खामोशी: द साईलेन्ट लव-7

(Khamoshi: The Silent love- Part 7)

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कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि पहली रात को मैंने वासना से वशीभूत होकर मोनी की चूत तक पहुंचने का रास्ता बना लिया. उसके निरंतर संकोच और शर्म के बावजूद भी मैंने उसकी चूत में अपना लंड घुसा दिया. उसकी चूत को चोदने के बाद मैंने वीर्य से कॉन्डोम को भर दिया. अगला दिन गुजरने के बाद जब रात आई तो मोनी खुद ही मेरे पास मेरे साथ बिस्तर पर आकर लेट गई. उसके बाद मेरे अंदर की वासना और हिम्मत दोनों बढ़ गये थे और मैंने अपनी बहन को नंगी करना शुरू कर दिया. मैंने पहली बार उसकी चूचियों को नंगी करके पीने का स्वाद चखा था.

अब आगे:

मोनी की चूचियों पर मेरा हमला अभी भी जारी था. नीचे से उसकी चूत की फाँकों को मसलते हुए ऊपर से मैं उसकी चूची को चूस रहा था जिससे अब कुछ ही देर में मोनी की चूत ने कामरस उगलना शुरू कर दिया. मोनी को भी मजा तो आ रहा था मगर शर्म‌ के कारण शायद वो उसे जाहिर नहीं कर रही थी क्योंकि उसकी जाँघों की पकड़ अब कमजोर पड़ने लगी थी।

मुझे पता था शर्म की वजह से मोनी खुद तो अपनी जाँघों को खोलेगी नहीं, इसलिये अब मैंने ही अपना हाथ एक बार उसकी पेंटी से बाहर निकाल कर उसकी जाँघों को थोड़ा सा फैला दिया जिसका मोनी ने अब कोई विरोध नहीं किया। मोनी की जाँघों को खोलकर मैंने अपना हाथ अब फिर से उसकी पेंटी में घुसा दिया जिससे मोनी एक बार तो हल्का सा कसमसाई मगर उसने अपनी जाँघों को अब फिर से भींचने की कोशिश नहीं की।

अपना हाथ मोनी की पेंटी मे घुसाकर मैंने अब धीरे-धीरे उसकी चूत की फाँकों को सहलाते हुए अन्दर ही अन्दर उसकी चूत का मुआयना सा करना शुरू कर दिया. सही में … मोनी की चूत बिल्कुल सपाट थी।
उसकी चूत ऊपर से तो सपाट थी ही, चूत की फाँकें भी इतनी ज्यादा बड़ी और फैली हुई नहीं थी. दोनों फांकें बिल्कुल चिपकी हुई थी। उसकी चूत माचिस की डिब्बी के समान बिल्कुल छोटी सी और कमसिन सी लग रही थी।

मैं अब कुछ देर तो ऐसे ही उसकी चूत की फांकों को सहलाते हुए उसका जायजा लेता रहा. फिर धीरे धीरे उसकी चूत की फांकों को टटोलते हुए मैंने सीधा ही अपनी बीच वाली उँगली को उसकी मखमली गहराई में घुसा दिया.
मैंने बस अपनी उंगली का एक पौरा ही उसकी चूत में घुसाया था मगर फिर भी मोनी के मुँह से एक गहरी साँस के साथ ‘आह्ह …’ की हल्की सी कराह निकल गयी और उसकी जाँघों के साथ साथ उसकी चूत की दीवारें भी मेरी उंगली पर कस सी गयीं।

मोनी ने अपनी जाँघों को अब फिर से बन्द कर लिया था मगर फिर भी मैंने अब अन्दर ही अन्दर धीरे-धीरे अपनी उँगली को उसकी चूत की मखमली गहराई में अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया जिससे उसकी चूत ने भी अब कामरस की बरसात सी करनी शुरू कर दी. उसकी पेंटी के साथ-साथ मेरी हथेली भी भीगती चली गयी।

अब मैं ठहरा चूत चाटने का रसिया। मोनी की चूत से बहते इस गर्म गर्म कामरस को महसूस करके मुझसे रहा नहीं जा रहा था इसलिये मोनी को छोड़कर मैं अब उससे थोड़ा अलग हो गया। मोनी पहले ही नीचे से दूसरी तरफ मुड़ी हुई थी जो कि मेरे छोड़ते ही अब करवट बदलकर दूसरी तरफ हो गयी। मगर मोनी ने करवट बदलकर बस अब अपने मुँह को ही दूसरी तरफ किया. उसने अपने ब्लाउज व साड़ी को सही करने की कोशिश बिल्कुल भी नहीं की।

दूसरी तरफ घुमने से उसके नितम्ब अब मेरी तरफ हो गये थे इसलिये मैंने उसकी पेंटी को पीछे से खिसकाकर पहले तो उसके नितम्बों को नंगा किया, फिर धीरे से अपना एक हाथ आगे ले जाकर धीरे धीरे आगे से भी उसकी पेंटी को नीचे खिसका दिया। मोनी ने उसे अब एक बार पकड़ने की कोशिश तो की मगर मैंने उसे थोड़ा जोर से खींचा तो उसने‌ भी अपनी पेंटी को छोड़ दिया और मैंने‌ उसे मोनी की टाँगों से निकालकर बिल्कुल अलग ही‌ कर दिया, जिसमें मोनी ने मेरा साथ तो नहीं दिया मगर मेरा इतना विरोध भी नहीं किया। 

मोनी को तो मैंने लगभग अब नंगी कर दिया था मगर मेरे शरीर पर अभी भी सारे कपड़े मौजूद थे इसलिये मोनी से थोड़ा अलग होकर अब मैंने भी अपने सारे कपड़े उतार फेंके और बिल्कुल नंगा होकर फिर से मोनी को पकड़ लिया। मोनी को पकड़कर मैंने उसे सीधा करने के लिये अब फिर से उसे अपनी तरफ खींच लिया, जिससे वो अब एक बार हल्का सा कसमसाई तो जरूर मगर फिर सीधा हो गयी।

मोनी हल्का हल्का कसमसा तो रही थी मगर मेरा इतना विरोध नहीं कर रही थी क्योंकि मैं उसको जैसे जैसे सेट कर रहा था, वो एक बार हल्का सा कसमसाती तो थी मगर वैसे वैसे ही सेट हो भी जा रही थी। मोनी को सीधा करके अब मैं भी उसकी चूचियों व पेट पर से चूमते हुए धीरे धीरे उसकी चूत की तरफ आ गया जिससे मोनी ने अपनी जाँघों को अब फिर से भींच लिया और अपने घुटनों को मोड़कर अपने पैरों को थोड़ा सा दूसरी तरफ कर लिया।

मुझसे अब सब्र नहीं हो रहा था इसलिये मैंने अपने एक हाथ से मोनी के घुटने को पकड़कर उसके पैरों को फिर से खोल दिया और मोनी की बगल से उठकर तुरन्त उसके दोनों पैरों के ही बीच में आ गया जिसका मोनी ने अब कोई विरोध नहीं किया।

मोनी के पैरों के बीच में आकर मैंने अब फिर से अपनी गर्दन‌ को उसकी जाँघों के बीच झुका दिया जहाँ से मोनी के यौवन की मादक और बेहद ही तीखी तीखी सी गंध फूट रही थी। शायद वो मो‌नी के मासिक धर्म (पीरियड) की वजह से इतनी तीखी और तेज लग रही थी जो कि दूर से ही मेरे नथुनों में समा गयी थी। वो तो मैंने अन्दाजा लगाकर रास्ते से ही कॉन्डोम खरीद लिये थे, नहीं तो आज सुबह ही मुझे बाजार के लिये भागना पड़ जाता।

खैर, मोनी की चूत की महक कच्ची कच्ची सी और बेहद ही तीखी तो थी मगर वो काफी उत्तेजक भी लग रही थी. मैंने अपने सिर को अब सीधा ही मोनी की जाँघों के बीच घुसा दिया। मगर जैसे ही मैं अपना मुँह मोनी की चूत के पास लेकर गया तो उसने तुरन्त ही दोनों हाथों से अपनी चूत को छुपा लिया!
मुझसे अब रहा नहीं जा रहा था इसलिये मैंने मोनी के हाथों को हटाने की भी कोशिश की, मगर मैंने उसके हाथों को उसकी चूत पर से अलग किया तो मोनी ने हल्का-हल्का कसमसाकर अब मेरे सिर को पकड़ लिया। मेरे सिर को पकड़कर मोनी अब पहले तो हल्का-हल्का कसमसाई फिर मेरे सिर को पकड़ कर वो मुझे सीधा ही अपने ऊपर खींचने लग गयी।

मोनी की तरफ से मेरे लिये अभी तक की ये पहली बार की गयी पहल थी इसलिये उसके खींचने से अब मैं भी एक‌ बार तो उसके ऊपर आ गया जिससे मोनी का छुईमुई सा नर्म नाजुक बदन मेरे तले दब सा गया और उसके मुँह से हल्की एक आह … सी निकल गयी।
उसका बदन इतना अधिक भरा हुआ तो‌ नहीं था मगर बेहद ही नर्म और मुलायम था जो कि मेरे शरीर को अब अन्दर तक गुदगुदाने‌ लगा था। मोनी के ऊपर आकर मैंने अब सीधा अपने होंठों को उसके होंठों से जोड़ दिया जो कि बेहद ही गर्म और मुलायम थे। मैं उसके होंठों को पहली बार चूम‌ रहा था. उसने अपनी गर्दन को घुमाकर अपने होंठों को मेरे होंठों से दूर कर लिया।

मैंने भी अब मोनी के होंठों को‌ फिर से पकड़ने कोशिश नहीं की बल्कि नीचे खिसकता हुआ उसके घुटनों के पास आ गया। मेरा तो ध्यान अभी भी उसकी चूत चाटने में अटका हुआ था इसलिये नीचे आकर मैंने अपने‌ सिर को अब फिर से उसकी जाँघों के बीच घुसा दिया‌। वह अब कसमसा उठी और अपने दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़कर मुझे फिर से अपने ऊपर खींचने की कोशिश करने लगी.

पता नहीं मोनी ने कभी अपनी चूत चटवाई ही नहीं थी या फिर शर्म के कारण वो मुझे अपनी चूत को चाटने नहीं देना चाहती थी? उसके खींचने के बाद मैं उसके ऊपर तो आ गया था लेकिन अभी तक मैंने कॉन्डोम‌ नहीं पहना था इसलिये कॉन्डोम‌ पहनने के लिये मैं अब फिर से उठने‌ लगा. मगर अब जैसे ही मैंने अब उठने की कोशिश की मोनी जोरों से कसमसा उठी.

मोनी शायद सोच रही थी कि मैं अब फिर से उसकी चूत के पास जाने‌ की कोशिश कर रहा हूँ इसलिये मोनी ने जोरों से कसमसाकर अपना एक‌ हाथ अब मेरी गर्दन पर‌ डाल लिया और मुझे ऊपर से पकड़ लिया।
“एक मिनट म मैं … व व वो … लगा लेता हूं…” मैंने कॉन्डोम‌ का नाम लिये बिना मोनी से कहा मगर मोनी ने मेरी‌ बात का को‌ई जवाब नहीं दिया.

“वो क्क ओ कॉन्डोम … लगा लेता हूं!” मैंने फिर से कहा मगर मोनी ने अब भी मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया और मुझे अब भी वैसे ही पकड़े रही! मैंने अब धीरे से उठने की‌ दोबारा कोशिश की जिससे कि मोनी ने हल्का सा कसमसाकर अब अपना दूसरा हाथ भी मेरी गर्दन में डालकर मुझे पकड़ लिया और पहली बार उसके मुंह से कुछ ऐसे शब्द निकले- म म मुझे … रखना है!
मोनी ने हल्का सा कुनकुनाते हुए कहा जिसे सुनकर मुझे झटका सा लगा.
मेरी हैरानी लाजमी थी क्योंकि अभी तक तो मोनी मुझसे बात भी नहीं कर रही थी और अब बच्चा रखने को कह रही थी?

मैं समझ तो गया था कि मोनी बच्चा रखने की बात कर रही है मगर फिर भी मैंने दोबारा सुनने के लिए उससे पूछ ही लिया- क्क्या! क्या रखना है?
मैंने जानबूझकर अपना मुँह मोनी के कान के पास ले जाकर फुसफुसाते हुए कहा और धीरे से एक बार उसके मखमली‌ गाल को अपने होंठों से ही सहला दिया।

मोनी ने मेरी बात का अब कोई जवाब तो नहीं दिया मगर हल्का सा कसमसाकर उसने अपने गाल को मेरे होंठों से दूर कर लिया और नीचे से थोड़ा सा अपनी जाँघों को फैला दिया।
अन्धेरे में इतना साफ तो नहीं दिखाई दे रहा था मगर फिर भी मैं जितना देख पा रहा था मोनी अपनी गर्दन को एक तरफ करके चुपचाप बिल्कुल शान्त लेटी हुई थी परन्तु उसकी साँसें अब बहुत ही तेजी से चल‌ रही थीं। वो मेरी तरफ नहीं देख रही थी बल्कि अपना मुँह दूसरी तरफ किये हुए लम्बी-लम्बी और काफी गहरी साँसें ले रही थी। 

मैंने भी अब एक‌ नज़र तो मोनी की तरफ देखा फिर धीरे से अपने पैरों से ही उसकी‌ जाँघों को पूरा फैला दिया जिसका उसने अब कोई‌ विरोध नहीं किया. वो चुपचाप वैसे ही लेटी रही।
मोनी की जाँघों को‌ फैलाकर अब मैं भी अपने घुटनों के बल हो गया और एक हाथ से मोनी की चूत के मुँह को टटोलकर अपने लँड को सीधा ही उस चूत के गीले मुँह पर लगा दिया जिससे मोनी ने हल्की झुरझुरी ली और अपने बदन को कड़ा सा करके वो उचक गयी।

मोनी शायद मेरे लंड के प्रवेश के लिये तैयार हो गयी थी लेकिन मैंने अपने लंड को सीधा ही उसकी चूत मे घुसाया नहीं, बल्कि अपने सुपारे को धीरे धीरे उसकी चूत पर घिसना शुरु कर दिया जिससे मोनी ने अपने बदन को अब और भी तान दिया, उसका गर्मी से तप रहा बदन अब हल्का-हल्का थरथराने सा लगा था।

मैंने अपने लंड के सुपारे को मोनी की चूत पर घिसकर पहले तो उसे चूत के रस से अच्छे से गीला किया फिर धीरे से अपने सुपारे को सही से उसकी चूत के मुँह पर लगा कर एक जोर का धक्का लगा दिया!

मोनी तो पहले से ही मेरे हमले के‌ लिये तैयार थी और उसकी चूत का द्वार भी कामरस से भीगकर बिल्कुल चिकना हो रखा था जिससे अब एक ही झटके में मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया और वो ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ कह के जोरों से कराह उठी।

इतना होने के बाद मैंने अपने लंड को थोड़ा सा बाहर खींचकर उसके साथ ही एक जोर का धक्का और लगा दिया जिससे लगभग अब मेरा पूरा लंड मोनी की उस सँकरी गुफा में उतर गया और वो
“ऊऊम्म्म् … म्म्मी. ईईई … ह्ह्ह्…” कहकर एक बार फिर से तेजी के साथ कराहने लगी।

वाकई में ही मोनी की चूत काफी कसी हुई थी। पिछली रात तो मैं सोच रहा था कि मोनी ने अपनी जाँघों को भींचा हुआ है इसलिये मुझे उसकी चूत इतनी कसी हुई लग रही है। मगर असल में ही उसकी कमसिन चूत बहुत कसी हुई थी। उसकी चूत में लंड डाल कर ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा था कि वो शादीशुदा है बल्कि ऐसा लग रहा था जैसे कि मैंने अपना लंड किसी कुँवारी लड़की की चूत में पहली बार घुसाया हो।

मोनी पूरी तरह से कुँवारी तो नहीं थी, मगर शायद उसकी ‘मुनिया’ की अभी तक ठीक से‌ कुटाई नहीं हुई थी। शादी से पहले उसने किसी से सम्बन्ध बनाये हों इसका तो कोई सवाल ही नहीं उठता, मगर शादी के बाद भी शायद मोनी का पति उसके साथ अच्छे से संभोग नहीं करता था क्योंकि उसकी चूत की दीवारें अभी भी इतनी तँग और कसी हुई थीं जैसे कि मैं पहली बार उसकी चूत मे लंड घुसा रहा हूं।

इसका कारण यह भी हो सकता था कि शायद मोनी का पति बहुत अधिक शराब पीता था जिसकी वजह से वो कुछ करने की बजाय सो जाता होगा और वैसे भी मोनी अपने पति के साथ इतना रहती भी तो नहीं थी, तभी तो मोनी को अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ था … उसकी शादी को दो साल से भी ज्यादा का समय हो गया था मगर अभी तक उसको कोई बच्चा नहीं था.

अब सारी बात मेरी समझ में आना शुरू हो गयी थी कि आखिर क्यों मोनी ने मुझे कॉन्डोम लगाने से मना कर दिया और वह बिना गर्भ निरोधक के ही मेरा मूसल लंड अपनी चूत में लेने के लिए तैयार हो गई.

कहानी अगले भाग में जारी रहेगी. कहानी पर अपनी राय देने के लिए आप कमेंट जरूर करें और अपने विचार मेल के द्वारा भी साझा कर सकते हैं.
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