मौसी की जेठानी की प्यास बुझाई- 4

(Aunty Mouth Sex Kahani)

माउथ सेक्स कहानी मेरी मौसी की जेठानी के साथ सुहागरात का रोलप्ले करते हुए किये ओरल सेक्स की है. पहले फ्रेच किस और उसके बाद उनकी चूत चाट कर मजा दिया.

पिछले भाग
मौसी की जेठानी को दुल्हन बनाया
में आपने पढ़ा कि मैंने मौसी की जेठानी नीतू को दुल्हन बनने को कहा था. अभी वो दुल्हन के रूप में मेरे सामने बेड पर बैठी है.

अब आगे माउथ सेक्स कहानी:

जैसे ही मैंने उसके पैरों को हल्के छुआ तो उसने अपने पैरों को पीछे खींच लिया और वो खुद में और सिमट गई।

नीतू ने घूँघट ले रखा था और मैं उसका चेहरा देखने के लिए मरा जा रहा था.
इसलिये मैंने उसका घूँघट हटाया और अपने दोनों हाथों में उसका चेहरा भर कर ऊपर उठाया।

चेहरे पर नाम मात्र का मेकअप, आँखों में काजल और होंठों पर सुर्ख लाल रंग की लिपस्टिक!
इस समय नीतू आसमान से आयी हुई परी से भी ज्यादा सुंदर लग रही थी।

मैंने आगे बढ़कर उसके माथे को चूमा तो उसने एक बार अपनी नज़रें उठा कर मुझे देखा लेकिन फिर तुरंत अपनी आँखें झुका ली।
फिर मैं उसकी दोनों आँखों को चूमने लगा और उसके कश्मीरी सेब की तरह मोटे गालों को मैं चूम कम और दांतों से काट ज्यादा रहा था।
जिससे उसके गाल लाल होते जा रहे थे।

मेरी हर हरकत पर नीतू मुस्कुरा रही थी।

फिर मैंने उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए।
दो पतले होंठ जैसे संतरों की दो फाँकों को एक के ऊपर एक चिपका दिया गया हो जिन्हें मैं चूमने लगा।
मैं लगातार उसके होंठ को चूमे जा रहा था।

कुछ देर बाद नीतू को भी मज़ा आने लगा और उसने मेरे बालों में अपनी उंगलियाँ फंसा दी।
अब नीतू भी मेरे होंठ को अपने दांतों से खींच खींच कर चूमने लगी।

फिर मैंने धीरे से अपनी जीभ उसके मुंह में घुसा दी अब हमारी जीभ एक दूसरे के मुंह में अठखेलियाँ करने लगी थी।
कभी मेरे होंठ को चूमते वक्त नीतू मेरी जीभ अपने दांतों से पकड़ लेती और मुझे अपनी लार पिलाने लगती।

मैंने हाथों को आगे ले जा कर उसके कंधों से चुन्नी उतार दी और चूचों को उसकी चोली के ऊपर से सहलाने लगा।
कभी चूचों को हल्के से सहलाता तो कभी उसके निप्पलों को अपनी दो उँगलियों से उमेठ देता।

मैंने अपने हाथ उसकी पीठ के पीछे ले जा कर उसकी चोली की डोरी खोल दी.
अब उसकी चोली उसके बड़े चूचों में अटक के रह गई।

फिर मैंने बड़े प्यार से उसकी चोली को कन्धों से पकड़ा और खींचते हुए उसकी नाजुक बांहों से अलग कर दिया।
आज न तो नीतू ने कोई विरोध किया और न ही उसने अपने चूचों को हाथों से ढका वो तो बस मेरा साथ दे रही थी।

जैसे ही मेरी नजर उसकी चूचियों पर पड़ी … मेरी तो सांसें ही रुक गई थी।
उसने सफेद रंग की बिलकुल झीने से कपड़े की कोई स्टाइलिश ब्रा पहन रखी थी।

सच में ब्रा का कपड़ा इतना झीना था की उसकी चूचियों के आकार के साथ साथ उसके निप्पल भी साफ़ नजर आ रहे थे।
मैं उसकी चूचियों की तरफ घूर कर देखे जा रहा था.

तभी नीतू बोल पड़ी- ऐसे क्या देख रहे हो? मुझे रूपाली ने सब बताया है तुम्हारी पसंद के बारे में!

नीतू को मैंने वापस से बेड पर लिटा दिया और उसकी टांगों के पास जाकर बैठ गया।
मैंने उसकी एक टांग को उठाया और पैर के अंगूठे को मुंह भर कर चूसने लगा।

फिर उसकी उंगलियों के बीच वाले भाग को जीभ से सहलाते हुए उसके पैरों के तलवे को जीभ से चाटने लगा।
इस तरह मैं उसके दोनों पैरों को बारी बारी से प्यार करने लगा।

कुछ देर बाद मैंने आगे बढ़ने की सोची.
मैंने अपनी जीभ उसकी पाजेब के पास रखी और अपनी जीभ को ऊपर की तरफ बढ़ाने लगा।

उसके लहंगे को मैंने थोड़ा सा ऊपर सरकाया और उसके पैरों की पुष्ट पिंडलियों को मुंह में भर कर दांतों से काटने लगा।
कभी हल्के से काटता तो कभी थोड़ी जोर से दांत गड़ा देता।

मेरे ऐसा करने से उसके पैरों की पिंडलियों पर मेरे दांतों के निशान पड़ गये थे जैसे किसी ने निशानों की माला सी बना दी हो।

अब नीतू भी कुछ गर्म होने लगी थी।

फिर मैं और आगे बढ़ा और उसके लहंगे के अंदर घुस गया।
अंदर का माहौल और भी रुमानी कर देने वाला था। अंदर की खुशबू से पता चल रहा था कि आज उसने अपनी चूत और चूत के आसपास कोई खास इत्र लगा रखा था जिससे मेरा जोश कई गुणा बढ़ता ही जा रहा था।

मैंने उसकी जाँघों पर चुम्मियों की बरसात कर दी।
नीतू भी अब आह्ह … सीईइ … ह्ह्ह कर रही थी यानि अब वो भी गर्म होने लगी थी।

मैं उसकी जाँघों पर यहाँ वहां चूमे जा रहा था. कभी कभी उसकी मुनिया को पैंटी के ऊपर से चूम कर जल्दी से लौट जाता।

बाहर से आती रोशनी उसके लहंगे में छन कर आ रही थी जिससे मुझे उसकी जांघें तो दिखाई दे रही थी लेकिन चूत नहीं।

नीतू तो अपनी चूत चटवाने के लिए मरी जा रही थी इसलिये वो कई बार अपने हाथों से लहंगा उतारने की कोशिश करती.
लेकिन मैं उसे हर बार रोक देता क्योंकि आज मैं नीतू को वासना के अंतिम पड़ाव तक तड़पाना चाहता था।

कुछ देर बाद जब मैं लहंगे से बाहर निकला तो देखा कि नीतू आँखें बंद कर के पड़ी थी और लम्बी आहें भर रही थी।

मैंने उसके लहंगे के नाड़े की गांठ खोल दी और उसके लहंगे को पकड़ के कमर के नीचे सरकाने लगा.
लेकिन लहंगा उसका गांड के नीचे अटक गया।

इससे पहले मैं नीतू से कमर उठाने को कहता वो खुद ही अपने चूतड़ हवा में उठाने लगी।
मैंने लहंगे को सरकाते हुए उसकी टांगों से अलग करके जमींन पर फेंक दिया।

उसने ब्रा की ही तरह हल्के कपड़े की सफ़ेद पैंटी पहन रखी थी जो चूत से लगातार रिसते कामरस की वजह से उसकी चूत से चिपक गई थी।
पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत की लकीर और उसके होंठ साफ नजर आ रहे थे।

पैंटी में केवल छोटा सा कपड़ा उसकी चूत को ढक रहा था बाकी एक कपड़े की पतली सी पट्टी उसके दोनों चूतड़ों के बीच में घुसकर गुम हो गई थी।

नीतू ने अपनी दोनों टांगों को जोड़ कर हवा में उठा लिया और बोली- जल्दी से इसे भी उतार दो. ऐसे बंद माहौल में मेरी दुलारी को ठीक से सांस नहीं मिल पा रही है. आखिर उसे भी हक है खुली और ताजी हवा में सांस लेने का!
इतना कहते ही नीतू ने अपनी एक आंख दबा दी।

मैंने भी नीतू से कहा- जैसा आपका हुक्म मेरी हुस्न की मल्लिका!
और उसकी आज्ञा का पालन करते हुए मैंने अपने दोनों हाथों की एक–एक उंगलियाँ उसकी कमर पर सहलाते हुए उसकी पैंटी की डोरियों में फंसाई और पैंटी को खींचने लगा।

कामरस से भीगी हुई पैंटी उसकी चूत से चिपकी हुई थी इसलिये मैंने थोड़ा जोर लगा कर खींचा तो पैंटी ने उसकी चूत का साथ छोड़ दिया और मेरे चेहरे पर रस की कुछ बूँदें छिटककर आ गई।
मेरे सामने नीतू नंगी पड़ी हुई थी।

अब आप कल्पना कीजिये कि आपके सामने एक कमसिन, जवान, कामुक और वासना से लबरेज स्त्री सुहागसेज पर नंगी पड़ी हुई हो.
जो हालत आपकी तब होगी, इस समय वही मेरी थी।

इस समय नीतू के माथे पर सोने का टीका, कानों में सोने की झुमके, गले में सोने का हार, नाक में गोल सुंदर सी नथ, उंगलियों में सोने अंगूठी, कलाई में सोने के कंगन के साथ कांच की लाल चूड़ियां, कमर में सोने की चेन, पैरों में चांदी की घुंघरू वाली पायल, लाल माहवर और पैरों की उँगलियों में सोने बिछिया पहनी हुई थी।

सोने का पीला रंग उसके गोरे बदन पर खूब खिल रहा था।

इस समय नीतू आभूषणों की दुकान पर रखे किसी पुतले की तरह लग रही थी जिसे कलाकार ने जेवर तो सारे पहनाये लेकिन कपड़े पहनना भूल गया।
सच में रूपाली ने बड़ी मेहनत से नीतू को तैयार किया था।

मैंने नीतू से मेरे कपड़े उतारने को कहा.
जैसे ही नीतू मेरी और बढ़ी, मैंने उसे रोक दिया और बेड से नीचे उतरने को कहा.

वो बेड से नीचे उतरी और आश्चर्य भरी नजर से मुझे देखने लगी।
मैंने उसे समझाया- ऐसे नहीं, पहले थोड़ा नाचो।

और मैंने अपने मोबाइल पर हल्का म्यूज़िक लगा दिया।

शुरू में तो नीतू कुछ देर तो खड़ी रही लेकिन फिर बाद में वो अपनी कमर मटकाते हुए नाचने लगी।
उसकी लचकती हुई कमर और थलथलाते हुए चूतड़ों ने मेरा दिल जीत लिया था।

कभी कभी नीतू नाचते वक्त एक दो ठुमके मार देती तो ऐसा लगता कि वो आज अपनी अदाओं से मेरा दिल छलनी कर देगी।

तभी उसने नाचते हुए अचानक से अपने बालों का जूड़ा खोल दिया और अपने बालों लहराते हुए और अदा से नाचने लगी।
इस समय नीतू किसी काल गर्ल से कम नहीं लग रही थी।

उसकी इस हरकतों को देख कर मैं सोच में पड़ गया की क्या ये वही नीतू है जो कल तक किसी परिवार की इज्जत थी जो हमेशा पूजा पाठ में व्यस्त रहती थी जो किसी परपुरुष को देखना तो दूर … उसके बारे में सोच भी नहीं सकती थी.
और आज कैसे सिर्फ सम्भोग के लिए निर्वस्त्र हो कर नाच रही है।

सच में औरत के बहुत रूप हैं कभी-कभी एक जीवन कम पड़ जाता हैं एक औरत को समझने के लिए!

फिर नीतू मेरे पास आयी, मुझे बेड से खड़ा किया और मेरे होंठ चूमने लगी।
मेरे होंठों को चूमते हुए उसने मेरे कुर्ते के बटन खोल दिए और कुर्ते को मेरे शरीर से अलग कर दिया।

नीतू मेरे सीने को सहलाने लगी और आगे झुक कर उसने मेरे दोनों निप्पलों को बारी-बारी चूम लिया।
फिर बायें निप्पल को मुंह में भरकर जोर से चूसने लगी।

थोड़ी देर बाद नीतू पीछे हट गई और अपनी कमर के बल बैठ गई और नाचते हुए मेरी ओर बढ़ने लगी।
मेरी कमर के पास अपना सर लाकर उसने अपने मोती की तरह सफ़ेद दांतों के बीच मेरे पजामे के नाड़े को दबा कर खींच दिया।

मेरा पजामा अब मेरा साथ छोड़ चुका था और फर्श पर किसी ह्वा निकले गुब्बारे की तरह पड़ा था।
अब मैं केवल चड्डी में था।

नीतू फिर से नाचने नें मग्न हो गई थी।
कमरे में नीतू की पायल के घुंघरूओं की छन छन और हाथों की चूड़ियों का मधुर संगीत गूंज रहा था।

मैंने अपनी चड्डी खुद उतारी और कुर्सी पर जाकर बैठ गया.
नीतू मेरे पास आयी और नाचते हुए उसने अपनी एक टांग उठा कर मेरी कुर्सी के हत्थे पर रख दी।

मैं उसके बदन को बड़े ध्यान से देख रहा था, उसका गोरा बदन वासना से लाल हो गया था और उसकी चूत का हाल तो पूछो ही मत … वो पहले से और ज्यादा गुलाबी हो गई थी।

उसकी चूत मुझसे बस कुछ ही इंच दूर थी जो रस से इतनी लबरेज थी कि उसमें से रस की बूँदें टपक के मेरी जाँघों पर गिर रही थी।

मन कर था कि आगे बढ़ कर अपनी सुलगती हुई जीभ उसकी चूत पर धर दूं और अपनी वासना की प्यास बुझा लूं।

शायद मेरे मन में उठी इच्छा मेरी आंखों में साफ दिखाई दे रही थी इसलिए जैसे ही नीतू मुझसे पूछा ‘चाटनी है?’
तो मैं मना नहीं कर सका और हां में अपना सर हिला दिया।

नीतू ने अपनी कमर को मेरे मुंह थोड़ा पास किया तो उसकी चूत मेरे मुंह के और करीब आ गई।
उसकी चूत से निकलने वाली तपिश को मैं अपने चेहरे पर साफ महसूस कर पा रहा था.

मैंने उसकी कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और अपने होंठ उसकी जांघ पर रख दिए।
अपने होंठों से मैं उसकी जांघ को चूमते हुए चूत की तरफ बढ़ने लगा।

मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के ठीक नीचे रख दी और रस की बूंद का जीभ पर गिरने का इंतजार करने लगा।
जैसे चूत से रस की एक बूंद अलग होकर मेरी जीभ पर गिरी वैसे ही मेरे शरीर के रोम रोम में ऊर्जा का नया प्रवाह होने लगा।

मैं उस ऊर्जा के सागर से कुछ और बूँदें को चुराना चाहता था इसलिए मैंने उसकी चूत पर सीधा अपनी जीभ रख दी।
जीभ का चूत से मिलन होते ही मेरे मुंह से उम्म्म … निकल गया।

मैंने जल्दी जल्दी चूत एक दो बार चाट लिया तो नीतू के मुंह से आहह … सीई ईईई … निकल गई.
अभी मैं कुछ और देर तक चूत को चाटना चाहता था लेकिन वो मुझसे अलग हो गई।

फिर नीतू ने बेड से अपनी गीली पैंटी उठा ली और हवा में लहराते हुए नाचने लगी।

फिर वो मेरे पास आयी और मेरे गले में अपनी पैंटी वरमाला स्वरूप डाल दी।
नीतू जैसे ही मेरे पैर छूने के लिए झुकी, मैंने उसे तुरंत रोक लिया और सीने से लगा लिया।

हमारा आलिंगन इतना गहरा हो गया था कि हमारे स्तन एक दूसरे के स्तनों में धंसे जा रहे थे क्योंकि अब से नीतू भी मेरी बीवी बन गई थी।

कितनी ही देर तक हम दोनों एक दूसरे के सीने लग कर खड़े रहे।
कमरे में संगीत चालू होने बावजूद एक अजीब सा सन्नाटा था जिसमें हम दोनों एक दूसरे की दिल की धड़कन सुन पा रहे थे।

थोड़ी देर बाद नीतू मुझसे अलग हुई, शृंगांरदान से सिन्दूर की डिब्बी उठा लायी और मेरे हाथ में देते हुए बोली- मुझे भी अपना लो राहुल. बहुत अकेली हो गई हूँ मैं!
मैंने डिब्बी से थोड़ा सा सिन्दूर ले कर उसकी मांग में भर दिया।

तब मैंने डिब्बी साइड में रखी, मोबाइल का म्यूजिक बंद किया। मैंने उसकी पैंटी को अपने गले से निकाला और जोर से फूंक मारी.
सच में पैंटी बहुत हल्के कपड़े की थी इसलिये पंखे की तेज हवा में उड़ते हुए कहीं गुम हो गई।

मैंने नीतू को गोद में उठा लिया.
उसने भी अपनी बाँहें मेरे गले में डाल दी।

मैंने उसके होंठ चूमते हुए पूछा- कैसे चुदना पसंद करोगी?
तो वो बोली- बीवी हूँ तुम्हारी … चाहे जैसे चोदो. बस आज तृप्ति करवा दो. बहुत दिनों प्यासी हूँ.

मैंने नीतू को बड़े प्यार से बेड पर लिटा दिया और उसके होंठ चूमने लगा.
नीतू भी भरपूर साथ दे रही थी।

होंठ चूमते हुए मैंने नीचे बढ़ा और उसकी गर्दन को चूमने लगा। मैं उसकी गर्दन को इतनी जोर से चूम रहा था कि उसकी गर्दन पर कई जगह लाल निशान पड़ गये थे।

मैं थोड़ा और नीचे आया और उसके स्तनों से खेलने लगा। मैंने उसके एक स्तन को मुंह भर लिया और दूसरे को जोर से निचोड़ने लगा।
मैं उसके गुलाबी निप्पल को मुंह भर के चूचियों को दबा कर पीने लगा।

कुछ देर बाद मैंने दूसरी चूची पर हमला किया।
नीतू ने दर्द से कराहते हुए कहा- धीरे करो राहुल, दर्द होता है. मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ. इन चूचियों से दूध नहीं निकलेगा क्योंकि अभी मैं माँ नहीं बनी हूँ इसलिये इनमें दूध नहीं आता।

मैं बोला- कहो तो आज तुम्हें माँ भी बना दूँ?
नीतू ने कहा- अभी नहीं, बाद में सोचूंगी।

उसकी चूचियों को मैंने ध्यान से देखा तो वहाँ पर जोर से दबाने से मेरे नाखूनों से आधे चाँद जैसी आकृति और खुरचने से लम्बी लाइन बन गई थी।
मैंने उसकी कमर पर पड़ी सोने की चैन को थोड़ा ऊपर सरकाया और उसकी कुएँ जैसी गहरी नाभि में अपनी जीभ डाल दी।

मैं उसकी नाभि को जीभ से चाटता और अपनी लार से भर देता।
मेरे लगातार ऐसा करने से उसका पूरा पेट मेरी लार से गीला हो गया था।

नीतू अब और ज्यादा उत्तेजित हो गई थी इसलिये वो मुझे अपनी चूत की तरफ धकेलने लगी थी।

मैंने उसकी दोनों टांगों को खोल दिया और उसकी जांघ को चूमने लगा।
मेरे चूमने से उसकी जाँघों पर लाल निशान पड़ गये।

मैं उसकी चूत से आती खुशबू को सूंघ कर अधिक उत्तेजित हो गया था इसलिये उसकी जांघ को अपनी ओर खींचने लगा जिससे उसकी जांघों पर मेरे नाखूनों से लकीरें बन गई थी।

उसकी चूत के ऊपरी चिकने भाग को मैंने चूम लिया और उसके दाने को दांतों के बीच में भर कर काट लिया जिससे वो चिहुँक गई।
मैंने उसके चूत के होंठ को अलग किया और बारी- बारी से उन्हें मुंह में भर के चूस लिया।

मैं उसकी चूत के अंदर जीभ डाल कर उसके जी-स्पॉट से खेलने लगा। उसका जी-स्पॉट बाकी औरतों की तुलना में थोड़ा अंदर की तरफ था और बाकियों से ज्यादा उत्तेजित था।

माउथ सेक्स के खेल में कभी उसके दाने को जीभ से छेड़ देता तो वो उईइ माँ कह कर रह जाती।

मैं यूँ ही उसकी चूत चाटता रहा और नीतू गर्म होती रही.

थोड़ी देर बाद नीतू बोली- आह्ह … राहुल ऐसे ही थोड़ी देर चाटो … मैं आने वाली हूँ … आअम्म्म्म!

तभी मुझे शरारत सूझी और मैंने उसकी चूत चाटना छोड़ दिया और वापस से उसके होंठ चूमने लगा।
मेरे होंठ नीतू के होंठ से मिलते ही उसने अपनी आँखें खोल दी और आश्चर्य से मेरी तरफ देखने लगी।

हम दोनों एक दूसरे को चूमने में फिर से व्यस्त हो गये। थोड़ी देर बाद मैं उसके होंठों को छोड़ कर फिर से उसकी चूत चाटने निकल पड़ा।

मैंने उसकी चूत में दो उंगली डाल दी और उसके जी-स्पॉट से खेलने लग। मेरी उंगली उसके प्रीकम से गीली हो गई।
मैं तेजी से उसकी चूत में उंगली अंदर बाहर करने लगा।

थोड़ी देर में नीतू फिर से गर्म हो गई और आँखें बंद करके सिसकारियां लेने लगी … राहुल … य्ह्ह्ह … उफ्फ … कितना अच्छा लग रह ऐसे ही करते रहो … श्श्ह्ह।

जब मुझे लगा कि नीतू झड़ने वाली है तो मैंने अपनी उंगली उसकी चूत से बाहर निकल ली।
फिर से उसकी चूत छोड़ दी और फिर से उसे किस करने लगा।

लेकिन इस बार नीतू सच में गुस्से से लाल हो गई थी।
मैंने आगे झुक कर उसकी दोनों आँखों को बारी-बारी चूम लिया।

इस बार मैं उसके होंठों को चूमते हुए उसकी फुद्दी को अपनी हथेली से रगड़ने लगा।
अब नीतू किस करने में मेरा साथ नहीं दे रही थी.

मुझे सच में बहुत हंसी आ रही थी लेकिन मैं अपनी हंसी रोक कर उसके साथ खेलता रहा।
खैर इस बात से यह तो पता चल गया था कि नीतू बहुत जल्द गर्म होने वाली औरत है।

थोड़ी देर बाद एक बार फिर से मैं उसकी चूत से खेलने लगा।
अब मैंने अपनी बड़ी वाली उंगली उसकी चूत में उतार दी और उसके प्रीकम को अपनी उंगली दो उंगलियों के बीच में लेकर देखने लगा जैसे हलवाई ये देखा करते है कि चाशनी कितने तार की है।
जब भी मैं अपनी दोनों उंगलियो को अलग करता उंगलियों के बीच में बाल से पतला प्रीकम लटक जाता।

मैंने अपनी जीभ से हाथों पर लगे उसके प्रीकम को चाट लिया।
नीतू बड़े गोर से ये सब देख रही थी।

मैंने अपनी उंगली उसकी चूत में डाल दी और चूत की दीवारों को सहलाने लगा।
इस वक्त उसका दाना छोटे बच्चे की लुल्ली के जितना बाहर को निकल आया था और हल्का सा छूने से दाना फड़कने लगता।
मैंने उसके दाने को मुंह में भर लिया और चूसने लगा।

थोड़ी देर बाद नीतू फिर से गर्म हुई और झड़ने को तैयार हो गई।
इस बार नीतू ने अपनी जांघों के बीचे में जोर से दबा लिया। मैं लगातार माउथ सेक्स करते हुए उसकी चूत चाटता रहा।

थोड़ी देर बाद उसकी चूत से प्रीकम के आने की रफ़्तार तेज हो गई थी जिससे उसके झड़ने का समय निकट आ गया था।

अब नीतू ने मेरे सर के बालों को जोर से पकड़ लिया और मेरे मुंह को अपनी चूत के ऊपर दबाने लगी।
नीतू के कामुक सिसकारी निकली- आअह्ह … माँ … अह्ह्ह … मैं आने वाली हूँ … उम्म्म … ऐसे ही चाटो राहुल … जोर से चाटो मेरी चूत राहुल … बहुत दिनों बाद ऐसा सुख़ मिलने वाला है!

मैं भी किसी आज्ञाकारी दास की तरह सम्पूर्ण समर्पण से उसकी चूत चाट रहा था।

तभी नीतू के मुंह से ‘अईईइ … माँ … मर गई …’ की कामुक चीख निकली और उसकी चूत ने सफ़ेद अमृत मेरे मुंह में उड़ेल दिया।

नीतू का बदन झटके खा रहा था। उसके हर झटके पर मेरे मुंह में रस आ जाता और देखते ही देखते उसकी चूत ने मेरे मुंह को पूरा भर दिया.
लेकिन उसकी चूत से अभी भी रस आ रहा था तो मैंने जल्दी से रस को हलक से नीचे गटक लिया।

नीतू अभी भी झड़ रही थी इसलिये मैं फिर से उसकी चूत से मुंह सटा कर अमृत पीने लगा। नीतू बहुत देर तक झड़ती रही और मैं उसी तरह उसका रस कई घूंट गटकता गया।

थोड़ी देर बाद नीतू पूरी तरह झड़ कर बेसुध हो गई।
मैंने भी उसकी जांघों के बीच से अपना सर निकाला और उसकी चूत के पास सर रख कर लेट गया।

मेरी कहानी में आपको जरूर मजा आ रहा होगा.
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माउथ सेक्स कहानी का अगला भाग: मौसी की जेठानी की प्यास बुझाई- 5

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