उसने ऐसे इन्सान को क्यों पसन्द किया?

(Usne Aise Insan Ko Kuon Pasand kiya )

मैं अनवर हुसैन पटना का रहने वाला हूँ। इन दिनों बेइन्तिहा तकलीफ़ के दौर से गुजर रहा हूँ। पर यह तकलीफ़ ज़िस्मानी नहीं दिमागी है।
मेरी पूरी जहनियत जवाब दे चुकी है। मैंने कभी अपने आप को इतना बेबस नहीं पाया था… वो मुझे ना मिले, मुझे इसका ना कोई गिला ना कोई शिकवा रहेगा, लेकिन कोई समझदार इन्सान अपनी जिन्दगी से जुड़ा ऐसा अहम फैसला ले, जब उस फैसले की वाज़िब ज़मीन न हो, यह सवाल मेरे सामने एक उलझन भरी हुई पहेली बना हुआ है।

असल में बात ये है कि कॉलेज के आखरी दिनों में मुझे एक मोहतरमा से प्यार हो गया, वो बेइन्तेहा खूबसूरत और उससे भी ज्यादा खुशमिज़ाज।
वो एक अच्छे खानदान से ताअल्लुक रखती है। वो और मैं अकसर मिला करते थे, खूब बातें करते थे, खुल कर हंसना तो शायद मैंने उसी से सीखा था।
मैंने उससे अपने दिल की बात कही तो उसने मुझे कोई माकूल जवाब नहीं दिया।
अगर वह मुझे साफ साफ़ इन्कार कर देती तो भी मुझे मंजूर था।
कुछ दिनों के बाद हमारा मिलना-ज़ुलना कम होकर बन्द हो गया।

कुछ वक्त बीतने पर मुझे मालूम हुआ कि वह किसी और शख्स के साथ जुड़ी है।
मेरे तो जैसे होश ही फ़ाख्ता हो गये क्योंकि जिस इन्सान को उसने अपनी जिन्दगी में जगह दी थी, वो उसके क़ाबिल ही नहीं है।
किसी भी तहजीब वाली दुनिया में उस शख्स को शरीफ नहीं कहा जा सकता।

जनाब की तारीफ़ ब्यान करूँ तो किडनैपिंग और फिरौती के मामलों में हवालात भी जा चुके हैं, इसके अलावा लड़कियों के स्कूल कॉलेज के बाहर चाय, पान बीड़ी सिगरेट की दुकान वाले उसके बारे में उसके घर वालों से ज्यादा जानते होंगे।
हालांकि वो शख्स दिखने में किसी फिल्मी हीरो जैसा है लेकिन उसकी चाल ढाल, रंग रूप उसके गुनाहों को ढक नहीं सकते और उसकी फ़ितरत तो सही नहीं हो जाती।
आखिर उस आदमी में उसने ऐसी क्या खासियत देखी कि उसके आगे मेरी पाक साफ इलतज़ा को ठुकरा दिया।

जिन्दगी में इश्क-मुहब्बत जैसी कोई चीज़ नहीं होती, यह मान लिया लेकिन कम से कम एक सही सलामत इन्सानी दिमाग भी तो ऐसे रिश्ते की इजाजत कतयी नहीं देगा जो सिर्फ दिखावे पर टिका हो, और जिसमें आपकी, आपके परिवार की, आपसे जुड़े दूसरे लोगों की बदनामी हो।

मैं सोचता हूँ कि दोस्ती के नाते ही सही, उसे एक बार जाकर समझाऊँ लेकिन फिर सोचता हूँ कि कहीं इसका गलत मतलब ना निकाला जाए।
हालांकि मेरे दिल में अब भी उसके लिए मुहब्बत है। क्या मेरा ऐसा करना ठीक होगा।

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