सुपर स्टार -19

(Super Star-19)

This story is part of a series:

This is more a Love Story than a Sex Story
वो मुझसे हाथ मिलाते हुए बोली- वैसे इस पार्टी की होस्ट मैं ही हूँ… आपसे मिलकर अच्छा लगा कि इस उबाऊ भीड़ से अलग कोई तो है यहाँ..
मैं- इस भीड़ को खुद से अलग लोगों की आदत नहीं है। सुना है यहाँ टिकने के लिए इसी भीड़ का हिस्सा बनना पड़ता है।
वो- बातें आप बहुत अच्छी कर लेते हो।
मैं- आपको मेरी बातें अच्छी लगती है और यहाँ कुछ लोग ऐसे भी हैं.. जो मेरी बातों से परेशान होकर इस दुनिया को अलविदा कह जाते हैं।
वो हंसते हुए बोली- मुझे ऐसी कोई ख्वाहिश नहीं है.. मैं जाती हूँ और आपके हर सवाल के जवाब को आपके पास भेज देती हूँ।

अब मुझ पर शराब थोड़ी हावी हो गई थी और नीचे डीजे अपने पूरे शबाव पर आ चुका था। मैं लड़खड़ाता हुआ सीढ़ियों के पास पहुँचा और जैसे ही लड़खड़ाने लगा कि तृषा ने मुझे अपनी बांहों में थाम लिया।

तृषा- जब कण्ट्रोल नहीं कर पाते.. तो इतनी क्यूँ पीते हो।
मैं- इस पैमाने को दोष ना दो.. मेरे लड़खड़ाने का… बात कुछ और भी तो हो सकती है।
तृषा- पता नहीं.. क्या-क्या कहे जा रहे हो। वैसे तुम श्वेता जी को कैसे जानते हो?
मैं- कौन श्वेता?
तृषा- वही.. जो थोड़ी देर पहले तुम्हारे साथ थीं।

मैं- तो यह उनका नाम है.. बात तो हुई.. पर मैंने उनसे नाम नहीं पूछा था।
तृषा- उनका बहुत बड़ा बिज़नेस एम्पायर है और वो तुम्हें नीचे बुला रही हैं।
मैं- पर मैं तो तुम्हारे साथ कुछ वक़्त बिताना चाहता हूँ।
तृषा मुझे धक्का देते हुए बोली- नहीं.. अभी नीचे चलो.. बाद में वक़्त बिता लेना।

मैं नीचे आ गया। तृषा मुझे श्वेता जी के पास ले जाकर बोली- लीजिए.. आपके मेहमान को मैं यहाँ ले आई।

मैंने श्वेता जी को देखते हुए बोला- पता नहीं था.. कि मेरे इस दोस्त के पास ही मेरे मर्ज़ की दवा है। वरना हम खुद ही ज़िक्र कर देते।
श्वेता जी- वो दोस्त ही क्या.. जिसे दोस्त के हाल ए दिल जानने को ज़िक्र की ज़रूरत हो। हम तो आँखों से दोस्तों की नब्ज़ पहचान लेते हैं।

फिर वो मेरा हाथ पकड़ कर स्टेज पर ले जाते हुए मुझसे बोली- आईए इस भीड़ से आपकी पहचान करवा दें।

बीच में एक स्टेज बना हुआ था.. वहाँ खड़े होकर डीजे से माइक लेते हुए, वो माइक पर कहने लगी- दोस्तों आज मैं आपसे अपने एक ख़ास दोस्त को मिलवाना चाहती हूँ।

फिर मुझे अपने करीब खींचते हुए उसने आगे कहा- ये हैं नक्श.. इस इंडस्ट्री के अगले सुपरस्टार..

फिर माइक उन्होंने मेरे हाथों में दे दिया। शराब कॉन्फिडेंस भी बढ़ा देती है, इस बात का पता मुझे आज ही चला था। मैं माइक अपने हाथ में लेते हुए बोलने लगा।

‘एक बार एक चींटा अपनी गर्लफ्रेंड चींटीको लॉन्ग ड्राइव पे ले जा रहा था। तभी रास्ते में एक हाथी अपनी मदमस्त चाल में चलता हुआ सामने आया और उस चींटे की गर्लफ्रेंड चींटी उसे छोड़ हाथी के साथ चली गई। (मैं मुस्कुराते हुए) और जाते-जाते कह गई ‘साइज़ मैटर्स।’ (श्वेता की ओर देखते हुए) थैंक्स श्वेता उस चींटी से दोस्ती कराने के लिए।’

डीजे ने म्यूजिक फिर से शुरू कर दिया और फिर से सब झूमने लग गए। तृषा की आँखें बता रही थीं कि उसने मेरे इशारे को समझ लिया है.. पर चेहरे के मुखौटे ने उसे ज़ाहिर न होने दिया। मुझे अब यहाँ घुटन सी हो रही थी.. सो मैं वहाँ से बाहर आ गया।

मैंने टैक्सी की.. और सीधा घर पहुँच गया।
ज्योति दरवाज़ा खोलते हुए ‘क्या बात है जी.. बड़ी पार्टी-शार्टी हो रही हैं आजकल..

मैं कुछ भी जवाब देने की हालत में नहीं था.. सो मैं बिस्तर पे गया और सो गया।

अलार्म की तेज़ आवाज़ और सर में दर्द से बेहाल होता हुआ सुबह मेरी आँखें खुलीं। सामने टेबल पर एक गिलास पानी और एक सर दर्द की गोली रखी थी।
मैं बेड पर बैठ गया और उस टेबलेट को खा लिया। थोड़ी देर में सर दर्द से राहत मिली।

तृष्णा ने मेरे पास बैठते हुए कहा- तो शूटिंग पर नहीं जाना है क्या?
मैं- ना.. आज तो जाने का मन बिल्कुल भी नहीं है।
तृष्णा- तृषा आएगी तो क्या कहोगे?

मैं तो भूल ही गया था कि तृषा मुझे अपने साथ ले जाने के लिए मेरे फ्लैट पर आएगी। मुझे उस पर कल के लिए गुस्सा अब तक था और मैं इतनी जल्दी उससे मानने वाला नहीं था।
रूठने का भी अलग ही मज़ा है।

मैं जल्दी से तैयार हुआ और टैक्सी से शूटिंग लोकेशन पर चला आया। सैट लगा हुआ था और मेरी वैन भी वहीं थी.. सो मैंने मेकअप वाले को बुलाया और वैन में आराम से बैठ गया।

स्क्रिप्ट पढ़ते हुए मैंने मेकअप वाले से कहा- जब तक मुझे शॉट के लिए बुलाया न जाए तुम यहाँ से हिलोगे नहीं और जो भी आए उससे बाद में आने को कह देना।
लगभग दो घंटे बीत गए और तृषा ने भी कई बार मुझसे बात करने की कोशिश की.. पर मैंने लगातार मेकअप वाले को बिठाए रखा।

निशा आई- शॉट रेडी है सर.. अब तो मेकअप हो गया आपका?
मैं- बस दो मिनट दे.. मैं अभी आता हूँ।
मैं शॉट देने आ गया।

आज का सीन था- बस स्टैंड पर तृषा बैठी है और मेरा इंतज़ार कर रही है। मैं भी ऑफिस के लिए यहीं से बस पकड़ता हूँ।

मेरी आवारा शख्सियत जब तक किसी लड़की को लाल कपड़े में ना देख ले तब तक बाहर नहीं आती है तो मैं उसे पहचानूँगा तक नहीं।

लाइट.. कैमरा.. एक्शन..

बहुत ही सुहाना मौसम था और हल्की तेज़ हवाएँ चल रही थी।
बस स्टैंड पर तृषा शायद मेरे ही इंतज़ार में थी। वहाँ फिलहाल और कोई भी नहीं था। मैं डरा.. सहमा सा.. हल्के क़दमों से बस स्टैंड पर पहुँचा। तृषा एक छोर पर बैठी थी और मैं दूसरे छोर पर जाकर बैठ गया।

तृषा सरकते हुए मेरे एकदम करीब आ जाती है।
मैंने डरते हुए कहा- जी अभी काफी जगह खाली है.. आप वहाँ पर बैठ जाएँ।
तृषा- कुछ दिन पहले तक तो मुझे बांहों में भरने को बेकरार थे। आज जब मैं खुद तुम्हारे पास आई हूँ.. तो दूर जा रहे हो।

मैं- देखिए आपको कोई गलतफ़हमी हुई है। मैं वो नहीं हूँ.. जिसे आप ढूंढ रही हैं।
तृषा ने मेरे चेहरे को अपनी ओर करते हुए कहा- ह्म्म्म… ठीक कह रहे हो आप.. वो होता तो अब तक मेरे गले मिल चुका होता।
मैंने उससे दूर जाते हुए कहा- इस तरह से किसी को परेशान करके आपको क्या मिलेगा। मुझे ऑफिस के लिए देर हो रही है।
मैं आवाज़ तेज़ करते हुए बोलने लगा- और मैंने कहा न.. मैं आपको नहीं जानता हूँ.. फिर क्यूँ मेरे पीछे पड़ी हैं?

तृषा की आँखों में अब आंसू आ गए थे।
‘तुम्हारा नाराज़ होना जायज़ है। तुमने मुझसे इतना प्यार किया और मैंने हमेशा तुम्हारे साथ बुरा बर्ताव किया.. पर मैं तुम्हें जान गई हूँ.. अब प्लीज मुझे माफ़ कर दो। अब कभी तुम्हारा दिल नहीं दुखाऊँगी।
वो यह कहते हुए मुझसे कस कर लिपट गई।

मेरा तो मन हो रहा था कि अभी इसे कस कर बांहों में भर लूँ और जी भर के प्यार करूँ.. पर स्क्रिप्ट के मुताबिक़ मुझे सड़क पर से एक लाल साड़ी में महिला के गुजरने का इंतज़ार करना था और उसके गुज़रते ही डायरेक्टर मुझे इशारे से पकड़ने को कहता.. तब मैं उसे बांहों में भर सकता था। मेरी बेचैनी अब मेरे चेहरे पर दिखने लग गई थी। मैं साँसें रोक कर और अपनी मुट्ठियाँ भींच कर इशारे का इंतज़ार कर रहा था। तभी सामने से लहराती हुई लाल साड़ी दिखी और डायरेक्टर ने इशारा कर दिया। इस बेचैनी ने मेरी आँखों में आंसू ला दिए थे और मेरा चेहरा लाल हो गया था। मैं उस इशारे के बाद कस कर तृषा को पकड़ लेता हूँ और हमारे होंठ मिल जाते हैं।

कट…
मैंने तो जैसे इस आवाज़ को सुना ही नहीं। अब तक मैं उसे चूमता ही रहता हूँ।
‘कट इट..’
इस बार थोड़ी तेज़ आवाज़ में थी।

मैं अलग हो जाता हूँ, निशा आकर मेरे गले मिल कर मुझे बधाई देती है।

‘क्या शॉट दिया है तुमने यार.. सच में मज़ा आ गया।’
मैं अब भी तृषा को ही देख रहा था। वो अब तक तेज़-तेज़ साँसें ले रही थी।
शायद यह चुम्बन कुछ ज्यादा ही लम्बा हो गया था।

हम बातें ही कर रहे थे कि बारिश आ गई। सो मैं अपने वैन में आ गया। तृषा अब तक हमारे शॉट को स्क्रीन पर देख रही थी। थोड़ी देर में वैन का दरवाज़ा खुलता है और तृषा अन्दर आ जाती है।
सतृषा- तुम कमाल के एक्टर हो.. आज का शॉट सच में जबरदस्त था।
मैं- कमाल की अदाकारा तो आप हैं। कब इस दिल में खंज़र उतार देती हैं और कब इस पर मरहम लगाती हैं.. पता ही नहीं चलता।

तृषा- मतलब क्या है.. इस बात का?
मैंने बात बदलते हुए कहा- वो मैं आपके हुस्न की तारीफ़ कर रहा था। तुम्हें क्या लगा?
तृषा- कुछ नहीं।

पर उसकी आँखें कह रही थीं कि वो मेरे इशारे समझ गई है।
‘तुम्हें अपनी नई दोस्त से मिलने नहीं जाना है क्या?’
मैं उसे अपनी ओर खींचते हुए कहने लगा- क्यूँ.. कोई परेशानी है उनसे आपको..

तृषा- नहीं.. बस यह जानना था कि अब आपके दोस्तों की लिस्ट में इतनी बड़ी शख्शियतें हैं.. तो हमारे लिए वक़्त निकाल पाओगे?
मैंने उसके लबों को चूमते हुए कहा- अब यह हुस्न मुझे किसी और के लिए वक़्त निकालने की इजाजत दे… तब न..
तभी निशा आई- आज पैक अप हो गया है। ये बारिस रात तक भी नहीं रुकने वाली है.. सो घर चलो.. जब बरसात थमेगी.. तब ही शूटिंग शुरू हो पाएगी।

मैं- ठीक है.. मैं जाता हूँ।
निशा- कहाँ चल दिए आप..? अपना पता कहीं भूल तो नहीं गए?

मैं- किसी की प्यार भरी आँखें मुझे कुछ याद रहने दे तब न.. तुम चलो.. मैं आता हूँ। अब यह मत पूछना कि कब आओगे?
निशा- ठीक है जी.. जैसा आप कहें।
मैं तृषा की कार में बैठ गया.. आज मैं ड्राइव कर रहा था।
तृषा- क्या हुआ? आज ड्राइव कर रहे हो।

मैं- तुम्हारे साथ दोनों हाथ फ्री रहने का भी फायदा नहीं है। वैसे भी मुझे अखबारों की सुर्खियाँ बनने का शौक नहीं है।
तृषा- तो एक्टिंग में क्यूँ आए। कुछ और बन जाते.. क्यूंकि यहाँ तो आपकी छींक भी.. सुर्खियाँ बनाने के लिए काफी है।
मैंने हंसते हुए कहा- अब कल की कल देखेंगे।

बरसात तेज़ हो रही थी और शीशे पर ओस की बूंदें जमनी शुरू हो गई थीं। मैंने गाड़ी को साइड में रोक दिया। क्यूंकि सामने कुछ दिख ही नहीं रहा था।
तृषा- गाड़ी क्यूँ रोक दी है.. आपके इरादे मुझे ठीक नहीं लग रहे हैं।
मैंने अपने होंठों पर हाथ फिराते हुए कहा- कुछ कहने की ज़रुरत है क्या? अब समझ भी जाओ।

कहानी पर आप सभी के विचार आमंत्रित हैं।
कहानी जारी है।
[email protected]

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