मेरी सेक्स स्टोरी से हुई मेरी फजीहत-2

(Meri Sex Story Se Hui Meri Fajihat- Part 2)

मेरी सेक्स कथा के पहले भाग
मेरी सेक्स स्टोरी से हुई मेरी फजीहत-1
में आपने पढ़ा कि मेरे पति ने मुझे बेवफा समझ कर गुस्से में घर में मेरे सामने एक कालगर्ल को चोदा.

उस दिन के बाद दीपक का गुस्सा जैसे धीरे धीरे कुछ ठंडा पड़ने लगा। धीरे धीरे हम दोनों सामान्य होने लगे, और करीब डेढ़ दो महीने बाद हमारी ज़िंदगी बिल्कुल सामान्य हो गई। मैंने दीपक से बात करी और उसको सारी बात समझाई, वो भी समझ गया कि मैंने किसी को सिर्फ अपने मन की बातें बताई थी, मगर किसी के साथ दीपक की जानकारी के बिना सेक्स नहीं किया। समय तो लगा मगर मेरे बार बार समझाने से दीपक मेरे मन की स्थिति को समझ गया।

कुछ और वक्त बीता, और करीब ढाई महीने बाद मैंने और दीपक ने सेक्स किया। बेशक सेक्स करते वक्त मुझे उस दिन की बात याद आ गई और मैं फिर से रो पड़ी।

मगर दीपक ने मुझे कहा- देखो प्रीति, अगर तुम्हारे दिल किसी के लिए भी कोई भी फीलिंग आती है, तो मुझे बताओ, मैं पूरी कोशिश करूंगा कि तुम्हारे दिल का हर अरमान पूरा कर सकूँ।
मगर मैंने अभी अपने मन की भावनाओं को मन में ही दबा कर रखना उचित समझा।

करीब 6 महीने बीत चुके थे, फिर आई हमारी शादी की सालगिरह।
मैंने दीपक से पूछा- मुझे इस बार शादी की साल गिरह पर क्या गिफ्ट दोगे?
दीपक बोले- एक सरप्राइज़ गिफ्ट सोच रहा हूँ।
मुझे लगा, कोई गहना या साड़ी देंगे। वैसे हम नई गाड़ी लेने की भी सोच रहे थे, मुझे लगा कि शायद नई गाड़ी ही लेंगे, उसी के चांस ज़्यादा थे।

दीपक ने कहा- साल गिरह की पार्टी सिर्फ हम दोनों करेंगे, और बाहर किसी होटल में करेंगे।
मैं भी खुश थी।

जिस दिन शादी की साल गिरह थी, मैं तो सुबह से ही बहुत खुश थी। ब्यूटी पार्लर जाकर अपनी सारी बॉडी की फुल वेक्सिंग करवाई, बिकनी वेक्स करवा कर अपनी फुद्दी भी बिल्कुल चिकनी निकाल ली। पूरी दुल्हन की तरह साज धज कर शाम को तैयार होकर दीपक के आने का इंतज़ार करने लगी।

शाम को ये आए और थोड़ी देर में तैयार हो कर हम दोनों होटल की ओर चल पड़े।

होटल जाकर हम दोनों अपने रूम में गए. पहले शराब आ गई। मैं कभी कभी दीपक को कंपनी दे देती हूँ तो दीपक ने मेरे लिए एक छोटा सा पेग बना दिया। एक एक पेग लगा कर थोड़ा मूड सा बना कर हम दोनों नीचे डाइनिंग हाल में खाना खाने चले गए।

खाना खाया, फिर होटल के बगीचे में स्विमिंग पूल के आस पास हम टहलते रहे, रोमांटिक से बातें करते रहे। बीच बीच में दीपक ने मौका देख कर मुझे चूम भी लिया, मेरे मम्मे भी दबा दिये। अब रोमांटिक दिन था, तो मैंने भी दीपक को बिल्कुल नहीं रोका बल्कि उनके रोमांस को एंजॉय किया।

फिर हम मोहब्बत का खुमार और बढ़ा तो दीपक बोले- चलो रूम में चलते हैं, कुछ करते हैं। अब तुम्हें देखने से दिल नहीं भर रहा है। अब तो इन रसीले लबों का जाम पी जाना चाहता हूँ।

हम दोनों वापिस अपने कमरे में आए तो दीपक ने मुझे आते ही बेड पे गिरा दिया। मेरे हाथों की उँगलियों में अपने हाथों की उँगलियाँ फंसा ली, मेरे हाथ खींच कर मेरे सर के ऊपर ले गया और मेरे होंठों को अपने होंठों में भर कर चूसने लगा।

मैं भी पूरे मूड में थी, पूरी गर्म, देने को एकदम तैयार। मैं भी पूरी गर्मी दिखा रही थी, दीपक को चूस रही थी। मेरा पति है, पिछले 4 साल से उसे चूस रही हूँ, तो आज किस बात की शर्म करती।
मेरे होंठ चूसे, मेरे गालों को अपने दाँतों से काट काट कर खा गया दीपक, अपनी जीभ से चाट कर मेरा सारा चेहरा गीला कर दिया। मेरी गर्दन और कानपट्टी पर चूमने चाटने से मुझे बहुत गुदगुदी होती है, दीपक को ये बात पता थी, तो उसने मेरी गर्दन और कनपटी के आस पास खूब चूमा, मुझे बहुत तड़पाया।
मैं तो उसके छूने से होने वाली गुदगुदी से हंस हंस कर पागल हुई जा रही थी।

फिर दीपक एकदम से उठा- मुझे नंगा कर मादरचोद!
वो बोले।

वो सेक्स के दौरान अक्सर मुझे गालियां देता है, मुझे गालियां खाना पसंद है, तो मैं मुस्कुरा कर उठी और मैंने अपने हाथों से दीपक के सारे कपड़े खोले। जब उनकी चड्डी उतारी तो उनका तना हुआ लंड मेरे सामने आया।
मैंने पकड़ कर देखा मगर जब मैं उनका लंड चूसने लगी तो वो बोले- नहीं रुको अभी।
मैं उठ कर खड़ी हो गई तो उन्होने खुद मेरी साड़ी खोली, मेरा ब्लाउज़ उतारा, मेरा ब्रा खोला, मेरी पेटीकोट और पेंटी भी उतार दी, मुझे पूरी तरह नंगी करके बेड पर बैठने को कहा।

मैं बेड पर जाकर लेट गई और दीपक की तरफ देखने लगी कि कब वो आकर मेरे ऊपर लेटते हैं, खुद कुछ करते हैं, या मुझे कुछ करने को कहते हैं।
मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ।

तभी रूम की बेल बजी। मैं बड़ी हैरान हुई के इस वक्त कौन आ गया हमारे प्यार में रोड़ा अटकाने।

मैं कुछ कहती, इससे पहले ही दीपक ने जाकर दरवाजा खोल दिया तो एक अंग्रेज़ लड़का अंदर आया।
मैंने तो झट से बिस्तर की चादर से खुद का नंगा बदन ढक लिया।
मैंने दीपक से पूछा- दीपक, कौन है ये, और तुमने इसे अंदर क्यों बुलाया?
दीपक बोला- मेरी जान … ये एक सरप्राइज़ गिफ्ट है तुम्हारे लिए।
मैंने पूछा- सरप्राइज़ गिफ्ट?
वो बोला- हाँ, उस दिन जो मैंने तुम्हारे साथ किया, बाद मुझे बहुत बुरा लगा। फिर मैंने सोचा, पहले भी मैंने अपनी मर्ज़ी तुम्हें किसी और के साथ बांटा था। मेरे सामने तुमने किसी और से सेक्स किया, मैंने किसी और से सेक्स किया। तो मान लो अगर तुमने मेरी जानकारी के बिना भी किसी से सेक्स कर लिया तो क्या बुरा किया। पर उस दिन तुम्हारे ऊपर रंडी को लेटा कर चोदना मुझे भी ठीक नहीं लगा। तो आज मैं तुम्हारे लिए ये गिफ्ट ले कर आया हूँ। तुम आज अपनी मर्ज़ी से इसके साथ सेक्स कर सकती हो। अगर चाहो तो मुझे जलील करके अपना बदला भी ले सकती हो। मैं बुरा नहीं मानूँगा।

मैंने कहा- दीपक मुझे आपसे कोई बदला नहीं लेना है। हाँ इस बात में कोई शक नहीं कि आपका तोहफा मुझे अच्छा लगा। बाकी अगर इसका हथियार भी अच्छा हुआ, तो मुझे इसके साथ सम्बन्ध बनाने में खुशी होगी, मगर मैं चाहती हूँ कि इस तोहफे को हम दोनों मिल बाँट कर एंजॉय करें।
दीपक मान गए।

उस अंग्रेज़ लड़के का नाम जॉर्डन था मगर उसे हम जोर्डी कह कर बुला रहे थे। अब जब सब बात साफ हो गई तो जोर्डी ने भी अपने कपड़े उतार दिये। दूध जैसा गोरा रंग, 6 फीट कद, चौड़े कंधे। जिम जाकर अच्छी ख़ासी बॉडी भी बना रखी थी।
और जब उसने अपनी चड्डी उतारी तब पता चला कि वो तो बहुत ही शानदार मर्द था, करीब 9 इंच लंबा और मोटा लंड, दूध जैसा गोरा लंड, सुर्ख लाल रंग का टोपा। झांट पूरी तरह से साफ की हुई। सीने के बाल भी शेव किए हुये।

मैंने दीपक से कहा- दीपक तुम्हारा तोहफा मुझे बहुत पसंद आया।
दीपक बोला- तो देख क्या रही हो, मज़े मारो अपने गिफ्ट के साथ।

मुझे थोड़ी सी शर्म तो आई, मगर ऐसा तो मैं पहले भी कर चुकी थी तो मैंने अपने जिस्म पर लिपटी चादर उतार दी और खजूराहो की मूरत की तरह बिल्कुल नंगी होकर बेड से नीचे उतरी। मैं जाकर जोर्डी के सामने बैठ गई और उसका गोरा लंड अपने हाथ में पकड़ा.

काफी मजबूत और सख्त लंड था। मैंने उसका लंड सीधा करके अपने मुंह में लिया। दुनिया के सभी तरह के मर्दों में एक बात कॉमन है, लंड का स्वाद सबका एक सा ही होता है। हल्का सा नमकीन।
उसके सुर्ख लाल टोपे को तो मैंने ऐसे चूसा जैसे बच्चे लोलिपोप चूसते हैं। खैर बात सही भी है, बचपन में लोलिपोप और जवानी में लंड दोनों को चूसने में एक सा ही मज़ा आता है। मैं जोर्डी का लंड चूस रही थी, तो दीपक भी मेरे पास ही आकर खड़े हो गए।

मैंने दूसरे हाथ में दीपक का लंड पकड़ लिया। एक हाथ 9 इंच का दूध जैसा गोरा अंग्रेज़ लंड, दूसरे हाथ में 6 इंच काला हिन्दुस्तानी लंड। बेशक दोनों पूरे कड़क थे मगर नई चीज़ का चाव कुछ ज़्यादा होता है तो मैं जोर्डी का लंड ज़्यादा चूस रही थी।

फिर मेरे पति ने जोर्डी से कहा- जोर्डी, मैं चाहता हूँ कि आज तुम मेरी पत्नी को इतना चोदो, इतना चोदो कि इसकी एक महीने तक चुदवाने की इच्छा न हो।
जोर्डी बोला- ओ के सर।
और जोर्डी ने मुझे अपनी गोद में उठाया, बेड पर लिटा दिया।

मैंने भी अपनी जांघें उसके लिए खोल दी।

जोर्डी ने नीचे बैठ कर पहले मेरी फुद्दी को चूमा, फिर चाटा। प्रोफेशनल आदमी प्रोफेशनल ही होता है। साले को बड़ा ढंग था, फुद्दी चाटने का। मुझे बहुत तड़पाया साले ने।

जब फुद्दी चटवाने से मेरी फुद्दी ने पानी छोड़ना शुरू किया तो मैंने दीपक को अपने पास बुलाया और मैंने दीपक का लंड अपने मुंह में ले लिया। सच में मज़ा आ गया। एक तरफ मैं फुद्दी चटवा रही थी और दूसरी तरफ मैं एक लंड भी चूस रही थी।

फिर जोर्डी उठा और उसने अपने लंड का टोपा मेरी फुद्दी पर रखा। मैंने जोर्डी की तरफ देखा और उसने मेरी आँखों में देखते देखते अपना टोपा मेरी फुद्दी में उतार दिया।
अब 6 इंच के लौड़े वाले फुद्दी में 9 इंच का लौड़ा घुसेगा तो, एक बार तो दिक्कत के साथ ही घुसेगा। मेरे मुंह से हल्की से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ निकल गई।
जोर्डी ने पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- मोटा है।
वो हंस दिया और बोला- लंबा भी है, अभी देखना।

और उसकी बात सही भी थी, जैसे जैसे वो अपना लंड मेरी फुद्दी में घुसाता गया, मेरी तो जैसे आँखें बाहर को आती गई। इतना मोटा और लंबा लंड। दो मिनट में ही मैं जान गई कि ये लंबी रेस का घोड़ा है, दीपक की तरह 5-7 मिनट में मेरे ऊपर से नहीं उतरेगा। बड़ा और बेहतर लंड लेकर मेरा तो आनंद सातवें आसमान पर था। मैं सिर्फ अपनी फैलाये, उसके नीचे लेटी ‘हाय हाय’ कर रही थी।
दीपक भी मेरे पास ही खड़े थे मगर अब मेरा उनकी तरफ कोई ध्यान न था, मैं सिर्फ अपने ही मज़े में मस्त थी। दीपक ने जोर्डी का मुंह अपनी तरफ घुमाया और अपना लंड उसके मुंह में दे दिया। जोर्डी मुझे चोद रहा था और मेरे पति का लंड चूस रहा था।

मैंने जोर्डी से पूछा- तुम ये भी कर लेते हो?
वो बोला- मैम, मैं हर तरह की सर्विस देता हूँ। अगर सर चाहें तो मेरी गांड भी मार सकते हैं, और अगर ये चाहें तो मैं इनकी गांड भी मार सकता हूँ।
मैं हंस दी और दीपक से पूछा- क्यों दीपक क्या विचार है, अगर कब्ज़ की शिकायत है तो डॉक्टर अपने पास है।

मेरी बात सुन कर हम तीनों ही हंस पड़े मगर दीपक ने इस बात से साफ इंकार कर दिया।

जोर्डी की शानदार चुदाई से मैं 10 मिनट में पहली बार झड़ी। मेरी फुद्दी से सफ़ेद पानी की धार कई बार फूटी। मगर अभी मेरा मन चुदाई से भर नहीं था।
मैंने जोर्डी की पीठ थपथपा कर कहा- शाबाश जोर्डी, बस ऐसे ही बार बार मेरा पानी निकालते रहो, जब तक तुम निकाल सकते हो।
जोर्डी बोला- मैं सारी रात तुम्हें बिना रुके चोद सकता हूँ।

दीपक ने पूछा- इतना स्टेमिना लाते कहाँ से हो जोर्डी?
जोर्डी बोला- मेरा एक डॉक्टर दोस्त है, वो मुझे कुछ स्पेशल दवाइयाँ देता है, जिस से मेरा लंड भी बड़ा हुआ और मुझे अभूतपूर्व चुदाई की शक्ति भी मिलती है।
दीपक ने झट से पूछा- अरे यार वाह, फिर तो मुझे भी बताओ उस डॉक्टर के बारे में?
जोर्डी बोला- नहीं वो सिर्फ प्रोफेशनल लोगों के ही ट्रीटमेंट करता है।
मैंने कहा- जोर्डी, रुको ज़रा … टाँगें उठाए उठाए दुखने लगी, मैं घोड़ी बनती हूँ, फिर पीछे से चोदना।

जोर्डी ने अपना लंड मेरी फुद्दी से बाहर निकाला, मैं बेड पर घोड़ी बन गई।
मेरी मस्त गोल गांड की शेप देख कर जोर्डी बोला- मैंम क्या आप अपनी गांड मरवाना पसंद करेंगी?
वैसे तो मैं पहले भी अपनी गांड 2-3 लोगों से मरवा चुकी थी, मगर इस मोटे मूसल लंड को अपनी गांड में लेने की हिम्मत मुझमें नहीं थी तो मैंने मना कर दिया- अरे नहीं जोर्डी, मैं तुम्हारा विशाल लंड अपनी गांड में लेकर इसका सत्यानाश नहीं करवाना चाहती। तुम बस मेरी फुद्दी में ये मेरे मुंह में ही मुझे मज़े देते रहो।

मेरे पति भी मेरे पास ही अपना लंड हाथ में पकड़े खड़े थे मगर न तो मैं उनका लंड चूस रही थी, न ही उनके लंड से खेल रही थी। कोई भी कारवाई न होने के कारण उनका लंड ढीला पड़ चुका था। वो सिर्फ मुझे उस अंग्रेज़ से चुदती हुई देखकर अपना लंड हिला रहे थे. मगर शायद उसमें भी उनको कोई मज़ा नहीं आ रहा था।

फिर वो हमारे पास ही बेड पर बैठ गए और अपने मोबाइल पर मेरी चुदाई के वीडियो बनाने लगे।

15 मिनट बाद मेरा दूसरी बार पानी गिरा। अब मैं पिछले आधे घंटे से चल रही अपनी चुदाई से थक भी चुकी थी तो मैंने जोर्डी को थोड़ा आराम करने को कहा जबकि आराम की ज़रूरत मुझे
महसूस हो रही थी।
वो अभी भी उसी तरह से खड़ा था।

मेरे पति ने एक एक ड्रिंक और बनाई। इस बार तो मैं भी पूरा पेग खींच गई। व्हिसकी ने भी एकदम से अपना असर दिखाया, नशे की घुमेर में मैं सिर्फ जोर्डी को ही देखे जा रही थी। बेशक वो सोफ़े पर बैठा पेग पी रहा था, मगर उसका लंड पूरा तना हुआ उसके पेट से लगा हुआ था।

मैंने जोर्डी से कहा- जोर्डी क्या तुम मेरे गिलास में अपना लंड घुमा सकते हो?
जोर्डी मेरी बात सुन कर मुस्कुराया और उठ कर मेरे पास आया, उसने मेरे गिलास में अपना लंड डाल कर घुमाया और फिर शराब से भीगा लंड मेरे मुंह में डाला।
सच में इस शराब का तो मज़ा और स्वाद ही अलग था।

फिर दीपक ने कहा- क्यों न प्रीति तुम्हारे जिस्म से टपकती शराब पी जाए?

मुझे टेबल पर खड़ी के करके एक गिलास शराब मेरे हाथ में दी गई। मैंने उस गिलास को धीरे धीरे अपने बदन पर गिराया, बर्फ वाली ठंडी शराब, मेरे स्तनों से टपकी तो दीपक और जोर्डी दोनों ने मेरे मम्मों से शराब चाटी और जैसे जैसे शराब बह कर मेरे जिस्म से नीचे को गई, वो मेरे मम्मों से नीचे मेरे पेट, मेरी फुद्दी और जांघों को चाटते हुये, मेरे पाँव तक चले गए.

दो मर्दों से चटवा कर मेरी फुद्दी फिर से गीली गीली होने लगी। यह तजुरबा बहुत ही कामुक था। मेरा फिर से लंड लेने को दिल करने लगा। जब पेग खत्म हो गया, तो दीपक और जोर्डी फिर से सोफ़े पर बैठ गए और उन्होने एक एक पेग और बनाया और पीने लगे।

मैं टेबल से नीचे उतरी और जाकर सीधे जोर्डी की गोद में बैठ गई, उसका लंड पकड़ा और अपनी फुद्दी पर रख कर नीचे को बैठ गई। मैं और जोर्डी एक दूसरे की आँखों में देख रहे थे और मैं अपनी फुद्दी से जोर्डी का पूरा लंड निगल गई।
जोर्डी बोला- बहुत प्यासी चूत है तुम्हारी?
मैंने कहा- हाँ, जब पकवान मनभावन हो तो पेट भरने के बाद भी नीयत नहीं भरती।

मैंने अपने दोनों हाथ जोर्डी के कंधे पर रखे और खुद ही धीरे धीरे ऊपर नीचे होकर अपनी चुदाई करवाने लगी। जोर्डी का मस्त लंड मेरे पेट तक जा पहुंचता।

दीपक बोला- क्यों मेरी जान, आज लगता है अपनी फुद्दी की सारी प्यास जोर्डी से ही बुझाओगी?
मुझे दीपक का इस मनमोहक आनंद की घड़ी में बोलना बिल्कुल भी पसंद नहीं आया तो मैंने खीज कर कहा- माँ चुदा भोंसड़ी के।

दीपक पीछे को हट गया तो जोर्डी ने उसी हालत में मुझे अपनी बाजुओं में उठा लिया और फिर जा कर बेड पर लेट गया। अब मेरे पास खुली जगह थी तो मैं जोर्डी के लंड के ऊपर खूब उछली। तब तक उछली जब तक मैं थक नहीं गई, मेरी सांस नहीं फूल गई।

जब मैं थक गई तो जोर्डी ने मुझे नीचे लेटा कर खुद ऊपर आ गया। मैंने अपनी टाँगें उसकी कमर के गिर्द लिपटा दी- मार डालो मुझे जोर्डी, इतना चोदो … इतना चोदो कि मेरी जन्मों की प्यास बुझ जाए।
अब जोर्डी इतना शानदार मर्द था, ये जो उसका डॉक्टर दोस्त उसे दवाइयाँ दे रहा था, उनका कमाल था। जोर्डी के कड़क लंड ने मेरी फुद्दी के अंदर तक जाकर मेरी सारी खुजली मिटा दी।

जब मैं तीसरी बार झड़ी तो उसके बाद जोर्डी भी झड़ गया। मगर झड़ने के बाद भी उसका लंड एकदम कड़क था, ये शायद उसकी दवाई का ही असर था।

मैं शांत होकर ठंडी हो कर लेट गई। फिर शायद मैं सो गई।

करीब 3 बजे सुबह मुझे लगा कि जैसे कोई मेरे साथ कुछ कर रहा है। मैंने आँखें खोल कर देखा तो जोर्डी मुझे चोद रहा था।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
वो बोला- तुम्हारे पति ने कहा है, एक बार मैं तुम्हें और चोदूँ।

मैंने दीपक की ओर देखा, वो शराब में धुत्त हो रहा था। मुझे क्या ऐतराज था, पिछली आधी रात भी तो मैं इसी आदमी सी चुदी थी। मगर इस बार जोर्डी ने मुझे काफी जोरदार तरीके से चोदा। पूरी रेल बना दी मेरी।

अब तो मेरी फुद्दी भी दुखने लगी थी, और झड़ने का नाम ही नहीं ले रही थी, ना ही पानी छोड़ रही थी, सूखी फुद्दी को जोर्डी के कड़क लंड ने छील कर रख दिया। अब मुझे महसूस हो रहा था कि इस सूखी चुदाई की वजह से मेरी फुद्दी की सारी खुजली शांत होगी। करीब पौना घंटा चुदने के बाद बड़ी मुश्किल से मेरा पानी गिरा, थोड़ा सा ही, सही पर मैं झड़ गई।

मगर इस चुदाई ने मुझे इतना थका दिया कि मैं बाथरूम जब मूत कर वापिस आई तो चल ही नहीं पा रही थी और नीचे फर्श पर ही गिर गई। वहीं लेट गई, और कब सो गई, पता ही नहीं चला। सुबह कब मुझे दीपक उठा कर घर वापिस लाये, मुझे नहीं पता।

बाद दोपहर तीन बजे मेरी आँख खुली, देखा अपने ही घर में थी। मैं उठ कर बाथरूम गई। साला पेशाब भी ऐसे आया, जैसे तेज़ाब हो, अंदार से ही जलाता आया। फुद्दी के दर्द की वजह से मुझे चलने में भी मुश्किल हो थी।

किचन में जाकर देखा, थोड़ी चाय बनाई, और साथ ब्रेड खाई, क्योंकि मुझे भूख बहुत लग रही थी।

दीपक अभी भी सो रहे थे। मैं चाय पी कर फिर से दीपक से लिपट कर लेट गई। मैंने दीपक को सोते हुये किस किया, वो नींद में बोला- क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं, बस तुम्हें थैंक्स कहना था।

प्रिय पाठको, मुझे आपके मेल और कमेंट्स की प्रतीक्षा रहेगी यह जानने के लिए कि आपको मेरी चुदाई गाथा कैसी लगी?
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