सहेली के बॉयफ्रेंड से चुत चुदाई- 2

(Vasna Story In Hindi)

रोमन 2020-12-18 Comments

वासना स्टोरी इन हिंदी में पढ़ें कि मैं अपनी सहेली के बॉयफ्रेंड के साथ सेक्स का मजा लेना चाहती थी. और मौक़ा ढूँढती रहती थी. एक शादी में मुझे मौक़ा मिला तो …

इस कहानी को लड़की की आवाज में सुन कर आनन्द लें.

हैलो फ्रेंड्स, मैं रूपा फिर से आपको अपनी सहेली के ब्वॉयफ्रेंड से अपनी चुत चुदाई की कहानी लेकर हाजिर हूँ.
वासना स्टोरी इन हिंदी के पिछले भाग
मेरी सहेली का हैण्डसम बॉयफ्रेंड
में आपने अब तक पढ़ा था कि मेरी सहेली मानसी का ब्वॉयफ्रेंड अभिषेक कमरे में लंड हिला रहा था. जिसे देख कर मैंने उससे चुदने का मूड बना लिया था.

बाथरूम से बाहर आकर मैं अपनी साड़ी पहनने के लिए उसके करीब गई, जोकि उसी के सर के पास रखी थी.

अब आगे की वासना स्टोरी इन हिंदी:

मैं उसके पास गई और उससे कहा- यार मेरी साड़ी उठा दो.
इस पर वो बोला- तुम खुद ही उठा लो.

मैंने भी मौका देख कर उसका फायदा उठाया और उसी पर चढ़ने लगी. मैंने अपने दोनों पैरों को फैला कर उसकी टांगों के आजू बाजू रख दिया और अपनी चुचियों को अभिषेक के मुँह पर ले जाकर हाथ बढ़ा कर अपनी साड़ी उठा कर वापस आ गयी.

मेरी इस हरकत से अभिषेक भी गनगना उठा, मगर साले ने कुछ किया ही नहीं. मेरी चुत सुलग कर रह गई.

अब मैं अपने ब्लाउज का बंधन बांधने लगी लेकिन पीछे हाथ करके मुझसे बंध ही नहीं रहा था.

मैंने पीछे मुड़ कर अभिषेक को देखा. मैंने कहा- इसको बांध दो यार.
वो उठा और मेरे बंधन को देखने लगा.

वो नीचे मेरी पीठ तक लटका था, तो उसने मेरी कमर और पीठ को सहलाते हुए उन दोनों बंधनों को ऊपर किया और बड़े ही प्यार से बांध दिया.

इसके बाद मैंने साड़ी को लिया और उसकी तरफ मुस्कुरा कर देखा.

मैं बोली- मुझे साड़ी बांधनी नहीं आती, प्लीज तुम मानसी को बुला दो.
अब अभिषेक बोला- वो किसी काम से गयी है … लाओ मैं बांध देता हूँ.

अभिषेक ने मेरे हाथ से साड़ी को ले लिया और पीछे से लेकर एक बार आगे तक घुमाया और साड़ी लपेट कर वो एक स्टूल पर बैठ गया और उसकी प्लेट बनाने लगा.
उसके बाद अभिषेक ने अपना हाथ मेरे ब्लाउज में घुसा कर उस साड़ी को खौंस दिया.

फिर ऊपर से इस तरह से बांधा कि मेरी एक तरफ की चुची पूरी खुली थी और उन दोनों चुचियों के बीच की गहराई भी दिख रही थी.

उसने मेरे कंधे से ब्लाउज से उंगली घुसा कर पिनअप किया और साड़ी बांध दी.

अब मैं तैयार हो गयी.
मैंने तैयार होने के बाद अभिषेक से बोला- मेरी एक फ़ोटो खींच दो.

उसने अपना मोबाइल निकाल कर मेरी बहुत सारी फोटों निकालनी शुरू की.
उसने मुझे बहुत सेक्सी सेक्सी पोज़ में बिठा कर फोटो निकालीं.

फिर अब जब वो मोबाइल रखने लगा तो मैं बोली- अरे … एक दो फोटो अपने साथ भी निकालो न! अब मैं तुम्हारी गर्ल फ्रेंड मानसी जितनी सेक्सी तो नहीं हूँ … लेकिन फिर भी.

उसने एक हाथ मेरी साड़ी के पल्लू के नीचे से कमर पर हाथ रख कर कुछ फोटो निकालीं.

मैंने उससे ये फोटो अपने मोबाइल पर भेजने को बोला तो उसने सिर्फ मेरी वाली भेजी … हम दोनों के साथ वाली नहीं भेजीं.

तभी मानसी कमरे में आ गयी और वो भी जल्दी से तैयार होने लगी.

फिर हम तीनों 9 बजे तक नीचे पंडाल में आ गए और खूब मस्ती की.

हम लोगों को रात के एक बज गए थे, तो हमारी फ्रेंड, जिसकी बहन की शादी थी, वो आ गई.

उसने बोला कि अभी फेरे नहीं हुए हैं. तुम लोग फेरे के बाद रात में उसी कमरे में जाकर सो जाना, जहां तैयार हुए थे. फिर सुबह विदा के बाद चले जाना.

हम लोगों ने उसकी बात मान ली और 3 बजे तक खूब मस्ती की. उसके बाद हम तीनों कमरे में आ गए.

मानसी ने अपने कपड़े बदल लिए.
अभिषेक के पास कपड़े नहीं थे, तो उनसे अपनी शर्ट को जैसे ही उतारा, तो हम दोनों बस उसे देखते ही रह गए.
सच में उसकी बॉडी बड़ी मस्त थी.

वो बाथरूम में चला गया, तो मेरी फ्रेंड मुझसे मज़ाक में बोली कि ऐसी गंदी नज़र से मत देखा करो उसे, वो मेरा ब्वॉयफ्रेंड है.
मैंने उसको मज़ाक में धौल जमा दी और हम दोनों हंसने लगी.

अब अभिषेक बाहर आया और उसने मानसी को पकड़ लिया.
वो दोनों बेड पर मस्ती करने लगे, किस किये और थोड़ा बहुत रोमांस करने लगे.

मैं अपना मेकअप साफ करने लगी.

अब जब मैं बेड की अपने कपड़े लेने तरफ आयी, तो अभिषेक अभी जाग रहा था और मानसी सो गई थी.

मैंने कपड़े लेने के लिए उससे कहा, तो उसने कहा- इन्हीं कपड़ों में लेट जाओ.
मैं बोली- नहीं यार साड़ी में मोती लगे हैं … निकल जाएंगे.

इस पर अभिषेक बोला- तो साड़ी निकाल दो और लेट जाओ.
मुझे उसका लंड याद आ रहा था, तो मैंने वैसा ही किया.
मैं साड़ी निकाल कर पेटीकोट और ब्लाउज में ही आ गई.

मैं एक बार बाथरूम में चली गयी और जब मैं वापस आयी तो अभिषेक भी सो चुका था.
लेकिन वो सीधा लेटा था और उसकी जींस में चैन के पास अभी कड़ापन था … क्योंकि वो दोनों रोमांस ही करते करते सोए थे. शायद अभिषेक का मीटर अभी भी गर्म था.

मैंने कमरे की एक बहुत धीमी रोशनी वाला बल्ब जला दिया और अभिषेक के बाईं ओर लेट गयी … दूसरी तरफ में उसकी जीएफ मानसी लेटी थी.

मुझसे रहा नहीं जा रहा था. अभिषेक के बगल में लेटते ही मैंने धीरे से उसके पूरे बदन पर ऊपर ऊपर अपना हाथ फिरा दिया और उसके गाल पर एक किस कर दिया.

उसकी कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई, तो मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैंने उसके होंठ पर भी अपने होंठ धीरे से रख कर उसे चूम लिया.

अब मेरी नज़र उसकी जींस की तरफ गयी.
तो मैंने धीरे से अपना हाथ ले जाकर उसके लंड पर रख दिया.
अभिषेक ने बस केवल जींस ही पहना था, नीचे कुछ नहीं था.

अब उसका खड़ा लंड जो कि लगभग आठ या साढ़े आठ इंच का होगा, मैंने उसको महसूस किया. लेकिन उस टाइम मेरी इतनी फटने लगी कि मैंने उसके लंड से अपना हाथ हटा लिया.

कुछ देर बाद उसका एक हाथ जो कि उसकी जीएफ पकड़े थी, उसको मैंने बहुत धीरे धीरे से अलग किया और अभिषेक को धीरे से अपनी तरफ कर लिया.

मैं एकदम उसके चिपक कर अपनी मोटी सी गांड उसके लंड से सटा कर लेट गयी और उसका हाथ अपनी नंगी नाभि पर फिराने लगी.
मुझे बड़ी सनसनी हो रही थी.

कुछ देर में ही मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया, तो मैं हल्की सी हिली.

अभिषेक ने शायद समझा कि मैं मानसी हूँ, तो उसने मेरे पेट को कसकर अपने से दबा लिया और अपना हाथ ऊपर करके मेरी एक तरफ की चुची को कसके दबाने लगा.

वो नींद में बोलने लगा- मानसी आई लव यू मेरी जान!

अभिषेक से नींद में मैं मानसी के बदले का मज़ा लेने लगी और वो मेरी दोनों चुचियों को बारी बारी से दबाता भींचता जा रहा था.
मैं बस चुपचाप इस सुखद पल का आनन्द ले रही थी.

फिर अभिषेक ने मुझे अपनी तरफ घुमा कर मुझे सीधे लिटा दिया और मेरे होंठों पर अपने होंठ लगा कर मुझे मानसी समझ कर किस करने लगा.
मैंने भी उसका साथ बराबरी से दिया और उसको ये नहीं मालूम चलने दिया कि मैं मानसी नहीं रूपा हूँ.

वो साथ ही साथ मेरे चुचे भी दबाता जा रहा था.

इसी तरह का खेल खेलते हुए कब मेरी भी आंख लग गयी … मुझे नहीं मालूम चला.

सुबह सबसे पहले आठ बजे मेरी ही आंख खुली, तो मेरे होंठों के पास अभिषेक के भी होंठ थे … और मेरे मुँह पर उसकी गर्म सांसें भी लग रही थीं.

आज का ये नज़ारा बहुत खूब था कि आंख खुलते ही मेरे महबूब का चेहरा मेरे सामने था.

मैंने कुछ देर तो उसको जी भरके देखा और उसके बालों पर हाथ फेरा. उसके बाद मैं उसको होंठों पर एक किस करके उठ गई और फ्रेश होकर मैंने मानसी को जगाया.

उसने अभिषेक को जगाया और उसके बाद हम सब रेडी होकर नाश्ता करने आ गए.
फिर उधर से अपने अपने घर चले आए.

उस दिन के बाद से मेरी अभिषेक को देखने का नज़रिया बिल्कुल बदल गया था.
मैं हमेशा उसको ही देखने और बात करने का … या उससे चिपकने का मौका तलाशने लगी. मैं कोशिश करने लगी थी कि वो मुझे छुए … या मैं उसको छू कर अपनी चाहत को पूरा कर लूं.

उसको अकेले में मिलने का तो हम दोनों को समय ही नहीं मिलता था क्योंकि हमेशा उसकी जीएफ उसके साथ रहती थी.

इसी तरह दिन गुज़रते गए.
बीच बीच में अगर मुझे अभिषेक से कोई भी काम करवाना होता, तो इसके बदले वो मुझसे गाल पर किस ले लेता था.
ये किस काम के हिसाब से तय होता था. छोटा काम तो एक दो चुम्बन, वरना ज़्यादा.

हालांकि ये बात मानसी को पता थी और काफी बार मुझे अभिषेक को मानसी के सामने ही किस देना पड़ता था, जिससे उसकी जीएफ को कोई भी दिक्कत नहीं थी.

एक दिन हमारे स्कूल में कंप्यूटर की एक इंग्लिश टीचर आईं. क्योंकि अभी तक जो टीचर थीं, वो ऑफिस का ही काम करती थीं.
अब ये टीचर हम लोगों को कंप्यूटर लैब में प्रैक्टिकल के लिए आई थीं.

एक दिन वो टीचर क्लास में आईं और बोलीं- जिसको भी कंप्यूटर प्रैक्टिकल करना हो, वो गेम पीरियड में आ सकता है.

चूंकि वो गेम पीरियड में ही होना था, तो मेरे क्लास से सिर्फ मैं ही जाने को राजी हुई … क्योंकि बाकी लड़कियां इस पीरियड में बकचोदी करती थीं.

जब मैं पहले दिन पहुंची, तो कुछ देर बाद वहां अभिषेक और उसी के क्लास के दो लड़के और भी आये थे.

उस दिन मैम ने हम लोगों को कुछ कुछ बताया और पहले दिन सब को एक एक करके कंप्यूटर पर सबको समझाने लगीं. उस दिन एक घंटे के बाद हम सभी लोग चले गए.

दूसरे दिन मैं गेम पीरियड में कुछ पहले ही लैब में पहुंच गई थी. कुछ देर बाद अभिषेक भी आ गया. लेकिन आज वो अकेले आया था.

तो मैम ने उससे पूछा कि आज तुम अकेले कैसे! बाकी के दोनों लड़के कहां हैं?
अभिषेक ने जवाब दिया कि वो दोनों नहीं पढ़ेंगे.

फिर मैम कुछ नहीं बोलीं और हम दोनों को बगल बगल बिठा कर एक ही कंप्यूटर पर प्रोजेक्ट बनाने को दे दिया.

मुझे बहुत ज़्यादा कंप्यूटर चलाना आता नहीं था.
लेकिन अभिषेक बहुत बढ़िया से सब जानता था.

वो खुद कंप्यूटर के सामने बैठा था और उसने माउस और की-बोर्ड मेरी तरफ करके बोला- लो बनाओ.

कुछ देर तक तो मैंने उसमें, मुझे जितना समझ आया, किया.

तभी मैम बोलीं- तुम दोनों बनाओ और जब पीरियड खत्म हो जाए तो दरवाज़ा बाहर से बंद करके चले जाना.

इतना बोल कर वो हम दोनों को अकेले उस कंप्यूटर लैब में छोड़ कर चली गईं.

वहां एसी चल रहा था, तो वहां का दरवाजा हमेशा बंद ही रहता था. मैम भी इसी वजह से दरवाजा बंद करके चली गईं.

अब मेरे दिमाग में खुराफात घूमने लगी.
क्योंकि मैम बोल कर गयी थी कि वो ऑफिस में कुछ काम से जा रही हैं … तो वो देर से यही कोई पौना घंटे में ही आ पाएंगी.

अभी उन्हें गए सिर्फ दस मिनट ही बीते थे. अभी मेरे पास 35 मिनट थे.
मैंने अभिषेक से बोला- यार मुझे नहीं आता … सिखा दो मुझे.

उसने अपनी कुर्सी को थोड़ी पीछे किया और की-बोर्ड और माउस अपनी तरफ करके समझाने लगा.

लेकिन मुझे कुछ और ही सूझ रहा था. मैंने अभिषेक से बोला कि मुझे दिख नहीं रहा है.
इतना बोल कर मैंने उसका हाथ पकड़ कर उठाया और जाकर उसकी गोद में बैठ गई.

अपनी सहेली के ब्वॉयफ्रेंड की गोद में बैठते ही मुझे उसके लंड का अहसास होने लगा और मैं कामातुर हो गई.

आगे क्या हुआ, इसको मैं अपनी इस वासना स्टोरी इन हिंदी के अगले भाग में लिखूंगी.
आपकी रूपा
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वासना स्टोरी इन हिंदी का अगला भाग: सहेली के बॉयफ्रेंड से चुत चुदाई- 3

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