हैडमास्टर और स्कूल टीचर का सेक्स

(Headmaster Aur School Teacher Ka Sex)

नमस्कार दोस्तो, आज मैं अपनी जीवन से जुड़े कुछ हसीन लम्हों को आपके साथ बाँटने जा रहा हूँ. मेरी उम्र 56 वर्ष है. मैं 5 फ़ीट 8 इंच का हूँ. मेरा वजन लगभग 120 किलो का है. मैं काफी हट्टा कट्टा और रंगीन मिजाज का एक तन्दरुस्त आदमी हूँ. मुझे बार बार मूछों पर ताव देना पसंद है. मेरे परिवार में मेरी पत्नी उम्र 52 साल और हमारी दो सन्तानें हैं. एक बेटा 28 साल का है और बेटी 24 साल की है. उन दोनों की शादी हो चुकी है. मैं एक सेंट्रल गवर्मेन्ट स्कूल का टीचर हूँ.

तो यह कहानी कुछ एक साल पहले शुरू हुई, जब मेरी बहू गृह प्रवेश कर हमारे घर संभालने आई. उसके आने के कुछ एक हफ्ते बाद मुझे हेड ऑफ़ डिपार्टमेंट से प्रमोशन लैटर आया कि वो मुझे टीचर से प्रिंसिपल बना रहे थे, लेकिन मुझे पोस्टिंग किसी दूसरे शहर के स्कूल में दी जा रही थी. ये मुझे ठीक नहीं लगा, तो मैंने इंकार करने का तय कर लिया. फिर मेरे परिवार ने मुझे काफी समझाया कि चिंता की कोई बात नहीं है, वो लोग घर संभाल लेंगे. घर के सभी सदस्यों ने मुझे जाने को कहा.

वैसे ये अच्छा मौका भी था, मेरा वेतन भी काफी बढ़ रहा था और हमारा परिवार अब बढ़ने वाला भी था तो मैंने हां कह दी. मैं जॉइनिंग के लिए दूसरे शहर चला गया. मुझे स्कूल से एक स्टाफ क्वार्टर मिला था. मैं वहां अकेले ही रहता था. घर की देख रेख के लिए मैंने एक स्टाफ रख लिया था, जो खाना बनाना, घर साफ करना वगैरह सभी काम कर देता था. मैं स्कूल को काफी अच्छे तरह से चला रहा था.

ऐसा चलता रहा और कुछ 6 महीने गुजर गए.

फिर एक दिन जो हुआ वो कुछ ऐसा था. मैं हमेशा की तरह आज भी नहा धोकर स्कूल के लिए अपनी बुलेट बाइक पर रवाना हो गया. स्कूल पहुंचा. दिनचर्या आरम्भ हुई. प्रार्थना ख़त्म हुई और मैं अपने ऑफिस रूम की तरफ जा रहा था कि तभी मुझे ऑफिस स्टाफ की खुसुर-फुसुर सुनाई पड़ी. मैं ध्यान ना देते हुए अपने केबिन की तरफ चला गया.

मैंने अपने चपरासी को आवाज़ लगाई- ये ऑफिस रूम में क्या खुसुर फुसुर चल रही है, ज़रा मुझे भी तो बताओ?
मेरे चपरासी शिवा ने मुस्कुराते हुए कहा- सर, वो आज अपने स्कूल में एक नयी टीचर आई हैं, सभी उनके ही बारे में बातें कर रहे हैं.
मैंने भी पूछ लिया- अच्छा … ऐसी क्या बात है भला?
शिवा थोड़ा हकलाते कर बोला- अरे सर व्वो …. मैडम काफ़ी सुंदर हैं … एकदम गोरी चिट्टी … मानो दूध से नहा कर निकली हो.
मैंने भी थोड़े कड़क शब्दों में कहा- अच्छा तो ये बात है … आज कल सारे टीचर्स को हुस्न की भूख लगने लगी है.
शिवा ने सर झुका लिया.

फिर शिवा कहने लगा- सर वो मैडम हैं ही हुस्न की परी, देखते ही जी करता है उनको बांहों में भर लूँ.
शिवा मानो भूल ही गया कि वो मुझसे बात कर रहा हो. मैंने उसे डांटते हुए कहा- ये क्या बक रहे हो … पागल हो गए हो क्या … चलो जाओ अपना काम करो.
वह डर गया और कमरे से बाहर जा कर अपने स्टूल पर बैठ गया. फिर मैं अपने काम पे लग गया. कुछ पेपर साइन करने में व्यस्त हो गया.

मैंने शिवा से आवाज लगाते हुए कहा- ज़रा नयी मैडम को कहो कि वो मुझे रिपोर्ट करें.
“ओके सर!”

कुछ 15-20 मिनट बाद कोई महिला की आवाज मेरे केबिन में आई. उसने अन्दर आने से पहले मुझसे पूछा- सर, क्या मैं अन्दर आ सकती हूँ?
मैंने कहा- यस कम इन.

वो नई मैडम जैसे ही में ऑफिस के अन्दर आई, पूरा रूम एक सुंदर सी खुशबू से भर गया. क्या गजब का परफ्यूम लगाया था मैडम ने. मैंने उसको नीचे से ऊपर एकटक देखा. वो पीले रंग की साड़ी में लंबी चौड़ी भरी पूरी एक गोरी चिट्टी औरत थी. गुलाब की पंखुड़ी जैसे उसके रसीले होंठ, बलखाती कमर, उभरे हुए चूतड़ … गहरे गले के ब्लाउज से छलकते हुए दूधिया स्तन उसकी झीनी साड़ी के पल्लू से साफ़ झलक रहे थे. इतनी आकर्षक और रसीली महिला को अपने सूखे जीवन में देख कर मुझे मज़ा आ गया.

फिर मैंने अपना ध्यान हटाते हुए कहा- आइये आइये मैडम … कैसा लगा हमारा स्कूल और हमारा स्टाफ … प्लीज़ बैठिए और ज़रा अपना परिचय भी दीजिए. वैसे तो मुझे खबर मिली थी कि हमारे स्कूल में कोई टीचर आने वाले है. फिर आपकी चर्चा तो पूरे स्टाफ रूम में भी हो रही है.
मैडम ने मुस्कुराते हुए कहा- हां सर, स्कूल काफ़ी अच्छा है और स्टाफ के लोग भी काफ़ी अच्छे हैं, काफ़ी मिलनसार भी हैं सभी. मैं कल ही इधर शिफ्ट हुई हूँ, अभी फिलहाल स्कूल स्टाफ क्वॉर्टर में ही रुकी हूँ. मेरी फैमिली ओडिशा में है. हज़्बेंड आर्मी में हैं, तो ज्यादातर बाहर ही रहते हैं. बच्चों की पढ़ाई वहीं पूरी करवानी है तो मैं अकेली ही यहां रहूंगी.
मैंने कहा- अच्छा, मैं भी ओडिशा का ही रहने वाला हूँ. आप की तरह मैं भी अकेला ही स्टाफ क्वॉर्टर में रहता हूँ. थोड़ी परेशानी होती है, पर क्या करें … जिंदगी में जीना है, तो काम कर प्यारे …

मैंने भी मस्त मिज़ाज में अपनी बात कही. इस पर मैडम भी हंसने लगी. फिर बेल बजी तो मैडम के क्लास लेने का समय हो गया.
मैडम ने बोला- सर मैं ज़ाऊं … मुझे क्लास लेने जाना होगा.
मैंने कहा- ओह यस … बट आप अपना नाम तो बताते जाइए मैडम.
मैडम भी पूरे मस्त मूड में बोली- देविका नायक … आप मुझे देवी भी बोल सकते हैं सर.

मैंने मुस्कुराते हुए अपना परिचय दिया और उसको जाने की इजाजत दे दी.
वो मदमस्त चाल से निकल गई.

स्कूल की छुट्टी हुई, मैं अपने क्वॉर्टर की तरफ निकल गया. हमारा स्टाफ क्वॉर्टर हमारे स्कूल से लगभग दस किलोमीटर की दूरी पर है. मेरा खाना मेरा नौकर बनाता है, कभी कभी मैं बाहर का भी खा लेता हूँ.
इस तरह आज का दिन भी समाप्त हो गया था.

दूसरे दिन मैं तैयार होकर स्कूल के लिए निकल ही रहा था कि तभी मैंने देवी मैडम को मेरे बगल वाले क्वॉर्टर से निकलते देखा.

मैं- अरे मैडम आप यहां शिफ्ट हुई हैं … यह तो मेरे बगल का ही क्वॉर्टर है, चलिए बैठिए दोनों को स्कूल ही जाना है.
मैडम बिना संकोच मेरे गाड़ी पर बैठ गयी. वैसे मैं गाड़ी धीरे चलाता हूँ, पर आज मुझे हीरो बने का थोड़ा शौक हो रहा था. हो भी क्यों ना … मर्द मर्द होता है. जब इतनी सुंदर महिला आपके पीछे बैठी हो, तो इतना तो लाजमी है.

मैडम ने ज़ोर से मेरी कमर को पकड़ा हुआ था. मुझे भी अच्छा लग रहा था. शायद उसको भी अच्छा लग रहा होगा. इसीलिए तो वो भी मुझसे चिपक कर बैठ गयी थी. उसकी चूचियों के निप्पल मेरे पीठ पर रगड़ रहे थे. मैं भी बीच बीच में थोड़ा ब्रेक मार देता और वो मुझसे बार बार चिपक जाती थी.

अब मुझमें मैडम के प्रति थोड़ी कामवासना जागने लगी थी. मैं स्कूल में उसका रूप निहारने के लिए कुछ ना कुछ बहाने से उसको अपने केबिन में बुला लेता. मैडम भी समझ गयी थी कि मैं ऐसा जानबूझ कर कर रहा हूँ.

ऐसा कुछ दिनों तक चला. हमारे बीच अब काफ़ी अच्छी बातचीत होने लगी थी. देवी मेरे साथ ही स्कूल आना जाना करने लगी थी. मैं भी इसी बहाने उसके शारिरिक स्पर्श के मज़े ले लेता था.

एक दिन छुट्टी में बाद हम दोनों क्वॉर्टर के लिए रवाना हुए ही थे कि तभी ज़ोर की बारिश होने लगी. हम दोनों पूरे रास्ते भीगते भीगते क्वॉर्टर पहुंचे. उसका भीगा बदन देख कर मेरा मन मचल उठा.
सच में क्या बदन था उसका, जी कर रहा था कि उससे लिपट जाऊं. उसका भीगा बदन और पतली रूबिया के ब्लाउज से उभर कर दिखते निप्पल. उसकी चूचियों की गोलाइयों पर से मेरी नज़र हट ही नहीं रही थी.

तभी उसने कहा- सर … हैलो सर … क्या हो गया …? आप इतनी गौर से मुझे देख रहे हैं?
मैडम ने ये थोड़ा इतरा कर बोला, तो मैंने हकलाते हुए कहा- नहीं नहीं … कुछ नहीं.
मैडम हंसते हुए कहने लगी- मैं सब समझती हूँ.
यह कहकर वो अपनी गांड हिलाते हुए अपने क्वॉर्टर में चली गई. उसकी बातों से लगा कि उसको भी मुझमें थोड़ा इंटरेस्ट आने लगा है.

मैं भी अपने क्वॉर्टर में चला गया. आज मेरा नौकर छुट्टी पे था तो मुझे खाना बाहर खाना था लेकिन बाहर तो बारिश हो रही थी. समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करूँ … भूख भी लगी थी.
एक घंटा बीत चुका था … बारिश बदस्तूर जारी थी.

तभी किसी ने दरवाजा नॉक किया. मैंने देखा देविका मैडम छाते के साथ हाथ में टिफिन लिए मेरे गेट पे खड़ी थी.
मैंने कहा- आइए मैडम अन्दर आईए. शायद मैडम को पता था कि आज मेरा नौकर छुट्टी पे है, इसलिए उसने आज मेरे लिए भी डिनर बना लिया था.

हम दोनों ने डिनर साथ ही मेरे रूम में किया. उसने काफ़ी अच्छा भोजन बनाया था. मैंने भी तारीफ में मैडम से कहा कि आपके हाथों में तो जादू है … सच में खाना बहुत अच्छा था, जितनी सुंदर आप हो … उतना ही टेस्टी भोजन भी था, मेरा तो जी करता है आपके हाथों को …
मैं कहते कहते रुक गया और चुप हो गया.

मैडम भी मज़े के मूड में आ गई- अरे आगे भी तो बोलिए ना सर … आपकी बीवी इतना अच्छा खाना नहीं बनाती थीं क्या?
आज देवी मैडम बड़ी मस्ती के मूड में थी. मैंने भी मौका का फ़ायदा उठाया और फट से उसके हाथ को उठा कर चूम लिया. मेरे इस कदम से मैडम थोड़ा शर्मा गई और भाग कर रसोई की ओर चली गई. वो चाय बनाने लगी थी. मैं हॉल से ही उसको निहार रहा था.

अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था. मैं काफ़ी उत्तेज़ित हो रहा था. मैं उसकी मटकती कमर को देखते हुए एक हाथ से अपने लिंग को सहलाने लगा. उसकी गोरी कमर देख कर मन पागल हो गया था. ऐसा लग रहा था कि बस पकड़ कर कचोट दूँ.

मैं धीरे से उठ कर उसके पास गया और एकदम उसके पीछे सट कर खड़ा हो गया. उसे मेरे आने का अहसास था. मैं उससे लगभग चिपक कर बातें करने लगा. मैडम ने भी कोई आपत्ति नहीं जताई. मेरा लंड तन के खड़ा था और उसके उभरे हुए चूतड़ों से रगड़ रहा था. उसको भी शायद लंड की सख्ती का मज़ा आने लगा था. वो भी अनजान बनने का नाटक कर रही थी.

मैंने बातों में पूछ लिया- मैडम आज मौसम काफ़ी सुहाना है … बारिश हो ही रही है … हल्की ठंड भी है. ऐसे में बस आप हो … मैं हूँ … दोनों एक ही कमरे में हैं … कैसा लग रहा है?
देवी ने अपनी गांड मेरे लंड से सटा दी और बोली- हां बड़ा मस्त लग रहा है.
यह सुनते ही मैं धीरे से उसकी कमर में हाथ फेरने लगा. मैडम भी हल्के हल्के उत्तेज़ित होने लगी.

फिर अचानक वो मेरी तरफ घूम गयी और उसने कहा- अब तक मेरे हज़्बेंड के सिवाए कोई और पराया मर्द, मेरे इतने करीब नहीं आया है … पता नहीं क्यों पर मुझे आपका स्पर्श अच्छा लगता है. मैंने कई बार बाइक पर आपका लंड भी छुआ है.
उसके मुँह से लंड शब्द सुनते ही मैंने तुरंत अपना लंड मैडम के हाथ में पकड़ा दिया और उसको अपनी बांहों में भर लिया.
उसने गैस बंद कर दी.

मैंने कहा- क्या आप आज मेरी बीवी बनोगी … मैं आपको जी भरके प्यार करना चाहता हूँ.
उसने भी सर हिलाकर हां कर दी.

मैंने उसको गोद में उठाया और अपने बेडरूम में ले गया. मैंने देवी को बेड पे लिटा दिया और उससे लिपट कर उसके रसीले होंठों का रसपान करने लगा. मेरा एक हाथ उसकी चूचियों को मसल रहा था. वो गर्म सांसें ले रही थी. आह उसके वो नर्म नर्म होंठ मुझे मखमली अहसास दे रहे थे.

देवी मैडम भी मादक सिसकारियां लेते हुए पूरे जोश में मेरा साथ दे रही थी. उसका जोश इतना अधिक था, मानो न जाने कितने दिनों से वो लंड की भूखी हो. मैं भी साड़ी के ऊपर ही उसके पूरे बदन को मसल रहा था. उसकी नाभि में उंगली फेर रहा था.

फिर मैंने उसके ब्लाउज का हुक खोला और दोनों चूचियों को दबा दबा कर चूसने लगा. उसके निप्पल पूरे सख्त हो गए थे. मैंने भी कई बार हल्के से दांत से दबा उसकी चूची काटी, तो वो कामुक सिसकारियां लेते हुए ‘आह्ह …’ कर देती.
देवी अब पूरी उत्तेजना में आ गई थी. वो पूरी गर्म कामुक हो गई थी, बार बार लुंगी के ऊपर ही मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर रगड़ रही थी. अंततः देविका कहने लगी- सर अब और बर्दाश्त नहीं होता है … जल्दी से घुसाईए ना!

देविका चुदाई के लिए तड़पने लगी. पर मैं इस मौके पर इतनी आसानी से निपटने वाला नहीं था. मैं भी पिछले 6 महीनों से मुठ मार कर अपनी ठरक शान्त कर रहा था. पर आज चुदाई का मौका मिला था, वो भी किसी पराये की बीवी के साथ. ऊपर से देविका नाम की ये औरत तो कयामत थी.

फिर मैंने एक एक करके उसके सारे कपड़े उतार दिए. वाह का मस्त बदन था एकदम रस मलाई की तरह.
मैंने भी अपने पूरे कपड़े उतार दिये और उसे बांहों में भर कर चूमने लगा. एक हाथ से उसकी फ़ूली फ़ूली चूत पे उंगली करने लगा. देविका की चूत एकदम टाइट चूत थी. सच में कई दिनों से शायद वो अपनी उंगली से भी नहीं चुदी थी.

मैं देविका की चूत में हल्के हल्के से उंगली अन्दर बाहर करने लगा. साथ ही मैं उसे एक हाथ से जकड़े हुए था. वो जल्दी ही कामुकतावश छटपटाने लगी. उसने अपनी टांगें पूरी तरह से खोल दी थीं और गांड उठाने लगी थी. मैं उसकी चुदास देख कर उसकी चूत में तेजी से उंगली करने लगा.

कुछ ही पलों बाद उसने अपने शरीर को अकड़ा कर पानी छोड़ दिया. वो झड़ चुकी थी और निढाल हो गई थी.
इस बीच मैंने थोड़ी बेशर्मी से उससे पूछा- मैडम, लगता है आपके पतिदेव आपकी ठीक से सेवा नहीं करते हैं, लगता है काफी समय से आपकी ठुकाई नहीं हुई है.
उसने थोड़ी मायूसी से जवाब दिया- क्या करूँ सर … वो फौज में है, साल में कुछ दिन या एकाध महीने के लिए ही आते हैं. उसमें भी वो घर के कामों, बच्चों की जरूरतें पूरा करने में रोज पूरा दिन पर कर देते हैं. बस रात को थक कर सो जाते हैं. कभी कभार ही वो मेरी चुदाई कर पाते हैं. सामाजिक औरत होने के कारण मैंने कभी अपना मुँह इधर उधर नहीं मारा. आज मैं 43 वर्ष की हो गई हूँ, पर मुझमें अब भी कामवासना भरी हुई है.

मैंने देविका मैडम को चूमते हुए कहा- अच्छा मेरी जानू … आज मैं तेरी इच्छा जबरदस्त पूरी करूँगा … मुझे भी कई दिनों से चूत की भूख थी.
यह कहकर मैंने उसे मेरा लंड चूसने को कहा, पहले वो थोड़ा झिझक रही थी, पर मेरे जोर देने पर उसने मेरा लंड मुँह में ले लिया और लंड चूसने लगी.

कुछ देर चूसने के बाद उसे मजा आने लगा. अब तो मानो देविका मेरे लंड की दीवानी हो गयी थी. वो पूरे मस्त हो कर मेरा सुपारा चाट रही थी और गले के अंतिम छोर तक लंड चूस रही थी.
मैं भी आनन्दमय होकर उसका सर पकड़ ऊपर नीचे कर रहा था. मेरा लंड और भी मोटा और कड़क हो गया था.

मैडम ने लंड चूस कर बाहर निकालते हुए कहा- आपका लंड तो बहुत बड़ा और मोटा है … मेरे पति से दोगुना है … आप थोड़ा आराम से अन्दर कीजिएगा … मुझे आपके लंड से थोड़ा डर लग रहा है.
मैंने लंड हिलाते हुए कहा- अरे मेरी जान, डरती क्यों हो … जरा अपनी टांगें फैलाओ … मैं तेरी चूत को चिकन बना दूंगा.

उसने अपनी टांगें फैला दीं. मैंने उसकी चूत पर जीभ फेरी और चूत की फांक को नीचे से ऊपर तक चाटने लगा. मैं अपनी जीभ उसकी चूत के अन्दर बाहर करने लगा. चूत चटवाने में उसे भी बहुत मजा आ रहा था.
मैंने चूत पूरी गीली कर दी. फिर अपने लंड के सुपारे से उसकी चूत पर मालिश करने लगा. लंड को चूत के इर्द गिर्द रगड़ने लगा.

वो जल्दी से अपनी चूत में लंड गप्प कर लेना चाहती थी. वो बार बार अपनी कमर उठा कर लंड अन्दर खाना चाह रही थी.
मुझे उसकी चूत की तड़प देख कर मजा आ रहा था. फिर मैंने हल्का सा थूक उसके चूत पे गिराया, अपना सुपारा चूत पर टिका कर जोर का एक धक्का दे मारा. एक घपाक की आवाज से मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ सीधा अन्दर घुस गया. इसी के साथ मैं उसके ऊपर गिर कर उससे लिपट गया. वो भी दर्द से चीख उठी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… मार दिया!

वो मेरा लंड लील गई और मुझसे लिपट गई. उसकी दर्द भरी आवाज सुनकर मुझे मेरे लंड पे बहुत गौरव हुआ, सच में बड़ा मर्दाना एहसास हुआ था.
हम दोनों यूं ही कुछ पल तक शांत लिपटे रहे. उसने मुझे इतने जोर से पकड़ा था कि उसके नाख़ून मेरे पीठ में चुभ गए थे. सच में क्या मुलायम कोमल और टाइट चूत थी … जिंदगी का मजा आ गया. मेरा लंड उसकी चूत में ऐसा महसूस कर रहा था, जैसे अन्दर किसी ने लंड की गर्दन दबोच ली हो और वो छूटने के लिए छटपटा रहा हो.

फिर कुछ पल इसका आनन्द को उठाने के बाद मैंने अपने लंड को उसकी चूत से थोड़ा बाहर निकाला और चुदाई शुरू कर दी. वो भी गांड उठा कर मेरे लंड को निचोड़ रही थी. कुछ देर की चुदाई के बाद मैंने लंड को लगभग सुपारे तक बाहर निकाल कर अपना थूक मैंने उसकी चूत में गिरा दिया ताकि थोड़ी चिकनाई मिल जाए.

अब मैंने फिर से अपना लंड चूत पे रगड़ा और फच से चूत में घुसा दिया. इसी के साथ मैंने देविका को दोनों हाथों से बांहों में भर लिया. उसकी चुचियां दबा दबा कर दूध पीने लगा और चुदाई चालू कर दी.

पट पट की आवाज से बेडरूम गूंज रहा था. मैडम भी मीठे दर्द से भरी सिसकारियां ले रही थी ‘आह्ह अहह आह्ह्ह …’
उसकी वासना से लिपटी हुई सिसकारियां मुझे और उत्तेजित कर रही थीं. मैंने और तेजी से चुदाई चालू कर दी. कुछ 15 मिनट तक मैंने उसे यूँ ही चोदा.

मैं- मैडम, मज़ा आ रहा है ना, आप तो इतने में ही रोने लगी हैं, मानो पहली बार किसी मेहमान ने आपकी चूत का दरवाजा खटखटाया हो.
देविका- सर आपका लंड कुछ ज्यादा ही मोटा और लम्बा है … ऊपर से आप भारी भी बहुत हो … सच में ऐसा लगा जैसे कोई गरम सरिया घुसेड़ दिया हो … बापरे आज तो आपने मुझे फाड़ ही डाला … थोड़ा आहिस्ते करिये ना … काश मेरे पति मुझे रोज इस तरह चोदते … ह्म्म्म आह्ह आह्ह!
मैं- अरे मेरी जान, आप चिंता ना करो बस यूं ही हम एक दूसरे का साथ देंगे, तो दोनों की कमी पूरी हो सकेगी. तुम्हारा जब मन करे, मेरे रूम में आ जाना. हम दोनों मज़े करेंगे.

अब मैंने उसे उठा कर अपनी गोद में ले लिया था और फिर लंड चूत में डाले हुए ही मैं नीचे लेट गया. अब वो मेरे ऊपर सवार हो गई थी. इस पोजीशन में मेरा लंड और भी अच्छे तरह से उसकी चूत में पूरा घुस रहा था.

अब उसकी चूत ने मेरे लंड को अपने अन्दर फिट कर लिया था. उसका दर्द भी मजे में बदल गया और वो भी मेरे लंड पर कूद कूद कर चुदवा रही थी.
फिर मैंने थोड़ी तेजी से धक्के लगाना शुरू किए. पच … पच … का मधुर सम्भोग संगीत गूंजने लगा.

थोड़ी देर बाद मैडम झड़ने लगी, वो मेरे लंड के ऊपर ही झड़ गयी और मेरी छाती के ऊपर लेट गयी. मैं और भी गर्म हो गया. कुछ पल रुकने के बाद मैं उसे कमर से उठा कर गोद में लेकर खड़ा हो गया. मैंने खड़े हो कर उसकी टांगों को अपनी कमर से लपेटने का कह कर उसे ऊपर नीचे करने लगा. इस अवस्था में उसकी मदमस्त चुचियां मेरी छाती से टकरा रही थीं. मैं पूरे जोश और तेजी से उसकी चुदाई कर रहा था.

दस मिनट गुजर गए. हम दोनों पसीने से लथपथ दो जिस्म एक जान हो रहे थे. फिर कुछ 20-25 दमदार शॉट लगाने के बाद, वो भी फिर से चार्ज हो गई और गांड को उछाल उछाल कर मेरा साथ देने लगी. वो कहने लगी- आह … बहुत मज़ा आ रहा है सर … आप तो कमाल के हो … 56 साल की उम्र में भी इतना जोश है … आपकी बीवी तो लकी है … काश मैं आपकी बीवी होती.
वो मुझे चूमने लगी.

मैं- कोई बात नहीं मेरी जान … मैं आज से हमेशा तुम्हारा ख्याल अपनी बीवी जैसे रखूँगा.

मैं उसे जोर जोर से चोदने लगा. फिर कुछ देर बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए. बेड पर एक दूसरे में लिपट कर शांत हो गए. थोड़ी देर देर बाद हम दोनों फिर चार्ज हो गए और मैंने फिर से चुदाई शुरू कर दी.

उस रात हमने रात भर चुदाई का खेल खेला. कभी बेड पर तो कभी बाथरूम में चुदाई का मजा मिलता रहा.

वो मेरी जिंदगी का बहुत हसीन लम्हा था. किसी पराये मर्द की बीवी को चोदना … उसकी शारीरक बनावट से तृप्त होना. उसको भी मेरे लंड का साइज़ और चोदने का तरीका पसंद आना.

ये सब देविका मैडम के जीवन का भी पहला अनुभव था जब उसने किसी गैर मर्द को अपना आशिक बना लिया था. मुझे भी पहली बार किस दूसरी औरत को चोदने का सुख मिला था. ये हम दोनों के लिए काफी सुखद अहसास था. अब हम दोनों पति पत्नी जैसा जीवन बिता रहे थे. स्कूल से घर साथ घूमना फिरना, एक साथ खाना, एक साथ नहाना … रोज रात को चुदाई के मज़े लेना.

अब हम दोनों की जिन्दगी अच्छी तरह से कट रही थी. मैं आशा करता हूँ आप लोगों को मेरी जिंदगी के बारे में जान कर मज़ा आया होगा. ये सब सच है. मुझे आपके विचार जानने का इन्तजार रहेगा.
धन्यवाद.
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