खड़े लण्ड की अजीब दास्ताँ-1

(Khadey lund ki ajeeb dastan- Part 1)

This story is part of a series:

आदाब दोस्तो! मैं आमिर एक बार फिर से आपके लिए अपनी गर्म कहानी लेकर आया हूं.
इस कहानी को शुरू करने से पहले मैं आपको अपनी पिछली कहानी के बारे में संक्षिप्त जानकारी देना चाहूंगा ताकि आप इस कहानी को पिछली कहानियों के साथ जोड़ने में सहूलियत महसूस कर सकें.
आपने मेरी कहानी
आपा के हलाला से पहले खाला को चोदा
में पढ़ा कि कैसे मैंने सारा आपा के हलाला से पहले नूरी खाला को चोदा और फिर मेरा निकाह सारा आपा से हुआ.

उसके बाद
आपा का हलाला
में आपने पढ़ा कि मेरा किन हालात में मेरी खाला की बेटी सारा आपा के साथ निकाह, बाद में तलाक देने के हिसाब से हुआ जिसे हलाला कहते हैं और मैंने उन्हें निकाह के बाद तलाक देने के लिए शर्त रखी और तलाक नहीं दिया. सारा को चोदने के बाद कैसे मैंने अपनी दूसरी बीवी ज़रीना को चोदा.

वलीमे की रात मैंने दोनों की गांड मारी और गांड चुदाई के बाद दोनों बीवियों की हालत ऐसी बिगड़ी कि सुबह उनको डॉक्टर के यहाँ दिखाना पड़ा और डॉक्टर ने 3 दिन चुदाई बंद का हुक्म सुना दिया.

उसके बाद मैंने अपनी बीवियों और सालियों को गुलाबो के साथ अपनी पहली चुदाई की कहानी सुनाई और रात को दिलिया के साथ सुहागरात मनाई. वहां हुई झूले पर घमासान चुदाई के बाद मेरे लंड का बुरा हाल हो गया. उस पर नील पड़ गए और सूजा हुआ लंड बस खड़ा रहा. डॉक्टर को दिखाया तो उसने आगे गहन जांच की बात की.

आज जो कहानी मैं पेश कर रहा हूँ ये कहानी उसी श्रृंखला का हिस्सा है. कहानी को अब नए शीर्षक के साथ आगे बढ़ा रहा हूँ.

सुबह उठ कर मैंने दोनों दिलिया, सारा और गुलाबो को अपनी कसम दी कि वह मेरे लंड के सूजने और न बैठने की बात खास कर परिवार में किसी को नहीं बताएंगी क्योंकि खानदान के लोग बेकार में फ़िक्र करेंगे. मैंने उनको कह दिया कि पहले जांच करवा कर देख लेते हैं फिर आगे सोचेंगे. अगर जरूरत समझूंगा तो खानदान में मैं खुद बता दूंगा.

अगले दिन पूरा परिवार वापस आ गया और सब बीवियां व सालियां मिल कर मेरे पास बैठ गयीं. मैंने उन सबको दिलिया की घमासान चुदाई की कहानी सुनाई. कहानी सुनाते हुए मैं डॉक्टर के पास जाने की और सूजे हुए लंड की बात गोल कर गया.

कुछ दिन आराम करने से लंड में दर्द तो कम हो गया था लेकिन लंड बैठ नहीं रहा था.
लेडी डॉक्टर, जो मेरी स्कूल की क्लासमेट थी, से बात की तो वो बोली- चूंकि लंड की नसें खड़े रहते समय दबी लगती हैं इसलिए ये बैठ नहीं रहा है बाकी तो पूरी गहन जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है.
इस दौरान मैं अपनी तीनों बीवियों को एक रात में एक करके चोदता रहा. चुदाई जारी रही. मेरा लंड झड़ता भी रहा लेकिन झड़ने के बाद बैठा नहीं.

कुछ दिन बाद सालियों को कहानी सुनाने के बाद मैंने दिल्ली में कुछ जरूरी काम का बहाना बना कर दिल्ली का प्रोग्राम बना लिया और सारा भी मेरे साथ हो ली.
अम्मी ने बोला- दिल्ली में अपना घर है. वहीं चले जाना. गुलाबो को साथ ले जाओ. तुम्हारे रहने व खाने-पीने के लिए आराम रहेगा.

अम्मी के कहने पर गुलाबो की भी टिकट हो गयी. मैंने अपनी, सारा और डॉक्टर जूली की फ्लाइट की टिकट बुक कर दी. फ्लाइट में जूली मेरे एक तरफ बैठी थी और सारा दूसरी तरफ. जूली और मैं दोनों अपने स्कूल के ज़माने की बातें करते रहे.
हमने अपने सभी पुराने दोस्तों को याद किया. सारा मेरा हाथ पकड़े रही और बीच-बीच में मेरे लण्ड को सहला देती थी. एक बार जब सारा मेरे लण्ड को सहला रही थी तो डॉक्टर जूली से उसकी नज़रें मिलीं और दोनों मुस्कुरा दीं.

एयरपोर्ट से जूली हमें दिल्ली के सबसे बड़े मशहूर हॉस्पिटल ले गयी. उसने अपनी जान-पहचान से मेरे टेस्ट जल्दी से करवा दिए. टेस्ट करने वाली नर्स भी मेरे लण्ड को यूँ खड़ा देख कर हैरान थी. वो सब आपस में फुसफुसा कर मेरी ही बात कर रही थी.

टेस्ट करने वाली लड़की ने अपने गोरे-गोरे नर्म हाथों को मेरे लण्ड पर कई बार फेर कर देखा तो उसके स्पर्श से मेरा लण्ड और तन गया.
फिर उसने मुझसे पूछा- क्या आप हॉस्पिटल में एडमिट हैं?
मैंने कहा- नहीं.

मुझे ऐसा लगा कि शायद वह मुझसे मिलना चाहती थी. यह सब डॉक्टर जूली की निगरानी में हो रहा था इसलिए वह भी नर्स की हरकतें देख कर मुस्कुरा रही थी. टेस्ट की रिपोर्ट के लिए हमें हस्पताल में अगले दिन का टाइम मिला.
मैंने सबसे कहा- चलो अपना घर है. वहीं रुकते हैं.
जूली बोली- हमारा भी दिल्ली में एक घर है. मैं वहीं रुकूंगी. घर दिल्ली के सबसे बड़े और मशहूर हॉस्पिटल के पास ही है इसलिए आसानी रहेगी.

लिहाज़ा जूली अपने घर चली गयी. घर में सिर्फ हम 3 थे और कोई नहीं था. घर काफी बड़ा और आलिशान था. घर का सब काम-काज गुलाबो ने संभाल लिया.
गुलाबो और सारा जरूरी सामान लेने बाजार चली गयी. मैं थका हुआ था तो सोचा कि नहा कर फ्रेश हो जाता हूँ.

मैं सारे कपड़े निकाल कर नहाने जा ही रहा था कि घर के बाहर वाले दरवाजे की बेल बजी. मैंने तौलिया लपेट कर दरवाजा खोला तो देखा गेट पर गोरी-चिट्टी जूली एक लाल रंग की साड़ी और ब्लाउज में खड़ी हुई थी. उसके होंठों पर साड़ी के रंग वाली ही गहरी लाल लिपस्टिक रंगी हुई थी. उसने बालों में लाल गुलाब लगाया हुआ था.
उसको देख कर ऐसा लग रहा था कि आसमान से कोई परी ज़मीन पर आकर उतरी हो.

उसको लाल रंग की साड़ी में देख कर मेरा लंड एकदम कड़ा हो गया और तौलिया बुरी तरह से तन गया. मैं जूली को देखता ही रह गया.
मेरे मुँह से बेसाख्ता निकला- वो आये घर में हमारे, खुदा की कुदरत है. कभी हम उनको तो कभी अपने घर को देखते हैं!
जूली शरमाते हुए बोली- अंदर आने के लिए नहीं बोलोगे?
मैंने कहा- सॉरी … अंदर आ जाओ! आज तक तुम इतनी सुन्दर नहीं लगी. मैं तो तुम्हें देखता ही रह गया.

वह जैसे ही अंदर आने लगी उसके सैंडल की हील्स मुड़ गयी और खुद को संभालने के चक्कर में उसका पल्लू गिर गया. वह गिरने लगी तो मैंने उसे पकड़ा और उसने भी संभलने के लिए मुझे पकड़ा. इस पकड़ा-पकड़ी में मेरा तौलिया खुल कर नीचे गिर गया और मेरा हाथ उसके बदन पर कुछ ऐसे पड़ा कि उसके ब्लाउज की डोरियां खुल गयीं.

जो हुआ उसकी उम्मीद नहीं थी. जैसे ही डोरियां खुलीं, ब्लाउज नीचे गिर गया! उसने ब्रा नहीं पहन रखी थी और उसके गोरे-गोरे, सुडौल, बड़े-बड़े मम्मे मेरे सामने थे. मैं भी उसके सामने नंगा था. मैं नीचे था और वह मेरे ऊपर! उसके मम्मे मेरी छाती से लगे हुए थे. मैंने उसे उठाना चाहा तो वह शर्मा कर मुझसे लिपट गयी. उसे उठाने के लिये मैंने उसकी साड़ी को पकड़ा तो वह भी खुल गयी और वह सिर्फ पेटीकोट में ही रह गयी.

अल्लाह! क्या उजला शरीर था जूली का … उम्म्ह … अह्ह … हाय … याह …! मैं टकटकी लगा कर उसके रोशन बदन को देखता ही रह गया! क्या चूचियाँ थीं! चूचियों पर पर काले रंग की छोटी सी निप्पल थीं।
मैंने उसे प्यार से उठाया और साड़ी उठा कर ओढ़ा दी. उसने भी मुझे और मेरे खड़े लंड को देखा और शरमा कर मुझसे दोबारा लिपट गयी. मुझसे रहा नहीं गया और मैंने उसे किस कर दिया.

मेरी इस हरकत के बाद वह थोड़ा दूर हुई और बोली- आमिर, मैं तुम्हें बहुत चाहती हूँ. आज हिम्मत करके तुम्हें अपने दिल की बात कहने आयी हूँ.
वो बोल रही थी और मैं उसे निहार रहा था. मैंने उसके हाथ को पकड़ कर अपनी ओर खींचा और उसके होंठों पर अपने होंठ लगा कर किस करने लगा. एक लम्बी और गहरी किस करने के बाद बोला- तुम बहुत सुन्दर हो और प्यारी भी हो.
मैंने जूली को अपनी गोद में उठा लिया और किस करने लगा.
जूली बोली- प्लीज रुको.

उसके रोकने पर मैंने उसे अंदर सोफे पर बिठा दिया.
मैंने कहा जूली- तुम बहुत सुन्दर हो. अब जब मैंने तुम्हे आधी नंगी देख ही लिया है तो अब तुम शर्म छोड़ कर मुझे प्यार करने दो.
जूली बोली- मैं मन ही मन तुम्हें अपना मान चुकी हूँ. मैंने सिर्फ मर्द के तौर पर तुम्हें ही नंगा देखा है और तुमने मुझे नंगी देखा है.

इतना कह कर वह मुझसे लिपट गयी और मैं उसके होंठों को चूसने लगा. वह भी मेरा साथ देने लेगी. मैं तो पूरा गर्म हो चुका था और उसके होंठों का रस पीने में मग्न हो चुका था. मगर उसको अचानक से पता नहीं क्या हुआ कि वो एकदम से हटी और एक कोने में सिमट कर एक तरफ दुबक कर बैठ गयी. एक डॉक्टर होने के बाद भी उसका ये व्यवहार मुझे समझ नहीं आया.

मैंने उससे पूछा- तुम तो डॉक्टर हो. यह सब तो जानती होगी.
वह बोली- हाँ पढ़ा तो सब है. मगर मर्द के रूप में असलियत में देखा सिर्फ तुमको ही है. बचपन से ही जब तुम मेरे क्लासमेट थे, तुम्हें चाहती थी. फिर पढ़ाई के लिए दिल्ली आ गयी. सोचती थी कि तुम मुझे भूल गए होगे. मेरा परिवार बहुत पुराने ख़यालात का है. कल जब तुम्हें सेक्स करते हुए देखा तो मेरी दबी हुई कामनायें जाग उठीं. इसलिए यहाँ आयी हूँ.

फिर मैंने पूछा- क्या तुम कुंवारी हो?
जूली बोली- नहीं.
मैंने पूछा- तो कोई बॉयफ्रेंड था?
वो बोली- हां, एक बना था. उसी से एक बार सेक्स किया था. उसका लंड बहुत पतला था. बस उसने कुछ धक्के लगा कर मेरी सील तोड़ी और उसका दम निकल गया और वह शर्म के मारे भाग गया. फिर कभी भी हिम्मत नहीं की कोई बॉयफ्रेंड बनाने की. सेक्स तो बहुत दूर की बात है. मगर आमिर, आज तुमको नंगा देखने के बाद मैं जैसे पिघल सी गयी हूँ. आज मैं अपने यौवन के सुख का अहसास करना चाहती हूँ।

उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- आज अपनी इच्छा से अपने लिये कुछ कर रही हूँ और मेरे परिवार में किसी को कुछ नहीं मालूम है।
मैंने कहा- कोई बात नहीं, अगर तुम नहीं चाहती तो कोई बात नहीं, कोई जबरदस्ती नहीं है.

वो आगे कुछ नहीं बोली और फिर बस मेरे होंठों को किस करने लगी. मैंने उसके होंठों पर एक नर्म सा चुम्बन लिया और जूली के चेहरे को अपने हाथों में लेकर गाल पर किस किया. वह शर्म के कारण सिमट कर मुझसे लिपट गयी. मैंने जूली को अपने गले से लगा कर उसकी पीठ पर हाथ फिराना शुरू कर दिया. उसकी पीठ बहुत नर्म-मुलायम और चिकनी थी.

दोस्तो, बस क्या बताऊँ! 21 साल की बला की खूबसूरत जूली को देख कर मेरा लंड बेकाबू होने लगा था. उसका रंग दूध से भी गोरा था. इतना गोरा कि उसका छूने भर से ही मैला हो जाए.
बड़ी-बड़ी, काली, मदमस्त आँखें, गुलाबी होंठ, हल्के भूरे रंग के लम्बे बाल, बड़े-बड़े गोल-गोल बूब्स, नर्म चूतड़, पतली कमर, सपाट पेट, पतला छरहरा बदन और फिगर 36-24-36 का था. उसका कद पांच फीट पांच इंच का था.

दिखने में एकदम माधुरी जैसी और आवाज़ कोयल जैसी मीठी. जूली किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी। उसने सिर्फ लाल रंग की साड़ी पहनी हुई थी. मेरा 7 इंची हथियार शिकार के लिए तैयार हो रहा था.

उसे गोदी में उठाकर मैं बेडरूम में ले गया और उसे बिस्तर पर बिठा दिया. मैं थोड़ा सा आगे होकर बिस्तर पर बैठ गया और उसके हाथ पर अपना हाथ रख दिया. उसका नर्म-मुलायम मखमल जैसा गर्म हाथ पकड़ते ही मेरा लंड फुफकारें मारने लगा और सनसनाता हुआ पूरा 8 इंच तक बड़ा हो गया.

उसकी चमड़ी इतनी नर्म, मुलायम, नाजुक और पारदर्शी थी कि उसकी फूली हुई नसें साफ़ नज़र आ रही थीं. मैंने गुलदस्ते से एक गुलाब का फूल उठा कर उसके हाथों पर हल्के से स्पर्श किया और वह कांप कर सिमटने लगी. दूध जैसी गोरी-चिट्टी, लाल-गुलाबी होंठ वाली वो अप्सरा शरमाते हुए और भी हसीन लग रही थी!

मैंने उसके कान में कहा- तुम तो बेहद हसीं हो हो मेरी जान …
धीरे से मैंने उसके चेहरे को ऊपर किया. जूली की आँखे बंद थीं. उसने आँखें खोलीं और हल्की सी मुस्करायी.
उसने सिर्फ साड़ी ओढ़ रखी थी. न ब्लाउज और न ब्रा. उसके गोल-गोल सुडौल मम्में मुझे ललचा रहे थे. फिर मेरे हाथ फिसल तक उसकी कमर तक पहुँच गए. मैंने उसका दुपट्टा सीने से हटा दिया और उसे घूरने लगा. मेरे इस तरह घूरने से जूली को शर्म आने लगी और वो पलट गयी.

मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया. वो शरमाई, लेकिन मैं तो पक्का खिलाड़ी था। उसको खड़ा किया और उसके पूरे जिस्म को अपनी बांहों में जकड़ लिया। मैंने उसे दीवार के साथ खड़ी कर दिया। उसके दोनों हाथ दीवार के साथ सटे हुए थे.

जूली की गोल उभरी हुई गांड मेरी तरफ थी. मैंने पीछे से उसके चूचे पकड़ लिए और दबाना शुरू कर दिया जिससे वो कसमसाने लगी। मैंने उसकी गांड पर हाथ फिराते हुए उसे गर्म कर दिया और धीरे-धीरे साड़ी उतार कर उसे सिर्फ पैंटी में लाकर छोड़ दिया।
फिर उसके बूब्स को पकड़ कर मैं सहलाने लगा और चूमने लगा. चूमते हुए धीरे-धीरे उसकी पेंटी तक पहुंचा और मैंने उसे भी खोलकर दूर हटा दिया और उसकी चूत को देखने लगा।

मैं उसकी चूत के दर्शन करने लगा तो वो शरमा गई.
बोली- क्या सिर्फ देखते ही रहोगे या कुछ करोगे भी?

फिर अपने मुख को उसकी चूत के पास ले जाकर मैंने अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया और जीभ से उसकी चूत को चोदने लगा।
वो अभी भी शरमा रही थी लेकिन मैं पागल हुआ जा रहा था। एक भरी-पूरी जवान लड़की मेरे सामने नंगी खड़ी थी। फिर ऊपर आकर मैंने उसके बोबों को चूसना शुरू कर दिया। उसे भी मजा आने लगा. उसके मुंह से कसमसाहट भरी कामुक सिसकारियाँ हल्की-हल्की बाहर आने लगीं. उसको गर्म होती देख मुझसे रहा नहीं गया। मैं जल्दी से जल्दी उसे चोदना चाहता था।
चूंकि मैंने अपने तौलिये को दोबारा लपेट लिया था, अब उसे उतार फेंका और उसके सामने नंगा हो गया.

वो मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ कर बोली- तुम्हारे लंड से चुदने में बहुत मजा आएगा.
इतना कह कर उसने मेरे लंड को धीरे-धीरे अपने हाथों में लेकर सहलाना शुरू कर दिया.

दस मिनट तक जूली को चूमने-चाटने और सहलाने के बाद मैंने उसके दोनों पैरों को फैलाकर उसे लिटा लिया और लंड उसकी चूत पर रख दिया। जैसे ही धक्का लगाया वो सिहर उठी। उसकी चूत कसी हुई थी। जैसे ही मैंने जोर लगाया तो उसका चेहरा टमाटर की तरह लाल हो गया और उसकी आंखों से आंसू बहने लगे।
मैंने जोर से धक्का लगाया और लंड पूरा अंदर चला गया.

वो चीख पड़ी- मर गई मां, फाड़ दी! कोई है … मुझे इस जालिम से बचाओ! फाड़ दी मेरी चूत! धीरे डालो!

इतने में लंड ने जूली की चूत के अन्दर जगह बना ली थी। लेकिन जूली मुझे मेरा लंड बाहर निकालने के लिये लगातार बोले जा रही थी.
कह रही थी- आमिर, प्लीज … मेरी चूत के अंदर बहुत जलन हो रही है, निकालो!

मैंने उसकी बात को अनसुना करते हुए अपने काम को करना चालू रखा. अभी बस हल्के-हल्के ही मैं अपने लंड को अन्दर बाहर कर रहा था. मेरे दोनों हाथ मेरे पूरे जिस्म का बोझ उठाये हुए थे और वो भी अब दर्द करने लगे थे. फिर उसके बाद मैंने अपना पूरा बोझ जूली के जिस्म के ऊपर डाल दिया और उसके होंठों को चूसने लगा.

धीरे-धीरे मेरी मेहनत रंग लाने लगी और अब जूली अपनी कमर भी उचकाने लगी. मैंने अपने आपको रोका और जूली की तरफ देखते हुए बोला- तुम अपनी कमर को क्यों उचका रही हो?
वो बड़ी ही साफगोई से बोली- मेरी चूत के अन्दर जहाँ-जहाँ खुजली हो रही है, तुम्हारे लंड से वहाँ-वहाँ खुजलाने का मन कर रहा है! कितनी मीठी होती है यार ये खुजली. जितनी मिटाने की कोशिश कर रही हूँ, उतनी ही बढ़ती जा रही है।

मैंने पूछा- तो तुम्हें मजा आ रहा है?
वो बोली- बहुत मजा आ रहा है! मैं चाहती हूँ कि तुम अपना लंड मेरी बुर के अन्दर डाले ही रहो।

उसके इतना कहने के साथ ही मैं रूक गया. लंड उसकी चूत में ही था. मैंने उसके जिस्म के साथ खेलना शुरू किया. उसकी मस्त चूचियों को कभी मैं मुंह के अंदर भर लेता तो कभी निप्पलों पर अपनी जीभ चलाने लगता.
मेरी इन हरकतों से उत्तेजित हो कर जूली एक बार फिर बोली- आमिर, खुजली और बढ़ रही है!

मैं समझ चुका था कि अब उसे मेरे लंड के धक्के चाहिये. इसलिये मैं एक बार फिर पहली वाली पोजिशन में आया और अपने दोनों हाथों को एक बार फिर बिस्तर पर टिकाया और इस बार थोड़ा तेज धक्के लगाने लगा.

प्रति उत्तर में डॉक्टर जूली भी अपनी कमर उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी. करीब 10 मिनट तक दोनों एक दूसरे से दंगल लड़ते रहे और फिर एकदम से ही वह ढीली और सुस्त हो गई. अब उसने अपनी कमर उचकाना बंद कर दिया था. वो झड़ गयी थी. मैंने उसे दोबारा किस करना शुरू किया और उसके चूचों का रस चूसने लगा. कुछ ही देर में वो दूसरी बार गर्म हो गयी.

अपना लंड उसकी चूत में डालकर अब मैं फिर से उसे धीरे-धीरे चोदने लगा. लेकिन वो दर्द के कारण अपनी आंखें बंद करके मुझे जोर से पकड़कर चुपचाप पड़ी रही और कहने लगी- और जोर से चोदो मुझे … कर दो आज मुझे पूरा … दो मुझे आज चुदाई का पूरा मजा.

दोस्तो लेकिन उसकी चूत बहुत टाईट थी और तभी मैंने उसे स्पीड बढ़ा कर चोदना चालू कर दिया.

जब मेरी स्पीड बढ़ी तो उसकी टाइट चूत की चुदाई करने में मुझे मजा आने लगा। मेरे धक्के बढ़े और तेजी के साथ लगने लगे और डॉक्टर जूली को भी चुदाई का दोगुना स्वाद आने लगा।
मेरी चुदाई से मस्त होकर वो लगातार बोले जा रही थी- फ़क मी …(चोदो मुझे) फ़क मी हार्डर (जोर से चोदो) … आह-आह … ओह्ह! वो चीखे जा रही थी और मैं धक्के मारता चला जा रहा था।

मज़ा दोनों को बराबर आ रहा था। 15 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने को हुआ तो मैं भी मजे और जोश में बड़बड़ाने लगा- हाय जूली … मेरी जान! मजा आ गया तुझे चोद कर! वाह क्या जवानी है! ले मेरी जान … ले ले ले!
वो भी बोले जा रही थी- आह-आह-आह … आआआ … आआआ अह!

इतने में ही मैं भी झड़ गया। वो भी तीन बार झड़ चुकी थी। अपना पूरा वीर्य जूली की तपती चूत में छोड़कर मैं उसके ऊपर ही लेट गया. कुछ देर तक मैं ऐसे ही उसके गर्म बदन पर लेटा रहा और फिर धीरे-धीरे उसके लाल हो चुके बूब्स को चूसने लगा।
मगर लंड महाराज झड़ने के बाद भी बदस्तूर खड़े थे.

कहानी अगले भाग में जारी रहेगी.
मेरी कहानियों को लेकर आपका जो प्यार मुझे मिल रहा है उसे बनाये रखियेगा. आप सब का इस प्यार के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया. उम्मीद है कि सभी पाठकों का प्यार मुझे इसी तरह मिलता रहेगा. अपनी प्रतिक्रियाएं मेरे ई-मेल पर भेजिए.
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top