उत्तेजना की चाहत बन गयी शामत-1

(Uttejna Ki Chahat Ban Gayi Shamat- Part 1)

अरुण 2019-08-22 Comments

अन्तर्वासना के सभी दोस्तों को बहुत समय बाद एक बार फिर से अरुण का नमस्कार.

जैसा कि मैंने पहले भी बताया था कि अन्तर्वासना पर सेक्स स्टोरीज तो एक से बढ़कर एक आती ही रहती हैं इसलिए मैं अब सेक्स में कुछ नयी बातें लिखता हूँ और मुझे ख़ुशी है कि वो बहुत पसंद की जाती हैं.

मेरा प्रयास रहता है कि आपको मेरे लेखों के द्वारा उत्तेजना का मजा तो मिले ही साथ ही साथ आप लोगों को कुछ ज्ञान भी प्राप्त हो जाये. अत: मेरी इसी कोशिश के चलते मैंने कई सारे लेख लिखे हैं जिनके माध्यम से मैंने आप लोगों को सेक्स ज्ञान बांटने के साथ ही मजा देने का भी भरसक प्रयत्न किया है.

जो पाठक नये हैं उनकी जानकारी के लिए एक बार मैं अपनी पूर्वप्रकाशित रचनाओं से आप लोगों को अवगत कराने के लिए उनका नाम बता देता हूं. यदि आपको इनमें से कोई रचना पढ़ने का मन करे तो आप अन्तर्वासना पर इन रचनाओं का मजा ले सकते हैं.

मेरे द्वारा लिखे गये पूर्व प्रकाशित लेख-
सेक्स में सनक या पागलपन
बीवी की सेवा दिलाएगी मेवा
लड़कियां सुरक्षित हस्त मैथुन कैसे करें
और सेक्स फेंटेसी जैसे बहुत से लेख आप लोगों ने काफी पसंद किये हैं.

मुझे इस बात की खुशी भी होती है कि आप मेरे लेखों को पढ़कर अपनी प्रतिक्रियाएं मुझ तक पहुंचाते हैं. पाठकों के मेल मुझे निरंतर प्राप्त होते रहते हैं.

मेरी आज की कहानी भी आप ही लोगों के अनुभवों से प्रेरित है क्योंकि हर इन्सान की जिन्दगी में हुई कोई न कोई घटना दूसरे इन्सान के साथ घटित वाकये से किसी न किसी रूप में थोड़ा बहुत मेल जरूर खाती है.

अब आपका ज्यादा समय न लेते हुए मैं अपना किस्सा शुरू करता हूं.

दोस्तो, ये झमेला मेरे साथ गोवा में हुआ था. बहुत से लोग अपने जीवन काल में कभी न कभी वहां गये होंगे या फिर वहां पर जाने के लिए प्लान भी कर रहे होंगे. उनके लिए यह कहानी काफी रोचक होने वाली है.

जो लोग पहले से वहां पर घूम कर आ चुके हैं, वो वहां की संस्कृति से अच्छी तरह परिचित होंगे. एक समय ऐसा था कि जब गोवा में जाते थे तब वहां के शानदार बीच और खूबसूरती के अलावा विदेशी सैलानियों का खुलापन देखना भी जबरदस्त आकर्षण था. समुद्र के किनारे बीच पर यहां-वहां टू पीस बिकनी में घूमतीं विदेशी बालाएं ही अधिकतर दिखाई देती थीं.

विदेशी गोरे जिस्म की मल्लिकायें वहां पर आपको खुलेआम रेत पर पसरी हुई दिखाई दे जाती थीं. कोई धूप सेंक रही होती थी तो कोई मसाज का आनंद ले रही होती थी. उनको देख कर आंखों की रौशनी कई गुना बढ़ जाया करती थी. मगर पिछले कुछ सालों से वहां पर विदेशियों की तर्ज पर ही भारतीयों ने भी वही अंदाज दिखाना शुरू कर दिया है.

वहां पर भारतीय युवा पीढ़ी में भी काफी खुलापन आ चुका है. आपको सरेआम अंग प्रदर्शन करती सेक्सी लड़कियां या फिर चूमा-चाटी करते हुए कपल्स दिख जायें तो कोई हैरानी न होगी. यह प्रेमालाप देख कर अब भला दूसरे भी वही सब दोहराने की कोशिश करते हैं. वहां की एक खास बात है कि जो थोड़ा बहुत संकोच किसी में कहीं छिपा रहता है तो वो भी वहां जाकर छू-मंतर हो जाता है.

गोवा जैसी जगह पर जाकर सब बिंदास हो जाते हैं. वहां पर शराब और शबाब दोनों का ही बराबर का बोलबाला है. बात कुछ साल पहले की है जब मैं अपनी पत्नी के साथ गोवा में घूमने गया हुआ था. हम एक पैकेज टूर के माध्यम से गये हुए थे.

पैकेज टूर में तो आप लोगों को पता ही है कि कई सारे कपल्स हो जाते हैं. हमारे टूर में भी कुछ कपल्स तो बिल्कुल नव-विवाहित थे. कुछ एक थोड़े मैच्योर थे.
मैच्योर वाले एक कपल से हमारी अच्छी दोस्ती हो गई. वो दोनों पति-पत्नी डॉक्टरी पेशे से थे. पति गायनेकोलॉजी से था तो पत्नी ई.एन.टी. में थी.

जब पहले उन्होंने बताया था तो मुझे लगा था कि पति ई.एन.टी. में होगा और उसकी बीवी गायनेकोलॉजी में होगी. लेकिन फिर बाद में पता चला कि दोनों ही इसके उलट थे. खैर, उस बात में क्या रखा है. काम तो काम ही होता है. मैंने भी इस बात के बारे में ज्यादा सोच-विचार नहीं किया. यहां पर विचार करने वाली बात थी हम दोनों ही मर्दों की मिली-जुली सोच।

डॉक्टरनी साहिबा के पति के विचार मेरे विचारों से काफी मेल खा रहे थे इसलिए हम दोनों में अच्छी पट रही थी. हम दोनों ही एक जैसी रूचि के थे. मुझे भी सेक्स, पोर्न और न्यूडिटी की तलाश रहती थी और ऐसा ही कुछ विचार उनके पतिदेव का भी रहता था.

चार दिन के टूर में दो दिन तो हम कपल्स ट्रैवल कंपनी के मार्गदर्शन में ही घूमे लेकिन फिर बाकी के दो दिनों में हमें अपनी मर्जी से मन मुताबिक कहीं भी घूमने की आजादी थी.

उस दौरान सब ने अपनी टीम बना ली थी. हम चारों भी एक साथ हो लिये थे. हमने एक टैक्सी ली और घूमना शुरू कर दिया. नाश्ता, लंच और डिनर सब एक साथ हो रहा था. हम अब पहले से ज्यादा खुले कपड़ों में आ गये थे क्योंकि अब तक तो बाकी लोग भी साथ थे इसलिए इतनी आजादी में सांस लेने का मौका नहीं मिल पाया था.

हम दोनों हस्बैंड छोटी निक्कर और टी-शर्ट में थे और हमारी पत्नियां स्लीवलेस टॉप्स और स्कर्ट में, जिसमें उनकी नाभि भी साफ दिख रही थी.

मेरे साथी ने टैक्सी वाले से चुन-चुन कर कुछ ऐसी जगह पूछी जहां पर आंखों को गर्म नजारे देखने के लिये मिल जायें.

हम दोनों ने तो मालिश के भी खूब मजे लिये लेकिन हमारी बीवियां तैयार नहीं हुई इसके लिए. उन्होनें तो बस अपनी पीठ और पैरों की ही मालिश करवाई. हमारी आंखों के सामने पत्नियों के बदन की मालिश होते हुए देखना भी सुखद अनुभव था.

उसके बाद हमने कंधे पर टैम्परेरी टैटू भी बनवाये. हम दोनों मर्दों ने कंधों पर बनवाये जबकि पत्नियों ने नाभि के नीचे. धीरे-धीरे अब गोवा के खुले माहौल की गर्मी हम चारों पर हावी होने लगी थी. जो डॉक्टर कपल था वो हमसे भी ज्यादा आगे था इस खुलेपन के मामले में।

अगर डॉक्टर दोस्त के शरीर की बात करूं तो उम्र में मुझसे छोटा था और स्मार्ट भी था. उसकी पत्नी सांवले रंग की लेकिन सुंदर नैन नक्श वाली थी. शरीर से कुछ दुबली थी और चूतड़ भी औसत आकार के ही थे. उसके बूब्स भी ज्यादा भारी या आकर्षक नहीं मालूम पड़ रहे थे. उसके मुकाबले में मेरी पत्नी ज्यादा मांसल और गदराये बदन वाली थी. इसका कारण यह भी था कि वो अब 40 पार कर रही थी.

मगर मेरी बीवी का रंग एकदम गोरा था और कूल्हे भी बड़े-बड़े। वक्षों को देख कर किसी के भी मुंह में पानी आ जाये. ये बात मैंने डॉक्टर की आंखों में भी नोटिस की थी. वो बार-बार मेरी बीवी को देख रहा था. इसमें मेरी बीवी की गलती नहीं थी क्योंकि उसका बदन है ही इतना आकर्षक. इसलिए मुझे कुछ खास दिक्कत नहीं थी किसी गैर मर्द को मेरी बीवी की तरफ ऐसे ताड़ने में.

ड्राइवर से हमने ऐसे किसी बीच पर ले जाने के लिए बोला जहां एकांत हो, मस्ती का माहौल हो। वो हमे अंजना बीच पर लेकर गया. जो लोग गोवा गये हुए हैं वो जानते होंगे कि वहां का अंजना बीच काफी अलग है. वहां पर सिर्फ रेत का खुला मैदान है. काफी सारी बड़ी-बड़ी चट्टाने हैं जो दूर तक फैली हुई दिखाई पड़ती हैं.

चट्टानों के कारण वहां पर एकांत और आड़ से काफी अच्छा माहौल बन जाता है. कहने का तात्पर्य यह है कि वहां पर ज्यादा खुलेपन का अहसास किया जा सकता है और किसी भी तरह का मजा लिया जा सकता है. चट्टानों की आड़ में भारतीय जोड़े कामुक क्रियाएं करने से भी परहेज नहीं करते हैं. साथ ही साथ समुद्र की लहरें चट्टानों तक आकर मजे को दोगुना कर देती हैं.

जब हम वहां पहुंचे तो वहां का नज़ारा देख कर हक्के-बक्के रह गए. वहां पर सच में बहुत से भारतीय कपल विदेशी बिकनी या छोटे कपड़ों में मजे कर रहे थे. हम भी अपने लिए ऐसा ही कोई एकांत सा स्थान ढूंढने के लिए दूर तक निकल गए.

हमारी बीवियां शायद हमारा इरादा भांप गयी थी, दोनों आनाकानी कर रही थीं लेकिन उनकी चली नहीं और हमें भी एक बड़ी ऊँची और दूर तक फैली चट्टान की आड़ मिल ही गयी. इस जगह का एक फायदा और था कि यदि कोई हमारी तरफ आता तो हमें दूर से ही दिख सकता था. इस बात से हमारी बीवियों को बहुत ही तसल्ली मिली और अब वो कुछ रिलेक्स भी हो गयीं.

वहां पर पहुंच कर हमने एक सूखी जगह पर अपना सामान रख दिया. हम दोनों मर्दों ने भी अपनी टी-शर्ट उतार दी और उन्हें भी बिकनी पहनने के लिए बोला जो वो दोनों ख़ास गोवा के लिए ही लायी थीं. मगर अभी तक उनको वह बिकनियां पहनने का सुअवसर मिल ही नहीं पाया था. इसलिए वो थोड़ी उत्साहित लग रही थीं.

मगर उनके सामने अब एक और समस्या थी कि दोनों के सामने ही गैर मर्द थे, वो भी अर्धनग्न अवस्था में, थोड़ी शर्म आनी तो जाहिर सी प्रतिक्रिया थी. डॉक्टर की पत्नी के लिए मैं गैर था और मेरी पत्नी के लिये डॉक्टर गैर था. इसलिए दोनों की ही बीवियां एक दूसरे के चेहरे को देख रही थीं.

डॉक्टर की नजर मेरी बीवी के बदन पर जैसे गड़ी जा रही थी.
वो बोला- भाभी, ऐसी भी क्या लाज है, यहां पर हम चारों के अलावा और कौन है. आप निश्चिंत होकर कपड़े बदल लो. मेरा मन भी काफी देर से आपको देखने के लिए कर रहा था.

मैंने भी उसकी बात को सपोर्ट करते हुए अपनी बीवी से कहा- हां, सही तो कह रहे हैं ये, यहां पर भी क्या शर्म! बार-बार ऐसे मौके कब मिलते हैं और ऐसे खुले दिल के लोग भी नहीं मिलते हैं. इसलिए ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है. इस मौके को इस तरह संकोच में जाया मत करो और इनकी वाइफ को भी बोल दो कि वो भी जल्दी से चेंज कर लें.

जिस नजारे का हम दोनों दोस्त बेसब्री से इंतजार कर रहे थे अब वह हमारे सामने शुरू हो ही गया था. पहले डॉक्टर दोस्त की बीवी ने ही पहल की. उसने अपने टॉप और बाकी कपड़ों को उतार दिया. अब वह सिर्फ पेंटी और ब्रा में ही थी. ऐसा करने के बाद उसने मेरी पत्नी के कपड़े उतरवाने में भी मदद की और खुद उसके पास जाकर अपने हाथ से मेरी बीवी के कपड़े उतारने लगी.

अंतर्वासना के सभी पाठक मेरी वाइफ के नंगे जिस्म से बहुत अच्छे तरीके से वाकिफ हैं. वह एकदम भरी-पूरी माल है. बूब्स और कूल्हे बहुत मस्त और बड़े हैं. ब्रा और पेंटी उन्हें पूरी तरह नहीं छुपा सकते हैं. जब मेरी बीवी ने कपड़े निकाले तो वहां पर भी यही हुआ. मेरी बीवी के बूब्स आधे से ज्यादा दिख रहे थे और उसकी चड्डी भी गांड को छुपा नहीं पा रही थी.

डॉक्टर की बीवी का फिगर भी मस्त था. वह हम से उम्र में कम भी थी. उसके बूब्स औसत थे लेकिन गांड उसकी भी सही थी. कपड़ों के अंदर से उसके जिस्म का सही अंदाजा नहीं लग पाया था पहले. मगर जब उसने कपड़े उतारे तो पता चला कि माल बुरा नहीं था.

अब जब किसी गैर की बीवी सामने कपड़े उतार रही हो तो नजर कब तक न जाती भला. जाहिर था कि हम दोनों ही एक दूसरे की बीवी को ही निहार रहे थे और फिर जब वह मोनोकिनी(वन पीस बिकिनी जिसमें थोड़ा बदन धक जाता है.) पहनने का सोच रही थी तो हम दोनों ने ही मना कर दिया और कहा कि तुम इन पेंटी और ब्रा में ही बहुत मस्त लग रही हो.

वह दोनों इस बात पर बहुत हंसी और बोलीं- कितने बदमाश हो तुम दोनों.
इतना कहकर वो दोनों ही मोनोकिनी पहनने का उपक्रम करने लगीं. लेकिन मेरे दोस्त ने मेरी वाइफ के हाथ से मोनोकिनी लगभग छीन ली और अपनी बीवी को भी मोनोकिनी पहनने से मना कर दिया.

गोवा के माहौल और वहां आस-पास मौजूद सेक्सी कपल्स की वजह से हमारी वाली दोनों बीवियां भी थोड़ी बिंदास हो गई थीं और ऐसा लग रहा था कि खुले जिस्म पर गोवा की ठंडी हवा का उन पर असर होने लगा था जिससे अब वह थोड़ी खुल रही थी और बेबाक भी हो चली थीं.

उन दोनों ने भी मोनोकिनी पहनने में ज्यादा रुचि नहीं दिखाई और फिर सब सामान को समेट कर एक तरफ रख दिया. हम दोनों ही उनकी तरफ बढ़े और अपनी-अपनी बीवियों को आलिंगन में लेकर उनके ऊपर चुम्बनों की बारिश सी करने लगे. ऐसे खुले माहौल में औरत के कोमल बदन से लिपटने में अलग ही मजा आ रहा था.

वह दोस्त अपनी पत्नी को आलिंगन में लिए हुए भी मेरी ही पत्नी को निहार रहा था और तुरंत ही उसने मेरी तरफ देखते हुए बोला- तुम लोग बहुत अच्छे मिल गए, गोवा आने का पैसा वसूल हो गया. अगर तुम दोनों नहीं आते तो यहां पर ऐसा मजा शायद ही मिल पाता. उसकी नजरों में मुझे हवस टपकती हुई साफ दिखाई दे रही थी.

अपनी पत्नी से अलग होकर वह हम दोनों के पास आया और बिना कोई देर लगाए मेरी पत्नी को गहरे आलिंगन में ले लिया और उसके गालों पर किस कर दिया. दोस्तो, अब आपको तो मेरा स्वभाव पता ही है. जैसे ही उसने मेरी पत्नी के अर्धनग्न जिस्म को आगोश में लिया तो मेरी उत्तेजना चरम पर पहुंच गई.

मैंने भी बिना समय गंवाए उस सेक्सी डॉक्टरनी बीवी को बांहों में भर लिया. वह थोड़ा घबरा सी गई. पहले जब मैं उसको चूमने की कोशिश कर रहा था तो वह थोड़ी असहज महसूस कर रही थी. मगर फिर मैंने अपनी बीवी की तरफ इशारा किया. उसको दिखाया कि उसका मर्द मेरी बीवी के साथे कैसे मजे ले रहा है.

वो फिर भी थोड़ी हिचकती रही. लेकिन जब उसने अपने पति को मेरी बीवी के जिस्म के साथ मस्ती करते हुए लिपटते देखा तो उसने भी धीरे-धीरे अपने जिस्म को मेरी बांहों में समा जाने दिया. हम दोनों मर्द जिस वक्त का बहुत बेसब्री से इंतजार कर रहे थे वह यूं अचानक आ जाएगा हमें इसका अंदाजा न था.

दोस्तो, इसके आगे क्या हुआ वो घटना मैं अगले भाग में लिखूंगा. इसलिए आपको उस रोचक घटना के लिए कहानी के दूसरे भाग का इंतजार करना पड़ेगा. अगर कहानी को लेकर आपके मन में कोई जिज्ञासा उठ रही हो या कोई सवाल या शंका हो तो आप खुले दिल से मेरी मेल आईडी पर मुझे मैसेज करें.

इसके अलावा आप अपने साथ घटी हुई रोचक घटना भी मेरे साथ साझा कर सकते हैं. मुझे अपने प्यारे पाठकों से रूबरू होकर उनके मैसेज का रिप्लाई करने में कोई परेशानी नहीं होती है. आप सबके अनुभवों से ही मुझे अपनी कहानियां लिखने की प्रेरणा भी मिलती है. इसलिए मैसेज करने में संकोच न करें. आपका अपना अरुण।

कहानी दूसरे भाग में जारी रहेगी.
[email protected]

कहानी का अगला भाग: उत्तेजना की चाहत बन गयी शामत-2

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