पुलिस चौकी में मेरा एनकाउंटर

(Police Chowki Me Mera Encounter)

दोस्तो, मैं आपकी प्यारी प्यारी दोस्त प्रीति शर्मा।
आज मैं आपको अपनी एक दुख भरी कहानी सुनाने जा रही हूँ जो 3 दिन पहले मेरे साथ हुआ। भगवान करे ऐसा किसी के साथ ना हो।
तो लीजिये पढ़िये मेरी दुख भरी व्यथा।

पिछले हफ्ते मेरे पति ने बताया कि वो एक हफ्ते के लिए बिज़नस टूर पर सिंगापोर जा रहे हैं। वैसे जाने का मन तो मेरा भी था, क्योंकि मुझे बीच पर चड्डी ब्रा पहन कर घूमना और सारा सारा दिन अधनंगी हालत में खुले बीच पर लेटे रहना बहुत पसंद है। जब आते जाते लोग मेरे गोरे बदन और भरपूर जवानी को ललचाई निगाहों से ताकते हैं तो मुझे बहुत अच्छा लगता है, बड़ा गर्व होता है खुद पर। मैं भी गहरे काले रंग का चश्मा लगती हूँ ताकि लोग ये न जान सकें मेरे बदन को घूरते हुये मैं उन्हे देख रही हूँ।
मैं पहले भी 2 बार सिंगापोर, बैंगकोक, मलेशिया जा चुकी हूँ। दुबई भी गई थी, उसकी कहानी तो आप लोग पढ़ ही चुके हैं कि वहाँ क्या हुआ था मेरे साथ।

खैर पति तो चले गए, घर में मैं और मेरी छोटी सी बेटी ही अकेले रह गए। मैंने अपनी काम वाली बाई को कह दिया कि वो सारा दिन रुक जाया करे, ताकि घर में कोई तो और हो।
पहले दिन ही मैं घर में बोर हो गई। टीवी भी कितना देखूँ, मोबाइल पे पॉर्न भी कितना देखूँ, अन्तर्वासना पर कितनी कहानियाँ पढ़ूँ।

फिर सोचा, कहीं घूम आती हूँ। तो खुद भी तैयार हुई, बेबी को भी तैयार की और अपनी बाई कमला को साथ लेकर बाज़ार चली गई, बेवजह इधर उधर घूमती रही, चाट पपड़ी, गोल गप्पे, ये वो खा कर, फालतू का सामान खरीद कर घर वापिस आ गई, मगर बोरियत ने पीछा नहीं छोड़ा।

बड़ी मुश्किल से रात हुई, रात को सो गई।

अगले दिन फिर वही सब कुछ। कमला के साथ भी कितनी बातें करती। आस पड़ोस में भी सब नौकरी पेशा लोग, जो सुबह जाते और शाम को आते। अगले दिन फिर बाज़ार चली गई, मूवी देखने इस लिए नहीं गई, क्योंकि सिनेमा के अंधेरे में बेबी बहुत तंग करती है, तो फिल्म का मज़ा सारा किरकिरा हो जाता है।

वैसे ही मैं बाज़ार में घूम रही थी, तो दो नौजवान से लड़के मेरे आस पास दो तीन बार चक्कर लगा कर गए। उनके रवैये और चाल ढाल से लग रहा था, जैसे वो मेरे में इंटेरेस्टेड हों। मुझे भी कुछ गुदगुदी सी हुई कि मेरे हुस्न के दीवाने आज भी हैं, चाहे मैं एक बच्चे की माँ भी बन चुकी हूँ। मैंने भी उन्हें पूरी लाइन दी कि अगर कोई सेटिंग हुई, तो कमला को घर भेज दूँगी, और इन दोनों को अपने घर ही ले जाऊँगी, शायद सेक्स मुझे मेरी बोरियत से निजात दिला सके।
मगर वो भी दो चार चक्कर मार कर चले गए।

मैं फिर से वापिस घर आ गई; आ कर टीवी लगा लिया, कमला ने चाय बना दी, बेमन से चाय पी ली। शाम का खाना भी कमला ने बना दिया, मगर आज मैंने उसे रोक लिया के रात को भी मेरे पास ही रुक जाए।
मैं बेवजह टीवी झाँकती रही, थोड़ी देर में बेबी उठ बैठी और रोने लगी, देखा तो उसका डाइपर गीला हो गया था, सुबह का लगाया था। घर में देखा तो और कोई डाइपर भी नहीं था। मैंने कमला को कहा कि तुम बेबी को संभालो और मैं ज़रा बाहर दुकान से डाइपर ले कर आती हूँ।

मैं अपनी सोसाइटी से निकली और गाड़ी लेकर पास के ही एक मॉल में चली गई। वहाँ से मैं बेबी के डाइपर और कुछ और समान भी खरीद लिया। मैं जब शॉप से बाहर निकलने लगी तो उनका साएरन बज उठा, गार्ड ने रोका तो मैंने उसे अपना समान चेक करवाया। मगर मेरे समान में कुछ भी ऐसा नहीं मिला। जब दोबारा चेक किया तो फिर से साएरन बज उठा, इस बार दुकान का मैनेजर और कुछ और लोग भी आ गए। मेरे पर्स की तलाशी ली गई तो उसमे से एक मोबाइल फोन मिला, जो मगर मुझे नहीं पता कि वो मोबाइल मेरे बैग में कैसे आया।

मैंने बहुत इंकार किया, मगर उन्होंने मेरी बात नहीं सुनी, मैंने तो पैसे देने की भी ऑफर की कि चलो अगर मेरे बैग में ये फोन आ ही गया तो मैं पैसे दे देती हूँ, मगर उनका मैनेजर बहुत ही खडूस था, साले ने पुलिस को बुला लिया।

झगड़ा बढ़ गया और पुलिस वाली ठुल्ली मुझे अपने साथ ले गई। बाहर जा कर उसने मुझे पुलिस वैन में बैठाया और मुझे लेकर वो पुलिस चौकी आ गए।
चौकी पहुँच कर मुझे ध्यान आया कि यार मैं अपना मोबाइल फोन तो घर ही भूल आई हूँ। और ये फोन बिल्कुल मेरे फोन जैसा था, शायद इसी वजह से बेख्याली में मैंने इस फोन को अपने पर्स में रख लिया होगा।

मगर अब तो मैं पुलिस चौकी में आ गई और बिना मोबाइल के मुझे किसी का नंबर भी याद नहीं था। पति का नंबर याद था, मगर वो तो विदेश में थे और उनका फोन वहाँ बंद था। बड़ी मुश्किल में फंस गई थी मैं।
मुझे एक तरफ बेंच पर बैठा दिया गया।

कुछ देर में वो मैनेजर आया और अपनी अर्ज़ी दे कर चला गया, और मुंशी के कान में कुछ खुसर फुसर भी कर गया। रात के नौ बज रहे थे, पुलिस चौकी में सिर्फ 3 लोग थे, एक मुंशी, एक और हवलदार और बाहर एक सिपाही जो पहरा दे रहा था।

मेरा दिल बहुत घबरा रहा था, मैंने मुंशी से पूछा- सर मुझे कब तक यहाँ रहना पड़ेगा। मेरा कोई दोष नहीं है, कोई गलती लग गई होगी। प्लीज़ मुझे जाने दें, मेरी छोटी बच्ची घर पर अकेली है।
तो मुंशी बोला- देखो मैडम जी, अभी बड़े साहब को खबर भेज दी है, वो आने वाले हैं, उनके आने पर ही हम आप को छोड़ सकते हैं। जब तक साहब नहीं आते, आप चुपचाप वहाँ बैठें।

मैं हार कर फिर बैठ गई। पहली बार पुलिस स्टेशन में आई थी, मेरा तो डर के मारे बुरा हाल था। और ऊपर से चौकी में कोई लेडी पुलिस या और कोई महिला भी नहीं थी।
थोड़ी देर में चाय आ गई, तो वो लड़का एक गिलास चाय मुझे भी दे गया।
मुंशी बोला- चाय पी लीजिये मैडम।

मैंने उसे हल्की स्माइल देकर चाय का गिलास पकड़ लिया और पीने लगी। रात के 10 बज गए मगर कोई बड़ा साहब या कोई और अफसर नहीं आया। मैंने फिर विनती की, मगर फिर वही जवाब। मेरा रोने को मन कर रहा था, पर अपनी हिम्मत का दामन पकड़े रही, और अपने रोने को काबू रखा।

थोड़ी देर में मे हवलदार ने अपना मोबाइल निकाला और उस पर कुछ देखने लगा, फिर वो मुझे घूरने लगा। मुझे बड़ा अजीब सा लगा, डर भी लगा। फिर वो हवलदार मेरे पास आ कर बैठ गया, कभी मोबाइल में देखता, कभी मेरे चेहरे की ओर।
फिर उसने जा कर अपने मुंशी को अपना मोबाइल दिखाया, मुंशी भी कभी मुझे कभी मोबाइल को देखने लगा।

फिर उसने मुझसे पूछा- मैडम क्या काम करती हो आप?
मैंने कहा- जी मैं हाउसवाइफ हूँ।
“और आपके पति?” दूसरा सवाल पूछा उसने।
मैंने कहा- जी उनका बिजनेस है।

उसने मेरी तरफ गहरी नज़र से देख कर पूछा- हाउसवाइफ होने के अलावा और क्या क्या करती हैं आप?
यह सवाल बड़ा अजीब था, मैंने कहा- जी और क्या करना है, बस घर पे ही रहती हूँ।
वो बोला- पति के साथ आपका संबंध कैसा है?
मुझे थोड़ा गुस्सा तो आया, मगर जज़्ब करके बोली- बहुत अच्छा है।

फिर वो बोला- और कोई बाहर टांका तो नहीं आपका?
मैं इस बार खीज कर कहा- क्या बकवास है, ये क्या बेहूदे सवाल पूछ रहे हैं आप?
वो बड़े शांत लहजे में बोला- अगर टांका नहीं तो आपकी वीडियो कैसे आई नेट पर?
मैंने कहा- कौन सी वीडियो”। उसने एक वीडियो चला कर मोबाइल मुझे दिया- देखिये ये आप नहीं हैं क्या?

मैंने वो वो वीडियो देखी, एक औरत दो मर्दों से सेक्स कर रही थी, मगर खास बात यह कि वो औरत बिल्कुल मेरे जैसे ही दिखती थी, एक बार तो मैं हैरान रह गई, मगर अगर कोई भी और देखता तो सोचता कि मैं ही हूँ।
मैंने मोबाइल टेबल पर रख दिया- जी नहीं, ये मैं नहीं हूँ।
वो बोला- कोई सबूत है जिस से आप साबित कर सकें कि ये लड़की आप नहीं हो।

अब मेरे पास वहाँ क्या सबूत था, जिससे मैं साबित कर पाती। मैंने उनसे फिर विनती करी- मेरे पति बाहर गए हैं, घर में मेरी बेटी अकेली है, आप मुझे छोड़ दे प्लीज़।
मगर वो बोला- मैडम, हम आपको कैसे छोड़ दें, आप पर चोरी का इल्ज़ाम है, आपको रंगे हाथों पकड़ा है और साहब भी अभी आए नहीं, जिनसे पूछ कर हम आपको छोड़ दें। और दूसरा अब आपका ये एमएमएस आ गया.
वो बोला तो दूसरा हवलदार बड़ी गंदी सी हंसी हंस पड़ा, फिर दोनों हंसने लगे।

मैंने कहा- देखिये सर, मैं एक अच्छे घर से हूँ, आप अगर मुझे छोड़ देंगे तो मेरे पति आप सेवा कहेंगे, वो कर देंगे।
उसने पूछा- आपके पति का आएंगे?
मैंने कहा- 4 दिन बाद!
वो दोनों फिर खिसयानी सी हंसी हंस पड़े- आपको हम छोड़ दे अब, और आपके पति हमारी सेवा करेंगे 4 दिन बाद? 4 दिन किस ने देखें हैं मैडम!

मैंने अपना पर्स खोला, उसमें 3500 रुपये थे, मैंने वो उनके आगे रख दिये- अभी आप ये 3500 ले लीजिये, बाकी और कहेंगे तो और भी दे दूँगी।
वो बोला- मैडम जी, 50000 रुपये महीना तनख्वाह है, गाँव में खेती बाड़ी भी है। आपके 3500 पर तो मैं थूकता भी नहीं, उठाये और रखिए अपने पास।
मैंने पैसे अपने पर्स में रख लिए।

मैंने फिर पूछा- तो और क्या चाहिए आपको?
उन दोनों ने एक दूसरे को देखा और जैसे आँखों आँखों में कोई बात की हो। मगर इतना ज़रूर था कि उनके चेहरे देख कर मुझे डर सा लगा।
तो हवलदार बोला- देखिये मैडम, हम आपको मजबूर तो नहीं करना चाहते, पर जो काम आप इस वीडियो में कर रही हैं, वो…
अभी उसकी बात पूरी नहीं हुई थी, मैं चीख पड़ी- वो मेरी वीडियो नहीं है, मैं नहीं हूँ उस वीडियो में!
मेरी तेज़ आवाज़ सुन कर वो दोनों भी घबरा गए।

फिर मुंशी बोला- मैंने तुझसे पहले कहा था, ये औरत कोई बड़ा पंगा है, डाल इसको लॉक अप में कहीं कल को हमें ही किसी चक्कर में फंसा दे।
और हवलदार ने मेरी बाजू पकड़ी और मुझे खींच के ले गया, मैं शोर मचाती रह गई, मगर मुझे उसने लॉक अप में धक्का दे कर दरवाजा बंद कर दिया।

पहली बार ज़िंदगी में मैंने खुद को जेल में देखा। फिल्मों में हीरो लोगों को तो देखा था, मगर अपने आपको पहली बार देखा था। मैं इस से टूट गई और फूट फूट कर रोने लगी। कितनी देर मैं रोती रही। फिर मैंने सोचा, अगर यहाँ से बाहर निकलना है तो मुझे इनकी शर्त माननी पड़ेगी। दो लोग तो हैं, कितनी देर लगा लेंगे, और तीसरा बाहर खड़ा सिपाही भी अगर आ गया, तो ज़्यादा से ज़्यादा एक घंटा, कौन यहाँ मुझे देख रहा है, पर एक घंटे में मैं तो फ्री हो जाऊँगी और घर चली जाऊँगी।

यही सोच कर मैं हवलदार को आवाज़ लगाई- अरे हवलदार साहब सुनिए ज़रा!
वो मेरे पास आया, उसके चेहरे पर कुटिल मुस्कान थी।
मैंने कहा- देखिये मुझे घर जाना है किसी भी कीमत पर, आप जो चाहेंगे मैं वो करने के लिए तैयार हूँ, मगर मुझे यहाँ से बाहर निकलना है, अपने घर जाना है।
वो बोला- कोई बात नहीं, सुबह चली जाना।
मैंने कहा- नहीं मुझे अभी जाना है!

कह कर मैंने अपना दुपट्टा उतार कर साइड पे रख दिया। अब मेरे सिर्फ एक लेगिंग और टी शर्ट, जो मैं अक्सर रात को पहन कर सोती हूँ, वही मेरे बदन पर थी। ब्रा पैन्टी भी नहीं थे, क्योंकि मैं तो घर पर सोने के मूड में थी, तो सिर्फ नाइट ड्रेस में ही थी।

हवलदार जल्दी से गया, मुंशी के पास और उसके कान में उसना फुसफुसाया। मुंशी भी उठ खड़ा हुआ, मेरे पास आया और सलाखें पकड़ कर बोला- बाहर जाकर किसी को बताओगी तो नहीं, हमारे पास तुम्हारा सारा रिकार्ड है, बाहर जाकर अगर कुछ भी फुसफुसाई, तो फिर से अंदर और इस से भी बड़ी जेल। फिर कोई रहम की फरियाद नहीं।
मैंने कहा- मुझे पता है, मैं तैयार हूँ!
कहते कहते मैंने अपनी लेगिंग भी उतारनी शुरू कर दी और लेगिंग उतार कर ज़मीन पर ही लेट गई।

तभी मुंशी बोला- अरे ओ रामचरण, पागल है क्या, मेम साहब क्या फर्श पे लेटेंगी, जा गद्दा उठा कर ला।
हवलदार भागा भाग गया और एक डनलप का गद्दा उठा लाया; उसने बिछाया तो मैं उस पर लेट गई।
फिर मुंशी बोला- जा संतरी को कह कर आ, किसी को अंदर न आने दे, बाद में उसे भी बुला लेंगे। बोलना कच्चे मीट की हँडिया चढ़ी है। अपनी चमचा तैयार रखे, खाने आ जाए, जब बुलाएँ।

हवलदार गया, और मुंशी ने अपनी पैन्ट और कच्छा उतार दिया, फिर अपनी कमीज़ भी उतार दी, बिल्कुल नंगा हो कर वो मेरे टाँगो के बीच में आ गया। उसका लंड अभी पूरी तरह से खड़ा तो नहीं हुआ था, आधा खड़ा सा हो गया था। मैं अपनी कोहनियों के बल पर अधलेटी सी अपनी टाँगें खोली लेटी हुई थी कि कब ये अपना लंड मेरी चूत में डाले और फिर अपना पानी गिरा कर फारिग हो।
इतने में वो दूसरा हवलदार भी आ गया; आते ही उसने भी अपनी वर्दी उतार दी और बिल्कुल नंगा हो गया, थोड़ा सा अपना लंड पकड़ा और हिलाया तो उसका लंड भी अकड़ गया। फिर हवलदार ने मेरी टी शर्ट भी उतार दी, तीनों नंगे हो गए तो मैंने लेट गई।

दोनों ठुल्लों के चेहरे पर विजयी मुस्कान थी। मुंशी ने मेरे मम्मे थोड़े से दबाये, तो हवलदार ने मेरे पेट और झांट को सहलाया, फिर मुंशी ने अपना लंड मेरी चूत पे रखा और मारा धक्का। उसके ढीले से लंड का टोपा मेरी सूखी चूत में घुस गया। मुंशी ने मेरी दोनों टाँगें अपने कंधों पर रख ली और लगा धीरे धीरे मुझे चोदने।

हवलदार ने अपना लंड मेरे होंठों से लगाया, तो मैंने उसका लंड अपने मुँह में ले लिया। तो मुंशी खीजा- अरे ससुरी के ये क्या किया?
हवलदार बोला- क्या हुआ जनाब?
मुंशी बोला- अरे पहले ही उसके मुँह में दे दिया, मैंने तो सोचा था के बड़ी मुश्किल से कोई मेमसाहब हमारी चंगुल में आई हैं, पहले थोड़ा होंठ चूसेंगे, तूने तो सब गुड गोबर कर दिया, उसको अपना लंड चुसवा कर!

हवलदार ने अपना लंड मेरे मुँह से निकाल लिया।
मुंशी फिर बोला- अब क्या फायदा निकालने, अब तो चुसवा!

हवलदार ने फिर अपना लंड मेरे मुँह से लगाया और मैं फिर से उसे उसे चूस लिया। एक हाथ में पकड़ कर मैं उसका कड़क लंड चूस रही थी, मगर मुंशी का लंड अपनी पूरी अकड़ नहीं पकड़ पाया था। थोड़ा सा नर्म था, मगर चल अच्छा रहा था।
3-4 मिनट की चुदाई के बाद मुझे भी अब मज़ा सा आने लगा, मेरी चूत भी अपने पानी छोड़ने लगी। मैं गीली हुई, तो मुंशी का लंड फ़च फ़च करने लगा। शायद इस से उसको कुछ और मज़ा आया, अब उसका लंड भी पूरा ताव खा गया। ठीक था 6 इंच का आम सा लंड था, मगर बस इस वजह से के किसी दूसरे मर्द का लंड था, मुझे इसे से अजीब सा रोमांच और सुकून मिल रहा था।

5 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ गई। झड़ते वक़्त मैं थोड़ी सी सिसकारियाँ ज़्यादा भरती हूँ और मेरा बदन एंठ जाता है।
मेरे झड़ते ही मुंशी बहुत खुश हुआ- अरे राम चरण, ये शहरी मेम तो बड़ी आंच पे थी, देख 5 मिनट में ही पानी गिरा दिया।
हवलदार ने भी चापलूसी की- जनाब के जोश के आगे टिक न पाई।
मैंने कहा- अरे नहीं, मेरा टाइम ही इतना है, 5 मिनट में अपना तो हो जाता है। अब देखना है तुम दोनों में कितना दम है, कितनी बार और मेरा पानी गिराते हो।

मेरी बात सुन कर मुंशी जोश खा गया और ज्यों ज़ोर ज़ोर से घस्से मारने लगा के अगले 2 मिनट में ही उसने अपना लंड खींच के मेरी चूत से निकाला और अपने हाथ से मुट्ठ मार कर अपना सारा वीर्य मेरे पेट पे झाड़ दिया।
मैंने कहा- बस मुंशी जी, इतना ही दम था?

तभी हवलदार बोला- ठहर जा ससुर की नातिन, अभी तेरा दम निकालता हूँ।
कह कर उसने अपना लंड मेरी चूत पे रखा और डाल दिया अंदर।

हवलदार का लंड मुंशी से ज़्यादा बड़ा और तगड़ा था और उसमें जान भी ज़्यादा थी। हवलदार ने मेरी खूब रेल बनाई। उसकी शानदार चुदाई ने मुझे तड़पा दिया। मैंने तो उसे कस कर अपने सीने से लगा लिया और उसे साफ साफ बोल दिया- रामचरण, यार मज़ा आ गया। तू तो कमाल का ठोकता है।
रामचरण के गाल लाल हो गए।

तभी उसने मेरे होंठ चूम लिए, अब उसका ही लंड चूसा था, तो उसे तो मेरे होंठ चूसने में कोई दिक्कत नहीं थी।
हमें गुथमगुत्था होते देख कर मुंशी तो जैसे जल भुन कर बाहर चला गया।

मैंने रामचरण की पीठ पर हाथ फेरते हुये पूछा- रामचरण, यार अब तो मुझे छोड़ दोगे न, अब तो मैंने तुम्हारी बात मान ली, अब तो मेरे पर कोई दोष नहीं है।
रामचरण बोला- अरे मदाम दोष तो आप पर पहले भी नहीं थी। वो दुकान में ही एक लड़के ने जान बूझ कर फोन आपके पर्स में डाला था कि अगर ये दुकान से निकल गई तो बाद में फोन आपसे ले लेगा। मगर आप फंस गई और वो वहाँ से चला गया। हमने सीसीटीवी फुटेज देखी थी।

मैंने कहा- तो फिर मुझे क्यों पकड़ के रखा है?
वो बोला- अरे सच कहूँ मैडम, आप पर तो हमारी नियत पहले से ही खराब थी, बस इसी काम के लिए आपको रोका था।
मैंने कहा- और अगर मैं न मानती तो?
वो बोला- तो शिकायत तो आप पर थी ही, आपको सुबह साहब के आने तक रोक के रखते।

मैंने पूछा- तो साहब क्या सुबह आने वाले हैं?
वो मेरे घस्से मारता हुआ बोला- हाँ, साहब तो इस वक़्त घर पे सो रहे हैं।
मैंने कहा- सच में बड़े कमीने हो तुम लोग तो!
वो हंसा और फिर बोला- हा हा हा, मैडम जी अगर कमीने न होते तो आप जैसे सुंदर औरत को चोदने को मिलती कहीं?

मैं भी उसके कमीनेपन पर हंस दी और उसकी पीठ थपथपा दी। उसके बाद उसने मुझे बहुत जम कर पेला, ऐसा पेला कि मेरी चीखें निकलवा दी। बहुत ही दमदार पट्ठा था। उसकी चुदाई में मैं 3 बार झड़ी।

उसके जाने के बाद बाहर वाला संतरी आया, मगर वो तो साला मुंशी से भी निकम्मा निकला; सिर्फ 2 मिनट में ही अपना पानी गिरा कर चला गया।

मगर मेरे तन मन में अब भी प्यास थी। यही तो मैं चाह रही थी पिछले तीन दिन से। मैंने वहीं लेते लेते आवाज़ लगाई- रामचरण!
मेरी आवाज़ में अधिकार था, जोश था जैसे मैं इस पुलिस चौंकी की ही कोई अफसर होऊँ।

रामचरण भागा भागा आया, अभी भी उसके सिर्फ कच्छा और बनियान पहने था।
“जी मैडम जी?” उसने मेरे पास आ कर पूछा।
मैंने उसकी तरफ नशीली आँखों से देखा और अपनी चूत पर हाथ फेरते हुये पूछा- अभी मन नहीं भरा यार, एक बार और आयेगा क्या?
वो बोला- मैडम जी, मन तो मेरा भी नहीं भरा, मगर अभी हमने गरम दूध और जलेबी मँगवाई है, पहले खा लें। फिर एक राउंड और खेलेंगे।

मैंने कहा- पर बात सुन, मुझे ये साला निकम्मा मुंशी और वो चूतिया संतरी नहीं चाहिए, बस तुम ही आना।
वो बहुत खुश हो कर बोला- अरे चिंता मत करो मैडम, वो दोनों इतने के ही ग्राहक हैं। अब मैं ही आऊँगा।

थोड़ी देर में एक लड़का एक जग भर के गरम दूध और जलेबी लाया। जब वो मुझे दूध और जलेबी देने लॉक अप में आया तो मुझे एक तक घूरता ही रह गया; 18-19 साल का नौजवान लड़का। मैंने उसे देखा, अब मैं तो नंगी ही बैठी थी, उसकी ओर देखा, अपनी आई ब्रो उचका कर पूछा- हूँ, चाहिए कुछ?
वो बेचारा तो दूध जलेबी वहीं रख कर भाग आया।

मैं मीठे की शौकीन हूँ, गरम दूध में डाल कर मैंने खूब जलेबी खाई; मज़ा आ गया। वैसे भी मैंने रात का खाना नहीं खाया था, तो मुझे तो भूख भी लग रही थी।

उसके बाद रामचरण आया और बोला- चलो मैडम।
मैंने कहा- कहाँ?
वो बोला- मेरे साथ!

मैं उसके साथ उठ कर चल पड़ी। बड़ी अजीब सी बात थी कि जिस चौकी मैं पहले मैं डरी सहमी बैठी थी, उसी चौकी में मैं अब शान से चली जा रही थी और वो भी बिल्कुल नंगी। मेरे कपड़े मेरे हाथ में थे, मैंने खुद को ढाँपने की, छुपाने की कोई ज़रूरत नहीं समझी।

लॉक अप की बगल में एक और कमरा था। इस कमरे में कूलर पंखा, मेज़ कुर्सी और एक दीवान सब लगा था।
रामचरण बोला- ये हमारे साहब का कमरा है।
मैंने पूछा- तो क्या अब साहब भी आएंगे?
वो बोला- अरे नहीं मैडम, साहब तो सुबह आएंगे, अब बस हम दोनों ही हैं।

वो फिर से खिसियानी हंसी हंसा और मैंने आगे बढ़ कर उसको अपने गले से लगा लिया और उसकी मोटी मोटी मूंछों के नीचे छिपे उसके होंठों को चूम लिया। बस मेरे चूमते ही उसने फिर से मुझे अपनी आगोश में कस लिया और धकेलता हुआ मुझे बेड तक ले गया; मुझे बेड पे लेटा कर खुद भी मेरे ऊपर लेट गया। मैं उसका तना हुआ लंड अपने पेट पे महसूस कर रही थी। मुझे लेटा कर उसने अपनी बनियान और कच्छा दोनों उतार दिये।

अब मैंने पूरी रोशनी में देखा, 8 इंच का उसका काला लंड शानदार था। मैंने अपनी टाँगें खोली और अपने दोनों हाथों से उसे आने का इशारा किया, और उसने झट से आ कर मुझे अपनी बाहों में भर लिया।

अगले 45 मिनट में उसने अपनी लाजवाब चुदाई से मुझे कई बार झाड़ा और जब वो झड़ा तो साले ने मेरा सारा पेट गंदा कर दिया। मगर मुझे इस से कोई परेशानी नहीं थी। मैं पूरी तरह से खाली हो चुकी थी। अब मुझ में कुछ शेष नहीं बचा था।

उसके बाद हम दोनों ने कपड़े पहने और फिर रामचरण खुद मुझे पुलिस की गाड़ी में घर तक छोड़ कर आया। घर पहुंची तो रात के ढाई बज चुके थे। कमला भी बेबी को सुला कर सो चुकी थी। मैं भी बस जाते ही बेड पर गिर गई।
अब जो होगा, सुबह देखेंगे।
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