मेरी कामवासना तेरा बदन

(Meri Kamvasna Tera Badan)

प्रिय नीलू, आज मैं तुम्हें ये लैटर लिख रहा हूँ. एक दोस्त, एक ठोकू और तुम्हारा प्रियतम, इस हैसियत से मैं ये लेटर लिख रहा हूँ.

जानू … आज तुम मेरे साथ नहीं हो, किन्तु तुम्हारी हर याद मैंने, मेरे दिल में एवं मेरे मोबाईल फोन के कैमरे में संजोकर रखी है.
तुम्हारे साथ बिताया एक एक पल जब मुझे याद आता है, तो मेरे तन बदन में आग लग जाती है. शायद ये खत तुम्हारे पास तक पहुंचे … ना पहुंचे, लेकिन मैंने तुम्हारे प्यारी सी चुत का जो रसपान किया है, वो जिंदगी भर नहीं भूलूंगा.

जानू … मुझे याद है, जिस दिन पहले मैं तुमसे तुम्हारे हॉस्पिटल में मिला था … तुम उसी दिन मुझे भा गयी थीं. अपनी दोस्ती इस मुकाम पर पहुंचेगी, ये मुझे भी अंदाजा नहीं था. लेकिन मेरी बात तुमसे हुई और मेरे जेहन में एक बात आयी कि अगर दोस्ती करनी है, तो बस तुमसे ही. मेरी जिंदगी भले ही दांव पर लग जाए, मैं ख़त्म हो जाऊं … लेकिन तुम्हें हासिल करके रहूंगा. मेरा ये जूनून था. मेरी शादीशुदा जिन्दगी में तुम तूफ़ान बनकर आईं. क्या मस्त लड़की थी तुम? जैसे ओस की पहली बूंद, जो सवेरे सवेरे घास के पत्तों पर हल्के से गिरती है. तुम्हारे साथ बिताया हुआ पहला प्रसंग मुझे अभी तक याद है.

तुम तुम्हारे घर में अकेली थीं. सब्जी की टोकरी हाथ में थी. तुम्हारा रूप देखकर मुझे रहा नहीं गया. मैंने हल्के से तुम्हारे गालों को प्यार से छूकर अपने होंठों से चुम्बन लिया. तुमने रूमानी क्रोध से मुझे देखकर मुझ पर ग़ुस्सा किया, लेकिन तुम्हारी आंखें कुछ और ही कह रही थीं, जैसे आओ ना … मुझे अपनी बांहों में लेकर मुझे मसल दो … मेरी सारी गर्मी निकाल दो. मुझे क्रश करो … मेरे अंग अंग को चूमो, फिर चूसो, मैं सिर्फ तुम्हारे लिए ही बनी हूँ.

लेकिन मैं थोड़ा ठहरा सा हुआ था, क्योंकि मेरी जिन्दगी में पहले ही एक ने प्रवेश किया था, उससे बेवफाई करनी चाहिए कि नहीं, मैं इस दुविधा में था. तुम्हारे साथ यौवन का खेल खेलना तो मेरे बाँए हाथ का खेल था … किन्तु क्या ये उचित होगा, इस बात से मैं अनभिज्ञ था.

वैसे भी मेरी शादीशुदा जिंदगी एक नर्क बनी हुई थी. दो साल से मैंने नारी शरीर को छुआ तक नहीं था.

किसी प्यासे को पानी मिले,
भूखे को भोजन,
मन की भूख का तो कुछ नहीं,
पर तन की भूख करे सृजन.

इसी तरह मेरी हालत हो गयी थी. इस लिए तुम मेरे घर मुझसे जब पहली बार मिलने आयी, तो मैंने कहा भी था कि नीलू मेरे विचार तुम्हारे बारे में बदल रहे हैं, तुम मुझसे मिलना बंद कर दो, नहीं तो मेरे अन्दर का जानवर, जो कई दिनों से भूखा है, जाग जाएगा, फिर जो तूफ़ान मेरे और तुम्हारे जिन्दगी में आएगा, वो ना तुमसे संभलेगा … न मुझसे.

तुमने मुझे देखा, फिर तुम हंस पड़ीं … तुम्हें मेरी बात मजाक लगी, किन्तु मैं और सिर्फ मैं जानता था कि मैं किस दुविधा में फंसा हूँ. एक तरफ तुम थीं जो ओस की पहली बूंद बनकर मेरी प्यास बुझाने आयी थीं, दूसरे तरफ ये समाज था … घरवाले थे, जो इस रिश्ते को कभी मान्य नहीं करते.

मैंने तुम्हारी इच्छा को पूर्ण किया … लेकिन उसके लिए मुझे मेरी सामाजिक प्रतिष्ठा को दांव पर लगाना पड़ा.

खैर … मैंने इस अग्नि परीक्षा को स्वीकार किया. फिर तुम्हें इस बात से अवगत भी कराया कि जो भी हो जाए, मेरी शादीशुदा जिन्दगी पर इसका कोई फर्क नहीं पड़ना चाहिए. तुमने मेरी ये बात मान ली.

फिर शुरू हुआ एक रोमांटिक सफ़र, जो पांच साल तक चला. इसी बीच मैंने तुम्हें हर तरह से चोदने में कोई कसर बाकी नहीं रखी. क्या चुत, क्या गांड, क्या मुँह, सब छेदों में मेरे लंड ने लैंड किया. मुझे याद है, जब पहली बार तुम मेरे बेडरूम में आयी थीं, थोड़ी शर्मायी सी, घबराई सी थीं. तुम मेरी बांहों में सकुचाई सी आयी थीं और तुमने मेरे होंठों का गहरा चुम्बन लिया था. तुम्हारा वो आवेग आज भी मुझे याद है.

मैंने कहा था कि जानू, आज तुम कली से फूल बनने का सफर शुरू कर रही हो. इस बात के लिए मैं तुम्हें एक तोहफा देना चाहता हूँ. मैंने तुम्हारे गले में एक अमेरिकन डायमंड का हार, जो थोड़ा महंगा था, मैंने तुम्हारे दोनों बूब्स को दबाते हुए डाला था. तुमने सिसक कर मेरे हाथों पर चपत मारकर मुझे अपने बूब्स से हाथ हटाने को कहा था. मैंने हाथ हटाने को इंकार किया, तो तुम मुँह फुलाकर बैठ गयी थीं. मुझे भी गुस्सा आ गया था, मैंने वैसे ही हाथ हटाया, तो तुम मुझसे लिपट गईं.

फिर तुमने कहा कि जान तुम्हारे लिए ही तो आयी हूँ, मेरा पहली बार है, जरा धीरे धीरे करो ना?

तुम्हारी इस मासूम अदा पर मैं फ़िदा हो गया. फिर मैंने तुम्हारे मम्मों की घुंडियों को दोनों उंगलियों से दबाते हुए तुम्हारी सलवार के ऊपर से ही तुम्हारी चुत की पखुड़ियों पर उंगली फिराना शुरू किया. तुम सिसक कर अपनी जांघों को दबाने लगी.

तभी मैंने मेरे पजामे का नाड़ा खोल दिया. मेरे अंडरपैंट में मेरा लंड जैसे लोहे का सरिया बनकर खड़ा था. मेरे उस हथियार को देखकर तुम अचंभित हो गईं. तुमने कहा था हाय राम, तुम्हारा तो बहुत बड़ा है, ये तो मेरी छोटी सी मुनिया को फाड़ देगा?
मैंने कहा था कि पहली बार तुम्हें दर्द होगा तो जरूर … लेकिन उसके बाद शायद तुम स्वर्ग की सैर करोगी.

तुमने दर्द भरी मुस्कान मुझे दी. मैंने फिर धीरे धीरे तुम्हें नंगी करना शुरू कर दिया. पहले तुम्हारी कमीज को उतारा, फिर तुम्हारी सलवार का नाड़ा खोला. कमीज के नीचे तुमने सफ़ेद रंग की ब्रा पहनी थी, मुझे वो एकदम भा गयी. तुम्हारी लाल पैंटी, जैसे मैंने सरकाई तो तुमने लज्जावश अपनी चुत को अपने दोनों अंजुलियों से ढक लिया था. मैं तुम्हारी उस गुलाबी चुत को पीना चाहता था … लेकिन तुम अपना हाथ वहां से हटाने को तैयार ही नहीं थीं.

फिर मैंने जादू करना शुरू किया. तुम्हारे पीछे आकर मैंने तुम्हारे कान की लौ पर धीरे से सांस छोड़ी. तुम्हारे कान के पीछे एक हल्का सा चुम्बन लिया. फिर तुम्हारे दोनों मम्मों को हल्का हल्का दबाते हुए मैंने तुम्हारे क्लीवेज पर चूमना शुरू किया. तुम सिसकारने लगी थीं. तुम्हारी आवाज निकल रही थी- इस्स … आह … उम्म हाय रे, मुझे कैसा कैसा सा हो रहा है जानू.

मैंने तुम्हारी नाभि को जैसे चूमना शुरू किया, वैसे ही तुम अपनी क़मर उठाने लगीं. मुझे पता चल गया कि तुम गर्म हो रही हो. फिर मैंने तुम्हें उलटा लिटा दिया. तुम्हारे दोनों नितम्बों की फांक में होंठों से चूमने लगा. इससे तुम और उत्तेजित होते गईं. तभी मेरे मुँह से पहली गाली निकली- मादरचोद, नखरे करती है.
तुम एकदम अलर्ट हो गईं और तुमने कहा- गाली तो मत दो यार!

लेकिन तुम्हारी बातों से मुझे कोई फर्क पड़ने वाला नहीं था. मैंने कहा- देख साली रंडी … चुदना है तो गाली तो सुननी ही पड़ेगी … अगर मैं तुझे गाली भी देता हूँ तो यहाँ कौन है सुनने वाला, मैं और तुम दोनों भी नंगे होकर क्या कर रहे हैं? तू चुद ही रही है ना मुझसे?
तुमने कहा- अच्छा तो फिर ठीक है, मैं भी गालियां दूंगी, चलेगा?
मैं- नेकी और पूछ पूछ … फिर तो चोदने का मजा दुगना हो जाएगा मेरी रंडी.
तुम- फिर चोद मेरे ठोकू … फाड़ डाल मेरी चुत को साले.

तुम्हारे मुँह से यह सुनकर मेरे लंड में दुगनी ताकत आ गयी.
अब मेरे लंड की ठोकर तुम्हारी चुत की पुत्तियों पर पड़ने लगी. तुम सिसियाने लगी थीं- हाय मेरी चुत, अंगार लग गई है मेरी चूत में … आह चोदो ना जान … मेरी चुत की धज्जियां उड़ा दो ना जान.
मैं- साली चुदैल रंडी … अपनी चूत में लंड ले ले साली. अब देख मेरा साढ़े छह इंच का लंड अपनी चुत के अन्दर लेने का मजा ले.
मैंने तुम्हारी चूत में लंड घुसा दिया. तुम चिल्लाने को हुईं तो मैंने मेरे होंठों से तुम्हारा मुँह बंद कर दिया.

“आह इस्स … बापरे क्या धक्का मारते हो साले?”
पहली बार मेरा लंड तुम्हारी चूत में घुसा था, तो दर्द होना ही था. लेकिन मुझे मालूम था कि थोड़ी देर में तुम गांड उचकाने लगोगी. क्योंकि तुम्हारी चूत में पानी भरने लगा था. साली तू थी बड़ी गर्म … तेरी चूत में मेरे लंड को ऐसे लगा जैसे जलता हुआ अंगारा छू लिया हो. पहले चार पांच झटकों तक तुमने कसमसाना शुरू रखा. लेकिन उसके बाद मेरी आशा के अनुरूप तुमने अपनी गांड उचकाना शुरू कर दिया था.

तुम चिल्लाने लगी थीं- चोद साले चोद … मेरी माँ चोद दे … मेरी फुद्दी को भोसड़ा बना दे … आज से तेरे लिए कुछ भी करूँगी … तू कहेगा तो बाजार में भी नंगो होकर चुद जाऊँगी.

फिर मैंने मेरा पहला पानी तुम्हारी चूत में गिराया. तुमको अपने पेट पर सुलाकर मैंने तुम्हारे नितंबों के दोनों फलकों को दबाना शुरू किया.

मैं क्या करने वाला था, इससे तुम पूरी तरह अनजान थीं. लेकिन मेरी मंशा थी कि आज के दिन मैं तुमको पूर्ण रूप से सेक्स से अवगत करा दूँ. तुम्हारे पुट्ठों पर थप्पड़ मारकर तुम्हें थोड़ा ऊपर घोड़ी के माफिक किया. फिर तुम्हारी गांड के छेद में वैसलीन चुपड़ा. अपनी एक उंगली तुम्हारी गांड के छेद में डालकर मैंने तुम्हारी गांड को मथना शुरू किया. पहले पहल दर्द से तुम चिल्लाईं, लेकिन फिर तुम गांड उचका कर मेरी उंगली अन्दर लेने लगीं ‘इस्स उह … आह जल रही है मेरी गांड … चोद ले गांडू …’

मैंने अपने हाथों की दो उंगलियां तुम्हारी गांड में डालीं, तो तुम दर्द से कसमसा दीं- इस्स … आह हाय क्या करते हो?
“कुछ नहीं जानू … तुम्हारी गांड के छेद को बड़ा कर रहा हूँ.”
“हाय आह दर्द होता है … अब लंड से चोद डाल मेरे को. मेरी चुत को छील दे.”

तुम्हारे यह कहने पर मैंने मेरे लंड पर क्रीम लगाई, फिर तुम्हारी गांड के छेद में अपने लंड का टोपा फिक्स किया और एक जोर का झटका दे मारा.
तुम जोर से चिल्लाईं- उई मरी रे … मेरी माँ … साले … गांडू … मादरचोद धीरे धीरे कर ना.

तुम्हारे इस तरह कहने पर मैंने फिर एक जोर का झटका दे दिया. मेरा आधा लंड तुम्हारी गांड को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया. मैंने कोई कोताही नहीं की. तुम्हारी चूत में उंगली करते हुए तुम्हारी गांड फाड़ चुदाई करने लगा.
थोड़ी देर बाद जैसे बेडरूम में तूफ़ान आ गया. तुम चिल्लाते हुए मेरे लंड को अपने गांड में लेने लगीं- आह … इस्स … मर गयी रे … मेरी माँ, गांड में लंड दुखता है … आह … बापरे … धीरे धीरे डाल ना साले हरामी … तेरी माँ की चुत!

बस मुझे यही चाहिए था, तुम पूर्ण रूप से समर्पित हो जाओ … यही मेरी इच्छा थी. ये तुम्हारा मेरे साथ पहला एक्सपीरियंस था. चोदना चुदाने के बाद नंगी तुम मेरी छाती पर सर रखकर मेरे दोनों स्तनों की घुंडियों को दबाकर मुझे उत्तेजित कर रही थीं.

डेढ़ घंटा तुमको मैंने मेरे नीचे रखा, फिर मैंने तुमसे पूछा था कि जानू और चाहिए?
इस पर तुमने कहा था- हां …

फिर जो संग्राम हुआ, उसको मैं ता-उम्र भूल नहीं सकता. तुम तैयार हो चुकी थीं. दर्द काफूर हो गया था. तुम फिर चुदने को तैयार थीं. अपने पाँव दूर फैलाकर तुमने मुझे अपने जाँघ पर खींचा. मेरा मुरझाया लंड तुम्हारी चुत पर लटक रहा था.

मैंने तुमसे कहा था कि जान मेरे लंड को चूसो ना …
तो तुमने कहा था कि हां जानू अभी लो …

लंड चुसाई से मेरे लंड में उत्तेजना भरने लगी … और तुम्हारी चुदास बढ़ने लगी थी. मैं तुम्हारे ऊपर आ गया था. फिर मेरे लंड को तुम्हारे मुँह में भरकर मैंने तुम्हारी गीली चुत चाटना शुरू किया था. उसमें से मेरे लंड रस की सुगंध आ रही थी. तुम बहुत गर्म हो चुकी थीं.
तुम कहने लगी थीं- चोद ना लवड़े, मेरी चुत में लंड डाल साले …

तुम्हारे इस वाक्य पर मेरी रिएक्शन तुम्हारी तूफ़ान चुदाई करने की थी, तो मैंने तुम्हारी चुत की पुत्तियां फैलाईं और अपने लंड का टोपा तुम्हारी चुत के मुँह पर रख दिया. तुम कसमसा के सीत्कार कर उठीं.
मैंने कहा- मादरचोद … क्यों चिल्ला रही है?

बस मेरा इतना ही कहना था कि तुमने अपनी गांड ऊपर की और मेरे लंड को पूरा अन्दर कर लिया.
तुम्हारी ये हरकत मुझे बहुत पसंद आयी. क्या बात थी तुममें कि मेरी सारी दैहिक भूख जैसे तुम्हारे अस्तित्व के आगे शून्य हो गई थी. काश, तुम मेरी बीबी होती, तो मैं रोज रात को तुम्हें मेरे साथ नंगी सुलाता.

तुम्हारा वो चूमना, मेरे हथियार को चूसना, मुझे आंदोलित कर मेरी वासना को और बढ़ाना, क्या चीज थी यार तुम!

तुम मेरा सपना थीं, मेरी वास्तविकता थीं. अचानक तुम ऐसे निकल गईं कि

जैसे अभी आई थीं.
एक कली फूल बनकर खिल गयी.
मैंने तो रस पिया कली की चुत का,
वो मेरा चैन लेकर चली गयी.
आ जाओ ना नीलू

तुम्हारी कसम तुमसे बिछड़कर मैं दुनिया में अकेला हो गया हूँ जानू!
अभिजीत देवले
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