हुस्न की जलन बनी चूत की अगन-5

(Husn ki Jalan bani chut ki Agan- Part 5)

राजेश 784 2019-01-27 Comments

This story is part of a series:

मैंने भाभी से कहा- आज हम दोनों मिले हैं तो लता को भूल जाओ और आओ साथ मिलकर इस मिलन को रंगीन बना दें.
और मैंने भाभी के गालों को हाथों के बीच में पकड़ा और उनके होंठ चूसने लगा.

भाभी भी मेरा साथ देने लगी. एक हाथ से नीचे मेरे लंड को सहलाती रही और मैं एक हाथ से उनकी पाव रोटी की तरह फूली चिकनी चूत को सहलाता रहा, उसके बीच में अपनी उंगली चलाता रहा, चूत बिल्कुल पानी छोड़ चुकी थी.

मैंने भाभी को चूतड़ों की तरफ घुमाया और उनके बड़े और गोल चूतड़ों और गांड के बीच में लंड खड़ा करके अड़ा दिया और आगे से उनकी छातियों को जोर-जोर से मसलता रहा.
भाभी कहने लगी- राज! तुम्हारा यह लंड देखकर मैंने तुम्हें माफ किया, आज अपने इस ज़बरदस्त हथियार से मेरी पिछले 4 सालों की प्यास बुझा दो.

मैंने भाभी को बेड पर लिटाया और उनके दोनों घुटनों को मोड़कर उनकी चूत को देखा. क्या ग़जब की चूत थी … ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने पाँव रोटी में चाकू से दो इंच का चीरा लगा रखा था. चूंकि भाभी थोड़ी भरे हुए शरीर की थी इसलिए उनके शरीर का हर हिस्सा कोमल और गुदाज था.

जब मैंने भाभी के शरीर पर हाथ फिराना शुरू किया तो देखा कि भाभी सर से पांव तक सेक्स की देवी लग रही थी. उनका पेट बिल्कुल साफ था कहीं भी कोई निशान नहीं था. उनके पेट की धुन्नी अंदर की तरफ धंसी हुई थी, मोटी मोटी गुदाज जांघें थी. भाभी के पाँव हाथी के सूंड की तरह से ऊपर पटों से मोटे और नीचे पांव तक उनकी शेप बहुत ही सुंदर थी.

मैंने थोड़ा सा भाभी के घुटनों को मोड़ा तो चूत का बीच का हिस्सा दिखाई देने लगा.
भाभी की चूत अंदर के रस से बिल्कुल चिकनी हो चुकी थी. चूत के ऊपर दो मोटी पुत्तियां थी और अंदर दो सुंदर छोटे-छोटे चूत के दो होंठ थे. भाभी की चूत का जो छेद था उसके ऊपर थोड़ी-थोड़ी किनारी काली थी, जैसे आंख में काजल लगा रखा हो.

मैंने भाभी की चूत को अपने होठों और जीभ से चाटना शुरू किया. मेरी जीभ जैसे ही भाभी के चूत के दाने पर लगी 2 मिनट बाद ही भाभी ने मेरा सिर अपनी जांघों के बीच में दबा लिया और आ … आ … करने लगी. वह कहने लगी- राज! ऐसे तो बहुत मज़ा आ रहा है, तुमने यह सब कहां सीखा? प्रोफेसर साहब ने तो कभी कुछ किया ही नहीं.

मैंने भाभी के शरीर के हर अंग की तारीफ की. उनकी खड़ी सॉलिड चुचियों की, उनके गोल गोरे चूतड़ों की, उनकी गांड की, उनकी गुदाज बगलों की, उनकी नशीली आंखों की, उनकी गर्दन की और उनकी चूत की तारीफ की. मैं उनके शरीर के हर अंग को बेड पर बैठ कर चूमता रहा.

भाभी के हाथ की उंगलियां बहुत पतली और नरम थी, उसी तरह से पांव की उंगलियां भी बहुत सुंदर थी जिनके ऊपर बहुत सुंदर नेलपेंट लगा हुआ था.
भाभी मुझे अपने ऊपर खींचने लगी. मैं भाभी के पेट के ऊपर से होता हुआ उनकी चूचियों के बीच में अपने लण्ड को ले गया और लंड को दोनों चूचियों के बीच में दबाकर, उनकी चूचियों को चोदने लगा.

मेरा लंड उनकी चूचियों के बीच से निकल कर भाभी के मुंह तक पहुंच रहा था. मैंने भाभी की गर्दन के नीचे तकिया लगाया जिससे उनका मुंह थोड़ा नीचे हो गया और मेरा लंड भाभी के होठों पर लगने लगा. मैंने अपने लंड को भाभी के मुंह में डाल दिया जिसे भाभी ने पूरा मुंह खोलकर अंदर लिया और कुछ देर तक चूसती रही.
भाभी कहने लगी- राज! इससे पहले कि कोई आ जाए तुम मेरी इस चूत की आग को शांत कर दो.

मैंने भाभी को सेक्स के लिए तड़पते हुए देखा. मैं दोबारा पीछे हटा और उनकी टांगों के बीच में बैठ गया. मैंने भाभी के घुटनों को थोड़ा मोड़ दिया और चूत के छेद के ऊपर अपने मोटे लंड का सुपारा रखा और अपनी पीठ से ज़ोर दे कर लंड को चूत के अंदर डालना शुरू किया.

भाभी ने अपनी आंखें बंद कर ली थी. भाभी की प्यासी चूत अंदर से चिकनी होने के कारण मेरे लंड का सुपारा जल्दी ही अन्दर चला गया.
भाभी कहने लगी- देवर जी थोड़ा धीरे करना, ऐसा न हो कि मेरी चूत ही फट जाए, पहली बार इतना मोटा लंड लेना तो दूर की बात है देखा भी आज ही है, पता नहीं चूत इसे ले पाएगी या नहीं?
मैंने भाभी की चूत को थोड़ा हाथों से और चौड़ा किया और भाभी के पांव को फैलाया, और चूत में एक झटका दिया जिससे आधे से भी ज्यादा लंड अंदर बैठ गया.

भाभी का बदन इकट्ठा होने लगा और भाभी बोली- ओह … यह तो बहुत मोटा है, इतना बड़ा लंड … करो … करो … धीरे-धीरे करो!
मैंने भाभी की दोनों चूचियों को हाथों में पकड़ा और उन्हें ज़ोर से भींचते हुए एक और ज़ोर से झटका मारा जिससे मेरा पूरा 8 इंच लंबा लंड भाभी की चूत की गहराइयों में उतर गया. भाभी ने एक लंबी सांस ली और मुझे अपनी छाती के ऊपर हाथों से खींच लिया और ज़ोर से जकड़ कर आह … आह … करते हुए अपना पानी छोड़ दिया और टांगें सीधी कर दी.

मैंने कहा- भाभी! यह क्या हुआ? मुझे लगता है आपकी चूत ने पानी छोड़ दिया है.
भाभी कहने लगी- राज! बहुत दिनों बाद, बल्कि जब से शादी हुई है, तब से ऐसे लंड की कभी कल्पना भी नहीं की थी और जैसे ही यह मेरे अंदर गया, मुझे बहुत अच्छा लगा, मुझे बहुत आनंद आया, और मैं एकदम खल्लास हो गई.
मैंने अपना लंड चूत से बाहर निकाला और भाभी से कहा- इसको थोड़ा चूसो.

मैं फिर दोबारा अपने घुटनों के बल भाभी की छातियों के ऊपर चढ़कर उनके मुंह में लंड देने लगा.
कुछ देर भाभी ने मेरे लंड को चूसा और वह कहने लगी- राज! मुझे बाथरूम जाना है.

मैं भाभी के ऊपर से उतर गया और वहां रखी एक बिना आर्म की कुर्सी के ऊपर बैठ गया. भाभी बाथरूम में पेशाब करके आई और तोलिए से उन्होंने अपनी चूत को साफ किया. जब भाभी आई तो मैं खड़ा हो गया और मैंने भाभी को खड़े-खड़े ही अपनी बाहों में लेकर उनकी टांगों को थोड़ा चौड़ा करके उनकी चूत के ऊपर अपने सुलगते लंड के सुपारे को रखा और इसी पोजीशन में उनके उभरे हुए गोल और चिकने चूतड़ों को अपने हाथों से दबाता रहा.
भाभी दोबारा गर्म हो गई. मैं उस बिना आर्म की कुर्सी पर बैठ गया और भाभी को लंड के ऊपर बैठने के लिए कहा. भाभी ने अपनी दोनों टांगे चौड़ी की और मेरी तरफ मुंह करके मेरे खड़े लंड को अपनी चूत पर सेट करके मेरी गोदी में बैठ गई, जिससे सारा लंड उनकी चूत में गच्च से बैठ गया.

इसी पोजीशन में हम कई देर तक बैठे रहे. भाभी लंड को चूत के अंदर लिए बैठी रही और मेरी कमर को अपने नाखून से काटती रही. मैं भी भाभी की चुचियों, तो कभी चूतड़ों, तो कभी कमर को सहलाता रहा.
कुछ देर बाद भाभी ऊपर नीचे होना शुरू हुई. मैंने भाभी को कमर से पकड़ा और उनको ऊपर-नीचे करता रहा. भाभी की कमर में बंधी हुई चांदी की तगड़ी बहुत ही सेक्सी लग रही थी.

मैंने भाभी से पूछा- यह हर रोज पहनती हो क्या?
तो भाभी ने बताया- नहीं, पता नहीं क्यों आज मैंने सोच रखा था कि आज मैं तुम से चुदवा लूंगी और यह मैंने तुम्हारे लिए ही पहनी है. प्रोफेसर साहब ने तो यह देखी भी नहीं है.

हम बातें करते रहे और भाभी मेरे लंड पर ऊपर-नीचे होती रही. उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरी गर्दन पर लपेट लिए और ज़ोर-ज़ोर से अपनी चूत को मेरी जांघों के ऊपर मारने लगी.
मैंने भाभी को खड़े होने को कहा. भाभी को खड़ा करके मैंने उन्हें दीवार से लगा लिया और उनकी एक टांग को अपने हाथ में उठा कर भाभी को चोदने लगा. एक तरफ भाभी दीवार से सटी हुई थी और दूसरी तरफ से मैं उनकी चूत को अपने मोटे लण्ड से चोद रहा था, फ़च-फ़च … की आवाजें आने लगी थी. भाभी ने अपना एक पाँव कुर्सी पर रख लिया और चुदाई करवाने लगी.
भाभी ने कहा राज- मेरा पानी फिर छूटने वाला है, तुम भी अपना छोड़ लो.

मैं कुछ नहीं बोला और भाभी को दोबारा कुर्सी पर उसी पोजीशन में बैठा लिया और भाभी की एक चूची को अपने मुंह में चूसने लगा. भाभी ने ऊपर-नीचे होना तेज़ कर दिया और कुछ ही देर में उनकी चूत ने दोबारा पानी छोड़ दिया और वह मुझसे लिपट गई. मैंने बहुत देर तक भाभी के चूतड़ों को पकड़कर अपने लंड की तरफ खींचे रखा और भाभी का पूरा पानी मेरे लंड के ऊपर से होता हुआ मेरी जांघों को भिगो रहा था.

थोड़ी देर में भाभी मेरे ऊपर से उतरी और दोबारा हैंड टावल से अपनी चूत को साफ किया. भाभी मुझसे पूछने लगी- तुम्हारा कितनी देर में छूटता है?
तो मैंने भाभी से कहा- यह मेरे हाथ में है और मुझे औरत को चोदना और उसको संतुष्ट करना अच्छी तरह से आता है, आप चिंता न करें, जब तक चाहें आप मेरे लंड का मजा लेती रहें.

भाभी बेड के ऊपर पेट के बल लेट गई. अब मेरे सामने उनकी मस्त गांड और कमर थी. मैंने भाभी के पांवों को थोड़ा चौड़ा किया और पीछे से लंड को उनकी चूत में डाला और उनकी कमर के ऊपर लेट कर लंड अंदर-बाहर करने लगा और उनकी गर्दन और उनके कानों को चूमता रहा.

जैसे ही मैंने भाभी की पीछे की गर्दन को चूमा, भाभी एकदम आह … आह … करने लगी. वह भाभी का हॉट पॉइंट था. मैंने दो-तीन बार पीछे से भाभी की गर्दन को चूमा, भाभी फिर तैयार हो गई.
मैंने उनको सीधा किया और मैं बेड के नीचे खड़ा हो गया और भाभी को घसीटकर बेड के किनारे पर ले आया. मैंने भाभी के दोनों घुटनों को मोड़ा और बेड से नीचे खड़े होकर उनकी चूत में दोबारा लंड डाला और उनकी चुदाई शुरू की. मेरा पूरा लंड भाभी की चूत में उनकी बच्चेदानी तक लग रहा था. भाभी उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह … उई … उई … हाँ … आह … आदि की कामुक सिसकारियाँ लगातार निकाल रही थी.

कुछ देर उसी पोजीशन में चोदने के बाद मैंने भाभी को घोड़ी बनने के लिए कहा.
भाभी कहने लगी- मुझे लगता है आज तुम मेरी जन्म-जन्म की प्यास बुझा दोगे. घोड़ी बनकर चुदना मुझे बहुत अच्छा लगता है, परंतु प्रोफेसर साहब ने यह कभी नहीं किया, क्योंकि मेरे हिप्स भारी हैं और उनका लंड छोटा है. अतः उन्होंने इस आसन में मुझे कभी भी नहीं चोदा है.

भाभी मेरे सामने घोड़ी बन गई, उनकी चिकनी गांड और उसमें से बाहर आई हुई चूत बहुत ही सुंदर लग रही थी. मैंने अपने दोनों हाथों की उंगलियों से भाभी की चूत को खोला और उसमें अपने लंड का सुपाड़ा टिकाया और अंदर लंड को सरका दिया. भाभी एकदम मस्ती से अपने सिर को इधर-उधर मारने लगी और बोली देवर जी- करो … ज़ोर … ज़ोर … से करो … ठोको!
मैंने भाभी की चूत में पीछे से लंड चलाना जारी रखा, कभी मैं उनको कमर से पकड़ता, तो कभी उनके चूतड़ों पर हाथ रखता, कभी उनके चूचों को पकड़ता, तो कभी उनकी जांघों में हाथ डालकर ज़ोर ज़ोर से चुदाई करने लगा।
सारा कमरा फच … फच … की आवाज़ से गूंजने लगा, यहां तक की हर धक्के पर बेड आवाज़ करने लगा था. कमरे के अंदर घमासान चुदाई जारी थी.

भाभी पसीने-पसीने हो गई थी. कुछ ही देर में भाभी ने अपनी चूचियां और अपने मुंह को बेड के ऊपर रख दिया, जिससे मैंने उनकी जांघों को पकड़ कर जोर-जोर से चुदाई शुरू की. भाभी आह … आह … बोले जा रही थी.
और एकदम भाभी बेड पर पसर गई और कहने लगी- राज! मैं बिल्कुल थक चुकी हूँ, तुम अपना कर लो या बाकी का फिर किसी दिन कर लेना, अब मुझे छोड़ दो।

तब तक 1:00 बज गया था, बच्चों की बस 2:00 बजे आनी थी, भाभी ने खाना बनाना था.
उन्होंने मुझसे कहा- अब मुझे माफ करो.
मैंने कहा- ठीक है, एक बार आप दोबारा सीधी बेड पर लेटो.

भाभी बेड के ऊपर लेट गई और मैं अपनी मनपसंद पोजीशन में भाभी के घुटने मोड़कर उनकी चूत के ऊपर चढ़ गया और अपने लंड से वार करने लगा. मैंने भाभी की टांगों को अपने कंधों पर रखा और उनको थोड़ा मोड़ते हुए चुदाई चालू रखी. टांगों को अपने कंधों पर रखा और मोड़ने से उनकी चूत और भारी चूतड़ मेरे बिल्कुल नीचे आ गए. मैंने पूरा दम लगा कर भाभी की चूत में 20-25 जबरदस्त शॉट लगाए और जबरदस्त तरीके से अपने लंड से वीर्य की पिचकारियां भाभी की चूत में छोड़ने लगा.

लगभग 10-15 पिचकारियों के बाद मैंने धक्के लगाने बंद किए और भाभी की टांगों को नीचे उतारा और लंड को अंदर डाले-डाले भाभी की छाती के ऊपर लेट गया. कुछ देर तक मैं भाभी के गालों, होठों, और भाभी की नशीली आंखों को चूमता रहा, जिससे भाभी पूरी तरह से संतुष्ट हो गई.

मेरे चूमने से उनको बहुत प्यार आया; मुझसे कहने लगी- राज! तुम औरत से बहुत प्यार करना जानते हो और औरत को अच्छी तरह से कैसे चोदा जाता है, कैसे संतुष्ट किया जाता है, यह भी बहुत अच्छी तरह से जानते हो. यह सब तुमने कहां से सीखा?
मैंने कहा- भाभी जी! अब आप खड़ी होकर खाना बनाओ, यह बात मैं फिर किसी दिन बताऊंगा.

मैं भाभी के ऊपर से उतरा और साथ में भाभी भी उठी. भाभी ने देखा जहां उनके चूतड़ टिके हुए थे वहां से चादर बहुत गीली हो गई थी. कुछ तो उनकी चूत के पानी छोड़ने से और कुछ मेरे वीर्य ने उनके बेड को भिगो दिया.
जब भाभी उठ कर बाथरूम जाने लगी तो मेरा वीर्य उनकी चूत से निकल कर उनके पटों पर बह रहा था और वह अपनी टांगों को चौड़ी करके चल रही थी, जिससे फर्श के ऊपर वीर्य के टपके गिर रहे थे. भाभी बाथरूम में चली गई.

मैंने अपना लोवर पहना और टी-शर्ट पहनी. भाभी बाथरूम से बाहर आई, उन्होंने भी अपने टॉप और स्कर्ट की जगह एक गाउन पहना और मुझसे कहने लगी- तुम ऊपर अपने कमरे में चलो, मैं कुछ देर में तुम्हारे लिए खाने पीने के लिए कुछ लाती हूँ.
मैं अपने कमरे में आ गया.

10 मिनट बाद भाभी मेरे लिए बादाम का गर्म दूध और कुछ ड्राई फ्रूट लेकर आई और कहने लगी यह दूध पियो और यह ड्राई फ्रूट खा लो, तुम्हारे अंदर फिर से एनर्जी आ जाएगी.
मैंने भाभी से कहा- भाभी! लता भाभी की बात आप अपने तक ही रखना और हो सके तो उस लड़की सोनू से भी कहना कि वह किसी से न कहे.

भाभी ने कहा- सोनू तो मुझे लगता है खुद भी तुम्हारे चक्कर में है, क्योंकि मैं भी ऊपर से अक्सर देखती हूँ, वह तुम्हारे कमरे की तरफ ही देखती रहती है.
मैंने कहा- हो सके तो भाभी एक नई चूत दिलवा दो.
भाभी हंसने लगी, कहने लगी- अभी तो वह बिल्कुल छोटी लड़की है, तुम्हारा इतना बड़ा लंड कैसे लेगी?
मैंने कहा- वह पूरी जवान हो चुकी है, उसके मम्मे बड़े-बड़े हैं और कई बार मैंने उसकी स्कर्ट में से उसके पट भी देखे हैं, अपने आप ले लेगी. आप उससे मेरी फ्रेंडशिप करवा दो.

भाभी कहने लगी- ठीक है, किसी दिन आएगी तो मैं तुम्हारी तारीफ कर दूंगी.
और यह कह कर भाभी नीचे चली गई.

मेरा और भाभी का यह चुदाई का यह खेल चलने लग गया. लता भाभी के हस्बैंड टूर से वापस आ गए थे.

हेमा भाभी ने मस्त सोनू की चूत कैसे दिलवाई यह मैं अगली कहानी में लिखूंगा.
आपको यह कहानी कैसी लगी अपने कमेंट बॉक्स में जरूर लिखिएगा.

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top