कोई देख लेगा सर-2

(Koi Dekh Lega Sir- Part 2)

पूनम बंसल 2009-10-06 Comments

This story is part of a series:

पहले भाग से आगे :

तो सर मुझे चूम कर बोले- जान, टेंशन मत लो, मैंने नसबंदी करा रखी है।

फिर मैं कपड़े ठीक करके क्लास में आ गई। अगली क्लास सर की ही थी, मैं उनसे नज़र नहीं मिला पा रही थी, उनको देखते ही चूत में अजीब सा सनसनाहट होने लगी।

बाद में सर ने कहा- कल दस बजे दिन में मेरे घर आ जाना।

कालेज कैम्पस में ही उनका घर था।

दोस्तो, मैं अपने सर का नाम बताना भूल गई थी, उनका नाम जे के सिंघल है, कालेज कैम्पस में ही उनका घर था, मैं सुबह ही स्कर्ट टॉप पहन कर पहुँच गई।

उन्होंने मुझे कोल्ड ड्रिंक पिलाई और बोले- इस साल तुमको टॉप करना है ! बस मेरी सेवा करती रहो !

मैं भी ख़ुशी ख़ुशी मान गई।

उन्होंने मेरी पैंटी उतार दी और मुझे गोद में बिठा कर सहलाने लगे, बोले- तुम जैसी माडर्न और सुंदर लड़की की चूत पर इतनी लम्बी लम्बी झांटे क्यों हैं?

तो मैंने कहा- आज तक झांटों को साफ किया ही नहीं है !

तो मेरी लम्बी लम्बी झांटों को खींचते हुए बोले- आज मैं करूँगा इनका मुण्डन !

मैंने कहा- सर, अंसारी सर से भी मेरी सिफारिश करो, तभी टॉप कर पाऊँगी क्योंकि उनके पास ही प्रेक्टिकल के सारे नंबर हैं।

तो बोले- अभी लो !

और अंसारी सर को भी फ़ोन करके बुला लिया।

जब अंसारी सर की बाइक सर के घर के बाहर रुकी तो मैंने उनकी गोद से उतरना चाहा लेकिन सर ने मुझे नहीं उतरने दिया, बस मेरी स्कर्ट से हाथ निकाल लिया।

अंसारी भी मेरे पास बैठ गए, अंसारी सर स्मार्ट थे, कसरती बदन करीब 6 फुट लम्बे, 35 साल के आकर्षक व्यक्तित्व के आदमी थे।

सर बोले- अंसारी, यह मेरी बहुत अच्छी दोस्त बन गई है, इसको टॉप करना है इस साल !

तो अंसारी मुस्कराते हुए बोले- करा देंगे लेकिन बहुत मेहनत करनी पड़ेगी ! कर लोगी तुम?

मैंने हाँ में सिर हिला दिया।

तो अंसारी ने इशारे से अपनी गोद में बैठने को कहा, मैंने सर की तरफ देखा तो उन्होंने इशारे से हाँ कहा।

मैं उठ कर अंसारी सर की गोद में बैठ गई। अंसारी मेरे होंठ चूसने लगे और चूचियों को पकड़ कर दबाने लगे।

मैं भी उनका साथ देने लगी।

अंसारी सर ने मुझे कहा- दोनों टांगे मेरी टांगों के बाहर फैला कर गोद में बैठ !

मैं वैसे ही बैठ गई, मेरी स्कर्ट उठ गई और मेरी नंगी चूत और गाण्ड दोनों ने देखी और मेरी गाण्ड पर अंसारी हाथ फेरने लगे, चूतड़ों के गोलों को दबाने लगे।

मैंने भी उनको बाहों में क़स लिया और चूमने लगी।

जब अंसारी का हाथ चूत पर आया तो घनी झांटों में उलझ गया तो बोले- वाह, इस घने जंगल को तो मेरा शेर रौंदेगा, फिर जंगल की सफाई होगी।

और उसी स्टाइल में मेरी गाण्ड में ऊँगली डालने लगे।

मैंने चूतड़ फैला दिए ताकि वो गाण्ड में ऊँगली डाल सकें, चूत के पानी से ऊँगली गीली करके मेरी गाण्ड में डाल दी, मैं आई उए आह करती रही लेकिन वो कहाँ रुकने वाले थे, मेरी गाण्ड उनकी पूरी उंगली निगल गई।

करीब 10 मिनट तक वो मेरी गाण्ड को उंगली से ही चोदते रहे फिर मुझे बांहों में उठा कर बिस्तर पर ले गए और लिटा दिया।

पहले मुझे पूरी नंगी किया फिर मेरी गोरी गोरी चूचियों को चूसने-काटने लगे। मैं उनकी पीठ सहलाने लगी।

वे चूचियों को मसलते हुए अपना मुँह मेरी जांघों के बीच में ले आये एक हाथ से झांटों को फैला कर मेरी चूत चूसने लगे।

कई दिनों बाद कोई चूत चाट रहा था इसलिए मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगी, मेरी गाण्ड ऊपर उठने लगी। मेरा हाथ उनके सिर को सहलाने लगा, मेरी आँखें बंद हो चुकी थी।

तभी मेरे गालों और होंठों पर दूसरे लण्ड का अहसास हुआ तो मैं उसे चाटने लगी।

अब अंसारी सर अपने शेर को मेरी मुनिया से मिला रहे थे, उसकी कठोरता और मोटाई मेरी मुनिया को डरा रही थी लेकिन मेरे ऊपर नशा सा चढ़ा हुआ था, अंसारी सर ने जोर लगाया तो उनका शेर मेरी मुनिया को फाड़ता हुआ अन्दर घुसा तो मैं छटपटाने लगी लेकिन उनको शायद पता था इसलिए मुझे क़स के जकड़ लिया था, मैं उनका लण्ड निकालने का प्रयास करने लगी लेकिन सब बेकार हुआ उनका शेर घुसता ही गया।उसकी मोटाई के कारण मेरी चूत फट रही थी, लग रहा था कि चूत में किसी ने मोटा डंडा पेल दिया हो। मैं पूरी ताकत लगा कर लण्ड को संभाल रही थी लेकिन उनका लण्ड था कि घुसा ही जा रहा था, मेरे मुँह से आह.. आह.. ओह.. फट गई ! सर प्लीज छोड़ दो ! मत करो.. मर जाऊँगी !

लेकिन वे कहाँ छोड़ने वाले थे धीरे धीरे पूरा लण्ड चूत में घुसा दिया, लण्ड पर मेरी चूत कसी हुई थी चूत का निचला हिस्सा गाण्ड तक फ़ैल गया था, मेरी चूत का दर्द अब कम हो चुका था। अंसारी सर चूत को पूरा लण्ड खिलाने के बाद मेरी झांटों को सहला रहे थे।

इसी बीच सिंघल सर लगातार मेरी चूचियों को चूस रहे थे।

अब मेरी चूत सामान्य हो चुकी थी और अंसारी सर चुदाई करने लगे। उनका लण्ड शायद बहुत मोटा और लम्बा था क्योंकि चूत बहुत कसी कसी लग रही थी। अब अंसारी सर चुदाई कर रहे थे तो सिंघल सर मेरी चूचियों को चूस रहे थे।

पूरी ताकत लगा कर मैं उनका बड़ा लम्बा मोटा और कठोर लण्ड ले रही थी, अब तक लण्ड मेरी चूत में अपनी जगह बना चुका था। थोड़ी देर की चुदाई के बाद लण्ड आसानी से आने जाने लगा। मैंने उनकी कमर पकड़ ली और अपनी चूत को लण्ड के साथ आगे पीछे करने लगी। चूत में लण्ड कसा कसा जा रहा था, चूत की कसावट को सर का लण्ड संभाल नहीं पाया और अपना पूरा जोश वीर्य के रूप में मेरी चूत में भरने लगा।

उनके जोश को मेरी चूत भी नहीं संभाल सकी और मैं भी झड़ने लगी, लण्ड चूत दोनों ने अपना पानी एक दूसरे को पिला दिया। अंसारी सर मेरे ऊपर से हट गए, लण्ड निकलते ही चूत से उनका माल बाहर बहने लगा।

पता नहीं मुझे क्या सूझा कि उनके लण्ड को पकड़ कर चाटने लगी, उनके लण्ड से लगा सारा वीर्य और रज चूस कर पी गई।

मेरी चूत को तौलिए से साफ करने के बाद सिंघल सर ने शेविंग क्रीम मेरी झांटों में लगाई और रेजर से झांट साफ करने लगे।

मुझे बहुत गुदगुदी हो रही थी।

लम्बी झांटों के कारण बार बार रेजर साफ करना पड़ रहा था।

करीब 5 मिनट बाद मेरी सारी झांटें साफ हो गई और सर ने आईने से मेरी चूत मुझे दिखाई।

वाह ! मेरी चूत कितनी सुंदर और प्यारी लग रही थी ! क्या कहूँ, अब मेरी चूत गाण्ड सब गुलाबी गुलाबी दिख रहा था।

फिर सिंघल सर मेरी गाण्ड को सहलाने लगे तो मैंने भी चूतड़ उनकी तरफ उभार दिए। मेरी गाण्ड सहलाते सहलाते वे मेरे चूचे भी चूसने लगे।

मैं फिर गर्म होने लगी और उनका लण्ड पकड़ कर हिलाने लगी। लण्ड खड़ा हो चुका था।

दूसरी तरफ अंसारी सर 69 की अवस्था में करवट से लेट गए अब मेरी चूत उनके मुँह के पास थी तो उनका लण्ड मेरे मुँह के पास।

सिंघल सर के कब्ज़े में मेरे चूतड़ और गाण्ड थे।

अंसारी मेरी चूत चाट रहे थे, सिंघल मेरी गाण्ड की दरार में लण्ड फ़ंसाये थे और चूचियाँ मसल रहे थे।

पहली बार मैंने अंसारी सर का लौड़ा ध्यान से देखा, मुस्लिम होने के कारण उनके लण्ड पर आगे की चमड़ी नहीं थी, लण्ड का सुपारा बड़ा ही खतरनाक लग रहा था। मैं सुपारे पर जीभ फेरने लगी, धीरे धीरे फिर उनका लण्ड खड़ा होने लगा। मैं उसे मुँह में लेकर चूसने लगी, जब पूरा खड़ा हो गया तो मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि इतना मोटा और लम्बा लण्ड मेरी चूत ने कैसे ले लिया !

मैं हाथ से लण्ड सहलाती रही और उसका सुपारा चाटती रही।

इसने में सिंघल सर ने पीछे से मेरी चूत में लण्ड डाल दिया, चूत ने गपाक से लण्ड निगल लिया फिर चूत की चुदाई करने लगे !

मुझे स्वर्ग का आनन्द आने लगा, मैंने अपनी गाण्ड उनकी तरफ निकाल कर रखी ताकि लण्ड जड़ तक जाये।

अंसारी सर लगातार चूत चूस रहे थे और मैं उनका लण्ड !

थोड़ी देर बाद सिंघल सर ने मेरी गाण्ड पर ढेर सारी क्रीम लगा दी, मैं समझ गई कि अब मेरी गाण्ड की खैर नहीं !

और गाण्ड के छेद पर लण्ड लगा कर जोर लगा, तो गप से उनका सुपारा गाण्ड में घुस गया। हल्का सा दर्द हुआ लेकिन मैं पूरी एक्टिंग करने लगी जैसे बहुत दर्द हो रहा है।

लेकिन ये दोनों पक्के शिकारी थे, अंसारी सर चूत चूसते हुए मेरी गाण्ड भी सहलाने लगे और सिंघल सर ने धीरे धीरे पूरा लण्ड गाण्ड में डाल दिया। मैं आह उह करती रही। जब पूरा लण्ड घुस गया तो रुके रहे 3-4 मिनट तक फिर पूछा- जान, अब कैसा लग रहा है?

मैंने कहा- अच्छा !

तो गाण्ड मारने लगे। मैं भी थोड़ा आह उह करने के बाद खुल कर मराने लगी।

थोड़ी देर बाद अंसारी सर भी सीधे हो गए और मैं दोनों के बीच में हो गई, मैंने अपनी जांघ अंसारी की जांघ पर रख दी। अब आगे से चूत में अंसारी लण्ड डालने लगे लेकिन जा नहीं पा रहा था क्योंकि गाण्ड में पहले ही एक लण्ड था।

फिर थोड़ी कोशिश के बाद अंसारी सर का सुपारा भी घुस गया, मैं चीख पड़ी, लगा कि गाण्ड चूत अलग हो जाएगी। मैंने बहुत कोशिश की उनके बीच से निकलने की लेकिन नाकामयाब रही।

धीरे धीरे दर्द कम हो गया और धीरे धीरे अंसारी सर का लण्ड भी चूत में घुस गया। अब मैं दोनों छेदों में चुद रही थी गाण्ड और चूत में !

लग रहा था कि मर जाऊँगी लेकिन दर्द में भी स्वाद आ रहा था। फिर दोनों ने अपना अपना लण्ड निकाल लिया और घोड़ी बना कर सिंघल सर गाण्ड मारने लगे।

अब सर का लण्ड गाण्ड में आराम से जा रहा था, सच कहूँ तो मज़ा भी आ रहा था गाण्ड मरवाने मे।ब !

मैं गाण्ड को फैला कर गपागप लण्ड ले रही थी और अंसारी सर का लण्ड चाट रही थी।

फिर अंसारी सर लेट गए उनका लण्ड छत की तरफ देख रहा था, अंसारी ने मुझे अपने लण्ड पर आने को कहा। मैं आगे होकर सर के लण्ड की तरफ बढ़ी तो सिंघल सर का लण्ड गाण्ड से निकल गया।

मैं अंसारी सर के ऊपर आ गई और लण्ड को चूत पर लगा कर रगड़ने लगी, अंसारी सर का लण्ड मेरे चूत के गीलेपन को पीकर और मस्त हो गया था। अभी लण्ड चूत के होंठों का मज़ा ले ही रहा था कि अंसारी ने मेरी कमर पकड़ कर नीचे खींच लिया मुझे, बस पूरा लण्ड गप से चूत को फैलाता हुआ घुस गया। मेरी चूत में दर्द हुआ तो मैं आह आह करने लगी, साथ ही गाण्ड से पुर्र पुर्र करके पाद निकल गई।

2-3 मिनट वैसे ही पड़ी रही, जब चूत सामान्य हो गई तब मैं आगे पीछे करके अंसारी को चोदने लगी। लण्ड बहुत कसा कसा जा रहा था।

अंसारी सर ने मेरी लटकती चूचियों को पकड़ कर अपने मुँह के पास किया और एक निप्पल चूसने लगे और दूसरे को ऐसे मसलने लगे जैसे आज ही 32 से 34 कर देंगे !

मैं अंसारी से चिपकी हुई थी इसलिए मेरी गाण्ड ऊपर को उठ कर फैली हुई थी सिंघल सर ने मेरे पीछे आकर मेरे चूतड़ों को फैला दिया, गाण्ड के छेद पर और क्रीम लगा कर उंगली डाल कर चोदने लगे। फिर दो उंगलियाँ डाल कर पूरी गाण्ड चोदी। थोड़ी देर चोद कर जब गाण्ड फैल गई तब दोनों चूतड़ों को फैला कर गाण्ड पर लण्ड लगाया और झटका मारा तो गप से आधा लण्ड घुस गया।

मैं कराहती रही लेकिन वो पूरा लण्ड डाल कर चोदने लगे। मुझे थोड़ा दर्द हो रहा था लेकिन मज़ा ज्यादा आ रहा था, गाण्ड-चूत में एक साथ लण्ड घुसे हुए थे, सिंघल सर मेरी कमर पकड़ कर गपागप गाण्ड चोद रहे थे और अंसारी सर चूचियाँ चूसते मसलते हुए चूत चोद रहे थे।

दर्द अब तक आनन्द और सीत्कार में तबदील हो चुका था, चुदते चुदते मैं सिर घुमा कर सिंघल सर को चूम लेती तो कभी अंसारी सर को !

चूत, गाण्ड दोनों का बजा बज रहा था।

अंसारी सर बोले- जान, इसको कहते हैं सैंडविच चुदाई ! यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं।

मैं मुस्करा दी। करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद सिंघल सर आह जान ! आह जान ! मैं गया.. कहते हुए मेरी पीठ पर दाँत गड़ाते हुए आउट होने लगे। मेरी पीठ से क़स कर चिपक गए, चूचियों को क़स कर पकड़ कर अपनी ओर खींचते हुए गर्म-गर्म फुहार मेरी गाण्ड के अंदर छोड़ने लगे।

पहली बार गाण्ड मरवाने में मज़ा आया था मुझे, मेरी पूरी गाण्ड उनके माल से भर गई !

धीरे धीरे उनकी पकड़ और लण्ड दोनों ढीले पड़ने लगे और वो हट गए !

अब हमारी चूत और अंसारी सर का लण्ड भिड़ गए। दो योद्धाओं की तरह कभी चूत हावी होती तो कभी लण्ड ! मैं सर की छोटी छोटी निप्पलस चूस लेती तो लण्ड चूत में अंगड़ाई लेने लगता तो लगता चूत फट गई !

चोदते चोदते अंसारी सर मुझे पटक कर मेरे ऊपर आ गए फिर मेरी चुदाई एक जंगली की तरह करने लगे। जब जोरदार हमला करते तो मेरी गाण्ड से पाद निकल जाती और पूरी ताकत लगा कर संभालती, पूरा लण्ड जब अंदर जाता तो मैं आह्ह आह्ह ऊह्ह उह्ह कर देती !

कई बार पूरा लण्ड सुपारे तक बाहर खींच कर झटके से पूरा लण्ड पेल देते तो मैं कराह देती। अब मैं झड़ने के करीब पहुँच चुकी थी और अपनी टांगें उनकी कमर पर लपेट ली और झड़ने लगी, उनके होंठों को क़स के चूसते हुए झड़ने लगी, जोश में होंठ को काट भी लिया। साथ ही सर का लण्ड भी अपना माल चूत में उड़ेलने लगा, झटके मार मार कर सर मेरी चूत भर रहे थे, उनके माल से भर के चूत ओवर फ्लो होने लगी।

कुछ देर हम इसी तरह पड़े रहे, अब मुझे सर का बदन अपने ऊपर बोझ सा लग रहा था, मैंने अपनी कमर हिलाई तो सर मेरे ऊपर से हट गए, वहीं पड़े तौलिए से मैंने अपनी चूत साफ की। फिर बाथरूम में जाकर चूत गाण्ड दोनों को अच्छी तरह धोया और कपड़े पहन कर तैयार हो गई तो दोनों सर ने फिर एक एक बार चूमा, बोले- आज के टेस्ट में तुम पास हो जान !

और मैं कॉलेज में आ गई। मेरी चल बिगड़ी हुई थी, बड़ी मुश्किल से सीधी चल पा रही थी।

अंसारी सर ने फिर मेरी गाण्ड कैसे ली और मैंने कैसे टॉप किया, यह अगली कहानी में बताऊँगी !

तब तक के किये आप सबके मोटे लण्डों को मेरी चूत की चुम्मी ! मुआःह्ह

आप सबकी पूनम

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