चालू शालू की मस्ती-2

(Chalu Shalu Ki Masti- Part 2)

शालू 2019-05-19 Comments

This story is part of a series:

इस हॉट कहानी के पहले भाग में आपने पढ़ा कि भरी सर्दी में शाम के समय जयपुर हाईवे पर मेरी कार खराब हो गयी और एक मकैनिक के साथ उसके गेराज में चली गयी.
अब आगे:

मैं उसके पीछे पीछे उसके रूम में गई और अंदर जाते ही उसने बोला- सॉरी थोड़ा गंदा है.
मैंने कहा- ईट्स ओके.
उसने अपने बेड को साफ किया और बोला- आप यहां बैठिए, तब तक मैं देखता हूं कि कार्बोरेटर में क्या प्रॉब्लम है.

उसके बाहर जाते ही मैंने अपनी साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दिया और अपने बालों को सुखाने लगी. मैं पूरी तरह भीग चुकी थी, मैं धीरे धीरे अपने बालों को सुखा रही थी और साड़ी के पल्लू को भी सुखा रही थी.
वह बाहर से धीरे धीरे मुझे देख रहा था, मेरी नजरें एक बार फिर उससे मिली और मैंने उससे पूछा- गाड़ी कितनी देर में सही हो जाएगी?
वह मुझसे बोला- मैडम इंजन में कुछ प्रॉब्लम है, नया ऑयल डालना पड़ेगा।

मुझे उसकी यह द्विअर्थी बातें समझ में आ गई थी, मुझे पता चल गया वो किस इंजन और किस ऑयल की बात कर रहा है.
मैंने भी उसके सामने मुस्कुराते हुई द्विअर्थी बाण छोड़ा और बोली- तुम मेरी गाड़ी के इंजन में अपना नया ऑयल डाल दो. जो भी खर्चा होगा, मैं मैं दे दूंगी।
शायद वह भी मेरी इस द्विअर्थी बात का मतलब समझ चुका था।

मैं वापस से अपने बालों को सुखाने लगी और अचानक से वो अंदर आया और बोला- अरे मैडम! आप तो बहुत गीली हो चुकी हो।
मैंने कहा- हां, वो तो है.
वो बोला- तो एक मिनट रुकिए, आपको तौलिया देता हूं.

उसने मुझे तौलिया दिया और जाते समय पूरा दरवाजा खोल कर चला गया. शायद अब वह भी मेरे शरीर की सुंदरता के दर्शन करना चाहता था।

मैं अब उसके सामने ही तौलिए से अपने शरीर को पौंछने लगी और बालों को सुखाने लगी. फिर मैंने उसकी तरफ देखा और अपनी साड़ी को अपने घुटनों से ऊपर कर लिया अपने पैरों को भी पौंछने लगी.

हमारी नजरें बार बार मिल रही थी. वह भी मुझे देख कर भी मुझे देख देख कर मुस्करा रहा था और मेरी नजरों से बचाकर अपने टाइट लंड को अपनी पैंट के अंदर एडजेस्ट कर रहा था.
लेकिन मैंने उसको ऐसा करते हुए देख लिया और एक कातिल मुस्कान उसकी तरफ छोड़ दी.

मैं अपना शरीर धीरे-धीरे पौंछ रही थी ताकि वह मेरे शरीर के दर्शन ठीक से कर सके. मैं भी रह रह कर उसके टाइट लंड को निहार रही थी.

अचानक मुझे जोर से छींक आई तो वो बोला- शालिनी जी आप ठीक तो हो?
मैं बोली- हाँ!
उसने कहा- लगता है बारिश में भीगने की वजह से आपको जुकाम हो गया है, आप कहो तो मैं आपको आपके घर छोड़ सकता हूँ, आपकी गाड़ी मैं सुबह पहुँचा दूंगा।
मैं जोर से हँसी और बोली- घर?
“हाँ घर … आप कहो तो?”
“पता है … मेरा घर यहाँ से डेढ़ सौ किलोमीटर दूर है, चलोगे?”
वो चौंका और बोला- डेढ़ सौ किलोमीटर?
मैंने कहा- ह्म्म्म!

वो एकदम चुप होकर गाड़ी में अपना काम वापस करने लग गया.
कुछ देर बाद वो वापस बोला- लेकिन आपके कपड़े? वो तो पूरे गीले हो चुके हैं.
मैंने कहा- हाँ वो तो है.
“अगर आप ज्यादा देर के इन्ही कपड़ों में रही तो आपको सर्दी लग जाएगी.”

मैं बोली- मेरी गाड़ी में बैग पड़ा है, क्या तुम वह मुझे दे सकते हो?
तो उसने गाड़ी में से बैग निकाला और मुझे देने आया.

मैंने नोटिस किया कि उसका लंड अभी तक पूरे विकराल रूप में पैन्ट से बाहर आने को बेताब हो रहा था, मैंने उसकी पैन्ट पर नजर गड़ाई, उसने भी मुझे अपने लंड को ताड़ते हुए देख लिया और बोला- आप चेंज कर लीजिए.
मैंने अपने बैग से टीशर्ट निकाला जो बहुत लंबा था, मेरे घुटनों तक आता था. मैं घर में ज्यादातर ऐसे टीशर्ट पहनकर ही रहती थी.

वो अभी तक वहीं खड़ा था. हम दोनों की आंखें मिली तो उसको पता चल गया कि मैं चेंज करने वाली हूं इसलिए बोला- मैं बाहर जाता हूं आप चेंज कर लीजिए.
उसने जाते समय आधा ही गेट बंद किया और वह भी धीरे-धीरे थोड़ा खुल गया.

मैं वहीं पर खड़ी होकर अपने कपड़े बदलने लगी, सबसे पहले साड़ी उतारी फिर अपने शरीर को पौंछने लगी. फिर अपने ब्लाउज को उतारा, ब्रा और पेटीकोट में खड़ी थी, अचानक मेरी नजर उस पर पड़ी वह केवल मुझे ही बाहर से देख रहा था और अपने लंड को पैन्ट के ऊपर से मसल रहा था, मेरे बूब्स भी जोर जोर से ऊपर नीचे होने लगे.

मैंने भी उससे आंखें मिलाई और मुस्कुराती रही और कुछ देर वहीं खड़ी रही. फिर धीरे-धीरे आगे बढ़कर ब्रा और पेटीकोट में उसके सामने दरवाजे पर आई और मुस्कुरा कर जोर से दरवाजा बंद कर दिया.
फिर थोड़ी देर बाद टी-शर्ट पहनकर दरवाजा खोला. मैंने टी शर्ट के नीचे पैरों में कुछ नहीं पहना था, मैंने उससे कहा- मेरे पास कोई भी ट्राउजर नहीं है. क्या तुम्हारे पास कोई ट्राउजर है जो मैं पहन सकूं?
उसने कहा, हां शालिनी जी, मैं आपको देता हूं.
और उसने अपना एक ट्राउज़र मुझे दिया.

मैंने फिर दरवाजा बंद किया और ट्राउजर पहनने की कोशिश की, मगर ट्राउज़र मुझे फिट नहीं आया, बहुत लंबा था.
तो मैंने दरवाजा खोल कर पूछा- तुम्हारा कुछ ज्यादा ही लंबा नहीं है?
उसने कहा- क्या?
मैंने कहा- ट्राउजर बहुत लंबा है.

फिर एक और द्विअर्थी बाण छोड़ा और उसको पूछा- वैसे तुम्हारा साइज क्या है?
वो एकदम चौंक कर बोला- मतलब?
मैंने कहा- अरे मैं यह पूछ रही हूं कि L है, XL है या XXL है?
उसने कहा- शालिनी जी, यह तो मुझे नहीं पता लेकिन हम लड़के लोग मॉल में जाते हैं वहां पर पहनते है और जो फिट आता है उसको लेकर आ जाते हैं.
“तुम लड़कों का सही है, कुछ भी पहन लिया, हम औरतों और लड़कियों की फिटिंग का हमेशा प्रॉब्लम होता है, ब्लाउज का एक इंच भी कम ज्यादा हो गया तो दिक्कत हो जाती है।”
“चलो टीशर्ट ही सही है, यह भी काफी लंबा है.”

“यह साड़ी कहां सुखाऊँ?”
वह बोला- दूसरे रूम में आप सुखा दीजिए और पंखा ऑन कर दीजिए. बाहर तो बहुत नमी है सर्दी में नहीं सूख पाएगी.

मैंने दूसरे रूम में पंखा ऑन करके अपनी साड़ी सूखने डाल दी और फिर टी-शर्ट में ही बाहर आ गई और उससे बोली- अच्छा हुआ आज कपड़े चेंज कर लिए. नहीं तो गीली ही मर जाती?
तो पवन बोला- नहीं नहीं मैडम, मैं आपको ऐसे नहीं मरने देता. कस्टमर का ध्यान रखना हमारा काम है.

मैंने उससे कहा- पवन यार, सर्दी बहुत लग रही है.
तो उसने कहा- मैडम, सर्दी उड़ाने का इलाज है मेरे पास कहो तो?
मैंने कहा- क्या?

तो वह अचानक रूम में आया और अलमारी में से वोदका की बोतल और गिलास लेकर आया और बोला- लीजिए शालिनी जी, उड़ाइये अपनी सर्दी।
मैंने उसके हाथ से गिलास और बोतल पकड़ी, वो भी बोतल पकड़े रहा और हम दोनों के हाथ एक दूसरे के हाथों से टच हुए. उसके हाथ का टच होते ही मेरे शरीर में सनसनी दौड़ गई उसकी आंखों में देखने लगी.
वह भी मेरी आंखों में देख रहा था और बोला- शालिनी जी एक और इलाज भी है सर्दी उड़ाने का।
मैं उसकी बातों का मतलब अच्छे से समझ गई थी लेकिन अनजान बनते हुए उसको कहा- अभी तो ये वोडका ही सही है, बाकी वाला इलाज तो बाद में देखेंगे अगर ये इलाज काम नहीं किया तो।

मैंने उससे पूछा- शराब पीते हो?
तो वो बोला- कभी कभी, लेकिन काम के वक्त तो कभी नहीं!
मैंने कहा- तुम्हारी मर्जी, वैसे यह वक्त काम का तो नहीं! अगर बुरा न मानो तो क्या तुम मुझे गिलास धोकर दे सकते हो?
उसने हाँ भरी और एक गिलास धो कर लाया.

“एक गिलास ही क्यों लाये हो? तुम क्या चाहते हो कि मैं ना पीयूं?”
मेरे ये कहते ही वो बोला- अरे नहीं नहीं मेडम, ये आपके लिए ही है, आप लीजिए, मैं अभी ड्यूटी पर हूँ न … तो मैं नहीं पी सकता।

मैंने उसके हाथ से गिलास ली और उसमें एक पेग बनाया और पानी डालकर घूंट लेने लगी लगी, वह भी वापस बाहर कार के बोनट पर जाकर कार सही करने लगा.
“मैंने उससे पूछा- और कौन-कौन है तुम्हारे घर में?
तो वह बोला- अभी तो सभी मामू की शादी में गए हुए हैं।
मैंने उसको कहा- ईडियट और कौन-कौन रहता है तुम्हारे घर में यह पूछ रही हूं.
“ओह्ह! माँ, पिताजी और एक छोटा भाई है।”

“शादी नहीं हुई तुम्हारी?” मैंने उससे पूछा.
“अरे! इतनी जल्दी कहा मेडम जी, अभी पैरों पर तो खड़ा हो जाऊँ पहले!”

अब मैंने भी जबरदस्त तीर मारा और बोली- अब तो सब कुछ खड़ा होने लग गया है और तुम अभी पैरों पर ही अटके हुए हो।
वो भी कोई बच्चा नहीं था, एक दम मेरी बात पर सकपका गया और गाड़ी से चिपक कर खड़ा हो गया जैसे कि मुझसे अपने लंड की छुपाने की कोशिश कर रहा हो।

अब मैंने भी उसको उकसाना शुरू कर दिया और बातों का टॉपिक दूसरी तरफ कर दिया- गर्लफ्रैंड … गर्लफ्रैंड तो पक्की होगी तुम्हारे?
पवन- नहीं मेडम, काम से फुर्सत ही कहाँ मिलती है।
मैं- मतलब ड्राइविंग के नाम पर सिर्फ गाड़ियों पर ही चढ़े हो. गुड, कैरी ऑन!

अब शायद वो भी मेरी बातों के उत्तेजित हो गया था पूरा, और मुझे अपने पास बुलाने के लिए बोला- अरे मेडम! जरा यहाँ आ सकती हो आप? पकड़ना है.
मैंने उसकी ओर देखा तो वो एकदम बोला- पाना!
मैंने कहा- क्या?
“पाना पकड़ना है पाना!” वो हिम्मत करके बोला।
:पाना?” मैं उसकी ओर देख कर बोली.
“वो क्या है ना कि नट बोल्ट खुल नहीं रहा है तो …”

मैंने शराब की गिलास नीचे रखी और बाहर गाड़ी के पास आ गई और उसके नज़दीक आकर धीरे से बोली- जब एक नट भी नहीं खुल रहा है तो …
वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराया और मुझे पाना पकड़ाते हुए बोला- मेडम थोड़ा कस कर पकड़ना, बहुत टाइट है.

मैंने पाना पकड़ा और उसके पैन्ट के अंदर खड़े लंड की ओर देखते हुए मुस्कुरा कर बोली- चिंता मत करो, मेरी पकड़ बहुत मजबूत है, मैं एक बार पकड़ने के बाद छोड़ती नहीं. चाहे पाना हो या …
फिर मैंने नट में पाना लगाया और वो दूसरे पाने से नट खोलने लगा, ऐसे ही में गाड़ी सही करने में उसका साथ देने लगी और हमारे हाथों की अठखेलियां होने लगी.

अब काम कम हो रहा था और एक दूसरे की अंगुलियों और हाथों से छूने का काम ज्यादा हो रहा था. अब हमारे दोनों के बीच का फ़ासला कम हो गया था, शरीर आपस में सट चुके थे और दोनों एक दूसरे के शरीर की गर्मी महसूस कर रहे थे.

उसने अपने एक पैर को मेरे दोनों पैरों के बीच डाल दिया और अब उसका खड़ा लंड मेरे हिप्स पे महसूस हुआ, जैसे ही उसका लंड मेरे हिप्स में टच हुआ मेरी मुँह से सिसकारियां निकलने लगी,
अब ‘पहले उसका पैर, फिर मेरा पैर, फिर उसका और अंत में मेरा …’ इस पोजिशन में खड़े थे हम.

पवन अपना हाथ मेरी कमर के पीछे से निकालते हुए मेरे हाथ पर रखते हुए बोला- मैडम, आपने तो कहा था कि आप एक बार पकड़ने के बाद छोड़ती नहीं पर आपने तो बहुत ढीला पकड़ा हुआ है, आज थोड़ा टाइट पकड़ लो नहीं तो फिर गाड़ी तेज कैसे दौड़ेगी.

मैं अपनी गांड पर उसके लंड को महसूस करते हुए और अपने हाथ को उसके हाथों में मिलते हुए बोली- तुम जैसे पकड़ाना चाहो मैं वैसे पकड़ लूंगी पर मेरी गाड़ी तेज दौड़नी चाहिए.
“मैडम, आप गाड़ी किसी स्पीड में दौड़ाना पसंद करती हैं?”

मैंने अपने टी-शर्ट को पीछे से हल्का सा थोड़ा ऊपर किया अब मेरे हिप्स पीछे से पूरे नंगे हो गए थे और उसके लंड को अपनी गांड की दरार में एडजेस्ट करते हुई बोली- जितनी तुम रेस कर दो कि मैं उतना दौड़ा दूंगी.
अब शायद उसे भी मेरी उत्तेजना का पता चल गया और वह भी अपनी पैंट में खड़े हुए लंड को मेरी नंगी गांड में जोर से दबा रहा था.

कहानी जारी रहेगी.
आपको मेरी कहानी कैसी लगी जरूर बताना!

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