प्यासी बंगालन की सहेली की हवस पूर्ति

(Pyasi Bangalan Ki Saheli Ki Hawas Purti)

नमस्कार दोस्तो, आप सभी ने अन्तर्वासना पर प्रकाशित मेरी पहली कहानी
प्यासी बंगालन की चूत चुदाई
को पढ़ा. मेरी कहानी मेरी ज़िंदगी का सच्चा अनुभव था जो कि मैंने आप सभी से शेयर किया।
बहुत से मित्रों ने मुझे मेल भी किये और कहानी की सराहना भी की. कुछ ने सुधार करने के लिए भी कहा जिसका मैं उन सभी मित्रों का हृदय से आभारी हूं. बहुत से मित्रों ने इसे मनघढ़ंत और काल्पनिक बताया तो उन्हें मैं कहना चाहता हूँ कि उन्हें जो समझना है समझें, यह उनकी समस्या है जिसका समाधान मेरे पास नहीं है।

पिछली कहानी में मैंने बंगालन मकान मालकिन के साथ मेरी चुदाई को आप सब के समक्ष रखा था और आप सभी से यह वादा किया था कि अगली कहानी में उसकी सहेली के साथ हुई चुदाई कार्यक्रम की बात को विस्तार से लिखूंगा. तो मित्रो, आप सभी का ज्यादा समय नहीं लेते हुए अपनी कहानी को आपके समक्ष रख रहा हूं।

मैंने जैसा पिछली कहानी में बताया था कि हम दोनों को जब कभी भी मौका मिलता तो हम सेक्स का भरपूर मजा लेते और एक दूसरे को संतुष्ट करते थे।

एक दिन बंगाली बाबू जो कि मेरे मकान मालिक थे, उनको किसी शादी में कोलकाता जाना था जबकि मेरी मकान मालकिन यानी भाभी जी को उनके ऑफिस से छुट्टी नहीं मिल पा रही थी। भैया तो सुबह 11 बजे की फ़्लाईट से लखनऊ से कोलकाता के लिए रवाना हो गए और साथ में वो अपने बेटे को भी ले गए थे. घर पर नीचे मैं और ऊपर वाली मंजिल पे भाभी जी ही थी जो कि इस समय अपने ऑफिस गयी हुई थी. दोपहर के समय यही कोई दो बजे के करीब भाभी ने मुझे फ़ोन किया और बोली- मैं घर आ रही हूँ.
मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ सोचा कि आज तो बस सुबह तक चुदाई और हवस का नंगा नाच करेगे हम दोनों।

खैर मैं चाय पीने के लिए रूम से बाहर टपरी पे निकल गया. थोड़ी देर बाद मुझे भाभी ने फ़ोन किया और पूछा- कहाँ हो?
मैंने 5 मिनट में आने को बोल के फोन रख दिया।
जब मैं घर पहुँचा तो सीधे उनके रूम में जाने के लिए ऊपर जीने से चढ़ने लगा. तभी मुझे दो लोगों की बात करने की आवाज़ सुनाई दी. खैर मैं समझ गया कि दो औरतें बात कर रही हैं.

मैं वहां से वापस जाने के लिए मुड़ा ही था कि भाभीजी ने आवाज़ दी- अरे मुदित, कहाँ जा रहे हो? आओ न यार … कब से वेट कर रही हैं हम तुम्हारा!
मैं वहीं रुक के फिर से ऊपर की तरफ बढ़ गया. अंदर पहुँचा तो देखा भाभी की बहुत ही करीबी फ्रेंड रश्मि साथ में बैठी हुई थी. मैंने उन्हें नमस्ते किया और वहाँ पड़े सोफे पर बैठ गया. मैं बहुत असमंजस की स्थिति में था और चुपचाप बैठ के मन ही मन बस भाभी को गाली दे रहा था और सोच रहा था कितना अच्छा मौका था और ये अपनी सहेली को लेकर आ गयी।

खैर रश्मि से मेरा परिचय कराते हुए भाभी ने कहा- रश्मि तुमसे मिलने के लिए आई है.
पहले तो मैं समझा ही नहीं कि बात क्या है. फिर वो मेरी तरफ आंख मारते हुए बोली कि उसने मेरे और उसके बीच हुए सेक्स की सारी बातें रश्मि को बता रखी है पहले से ही. तब जाकर मुझे सारा माजरा समझ में आया.
भाभी ने मुझे ये भी बताया- रश्मि की वजह से ही मैं कोलकाता शादी में नहीं गयी।
हम दोनों से मुखातिब हो के भाभी ने कहा- मैं अब अगले 2 घंटे के लिए तुम दोनों को अकेले छोड़ रही हूँ.
और मुझसे कहा- मैंने तुम्हारी बहुत तारीफ़ की है रश्मि से! इसलिए तुम मेरी बात को खराब न होने देना.
मैंने हंस के उसकी तरफ देखा और कहा कि वो भी इस खेल में शामिल हो.
लेकिन वो अगली बार के लिए कह के अपना बैग उठा के वहाँ से दोबारा अपने आफिस के लिए निकल गयी।

अब मैं और रश्मि हम दोनों ही रूम में रह गए थे.
रश्मि की उम्र यही कोई 43 साल के आस पास थी, वो भाभी से कोई 2 साल बड़ी थी लेकिन कमाल का जिस्म था उसका! कुछ मोटी जरूर थी लेकिन बदन एकदम मखमली था, चुचियों का साइज 36″ गांड का 42″ था. कुल मिलाकर वो एक भरे पूरे बदन की मालकिन थी, किसी भी उम्र के पुरुष का लन्ड एक झटके में खड़ा करने का माद्दा था उसके जिस्म में!
लाल रंग की कुर्ती और क्रीम कलर की सलवार में कयामत लग रही थी।

थोड़ी देर तक हम एक दूसरे को देखते रहे. फिर मैंने ही बातों का सिलसिला शुरू करते हुए पूछा- सीमा ने क्या क्या बताया है मेरे बारे में?
रश्मि मेरे पास बैठ कर बोली- सीमा बहुत तारीफ कर रही थी तुम्हारी … तुम्हारे स्टेमिना और सेक्स के नए नए तरीकों से जो तुम उसे सैटिस्फैक्शन देते हो. उसने बताया है कि कमाल है. तुम्हारे औजार की भी तारीफ कर रही थी, उसकी लंबाई और मोटाई की भी … उसने बताया कि तुम्हारा लंड किसी भी औरत को संतुष्ट कर सकता है।

मैं मन ही मन बहुत खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा था लेकिन अपने चेहरे पे उन भावों को नहीं आने दे रहा था।
बातें करते हुए ही उसने अपने अपने होंठों को मेरे होंठों पे रख दिया. हम दोनों की साँसें बेकाबू सी होने लगी. बहुत देर तक हम लोग एक दूसरे को चूमते रहे, मैं उसके नाजुक अंगों को उसके कपड़ों के ऊपर से ही मसलता रहा. वो मेरे लोअर के ऊपर से ही लन्ड को मसलने लगी।

मैं उसको गोद में उठा के बेड तक ले आया और उसके कपड़ों को धीरे धीरे अलग करने लगा. उसकी कुर्ती को और सलवार को मैंने उसके होंठों को चूमते हुए निकाल दिया. उसने मेरे शर्ट के बटन तोड़ डाले, वो अपनी एक्साइटमेन्ट को हैंडल नहीं कर पा रही थी।

उसने मेरी गर्दन और कंधे पे काटना शुरू कर दिया. वो अब रेड कलर की ब्रा और ब्लैक कलर की पैंटी में थी 36डी साइज के बूब्स को मैं ब्रा के ऊपर से ही मसलने लगा, वो आंखें मूंदे हुए बस बड़बड़ाये जा रही थी. मैं उसके कंधे और बगल पे चाटने लगा तो उसका शरीर एकदम बेकाबू हो गया और वो पागलों की तरह मुझे नोचने लगी. उसके नुकीले नाखून मुझे कई जगह चुभ गए लेकिन उस समय मैं इसकी परवाह बिल्कुल नहीं कर रहा था.

मैंने उसकी ब्रा को खींचा तो चट की आवाज़ से हुक टूट गए. मैं भूखे कुत्ते की तरह उसके बूब्स को चूसने चाटने और चबाने लगा।
रश्मि मेरे लन्ड को पकड़ के हिला रही थी. मैं उसको अपना लन्ड चुसवाना चाहता था, मैंने उसके लंबे बालों को पकड़ के उनके मुंह में मेरा 7 इंच लम्बा लन्ड ठूस दिया. वो मस्त होकर लौड़े को चूसने लगी. मैं उत्तेजित होकर उसके गरले तक लन्ड को घुसेड़ रहा था. वो पागलों की तरह उसे खा जाने की नीयत से चाट और चूस रही थी।

मैंने उसे 69 के पोजीशन में अपने ऊपर लिटा लिया और उसकी चूत को चाटने लगा. वो पागल होकर उम्म्ह… अहह… हय… याह… करती हुई मेरे मुंह में पानी छोड़ रही थी और मैं उसे चाट रहा था. वाह क्या नमकीन पानी था साली का!

मैं उसकी गांड पे थप्पड़ बरसाने लगा. वो अपना आपा खो चुकी थी और मैं भी … मैंने उसे पटक दिया और उसके ऊपर आ गया. उसने मेरा लन्ड पकड़ के अपनी चूत पे रखा और कहा- एक बार में ही पूरा का पूरा डाल दो!
मैंने उसके पैरों को कंधे पे रख के एक ही बार में अपना पूरा लन्ड उसकी गीली चूत में घुसेड़ दिया. उसकी गर्दन एकदम पीछे की ओर अकड़ गयी. थोड़ी देर मैं लन्ड को वैसे ही डाले रहा और कोई हरकत नहीं की. 1 मिनट तक ऐसे ही वो पड़ी रही, फिर मुझे गाली देते हुए बोली- मादरचोद भोसड़ी के … रुक क्यों गया? चोद न कुत्ते मुझे … कमर चला!

उसके मुख से गाली सुन के मैं पागल से हो गया। मैंने भी उसके मुँह में अपनी उंगलियों को घुसेड़ दिया. वो उन्हें चूसने लगी. मैं भी उसे गाली देने लगा- ले रण्डी कुतिया साली रांड छिनाल मादरचोद बहनचोद!
“आह आह आह …” उसके मुंह से आवाजें निकल रही थी, उसके बड़े बड़े मोटे चुचे हिल रहे थे। वो बस मुझे गाली दिए जा रही थी और कमर चला रही थी नीचे से!

थोड़ी देर के बाद उसने मुझे नीचे पटक दिया और खुद ऊपर आ गयी, गाली दे दे के वो मुझे चोदने लगी, मेरी छाती को नोचने लगी.
“आह यस उफ्फ्फ उफ्फ्फ …” क्या मंजर था. वो पूरे लन्ड को बार बार अंदर बाहर कर रही थी। रण्डी लग रही थी साली!
उसने अपनी कमर को चलाते हुये मेरे मुंह में अपनी जीभ को डाल दिया और अपने थूक को मेरे मुंह में डालने लगी. आह … क्या एहसास था! उसका थूक और लार भी उस समय मुझे मीठा लग रहा था।

एक बार फिर से मैं उसके नंगें शरीर के ऊपर आया और उसको गली देते हुए और उसकी गाली सुनते हुए मैं उसे चोदने लगा.
“आह कुत्ते … मादरचोद भोसड़ी वाले … भड़वे चोद न अपनी रण्डी को! बहुत प्यासी है ये कुतिया! वो हिंजड़ा पंकज प्यास बुझा ही नहीं पाता है मेरी!” उत्तेजना में वो कुछ भी बोल रही थी. मैं समझ गया कि पंकज उसका पति है.

करीब 5 मिनट की और चुदाई करने के बाद हम दोनों ही झड़ गए. उसने मुझे अपनी बांहों में दबा लिया और बहुत देर तक हम ऐसे ही पड़े रहे। करीब 10 मिनट के बाद मैं उठा, किचन में गया और पानी की बॉटल फ्रिज से निकाल के पानी पिया और उसे भी दिया।

पानी पीने के बाद वो एक बार फिर से मेरे लन्ड को पकड़ के हिलाने लगी. मैंने उसकी तरफ देख के कहा- क्या बात है, अभी लन्ड को थोड़ा आराम भी करने दो.
तो उसने कहा- साले बहनचोद … ये दो घंटे हमें सीमा ने आराम करने के लिए नहीं, बल्कि चुदाई के लिए दिए हैं.

गाली सुन कर मेरा लन्ड झटके खाने लगा. मैंने उसे बेड पे धक्का देते हुए और उसके ऊपर आते हुए कहा- रांड आज तेरा भोसड़ा ना सूज गया मेरे लन्ड की चुदाई से तो मेरा नाम बदल देना।
यह कहते हुए मैंने फिर से उसके बूब्स को मसलना और मारना शुरू कर दिया.

वो भी चिल्ला चिल्ला के मुझे गाली देते हुए कहने लगी- तो बना ने मेरे चुत का भोसड़ा … मादरचोद बना अपनी कुतिया … बना अपनी रखैल … चोद दे मुझ जन्मों की प्यासी कुतिया रण्डी को।
फिर से मैंने उसको एक ही बार में लन्ड डाल के चोदना शुरू कर दिया. साली हवशी रांड कमर उछाल उछाल के चुदाई करवाने लगी, मेरी पीठ पे उसने अपने नाखूनों को गड़ाना शुरू कर दिया.

और एक बार फिर से मुझे नीचे पटक के खुद से मेरी चुदाई करना शुरु कर दी. साली पूरी ताकत से लन्ड को अपने भोसड़े में ले रही थी और बाहर निकल रही थी, मेरे बूब्स को मसल रही थी और लगातर गाली दे रही थी- मुदित मादरचोद आह … कुत्ते और जोर से! याह … और जोर से … यस यस यस … कम ऑन मुदित … भोसड़ा फाड़ दे मेरा … आह आह आह.

20 मिनट की चुदाई के बाद मैंने उसको संतुष्ट कर दिया.
उसने मुझे बताया कि उसके पति का लन्ड अब खड़ा ही नहीं होता है जबकि उसके सेक्स की भूख बहुत बढ़ गयी है.
मैंने उसे तसल्ली दी- अब हम लोग एक दूसरे को जान समझ चुके हैं तो जब भी तुम्हें मेरी जरूरत पड़े या मन हो तो मुझे याद कर लेना.

उन दो घंटों में हम दोनों ने 3 बार चुदाई की. उसके बाद सीमा भी अपने आफिस से आ गयी और हम दोनों से हमारे अनुभव के बारे में पूछने लगी.
उसके बाद हम लोगों ने कॉफी पी जो रश्मि ने सीमा के किचन में जा के खुद मेरे लिए स्पेशली बनाई और कहा कि अगली बार वो खुद के घर में मुझे बुलाएगी और मेरे साथ अपनी फैंटेसी को पूरा करेगी.
बातों बातों में उसने मुझे बताया कि उसे डर्टी सेक्स पसंद है. मैंने भी उसे भरोसा दिया अगली बार जब भी मिलेंगे उसकी इस फैंटेसी को जरूर पूरा करूंगा।

तो दोस्तो, यह थी मेरी दूसरी कहानी.
अपने सुझाव मुझे मेरी मेल आई डी [email protected] पर जरूर भेजें।
बहुत जल्द ही मुलाक़ात होगी एक नई और वासना से भरूपर सच्ची कहानी के साथ. नमस्कार।

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