मेरी मासूमियत का अंत और जवानी का शुरुआत-4

(Meri Masoomiyat Ka Ant Aur Jawani Ki Shuruat- Part 4)

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उसने कहा- उफ़्फ़ … तेरी चूत बड़ी शैतान है, इतनी टाइट है कि लोडा आसानी से नहीं जाता।
मैंने कहा- कोई बात नहीं जानू … तुमसे 8-10 बार चुद के खुल जाएगी।
उसने कहा- ऐसे नहीं खुलेगी, उसके लिए रोज़ कम से कम एक बार या तो चुद लिया कर या फिर नकली लंड मंगा ले ऑनलाइन, उससे चुदा कर हॉस्टल में।
मैंने कहा- बाद की बाद में देखेंगे, अभी तुम ही चोदो।

उसने कहा- ठीक है, थोड़ा दर्द बर्दाश्त करना।
मैंने कहा- ऐसा करो, एकदम से डाल दो उस दिन की तरह, धीरे धीरे दर्द सहने से अच्छा है एक झटके में ही सारा दर्द दे दो।
उसने कहा- आज तेल नहीं लगाया है तो मुश्किल से जा रहा है। चलो कोशिश करता हूँ।

मैंने अपनी कमर के नीचे तकिया लगाया और टाँगें खोल के चूत चौड़ी कर ली लंड लेने के लिए।
हर्षिल मेरे ऊपर आया और मेरी बगल में हाथ रख के लंड लो चुत के छेद पे रखा और कहा- तैयार हो?
मैंने हाँ में सिर हिलाया।
फिर एकदम से एक झटके में हर्षिल ने अपनी पूरी ताकत से अपना गर्म लंड मेरी चूत में उतार दिया। मेरा मुंह दर्द से खुला रह गया और ज़ोर की आआ आआआह की सिसकारी निकली, मेरी आँखों में दर्द के कारण आँसू आ गए, मैंने होंठ दाँतों से दबा लिए थे।

हर्षिल को भी दर्द हुआ था, वो भी आआआह कर के ऊपर देख रहा था। फिर थोड़ा शांत होने के बाद उसने मेरी आँखों में देखा और कहा- सॉरी यार, पर तूने ही कहा था कि एकदम से घुसेड़ दो।
मैंने कहा- हम्म .. कोई नहीं, अभी ऐसे ही रहो, दर्द कम हो जाने दो थोड़ा सा।

फिर लगभग आधे मिनट बाद मैंने कहा- अब ठीक है, अब लगाओ धक्के।
उसने अपना लंड बिना पूरा बाहर निकाले ही धक्के मारना शुरू किया और इधर मुझे मजा आना शुरू हुआ। मैं और हर्षिल एक दूसरे की आँखों में देखे जा रहे थे और मैं ‘आआह आआआह …’ कर के सिसकारियाँ ले रही थी। हर्षिल भी हम्म हम्म कर रहा था। मेरे खुले बाल भी ज़ोर ज़ोर के हिल रहे थे और वो मेरे चेहरे के पास आ के उम्म उम्म साँसें ले रहा था।

उसके चेहरे पे मुस्कुराहट आ गयी थी हालांकि मैं हल्के दर्द के साथ चुद रही थी।
मैंने कहा- हंस क्यों रहे हो?
उसने कहा- यार, मैं कितना लकी हूँ कॉलेज में जो तुम्हें सच में चोद रहा हूँ।
मैंने कहा- तो लकी मैन, थोड़ी स्पीड बढ़ा दो। लगाओ धक्के ज़ोर से … और ज़ोर से!

और हर्षिल ने ‘ऊम्म ऊन्ह उन्ह ऊन्ह …’ कर के धक्के तेज़ कर दिये, पूरा बेड हिलने लगा और मैं सुख के आसमान में उड़ने लगी। मैं कामुक आवाजें निकाल रही थी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह अह अहह हर्षिल और ज़ोर से … येस येस और तेज़ और तेज़!
हर्षिल तेज़ी से चोदे जा रहा था; न वो झड़ने का नाम ले रहा था, न मैं।

फिर वो थकने लगा, उसकी और मेरी भी साँस फूल गयी थी। वो कुछ देर के लिए रुक गया पर उसका लौड़ा मेरी चूत के अंदर ही पड़ा रहा।
मैंने आह भरे स्वर में पूछा- आह हर्षिल, क्या हुआ?
तो हर्षिल चिढ़ के बोला- साली रांड, इंसान हूँ मशीन नहीं। सांस फूल गयी है, थोड़ा तो रहम कर।
मैंने बोला- ठीक है कर लो, लंड निकाल के साइड में लेट जाओ।

वो मेरे साइड में गिर गया और हम दोनों हाँफते हुए साँसें काबू में करने लगे।
लेटे लेटे ही उसने मेरी तरफ देखा और कहा- इतनी आग है तुझमें चुदने की … मैं सोच भी नहीं सकता था।
मैंने कहा- तुमने ही मेरी जवानी की चिंगारी को हवा दी है, अब आग तो भड़केगी ही!
और हंसने लगी।
वो भी हंसने लगा और ऊपर देखने लगा।

हम नंगे ही एक दूसरे के बगल में पड़े रहे लगभग 5 मिनट तक। मैं उसके लंड को प्यार से सहलाती रही और हम इधर उधर की बातें करते रहे।
मैंने कहा- चलो फिर शुरू करें!
वो मुस्कुराया और बोला- अब तुम मेरे लंड पे आ के बैठो और उछल कूद करो।

मैंने उसके लंड को अपने मुंह में लिया और थोड़ा सा चूसा ताकि वो चिकना हो जाए। फिर लंड के ऊपर बैठी और चुत में ले लिया। हर्षिल की तरफ मुंह करके उसकी छाती पे हाथ रख लिए और लंड पे ऊपर नीचे होने लगी। हर्षिल का लंड काफी लंबा था और काफी अंदर तक जाता था। मुझे तब अहसास हुआ कि कितनी मेहनत लगती है धक्के मारने में। मैं लंड पे कूद रही थी और हर्षिल की आँखों में देख रही थी, मैं ज़ोर ज़ोर से आह आह आहह आहह चिल्ला रही थी और हर्षिल मुझे बड़ी हवस भरी नजरों से देखे जा रहा था।
हम दोनों एक दूसरे को देख के शैतानी हंसी हंस रहे थे।

लगभग ऐसे ही 5-6 मिनट चुदने के बाद मैं हर्षिल की छाती पे लेट गयी अपने बूब्स सटा के। कुछ देर मैं चुत में लंड लिए शांति से उसकी बांहों में पड़ी रही। फिर हर्षिल ने मुझे उसकी हालत में अपनी बांहों में भर के लंड अंदर बाहर करना शुरू किया और मैं फिर उसपे पड़े पड़े चुदती रही, चुदाई का सुख लेती रही, मेरे बाल बिखर गए थे और वो उनमें हाथ हाथ फिरा के प्यार से देख रहा था।

तकरीबन 7-8 मिनट ऐसे ही चोदने के बाद उसने मुझे कहा- अब उल्टी लेट जा!
मैं उल्टी हो के लेट गयी और हर्षिल ने मेरी चुत को ऊपर करने के लिए मेरी कमर में हाथ देकर ऊपर उठाया और पेट उसके नीचे एक तकिया रख दिया। अब मेरी चुत उसके सामने थी और मैं शीशे में खुद को और उसे देख पा रही थी।

वो मेरे पीछे आया तो अपने लंड को मेरी चुत और गांड के छेद पे रगड़ने लगा.
मैंने कहा- ओये … थप्पड़ मारूँगी अगर उसमें डाला तो!
वो हंसने लगा, बोला- अभी नहीं डाल रहा, डर मत!
और उसने अपने हाथ से लंड पकड़ के मेरी चुत के छेद पे रखा और आगे हाथ रख के झुक गया।

अब उसने लंड को मेरी चूत में धकेलना शुरू किया। मेरे मुंह से बस लंबी सी आआआऊऊऊ निकली और लंड चूत में चला गया। उसने फिर लंड ज़ोर ज़ोर के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और मैं आगे पीछे हिलने लगी उसके बेड के सॉफ्ट गद्दे में। मुझे बहुत मजा आ रहा था इस पोजीशन में, मैं शीशे में उसको देख रही थी और खुद को धक्के खाते हुए।

मैंने चुदते हुए उससे पूछा- इस बेड पे कितनी लड़कियों को चोदा है?
वो मुस्कुराने लगा और कहा- तुम्हें मिला के 14 लड़कियां।
मैंने कहा- हम्म … तभी इतनी देर तक चोदते हो।
उसने कहा- हाँ!
और अपनी स्पीड बढ़ा दी।

मेरी चुत गीली हो रही थी इसलिए फ़च फ़च फ़च की आवाज आ रही थी। मैं आह आहह आह कर रही थी, साँसें तेज़ होने लगी थी और मैं झड़ने वाली थी। मैंने कहा- बस लगे रहो … अब मैं झड़ने वाली हूँ.
उसने कहा- मैं भी!
और धकाधक धक्के मारता रहा.

हम दोनों हाँफ रहे थे और मैं सेक्स के चरम सुख पे पहुँचने वाली थी, मेरी सिसकारियाँ तेज़ हो गयी थी और फिर मेरा बदन अकड़ने लगा, हर्षिल को महसूस हो गया; और फिर उसने रुक रुक के तेज़ झटके मारने शुरू कर दिये और पूरा लंड हर झटके में निकालता और डालता, मेरे आनंद की सीमा नहीं रह गयी थी। पूरा कमरे में मेरी आह आह और उसकी जांघें मेरे चूतड़ों से टकराने के कारण पट पट पट की आवाज आ रही थी।

आखिरकार एक लंबी ‘आआहह …’ के साथ मेरी चूत से पानी फच्च कर के छूट गया, उसके एक दो झटके बाद ही हर्षिल का वीर्य भी झड़ गया, उसने अपना लंड बाहर नहीं निकाला और सारा वीर्य मेरी चूत के अंदर ही गिरा दिया और वो मेरी कमर पे आ गिरा एक ज़ोर की आह के साथ।
हम दोनों के चेहरे पे एक दूसरे को संतुष्ट करने की खुशी थी.

हम लोग तकरीबन 20 मिनट तक ऐसे है पड़े रहे, फिर मैं बोली- उठो यार!
वो उठा तब तक उसका थोड़ा सा वीर्य सूख चुका था और हमारे शरीर के बीच चिपक गया था।

चुदाई पूरी होने के बाद मैंने अपनी चुत का जायजा लिया, तो फिर से वो काफी खुल चुकी थी।
हर्षिल ने कहा- देखा, रोज़ एक बार चुदवा लिया कर! तभी तेरी चुत खुली रहेगी. वरना इतने दिनों बाद चोदने में तेरे को भी दर्द होता है और मुझे भी लंड डालने में दिक्कत आती है।
मैंने कहा- ठीक है यार … चुदवा लिया करूंगी।
फिर मैं उठ के बाथरूम में चली गयी और अपना शरीर पानी से साफ किया।
मैं बाहर आ गयी फिर हर्षिल बाथरूम चला गया अपने आपको साफ करने! मैंने कपड़े नहीं पहने और नंगी ही हाल में आ के बैठ गयी।

हर्षिल आया और बोला- क्या बात है? मेरे घर में नंगी ही घूमती रहती हो।
मैंने हंस के कहा- थोड़ी देर में फिर उतारने पड़ेंगे. इससे अच्छा तो अभी पहनूँ ही न।
वो मुस्कुराया और मेरे पास आ कर बैठ गया।

कहानी जारी रहेगी.
मेरे प्यारे दोस्तो, मेरी सेक्स कहानी आपको मजा तो दे रही है ना? कृपया मुझे कमेंट्स में बतायें।
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