्री-सम विद माय कज़िन्स, वाउ !”

मैंने स्पीड बढ़ा दी। यह देख कर भाई ने मेरा लण्ड चूत से बाहर निकाल कर कहा- इतनी भी क्या जल्दी है?

और मुस्कुरकर लण्ड अपने मुँह में ले लिया। अब मैं उनको मुँह में चोदने लगा। उनका लण्ड दीदी चचोर रही थी।

“स्वर्गिक आनन्द था।”

फिर मेरा लंड चूसते-चूसते भाई ने मुझसे पूछा- अब मुझे ट्राई करेगा क्या?

मैं इसका मतलब नहीं समझा। थोड़ी देर बाद पता चला भाई मुझसे चुदवाना चाहते हैं।

तभी भाई बोले- मैं अमृता को चोदता हूँ, तू पीछे से मेरी गांड मारना !
दीदी यह सुनकर मुस्कुराने लगीं।

तभी भाई बोले- अमृता, मैं सीरियसली बोल रहा हूँ, बहुत मज़ा आएगा।

मैं तैयार था।

फिर भाई ने बड़े प्यार से दीदी की चूत को चूसा और पूछा- अब तैयार?

उसने ‘हाँ’ कर दी।

9” का लंड दीदी की चूत के अंदर।

मैं देखना चाहता था, दीदी कैसे लेगी?

शुरू में लगा यह सम्भव नहीं है, पर जैसे ही जोश बढ़ा दीदी ने पूरा लण्ड लिया।

भाई ज़ोर से चुदाई करने लगे। फिर भाई ने मुझे पीछे बुलाया, और बोले- आहिस्ता से मेरे अंदर डालना।

मैं समझ गया, और डालने लगा। भाई चिल्ला रहे थे।

मैंने सोचा कि रहने दो भाई को दर्द हो रहा है, और लंड बाहर निकाला।

पर भाई ने कहा- कोई बात नहीं, फिर से कोशिश करो, आहिस्ता-आहिस्ता।

मैंने लण्ड डाल दिया, और आहिस्ता झटके देने लगा।

दीदी आईने से ये देख रही थी, वो भी आगे-पीछे करने लगीं। अब मेरा लण्ड भाईं के अंदर सैट हो गया, और मैं अच्छे से धक्के देने लगा।

भाई मज़ा ले रहे थे, साथ ही साथ दीदी भी आगे से झटके दे रही थी। भाई हम दोनों के बीच मे सैंडविच हो गये थे।

थोड़ी देर बाद भाई ने हम दोनों को रुकने को कहा और खुद अकेले आगे-पीछे करने लगे। जब आगे जाते तो दीदी के अंदर उनका लंड जाता और मेरा उनकी गांड से बाहर आ जाता और जब पीछे आते तो उनका लौड़ा दीदी की चूत से बाहर, और मेरा लौड़ा उनकी गांड के अंदर घुस जाता।

थोड़ी ही देर में ये शंटिंग अच्छे से होने लगी और हम तीनों बहुत मज़े से कर रहे थे।

मैं झड़ने वाला था पर भाई बोले- अभी रूको। अब तुम्हारी बारी है। आ जाओ बीच में।

मैं घबरा गया, पर सोचा ट्राई कर लूँ, बीच में आ गया, भाई ने मेरी गांड को चूम कर थूक लगाया और लंड रख दिया।

मैं आहिस्ता से अंदर घुसवाने लगा, उनका हलब्बी लंड जैसे ही अन्दर घुसा, मैं चीखने लगा था, मना कर रहा था, पर भाई सुन नहीं रहे थे।

पर मैंने ज़ोर लगाया और उनका लंड बाहर निकाला और मना करने लगा।

भाई ने मेरी बात मान ली, और बोले- कोई बात नहीं, सॉरी।

अब हम दोनों बारी-बारी से दीदी को चोदने लगे। बीच में मैंने भाई को भी चोदा।

फिर झड़ने की बारी आ गई, भाई बोले- तू मेरे अंदर झड़ना और मैं अमृता के मुँह में झड़ता हूँ।

मैंने बात मानी और मैं और भाई एक साथ ही झड़ गये। दीदी ने भाई का माल निगल लिया और मेरा भाई के अंदर चला गया।

‘वो भी क्या दिन था !’

दीदी और भाई बहुत खुश थे। फिर हम तीनों साथ में नहा कर होटल में खाना खाने के लिए गये। हमने इधर-उधर की बहुत बातें कीं।

मैंने दोनों को कहा- अगली बार दरवाजा बंद करके सेक्स करना, नहीं तो मैं या कोई और आ जाएगा।

इस बात पर दोनों हँसने लगे, क्योंकि दरवाजे के कारण बहुत कुछ हो गया था।

उसके बाद मैंने पढ़ाई की, हालाँकि मन नहीं लग रहा था, पर कोई रास्ता नहीं था। रात में मैं और भाई एक ही बिस्तर में सो गये और दीदी उसके घर सोने के लिए गई।

मेरा भाई बहुत ही अच्छा है, हम नंगे बांहों में बांहें डालकर एक ही बेड में सो गये।

दूसरे ही दिन बायलौजी का पेपर दे कर मैं घर आ गया। इस बार लाइट थी और बेल बजाने पर दीदी और भाई ने नंगे आकर मेरा स्वागत किया। वो दिन बहुत ही खुशियों भरा था। हम तीनों उस दिन कज़िन से अच्छे फ्रेंड्स हो गये, बाद में हम तीनों ने बहुत बार सेक्स किया।

पर अब दीदी की शादी हो चुकी है और विवेक भाई मुंबई में शिफ्ट हो गये हैं। भाई भी शादीशुदा है और मैं अकेला हूँ।

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