मेरी सहेली ने मेरी चूत और गांड फ़ड़वा दी-3

( Meri Saheli Ne Meri Chut aur Gand Fadwa Di- Part 3)

This story is part of a series:

मैंने उससे उत्सुकतावश पूछा- क्या सच में आप लोगों का वो उतना बड़ा होता है जितना ब्लू फिल्मों में दिखाते हैं?
उसने मुस्कुरा के बोला- जी हाँ, अफ्रीका में ऐसा ही होता है, वैसे इंडिया में बहुत सुंदर लड़कियां होती हैं, आप बहुत खूबसूरत और बहुत प्यारी हो।
मैं हल्का सा शरमा के नीचे देखने लगी।

उसने मेरी ठुड्डी से मेरा चेहरा ऊपर उठाया और मेरे करीब अपने काले होंठ लाने लगा। फिर धीरे धीरे एक दूसरे की आँखों में देखते देखते हमारे होंठ आपस में मिल गए और मेरी आँखें बंद हो गयी और हम हल्के हल्के किस यानि चुंबन करने लगे। उसने मेरा मुंह अपने बड़े बड़े हाथों में भरा और फिर हम ज़ोर ज़ोर से किस करने लगे।

कुछ ही पलों में हमारी किस और गहरी होती चली गयी और हमारे होंठ आपस में ना सिर्फ छू छू के किस कर रहे थे बल्कि एक तरीके से चुपड़ चुपड़ के किस कर रहे थे। कमरे में पुच्छह … पुच्छह … की आवाजें आने लगी. मैंने उसका चेहरा अपने हाथों में भर लिया था। मैं उस वक़्त कुछ नहीं सोच रही थी, बस उस लम्हे को जी रही थी।

धीरे धीरे उसका हाथ मेरी छाती पे आ गया और वो मेरे बूब्स को ऊपर से हथेली से सहलाने लगा अंदर दबा दबा के।
मुझे धीरे धीरे जोश आने लगा ज़ोर ज़ोर से और वो मेरे बूब्स को मसले जा रहा था।

लगभग 2-3 मिनट बाद हम हटे तो मैंने अपने होंठों से उसका थूक पौंछा। हम दोनों मुस्कुरा रहे थे.
मैं बोली- वाह … ये तो मजेदार था।

उधर तन्वी ने भी अपना काम शुरू कर दिया होगा।
डेविड ने बोला- आप अपनी शर्ट उतारिए ना!
मैंने कहा- तुम ही उतारो.
और मैंने अपनी छाती उसकी तरफ कर दी।

उसने एक एक कर के ब्रा से नीचे के बटन खोल दिये और अंदर हाथ दे के शर्ट पीछे कर दी। मैंने हाथ पीछे को कर के शर्ट उतार दी। अब मैं सिर्फ शॉर्ट्स और ऊपर नीली ब्रा में उसके सामने बैठी थी।

मैंने कहा- पहले अपने उतारो कपड़े, इतने मैं अपनी शॉर्ट्स उतारती हूँ।
उसने बिना देरी किये अपने सारे कपड़े उतार दिये और मैंने भी अपनी शॉर्ट्स उतार के साइड में रख दी।

अब डेविड मेरी आँखों के सामने बिल्कुल नंगा खड़ा था. उसका गहरा काला चिकना बदन, चौड़ी छाती, बड़े बड़े नितम्ब यानि चूतड़ थे. और टांगों के बीच में लटक रहा था उसका काला मोटा लंड। वो तो शायद आधा ही उत्तेजित था तब ही 6 इंच का लग रहा था, पूरा उत्तेजित हो के तो पता नहीं कितना बड़ा हो जाता।

डेविड बोला- अब आप की बारी, उतारिए ना!
तो मैंने हम्म कहा और हाथ पीछे ले जा के अपनी ब्रा के हुक खोल दिये और आगे को उतार के साइड में बेड पे फेंक दी।
फिर मैं खड़ी हो गयी और अपनी नीली पैंटी भी सरका के उतार दी और बेड पे ही फेंक दी।

अब हम दोनों एक दूसरे के सामने बिल्कुल नंगे थे।

कुछ पलों तक मैं उसके काले सांड जैसे बदन को देख रही थी और वो मेरे दूधिया बिल्कुल गोरे बदन का जायजा ले रहा था। अब क्योंकि मैं थोड़ा टाँगें क्रॉस कर के खड़ी थी तो उसे मेरी चूत ठीक से दिख नहीं पा रही थी।
उसने बोला- सीधी खड़ी हो जाओ ना!
तो मैंने टाँगें खोल ली।

मेरी चिकनी गुलाबी चुत देख के उसके सब्र छूट गया और वो मेरे बदन पे टूट पड़ा। वो एकदम से मेरे करीब आके सट गया और बेड पे गिरा के अपने नीचे ले लिया। शुरू में तो वो मेरे होंठों को किसी प्यासे की तरह ज़ोर ज़ोर से चूसता रहा, फिर धीरे धीरे मेरे बूब्स को मुंह में भर भर के पीने लगा.

मैं बस आँखें बंद किए बेड पे उम्महह … उम्महह … उम्महह … कर रही थी धीरे धीरे और वो मेरे बूब्स को चूसे जा रहा था।

कुछ ही देर में वो मेरी टांगों के बीच में चला गया और एकदम से मेरी चूत की बुड़क भर ली होंठों से।
मैंने ज़ोर की आहह … की सिसकारी ली और टाँगें क्रॉस कर के उसके सिर को वहीं जकड़ लिया ज़ोर से।

वो मेरी चूत को खाये जा रहा था अपने होंठों से और जीभ से अंदर बाहर किए जा रहा था. और मैं अपना एक हाथ उसके सिर पे हाथ फिरा रही थी और बाएँ हाथ से अपने सिर को पकड़ के ज़ोर ज़ोर से ‘सीईईई … उम्महह … उम्महह …’ करते हुए ऊपर को उचक के मचल रही थी।

कुछ ही पलों में मेरी चूत गीली हो गयी और चिकनाहट से लबालब भर गयी और मैंने अपनी टाँगें खोल दी। मैं अब चुदवाने के लिए पूरी तरह तैयार थी।

डेविड उठ के खड़ा हो गया और कहा- क्या आप मेरे लंड को प्यार नहीं करोगी, प्लीज!
मैं बिना कुछ कहे घुटनों के बल उसके आगे बैठ गयी और उसका लंड हाथों में भर लिया।

हालांकि वो अभी भी ढीला सा ही था पर, फिर भी 6 इंच का था। मैंने हाथ से पकड़ के उसके लंड की खाल पीछे कर दी जिससे उसका मुंह बाहर आ गया।
फिर मैंने प्यार से उसके लंड को हल्का सा किस किया तो किसी साँप की तरह फन उठाते हुए खड़ा होना शुरू हो गया।

डेविड ने ज़ोर की आहह … भरी और मैंने बिना देरी किए बंद होंठों से उसके लंड पे आगे को दबाव डाला जिससे उसका लंड ज़बरदस्ती मेरे होंठों को खोलता हुआ अंदर जाने लगा और आधे से ज्यादा लंड मुंह में चला गया।

इधर मैंने उस लंड को उम्म … उम्म … उम्म … कर के चूसना शुरू किया और उधर वो मेरे मुंह में ही बड़ा होता चला गया। डेविड बस आँखें बंद किए ‘उम्महह … उम्महह … याह बेबी …’ करता रहा और मैं ‘म्महह … म्महह … म्महह …’ करते हुए उसका लंड चूसे जा रही थी।

3-4 मिनट लंड चूसने के बाद मैंने बाहर निकाल दिया। उसका लंड अपनी पूरी 10 इंच की लंबाई तक बड़ा हो गया था और मेरी हथेली में भी नहीं आ रहा था। मैं हैरान थी इतना बड़ा लंड असल ज़िंदगी में देखकर … और खुश भी थी, शायद उसका लंड मेरी कलाई जितना बड़ा और लंबा रहा होगा।

मैं घुटने के बल बैठी हुई उसकी आँखों में देख रही थी और सांस भर रही थी।
तभी मुझे बाहर के कमरे से तन्वी की ज़ोर की ‘आआआईईईई …’ की चीख सुनाई दी, तो हम दोनों ने दरवाजे की तरफ देखा। मैंने और डेविड ने एक दूसरे की ओर देखा और मुस्कुराने लगे।

मैंने कहा- लगता है तन्वी की चुदाई शुरू हो गयी है, हम भी शुरू करें!
डेविड ने कहा- बिल्कुल … आओ बैठो बेड पे।

मैं एक मोटा गोल तकिया लगा के बेड के किनारे के पास बैठ गयी और घुटने मोड़ के टाँगें खोल ली। डेविड मेरे सामने आया और मेरे ऊपर दोनों हाथ के टेक लगाते हुए झुक गया।
उसने मुझे कहा- तैयार हो?
तो मैंने हम्म में सिर हिलाया और दायें हाथ से उसका लंड पकड़ के अपनी चूत के दरवाजे पे सेट किया और डेविड को हाँ में सिर हिला के इशारा किया और कहा- आराम से डालना, मैंने कभी इतना बड़ा नहीं लिया है।

डेविड बोला- कोई बात नहीं आज ले लो.
और हल्के हल्के लंड का मुंह मेरी चूत के दरवाजे पे घिसने लगा और मुझे गुदगुदी सी होते हुए मजा आने लगा।

इसके बाद उसने एकदम से अपना लिंगमुंड घुसने की कोशिश की तो दर्द से मेरी जान निकलने लगी और मैं ज़ोर से ‘आउच …’ करने लगी और उसकी छाती पे हथेली रख के रोकने की कोशिश करने लगी।
उसने पूछा- क्या हुआ?
तो मैंने कहा- बहुत बड़ा है, मुझे नहीं लगता कि मैं ले पाऊँगी, प्लीज रुक जाओ ना!
उसने कहा- आज मत बोलो रुकने को! देखो तन्वी ने भी तो डलवा लिया, रुको मैं फिर से कोशिश करता हूँ।

डेविड उठ के खड़ा हो गया मेरी चूत के पास घुटनों के बल बैठ गया। उसने अपने दोनों हाथों से चुटकी भर के मेरी चूत के द्वार को हल्का सा खोला और अंदर झाँकने लगा।
फिर डेविड बोला- टाइट तो है, थोड़ा दर्द तो बर्दाश्त करना पड़ेगा.
और उसने मेरे घुटनों पे हाथ रखा और दूसरे हाथ से अपना लंड मेरी चूत पे सेट किया और कहा- तैयार हो जाओ, इस बार मत रोकना।
मैंने कहा- ठीक है.
और एक गहरी सांस ली और सोचा जो होगा देखा जाएगा।

डेविड ने अपनी पूरी ताकत लगा के एक बार में आधा लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया और मेरी ज़ोर की ‘आहह …’ करके चीख निकल गयी। मेरी चीख इतनी तेज़ थी की तन्वी तक को सुनाई दी होगी। मुझे उस वक़्त असहनीय दर्द हो रहा था और मैंने फिर तड़पते हुए कहा- आहह … नहीं … नहीं … नहीं रुको रुको मुझे बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज निकालो, प्लीज प्लीज।

डेविड भी ‘उम्महह … उम्म …’ हाँफ रहा था पर उसने कहा- आधा तो चला ही गया है, अब थोड़ा और बचा है वो भी घुसवा लो।
मैंने कहा- अभी आधा ही गया है, मैं मर जाऊँगी प्लीज निकाल लो ना।

पर डेविड ने मेरे घुटनों को अपनी बांहों में भरा और फिर एकदम से अपना बचा हुआ आधा लंड भी मेरी चूत की गहराइयों में उतार दिया और अपनी पूरी लंबाई तक अटका दिया।
मुझे ऊपर को एक और झटका लगा और मैं ज़ोर से ‘आनहह …’ करते हुए सिर पीछे लटका लिया, मेरी आँखों में हल्के हल्के आँसू तक आ गए थे।

डेविड भी पूरा लंड मेरी चूत में घुसा के ‘उन्नहह … उन्नहह …’ करते हुए हाँफ रहा था।
लगभग एक मिनट तक हम ऐसे ही पड़े रहे।

फिर जब दर्द कम सा हुआ तो मैंने कहा- हम्म … अब ठीक है, पर प्यार से चोदना।
डेविड ने मुसकुराते हुए कहा- ठीक है.
और लंड को धीरे धीरे बहार निकाला तो देखा कि उसपे मेरे खून के निशान थे, मैं समझ गयी कि मेरी चूत का अंदर से क्या हाल हुआ होगा।

उसने खून की परवाह ना करते हुए दुबारा लंड मेरी चूत में घुसा दिया।
मैंने फिर से दर्द से आहह … भरी और ज़ोर ज़ोर से ‘आन्न्हह … आहह … आहह …’ करते हुए धीरे धीरे खुद को उस विदेशी अफ्रीकी लंड से चुदवाने लगी।

डेविड को भी बड़ी मेहनत करनी पड़ी और वो भी दम भरते हुए ‘हम्म … हम्म … हम्म … हम्म …’ करते हुए मुझे चोदने लगा।

वो दबादब मुझे 5-6 मिनट तक इसी पोजीशन में चोदता रहा और मैं दर्द से करहाते हुए खुद को चुदवाती रही। फिर वो मुझ पे तरस खाते हुए लंड निकाल के हट गया और साइड में खड़ा हो गया। उसका लंड मेरी चूत के खून से सना हुआ था और ऊपर नीचे झूल रहा था।

मैंने अपनी चूत पे हाथ लगा के देखा तो वहाँ भी बहुत नमी थी और मेरे हाथ भी खून से सन गया जिसे मैंने बेड की चादर से पौंछ दिया।

मैं भी बेड से पैर लटका के बैठ गयी और हाँफते हुए सांस भरने लगी।

2-3 मिनट सुस्ताने के बाद मैंने डेविड को देखते हुए हाँ में सिर हिलाया तो डेविड ने मुझे हाथ पकड़ के खड़ा किया और कहा- इधर आओ।
उसने मुझे साइड में खिड़की के फ्रेम पे आधा बिठाया और मैंने अपनी नंगी कमर खिड़की के मजबूत ठंडे काँच से टिका ली। डेविड ने अपने बाएँ हाथ को मेरी टांग को घुटने के नीचे दे के उठा लिया और दायें हाथ की उंगली और अंगूठे से मेरी चूत का फाटक खोला और लंड का मुंह घुसा दिया और दूसरी टांग को भी ऐसे ही उठा लिया।

अब मैं अपने चूतड़ों से खिड़की के फ्रेम पे बैठी थी और टांगों से डेविड ने उठाया हुया था।
डेविड ने अब ‘हम्म …’ करते हुए अपना लंड मेरी चूत में सरकना शुरू किया और मुझे हल्के हल्के मजा आने लगा। अब मेरी चुदाई फिर से शुरू हो गयी और मैं सिर खिड़की में लगाए ज़ोर ज़ोर से ‘आनहह … आनहह … आनहह … आनहह …’ कर रही थी और डेविड मुझे पट्ट पट्ट चोदे जा रहा था।

अब मुझे बहुत मजा आ रहा था। उसका लंड मेरी चूत की पूरी गहराई तक जा रहा था और शायद आगे भी।

मेरे बूब्स सख्त थे पर फिर भी डेविड के धक्कों से ज़ोर ज़ोर से थर थर काँपते हुए हिल रहे थे।

डेविड मुझे 8-10 मिनट तक बुरी तरह लगातार चोदता रहा. मैं उसके गले में अपनी बांहें डाले अपनी जोरदार चुदाई करवाती रही। ना वो झड़ने का नाम ले रहा था ना मैं।
आखिर थक कर डेविड ने मुझे उतार दिया और मैं बेड पे बैठ गयी के सुस्ताने लगी।

तभी दरवाजा खुला तो उसका दोस्त एंडर्सन अपना लंड सहलाते हुए अंदर आ गया।

मैंने और डेविड ने देखा तो एंडर्सन ने पूछा- क्या मैं भी आपको चोद सकता हूँ।
डेविड ने मेरी और देखा और आँखों ही आँखों में पूछने लगा।

अब तक तो मैं अपनी शर्म लिहाज की सारी हदें पार कर चुकी थी, ना तो इनमें से कोई मेरा बॉयफ्रेंड था ना ही पति, जो मैं शर्माती तो मैंने ओके कहा।
एंडर्सन भी खुश हो गया.
मैंने उससे पूछा- तन्वी की चुदाई पूरी हो गयी क्या?
तो उसने बोला- अभी नहीं, अभी उसका झड़ना बाकी है। उसे डेविड चोद लेगा अब।
मैंने कहा- ठीक है.

और घोड़ी बन के अलमारी के दरवाजे में लगे शीशे की ओर मुंह कर लिया और कहा- ये लीजिये एंडर्सन, पेश है गर्म गर्म इंडियन चूत।
एंडर्सन ने आव देखा ना ताव और घुटनों के बल बेड पे आ के मेरी चुत में अपना लंड रख दिया और मेरी पतली कमर को अपने बड़े बड़े हाथों से पकड़ के एक झटके में घुसा दिया।

मेरी ज़ोर से ‘आउच …’ निकली और मेरा सिर ऊपर को उठ गया.
और फिर एंडर्सन मुझे ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे अपने लंड पे पटक पटक के चोदने लगा। मैं अपने आप को शीशे में ज़ोर ज़ोर से चुदते हुए देख पा रही थी कि किस तरह मेरे खुले बाल लटके हुए ज़ोर ज़ोर से हिल रहे थे और मेरे बूब्स भी कांपते हुए हिल रहे थे।

मेरी चेहरे पे हल्की चीस और बहुत मजे के भाव थे।

ऐसे ही 10 मिनट तक चुदवाने के बाद मेरी चुदाई के अंतिम पल आने लगे। उसके लंड ने मेरे जी स्पॉट को रगड़ रगड़ के मुझे स्खलन के करीब पहुंचा दिया। मेरी सांसें बहुत तेज़ हो गयी और मैं ज़ोर ज़ोर से आहह … आहह … आहह …’ करते हुए चिल्ला रही थी और बस यही कह रही थी- और तेज़ और तेज़!

बस फिर क्या था … लगभग एक मिनट बाद ही मेरा पूरा जिस्म अकड़ने लगा और मैं हकला हकला के ‘आ … आ … आहह … आ … आहह …’ सिसकारियाँ लेने लगी और फिर एकदम से काँपते हुए ज़ोर से ‘आहह …’ कर के चुदते हुए ही उचक उचक के 2-3 फुव्वारे मारते हुए झड़ गयी.

पर एंडर्सन ने फ़च फ़च मुझे चोदना चालू रखा। वो तो मानो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था। मैं उसे रुकने को बोल रही थी पर वो अपनी धुन में ज़ोर ज़ोर से चोदे जा रहा था। मुझे चरम सुख की प्राप्ति हो चुकी थी इसलिए मैंने उसे नहीं रोका और उसके झड़ने तक वो फ़चा फ़च हाँफते हुए मुझे चोदता रहा।

आखिरकार 3-4 मिनट बाद उसकी सांसें फूलने लगी और वो रुक रुक के धक्के मारने लगा और फिर एकदम से 3-4 झटकों में मेरी चूत को अपने गर्म वीर्य से भरते हुए झड़ गया और मेरे बगल में आ के धराशायी हो गया। हम दोनों ज़ोर ज़ोर से हाँफते हुए हल्के हल्के मुस्कुरा रहे थे।

मैंने उसके काले होंठों को ज़ोर से किस करते हुए ‘थैंकयू’ कहा और छत की देख के सुस्ताने लगी।

इधर मैं और उधर दूसरे कमरे में तन्वी हम दोनों ही दो विदेशी काले लंड से चुदवा के बहुत खुश थी।

ग्रुप चुदाई कहानी जारी रहेगी.
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top