शादीशुदा भाभी की कुंवारी चूत-1

(Shadishuda Bhabhi Ki Kunwari Chut Part-1)

This story is part of a series:

दोस्तो, कैसे हो आप सब? उम्मीद करता हूँ कि आप सब अच्छे होंगे. सभी लंड धारकों को टाइम पर चूत और सभी चुतवालियों को समय पर लंड मिल रहा होगा. वैसे भी जिनके पास चूत और लंड का कोई इंतजाम नहीं होता है, उनके लिए अन्तर्वासना तो है ही. अन्तर्वासना की सेक्स कहानी पढ़ते रहिए और लंड और चूत का ध्यान रखते रहिए … बस यही कहना चाहूंगा कि अपना हाथ जगन्नाथ ही आड़े वक्त में काम आता है. बाकी आप सब खुद ही समझदार हैं.

मैं आपका दोस्त, आर्यन एक बार फिर से अपनी एक और नई एवं सच्ची चुदाई की कहानी के साथ आप लोगों का मनोरंजन करने के लिए हाजिर हूँ. मेरी पिछली कहानी
तन्हा औरत को परम आनन्द दिया
को आप लोगों का बहुत प्यार मिला, जिसके लिए मैं आप लोगों का दिल से आभारी हूं.

मेरे पास कई लोगों के मेल आए, जिसमें सबने मेरी कहानी को सराहा और प्रसंशा की … मैं उन भाइयों से हाथ जोड़ कर विनती करना चाहूंगा, जो खुद को भी प्लेब्वॉय कहते हैं और मुझसे मेरे क्लाइंट्स का कॉन्टैक्ट नम्बर मांगते हैं कि आगे से कभी मुझे वैसा मेल या रिक्वेस्ट ना करें, क्योंकि किसी भी सूरत में मैं अपने क्लाइंट्स की डिटेल्स किसी के साथ शेयर नहीं करता हूँ.

जो पाठक या पाठिकाएं मेरी पिछली कहानी नहीं पढ़ पाए, उन्हें अपने बारे में बता दूँ कि मेरा नाम आर्यन कुमार है, उम्र 29 साल है. मैं मुंबई का रहने वाला हूँ. मेरी बॉडी भी बहुत अच्छी है, हाइट 6 फीट और चेहरा भी अच्छा ख़ासा है. वैसे तो मैं एक सॉफ्टवेयर डेवेलपर हूँ, पर थोड़ा ज्यादा पैसा और एंजोयमेंट के लिए मैं प्लेब्वॉय का काम भी साइड बाइ साइड करता रहता हूँ.

मेरे साथ ये सच्ची घटना अभी 20-25 दिन पहले हुई है. दोस्तो, पर्सनल कारणों से मैं इस कहानी की नायिका का नाम और जगह के नाम काल्पनिक ही लिखूंगा ताकि किसी की पहचान छिपी ही रहे.

उस दिन मैं ऑफिस में आपके काम में बिजी था. यही कोई दोपहर को 2 बजे के आसपास का समय था, तभी मेरे मोबाइल पर एक अन्जान नंबर से कॉल आया.
मैं- हैलो!
सामने से किसी महिला की आवाज आई- हैलो, आप आर्यन बोल रहे हैं?
मैं- हां, मैं आर्यन बोल रहा हूँ, पर आप कौन?
महिला- हाय, मैं कल्पना (काल्पनिक नाम) बोल रही हूँ, अँधेरी से.
मैं- हाँ, बोलिये?
कल्पना- मुझे आपके बारे में एक विज्ञापन से पता चला है.

मैं समझ गया कि मैडम को सर्विस चाहिए- ओके, बोलिये कब और कहां मिलना पसंद करेंगी आप?
कल्पना- विज्ञापन के जरिये मुझे आपके बारे में काफी कुछ पता चल गया है, बस अभी तक आपकी फोटोज नहीं देख पायी हूँ, क्या मैं आपकी तस्वीर देख सकती हूं?
मैं- हाँ, जरूर … बोलिये मैं आपके साथ अपनी फोटोज कैसे शेयर करूँ?
कल्पना- आप अपना व्हाट्सएप नंबर दीजिये, मैं आपको सामने से मैसेज करती हूं, फिर आप अपनी फोटोज भेजिए.
मैं- हाँ ठीक है, मेरा व्हाट्सएप नंबर यही है, जिस पर आपने कॉल किया है, आप इसी नंबर पर मैसेज भेजिए.
कल्पना- ओके, मैं करती हूं.

थोड़ी ही देर में मुझे व्हाट्सएप पर एक मैसेज ‘हैलो …’ लिखा हुआ मिला. मैं समझ गया कि ये कल्पना का ही नंबर है. फिर मैंने भी अपनी 4-5 फोटोज उसी नंबर पर भेज दिए.
उसके 5-7 मिनट बाद फिर से मुझे कल्पना का कॉल आया- हैलो आर्यन.
मैं- हाँ बोलिये?
कल्पना- मुझे आपकी फोटोज अच्छी लगी हैं … आप अच्छे लग रहे हो.
मैं- थैंक यू मैडम.
कल्पना- क्या मैं अभी आपको वीडियो कॉल कर सकती हूं?
मैं- सॉरी मैडम, अभी मैं ऑफिस में हूँ. अगर आपको कोई दिक्कत न हो, तो मैं 5 मिनट में वाशरूम में जाकर वहां से आपको कॉल करूँ?
कल्पना- ठीक है, आप मुझे कॉल करो.
मैं- ओके, मैं करता हूँ.

मैं समझ रहा था कि मैडम क्रॉस वेरीफाई करना चाहती हैं कि जो मैंने उन्हें फोटोज भेजे हैं, वो सब मेरे ही हैं या किसी और के हैं. मैंने तो अपने ही पिक्स भेजे थे, तो मुझे उनकी इस डिमांड से कोई दिक्कत नहीं थी.

वाशरूम में अन्दर जाकर मैंने पहले तो चैक किया कि ऑफिस का कोई और बंदा पहले से वाशरूम में तो नहीं है. ये संतुष्टि होने के बाद कि कोई और फिलहाल वाशरूम में नहीं है, मैंने कल्पना को वीडियो कॉल लगाया … और जल्दी ही मेरा कॉल कनेक्ट भी हो गया. मेरे मोबाइल की स्क्रीन पर कल्पना के साइड का कुछ भी नहीं दिख रहा था, शायद उसने फ्रंट कैमरा पर अपनी उंगली रखी थी ताकि वो मुझे तो देख सकें, लेकिन मैं उन्हें न देख सकूं. मैंने भी अपने फ़ोन के कैमरे को ऐसे एंगल पर होल्ड किया कि वो मुझे अच्छे से देख सकें. कैमरे पर उंगली रखने की वजह से मैं सिर्फ उनकी आवाज सुन पा रहा था.

थोड़ी देर ऐसे ही वीडियो कॉल के बाद मैडम बोलीं- मैं आपको थोड़ी देर में बताती हूं.
मैंने भी ओके बोल कर कॉल डिसकनेक्ट कर दिया और अपने ऑफिस के काम में फिर से लग गया.

सच कहूँ तो दोस्तो, मेरे भी मन में कई सवाल चल रहे थे. जैसे कि क्या कल्पना को मैं सच में पसंद आया या नहीं? कल्पना को सच में मुझसे मिलना है या वो सिर्फ टाइम पास कर रही थी? वो दिखने में कैसी होगी? दोस्तो, भले ही मैं प्ले ब्वॉय का काम करता हूँ, लेकिन हूँ तो मर्द ही ना, मैं भी चाहता हूँ सामने वाला भी ठीक ठाक हो, तो सर्विस देने में भी मज़ा आए.

इन्हीं सब सवालों की उधेड़बुन और ऑफिस के कामों में मैं लगा रहा … और शाम को काम खत्म करने के बाद घर आ गया.

रात को करीब 8 बजे व्हाट्सएप पर मुझे कल्पना का हैलो लिखा हुआ मैसेज मिला. मैंने भी हैलो लिख कर रिप्लाई कर दिया. उसके आगे हमारी जो भी बातें हुईं, वो सब व्हाट्सएप पर कुछ इस तरह हुई थीं. हमारी ज्यादातर बातें इंग्लिश में ही होती थीं, पर अन्तर्वासना के हिसाब से मैं हमारी बातचीत को हिंदी में लिख रहा हूँ.

कल्पना- आप कब फ्री हो?
मैं- आप जब बोलेंगी, तब मैं मैनेज कर लूंगा, बस आप ये बताइए कि आपको कब और कहां मिलना है और कितने टाइम के लिए?
कल्पना- आप परसों दोपहर में मिल सकते हैं?
मैं- दोपहर में कब और कहां?
कल्पना- दोपहर में 3 बजे तक.
मैं- हां मैं आ जाऊंगा, पर आना कहां है?
कल्पना- परसों मेरे घर वाले दोपहर में सूरत जा रहे हैं किसी शादी में शरीक होने. उनके जाने के बाद मैं आपको एड्रेस मैसेज कर दूंगी.
मैं- ठीक है, पर कितने टाइम के लिए मिलना है आपको?
कल्पना- पता नहीं, सिचुएशन पर डिपेंड करेगा.
मैं- ठीक है.

इसके बाद हमारी कुछ फॉर्मल बातें हुईं और एक दूसरे को बाय बोल कर मैं अपने काम में लग गया.

मेरे दिमाग में फिर से वही सब सवाल चलने लगे, जो दोपहर में चल रहा था. अगले दिन भी हमारी नार्मल बातें हुईं. इस दौरान मैंने उन्हें बता दिया कि अभी तक तो मैं फ्री हूँ, लेकिन आपने कुछ भी फिक्स नहीं किया और मुझे किसी और ने बुक कर लिया, तो मेरा आना मुश्किल हो जाएगा.
उस वक़्त कल्पना ने कुछ भी कन्फर्म नहीं बोला, तो मुझे लगा शायद टाइम पास ही कर रही थीं. इसलिए मैंने भी उतना ध्यान नहीं दिया और अपने कामों में लगा रहा.

फिर आया वो दिन … सच कहूँ तो मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं था कि कल्पना का मैसेज आएगा या वो मुझे बुलाएंगी, लेकिन ऐसा हुआ.
सुबह करीब 11 बजे मुझे उनका मैसेज व्हाट्सएप्प पर आया.
कल्पना- गुड मॉर्निंग.
मैंने भी गुड मॉर्निंग लिख कर रिप्लाई कर दिया.
कल्पना- अभी एक डेढ़ घंटे में सब निकल रहे हैं, आप तैयार रहना. सबके निकलते ही मैं आपको कॉल करूँगी.
मैं- पर मुझे आना कहां है, ये तो बताइए?
फिर कल्पना ने मुझे अपना एड्रेस भेजा और बोला कि जब तक मैं कॉल ना करूँ, तब तक मत निकलना.
मैंने भी ओके लिख कर रिप्लाई कर दिया.

सच बता रहा हूँ दोस्तो, उस टाइम तक मुझे कल्पना के बारे में कुछ भी मालूम नहीं था. मेरे दिमाग में भी बहुत कुछ चल रहा था, जैसे कि कल्पना कैसी दिखती होंगीं? क्या क्या करना पड़ेगा आज? कैसे खुश करूँगा उन्हें? और खुश कर भी पाऊंगा या नहीं!
यही सब सवाल मन में लिए मैं अपनी तैयारी में लग गया.

करीब एक घंटे बाद ही मुझे कल्पना का कॉल आया- हैलो आर्यन.
मैं- हां बोलिये.
कल्पना- आप निकलो अब … और मेरी बिल्डिंग के गेट पर आकर मुझे कॉल करो.
मैं- ओके.
कल्पना- कितना टाइम लगेगा आपको पहुंचने में?
मैं- यही कोई 30 मिनट.
कल्पना- ओके.

कल्पना ने जो एड्रेस दिया था, वो मेरे घर से कुछ 4 किलोमीटर की दूरी पर ही था, तो मैं भी फटाफट निकल गया और गूगल की हेल्प लेकर 20-25 मिनट में ही पहुंच गया. फिर मैंने कल्पना को कॉल किया और बताया कि मैं गेट पर हूँ.

कल्पना- बस 5 मिनट वहीं रुको, अभी थोड़ी देर में तुम्हारे पास एक ब्लैक कलर की होंडा सेडान आकर रुकेगी, उसमें बैठ जाना.
मैं- ठीक है.

मैं गेट के पास इंतजार करने लगा. सोसाइटी देखकर ही लग रहा था कि यहां काफी रईस लोग रहते हैं और तो और सोसाइटी थी भी एकदम अँधेरी के पॉश एरिया में. मुझे कल्पना ने जिस बिल्डिंग का नाम बताया था, वो 21 मंजिल की एकदम शानदार बिल्डिंग थी.

सच कह रहा हूँ दोस्तो, मन में खुशी भी हो रही थी कि आज चोदने को एकदम मॉडर्न मॉल मिलेगी … और डर भी लग रहा था कि कहीं मेरी सोच गलत न साबित हो जाए.

करीब 4-5 मिनट बाद मुझे एक ब्लैक कलर की सेडान गेट से बाहर आती दिखी. जब वो मेरे पास से गुजरी, तो जैसे ही अन्दर से इशारा हुआ कि रुको वापस आती हूँ. मेरी तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि वास्तव में हो क्या रहा है. फिर भी मैं वहीं इंतजार करने लगा. उसके करीब 10 मिनट बाद मुझे वही गाड़ी फिर से आती दिखी, लेकिन इस बार गाड़ी सोसाइटी के बाहर नहीं, अन्दर की तरफ जाने वाली थी. गाड़ी मेरे पास आकर रुकी और किसी ने इशारे से मुझे अन्दर बैठने को बोला. मैं भी चुपचाप पिछला दरवाजा खोल कर बैठ गया.

गाड़ी कोई महिला चला रही थी, जिसने अपना मुँह स्कार्फ़ से ढका था. अब मुझे ये तो नहीं मालूम था कि ये कल्पना ही है या कोई और? इसलिए मेरी कुछ भी बोलने या पूछने की हिम्मत नहीं हुई और मैं बस चुपचाप बैठा रहा.

थोड़ी ही देर में हम पार्किंग में पहुंच गए, तब उस महिला ने मुझे लिफ्ट के पास जाकर इंतजार करने को बोला. मैंने भी अपना बैग लिया और लिफ्ट के पास जाकर वेट करने लगा. थोड़ी ही देर में वो महिला भी लिफ्ट के पास आकर लिफ्ट के नीचे आने का वेट करने लगी.

अभी भी मेरी उनसे कोई बातचीत नहीं हो रही थी और मेरे दिमाग में सवालों का बवंडर चल रहा था. मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि इस महिला से बात करूँ या नहीं? अगर उस वक़्त उस महिला के बारे में कुछ भी पता होता, तो शायद बात करने की हिम्मत दिखा पाता. पर यहां तो मुझे खुद को कुछ मालूम नहीं था, तो क्या बात करता.

इतने में लिफ्ट भी नीचे आ गई. महिला लिफ्ट का दरवाजा खोलते हुए बोली- चलो.
मैं भी ह्म्म्म करके लिफ्ट में आ गया. लिफ्ट में पहुंचने के बाद महिला ने 18 नंबर का बटन दबाया, इसका मतलब हम 18 वीं मंजिल पर जा रहे थे. जैसे ही लिफ्ट ऊपर की तरफ चलने लगी, तब पहली बार उस महिला ने मेरी तरफ देखकर मुझसे ‘हैलो…’ बोला.

मैंने भी सामने से ‘हैलो..’ बोल कर जवाब दिया. थोड़ी देर चुप रहने के बाद.
मैं- आप?
महिला- मैं ही कल्पना हूँ.

सच कह रहा हूँ, तब जाकर मुझमें थोड़ी हिम्मत आई और मैंने राहत महसूस की.

वो लिफ्ट में मेरे से आगे खड़ी थी, तो मैं पीछे से ही अपनी आँखों से उनकी बॉडी का मेज़रमेंट लेने लगा. अभी तक कल्पना ने स्कार्फ़ निकाला नहीं था और उन्हें देखने के लिए मेरी उत्सुकता वैसे ही बनी हुई थी. अभी तक मैंने कल्पना का चेहरा देखा नहीं था, तो मैं इस समय उनकी उम्र बताने की अवस्था में नहीं था. पर पीछे से उनका शरीर देखकर लग रहा था कि उनकी यही कोई 26-27 साल उम्र होगी.

परफेक्ट फिगर, कूल्हे थोड़े उठे हुए, लंबाई 5 फुट 6 इंच, एकदम स्लिम तो नहीं, पर भरी बदन की मल्लिका थी कल्पना. ना मोटी ना पतली, एकदम परफेक्ट.

कुछ देर में ही हम अपनी मंजिल पर पहुंच गए. लिफ्ट से निकलते ही उसने सबसे पहले अपना स्कार्फ़ हटाया और मेरी तरफ देख कर मुस्कुराई … और दरवाजे के लॉक खोलने लगी. उस वक़्त पहली बार मैंने कल्पना को देखा और बस देखते ही रह गया.

कसम खा कर कहता हूं दोस्तो, उस वक़्त मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था. आप लोग मेरे द्वारा उसकी खूबसूरती के वर्णन का सिर्फ अंदाज़ा लगाने की कोशिश करो.

जैसा कि मैंने पहले ही उसकी उम्र का अंदाज़ा लगाया था, यही कोई 26 साल, रंग बर्फ के जैसे एकदम सफेद, छाती 32-33 इंच, कमर 30 इंच के आसपास, कूल्हे 33-34 इंच के, मांग में हल्की सी सिंदूर की लकीर, माथे पर डायमंड जड़ित स्टाइलिश बिंदी, होंठों पर गहरे लाल रंग की लिपस्टिक, नाक एकदम पतली सी, होंठ जैसे गुलाब की पंखुड़ी, गाल ऐसे कि जैसे मखमल, कान में भी स्टाइलिश डायमंड के रिंग, महरून कलर का शार्ट टॉप, जो कंधे से खुला रहता है और ब्लू कलर के जीन्स में एकदम काम की देवी कह लो या अप्सरा, सब कम ही होगा.

जब वो दरवाजे की लॉक खोल रही थीं, तब उनके कान की बाले बार बार उनके गालों को चूम रहे थे और मुझे चिड़ा रहे थे.
दोस्तो, और क्या कहूं? जानता हूं आप लोग की हालत सिर्फ कल्पना करके ही खराब हो गयी होगी, तो सोचो उस समय मेरी क्या हालत हुई होगी?

सच में हर मर्द के ख्वाबों वाली कल्पना थी कल्पना जी.

उस समय मेरे दिमाग में सिर्फ एक सवाल आया और वो ये था कि काम की देवी को मेरे जैसे बंदे की क्यों जरूरत पड़ गयी? ये तो जहां खड़ी हो जाए, वहीं 10-15 मर्द या लड़के लाइन लगा कर सिर्फ इन्हें देखने के लिए खड़े हो जाएंगे. इन्हें तो सिर्फ एक इशारा करने की जरूरत है, बस बाकी सब खुद ब खुद इनके मन का करने को तैयार खड़े रहेंगे. ये कहानी जरा लम्बी है तो ताप मेरे साथ थोड़ा सब्र रखिए, मुझे उम्मीद है कि आपको मजा आएगा.

इस कहानी को लेकर आपका कोई सुझाव, विचार या शिकायत हो, तो कृपया मुझे मेल करके अवगत कराएं.
[email protected]
कहानी जारी है.

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