गरम माल दीदी और उनकी चुदासी चूत-3

(Garam Mal Didi Aur Unki Chudasi Chut- Part 3)

राज कूल बॉय 2018-04-04 Comments

सभी दोस्तों को मेरा नमस्कार. मेरा नाम राज है और मैं फिर एक बार अपनी रसीली हिंदी में चुदाई की पोर्न कहानी लेकर हाजिर हूँ. आपने मेरी कहानियां
गरम माल दीदी और उनकी चुदासी चूत-1
बहन की चुदाई कहानी का अगला भाग : गरम माल दीदी और उनकी चुदासी चूत-2

को पढ़ा और उनको सराहा, इसके लिए धन्यवाद.

कुछ आंटी और लड़कियों ने मेरे साथ सेक्स चैट भी की और कुछ लड़कियों ने अपने शहर मिलने के लिए इच्छा जताई, पर मेरे लिए यह संभव नहीं था.

पिछले भाग में आपने पढ़ा था कि कैसे मैंने दीदी की चूत चोदी थी.
अब आगे..

सब लोग खाना खाकर सोने की तैयारी करने लगे.. आज जगह ज्यादा थी क्योंकि काफी लोग जा चुके थे.

छत पर मैं अकेला एक और सोया हुआ था और थोड़ी दूरी पर दीदी और दिव्या यानि कि मेरी भांजी सोये हुए थे. मैं सोने की कोशिश कर रहा था, पर नींद नहीं आ रही थी क्योंकि आज दिव्या की चूत मिलने की आस जगी हुई थी.

मैंने घड़ी में देखा तो ग्यारह बज चुके थे और लगभग सभी लोग थक कर सो गए थे. मुझे लगा कि दीदी सो गई हैं और यही सही मौका है, अपनी भांजी दिव्या को चोदने का. मैं अपने बिस्तर पर से उठा और दीदी और दिव्या के बीच में जाकर लेट गया.

मैंने देखा कि दिव्या मुझसे विपरीत दिशा में मुँह करके सो रही थी और उसके घुटने मुड़े होने की वजह से उसकी गांड और भी बड़ी लग रही थी.

मैंने धीरे से गांड पे हाथ फेरा और चूतड़ को हल्के से दबाया तो मुझे उसकी मुलायम गांड पर हाथ फेरने में मजा आ गया. सच में बड़ी ही मक्खन मुलायम गांड थी उसकी. तभी मुझे लगा कि दीदी जाग रही हैं और अपनी चुत को जोर जोर से सहला रही हैं.

मैंने उनके कम्बल में हाथ डालके उनके पेट पे रख दिया. उन्होंने चुत सहलाना रोक दिया. मैं धीरे धीरे हाथ चुत पे ले गया तो चुत पर दीदी ने हाथ रखा हुआ था. मैंने उनका हाथ हटाने की कोशिश की, तो उन्होंने रोक मुझे रोक दिया.

मैंने थोड़ा जोर लगाके उनके हाथ को हटाया और अपना हाथ चुत पे रखा. उनकी चुत बहुत ही गीली थी और चुत में कोई चीज घुसाई गई थी. मैंने उस चीज को हाथ से महसूस किया तो पता चला कि दीदी ने अपनी चुत में एक बैंगन घुसा रखा है जिसको वह अन्दर बाहर कर रही थीं.

मैंने दीदी को कान में धीरे से बोला- क्या दीदी.. भाई का लंड होते हुए बैंगन चुत में घुसा लिया? यह बैंगन अभी का अभी निकालो और मेरा लंड अपनी चुत में डलवा लो.
दीदी ने मेरे लंड को पैंट के ऊपर से ही पकड़ लिया और बोलीं- अगर ऐसा है तो खुद ही मेरी इस चुत में से बैंगन निकाल कर अपना लंड डाल दो.

मैंने बैंगन को ऊपर से पकड़ा जो कि चुत से एक इंच ही बाहर निकला हुआ था. थोड़ा खींचने पर आधा बैंगन बाहर निकल आया.. आधा अब भी अन्दर ही था. मैंने निकालने की कोशिश की तो दीदी के मुँह से दर्द भरी सिसकारी निकलने लगी. मैंने और ज़ोर लगाकर बैंगन खींचा तो बैंगन बाहर आने लगा. दीदी ने मेरा लंड कस कर पकड़ लिया और कराहने लगीं.

मैंने दूसरा हाथ चुत पर लगा कर महसूस किया कि चुत बहुत ही ज्यादा फ़ैल चुकी थी और बैंगन का नीचे का हिस्सा बहुत ही मोटा था.

मैंने ताकत लगा कर झटके से बैंगन खींचा तो फच की आवाज के साथ बैंगन बाहर आ गया. दीदी ने खुद अपने मुँह पर हाथ रख कर चीख को दबा दिया.

मैंने बैंगन को साइड में रख दिया जो कि करीब 7-8 इंच लंबा था. दीदी अचानक मेरे दोनों ओर अपने पैर फैला कर बैठ गईं और मेरा लंड निकाल कर पूरा थूक से चिकना कर दिया. फिर मेरा लंड चुत पे रख कर उस पर बैठ गईं, मेरा लंड सरक कर दीदी की चुत में घुस गया.

दीदी थोड़ा ऊपर उठाकर पूरा लंड बाहर निकालतीं और फिर धच से बैठकर पूरा लौड़ा अपनी चुत में घुसा लेतीं. ऐसा तीन चार बार करने से ही उनका पानी निकल गया और वह झड़ गईं, पर मेरा पानी निकलना जरूरी था.

मैंने उनकी कमर पकड़ ली और नीचे से जोर जोर से धक्के लगाने लगा. थोड़ी देर में ही दीदी ने मुझे रोक लिया और बोलीं- अब बस करो.. अब नहीं चुदवा सकती.. अन्दर चोट लग रही है. प्लीज अपना लंड बाहर निकाल लो.

पर मैंने फिर से उनकी कमर पकड़ ली और धक्के लगाने लगा, बहुत मजा आ रहा था. तभी वह रोने लगीं और अचानक मेरे हाथ छुड़ा कर लंड से नीचे उतर कर अपनी पैंटी पहनने लगीं.

मैं बहुत ही उत्तेजित हो गया था और किसी भी हालात में अपने लंड को शांत करना चाहता था. मैंने उनको घुमा कर घोड़ी बना दिया और पैंटी को फाड़ दिया. अपनी एक उंगली उनकी गांड में घुसाकर जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगा. उनको दर्द हो रहा था, पर मैंने अपना काम चालू रखा.

थोड़ी देर बाद उनके गांड के छेद को थूक लगा कर चिकना कर दिया और अपने लंड का सुपारा छेद पे रख दिया. मैं दीदी के बड़े चुचे दबाने लगा. दीदी भी अब फिर से गर्म होने लगी थीं. मैंने लंड का दबाव बढ़ाया तो चिकनाई की वजह से लंड नीचे की ओर फिसल गया और थोड़ा चिकनी चुत में भी घुस गया.

दीदी ने भी पीछे एक दो धक्के लगाके पूरा लंड अपनी चुत में ले लिया और हिलने लगीं. मैंने लंड को खाली करने के लिए चुत का भोसड़ा बनाने को ही ठीक समझा और दीदी की चूत पर पिल पड़ा.

दीदी भी मस्त आहें भरते हुए चुत रगड़वाने लगीं. उनकी चुत फिर से गरम हो गई थी और अब वे भी पूरी मस्ती से चुदाई का मजा ले रही थीं.

मुझे लगा था कि दीदी की चुत में ही मेरे लंड का रस निकल जाएगा. पर पता नहीं आज दिव्या की चुत मिलने के चक्कर मेरा लंड झड़ने को राजी नहीं था.

करीब दस मिनट दीदी की चुदाई में दीदी फिर से झड़ गईं और उनकी चुत में जलन होने लगी, उन्होंने मेरे लंड से खुद की चुत को अलग कर लिया. मैंने उन्हें फिर से पकड़ा तो वे मना करने लगीं.

मैंने उनसे कहा कि मेरा लंड तो झाड़ दो, अभी मेरा पानी नहीं निकला है.
तो दीदी ने कहा कि आज तुझे क्या हो गया है.. तू अब तक क्यों नहीं झड़ा?
मैंने उनको अपनी तरफ खींचते हुए उनके मम्मों को अपने हाथों में लेकर मसलना शुरू किया और कहा- मुझे नहीं पता किस वजह से लंड नहीं झड़ रहा है लेकिन आप मुझे अधूरा मत छोड़ो, प्लीज़ मेरे लंड को शांत करो.
दीदी बोलीं- हाथ से मुठ मार ले. अब मुझे चूत की जलन सही नहीं जा रही है.
मैंने कहा- चलो चूत में सही पीछे गांड में करवा लो.

मैंने उनके जबाव का इन्तजार नहीं किया और उनको फिर से झुका कर उनकी गांड के छेद पर लंड का सुपारा टिकाने का प्रयास किया. पर लंड भी पूरा बहनचोद बन चुका था, वो साला फिर से दीदी की चूत की तरफ फिसल गया.

दीदी ने अपनी कमर हिलाई तो लंड चुत से हट गया. मुझे भी तो अब ही गांड मारनी थी तो मैंने चुत की तरफ से लंड हटा कर फिर गांड के छेद पे रख दिया. मैंने दीदी को लंड सही से छेद पे टिकाये रखने को बोला.

दीदी अपनी साँस रोक कर एक हाथ से मेरे लंड को पकड़ा और एक हाथ से अपनी गांड फैलाने की कोशिश करने लगीं. मैंने भी दीदी की कमर को कसकर पकड़ लिया और पूरी ताकत लगा कर धक्का मारा. इस धक्के में मेरा आधे से ज्यादा लंड दीदी की गांड की गहराइयों में उतर गया.
लंड के घुसते ही दीदी के मुँह से एक दर्द भरी चीख निकल गई- ओह्ह.. माँ.. मर.. गई..

मैंने दीदी की चिल्लपों की परवाह न करते हुए उनके लटकते मम्मों को अपने हाथों में भरा और दीदी की गांड की धकापेल चुदाई शुरू कर दी.

दीदी मुझसे छूटने की कोशिश करने लगीं. उन्होंने मेरे हाथ छुड़ा लिए और पीछे हाथ लाकर मेरा लौड़ा अपनी गांड में से बाहर खींच लिया.

मैंने उनको फिर पकड़ कर गांड मारने की कोशिश की, मगर वह मुझे धक्का देकर अपने कपड़े सही करने लगीं और नीचे जाने लगीं. मैंने उन्हें नहीं रोका क्योंकि वह बहुत गुस्सा हो गई थीं. मैंने उनको जाने दिया.

उनके जाने के बाद अब मेरे पास दिव्या को चोदने के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचा था.

मैं दिव्या के बाजू में आकर लेट गया और लंड सहलाने लगा. मैं अभी आँख बंद करके सोच ही रहा था कि दिव्या से कैसे शुरुआत करूँ.. तभी मुझे मेरे हाथ पर जो मेरे लंड पर लगा था, नर्म हाथ का अहसास हुआ. मैंने देखा तो दिव्या उठ गई थी और मेरे लंड पर उसका हाथ था.

मैंने उसकी तरफ देखा तो बोली- क्या हुआ डियर मामा.. लंड की आग बुझी नहीं क्या?
मैं उसकी बात का जबाव देता, तभी वो उठ कर बैठी हो गई और उनसे मेरा हाथ लंड से हटाते हुए लंड को अपनी जीभ से सहला दिया.
आह.. लंड ने एकदम से तुनकी मारी और दिव्या ने मेरा लंड मुँह में ले लिया.

मैंने दोनों हाथ खुला छोड़ दिए और अपना लंड अपनी भांजी के मुँह में चूसे जाने के अहसास से मजा लेने लगा.

दिव्या ने अभी दो मिनट ही मेरा लंड चूसा होगा कि मेरे लंड से रस निकलने को होने लगा, मैंने उससे कहा- लंड झड़ने वाला है, रस पियोगी क्या?
दिव्या बोली- मामा, लंड से रस से मुझे उबकाई आती है, आप मेरे मुंह में अपना पानी मत निकालना.
मैंने अपना लंड बाहर खींच लिया और अपना पानी बिस्तर पर निकाल दिया.

अब मैं आराम से बिस्तर पर लेट गया और दिव्या को अपने ऊपर लेकर उसके लबों को चूमने लगा. मेरा एक हाथ उसकी गर्दन पर था और दूसरा उसके कूल्हों पर…

दिव्या बड़े जोश से मेरे साथ फ्रेंच किस कर रही थी, वो इस खेल की अनुभवी लग रही थी.
थोड़ी देर जवान लड़की के बदन की गर्मी और वासना ने मेरी कामवासना पुनः भडका दी, मेरा लंड फिर से जोश में आने लगा.

अब मैंने दिव्या के कपडे उतारने शुरू किये, उसे पूरी नंगी किया और बिस्तर पर लिटा कर उसके ऊपर आ गया. दिव्या ने खुद से अपनी टाँगें चौड़ी की और मेरा लंड अपने हाथ से पकड़ कर अपनी चूत पर लगाया और मुझे धक्का मारने के लिए कहा. दिव्या की कामवासना अपने चरम पर थी.

जैसे ही मैंने धक्का मारा, मेरा लंड उसकी चूत में ऐसे घुस गया जैसे मक्खन में गर्म चाकू!
दिव्या पूरी खाई खेली थी.
मैंने दिव्या को काफी देर तक चोदा और उसे चुत चुदाई पूर्ण आनन्द दिलाया. इसके बाद जब मैं झड़ने को था तो मैंने दिव्या को बताया कि मैं आने वाला हूँ तो उसने कहा- मामा जी, आप मेरी चूत में ही अपना माल छोड़ दो! मेरे पास इसका इलाज है.
मैंने अपना रस अपनी भानजी की चूत में छोड़ दिया.

अब मैं पूरा थक चुका था तो मैं अपने बिस्तर पर जाकर सो गया.
अगले दिन मेरी भानजी दिव्या बहुत खुश दिख रही थी और मेरे साथ हंस हंस कर बातें कर रही थी और मौक़ा मिलने पर कामुकता भरी शरारतें भी कर रही थी.

आपको मेरी हिंदी पोर्न कहानी कैसी लगी, प्लीज़ बताइएगा. मेरी ईमेल आईडी है.
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