शहर में जिस्म की आग बुझाई- 2

(Shahar Me Jism Ki Aag Bujhai- Part 2)

This story is part of a series:

मेरे पति का बॉस मेरे पति की अनुपस्थिति में मेरे घर रहने आया. मैं उसकी मंशा जानती थी कि वो मुझे चोदना चाहता है. मेरे जिस्म की आग भी सुलग रही थी. तो मैंने क्या किया?

नमस्कार दोस्तो,

आपकी मुस्कान आपके लिए अपनी जिस्म की आग की कहानी का अगला भाग लेकर फिर से पेश है।
अब तक आपने मेरी कहानी पढ़ा कि मेरे पति का बॉस मेरे पति की अनुपस्थिति में मेरे घर रहने आ गया था.

अब आगे:

हम दोनों टीवी देख रहे थे और वो मेरे बगल में ही बैठे हुए थे।
अचानक से उन्होंने टीवी बंद कर दिया।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
उन्होंने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा- मुस्कान मैं तुम्हारा साथ चाहता हूँ।
मैं- मतलब?

“मेरी बीवी को गुजरे हुए 10 साल हो गए, तब से मैं बहुत अकेला हूँ। तुम्हारे जैसी दोस्त पाकर मेरा अकेलापन कुछ दूर हुआ है, मगर मैं इस रिश्ते को कुछ आगे बढ़ाना चाहता हूँ मगर तुम्हारी रजामन्दी के साथ!”
“मैं कुछ समझी नहीं … आप क्या बोलना चाहते हैं. मैं तो आपकी दोस्त हूँ ही! फिर क्या?

वो कुछ रुक कर बोले- मैं तुम्हारे साथ वो सब करना चाहता हूँ जो एक पति पत्नी करते हैं।
मेरा दिल तो पहले से ही जानता था कि वो यही कुछ बोलेंगे मगर मैं चौंकते हुए बोली- यह आप क्या कह रहे हैं, आप मेरे अच्छे दोस्त हैं और हम दोनों की उम्र में भी काफी फासला है।

वो मेरे हाथों को अपने हाथों में लेते हुए बोले- जैसा कह रही हो, वो तो सच है. मगर दोस्ती के रिश्ते को अगर प्यार का नाम दे दिया जाये तो क्या बुराई है? और इन सब में उम्र नहीं देखी जाती।
अगर तुम तैयार हो तो बोलो … नहीं तो हम दोस्त तो हैं ही।
मैं कुछ भी बोल नहीं रही थी, मेरी साँसें तेज चल रही थी।

उन्होंने मेरे चेहरे को अपने हाथों से ऊपर उठाया। मैं उनसे आँखें नहीं मिला रही थी. मेरा कुछ न बोलना शायद मेरी इजाजत थी।
मेरे तन की जो प्यास थी जिस्म की आग … वही ये सब करवा रही थी शायद!

उन्होंने मेरे गालों को अपने दोनों हाथों से थाम रखा था और अपने होंठ मेरी तरफ बढ़ा रहे थे।
मैंने उनको रोकते हुए कहा- आप जो चाहते हैं, वो हो तो सकता है पर यह बात किसी को पता नहीं चलनी चाहिए।
वो तुरन्त बोले- कभी पता नहीं चलेगा, मुझ पर भरोसा रखो।

और वो खड़े हो गए और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया। मैं सीधे उनके सीने से जा लगी. मेरी कमर को एक हाथ से पकड़ते हुए उन्होंने अपने होंठ मेरे होंठों पे लगा दिए और मेरे होंठों को बेइंतहा चूमने लगे।
कुछ ही देर में मेरे होंठ भी चलने लगे और मैं उनका साथ देने लगी।

दस मिनट में ही मेरी साड़ी फर्श पर पड़ी थी। मेरा गदराया हुआ बदन अपने आगोश में पाकर वो जोश से भर गए थे।
मैंने उनको रोकते हुए कहा- नहीं नहीं यहाँ नहीं … अंदर चलो.
उन्होंने मुझे तुरंत अपनी गोद में उठा लिया और बैडरूम में ले गए।

वहां मुझे खड़ा करके अपनी शर्ट उतार फेंकी और तुरंत मुझे अपनी बांहों में ले कर अपने सीने से लगा लिया.
मेरी गदराई पीठ को सहलाते हुए वे बोले- मुस्कान, कसम से जब से तुमको पहली बार देखा था, तब से तुमको पाना चाहता था. 10 साल से मैं किसी औरत का सुख नहीं पाया और आज तुम जैसी औरत मिली है मुझे! तुमको पाकर तो मेरी जिंदगी बन गई।
ऐसा बोलते हुये उन्होंने मेरे पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया, पेटीकोट अपने आप नीचे सरक गया।
अब तो मैं ब्लाउज और चड्डी में ही रह गई थी।

मैं बोली- एक बात बोलूँ?
“हां बोलो न!”
“लाइट बंद कर दो न … मुझे शर्म आ रही है!”
“अरे नहीं मेरी जानू … मुझे तुम्हारी हर एक जगह की सुन्दरता देखनी है। आज तक बस बाहर से ही तुमको देखा है, आज तो अन्दर की खूबसूरती देखनी है।”
और मेरे ब्लाउज के हुक एक एक करके खोलने लगे.

मेरी आँख अपने आप बंद हो गई। धीरे से उन्होंने मेरे ब्लाउज को मेरे जिस्म से अलग किया।
मेरे दोनों बड़े बड़े दूध ब्रा के बाहर निकलने को बेताब थे. अपने दोनों हाथ मेरे पीछे लेजा कर ब्रा की हुक भी उन्होंने खोल दी और मेरे दूध आजाद होकर उनके सामने तन गए.

उनको देख कर बोले- वाओ यार मुस्कान … तुम कितनी गोरी हो मेरी जान!
दोनों हाथों से मेरे दोनों दूध को छूते हुए बोले- इतने टाईट … ऐसा लगता है कि कभी किसी ने छुआ तक नहीं है।

अब उन्होंने भी अपनी पैंट उतार दी और अब वो केवल चड्डी में ही थे।

वो बोले- मुस्कान अगर बुरा न मानो तो एक बात कहूँ?
मेरी आँखें अब तक बंद ही थी, वैसे ही मैंने कहा- हाँ बोलिये न!
“तुम्हारा कसा हुआ ये गोरा बदन देखकर किसी का भी पानी निकल जाये कसम से! ऐसा फिगर बहुत किस्मत वाली लड़की के पास होता है. लगता ही नहीं कि तुम अभी 23 साल की हो. ऐसे दूध इतनी कम उम्र में किसी किसी के ही होते हैं।

ऐसा बोलते हुये उन्होंने अपनी दोनों बांहों को फैला कर मुझे अपनी बांहों में भर लिया. उनका नंगा बदन जब मेरे नंगे बदन से टकराया तो मेरी चिकनी चूत लबलबा गई, पूरे जिस्म में बिजली दौड़ गई।
उनका सख्त हाथ मेरी चिकनी पीठ को सहलाने लगा और मेरे दूध उनके सीने से चिपक गए. उनका शरीर काफी मजबूत था. मुझे अपने से चिपकाये हुए अपने सीने से ही दूध को रगड़ रहे थे. उनके सीने के बालों से मेरे दूधों में चुभन हो रही थी मगर मजा भी बहुत आ रहा था।

वो मेरी पीठ सहलाते हुए अपने हाथों को मेरी कमर और फिर मेरी गांड में ले गए। मेरी चड्डी के ऊपर से ही मेरी गांड को दबा रहे थे। उनका सख्त लंड मेरी पुद्दी से आकर चिपक गया. उनके लंड का स्पर्श पा कर ही मैं समझ गई कि उनका लंड कोई आम लंड नहीं है क्योंकि चड्डी के अंदर से ही काफी मोटा महसूस हो रहा था।

अब उन्होंने मेरे एक जांघ को उठा कर अपनी कमर के पास टिका लिया और एक हाथ से मेरी चिकनी मोटी जांघ सहलाते हुए मेरे होंठों को चूसने लगे। मेरे जिस्म में अज़ीब वासना की लहर दौड़ पड़ी। मेरी पुद्दी से जोरों से पानी निकलने लगा जिससे मेरी चड्डी गीली हो गई।

मेरी जानघ सहलाते हुए उन्होंने अपना हाथ चड्डी के अन्दर से मेरी चूतड़ में डाल दिए और मेरी गदराये चूतड़ को दबाने लगे। अपनी एक उंगली को मेरी गांड के छेद पर ले जा कर छेद को नाख़ून से हल्के हल्के कुरेदने लगे।

मैं आप लोगों को बता दूँ कि आज तक मैंने कभी गांड में लंड नहीं लिया था। क्योंकि मेरे पति ने कभी वहां से कुछ करने की कोशिश ही नहीं की। इसलिए मेरी गांड अभी तक कुवारी ही थी।
मगर सुखविन्दर के ऐसा करने से पता नहीं क्यों मुझे शक हो रहा था कि कहीं ये मेरी गांड तो नहीं चोदने वाले।

हम दोनों ऐसे ही खड़े खड़े एक दूसरे के आलिंगन में थे। दोनों ही केवल चड्डी में थे और वासना से भरे हुये थे। मुझे उस वक्त एक बार भी ये ख्याल नहीं आया कि मैं किसी गैर मर्द की बांहों में हूँ, ऐसा लग रहा था जैसे मैं तन की प्यास में अन्धी हो गई हूँ।

करीब दस तक हम दोनों का ये आलिंगन चलता रहा। उसके बाद मुझसे वो अलग हुए और मुझे अपनी गोद में उठा कर बिस्तर पर लेटा दिए। मैं लगभग पूरी नंगी एक गैर मर्द के सामने लेटी थी।

अब एक झटके में सुखविन्दर ने अपनी चड्डी को उतार दिया और मैंने पहली बार उनके लंड के दर्शन किये.
कसम से दोस्तो … उस वक्त मेरी आँखें फटी की फटी रह गई। मैंने कभी नहीं सोचा था कि लंड इतना बड़ा भी हो सकता है।
मेरे पति का तो 5 से 6 इंच का ही था।
मगर उनका लंड साढ़े 8 इंच लम्बा और ढाई इंच मोटा था; दिखने में एकदम काला और चमकदार … मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि यह किसी 42 साल के आदमी का है।
दोस्तो, उनका लंड देखकर मैं इतना तो समझ गई थी कि आज चुदाई में मेरी क्या हालत होने वाली है।

मैं बिस्तर पर लेटी उनके लंड को एकटक देखे जा रही थी।
उन्होंने अपने हाथ से लंड को सहलाते हुए मेरी तरफ देखा और पूछा- पसंद है?
मैंने शर्मा कर अपना चेहरा दूसरे तरफ कर लिया।

अब वो भी बिस्तर पर आ गए और मेरे पैरों के पास बैठ कर मेरी चड्डी एक झटके में उतार कर नीचे फर्श में फेंक दी. मैं अपने हाथों से अपनी पुद्दी को छुपाने लगी मगर उन्होंने मेरे हाथ हटा दिए।
मेरी पुद्दी देखकर वो बोले- आज 10 साल के बाद किसी फुद्दी को देख रहा हूँ. वो भी इतनी खूबसूरत! जितनी सुन्दर तुम हो उतनी ही सुन्दर तुम्हारी फुद्दी भी है।
मेरी पुद्दी को हाथ से सहलाते हुए अपने मुँह को उसके पास ले गए और उसकी खुशबू लेते हुए बोले- जान तुम्हारी तो किसी कुवारी लड़की की तरह लग रही है। इसको देखकर साफ़ पता चलता है कि तुम्हारे पति ने इसका अच्छे से ख्याल नहीं रखा है।

उन्होंने मुझसे पूछा- मुस्कान, अगर बुरा न मानो तो एक बात बोलूं?
मैं चेहरा दूसरे तरफ किये हुए बोली- जी हां बोलिये, मैं क्यों बुरा मानूँगी।

“तुम जिस प्रकार की औरत हो … मतलब जिस तरह तुम्हारा बदन है भरा हुआ … गदराया हुआ … वैसा तुमको पति नहीं मिला. तुमको तो किसी गबरू मर्द की जरूरत है जो तुमको सन्तुष्ट कर सके। तुम्हारी फुद्दी को देख कर पता चल रहा है कि तुम्हारे पति का लंड उस काबिल है ही नहीं।”

इतना कहते हुए वो मेरे ऊपर आ गए और मेरे कान में आकर धीरे से बोले- अब तुम चिंता मत करो, अब तुम्हारी प्यास को मैं मिटाऊँगा। मगर इसके लिए तुम्हें मेरा हर तरह से साथ देना होगा।
मैं बोली- कैसा साथ?
“मैं तुम्हारे साथ जो कुछ भी करूँगा, तुम मना नहीं करोगी क्योंकि मैं तुम्हारे साथ हर तरह से मजा लेना चाहता हूँ। अगर जोश में मैं गाली भी दे दूँ तो तुम बुरा मत मानना, मेरे अन्दर बहुत हवस है मगर वो कभी पूरी तरह बाहर नहीं आई है क्योंकि मेरी बीवी कभी इस तरह तैयार ही नहीं हुई थी और उसके गुजर जाने के बाद कभी कोई मिली नहीं। मगर तुमको देखकर लगता है कि तुम मेरी वो हवस को पूरा करने के लायक हो, तुम्हारा जिस्म उस लायक है। अगर तुम मेरा साथ देती हो तो वादा करता हूँ कि हम दोनों चुदाई के इस खेल का बहुत मजा लेने वाले हैं।

मैंने कुछ कहा तो नहीं पर अपना सर हिला कर अपनी सहमति दे दी।

आगे मेरी इस जिस्म की आग की कहानी में क्या क्या हुआ, यह जानने के लिए कहानी का अगला भाग जरूर पढ़ें।
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