गलतफहमी-26

(Galatfahami- Part 26)

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मुझे तो पता था कि वो पुस्तक मेरी है, तो मैंने ढूंढने का प्रयास किया कि छोटी ने और क्या छुपाया, तब मुझे रोहन का आठ पृष्ठों की चिट्ठी मिली, जिसे पढ़ कर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई, आँखों से आँसुओं की बरसात होने लगी। मैं सीना पीट-पीट कर रोने लगी। मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया, मैं बेहोश होने लगी।
चिट्ठी में लिखा था…
कविता आई लव यू.. मैं तुम्हें कितना चाहता हूँ, शायद अब तक तुम्हें पता चल ही गया होगा। तुम्हें बहुत सारी जरूरी बातें बतानी थी, जिसे मैं तुम्हें नहीं बता पाया वो सारी बातें इस चिट्ठी में लिखी हैं। ये चिट्ठी पढ़ते ही जला देना क्योंकि मैं तुम्हारी बदनामी बिल्कुल बर्दाश्त नहीं कर सकता।

उस दिन बुधवार को जब तुम मुझसे मिलने आने वाली थी, तब मैं भी तुमसे मिलने के लिए बहुत खुश था, लेकिन सुबह मुझे अमित ने कहा- यार, अब हम सब छुट्टियों पे चले जायेंगे तो बिजली बिल पे कर के जाते हैं.
और उसके लिए सबने मुझे जाने को कहा तो मैंने मना कर दिया.
फिर सब छेड़ने लगे- क्यों बे आज कुछ प्लान है क्या..!
मैंने कुछ नहीं कहा, तो सब समझ गये कि आज हम मिलने वाले हैं.
फिर थोड़ी देर बाद विकास ने मुझे जाने को कहा पर मैंने फिर मना किया तो गौरव ने अपना फोन निकाल के तुमसे बात की- हाँ कविता! तुम आज मत आना आज रोहन बिजली बिल पे करने जा रहा है, और हम भी घर पर ही रहेंगे तुम उससे कल मिल लेना।
फिर मुझसे कहा.. लो अब कविता नहीं आयेगी अब तो जाओगे ना!
मैंने मन मार कर हाँ कहा और चला गया।

मुझे तो ये बाद में पता चला कि उन्होंने तुम्हें फोन ही नहीं लगाया था, वो सब तो एक साजिश थी, तुम्हें फंसाने की!
और जब मैं वापस आया तो मैंने तुम्हें उन तीनों से चुदते देखा, मुझे बहुत बुरा लगा, लेकिन तुम बहुत खुशी से चुद रही थी और तुम तो जानती हो कि मैं तुम्हारी खुशी के लिए सारी हदें पार कर सकता हूँ।
वैसे गलती तुम्हारी नहीं है, शायद मेरे लंड की तरह मेरा प्यार भी तुम्हारे भीतर तक नहीं पहुँच पाया।

फिर तुम चली गई, मैंने छिपकर तुम्हें जाते देखा, फिर मैं रूम में गया, वे सब अपनी कामयाबी का जश्न मना रहे थे। तुम्हारे साथ जो भी हुआ था वो सब मुझे हंस-हंस कर बता रहे थे।
मैं गुमसुम सा था, कुछ कर भी नहीं सकता था।

उस दिन जब तुम रूम में पहुंची तब तक वो तुम्हारी चुदाई की प्लानिंग कर चुके थे, तुम्हें लंड दिखा कर रिझाना, फिर मुझे फोन करने के बहाने मोबाइल का कैमरा आन करके टेबल पर रखना और तुम्हारी चुदाई की रिकार्डिंग करना उनकी प्लानिंग का हिस्सा था.
वो लोग तुम्हारी चुदाई की वीडियो बनाकर तुम्हें ब्लैकमेल करके तुम्हारे शरीर को अपने हिसाब से इस्तेमाल करना चाहते थे, तुम्हें अपने और दोस्तों से चुदवा कर उनसे पैसा कमाना चाहते थे, कुल मिला कर वो तुम्हें रंडी बनाने वाले थे।

ये सब सुनकर भी मैं उनके सामने शांत रहा, और तुम्हारी वीडियो ‘मैं भी देखूँगा’ ऐसा बहाना करके मैंने मोबाइल मांगा और वीडियो डिलीट कर दी। वो वीडियो कहीं और नहीं फैला था, मतलब ओरिजन वीडियो ही डिलीट हो गया इसलिए वो बौखला गये और मुझे बहुत पीटा.
उसके बाद जो काम वो तुम्हारे साथ करना चाहते थे, वो सब मेरे साथ करने लगे, रोज पीटते और सेक्स करके वीडियो भी बनाते थे। उनके बड़े-बड़े लंडों से रोज मेरी गांड सूज जाती थी, मुझे ब्रा पेंटी पहना कर नचवाते थे।

इसके बावजूद मैं सब कुछ बर्दाश्त कर लेता, पर उन लोगों ने तुम्हें रंडी बनाने की सोची इस बात के लिए मैं उन्हें माफ नहीं कर सकता था, इसीलिए मुझे उपाय सूझा कि मेरी मौत से वो कमीने जेल चले जायेंगे और तुम्हारी चुदाई वाली बात भी हमेशा के लिए दब जायेगी।
और ऐसे भी जानेमन तुम्हें ना ही मैं पूरा पसंद था और ना ही मेरा लंड, अब ऐसे में मैं रहूँ ना रहूँ तुम्हें क्या फर्क पड़ता है। बस तुम अपना ख्याल रखना… और ये याद रखना कि छोटे से लंड वाले किसी रोहन का दिल बहुत बड़ा भी हो सकता है।
मैंने तुम्हें जीवन भर चाहा, और अगले जन्म में भी मैं तुम्हें चाहता रहूँगा, कब, कैसे, कहाँ, ये ऊपर वाला ही जाने!
अलविदा मेरी जान… आई लव यू!

मैं इन सभी बातों से अनजान थी, अब मुझे काटो तो खून नही… पर क्या करती, मैंने अपने जीवन का सबसे कीमती हीरा खो दिया था, मैं चमकते सोने के पीछे भागती रही, जबकि उससे कहीं ज्यादा कीमती मेरे पास काला हीरा था।

अब एक बड़ी अड़चन यह थी कि ये सारी बात छोटी भी पढ़ चुकी थी, इसलिए उसे और ज्यादा झटका लगा था। वो पागलों सी हरकत करने लगी थी, लेकिन घर वाले, उसके पागलपन का कारण सेक्स रिलेटेड समझते थे। क्योंकि उन लोगों ने उसके हाथ में मेरी अश्लील पुस्तक देख ली थी।
फिर घर वालों को किसी बाबा का पता चला, जो ऐसी बिमारियां ठीक करता है। तो उन्होंने उसे वहाँ चलने को कहा, वैसे वो मुझे भी ले जाना चाहते थे पर मैंने मना कर दिया लेकिन छोटी मना करने की हालत में नहीं थी, उसे जाना पड़ा।
वहाँ बाबा ने उसे तीन दिन के लिये छोड़ने को कहा और छोटी को अपने साथ रख लिया।

वहाँ से आकर छोटी कुछ दिन एकदम खामोश रहने लगी उसके बाद वो और ज्यादा पागल हो गई। जो अभी तक है।
इन सब कारणों से बाबूजी को दिल का दौरा पड़ गया और वो स्वर्ग सिधार गये, उनके मरणोपरांत माँ को फंड मिला, पेंशन मिलती है, और उसी से माँ ने बहुत जल्दी पैसा वाला घर देखकर मेरी शादी कर दी, मुझे अपनी जिस खूबसूरती से नफरत हो गई है, उसी खूबसूरती की वजह से लड़के ने मुझे एक बार में पसंद कर लिया और शादी के लिए हाँ कह दिया।

मैं आज भी उस पश्चाताप की अग्नि में जल रही हूँ, मेरी ही गलतियों की वजह से मेरा और रोहन परिवार बिखर कर रह गया। कोई औरत जब तक किसी एक से संबंध रखती है, तब तक वह अपने दायरे और सीमाओं में रहती है, लेकिन जैसे ही वो एक से दूसरे लंड का स्वाद चखती है, उसकी भूख बढ़ जाती है, और वह अपनी हदों को पार कर जाती है। मैं भी शायद रोहन के अलावा अपने सर के साथ संबंध नहीं बनाती तो शायद सामूहिक चुदाई के लिए कभी राजी नहीं होती।
दूसरी सबसे बड़ी बात कि मुझे रोहन के नहीं मिलने पर वहाँ रुकना ही नहीं था।
खैर अब लकीर पीटने से क्या फायदा!

आप सब तो जानते ही हैं कि ये बातें मुझे कविता जो शादी के बाद मेरी तनु भाभी है, सुना रही है।
वो ये सब बताते हुए फफक-फफक कर रो पड़ी और कहा- अब तुम समझे संदीप कि मैंने कैमरे और फोटो वाली तुम्हारी और कल्पना की कहानी के समय क्यों फोन काटा था. मैं रोहन से जुड़ी किसी भी बात को अब तक नहीं भुला पाई हूँ।
और तुम अंतरवासना के लेखक हो, यह बात भी मैं पहले से ही जानती थी, क्योंकि मैं तुमसे फेक आई डी बनाकर चैट कर चुकी हूँ। दरअसल मैंने तुम्हारी कहानियां पढ़ी तो मुझे लगा कि तुम मेरी बहन का पागलपन ठीक सकते हो इसलिए ही मैंने तुमसे करीबी बढ़ाई। तुम तो जानते हो कि मेरा बचपन का नाम कविता और मेरी बहन का नाम अनीता है, इसलिए मैंने तुम्हारी काल्पनिक चुदाई में अपनी राशि का नाम ही सुझाया कविता की जगह कल्पना और अनीता की जगह आभा!
इस तरह शुरू से अंत तक सारी चीजें एक दूसरे से बंधी हुई थी।

मैंने इतना सेक्स किया है कि अब मुझे तुमसे सेक्स करने में कोई तकलीफ नहीं है। पर तुम मेरी बहन के इलाज के लिए एकमात्र उम्मीद हो।

अब तक मेरी गांड भी फट गई थी लेकिन भाभी की कहानी से आँखों में पानी भी आ गये थे।
मैंने भाभी को गले से लगाया और उसके माथे पर चूमते हुए कहा- भाभी, मैं आपकी चुदाई जरूर करूंगा और खूब करूँगा, पर मैं इतना भी कमीना नहीं हूँ कि किसी बेबस की चूत का भूखा रहूँ। आप फ़िक्र मत करो, आप अपनी बहन को यहीं बुला लो, मैं उसे अपने तरीके से ठीक करने की पूरी कोशिश करूंगा।

भाभी थैंक्स कहते हुए मुझसे चिपक गई।

दोस्तो, मैं भाभी की चुदाई का भूखा नहीं हूँ.
फिलहाल कहानी का यहीं अंत हो रहा है लेकिन आपको मेरी अगामी कहानी ‘सम्भोग से आत्मदर्शन’ में अनीता(छोटी) को ठीक कैसे, कब, कहाँ किया एवम् उस बाबा ने तीन दिन में उसके साथ क्या किया, मैंने तनु भाभी को कैसे चोदा, सम्भोग के लाभ हानि और सम्भोग से आत्म परमात्म दर्शन की कहानी पढ़ेगे।

उम्मीद है मेरी ये कहानी आपकी अपेक्षाओं पर खरी उतरी होगी। सभी को सहयोग के लिए धन्यवाद एवम् मेरी गलतियों के लिए मुझे क्षमा करेंगे। मुझे बहुत से लोगों के मेल या मैसेज आते हैं, सब अपना काम निकाल कर चले जाते हैं, मेरी सारी अच्छाई धरी की धरी रह जाती है। मैं तब भी खुश होता हूँ, चलो किसी ने मुझे दिल बहलाने लायक खिलौना तो समझा, जैसे कविता ने रोहन को समझा था।

अगामी कहानी तक के लिए आप लोगों का चहेता संदीप साहू विदा लेता है।

।। समाप्त ।।

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