कॉलेज टीचर को दिखाया जवानी का जलवा

(College Teacher Ko Dikhaya Jwani Ka Jalwa)

हैलो फ्रेंड्स, मैं जैस्मिन आज मैं आप सभी के साथ अपनी प्यासी जवानी की सच्ची कहानी साझा करने जा रही हूँ. मैं रायपुर की रहने वाली हूँ. मेरी उम्र 22 साल है, मेरा रंग इतना अधिक गोरा है मानो दूध में एक चुटकी सिंदूर मिला दिया गया हो. मेरे इस रंग रूप को कोई भी मुझे पहली नजर में देखकर चोदने के लिए बेचैन हो उठे. मेरी फिगर साइज 32-30-32 की है. मेरे बूब्स उभरे हुए और काफी सुडौल हैं.

दोस्तो, आज मैं आप सबके साथ अपनी कॉलेज की उस वक्त की कहानी साझा कर रही हूँ, ज़ब मैं कॉलेज में अपनी ग्रेजुएशन के फर्स्ट ईयर में थी. कॉलेज लाइफ के बारे में बड़ा रोमांच था और चढ़ती जवानी मुझे कुछ बहकाने में लगी थी.

उन दिनों मुझे गणित के सर बहुत अच्छे लगते थे. यूं समझिए कि मैं उनके ऊपर पूरी फ़िदा थी. लेकिन एक टीचर और स्टूडेंट की तरह आगे बढ़ने का मैंने सोचा नहीं था.

मेरी एक सहेली रीमा भी थी, वो भी सर को लाइन मारने में कमी नहीं करती थी. सर पढ़ाने के मामले में बहुत स्ट्रिक्ट थे. मैं उनका बताया हुआ सब काम करती थी, उनकी सब बात भी मानती थी.
मुझे खुद से ऐसा लगता था कि मेरा गणित का विषय कमजोर है और मुझे इस विषय में नंबर भी कम आते हैं. इसलिए मैं पूरी शिद्दत से सर की तरफ अपना ध्यान देती थी. उनसे बार बार अपनी बात को कहना और उनसे सवाल आदि हल करने के लिए उठना. इससे मेरे दोनों काम हल हो जाते थे. एक तो सर से मुझे करीब से बात करने का मौक़ा मिल जाता था और दूसरे मेरी गणित भी ठीक होने लगी थी. मैं उन सर के आगे पीछे घूमने लगी थी.

मेरे इस रवैये से क्लास की बाकी लड़कियों को बड़ी दिक्कत थी. उनको ये बिल्कुल पसन्द नहीं था. लेकिन इससे मुझे कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ता था. मुझे तो बस कॉलेज के एग्जाम अच्छे से देना था और अच्छे नंबर लाना था.

इस वजह से मैंने सर से भी कोचिंग की भी बात की, लेकिन सर मना करने लगे.
सर बोले- मैं कोचिंग नहीं पढ़ाता हूँ.
परन्तु मेरे जिद करने पर सर ने हां बोल दी. मैं दूसरे दिन कॉलेज से शाम को कोचिंग के लिए सर के घर गयी. सर के घर से मेरा घर पास में ही था, तो मुझे कोई दिक्कत नहीं हुई.

मैं पहले दिन जैसे ही सर के घर गयी, वो अकेले रहते थे, तो मेरा ही इंतज़ार कर रहे थे. मैं जैसे ही अन्दर गयी, उस वक्त मैं हाफ जींस और टॉप पहने हुई थी.
सर मुझे इस रूप में देख कर भौंचक्के रह गए. वो मुझे घूरे जा रहे थे. सर की आंखें इस वक्त बड़ी कामुक लग रही थीं. मेरे बूब्स टॉप के ऊपर से ही झलक रहे थे.
खैर … हमने उस दिन की पढ़ाई खत्म की,

फिर दूसरे दिन कॉलेज गयी, तो सर मुझसे बोलने लगे- कल तो तुम बहुत अच्छी लग रही थी.
सर के मुँह से ये सुनकर रीमा भी मुझे देखने लगी कि सर ने आज तेरी तारीफ की.
मैंने भी ‘थैंक्यू सर..’ करके हल्की सी स्माइल कर दी.

उस दिन मैं बहुत खुश थी कि सर ने मेरी तारीफ की. उस दिन कॉलेज के बाद ज़ब मैं कोचिंग गयी, तो मैं सलवार सूट पहन कर गयी. मैं आज बिल्कुल पंजाबी कुड़ी की तरह दिख रही थी. सर मुझे देख कर स्माइल करने लगे.

उन्होंने मुझे प्यार से बैठने को कहा और मैं पढ़ाई में लग गई. थोड़ी देर पढ़ाई करने के बाद मेरा पैन टेबल से गिर गया था, तो मैं अपने पैन को उठाने के लिए नीचे झुकी.

उसी समय सर ने भी मेरा पैन उठाने की कोशिश की. हम दोनों ही नीचे झुके थे. उसी समय अचानक उनकी आंखें मेरे झुके हुए होने से बूब्स की तरफ देखने लगीं. मेरे गहरे गले वाले कुरते से मेरे बड़े बड़े चूचे देख कर कोई भी फिसल जाता था, तो ये तो सर ही थे.

मेरी चूचियों की झलक पाते ही सर की पेंट से उनके लंड में हलचल होना शुरू हो गई और सर का लंड हल्का सा खड़ा हो गया.
मैंने सर से पूछा- क्या देख रहे हो सर?
उनका बेख़ौफ़ जवाब मिला- तुम्हारे बूब्स.

मैं एकदम से उनके इस जबाव को पाकर अचकचा गई.
मैंने पूछा- क..क्या सर?
सर कुछ झेंप कर बोले- कुछ नहीं.
सर की इस झेंप पर मैंने कहा- आपने अभी बूब्स कहा था न!

वो मेरी बात को टालने लगे, लेकिन मैं कहां मानने वाली थी. मैंने भी प्यासी जवानी की सुनी और जिद करके पूछ ही लिया- मैं आपको अच्छी नहीं लगती क्या?
सर बोले- हां तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो … पर …

मैंने उनकी हिचक को दूर करते हुए हिम्मत दिखाई और तुरंत आगे बढ़ कर उनके होंठों को किस करना शुरू कर दिया.
मैं एक पल के लिए अचानक रुक गई. अब मैं सर से कहने लगी- सर आप मुझे अच्छे लगते हो … आई लव यू.
मैंने ये कह कर उनके जबाव का इन्तजार किए बिना उनको हग कर लिया.

मेरे शरीर की गर्मी से सर का उठा हुआ लंड और भी अधिक मचल गया. अब सर भी मेरा पूरा सहयोग करने लगे. सर ने भी मुझे अपनी बांहों में भर लिया. सर ने मुझे आलिंगन में भरने के बाद मुझे चूमना शुरू कर दिया. वे मेरे गाल, माथे को गले के पास खूब चूमने लगे. मैं तो जैसे सर के चुम्बनों में खो सी गयी थी. मेरे मुँह से बस ‘अहह अहह..’ निकलने लगा था. मैं इतनी बेकाबू हो गई थी कि सर भी मुझे कण्ट्रोल नहीं कर पा रहे थे.

दोस्तो, उस समय मुझे समझ नहीं आ रहा कि क्या सही है और क्या गलत … बस मुझे अच्छा लग रहा था.
सर भी मेरे इस बेकाबू अंदाज को देख मुझे खूब प्यार करने लगे थे. मुझे किस करते करते कब उनका हाथ मेरे मम्मों पर चला गया था, मुझे पता नहीं चला.

मैं इस मदहोशी के आलम में बस ‘अहह आह …’ कर रही थी. सर ने मुझे अपनी बांहों में समेटे हुए टेबल पर लेटा दिया और मेरी कुर्ती को ऊपर से निकालना शुरू कर दिया. उनका लौड़ा पैंट के ऊपर से तम्बू की तरह सलामी देने लगा था.

मेरे पूरे कपड़े उतारते ही सर मेरी चूचियों पर टूट पड़े. मैं भी पागलों की तरह ‘अहह अहह …’ करते हुए सर को अपने मम्मों का मजा देने लगी. सर ने मेरे मम्मों को चूस चूस कर पूरी तरह टाइट कर दिया. उनके तेज तेज चूसने से मुझे मेरे मम्मों में बहुत ज्यादा दर्द भी होने लगा था, लेकिन बड़ा मीठा मजा भी आ रहा था.

मेरा मन कहता था कि मैं जिसको पसंद करूंगी, उसी से चुदवाऊँगी. आज सब कुछ मेरे मन का हो रहा था. मुझे सर ही पसंद आए थे और आज सर ही मेरे शरीर का भोग लगा रहे थे.

दोस्तो, मैं आपको बता नहीं सकती, लेकिन मुझे इस वक्त जन्नत जैसा लग रहा था.

सर का लंड इतना ज्यादा खड़ा हो गया था कि उन्होंने जरा भी देर न करते हुए अपना पूरे कपड़े उतार कर फेंक दिए. उनका मूसल सा तनतनाता हुआ लौड़ा देख कर एक पल के लिए तो मैं डर ही गयी थी. क्या मोटा लम्बा लंड था. सर बिल्कुल सांड जैसे गरमा गए थे.

अपने सर से इश्क करने के पहले मुझे इस बात का अंदाजा ही नहीं था कि उनका लंड इतना लम्बा होगा.

नंगे होते ही सर ने मेरे मम्मों को अपनी मजबूत हथेलियों में दबा लिया. वे अपना फनफनाता हुआ लंड मेरे मुँह के पास लाये और मुझसे लंड चूसने का बोलने लगे.

मैंने पहले कभी लंड ही नहीं देखा था, चूसने की बात तो अलग थी. मुझे समझ ही नहीं आ रहा था कि लंड कैसे चूसूं. फिर भी मैंने कोशिश की, लेकिन जब मुझसे नहीं हुआ, तो सर मुझे समझाने लगे- पहले इसे सहलाओ.
उनसे खुद भी रहा नहीं जा रहा था, तो वे खुद ही मेरी चुत को चाटने लगे.

मैं फिर से मदहोश हो गयी थी. सर मेरी चूत चूसते हुए बोले- अब ले मेरा लौड़ा चूस ले.
मैं समझ गयी थी कि कैसे लंड चूसना है.

मैंने अपनी हल्की जीभ बाहर निकालते हुए सर के लंड की नोक पर चलाना शुरू कर दिया. सर भी मेरे पूरे बाल पकड़ कर मेरे सर को अपने लंड पर दबाने लगे. सर का लंड मेरे मुँह में घुस गया.

सर मुझे जकड़े हुए सिसियाने लगे- अहह अहह मेरी जानेमन … चूस ले लंड … आह पूरा चूस ले.

सर मुझसे लंड चुसवाने का मजा ले रहे थे. जैसे जैसे मैं सर का लंड चूस रही थी, उनका लंड मुझे और भी बड़ा दिखाई देने लगा था.

मैं अभी भी टेबल पर ही लेटी थी और सर टेबल के नीचे खड़े होकर मुझसे लंड चुसवा रहे थे.

कुछ मिनट बाद सर ने मेरे मुँह से अपना लंड निकाल लिया और फिर से मेरी चुत चाटने लगे. इसके बाद सर ने मेरी दोनों टांगों को पूरा फैला दिया और मेरी खुली हुई सीलपैक चूत की फांकों में हल्के से अपना लंड घिस दिया. लंड की गर्मी से मेरी आंखें चुदाई के नशे में डूब गईं.

तभी सर ने मेरी चुत में लंड डाल दिया. सर के मोटे लंड के घुसते ही मेरी दर्द से भरी हुई तेज आवाज पूरे रूम में गूंजने लगी. मैं रोने लगी और सर से मिन्नतें करने लगी- उई माँ मर गई … आह सर इसे बाहर निकालो … मुझे बहुत दर्द दे रहा है.

लेकिन सर कहां मानने वाले थे. वे मेरी चूत में अपना मूसल लंड घुसेड़े पड़े रहे.

सर ने थोड़ी देर तक अपना लंड अन्दर पेलने से रोके रखा … ताकि मुझे दर्द कम हो. इस बीच वे मेरे होंठों को चूमते रहे. अपने हाथों से मेरे निप्पल मींजते रहे. इस सबसे मुझे दर्द कम होने लगा.

मैं मस्त होने लगी. तभी उन्होंने अचानक फिर से अपने हब्शी लंड का एक जोरदार धक्का और दे दिया. इस धक्के से सर का मूसल लंड मेरी छोटी सी चुत को फाड़ता हुआ अन्दर चला गया. उम्म्ह… अहह… हय… याह… मैं दर्द से कांपने लगी.

सर मुझे समझाने लगे- बेबी … प्लीज़ पहली बार में थोड़ा होता है … थोड़ी देर रुको … फिर तुम्हें भी अच्छा लगेगा.

कुछ देर के दर्द के बाद चूत लंड में दोस्ती हो गई और मुझे उनकी बात मुझे सही होते दिखने लगी. थोड़ी ही देर में मुझे भी बड़ा मजा आने लगा और मैं नीचे से उछल उछल चुदवाने लगी. सर भी मुझे धकाधक चोदे जा रहे थे. देखते ही देखते उनकी रफ़्तार बढ़ती चली गयी. मेरी भी सीत्कारें ‘आह्ह अह्ह्ह..’ कर चरम सीमा तक आ पहुंची.

करीब दस मिनट की जोरदार चुदाई के बाद सर ने अपना सारा माल मेरी चुत में गिरा दिया. मेरा रस भी उनके लौड़े से सन गया.

थोड़ी देर आराम करने के बाद मैं जब बाथरूम जाने के लिए उठी, तो मैं टेबल से उठ ही नहीं पा रही थी. मेरी चुत पूरी तरह सूज गयी थी. मैंने करवट लेकर देखा, तो वहां पे पूरा खून ही खून दिखाई दिया. ये देख कर मैं डर गई.

सर मेरे माथे पे किस करके बोले- पहली बार में सबके साथ ऐसा ही होता है … तुम डरो मत.

उन्होंने मुझसे सहारा दिया. फिर मैं फ्रेश होकर थोड़ी देर सर की गोद में सर रख कर आराम करने लगी. इससे सर का लौड़ा फिर से खड़ा हो गया. सर फिर से मेरे मम्मों को मसलने लगे.
सर बोले- मुझे तुम्हारे चूचे बहुत अच्छे लगे … क्या तुम इस बार मुझे अपने मम्मों के बीच में लंड रख कर चोदने दोगी.
मैंने भी हंस कर हामी भर दी.

फिर सर मेरे ऊपर आ गए. उन्होंने पहले अपना लंड हिलाते हुए मेरे मुँह में दे दिया. मैं उनके लंड को खूब मस्ती से चूसने लगी.

फिर सर ने मेरे मम्मों को दबाते हुए अपना लंड मेरी चूचियों की घाटी में फंसा दिया. वे मेरे मम्मों को चोदने लगे. मैंने भी अपनी जीभ बाहर निकाल दी थी. क्योंकि मेरे मम्मों को चोदते चोदते उनका लंड मेरे जीभ में टच करता, तो उनकी उत्तेजना और भी बढ़ जा रही थी.

सर- अहह अहह मेरी जानेमन.

कुछ देर सर ने मेरे चूचों को चोदा, फिर उन्होंने मुझे उल्टा कर मुझे डॉगी बनने को बोला. मैं कुतिया जैसी बन गई, तो सर ने मेरे पीछे से अपना लंड मेरी चूत में पेल दिया. मुझे एक बार फिर से उनके लंड से मीठा दर्द होने लगा. सर ने अपना पूरा लवड़ा मेरी चूत में ठोक दिया और धकाधक चोदने लगे.

इस बार मुझे जल्द ही मजा आने लगा और मैं उनका पूरा साथ देकर चुदवाने लगी. मुझे बड़ा मजा आ रहा था. डॉगी स्टाइल में मुझे सर का लंड अपनी चुत में पूरा अन्दर बाहर होता हुआ महसूस हो रहा था.

मैं सर से कहे जा रही थी- आह … सर और जोर से … मजा आ रहा है … और जोर से चोदो सर …
चुदाई की मस्ती में मैं पूरी तरह से चिल्लाने लगी थी. सर पीछे से मुझे धकाधक चोदे जा रहे थे.

सर ने मुझे चोदते चोदते मेरी चुत में ही फिर से अपने लंड का रस छोड़ दिया और हम दोनों पूरी तरह से संतुष्ट हो गए थे. सर मेरी पीठ पर ही गिर कर मुझे चूमने लगे. उनकी गर्म सांसें मुझे बड़ा मजा दे रही थीं.

दोस्तों मेरी हालत उठने लायक नहीं रह गई थी, इसलिए मैं थोड़ी देर आराम करने लगी. इसके बाद मैं घर चली आई.

अब जब भी मुझे सर से पढ़ने का टाइम मिलता, मैं सर से चुदवाने के लिए रेडी रहती हूँ.

कुछ दिन बाद सर का ट्रांसफर दूसरी जगह हो गया. लेकिन मेरी लंड लेने की प्यास अभी भी जारी है.

दोस्तो, मेरी सहेली रीमा जिसके बारे में मैंने बताया था. उसकी और मेरी बहुत गहरी दोस्ती थी. एक दिन मैं उसके घर कुछ काम से गई थी.

मैं अचानक से उसके घर गई थी. मैंने पहले उसके घर की घंटी बजाने की सोची. लेकिन तभी मैंने देखा कि उसके घर का दरवाजा लॉक नहीं था. मैं अन्दर चली गई. अन्दर जाकर मैंने देखा कि उसका ब्वॉयफ्रेंड रीमा के ऊपर चढ़ा हुआ था. रीमा और उसका ब्वॉयफ्रेंड दोनों पूरी मस्ती से चुत चुदाई का खेल खेल रहे थे.

दोस्तो, आगे की कहानी में आपको ये बताऊँगी कि कैसे रीमा और उसका ब्वॉयफ्रेंड चुत चुदाई का खेल खेल रहे थे.

मेरी इस मदमस्त प्यासी जवानी की चुदाई की कहानी पर आपके मेल का मैं इन्तजार करूंगी.
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