शत्रुता का दूसरा दौर- 1

(Bhai Bahan Ki Sexy Kahani)

राज वीर 69 2021-06-09 Comments

भाई बहन की सेक्सी कहानी में पढ़ें कि कॉलेज में स्टूडेंट यूनियन में पद के लालच में लड़की प्रेसिडेंट से चुद गई. उसे मजा आया पर उसकी चुदास और बढ़ गयी.

आप जानते हैं कि याराना के बाद शत्रुता का दौर मेरी कहानियों की अगली शृंखला है। जिसकी पहली कड़ी मैं आपके लिए प्रस्तुत कर चुका हूं।

जो पाठक नये हैं उनसे निवेदन है कि इस कहानी को पढ़ने से पहले आप
शत्रुता का पहला दौर
पढ़ लें।
इससे आप कहानी को बेहतर ढंग से समझ पाएंगे।

अब मैं शत्रुता का दूसरा दौर शुरू करने जा रहा हूं. भाई बहन की सेक्सी कहानी का आनंद लें और अपना फीडबैक भेजते रहें।
शत्रुता, चालबाजी, सम्भोग और रंजिश से भरपूर कहानी शत्रुता का दूसरा दौर वहीं से शुरू करते हैं जहां से पहला दौर समाप्त हुआ था।

पहले दौर में आपने देखा कि काव्य कॉलेज प्रेसिडेंट के चुनाव जीता और उसने रेशम की बहन ऋतु की चुदाई भी की।
ऋतु चुदक्कड़ थी और काव्य की मंगेतर भी थी।

फिर रेशम ने इस हार का बदला 6 महीने बाद फिर से कॉलेज प्रेसिडेंट चुनाव करवा कर लिया और इस बार वही प्रेसिडेंट बना।
रेशम ने काव्य की बहन कृति को वॉइस प्रेसिडेंट बनाने के बदले में उसकी चुदाई की।

कृति ने यह बात काव्य को बतायी। मगर काव्य को रेशम ने पहले ही सारी बात बता दी थी कि कैसे उसने उसकी बहन कृति की चुदाई की।
काव्य इस घटना के लिए स्वयं को जिम्मेदार मान रहा था और वह अब अपनी बहन कृति से बिना नज़र मिलाए ही घर आकर सो गया।

रात के 2 बजे उसकी आंख खुली तो कृति रो रही थी।
उसको चुप करवाते हुए काव्य के हाथ कृति की चूचियों पर चले गये और वो अपनी बहन की चूची दबाने से रोक नहीं पाया।
दोनों भाई बहन गर्म हो गये।

अपने स्तनों पर काव्य का हाथ महसूस कर कृति की सांसें भी तेज होने लगीं।

करीब 1 मिनट तक दोनों इसी अवस्था में जोर-जोर से सांसें लेने लगे लेकिन किसी ने कोई हरकत नहीं की।

अतः अंत में दोनों के कंट्रोल ने जवाब दे दिया और दोनों के होंठ एक दूसरे के होंठों से भिड़ गये।

कृति और काव्य का यह चुंबन लगातार करीब 2 मिनट तक चला होगा। जब उनकी सांसें रुक गयीं तब सांस लेने के लिए उन्होंने अपने लबों को एक दूसरे के लबों से अलग किया।

काव्य की आंखों में कृति आंखें मिला कर देख रही थी और काव्य आगे क्या प्रतिक्रिया करेगा उसका इंतजार कर रही थी।

कृति के इस तरह देखने से काव्य को शर्म महसूस हुई कि वह तो अपनी बहन के साथ है।

इसका आभास होते ही काव्य बेड से उठकर खड़ा हो गया और कृति से कहा कि हम दोनों में यह नहीं होना चाहिए।
इतना कहकर काव्य अपने कमरे में चला गया और अपने बेड पर लेट गया।

इधर कृति ने भी अपने आप को संभाला और वह बेड पर लेटी रही।

करीब 5 मिनट तक दोनों अपने अपने रूम में अपने अपने बेड पर लेटे रहे और अपने मन को नियंत्रित करने की कोशिश करते रहे।

जितना वह दोनों अपने मन को एक दूसरे से अलग करना चाह रहे थे उतने ही आकर्षित होकर एक दूसरे के बारे में सोच रहे थे।
अभी उनकी सांसें उतनी ही तेजी से चल रही थीं।

इधर काव्य को लगा कि अब वह अपने आप को नियंत्रित नहीं कर सकता तथा इधर कृति को लगा कि अगर वह अभी काव्य से नहीं मिली तो वह सांसों के तेज होने से ही मर जायेगी।

दोनों अपने अपने बेड से एक साथ उठे और एक दूसरे के कमरे की तरफ जाने लगे।
और दोनों का टकराव कमरों के बीच के दरवाजे पर ही हो गया।

उन्होंने एक दूसरे से बिना कुछ कहे तेज सांसों के साथ एक दूसरे से अपने होंठों को चिपका दिया और एक गहरा चुंबन करने लगे।
शायद अबकी बार काव्य यह सब भूल कर आया था कि सामने उसकी बहन है।

कृति के होंठों को चूसने के साथ-साथ काव्य के हाथ कृति के सीने पर चल रहे थे। वह कृति के स्तनों को कृति की टीशर्ट के ऊपर से ही निचोड़ रहा था।

इधर कृति ने भी अपने एक हाथ को काव्य की बॉक्सर के अंदर घुसा कर काव्य का लिंग हाथ में लेकर उसे आगे पीछे करना शुरू कर दिया।
यह प्रक्रिया दोनों दरवाजे पर खड़े खड़े ही कर रहे थे।

काव्य ने कृति की टीशर्ट को उतार फेंका।
रात होने के कारण कृति बिना ब्रा के ही थी। अतः काव्य ने एक हाथ में कृति का एक स्तन लिया तथा दूसरा स्तन अपने मुंह में ले लिया और उन्हें मुंह से चूसने, चाटने और निचोड़ने लगा।

उसके दोनों स्तनों से जब काव्य का मन भर गया तो उसने कृति को पास में रखी टेबल पर हल्का सा लेटाया और उसकी चड्डी उतार कर उसकी पीठ व उसके कूल्हों को चाटने-चूसने लगा।

कृति अब पूरी नग्न हो चुकी थी।

काव्य को कृति ने पूरा नंगा किया और घुटनों के बल बैठ कर काव्य का खड़ा लिंग अपने मुंह में लेकर जोर जोर से चूसने लगी।

बहन के मुंह में लंड जाते ही काव्य भी असीम आनंद में खो गया। वो अपनी आंखें बंद करके लंड चुसवाने लगा।

कुछ देर बाद लन्ड चुसवाते हुए जब काव्य को लगा कि वह अब अपना लावा कृति के मुंह में ही छोड़ देगा तो उसने अपने लंड को कृति के मुंह से निकाल लिया।

वो कृति को अपनी गोद में उठाकर अपने कमरे में ले गया तथा उसे अपने बेड पर पटक दिया।
नंगी कृति अब अपनी चूत खोलकर अपने नंगे भाई के सामने बेड पर पड़ी थी।

काव्य ने अपनी बहन की चूत को देखा और उसके पास जाकर उसकी टांगें खोलीं और उसकी चूत में मुंह लगा दिया।

कृति की चूत की आग एकदम से भड़क गयी और वह काव्य के मुंह की ओर चूत को धकेलते हुए मदहोशी में अपनी चूत चटवाने लगी।

कुछ ही देर की चूत चुसाई के बाद कृति का रुकना मुश्किल हो गया।
वो काव्य से बोली- भैया, अपना लंड मेरी चूत में डाल दो … प्लीज भैया मुझे चोदो .., प्लीज भैया मुझे चोदो।

ये कामुक शब्द सुनकर काव्य बहुत उत्तेजित हो गया।
उसने कृति की बात मानते हुए अपना लंड कृति की चूत में डाल दिया और कृति के ऊपर लेटकर उसे सटासट चोदने लगा।

कृति भी उतने ही जोश के साथ चुदाई करवाने लगी। ऐसा लग रहा था जैसे कृति न जाने कितने समय से काव्य के लंड की प्यासी थी।
शायद रेशम से चुदाई करवाकर भी उसे इतना मजा न आया हो जितना काव्य के लंड से चुदकर आ रहा था।

करीब 20 मिनट की धुआंधार चुदाई के बाद दोनों एक दूसरे से लिपट गये।
दोनों साथ में झड़ गये। दोनों जोर जोर से सांस ले रहे थे और अपनी घमासान चुदाई की थकान उतार रहे थे।

कृति- ओ गॉड भैया! आपने तो मेरी सांसें चढ़ा दीं।
काव्य- सांसें तो मेरी भी चढ़ गयीं। सांसों पर ही तो काबू नहीं हो रहा था इसलिए तो मैं तुम्हारे पास आये बगैर नहीं रह सका।

वो बोली- मेरा भी यही हाल था, इसलिए अगर तुम ना आते तो मैं ही तुम्हारे पास आ ही रही थी।
काव्य- यह आज तुम्हें एकदम से क्या हो गया कृति? क्या इससे पहले भी तुमने मन में मुझसे सेक्स की कल्पना की है?

कृति- नहीं भैया, मैंने आज से पहले आपसे सेक्स की कल्पना नहीं की थी। मैंने शायद ही किसी और से भी सेक्स की कल्पना की हो किंतु आज दिन में जब मुझे रेशम ने चोदा तो दिन की बातें याद करके मैं काफी उत्तेजित हो गई थी। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं।

वो बोली- मैं बस ऐसे ही आपको अपने पास बुलाना चाहती थी ताकि मेरा ध्यान रेशम की चुदाई से हट जाए और इसलिए मैंने रोना शुरू कर दिया था कि आप मेरी आवाज सुनकर मेरे पास आ जाओ। मगर जब आप मेरे करीब आये और मुझे आपने छुआ तो वह आग बुझने की बजाय फिर से जाग गई। फिर जो हुआ आपको पता ही है। अब हम क्या करें भैया, हमारे बीच यह गलत काम हो गया है।

काव्य- हमारा यह काम गलत है, लेकिन इस गलती में हम दोनों शामिल हैं। वैसे भी यह जो गलत हुआ है उसके बारे में किसी को पता नहीं है तो हमें शायद ही इसकी चिंता करनी चाहिए।

कृति- भैया क्या मैं आपसे एक बात बोलूं? क्या मैं आपसे कुछ मांगूं और आप मुझे दोगे?
काव्य- बोलो कृति, आज तो मैं तुम्हें अपना सारा जहान दे दूंगा।

कृति- आज दिन के बाद रेशम की चुदाई से मेरा रेशम को देखने का नजरिया बदल गया है। हालांकि उसने मेरी चुदाई अपने बदले के लिए की थी और वह काफी दर्द देने वाली थी। मगर बुरा मत मानना मैं उसकी चुदाई की फैन हो गई हूं। भले ही यह सब मेरे लिए पहली बार था लेकिन फिर भी जितना मैंने पोर्न फिल्मों में और अपनी सहेलियों से सुना है वह उन सब में एकदम जबरदस्त था।

वो आगे बोली- मैं रेशम से जिंदगी भर चुदवाने के लिए तैयार हूं। इसका मतलब यह है कि मैं रेशम से शादी करना चाहती हूं। मगर मुझे अब ये चिंता खा रही है कि आप दोनों में इतनी गहरी दुश्मनी है तो वह शायद ही मुझसे शादी करेगा। भैया आप अपनी दुश्मनी खत्म करो और उसे मेरे साथ शादी के लिए मनाओ ना प्लीज? मैं जिंदगी भर आपकी दास बनी रहूंगी। रेशम की जानकारी के बगैर मैं जिंदगी भर आपके साथ चुदाई करवाती रहूंगी, अगर आप यही चाहते हो तो। इस सौदे में आपका भी तो फायदा है, आपको भी जिंदगी भर अपनी बीवी के अलावा एक और चूत हमेशा के लिए मिलती रहेगी। मेरी बात मानोगे ना काव्य?

काव्य कुछ देर तक सोचकर बोला- रेशम मेरा बहुत बड़ा दुश्मन है। मैं उससे अपनी बहन की शादी करवाने का सोच भी नहीं सकता। मगर सच बताऊं तो यह दो चूतों वाला सौदा तो फायदे का है। तुम्हारी चुदाई के बाद मुझे लगता है कि मुझे जिंदगी भर इसकी जरूरत पड़ेगी। अतः तुम्हारे लिए मैं रेशम से दोस्ती का नाटक जरूर करूंगा। मैं पूरी कोशिश करूंगा कि तुम रेशम से शादी कर सको। मगर हां, रेशम को हमारी इस चुदाई की भनक नहीं लगनी चाहिए। वर्ना वह कभी तुमसे शादी नहीं करेगा।

कृति- मुझे पता है भैया, मैं कभी रेशम को और उसकी बहन ऋतु को यह पता नहीं चलने दूंगी। आप भी ध्यान रखना कि ऋतु को भी यह बात पता नहीं चले।

काव्य- अरे यह तो ठीक रहेगा। मैं जिंदगी भर तुम्हें भी चोदूंगा और ऋतु को भी। वहीं तुम भी जिंदगीभर मुझसे भी चुदोगी और रेशम से भी!

दोनों यह बातें करते रहे और उनकी उत्तेजना चरम पर पहुंच गई। दोनों के चूत और लंड ने एक दूसरे के लिए उत्तेजना जाहिर कर दी।

अतः एक बार फिर कृति और काव्य की घमासान चुदाई हुई और दोनों यह सब करके सो गये।

तो दोस्तो, आप कुछ समझे कि कृति और काव्य के बीच क्या हुआ?
वास्तव में कृति आज दिन में रेशम की चुदाई से इतना प्रभावित थी कि वह कुछ भी करके रेशम को जीवन भर के लिए अपना साथी बनाने के लिए तैयार थी।

कृति को यह पता था कि रेशम और काव्य बहुत बड़े दुश्मन हैं तथा काव्य अपनी बहन की शादी रेशम से कभी नहीं होने देगा।
अतः कृति ने यह खेल खेला और अपने भाई को अपने जिस्म के जाल में फंसाकर यह करने के लिए प्रेरित किया।

यह कृति जानती थी कि अगर काव्य केवल आज की रात बहकने तथा भविष्य में उसकी चुदाई के लिए मना भी कर देगा तो भी बहन की चुदाई की आत्म ग्लानि दे देकर काव्य से अपनी बात मनवा ही लेगी।

तो दोस्तो, यह था कृति और काव्य के बीच का खेल।
अब चलते हैं ऋतु और रेशम के घर।

रेशम अपने कमरे में गहरी नींद में सोया हुआ था।
हालांकि उसने कृति को बदले के तहत चोदा था लेकिन चुदाई का आनंद तो मिला ही था। उसके सपने में दिन में की हुई चुदाई ही चल रही थी। वह सोच रहा था कि उसके लिंग को चूस रही है।

उसकी गहरी नींद हल्की-हल्की खुलती गई तो उसे अहसास हुआ कि वह बिस्तर पर पड़ा हुआ है और वास्तव में उसका लिंग कोई चूस रहा है।

थोड़ा नींद से होश आने के बाद रेशम को अहसास हुआ कि अभी तो रात हो चुकी है और उसके और ऋतु के अलावा घर पर और कोई नहीं है। फिर उसका लिंग कौन चूस रहा है?

कमरे में हल्का सा उजाला था और अब रेशम की नींद पूरी खुल गई थी।
रेशम ने लेटे लेटे ही देखा कि उसका लिंग उसकी बहन ऋतु चूस रही है। ये देखकर तो उसका सिर चकरा गया।

ऋतु ने रेशम का बॉक्सर घुटनों तक उतार रखा था। वो मजे से रेशम का लिंग चूस रही थी।
लिंग चूसने से रेशम के आनंद का चरम उस सीमा पर था कि कुछ देर तक तो वह जानकर भी ऋतु से कुछ नहीं बोल पाया और अपनी आंखें बंद करके लिंग चुसवाने का आनंद लेने लगा।

धीरे धीरे ऋतु के लिंग चूसने की गति बढ़ती गई और इस पर रेशम ने जब अपने आप को आपे से बाहर पाया तो उसने झट से अपना लिंग ऋतु के मुंह से बाहर निकाल लिया और बोला- ये क्या कर रही हो तुम? मैं भाई हूं तुम्हारा!

ऋतु- बस इसी बात का तो दुख है रेशम कि तुम मेरे भाई हो।
वो सरकते हुए रेशम के चेहरे के पास चेहरा लाई और उसको बांहों में भरकर बोली- यह सब छोड़ो रेशम, मेरे भाई।

रेशम- क्या मतलब? तुम्हें दुख है कि मैं तुम्हारा भाई हूं?
ऋतु- हां मुझे दुख है कि तुम मेरे भाई हो और यह दुख तुमने मुझे आज दिन में दिया है।
रेशम- मैंने आज दिन में क्या किया? क्या मेरे प्रेसिडेंट बनने से तुम इतना दुखी हो कि तुम्हें मेरे भाई होने पर ही दुख है?

ऋतु- नहीं। मुझे तुम्हारे प्रेसिडेंट बनने के बाद दुख मिला है लेकिन वह तुम्हारे प्रेसिडेंट बनने से नहीं किसी और बात से है।
रेशम- और वह क्या बात है?

अब ऋतु ने रेशम के सीने पर अपना सिर रख लिया और रेशम की ओर देखते हुए उसके सीने पर हाथ फिराने लगी। वह अपने नर्म हाथों से रेशम के सीने को सहला रही थी। रेशम के बदन में उत्तेजना की तरंगें उठने लगी थीं।

ऋतु उससे ऐसे बर्ताव कर रही थी जैसे कोई अप्सरा कामदेव को रिझाने के लिए करती है। वह रेशम को अपने हुस्न के जाल में उलझा रही थी। काव्य के मुंह से रेशम ने सुना हुआ था कि ऋतु रोल प्ले में अपने भाई से चुदाई की बात करती है।

इसलिए रेशम को यहां पर ज्यादा आश्चर्य नहीं हो रहा था। वह फिलहाल इस बात के इंतजार में था कि ऋतु के मन में क्या चल रहा है जो वह अपने भाई के लंड को लेना चाहती है।

ऋतु बार बार उसके लंड पर हाथ ले जाकर उसे सहला देती थी। ऋतु के कोमल हाथों में रेशम का लंड अपने पूरे तनाव में था। ऋतु भी रेशम के चेहरे को देखकर अंदाजा लगा रही थी कि रेशम को इस वक्त कितना मजा आ रहा है।

वो बोलती रही:
वास्तव में जब आज प्रेसिडेंट के लिए तुम जीत गये तो काव्य और मैं दोनों काफी निराश हो गये और हम अपने घर यानि यहां अपने फ्लैट पर आ गये। हमने दोनों ने चिंता में भविष्य में होने वाली वह सब बातें कीं जिसका कि बदला तुम मुझसे और काव्य से लोगे।

इस बीच में हमने थोड़ी शराब भी पी ली। तभी काव्य ने मुझसे कहा कि अब जो होगा देखा जाएगा और वह अपने घर की ओर चल दिया। मैं दरवाजा अंदर से लॉक करने जा ही रही थी कि मुझे जोर से पेशाब लगी और मैं अपने रुम के बाथरूम में चली गई।

जब मैं बाथरूम में थी तो मुझे अहसास हुआ कि घर में तुम और कृति दोनों आए हुए हो। मैंने तुम दोनों की बात सुनी तो पता चला कि तुम उसे वाइस प्रेसिडेंट बनाने का लालच देकर एक बार चुदवाने के लिए प्रेरित कर रहे थे।

मैं यह सोचकर वह भौंचक्की रह गयी और बाथरूम से निकलकर अपने रूम के दरवाजे के पास आकर तुम्हारी बातें सुनने लगी। इससे पहले तुम मेरा रूम चेक कर चुके थे। तुमने सोचा था कि घर में कोई नहीं है।

मगर तुमने बाथरूम चेक नहीं किया था, मैं वहीं थी। अतः अब मैं अपने रूम में आकर तुम्हें करीब से सुन और देख रही थी। मैंने देखा कि तुमने कृति को कैसे चुदाई के लिये मना लिया। तुम दोनों किस करने लगे और फिर देखते ही देखते तुम्हारा लंड कृति की चूत में था।

मैं साफ देख सकती थी कि कृति तुमसे चुदवाने का पूरा मजा ले रही थी। मैं पहली बार अपनी आंखों के सामने ऐसे लड़का और लड़की की लाइव चुदाई देखी थी।

तुम दोनों की ये चुदाई देखकर मेरा बुरा हाल होने लगा। मुझे सबसे ज्यादा उत्तेजना इस बात से हो रही थी कि मैं अपने भाई के लंड को अपनी सहेली की चूत चोदते हुए देख रही थी।

मैं अपनी चूत को सहलाती रही। सहलाते हुए दस मिनट हो गये और मुझे लगने लगा कि अब तुम दोनों भी खाली हो जाओगे। मगर ऐसा नहीं हुआ। तुम तो उसको चोदते ही रहे।

एक घंटे तक तुमने उसकी चूत चोदी। इस दौरान मैं खुद पर काबू नहीं रख पा रही थी। मैं लगातार अपनी चूत में उंगली किये जा रही थी। मुझे मजा तो आ रहा था लेकिन तृप्ति नहीं मिल रही थी। मुझे तुम्हारा दमदार लंड दिख रहा था।

मेरी चूत को तुम्हारे लंड की जरूरत थी। कृति की चूत आनंद में थी लेकिन मेरी चूत की प्यास और बेचैनी कम होने की बजाय और ज्यादा बढ़ रही थी।

वाह मेरे भाई! क्या चुदाई करते हो तुम!! हालांकि काव्य भी अच्छी चुदाई करता है लेकिन वह तुम्हारे आगे कुछ भी नहीं। मैं इतनी गारंटी लेती हूं कि तुम जिसे एक बार चोद दोगे वह जिंदगी भर के लिए तुम्हारी चुदाई की फैन बन जायेगी।

ऋतु ने यह कहते हुए अपना हाथ वापस रेशम के बॉक्सर में घुसा दिया और उसके लंड को प्यार से सहलाने लगी। ऋतु की बातों से अब रेशम के अंदर भी बहन की चुदाई की आग शायद जल उठी थी।

भाई बहन की सेक्सी कहानी पर अपनी राय देने के लिये मुझे अपने ईमेल और कमेंट्स जरूर भेजें।
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भाई बहन की सेक्सी कहानी का अगला भाग: शत्रुता का दूसरा दौर- 2

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