कमसिन जवानी की चुदाई के वो पन्द्रह दिन-3

(Kamsin Jawani Ki Chudai Ke Vo Pandrah Din- Part 3)

वन्द्या 2019-01-05 Comments

This story is part of a series:

अब तक आपने पढ़ा था कि मैं अपनी मम्मी और अंकल लोग के साथ कार में मानकपुर जा रही थी. जगत अंकल ने कर में ही मुझे अपनी गोद में बिठा कर अपने लंड को मेरी चूत में पेल दिया था. उनके लंड का मजा अपनी चूत में ले ही रही थी कि बगल में जो ठाकुर साब कहे जाने वाले अंकल बैठे थे. उन्होंने मुझे लंड खाते हुए देख लिया था और अब मैं अपनी मम्मी की निगाह से बचते हुए उनकी गोद में बैठ गई थी.

ठाकुर अंकल ने मेरी चूत में हाथ लगाया और अपनी एक उंगली मेरी चूत में पेल दी. जिससे मैं उछल गई. उनकी उंगली मेरी चूत में क्या घुसी, मुझे सुरसुरी होने लगी थी.

अब आगे …

उन्होंने चूत का रस हाथ में निकाला और मुझे दिखाया. फिर अंकल मेरे कान में बोले- तेरी चूत तो बहुत बह रही है. अब तुझसे कैसे बर्दाश्त होता होगा. चल नाटक नहीं कर, जल्दी से बैठ जा मेरे लंड पर … और मजा ले ले. रानी तेरी फोटो जबसे देखी है, तभी से मेरा लंड तेरी चूत के लिए खड़ा है. जब से तू मुझे सामने से दिखी और कार में बैठी, तब से तुझे और तेरी चूत पाने के लिए मेरा लंड पैन्ट को फाड़े डाल रहा है.

उन्होंने अपने लंड को पकड़कर मुझे दबाते हुए अपने लंड पर बैठाने लगे. मैं जैसे ही अजनबी अंकल की गोद में बैठी, उनका लंड मेरी चूत से छू गया. तो मुझे अहसास हुआ कि इनका लंड जगत अंकल के लंड से जस्ट डबल मोटा था. इन अजनबी अंकल का लंड लंबा कितना है, यह मैं अभी नहीं जान सकी थी.

वह बोले- वन्द्या, तू बहुत गर्म लड़की है, आज तुझे चोद चोद के एकदम मस्त कर दूंगा. अंकल ने मुझे जैसे ही लंड पर बैठाया, उनका लंड पहले मेरी गांड में पहले टकराया.
तो वे बोले- वन्द्या तेरी गांड में ही डाल दूं क्या?
तब मैं पहली बार उनसे बोली- नहीं अंकल आगे ही करो. वैसे आपका नाम क्या है?
अंकल बोले- छत्रपाल सिंह … पर सब लोग छत्तू ही बोलते हैं. तू भी छत्तू ही बोलना.
मैं बोली- जी अंकल.

तो बोले- तू अंकल मत बोल, सिर्फ छत्तू कह. अभी तुझे चोदूंगा और तू अंकल बोलेगी, तो मुझे मजा नहीं आएगा.
मैं बोली- ठीक है छत्तू … मैं तुझे छत्तू ही बोलूंगी. सच तो यह है कि अभी तक मैंने आपका ठीक से चेहरा भी नहीं देखा है कि कैसे दिखते हो आप … और घूम के देख भी नहीं सकती हूं.
तब छत्तू बोले- वन्द्या जब से मैंने तेरी फोटो देखी है, तो उस वक्त से अभी तक मेरा लंड खड़ा हुआ है. जब से तू सामने आई, तब से बस तुझे छूने को, तुझे पकड़ने को, तुझे किस करने को और फिर तुझे चोदने के लिए मेरा लंड तरस रहा है. तू बहुत सेक्सी और मस्त माल दिखती है. वन्द्या अभी जब से तू मेरी गोदी में है, तो लगता है कि अब मुझे और कुछ नहीं चाहिए … तू बहुत मस्त है वन्द्या … अब मैं तुझे रोज चोदूंगा. जितने दिन तू रहेगी, रोज मिलूंगा और तू जो बोलेगी, तेरे लिए करूंगा. मेरे पास ऊपर वाले का दिया हुआ सब है, एक तेरे जैसी खूबसूरत आइटम को चोदने की कमी थी, वह भी ऊपर वाले ने दे दिया. आज तुझे मानकपुर में जो खरीदना है, खरीद लेना. बस हम दोनों भाइयों को मस्त खुश कर देना.

इतना कहकर छत्तू ने मेरी पीछे से स्कर्ट पूरी ऊपर कर दी और मुझे बोला- तुम्हारी चूत बहुत गर्म है वन्द्या, बहुत बह भी रही है. तू झट से बैठ जा मेरे लंड पर … मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रहा हूं.
छत्तू ने मेरी कमर पकड़ कर अपने लंड को मेरी चूत के छेद में सैट कर दिया और फिर बोला कि ले फंस गया … अब बैठ जा.
पर छत्तू का लंड इतना मोटा था कि मुझे अन्दर से थोड़ा डर लगा, पर चुदने का मन इतना ज्यादा कर रहा था कि रहा नहीं जा रहा था.

मैं धीरे धीरे बैठने लगी तो छत्तू ने मेरी कमर पकड़ कर जोर से दबा दिया और एक हाथ से मेरा मुँह दबा लिया. मेरी चूत में छत्तू का मोटा लंड घुसते ही बहुत दर्द हुआ. मुझे ऐसा लगा कि मेरी चूत फट गई.

मैं चिल्लाने को होने लगी, मेरा मुँह छत्तू पकड़ा हुआ था, इसलिए आवाज नहीं निकल रही थी. छत्तू अगर मुँह में हाथ नहीं रखते, तो मैं चिल्ला चिल्ला के सबको यह पता करवा देती कि मेरी चुदाई हो रही है.

इतने में छत्तू ने फिर से अपना लंड थोड़ा अन्दर बाहर किया और मुझे लगा कि मैं मर जाऊंगी. बहुत तेज दर्द हो रहा था. मैं उठने को तैयार थी और जैसे ही उठने लगी कि अब मुझसे बिल्कुल दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मैं तड़पने लगी, दर्द से छटपटाने लगी, बहुत तेजी से दर्द हो रहा था, मेरी आंखों से आंसू निकलने लगे.

पर छत्तू नहीं रुका और अपना लंड अन्दर बाहर करने लगा. वो अपनी जाँघों की दम पर मुझे भी धक्के से थोड़ा उठा देता, फिर नीचे करता. उसका जिस्म एक पहलवान टाइप का शरीर था. वो मुझे खिलौने जैसे अपनी गोद में ऊपर नीचे कर रहा था.

करीब पांच छः मिनट तक मुझे असहनीय दर्द हुआ, फिर धीरे से थोड़ी राहत मिली और मैंने लंड लीलना शुरू कर दिया. छत्तू ने मेरी टी-शर्ट के अन्दर से समीज के अन्दर हाथ डाल दिया. वो मेरे दूधों को पकड़कर इतनी जोर से दबाने लगा कि वहां भी बहुत दर्द होने लगा.

वो मेरे कान में बोला- वन्द्या, तेरे दूध तो बहुत कड़क हैं … पर थोड़े छोटे हैं. कोई बात नहीं मुझे जगत ने बताया था कि तू 15 दिन रुकने वाली है. जब तू यहां से जाएगी, तो हम दोनों भाई दबा दबा के तेरे दूध बहुत मस्त कर देंगे. तू बहुत सेक्सी है.

अब मेरा दर्द थोड़ा कम होने लगा और दो-तीन मिनट बाद एकदम से दर्द गायब हो गया. मैं अब अपने आप उछलने लगी और लंड का पूरा मजा ले रही थी.

इतने में ड्राइवर ने कार झटके से रोक दी और बोला- सामने ढाबा है, यहां कुछ चाय काफी या और कुछ करना हो तो कर लीजिए … खा पी लीजिए.
राज अंकल बोले- हां चलना है … थोड़ा उतर के होकर जल्दी से आ जाते हैं.

मम्मी मेरी तरफ घूमी, तो मैं उठ खड़ी हो गई. मेरी स्कर्ट नीचे गिर गई और छत्तू का लंड भी निकल गया.
मैं बोली- मम्मी, मुझे कहीं नहीं जाना, आप खा पीकर आ जाओ.
राज अंकल बोले- ठीक है, वन्द्या को यहीं रहने देते हैं.

तभी जगत अंकल ने ड्राइवर को थोड़ा इशारा करके बोला कि थोड़ा अलग उधर में गाड़ी लगा दो, यहां से कोई गाड़ी में अन्दर बाहर ना देखे.
यह समझा कर अंकल ने ड्राइवर को आंख मार दी तो वह गाड़ी चलाने लगा. ड्राइवर अंकल ने गाड़ी को एकदम पेड़ के नीचे एक किनारे खड़ा कर दिया. अब मम्मी लोग सब उतर गए. वे छत्तू अंकल भी उतर गए, राज अंकल भी उतर गए.

मम्मी मुझसे बोलीं- सोनू, तू क्या खाएगी पियेगी … जो मैं यहां भिजवा दूं.
मैं बोली- नहीं मम्मी … मैं वहीं चल कर खा लेती … पर अभी यहां मेरा मन नहीं है, तुम होकर आ जाओ.

इधर जगत अंकल, छत्तू अंकल के साथ जो बड़ी-बड़ी मूछों वाले थे, उसके कानों में कुछ कुछ बोल रहे थे. मैं वह सुन भी नहीं पा रही थी कि क्या कह रहे हैं.

वे दोनों अंकल अजीब तरह से इशारे करके मेरी तरफ दिखा रहे थे. तब मूछों वाले अंकल ने फिर राज अंकल को बोला- राज भाई, आप होके आ जाओ, मेरा अभी मन नहीं है, मैं यहीं कार में बैठा हूं.

राज अंकल ने कहा- ठीक है दादा साहब … आप बैठिए, हम लोग कुछ खा पीकर आते हैं. हमें 20 से 25 मिनट लगेंगे.
इसके बाद जगत अंकल मेरे तरफ आए और बोले- वन्द्या. जरा कांच खोलना.

मैंने विंडो ग्लास खोल दिया तो जगत अंकल बहाने से बोलते हुए मेरे कान में धीरे से बोले- ये दादा साहब तुम्हें बहुत पसंद करते हैं. उनके साथ थोड़ा कॉपरेट कर लेना, थोड़ा एन्जॉय कर लेना. ये बहुत मस्त व्यक्ति हैं, तुम्हें बहुत अच्छा लगेगा.
यह कहकर अंकल चले गए.

अभी मेरा दिमाग बिल्कुल सुन्न था, चारों तरफ से गाड़ी बंद कर दिया था. आस पास भी कोई नहीं था. पेड़ के किनारे गाड़ी लगी थी. उनके जाते ही एकदम वहां पर सुनसान हो गया. बंद गाड़ी में सिर्फ दो लोग थे. मैं और वह बड़ी मूछों वाले भारी भरकम शरीर लगभग 6 फीट की ऊंचाई और बहुत मोटे तगड़े एक क्विंटल से ज्यादा वजन वाले, चौड़ी छाती भीमकाय शरीर वाले दादा साहेब थे.

उनको देख कर ही मुझे घबराहट लग रही थी, पर चूत की चुलबुलाहट से मैं इतनी पागल हो रही थी कि मुझे बिल्कुल कुछ भी होश और समझ उस वक्त नहीं रह ग्या था. क्योंकि थोड़े पल पहले ही मुझे जगत अंकल और उसके बाद छत्तू ने चोदा आधा अधूरा चोद कर छोड़ दिया था. मेरे अन्दर वही आग लगी थी. मेरे शरीर में बहुत हलचल मची थी.

जो दादा साहेब कार में बैठे थे, मैं उनसे आज तक पहले कभी नहीं मिली थी, ना उन्हें देखा था, ना उनसे कभी बात की थी. वे मेरे लिए बिल्कुल अजनबी थे. वे मुझे निहार रहे थे, लेकिन मेरी आंखें उनकी तरफ ना जाकर उनके पैंट की जिप की तरफ देख रही थीं.
वे तुरंत मेरे हाथ को पकड़ कर बोले- तुम्हारा नाम वन्द्या ही है ना.
यह उनके मुँह से पहली बार मेरे लिए शब्द निकला था. मैंने बोला- जी अंकल.

उनकी उम्र 50 साल से ऊपर ही रही होगी. फिर वे मुझे बोले- इतनी दूर क्यों बैठी हो, थोड़ा नजदीक आ जाओ. मुझे तुम्हारे बारे में जगत ने सब बताया है. यह सारे लोग जो आए हैं न … इन्हें मैं काम दिलाता हूं. मेरा बहुत बड़ा काम है.
मैं उनके फूलते लंड को ही देख रही थी.

वे आगे बोले- तुम बहुत सेक्सी लड़की हो … बहुत नाजुक हो कमसिन हो. मैंने तुम्हें जब फोटो में ही देखा था … तभी जगत से पूछा था कि क्या यह लड़की मेरा लौड़ा बर्दाश्त कर लेगी, तो जगत बोला कि आपको पता नहीं है, वह दिखने में भले ही पतली है … और कम उम्र की नाजुक लड़की है … पर उसकी चूत के अन्दर जो आग है, वह आप सोच नहीं सकते. वन्द्या बहुत सेक्सी लड़की है. समाली ने भी तुम्हारी बहुत तारीफ करी है. तब से मैंने सोचा कि एक बार तुमसे जरूर मिलेंगे. इन लोगों ने भी मुझे कहा कि दादा साहब एक बार जरूर मिल लीजिए. अगर आपने उसे हाथ लगा दिया और उसे एक बार अपनी बांहों में लेकर उसके साथ प्यार कर लिया, तो उस लड़की का भाग खुल जाएगा.
इनके बहुत कहने पर … और वैसे एक बात बताऊं तुम्हें वन्द्या सच में तुम में बहुत आकर्षण है, मैंने बहुत सारी लड़कियों और औरतों को अपने पास बुलाया, कुछ तो पैसों की जरूरत के कारण आई और कुछ मुझसे करवाने आईं. मैंने सभी को किया तो नहीं … हां उन सबकी मदद जरूर कर देता हूं. ऐसे मैं सभी को करता नहीं हूँ, जब तक कि वो मुझे पंसद ना आएं. आज तुम्हें देख कर पहली बार मेरे अन्दर जो मुझे महसूस हो रहा है, वह बता नहीं सकता. सच में मैं तुम्हें बहुत खुश करूंगा. तुम जो बोलोगी, सब करूंगा और तुम्हें बहुत प्यार दूंगा. आ जाओ मेरी बांहों में समा जाओ.

ऐसा कहते हुए उन्होंने अपने पास मुझे खींच लिया और लपेट कर अपनी बांहों में जकड़ कर बोले- तुम्हारे बदन की खुशबू बहुत मस्त है. कौन सा परफ्यूम लगाती हो … बहुत सेक्सी महक है.
मैं उनके शरीर पर बहुत नाजुक सी लग रही थी. उनकी ताकत बहुत थी. फिर मुझे उन्होंने खुद ही अपने से अपना परिचय दिया.
वे बोले- मेरा नाम पूरा विक्रम प्रताप सिंह है, सब लोग मुझे दादा साहब कहते हैं, पर तुम्हारे लिए सिर्फ तुम्हारा राजा, तुम्हारा डार्लिंग, तुम्हारा ब्वॉयफ्रेंड हूं.

मैं बहुत घबरा रही थी कि कोई कार में आ गया तो गड़बड़ हो जाएगी. मैं बोली भी कि अंकल कोई आ गया तो मैं क्या करूंगी, यहां मेरी मम्मी भी हैं, इसलिए मुझे बहुत डर लग रहा है.
तब वह मूछों वाले दादा साहेब अंकल बोले- पहले तो तुम मुझे अंकल कहना छोड़ दो, अभी हम लोगों को साथ रहना है. वहां जहां चल रहे हैं, वहां की पूरी व्यवस्था मेरी है. वहां तुम्हें मेरे बहुत ही शानदार 3-4 बिजनेस पार्टनर से मिलवाऊंगा, जो तुम्हें बेपनाह प्यार देंगे. वे बहुत बड़े लोग हैं. सब मेरे बराबर के हैं. वे सब भी तुम्हारा ही इंतजार कर रहे हैं. तुम्हारे स्वागत के लिए वे वहां एक नंबर की व्यवस्था बना चुके हैं. आज रात हम सब लोग वहीं रहेंगे. पर अभी मुझे जगत ने और छत्तू ने कान में बताया कि थोड़ा सा तुझको टेस्ट कर लेना कि तू कैसी है. क्योंकि मैं बिना टेस्ट किए कभी कुछ करता नहीं हूं. वन्द्या तुम यह चिंता मत करो कि कोई यहां आ जाएगा. तुम्हारी मम्मी के आने से पहले यहां कोई ना कोई आएगा. सब लोग सैट हैं, तुम चिंता नहीं करो.

यह कहकर दादा अंकल ने सीधे मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और मेरे होंठों की जोरदार चुम्मी ले ली. अब मैं उनकी बांहों में तिलमिला रही थी.
ये ठाकुर बहुत ताकतवर पहलवान थे. मुझे बोले- तुम बहुत सेक्सी हो … वन्द्या लगता है कि तुम्हें अपने पास ही रख लूं.
यह कहकर उन्होंने सीधे अपने पैन्ट को खोला और थोड़ा सा नीचे करने लगे. मैंने देखा कि अंकल ने गांव वाली जो चड्डी होती है, सीधे पट्टे वाली, वह पहनी हुई थी. पैन्ट नीचे करते ही चड्डी के नीचे से ही उनका लंड लग रहा था, जैसे एक हाथ का हो. उन्होंने अपने चड्डी का नाड़ा खोल दिया तो उनका लंड बाहर निकल आया. मेरे हाथ से भी ज्यादा मोटा और करीब 10 से 12 इंच से भी लंबा लंड फनफना रहा था. मैंने सिर्फ ब्लू फिल्मों में कुछ अंग्रेजों और नीग्रो के लंड देखे थे. मैंने आज हकीकत में इतना बड़ा लंड पहली बार देखा था.

मैं बोली- अंकल मुझे बहुत डर लग रहा है … प्लीज मुझे कुछ हो गया तो … मैं बहुत डर रही हूं.
तब उन्होंने कहा- तुम सिर्फ मुझे राजा बोलो और यह अंकल मंकल अब से मत बोलना.
मैं उनसे संकोच में बोली- जी.
वे फिर बोले- अच्छा मुझे राजा बोलो.
मैंने कहा- जी राजा जी.

मैं जैसे ही राजा जी बोली, वो ठाकुर अंकल बोले- वाह तेरी आवाज भी बहुत सेक्सी है वन्द्या. सच बताऊं तू ऐसी लगती है, जैसे काम की देवी हो. तेरे जैसी कोई लौंडिया मैंने आज तक नहीं देखी.
मैं उनके लंड को ही देख रही थी.
अंकल बोले- अपने पास ज्यादा समय नहीं है … बस 15 से 20 मिनट में ये लोग चाय नाश्ता करके आ जाएंगे. तेरी मम्मी के आने से पहले कोई ना कोई ये बताने आएगा कि मम्मी तेरी आ रही है. तू चिंता मत कर खुलकर एंजॉय कर.

मैंने फिर से लंड को देखा.
उन्होंने मुझसे बोला- ले … मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़ और थोड़ा पहले दो चार मिनट अपने मुँह से चूस ले.
यह कहते हुए अंकल मेरे बाल पकड़कर सीधे अपने लंड तरफ मेरा मुँह करने लगे.

उनके हाथों में इतनी ताकत थी कि मैं बिल्कुल खिलौने जैसे उनके दबाव में आ गई. मैंने दोनों हाथों से जैसे ही उनका लंड छुआ और पकड़ा, तो एकदम से लगा, जैसे उसमें आग लगी हो. लंड बहुत गर्म था … सच में ठाकुर अंकल का लंड बिना कुछ किए ही पहले से ही बहुत गर्म था. उनका लंड मेरे दोनों हाथों में समा नहीं रहा था. बहुत ही बड़ा और मोटा लंड था. पर मैं एक्साइटिड भी बहुत हो रही थी. न जाने मुझे क्या कुछ हो रहा था कि उस समय होश नहीं रहा. मैंने उनका लंड पकड़ लिया और सहलाने लगी.

फिर उन्होंने बोला- चूस ले मेरी सेक्सी वन्द्या … इसे किस कर.
ऐसा कहते हुए एक हाथ से मेरा सर पकड़ कर जैसे ही दबाया, मेरे मुँह में उनका लंड आ गया. मैं उसे अपने मुँह में लेने लगी, पर घुस नहीं रहा था. मैंने पूरा मुँह खोला तो लंड के ऊपर का सुपारा अन्दर आ गया. बहुत ही अजीब सी खुशबू थी उनके लंड की, अजीब सी गंध मार रहा था … पर मुझे कुछ होश तो था नहीं, जो मैं कुछ कहती. मैं ठाकुर साब के लंड पर अपनी जीभ चलाने लगी … लंड को चाटने लगी.

ठाकुर अंकल ने मेरे सर को फिर से दबाया और जबरदस्ती मेरे मुँह में लंड घुसाने लगे. अब आधा लंड उनका मेरे मुँह में चला भी गया. उतनी ही जगह थी मेरे मुँह में … मुझे ऐसा लगा कि मुझे उल्टी आ जाएगी. मैं ऊपर से ही उसे चूसने लगी और चाटने लगी.

अब वो ठाकुर साब बहुत जोश में आ गए और वो हांफने लगे थे. राजा ठाकुर बोले- साली रंडी, बहुत गजब का लंड चूसती और चाटती है.
फुल जोश में आकर उन्होंने मेरी पूरी स्कर्ट को पहले ऊपर उठाया और जैसे ऊपर किया तो नीचे सीधे मेरी चूत दिखने लगी तो बोले- अरे तूने तो पैंटी पहनी ही नहीं है वन्द्या!
फिर जैसे उनको कुछ याद आ गया हो, वो बोले- अच्छा छत्तू ने बताया था कि वह तुम्हें चोद रहा था.

ठाकुर अंकल ने मेरी चूत पर अपने हाथ को रखा और बोले- अब यह सब उतार दे.
मैं बोली- नहीं फिर दिक्कत हो जाएगी. मम्मी आ गईं तो जल्दी नहीं पहन पाऊंगी.
तब ठाकुर अंकल बोले- कोई नहीं आएगा … तू मेरे पास है तो घबरा नहीं. तुझे यह सब उतारना होगा.

उन्होंने स्कर्ट की इलास्टिक पकड़कर पूरी नीचे उतार दी और बोले- यह समीज और अपना ऊपर की टी-शर्ट भी उतार दे.

मैं कुछ नहीं बोली तो ठाकुर अंकल ने ऊपर मेरे हाथ कर उन्होंने खुद से मेरे दोनों हाथ पकड़े और मेरी टी-शर्ट और समीज को उतारने लगे.
मैं बोली- राजा जी जो करना है, ऐसे ही कर लो, पूरा मत उतारिए … नहीं तो बाकी के लोग क्या सोचेंगे.
उन्होंने मेरी एक नहीं सुनी. वे गुर्रा कर बोले- एक बार बोल दिया, यहां कुछ भी मेरी मर्जी के खिलाफ नहीं होता. तुम देखना यहां कोई नहीं आएगा.

उन्होंने खींच कर मेरी समीज और टी-शर्ट भी ऊपर करके जल्दी से उतार दिया. अब मैं पूरी नंगी कार के अन्दर थी.

राजा जी अपनी तरफ मुझे खींच कर बोले- तू तो बिल्कुल आग है वन्द्या … तेरा कोई जवाब नहीं है … तू बहुत सेक्सी दिखती है सच में!

उन्होंने अपना ऊपर का, एक जो सफेद तरह का कुर्ता कहिए या शर्टनुमा बंडी कहिए, उसे एक ही झटके में उतार दिया.
मैंने देखा उनकी बहुत विशालकाय छाती में बहुत बाल थे. उन्होंने मुझे अपनी उसी छाती चौड़ी से चिपका लिया … वो भी एकदम कस के.
वे बोले- आह … बहुत सेक्सी है तू!
मैं उनके शरीर पर बिल्कुल छोटी सी चुहिया सी लग रही थी.
उन्होंने बोला- तू नीचे सीट पर पूरी लेट जा.

उन्होंने मुझे उठाकर पूरी सीट पर चित लिटा दिया और अपनी पैंट को भी उतार दिया. अब वह मूछों वाले अंकल मेरे को पूरे नंगे नजर आए. मुझे लगा अगर ये मेरे ऊपर चढ़ गए … तो मैं पिस न जाऊं.
वे मुझे लिटा कर मेरी टांगों तरफ आ गए और मेरे पैरों को फैला कर सीधे मेरी चूत में अपनी हथेली रख दी. उन्होंने देखा कि मेरी चूत में बहुत रस लगा था. तब उन्होंने पूछा- वन्द्या, इन दोनों में से किसी ने पूरी चुदाई की है क्या … तुम्हारे अन्दर किसी के लंड का माल गया अभी?
तब मैं बोली- नहीं नहीं राजा जी … सबने प्यास जगाई बस … मेरे अन्दर आग लगा कर छोड़ दिया.
उनको मैंने बोल तो दिया था, लेकिन मुझे बहुत डर लग रहा था. राजा अंकल का लंड बहुत ही खूंखार हो उठा था.

इस कहानी में इन पन्द्रह दिनों तक मेरी चुत की आग को ठंडा करने वाली चुदाई की कहानी में आपको सब पूरे विस्तार से लिखूंगी.
आपके कमेंट्स का इन्तजार रहेगा.
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कहानी जारी है.

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