प्यासी भाभी की चूत चुदाई करके बच्चा दिया

(Pyasi Bhabhi Ki Chut Chudai Karke Bachcha Diya)

दोस्तो, नमस्कार पहले तो मैं यह बताना चाहता हूं कि ये मेरी पहली कहानी है … और ये बिल्कुल सच्ची घटना है. यह कोई मनघडंत कहानी नहीं है.

आपको मैं अपना परिचय दे देता हूँ. मैं अविनाश, महाराष्ट्र के मुंबई शहर से रहने वाला हूँ. मेरी उम्र तेईस साल है. मेरा कद पांच फुट आठ इंच है. मैं दिखने में बहुत आकर्षक हूँ, रंग गोरा है, अ़च्छा कसरती शरीर है क्योंकि मैं जिम भी जाता हूँ.

बात उन दिनों की है, जब मैं पंजाब से अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था. मेरा 2017 में वह आखरी साल था … तो मैंने सोचा कि इस साल थोड़ी मस्ती मजा करते हैं, कहीं घूमते फिरते हैं. यही सोच कर मैं अपने दोस्तों के साथ कई बार कुल्लू मनाली भी घूमने निकल गया था … क्योंकि आखरी साल में पढ़ाई का इतना प्रेशर नहीं होता है.

मेरा समय पास नहीं होता था, इसलिए लंड खड़ा होने लगा था.

इसी साल मैंने जिम भी ज्वाइन किया था. मैं हर शाम चार बजे जिम के लिए निकलता था. मेरे रूम के बिल्कुल सामने एक कोठी थी, जिम के लिये मुझे वहीं से गुजरते हुए जाना पड़ता था. ऐसे ही एक दिन मेरी नजर एक भाभी पे पड़ी. भाभी को पहली नजर में देखा, तो उन पर मेरी नजर ठहर गई. जिधर वो खड़ी दिखी थीं, उधर मेरी नजर अब रोज जाने लगी. मैंने ध्यान दिया कि वो भी मुझे रोज आते जाते देखती थीं, लेकिन मैंने ही पहले कभी ध्यान दिया नहीं था.

अब बात करते हैं भाभी की … भाभी इतनी सुन्दर थीं कि पूछो ही मत. उनका 36-30-38 का फिगर कुछ ऐसा मदमस्त था कि नजर ठहरना लाजिमी था. ऊपर से पंजाबन माल तो आप लोग जानते ही हैं कि कितना मस्त होता है. आप खुद ही समझ सकते हो कि वो कितनी खूबसूरत होगी. इधर उसकी नजरें मेरा पीछा करती थीं, तो मैं भी ये समझ गया था कि उन्हें मैं पसंद हूँ. क्योंकि कॉलेज की लड़कियों के कमेंट्स के हिसाब से मैं भी कुछ कम नहीं दिखता था.

अब रोज नजरें मिलने से कुछ कुछ होने लगा. मैं उसे देखने के लिए रोज छत पर भी जाने लगा और वो भी आने लगीं. लेकिन हम एक दूसरे को पता नहीं लगने देते कि एक दूसरे को ही देखने आते हैं. जबकि हमारी आंखें एक दूसरे को देखने ही मचलती थीं. ऐसे ही कुछ दिन निकल गए.

फिर एक दिन मैंने हिम्मत करके उन्हें इशारा किया. वो दिन मेरे खुशी का पहला दिन था … क्योंकि उन्होंने भी मुझे इशारा किया. तभी मैंने एक कागज पर मेरा फोन नम्बर लिख के भाभी की छत पर फेंक दिया. उन्होंने वो कागज़ उठा लिया. बस कुछ ही देर बाद मुझे फोन आया, तब पहली बार मैंने उनकी आवाज सुनी थी.

हाय क्या मिठास थी उनकी आवाज में दोस्तो … पूछो ही मत. ऐसा लगता था कि उनकी आवाज को बस सुनता ही जाऊं.
मैंने उनका नाम पूछा, तो उन्होंने अपना नाम शायना बताया. मतलब ये बदला हुआ नाम है.

हम दोनों की फोन पर काफी दिनों तक बातें चलती रहीं. हम दोनों फोन पे अपने दिल की बातें करने लगे.

फिर एक दिन शाम को शायना भाभी ने कहा- आप मेरा एक काम करोगे.
मैंने कहा- क्यों नहीं, आप बताओ तो सही. यूं चुटकी बजाते बजाते कर दूंगा.
उस वक्त मुझे लगा था कि कुछ बाजार का छोटा मोटा काम होगा, लेकिन मैं गलत था.
उन्होंने कहा- आप मुझे बेबी दे सकते हो क्या?

मैं पहले तो समझ ही नहीं पाया कि बेबी दे सकते हो, इस बात का क्या मतलब है. लेकिन अगले ही पल मुझे समझ में आ गया कि ये भाभी मुझसे क्या चाहती हैं. दोस्तो, तब मैं मन ही मन इतना खुश हो गया कि मैं आप लोगों को क्या बताऊं.

मैंने भाभी से कहा- क्या सच में आपको मुझसे बेबी चाहिए?
तब शायना भाभी ने कहा- हां जी … सच में!

मेरी ख़ुशी का ठिकाना ही न रहा. मैं तो न जाने कब से इसी पल का इंतजार कर रहा था कि कब भाभी को अपने नीचे लेकर मन भर के जोर जोर से चोदूं.
भाभी से मैंने हां कह दिया. भाभी ने मुझे कुछ इन्तजार करने को कहा … क्योंकि अब उनको मौका तलाशना था.

आखिर वो दिन भी जल्द ही आने वाला था.

मैंने भाभी से देर न करते हुए कहा- दसो जी कदो ऑना और केमे आना? (बताओ कब आना है और कैसे आना है?)
मैं मन ही मन बहुत खुश था कि कब भाभी से मिलूं और कब उसके साथ जोर जोर से सेक्स करूं.

भाभी ने मुझे उसी के घर दो दिन बाद मिलने को कहा. क्योंकि उनके घर वाले दो दिन बाद कहीं बाहर जाने वाले थे.
मैंने कहा- ठीक है, मैं आपके फोन का इन्तजार करता हूँ.

फिर वो दिन आया, जिसका मुझे बेसब्री से इंतजार था. फिर सुबह के साढ़े नौ बजे शायना भाभी का फोन आया. उन्होंने मुझको बताया कि उनके घर कैसे आना है. भाभी ने मुझे पीछे के दरवाजे से आने को कहा.
मैं भाभी से मिलने के लिये खुश था.

मैं झट से निकल गया और उनके घर में पीछे के रास्ते से पहुंच गया. कुल दो मिनट का तो रास्ता था. भाभी ने मुझे देखते ही अन्दर खींच लिया और झट से दरवाजा बंद कर लिया. भाभी मुझे अपने ऊपर वाले कमरे में ले गईं.

उसके बाद मैंने ना आगे कि सोचा ना पीछे की … सीधा मैंने उनको पकड़ लिया और किस करने लगा. मैं कभी भाभी की गर्दन पे चुम्मी लेता, तो कभी उनके सीने पे चूमता. मेरा मतलब उनके आधे खुले मम्मों पर.
भाभी भी एकदम से गर्म हो गईं और देखते ही देखते मैंने उनके सारे कपड़े उतार दिए. मैंने बेड पर भाभी को लेटाया. दोस्तो … क्या मस्त नजारा था वो … भाभी बिना कपड़ों के तो और भी सुन्दर दिख रही थीं. उनके गोरे गोरे गोल मम्मे कसम से क्या मस्त माल दिख रहे थे.
मुझे अब भी वो नजारा याद आता है, तो दोस्तों मेरा लंड अपने आप गीला हो जाता है.

उसके बाद मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए. मेरा खड़ा लंड देखकऱ वो हैरान हो गईं और बोलने लगीं- हाय रब्बा … तुहाडा किन्ना वड्डा ए जी. (आपका कितना बड़ा है जी!)
तो मैंने हंसते हुए लंड हिलाया और कहा- हां जी … हुन मजे भी चक्को जी … (अब मजे भी लो!)
भाभी ने आंख मार दी.

बस फिर क्या था … मैं कूद पड़ा भाभी के ऊपर और उनके एक मम्मे को एक हाथ से दबाने लगा. दूसरे मम्मे को मैं अपने मुँह में लेकर चूसने लगा. मैं बीच बीच में हल्के हल्के से भाभी के एक निप्पल को काटने लगा, चूसने लगा.

भाभी के मुँह से आवाजें आने लगीं, उनकी आवाजें ‘हहम्म उम्म्म …’ मुझे गर्म कर रही थीं. बीच बीच में उनकी सांसें भी लम्बी होने लगीं.

फिर मैं उनके पेट पर आ गया और पेट पे भी चूमने लगा. गीले गीले होंठों से भाभी को किस करने लगा. उनको भी खूब मज़ा आ रहा था. मैंने भाभी से मिलने से पहले ही ठान लिया था कि आज भाभी को बहुत मज़ा दे कर ही उनकी बुर में लंड पेलूंगा.
मैं कभी उनकी गर्दन पे किस करता, तो कभी उनके कान को हल्के से काटता.

भाभी बोलने लगीं- आप बहुत रोमांटिक हो जी … इतना मज़ा आज तक मेरे पति ने कभी नहीं दिया.
मैंने बस भाभी को चूम लिया.
उसके बाद मैंने उनके शरीर के हर एक हिस्से पर किस किया और चाटा. लेकिन चूत को नहीं चाटा क्यूंकि मुझे चूत चाटना पसंद नहीं था.

मैंने उनकी टांगें फ़ैला दीं और भाभी की चूत देखने लगा. मैंने उनकी चूत पर कुछ बाल देखे. तभी भाभी ने मुझे देखने से रोका … मतलब फुद्दी देखने से मना किया. उनको शर्म आ रही थी. वे मुझे कसके पकड़ने लगीं.
मैंने कहा- ओके जी, फुद्दी नहीं देखूंगा.
उसके बाद मैंने भाभी की फुद्दी को नहीं देखा.

उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया और अपनी चूत पर सैट करने लगीं. मैंने लंड सैट होते ही एक जोर से धक्का दे दिया, तो मेरा आधा लंड भाभी के अन्दर घुस गया. मोटे और बड़े लंड के कारण भाभी चीखने लगीं- ओये माँ … थोड़ा हौले से करो ना … दर्द हो रहा है.

मैंने अब उनकी एक न सुनी और फिर से एक जोर का धक्का दिया. इस बार 6 इंच का लंड मेरा पूरा जड़ तक अन्दर घुस गया. मैंने इस बार भाभी को दोबारा चिल्लाने नहीं दिया … क्यूंकि मैं उनके मुँह में मुँह डालकर चूमने लगा था.

कुछ देर के बाद भाभी को दर्द करना कम हो गया. मैं उनको जोर जोर से चोदने लगा … सारे रूम में बस चुदाई की ही आवाजें आ रही थीं ‘फच फच … आह … आह …’

भाभी के मुँह से सीत्कारें फूटने लगी थीं. वो तेजी से गांड उठाते हुए बोलने लगीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… जान … और जोर से और जोर से.
अब कभी मैं उनकी टांगें उठा उठा के पेलता … तो कभी चुम्मी लेकर चुदाई करता.

भाभी ने अपना शरीर एकदम से टाईट कर लिया था, वो चरम पर आ गई थीं. उसी समय मैंने भी अपना सारा माल भाभी की चूत के अन्दर ही छोड़ दिया. भाभी ने मुझे अपने सीने से चिपका लिया. हम दोनों करीब दो मिनट तक यूं ही लेटे रहे. इस दौरान मेरा लंड भाभी की फुद्दी में ही घुसा रहा. भाभी मेरे लंड का रस अपनी चूत से खींचती रहीं.

उस दिन हमने 4 बार सेक्स किया. उसके बाद मैं अपने रूम में आ कर सो गया.

फिर शाम को शायना भाभी का फोन आया. वो बोलने लगीं- आज तक इतना मज़ा मुझे कभी नहीं आया था. आप बहुत सेक्सी और रोमांटिक हो जी.
मैंने मुस्करा कर थैंक्स बोला.

उसके बाद हमने आगे भी सेक्स किया. एक महीने तक मैंने भाभी के साथ सेक्स किया. कभी उसकी छत पर तो कभी घर पर जाकर मैं भाभी की फुद्दी चोद देता था.

एक महीने के बाद शायना भाभी का एक दिन फोन आया और वो मुझे धन्यवाद कहने लगीं. मैं तुरंत समझ गया कि वो प्रेगनेंट हो गई हैं.
मैंने पूछा तो उन्होंने भी कहा कि हां वो प्रेग्नेंट हो चुकी हैं.
शायना भाभी बहुत खुश दिख रही थीं. उन्होंने मुझसे कहा कि आपको मेरे से जो कुछ चाहिये हो, तो बेझिझक बोलो … मैं दे दूंगी.
मैंने मना करते हुए कहा- आपने जो मुझे मज़ा दिया, मेरे लिए वही बहुत है.

दोस्तो, आपको कैसी लगी मेरी ये बच्चा पाने के लिए भाभी की चुदाई की कहानी. प्लीज़ मुझे मेल करके जरूर बताना.

ये मेरी पहली कहानी थी … और भी एक ऐसी ही सेक्स स्टोरी है, वो नेक्स्ट टाइम पोस्ट करूंगा.
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