तीन बुड्डों ने मेरी चूत की सील तोड़ी-7

Teen Buddon Ne Meri Seal Todi-7

तीन बुड्डों ने मेरी चूत की सील तोड़ी-6

मुझे जाने क्या हो चुका था.. अब कुछ भी मेरे नियंत्रण में नहीं रह गया था… मेरे मुँह से.. मेरी ज़ुबान से वो सब कुछ निकलने लगा.. जो मैं भी सोच नहीं सकती थी।
उनके सवाल के उत्तर में मेरे मुँह से निकल गया- अंकल दोनों करो…

उनके फिर से पूछने पर- ज़ोर से.. कि आराम से..

मैंने कहा- नहीं.. जो भी करना है अंकल.. ज़ोर से ही करो…

यह सुनते ही वो बोले- तू बहुत हॉट है निकी.. तू बहुत गरम लड़की है…
अब वे कस-कस कर मेरे मम्मों को मसलने और भंभोड़ने लगे…

मैं सीत्कार करने लगी- उंह.. ओह.. आऊच.. आहह.. मम्मी…’

उनका लण्ड कभी मेरे होंठों पर.. तो कभी मेरी नाक से रगड़ खा रहा था।

तभी ओह.. माय गॉड.. अब जो सबसे अधिक पागल कर देने वाली हरकत हुई वो दादा जी ने की.. जो अब तक मेरी टाँगों के बीच में मुँह लगा कर मेरी जाँघों को चाट रहे थे।

अब वो आगे बढ़े और मेरी टाँगें फैलाने के लिए उन्होंने मेरी दोनों टाँगें पकड़ी और मुझसे पूछने लगे- निकी.. तुम्हारी चूत को चुम्बन कर लूँ.. अब तो चूत चूमने की इच्छा है..?

मैंने कहा- हाँ.. दादा जी…

‘और थोड़ा सा चाट भी लूँ..?’

मैंने कहा- हाँ दादा जी…

बोले- ऐसे नहीं.. जब तुम ये खुद बोलोगी कि मेरी चूत चाटो.. तो चाटूँगा.. नहीं तो चला जाऊँगा…

मुझसे कुछ भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था।

तो मैंने कहा- हाँ दादा जी.. चाटो मेरी पुसी..

बोले- पुसी नहीं.. उसे चूत बोलो।

मेरे मुँह से अपने आप वो सब निकल रहा था.. मैंने कहा- हाँ.. चाटो मेरी चूत दादा जी…

‘पर जब चाटूँगा.. उसके बाद जाने दोगी हमें.. प्रोमिस ना…’

मैंने कहा- हाँ चले जाना…

‘तो फिर लो.. अब संभालो खुद को..’ ये कह कर दादा जी ने मेरी टाँगों को फैलाया।

जैसे ही मेरी चूत खुली.. दादा जी ने बोला- तेरी चूत में लण्ड घुस चुका है निकी.. तू झूठ बोलती है।

मैंने कहा- नहीं घुसा दादा जी.. अपनी कसम…

बोले- रुक.. अभी चैक करता हूँ।

अब उन्होंने मेरी खुली हुई चूत में अपना मुँह जैसे ही रखा.. मेरी चूत के फांकों में जैसे ही उनके होंठ छुए.. मैं एकदम से कसमसा गई और अपने आप ज़ोर से मेरी कमर उछल गई।

तभी दादा जी ने जीभ निकाली और बोले- ले साली अब बुर चटवा…

उन्होंने जैसे ही मेरी चूत में अपनी जीभ घुसेड़ी.. कि मैं एकदम से गनगना गई.. अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था.. मैं अपने आपे से बाहर होने लगी।

उधर पीछे मेरी गाण्ड में भी दूसरे अंकल की जीभ घुसने लगी.. तो मैंने कसमसा कर.. जो दोनों अंकलों के लण्ड मेरे गालों के इधर-उधर स्पर्श हो रहे थे.. उन दोनों लौड़ों को मैं अनायास ही ढूँढ़ने लगी और मेरे दोनों हाथ में एक-एक लण्ड आ गए।

दोनों बहुत बड़े लौड़े थे.. एक-एक हाथ के लम्बे हो गए थे और बिल्कुल गरम रॉड की तरह हो चले थे।

मैंने उन्हें दबा-दबा कर अपने हाथ से आगे-पीछे करने लगी।

तभी दादा जी ने मेरी टाँगें और फैला कर मेरी चूत को और अधिक खोल लिया और अपनी पूरी जीभ मरी चूत के अन्दर पेल दी।
उधर दूसरे वाले अंकल ने मेरी गाण्ड में ज़ोर से एक ऊँगली घुसेड़ दी.. मैं अब कांप गई।

‘ओह.. कम ऑन.. दादा जी.. चूसो जम के… अहह.. चाटो मेरी चूत और जम के ओाहह.. मम्मी.. मर जाऊँगी.. ज़ोर से चूसो दादा जी.. आज मेरी चूत…’

इतने में जॉन्सन अंकल मुझे बहुत गंदी गाली भी देने लगे- ओह्ह.. कुतिया साली निकी.. आज बहुत चूत और गाण्ड चटवा रही है.. अब मेरा लण्ड भी चूस ना…’

मैंने कहा- डाल दे न.. मेरे मुँह में भोसड़ी के अंकल.. घुसा दे.. पूरा लण्ड मेरे मुँह में अपना मोटा लण्ड…

अब मेरे मुँह से अपने आप इतने अश्लील शब्द निकलने लगे कि ना तो ऐसे शब्द मुझे पता थे.. ना मैंने कभी ऐसे शब्दों को अपनी जुबान से निकाले थे…

वे तीनों मेरी उम्र से 42-45 साल बड़े थे.. पर मैंने उन्हें तू तड़ाक तो छोटी सी बात थी.. गंदी से गंदी गाली तक बकने लगी…
अब मेरे दोनों हाथों में दोनों अंकल के लण्ड थे.. जिसे मैं ज़ोर-ज़ोर से रगड़ रही थी।
वो तीनों भी मुझे जमके गालियाँ और भद्दी से भद्दी गंदी बातें बोल रहे थे…

इतने में दादा जी तो अपने पूरे दाँत गड़ा कर मेरी चूत को बिल्कुल खाने जैसे लगे। मेरे मुँह से उनकी इस हरकत से गालियाँ निकलने लगीं।

‘सी.. सी.. उंह.. उंह.. ओह्ह.. साले दादा .. कम ऑन और चाटो.. खा ले मेरी चूत को.. उफ्फ.. कुत्ते.. और ज़ोर से चाट मादरचोद गांडू.. चाट मेरी चूत बेटी चोद…’

इतने मे मुझे जाने क्या हुआ मुझे पेशाब लग आई.. मैंने बोला- ओह्ह.. छोड़ो सालों मुझे पेशाब करने जाना है.. बड़े ज़ोर से आ रही है।

तो दादाजी बोले- अरे छिनाल निकी.. वही तो मुझे पीना है.. मुझे चल कर पेशाब मेरे मुँह में.. बहुत मस्त माल है रे तू.. निकी…

इतने में जॉन्सन अंकल भी बोले- इसका पेशाब तो मुझे भी पीने दो.. मुझे बहुत पसंद है.. प्लीज़…

पर दादा जी ने नहीं माना और वो बोले- निकी छोड़ ना अब अपना पूरा पेशाब…
उन्होंने अपना मुँह.. मेरी छूट पर फिट कर के.. अपनी जीभ मेरे मूत वाले छेद में लगा दी.. और अपनी जीभ की नोक से उस छेद को कुरेदने लगे।

अब मुझसे रहा नहीं गया.. पर आज वो हो रहा था.. जो मैंने कभी कल्पना में भी नहीं सोचा था.. कि मेरी पेशाब के लिए भी कोई इतना पागल होगा।
मैं कह उठी- ले साले दादा जी.. पी.. पूरा चूस कर पीजा मेरा पेशाब…
और इतने में ही मेरी चूत से पेशाब छूट गई.. वो लपलपा कर पूरा मेरा मूत पीने लगे।

‘आहह.. उंह.. क्या पीता है रे.. बुड्डे ओह्ह.. तू रोज मेरी चूत में अपना मुँह लगा कर पिया कर.. मुझे बहुत मज़ा आ रहा है.. आह.. मेरी आख़िरी बूँद भी पी जा.. साले ठरकी बुढऊ…’

उसने मेरी पूरी पेशाब को गटक लिया… फिर मेरी चूत को अपनी लपलपाती जीभ से चाटने लगे.. तो मैं अब बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी।

अब मैं चिल्लाने लगी- आह छोड़ दो कुत्तों.. मैं मर जाऊँगी.. कुछ करो अब.. ये क्या हो रहा है…
तभी मैंने महसूस किया कि मेरी गाण्ड में भी जलन सी हो रही थी।

‘अंकल कुछ करो जल्दी.. तभी मेरी चूत से कुछ गिरने सा लगा.. तो दादा जी मुँह निकाल कर बोले- देखो जॉन्सन.. अब ये बेहद चुदासी हो गई है.. देखो इसकी चूत रस निकाल रही है.. कितना मस्त सफेद-सफेद अमृत निकल रहा है.. अब ये बिना चुदवाए नहीं रह पाएगी.. इसको लण्ड ही चाहिए.. इसकी छूट में.. गाण्ड में.. मुँह में. तभी इसको सुकून मिलेगा…

तभी जॉन्सन अंकल ने दादा जी को धक्का दे दिया और बोला- माफ़ करना श्रीवास्तव.. ये निकी की चूत का रस मैं पियूंगा…

अब जॉन्सन अंकल ने मेरी चूत में अपना मुँह लगा कर उसके किनारों को चाटते हुए.. पूरे निकलते हुए सफेद रस को चाटने लगे.. और बोले- वाउ निकी.. तू तो सेक्स-बॉम्ब है, तेरी चूत का रस का क्या मस्त स्वाद है रे.. और तू तो अब गई काम से.. अब बिना लण्ड घुसवाए और बिना जमके चुदवाए.. तू रह ही नहीं पाएगी…

वे लपक-लपक कर मेरी बुर चाटने लगे।

‘ओह्ह… जॉन्सन अंकल.. मैं उंह.. आह अंकल मर गई.. ओह्ह.. उंह…’
मैं सीत्कार करती हुई पागल हुई जा रही थी.. पर वो चाटे ही जा रहे थे।

अब जाने मुझे क्या हुआ.. वो दूसरे अंकल जिनका लण्ड मेरे हाथ में था.. और वो मेरी गाण्ड को चाट कर पगला रहे थे.. मैंने मुड़ कर अपने मुँह में उनका लण्ड ज़ोर से भर लिया.. और जीभ से चाटने लगी।
मुझे उनका लौड़ा चूसने में मजा आने लगा.. मैं ज़ोर-ज़ोर लौड़े को चूसते हुए.. पूरा मुँह में गले तक पूरा घुसा लेती.. खूब बड़ा और बहुत मोटा लौड़ा था।
मेरे मुँह में पूरा लंड समा ही नहीं रहा था, पर मैंने कल्पना नहीं की थी कि मैं कभी ऐसा कभी करूँगी…
अब मैं किसी रंडी या छिनाल से भी बुरी हालत में थी…

तभी दादा जी मुझे लण्ड चाटते और इस तरह चूसते देख कर बोले- निकी तू तो गई आज.. कितनी चुदासी है रे.. बहुत हॉट.. सेक्सी माल है तू साली.. बनती कितनी शरीफ थी.. आज तू अपने असली रंग में है.. ये है तेरी सच्चाई.. तू तो निकी छिनाल से भी ज़्यादा चुदासी है.. पर प्रोमिस है.. हम तुझे चोदेंगे नहीं… हमारा काम पूरा हुआ…

दादा जी ने दूसरे अंकल और जॉन्सन अंकल को कहा- चलो.. अब छोड़ो इसे जाने दो.. चलो यहाँ से….

ऐसा सुनते ही मुझे ऐसा लगा कि जैसे मेरा सब कुछ छिनने वाला हो और मैं एकदम से ‘शॉक्ड’ हो गई.. मेरे कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था।

मेरा आपसे निवेदन है कि मेरी कहानी के विषय में जो भी आपके सुविचार हों सिर्फ उन्हीं को लिखिएगा।

मेरी सील टूटने की कहानी जारी है।

बुड्डों ने मेरी चूत की सील तोड़ी-8

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