मेरी बहन और जीजू की अदला-बदली की फैंटेसी-9

(Meri Bahan aur Jiju Ki Adla Badli Ki Fantasy-9)

राजा रानी 2020-02-08 Comments

This story is part of a series:

अब तक की मेरी इस मस्त ग्रुप सेक्स कहानी में आपने पढ़ा था कि कल रात जीजा ने अपनी बहन आलिया की गांड मारी, तो आकाश ने मेरी बहन चित्रा की गांड बजाई.

मैंने भी अपनी बहन की सहेली नताशा की चूत मारी और फिर उसकी कुंवारी गांड को तेल लगाकर खोल दिया.

सुबह हम सभी समुद्र तट पर नहाने के बाद बियर पीने का मजा लेने लगे थे.

अब आगे:

जीजा जी- राज तुम तो तीनों औरतों चोद चुके हो. तुमको सबसे ज्यादा किस के साथ मजा आया?
मैं- वैसे तो तीनों के साथ मजा आया लेकिन सबसे ज्यादा मजा दीदी के चुदाई में आया.
जीजा जी- हां, अपनी बहन चोदने में मजा आता ही है, मुझे भी सबसे ज्यादा आलिया के साथ चुदाई करने में मजा आया. अब तो बस नताशा को चोदना बाकी है.

फिर जीजू ने आकाश से पूछा- वैसे आकाश तुम्हें सबसे ज्यादा किस के साथ चुदाई करने में मजा आया. मेरी बीवी के साथ अपनी बीवी के साथ?
आकाश- तुम्हारी बीवी चित्रा के साथ … चुदाई में टेस्ट बदल गया.

जीजा जी- राज, तुम्हारी दीदी कुछ सरप्राइज की बात कर रही थी. तुम्हें कुछ पता है कि वो किस सरप्राइज की बात करना चाह रही थी?
मैं- नहीं, मुझे नहीं मालूम है.
आकाश- कैसा सरप्राइज?
जीजा जी- वो तो उन तीनों पता होगा.
मैं- देखते हैं उन लोगों का सरप्राइज क्या निकलता है.

फिर हम सभी दोपहर का खाना खाने बैठ गए. खाने के बाद वो तीनों एक ही कमरे में सो गईं.

फिर रात को हम सभी मिलकर खाना खा रहे थे.

चित्रा- अविनाश आज रात के सरप्राइज के लिए तैयार हो न?
मैं- कैसी सरप्राइज?
आलिया- वो खाना खाने के बाद पता चल जाएगा.

हम सभी ने खाना खत्म किया और उन तीनों के कहने पर हम बड़े कमरे में आ गए … जिसमें स्वैपिंग के लिए बड़ा से बेड का बंदोबस्त था.

तभी दीदी का फोन जीजा जी के फोन पर आया और वो हमें वहां टेबल पर पड़ीं पट्टियों को आंख पर बांधने को बोलीं.

हम तीनों ने उनकी बात मानकर आंखों पर पट्टी बांध ली और खड़े हो गए.

तभी उन तीनों के अन्दर आने की आहट आई और वो हमें पट्टी हटाने को बोलीं.

जब हम तीनों ने पट्टी हटाई, तो हमारे सामने वो तीनों खड़ी थीं. उन तीनों ने ही चुस्त टी-शर्ट और शॉर्ट पहने हुए थे. उन तीनों के हाथ पीछे को थे, जो शायद हमारा सरप्राइज था.

दीदी- सब सरप्राइज के लिए तैयार हो?
जीजा जी- कब से.

तभी उन तीनों ने अपने हाथ आगे कर दिए और उन तीनों के हाथ में डिल्डो थे.

मैं- ये क्या हैं?
दीदी- आज तक तुम तीनों ने हमारी गांड मारी थी. आज हम आप तीनों की गांड मारेंगे.
जीजा जी- क्या?
आलिया- यस.
नताशा- आज हम तुम तीनों को मजा कराएंगे.

मैं- हमें ऐसे मजे नहीं करना है.
आलिया- लेकिन हमें करना है.
अविनाश- चित्रा, आर यू सीरियस?
चित्रा- यस … जब तक तुम लोग अपनी गांड नहीं मारने दोगे, तब तक हम भी तुम्हें चोदने नहीं देंगे.

मैं- क्या इसके अलावा भी हम कुछ भी कर सकते हैं. मेरा मतलब कोई दूसरी चॉइस?
आलिया- तुम्हारे पास दूसरी कोई चॉइस नहीं है.
अविनाश- कोई बात नहीं, राज इतनी कुर्बानी तो दे सकते हैं. वैसे भी अपना टाइम आएगा.
चित्रा- चलो, अपने कपड़े उतारो और बेड पर घोड़े बन जाओ.

हम तीनों ने बिना कुछ बोले, अपने कपड़े निकाल दिए और बेड पर तीनों एक साथ घोड़े बन गए. इसके बाद वो तीनों उन नकली लंड यानि डिल्डो फिट करके हमारे करीब आ गईं.

मेरे पीछे नताशा खड़ी थी, जिसका मुझे डर था कि क्योंकि कल रात मैंने उसकी गांड को अच्छे से पेला था. जीजा जी के पीछे आलिया खड़ी थी और दीदी आकाश के पीछे खड़ी थीं. हम तीनों अन्दर से डर रहे थे … क्योंकि हमें परिणाम पता था.

नताशा ने मेरे चूतड़ों पर थपकी देते हुए कहा- राज डार्लिंग, रेडी हो न!
मैं- प्लीज़ धीमे. मगर तुम सब भी याद रखना.
चित्रा- अपनी आंखें बंद कर लो, हम तीनों बस अभी आए.

हम तीनों ने अपनी आंखें बंद कर लीं और वो तीनों कमरे से बाहर चली गईं. करीब पांच मिनट बाद हम तीनों ने अपनी आंखें खोल दीं.

अविनाश- क्या हुआ, ये तीनों कहां पर चली गई हैं.
मैं- पता नहीं.

जब मैंने सीधे होकर दरवाजा खोला, तो वो नहीं खुला … क्योंकि वो बाहर से बंद था.

मैं- जीजा जी दरवाजा बाहर से लॉक है.
जीजा जी- क्या!
आकाश- हमारे कपड़े भी नहीं है.

जीजा जी ने दरवाजा खटखटा कर दीदी को बुलाया, लेकिन दीदी का कोई जवाब नहीं आया. हम तीनों दरवाजा खटखटाने लगे, लेकिन उन तीनों में से कोई ने जवाब नहीं दिया.

तभी नीचे से एक चिठ्ठी अन्दर आई. उसे उठा कर खोला, उसमें लिखा था कि आज रात तुम तीनों को बिना कपड़े के रहना पड़ेगा, यही हमारा सरप्राइज है … और हां तुम सभी के लिए एक बोटल छोड़ दी है. मन करे तो तुम आपस में एक दूसरे की गांड मार लेना.

जीजा जी- लो हो गया पोपट. पूरे दिन का मूड ऑफ कर दिया.
मैं- आज रात तो ऐसे ही बितानी पड़ेगी.
आकाश- ये कैसी भोसड़पन वाली सरप्राइज है.
जीजा जी- हमारे लिए तो यह सरप्राइज एक सजा के बराबर है.
मैं- चलो मां चुदाने दो … अब अपन पैग मारते हैं. जीजा जी, सिगरेट तो है न?
अविनाश- हां सिगरेट तो है.

फिर हम तीनों ने पैग बनाए और चियर्स कहकर लगाने लगे. आज पूरा दिन तो तड़पे ही थे, लेकिन अब रात भी खाली बितानी पड़ रही थी.

जब हम दूसरा पैग लगा रहे थे, तब मुझे थोड़ी अलग सी फीलिंग हो रही थी.

मैं- जीजा जी मुझे अलग सी फीलिंग आ रही है.
आकाश- मुझे तो चुदाई का मन हो रहा है.
जीजा जी- लग गई वाट, यह वायग्ररा की असर है. उन तीनों ने इसमें वायग्ररा की गोलियां मिला दी हैं.

हम तीनों ने पैग मारना बंद कर दिया, तभी उसका असर हम तीनों पर होने लगा. हम तीनों के लंड खड़े होने लगे थे.

आकाश- अब क्या करें. डोर लॉक है और इधर कोई विन्डो भी नहीं है.
मैं- अपना हाथ जिन्दाबाद.
जीजा जी- यह उसने तीनों ने ठीक नहीं किया. इसकी सजा कल मिलेगी.
मैं- हम बड़ी आफत से बच गए हैं … वरना पता नहीं हम तीनों की क्या हालत होती. आप दीदी को कहो न कि दरवाजा खोले. मुझसे रहा नहीं जा रहा है.
जीजा जी- उन तीनों में से कोई दरवाजा नहीं खोलेगी.

मेरा लंड खड़ा हो गया था और अन्दर की आग बढ़ रही थी, इसलिए मैंने फिर से दरवाज़ा खड़खड़ाया, लेकिन कोई ने भी दरवाजा नहीं खोला. अब मुझे भी गुस्सा आ रहा था.

मैं- जीजा जी अपना टाइम कब आएगा?
जीजा जी- कल सुबह … इस तीनों की मां चोद देंगे.

फिर हम बेड पर बैठकर अपना लंड सहलाने लगे. … क्योंकि इस समय हम तीनों पर वायग्ररा का असर था.

आकाश- राज तुम्हारा लंड तो हम दोनों के लंड से बड़ा है.
मैं- हां बहुत संभाल कर रखा है.
आकाश- आज तक तुम कितनी लड़कियों के साथ सेक्स कर चुके हो.
मैं- सिर्फ इन तीन के साथ.

आकाश- रियली … इससे पहले किसी भी लड़की के साथ सेक्स नहीं किया था.
मैं- पहले एक गर्लफ्रेंड थी, जिसके साथ चूत चुदाई का मौका मिलते-मिलते रह गया था.
जीजा जी- मतलब!
मैं- हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे. मैं वेलेंटाइन-डे का इन्तजार कर रहा था, लेकिन उसने अचानक मुझसे ब्रेकअप कर लिया. उसके बाद मैंने कभी उसको कभी दोबारा नहीं देखा और ना ही उसके बारे में मुझे कोई खबर है.
जीजा जी- राज, तुमने कभी बताया नहीं.
मैं- मुझे खुद ब्रेकअप की वजह नहीं पता है … तो मैं आपको कैसे कहता.

हम तीनों मुठ मारते हुए बातें कर रहे थे.

आकाश- उसका नाम क्या था.
मैं- जिया.
जीजा जी- उम्र?
मैं- अभी उसकी उम्र 24 साल होगी.
जीजा जी- तुम कौन से कॉलेज में पढ़े हो?
मैं- दिल्ली यूनिवर्सिटी.
आकाश- वो भी तुम्हारे साथ कॉलेज कर रही थी?
मैं- हां.

आकाश- क्या? तो वो तुम लड़के हो, जिससे जिया प्यार करती थी?
जीजा जी- तुम उसे जानते हो?
आकाश- हां.
मैं- कैसे?
आकाश- तुम जिस जिया की बात कर रही हो … वो मेरी बहन है.
मैं- क्या!
आकाश- यस … तुम्हारे ब्रेकअप की वजह मेरे पिताजी हैं. एक दिन पिताजी को तुम दोनों के बारे में पता चल गया था और उन्होंने ही जिया को तुम्हारे साथ ब्रेकअप करने को कहा था. पिताजी ने जिया को कसम दी थी कि वो कभी तुमसे ना मिले … वरना पिताजी मर जाएंगे. इस वजह से जिया ये तुमसे ब्रेकअप कर लिया था.

मैं- ऐसा क्यों किया था पिता जी ने?
आकाश- मेरी बड़ी बहन ने भाग कर लव मैरिज कर ली थी, इसी वजह से पिताजी को प्यार करने वाले पर नफरत होने लगी थी. अभी छह महीने पहले जिया की शादी हुई है.
जीजा जी- हां अब याद आया … हम दोनों भी शादी में आए थे.
आकाश- जिया की शादी नताशा के भाई के साथ हुई है.

जीजा जी- अच्छा को-इसिडन्ट है. आकाश, कल रात तुम जिसके साथ सेक्स कर रहे थे … उसका भाई तुम्हारी बहन से प्यार करता रहा था. लेकिन अब वो मेरी बहन से प्यार करता है, वो ही कल रात तुम्हारी बीवी के साथ सेक्स कर रहा था.
मैं- सब किस्मत का खेल है. वैसे इस ही किस्मत की वजह से मुझे आलिया जैसी सुंदर गर्लफ्रेंड मिली है. वैसे आकाश भाई आपने तो मेरी बहन के साथ मजा कर लिया, अब आप कब अपनी बहन से मिलवा रहे हैं.
आकाश- सॉरी राज, ये संभव नहीं है.

अविनाश- कोशिश करने वाले की कभी हार नहीं होती है. वैसे राज का आईडिया अच्छा है. इससे हमारे ग्रुप में और दो मेम्बर जुड़ जाएंगे.
आकाश- फिलहाल तो संभव नहीं है, बाद में देखेंगे.

फिर हम तेजी से मुठ मारने लगे और तीनों टिश्यू पेपर में झड़ गए और चैन की श्वास लेने लगे. उसके बाद हम तीनों नग्न अवस्था में ही सो गए.

जब मैं सुबह उठा, तब भी दरवाजा बंद था. इसलिए मैंने उन दोनों को उठाया और हमने फिर से दरवाजा खटखटाया. तभी दीदी की आवाज सुनाई दी.

दीदी- उठ गए तुम तीनों?
जीजा जी- चित्रा, अब दो दरवाजा खोल दो.
आलिया- हमने दरवाजा खोल दिया, तो तुम लोग क्या करोगे … हमें पता है.
मैं- प्लीज़ खोल दो, हम कुछ भी नहीं करेंगे.
चित्रा- पहले वादा करो.
अविनाश- ठीक है. हम वादा करते हैं. अब तो ओपन करो.

तभी दरवाजा खुल गया और उन तीनों के सामने हम बिल्कुल नग्न अवस्था में खड़े थे.

दीदी- कैसी रही रात?
जीजा जी- एकदम बोरिंग.
दीदी- फ्रेश हो लो … तब तक हम नाश्ता बना लेती हैं.

हम सभी अपने अपने कमरे में आ गए. मैं नहाकर कपड़े पहन चुका था और बाल ठीक कर रहा था, तभी जीजा जी मेरे कमरे आए. मैं देखा कि उनके हाथ में डिल्डो थे.

जीजा जी- राज, इन्हें ऐसी जगह छुपा दे ताकि दोबारा कभी उन्हें ना मिले.
मैं- ठीक है.

फिर मैंने तीनों डिल्डो छुपा दिए और हम बाहर आ गए. सभी ने साथ मिलकर ब्रेकफ़ास्ट किया.

दीदी ने मजाक करते हुए कहा- अविनाश, हाथ ज्यादा दुख तो नहीं रहा न!

अविनाश- यह ढाई किलो के हाथ है इतनी आसानी से नहीं दुखने वाला.
आलिया- राज, कैसा लगा हमारा सरप्राइज.
राज- एकदम बढ़िया.
नताशा- आकाश कल रात जिया को फोन था. वो दोनों कल यहां पर आ रहे हैं.
आकाश- क्या?

इस बात वो तीनों हंसने लगीं और हम तीनों उसे आश्चर्य से देखने लगे.

मैं- क्या हुआ?
दीदी- कल रात हम आप तीनों का लाइव शो देख रहे थे, वहां हमने हिडन कैमरा लगाया था.
अविनाश- हंस लो बच्चू … जब हमारी बारी आएगी, तब हम हंसेंगे.
दीदी- सुनो … हम आज घूमने जाएंगे.

उनकी बात पर हम मर्दों ने कुछ नहीं कहा.

कुछ देर में नाश्ता खत्म करके वो तीनों नहाने के लिए चली गईं और हम सोफे पर बैठकर सिगरेट फूंकते हुए उन तीनों का इन्तजार करने लगे.

कुछ देर में वो तीनों तैयार होकर आ गईं. हम तीनों उनको देखते रह गए. उन तीनों ने ऐसा ड्रेस पहना था, जिसे देखकर किसी का भी मन डोलने लगे.

फिर हम सभी दो कार से घूमने के लिए निकल गए. जब हम घूम रहे थे, तब हमारे साथ ऐसी घटना घटी, जिसे लेकर हमने सपने में भी नहीं सोचा था.

करीब शाम के चार बजे जब हम घूम रहे थे, तब अचानक से हमें जिया और उसका पति मिल गया. हम सभी एकदम चौंक गए. फिर आकाश ने सभी से मुलाकात करवाई. जिया मुझे देखकर एकदम से चौंक गई और मुझसे ऐसे हाथ मिलाने लगी, जैसे हम पहली बार मिल रहे हों.

आकाश- तुम दोनों यहां पर?
नीरज- जीजा जी, आप यहां पर?

नताशा- जिया, तुम दोनों तो लंडन जाने वाले थे राइट!
नीरज- यस दीदी … लेकिन लास्ट टाइम मेरी मीटिंग कैंसिल हो गई. फिर हम यहां घूमने आ गए.
जिया- भाई, आप यहां पर कब आ गए … आपने कुछ बताया ही नहीं?
आकाश- ये एकदम अचानक से नक्की हुआ था. इसलिए बताने का मौका ही नहीं मिला.

नताशा- तुम दोनों कहां पर ठहरे हो?
नीरज- होटल प्लाजा में … और आप!
आकाश- हम सभी एक पेन्ट हाउस में रुके हैं.
जीजा जी- एक काम करो, तुम दोनों भी हमारे साथ आ जाओ, वैसे भी वहां एक कमरा खाली है.
आकाश- हां, हम सब यहां पर एक हफ्ते के लिए रुकने वाले हैं.
जिया- लेकिन!

नताशा- लेकिन वेकिन छोड़ो. अच्छा हुआ तुम दोनों यहां पर आ गए. आज सुबह हम तुम दोनों के बारे में बात कर रहे थे.
जिया- कैसी बात!
नताशा- तुम्हारे भूतपूर्व ब्वॉयफ्रेंड के बारे में.
मैं- सॉरी जिया, वो बातों बातों में निकल गया था. मुझे नहीं मालूम था कि तुम्हारा जिक्र परिचितों में से ही निकलेगा.
आकाश- नीरज तुम्हें तो पता है न!
नीरज- हां जिया ने मुझे पहले ही बता दिया था.

नताशा- तो चलो, अब तुम दोनों भी हमारे साथ रुकोगे.
नीरज- हमने होटल पर एक हफ्ते के लिए बुकिंग कर ली है.
आकाश- तो क्या हुआ, वो कैंसिल कर देना. तुम दोनों हमारे साथ रहोगे, यह फाइनल है.
जिया- ठीक है.

फिर हम सब साथ में घूमने लगे. जिया मुझे बार-बार देख रही थी और मैं उसको देख रहा था.

तभी जीजा जी ने आकाश के कान में वो कल वाली बात कह दी. आकाश इसके लिए तैयार हो गए. आकाश ने धीमे से नताशा को बात समझा दी और नताशा भी इसके लिए राजी थी.

फिर हम सब मॉल में शॉपिंग करने के लिए गए, जहां लेडीज का ग्रुप अलग हो गया और हम सभी मर्द अलग ग्रुप में गए. इधर आकाश ने अपना काम करना शुरू कर दिया.

दोस्तो, इस मस्त सेक्स स्टोरी का मजा लेते रहें. अगले भाग की प्रतीक्षा करे और तब तक आप मुझे मेल कीजिएगा कि यह गर्म कहानी आपको कैसी लगी?.
[email protected]
कहानी जारी है.

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