फंतासी कहानी: दोस्त के पापा ने मां की चूत चोद दी

(Fantasy Sex Story: Dost ke papa ne maa ki chut chod di)

अक्षय 9 2019-06-22 Comments

हैलो दोस्तो, मैं अक्षय (नाम बदला हुआ) आज आपके सामने मेरी फंतासी कहानी लेकर आया हूं।

तो आपका ज्यादा समय न लेते हुए आपको बता दूं कि मेरी फंतासी है कि मेरी मां मेरे दोस्त के पापा से चुदे। हो सकता है आपको माँ की चुदाई की कहानी अच्छी न लगे, इसलिए जो पाठक माँ की चुदाई नहीं पढ़ना चाहते हैं वो अन्तर्वासना पर अन्य गर्म कहानियों का मजा ले सकते हैं.

चलिए मैं आपको मेरी मां की काल्पनिक चुदाई की कहानी सुनाता हूं।

मेरी मां पूजा (नाम बदला हुआ), उम्र 45 साल, फिगर अंदाजन 36-34-38 एक मराठी गृहिणी है। मेरे पापा एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं। इस कहानी में मेरे एक काल्पनिक दोस्त के पापा मेरी मां की चूत का मजा लेंगे। मेरे दोस्त का नाम धीरज शुक्ला है. उसके पिता रमेश शुक्ला 50 साल के मजदूर हैं जो काफी हट्टे कट्टे हैं।

मेरी मां एक शरीफ और संस्कारी गृहिणी है जो किसी पराए मर्द को नहीं देखती। पर जैसा कि आप जानते हो, औरत की कामवासना उमर के बढ़ने के साथ ही बढ़ती जाती है।
मेरी मां बस में सफर करती है. जब भी बाजार या कहीं और जाना हो तो वो बस से ही जाती है। बस में काफी भीड़ होती है यह तो आपको पता ही है।

एक रोज मेरी मां बाजार जाने के लिए बस से जाने लगी किंतु उनकी रोज वाली बस छूट गई तो उसे अगली बस में जाना पड़ा. वो जैसे-तैसे बस में चढ़ गई पर बस में इतनी भीड़ थी कि उसे बैठने की जगह नहीं मिल पाई. बाजार 1 घंटे की दूरी पर है तो उसे काफी तकलीफ होने वाली थी।

बस थोड़ी ही दूर चली थी कि मेरी मां को पीछे कुछ महसूस हुआ. उसने पीछे मुड़कर देखा तो एक आदमी उसके पीछे खड़ा था। उसका लन्ड मेरी मां की गांड में चुभ रहा था जो अभी पूरा कड़क नहीं हुआ था।

मेरी मां थोड़ी आगे खिसक गई मगर भीड़ की वजह से वह फिर पीछे धकेल दी गई। अब फिर उस आदमी का लन्ड मेरी मां की गांड पर रगड़ खाने लगा. वह जान-बूझकर कुछ नहीं कर रहा था। बार-बार लंड के रगड़ने की वजह से मेरी मां और वह आदमी न चाहते हुए भी उत्तेजित से होने लगे। लेकिन किसी तरह से दोनों अपने आप पर काबू करने में सफल रहे।

अब मेरी मां को उस आदमी के लंड की रगड़ अच्छी लगने लगी थी। अब तक बस के चलने की वजह से उस आदमी के लंड पर मेरी मां की गांड लग रही थी, पर अब मेरी मां हल्के-हल्के जान-बूझकर उस आदमी के लंड पर अपनी गांड दबाने लगी।

यह बात उस आदमी को महसूस हुई तब वह मन ही मन में खुश होकर मेरी मां का साथ देने लगा। भीड़ की वजह से वह दोनों कुछ ज्यादा नहीं कर पा रहे थे। जब बस की ब्रेक लगती थी सब आगे की ओर धकेल दिए जाते थे, लेकिन मेरी मां अपनी गांड पीछे कर देती थी जिससे उस आदमी का लंड उसकी गांड पर जोर से रगड़ खाने लगता। पूरे रास्ते में मेरी मां और वह आदमी इसी तरह मजा लेते रहे और बाजार आते ही मेरी मां नीचे उतर गई.

उसकी सांसें तेज चल रही थी. वह थोड़ी देर बस स्टैंड पर बैठी तब उसका ध्यान उसी आदमी पर गया. वह मेरी मां को देखकर मुस्कराया और वहां से चला गया। मेरी मां शर्म से पानी-पानी हो रही थी. वह समझ नहीं पा रही थी कि ये कैसे हो गया।

थोड़ी देर बैठने के बाद उसने बाजार से सारा सामान लिया और घर चली आई.

घर आकर वो नहाने चली गई. अभी तक उसके दिमाग में बस वाला किस्सा चल रहा था। वो बाथरूम में गई. एक-एक करके अपने बदन से सारे कपड़े उतारने लगी. आखिर में उसके सांवले बदन पर ब्लैक ब्रा और रेड पैंटी बच गई। ब्रा के निकलते ही उसके दूध उछल कर बाहर आ गए. सांवले दूध और काले ब्राउन रंग के निप्पल जो मूंगफली जितने बड़े हैं बाहर आ चुके थे।

अब मां धीरे-धीरे अपनी पैंटी निकालने लगी और जब पैंटी निकल गई तब मेरी मां उसे चेक करने लगी. उसने देखा कि उस आदमी के लंड का मजा लेते-लेते उसका पानी छूट चुका था।

मां अब मन ही मन में शर्मिंदा महसूस करने लगी. मगर थोड़ी देर बाद घर के काम में लगकर थोड़ी देर के लिए उस किस्से को भूल गई। दूसरे दिन मां जान-बूझकर बाजार नहीं गई ताकि वो आदमी भी उस बात को भूल जाए और सब ठीक हो जाए।

फिर मां दोबारा बाजार जाने के लिए बस स्टैंड पर गई. आज मां की रोज वाली गाड़ी आई. मेरी मां उस गाड़ी को देख रही थी लेकिन न जाने क्यों वह अंदर नहीं गई। उस बस के जाने के बाद फिर वही बस आई जिसमें मेरी मां को एक अजनबी से मजा मिला। मां उस बस में चढ़ गई परंतु थोड़ी झिझकते हुए.

उसने चढ़ते ही सब तरफ देखना शुरू किया. जब उसकी नज़र पीछे गई तब वह आदमी पीछे बैठा दिखा. उसकी भी नज़र मां पर पड़ी और वह उठकर मेरी मां के पीछे आकर खड़ा हो गया जिससे मेरी मां की सांसें तेज हो गईं।

भीड़ बढ़ गई और बस के शुरू होते ही मेरी मां और वह आदमी भी शुरू हो गए। आज उस आदमी की हिम्मत थोड़ी बढ़ गई. उसने मेरी मां की कमर पकड़ ली और उसे सहलाने लगा। मेरी मां कमर छुड़ाने की कोशिश करने लगी और वह आदमी अपने लंड को मां की गांड पर रगड़ रहा था।

अब मां का प्रतिकार कम हो गया. तब उस आदमी को और हिम्मत मिली और वह मेरी मां की कमर पकड़कर उसकी गांड पर लंड रगड़े जा रहा था। मेरी मां भी अब उसका साथ देने लगी.

अब दोनों बाजार वाले स्टॉप पर उतर गए। मां बाजार की तरफ जाने लगी, तो वह आदमी मेरी मां के पीछे आने लगा। मेरी मां जिस दुकान में जाती, वह उस दुकान में जाकर कुछ लेने का बहाना करने लगता। मेरी मां थोड़ी डरने लगी।

बाजार से लौटते समय वह आदमी मेरी मां के पीछे आने लगा तो मां एकदम रुकी और उससे पूछा- मेरा पीछा क्यों कर रहे हो? तब उसने कहा- जी, बस आपसे बात करनी है. मेरा नाम अशोक है।
मेरी मां बात को टालने की कोशिश करके बस स्टैंड की ओर जाने लगी, लेकिन वह आदमी प्यार से मेरी मां से बात करने लगा।

वो बोला- रुकिए, आप डरिए मत, मैं बुरा इंसान नहीं हूं, आपको तकलीफ नहीं दूंगा।

थोड़ी देर बातें करने के बाद दोनों अपने-अपने रास्ते चले गए. अब मेरी मां उस आदमी से बस में रोज अपनी गांड पर लंड रागड़वाने लगी। अब दोनों बाहर एक सुनसान जगह पर मिलने लगे, उन्हें ऐसे मिलते हुए दो-तीन महीने हो चुके थे। अब मेरी मां उस आदमी से काफी घुल-मिल चुकी थी, वह आदमी ज्यादा जल्दबाजी नहीं कर रहा था।

एक दिन रोज़ की तरह मेरी मां उस आदमी से मिलने उसी जगह चली गई लेकिन आज उसकी चोरी मेरे दोस्त के पापा रमेश पकड़ने वाले थे। मेरी मां जब उस जगह पहुंची और उनके रेगुलर स्पॉट पर जाने लगी तब रमेश अंकल ने मेरी मां को देख लिया। वह सोचने लगे- अरे ये तो अक्षय की मां है. ये यहां इतनी सुनसान जगह पर क्या कर रही है?
रमेश अंकल मेरी मां का पीछा करते हुए उनके स्पॉट पर आ पहुंचे।

वहां पर वो आदमी पहले से मौजूद था. मां के आते ही वह खुश हुआ और बोला- शुक्र है आ गई. वरना मैं यहां अकेले बोर होता रहता.
ऐसा कहते-कहते उसने मेरी मां को कस कर पकड़ लिया और किस करके मेरी मां की गांड साड़ी के ऊपर से दबाने लगा. मेरी मां भी उसका साथ देने लगी.

ये देख कर रमेश अंकल शॉक हो गए। उनको अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ कि मेरी मां जो इतनी शरीफ बनी घूमती है वो भी ऐसा कर सकती है! अब वह आदमी मेरी मां का ब्लाउज खोलने लगा और मेरी मां उसकी पैंट की ज़िप खोलकर उसका लंड हिलाने लगी. उसका लंड सिर्फ पांच इंच का था। वह आदमी मेरी मां के बूब्स मसलने लगा और मेरी मां उसके लंड को हिला रही थी.

फिर उसने मेरी मां को अपना लंड चूसने को कहा और मेरी मां ने वक़्त ना गंवाते हुए उसका लंड चूसना शुरू कर दिया.
लंड को चूस-चूस कर मेरी मां ने उसका पानी निकलवा दिया. वह पानी मेरी मां के बूब्स पर निकला. अब वह आदमी काफी शांत लग रहा था.

मां ने अपने कपड़े ठीक किए और दोनों बातें करने लगे।
वह आदमी अब मेरी मां के कंधे पर हाथ रखकर उसे सहलाते हुए उनसे पूछने लगा- पूजा, और कितने दिन तड़पाओगी, अब तो मुझे अपनी चूत का मजा दे दो.

मां बोली- थोड़े दिन रुको, मुझे अभी भी डर लग रहा है. कहीं किसी को कुछ पता चल गया तो क्या होगा।
तब वह आदमी बोला- अरे मेरी जान, 3 महीने से मेरा चूस रही हो, जब अब तक किसी को पता नहीं चला ना तो फिर अब किसको क्या पता चलने वाला है?

यहां रमेश अंकल उनकी बातें सुन रहे थे और सोच रहे थे कि ये औरत तो काफी शरीफ बनती थी और यहां एक पराये मर्द के साथ मजे ले रही है।

शाम को रमेश अंकल मां को गार्डन में मिले और उन्हें नमस्ते किया. मेरी मां इस बात से अनजान थी कि सुबह उनकी रंगरेलियां रमेश अंकल देख चुके हैं। अब गार्डन में मां की रमेश अंकल से बात हुई।
मां ने उनको देख कर कहा- अरे, रमेश जी, कैसे हो आप? बहुत दिनों के बाद दिखाई दे रहे हो.
रमेश अंकल बोले- मैंने तो आपको सुबह भी देखा था.

मां ने पूछा- कहां पर?
अंकल- सुबह जब आप उस आदमी का लंड चूस रही थीं पूजा जी. आप उसका लंड चूसने में मग्न थी और वो आपके दूध का लुत्फ उठा रहा था.
मेरी मां ये सुनकर एकदम से चौंक गई और घबराते हुए बोली- ये आप क्या बोल रहे हो रमेश जी? आपको जरूर कोई गलतफहमी हुई है.
अंकल- अरे पूजा जी, मेरी गलतफहमी तो दरअसल आज ही दूर हुई है. अब तक तो मैं आपको एक शरीफ औरत समझता था लेकिन आप तो बहुत चालू निकलीं. अब कृपया पतिव्रता होने का नाटक मेरे सामने आप न ही करें तो अच्छा है.

मां बोली- प्लीज़, मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हूँ. ये बात किसी से मत कहना. मुझसे गलती हो गई. मैं दोबारा ऐसा नहीं करूंगी.
अंकल- अरे नहीं पूजा जी, इसकी कोई जरूरत नहीं है. आप मजे से उस आदमी के साथ रंगरेलियां मनाइये. लेकिन …
लेकिन क्या रमेश जी? मां ने घबराते हुए पूछा.

अंकल- जैसा मजा आप उस आदमी को दे रही हो, वैसा ही मजा मुझे भी चाहिए.
मां बोली- नहीं, मैं वैसी औरत नहीं हूँ.
अंकल- अगर आपने मेरी बात नहीं मानी तो मैं आपके पति को आपके बारे में सब बता दूंगा कि आप दूसरे मर्द के लंड के साथ साथ खेलती हो.
मेरी मां डर गई और बोली- मत बताना आप. आप जो बोलोगे मैं वो करूंगी।

तब रमेश अंकल हंसने लगे और बोले- ये हुई ना बात. देखो पूजा जी मैं बुरा आदमी नहीं हूं. बस जब आप जैसी कमसिन, भूखी, मराठी औरत हाथ आए तो किसी की भी नीयत खराब हो सकती है। देखिए पूजा जी. आप उससे मजे लो. मुझे कोई हर्ज नहीं. जब तक आप अपने दूध मेरे मुंह मे देती रहोगी तब तक मैं चुप रहूंगा और हां, आज शाम को मेरे पास जगह है तो आज आप मुझसे मिलना.
ऐसा कहकर रमेश अंकल चले गए।

यहां मेरी मां के होश उड़ गए थे. वह सोच रही थी कि ये मैंने खुद को किस मुसीबत में डाल दिया। मां पूरे वक़्त इसी सोच में थी कि अब वह क्या करे. मां को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था. इसलिये उसको रमेश अंकल के पास जाना पड़ा.

रमेश अंकल उनके दूसरे घर में, जहां कोई नहीं रहता, वहां थे. मेरी मां वहा सिंपल सी साड़ी पहन कर गई. उसने दरवाजा खटखटाया।
कुछ देर बाद रमेश अंकल ने दरवाजा खोला और बोले- अरे पूजा जी, बहुत-बहुत शुक्रिया आप आईं. वरना मुझे बहुत बुरा लगता।

रमेश अंकल लुंगी और बनियान में थे. उनकी बनियान में से उनकी बालों वाली छाती दिख रही थी। मां अंदर चली गई और रमेश अंकल ने दरवाजा बंद कर लिया।
मां डरी हुई थी और सोच रही थी कि अब वह क्या करे.

तब रमेश अंकल बोले- पूजा जी डरिए मत, मैं आपको पूरा मजा दूंगा. आखिर आप मेरे बेटे के दोस्त की मां है. आपका खयाल रखना मेरा फर्ज है।
रमेश अंकल मेरी मां के पास आए और उन्होंने अपना हाथ मेरी मां के कंधे पर रख दिया और उसे अपनी ओर खींच लिया और मेरी मां को किस करने लगे।

मेरी मां उनका साथ नहीं दे रही थी और चुपचाप खड़ी थी। रमेश अंकल मेरी मां के होंठ चूम रहे थे और साथ ही साथ मेरी मां की गांड़ भी मसल रहे थे।

कुछ देर चूमने के बाद उन्होंने मेरी मां का पल्लू नीचे कर दिया और ब्लाउज के ऊपर से ही उसके दूध दबाने लगे. इस वजह से मां को हल्का सा दर्द होने लगा और वो मादक आवाज में सिसकारी भरने लगी.

थोड़ी देर मसलने के बाद उन्होंने मेरी मां के ब्लाऊज को खोलना शुरू किया और उसका ब्लाऊज उतार कर नीचे गद्दे पर फेंक दिया. अब मेरी मां व्हाइट ब्रा में अंकल के सामने खड़ी थी. अंकल ने आव देखा न ताव और मेरी मां के बूब्स और क्लीवेज चूमने लगे.

उनकी दाढ़ी मेरी मां के बूब्स पर चुभ रही थी जिसकी वजह से मां को थोड़ी तकलीफ हो रही थी। कुछ देर तक मेरी मां के दूध के साथ खेलने के बाद अंकल ने उसकी साड़ी खोल दी और साथ ही पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया और साड़ी और पेटीकोट को उतार कर अलग कर दिया।

अब मेरी मां सिर्फ सफेद ब्रा और नीली पैंटी में अंकल के सामने खड़ी थी. अब अंकल फिर मेरी मां को किस करने लगे और एक हाथ से उसकी गांड और दूसरे हाथ से उसकी चूत मसलने लगे। एक साथ दोनों जगह अंकल के मजबूत और कड़क हाथ पड़ने से मेरी मां की की हालत खराब होने लगी। एक साथ गांड, चूत और बूब्स पर होने वाले हमले से मां को संभलना मुश्किल होने लगा।

मां की चूत पर अंकल का सख्त हाथ पड़ते ही उसे मीठा दर्द होने लगा और न चाहते हुए भी वो अपने पैर फैलाने लगी। अंकल ये देख कर खुश गए और उन्होंने मेरी मां की ब्रा का हुक खोल दिया और भूखे भेड़िए की तरह मेरी मां के बूब्स चूसने लगे।

मेरी मां के निप्पल उत्तेजना से कड़क हो चुके थे जिन्हें अंकल अब मजे लेकर चूस रहे थे।

अब अंकल ने अपने दोनों हाथ मेरी मां की पैंटी में डाल दिए और एक हाथ से उसकी गांड और दूसरे हाथ से उसकी चूत सहलाने लगे. अब मां पूरी पागल होती जा रही थी. उसके मुंह से सिसकारी निकल रही थी और चूत पानी निकाल रही थी।

कुछ देर सहलाने के बाद उन्होंने मेरी मां की पैंटी भी निकाल दी. मेरी मां किसी पॉर्न आर्टिस्ट की तरह नंगी हो चुकी थी. उसकी सांसे ज़ोर-ज़ोर से चल रही थीं।

कुछ देर मेरी माँ के नंगे बदन के साथ खेल कर अंकल ने अपनी बनियान उतार दी. अब वो मेरी माँ के सामने सिर्फ लुंगी में थे जो उन्होंने अगले ही पल निकाल कर अलग कर दी. उन्होंने अंदर कुछ नहीं पहना था इसलिए वो पूरे नंगे हो गए।

जैसे ही अंकल की लुंगी खुल गई उनका लंड मेरी मां के सामने आ गया। मेरी मां उसे देखती रह गई. 7 इंच लम्बा और ककड़ी जितना मोटा काला लंड मेरी मां के सामने था। अंकल के लंड पर नब्ज़ काफी थे और उनकी झाटें भी ज्यादा बड़ी नहीं थी।

अंकल फिर मेरी मां के पास आए और उन्होंने मेरी मां का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया और उसे हिलाने लगे और दूसरे हाथ से मेरी मां की चूत को सहलाने लगे. कुछ देर बाद उन्होंने महसूस किया कि मेरी मां अब खुद उनके लंड को हिला रही थी।

फिर उन्होंने मेरी मां को अपना लंड चूसने को बोला और ताज्जुब की बात है कि मेरी मां भी अंकल का लंड चूसने लगी। अंकल का लंड पूरा कड़क हो गया. अब वो 7 या 8 इंच का लग रहा था.
अब उन्होंने मेरी मां को गद्दे पर लिटाया और खुद उसके ऊपर लेट गए। कभी बूब्स मसलते-मसलते वह मेरी मां की गांड और चूत सहला देते।

अब कुछ देर मेरी मां को गर्म करने के बाद उन्होंने अपने मोटे लंड का सुपारा मेरी मां की चूत पर रखा और दबाने लगे. मेरी मां आहें भरने लगी.
तब अंकल को पता चला कि मेरी मां की चूत ठीक से चुदी हुई नहीं है। अंकल यह देख कर खुश हुए.
उन्होंने मेरी मां से पूछा कि उनके पति का लंड कितना बड़ा है तो मेरी मां बोली- 5 इंच.
इस पर अंकल बोले- तभी तू इतनी टाइट है. आज तो मेरी लॉटरी लग गई.

ऐसा कहते कहते उन्होंने एक शॉट लगाया और अपना सुपारा मेरी मां की टाइट चूत में डाल दिया. मेरी मां तड़प उठी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
इससे पहले कि वो चिल्लाती … अंकल ने उसे किस करना शुरु कर दिया.

मेरी मां दर्द से मचल रही थी. तभी अंकल ने एक और जोरदार शॉट लगाया और आधा लंड मेरी मां की चूत में घुसा दिया। अब मेरी मां दर्द से कांप उठी. उसकी आंख से पानी निकल आया. उसने गद्दे को जोरों से पकड़ लिया. अंकल थोड़ी देर रुके और फिर उन्होंने पूरे जोर से एक और शॉट लगाया जिस वजह से उनका मोटा और लंबा लंड मेरी मां की चूत में पूरा उतर गया.

मेरी मां की हालत खराब हो गई थी। अंकल उसे किस किए जा रहे थे. मेरी मां की आंख से पानी निकल रहा था जो अंकल ने किस करते-करते पी लिया.

अंकल रुके नहीं और धीरे-धीरे मेरी मां को चोदने लगे. मेरी मां को दर्द हो रहा था लेकिन अंकल को उससे कोई लेना-देना नहीं था। अब अंकल ने अपनी स्पीड बढ़ा दी.

अब मेरी मां, मेरे दोस्त के बाप के नीचे नंगी पड़ी अपनी चूत मरवा रही थी। मेरी माँ के हाथ रमेश अंकल के कंधे पर थे और रमेश अंकल मेरी माँ के बूब्स दबाते-दबाते मेरी माँ को चोद रहे थे। मां की चूत अब फट गई थी लेकिन फिर भी उसका कसाव अभी भी रमेश अंकल के लंड पर बना हुआ था।

रमेश अंकल मेरी मां के दूध इतनी जोर-जोर से चूस और दबा रहे थे कि अब वह लाल होने लगे थे। कुछ शॉट और लगाकर रमेश अंकल ने अपना लौड़ा मेरी मां की चूत से निकाल दिया. अब उन्होंने मेरी मां को स्पूनिंग पोज में चोदना शुरू किया मगर उन्हें इसमें ज्यादा मजा नहीं आया, तो उन्होंने मेरी मां को कुतिया बनाया और चोदने लगे।

यहां मेरी मां की चूत पानी छोड़ने लगी जिस वजह से शॉट की आवाज बदल गई।

अब रमेश अंकल बड़े शॉट मारने लगे. वह एक बार में अपना पूरा लौड़ा बाहर निकाल कर एक बार में अंदर कर देते जिससे मेरी मां पूरी कांप जाती।

कुछ देर की इस मस्त चुदाई के बाद रमेश अंकल की स्पीड बढ़ गई और देखते ही देखते उन्होंने अपना गाढ़ा माल मेरी मां की चूत में भर दिया. मां इतनी थक चुकी थी कि वह रमेश अंकल को ऐसा करने से रोक भी नहीं पाई, रमेश अंकल अभी भी धीरे-धीरे शॉट मारते हुए बचा हुआ माल मेरी मां की चूत में डालते रहे और आखिर में थक कर मेरी मां के ऊपर गिर गए।

उन्होंने अपना एक हाथ मेरी मां की चूत पर रखा और अपना सिकुड़ा हुआ लंड अंदर ही दबाए रखा ताकि उनका माल बाहर न निकल सके।

कुछ देर बाद दोनों की आंख लग गई. करीब घंटे भर बाद मेरी मां जाग गई. अंकल अभी भी उसके ऊपर लेटे हुए थे और उनका सोया हुआ लंड मेरी मां की चूत को छू रहा था. मेरी मां की हलचल की वजह से अंकल भी उठ गए।

मेरी मां उठ कर खड़ी हो गई. अंकल की नजर उसकी सूजी हुई चूत पर पड़ी और अंकल हंसने लगे और मेरी मां को एक किस करके बोले- हाय, आज तो मेरे बेटे को गिफ्ट लेकर दूंगा. इतनी मस्त औरत के बेटे से दोस्ती जो की है उसने।

मां बाथरूम की ओर गई और अपनी चूत से अंकल का माल निकालने लगी लेकिन काफी देर हो चुकी थी. अंकल का माल उसकी चूत पी चुकी थी। अब जब भी अंकल का लौड़ा उफान मारने लगता तो मेरी मां अपनी चूत मरवाने उनके घर जाती और अब वह उस बस वाले आदमी से भी चुदाई करवाने लगी थी।

आपको मेरी फंतासी कहानी कैसी लगी इस बारे में कमेंट करके जरूर बतायें।
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