ममेरी दीदी की शादी में मेरी सुहागरात-5

(Mameri Didi Ki Shadi Me Meri Suhagraat-5)

रुचि चूची 2015-04-06 Comments

This story is part of a series:

दोस्तो, पिछले भाग में आपने पढ़ा कि मैं अपनी ममेरी दीदी की शादी में गई और वहाँ मैंने दीदी की सुहागरात से पहले दो लड़कों के साथ अपनी सुहागरात मना ली, पहले ममेरा भाई, फिर दीदी का देवर !
उसके बाद मेरे साथ क्या हुआ वो मैं आपको इस कहानी में बताऊँगी।

उस दिन दीदी की सुहागरात हुई, फिर बारात को आज ही जाना था तो दीदी बोली- रूचि तुम दिल्ली कब जाओगी?

तो मैं बोली- आज शाम को!
तो वो बोली- एक काम कर ना, तू भी मेरे साथ चल ना।

तो भैया बोले- हाँ अच्छा होगा तुम इन सबके साथ ही निकल जाओ क्योंकि मैं आज थोड़ा व्यस्त हूँ, तुमको आज नहीं पहुँचा पाऊँगा, या तो इनके साथ निकल जा, या मैं परसों पहुँचा दूँगा।

मैं बोली- नहीं, मैं दीदी के साथ ही जाऊँगी।
तो उन लोगों ने एक एक्सट्रा टिकट बनवाया।

लेकिन पता चला कि ट्रेन 10 घंटे लेट है तो हम लोग शाम को 5 बजे उन लोगों के साथ चल पड़े। हम 6 लोग थे, मैं, दीदी, जीजाजी, हर्ष और उसके 2 दोस्त, सबको दिल्ली ही जाना था तो हम सब लोग स्टेशन पहुँच गये।

6:30 बजे गाड़ी आई, हम लोग बैठ गये, हम लोगों का आरक्षण 2 एसी में था जिसमें से दीदी और जीजा जी का एक साथ था और मेरी और हर्ष का एक साथ और बाकी दोनों का एक साथ था।
कुछ देर तक हम एक ही कम्पाटमेंट में बैठे और कुछ देर तक हम लोगों के बीच हंसी-मज़ाक चला, उसके बाद उसका दोस्त बोला- अरे यार, इन लोगों की नई-नई शादी हुई है, अब तो अकेला छोड़ दो।

यह बात सुन कर हम लोग हंसने लगे और चारों उठ कर अपनी-अपनी सीट पर चले गये।

अपनी सीट पर जाते ही मैं पेट के बाल लेट गई, मैंने टाइट ब्लू जीन्स और पिंक टी-शर्ट पहनी थी।
हर्ष आया और मेरे चूतड़ को दबाया और चूतड़ पर ही किस किया और उसी सीट पर बैठ गया जिस पर मैं थी, मैं बोली- क्या है?

तो बोला- मन हो रहा है।

मैं बोली- तो मैं क्या करूँ?
वो बोला- एक बार करते हैं ना!

मैं बोली- अभी नहीं, बाद में…

तभी उसके दोनों दोस्त आ गये और बोले- क्या करने वाले थे जो बाद में करोगे?

तो मैं बोली- कुछ भी तो नहीं।

तो उसका दोस्त बोला- आप हमसे छुपा रही हैं, हम लोगों को सब पता है।

तो मैं बोली- क्या सब पता है?

तो बोला- कल रात में आप दोनों के बीच क्या हुआ था।

तो मैंने गुस्से में हर्ष की तरफ देखा तो वो बोला- ये लोग पूछने लगे तो मैं झूठ नहीं बोल पाया सॉरी…
और अपना कान पकड़ के बैठक लगाने लगा।
तो मैं बोली- इट’स ओके, कोई बात नहीं।

फिर मैंने उसके दोस्त की तरफ देखा तो वो बोला- मुझे कुछ नहीं चाहिए, बस आपको इन कपड़ों में देखना है।

उसने दो छोटे से कपड़े दिए जो बिकिनी जैसी ही थी पिंक रंग का… तो मैं बोली- नहीं यार, मैं इतने छोटे कपड़े नहीं पहन सकती। और इन कपड़ों में मैं बाहर कैसे जाऊँगी।

तो वो बोला- रुचि, एक बार वैसे भी जब से वरमाला के टाइम तुम्हारे नंगी पीठ और पेट देखी है, तब से इन कपड़ों में देखने का मन हो रहा है।

तो मैं बोली- ओके, मैं बाथरूम से चेंज करके आती हूँ।

तो हर्ष बोला- रूचि यार, यहीं चेंज कर लो ना, हम तीन लोग ही तो हैं यहाँ… प्लीज़!

तो मैं रेडी हो गई और उनको बोली- अपने आँख बंद करो!

सबने अपनी आँख पर अपना हाथ रख लिया, मैं खड़ी हो गई और सबसे पहले अपनी टॉप निकाल दी।

मैंने देखा कि सब अपनी उंगली को अलग करके मुझे देख रहे हैं। फिर मैंने उनकी तरफ अपनी पीठ कर ली और अपनी जीन्स भी खोल दी और अब मैं सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में उन सबके सामने थी।

मेरी जीन्स खोलते ही सबने अपना-अपना हाथ हटा लिया और मुझे देखने लगे तो मैंने अपनी ब्रा भी खोल दी जिससे मेरी चूची उनके सामने नंगी हो गई, फिर मैंने पैंटी भी उतार दी और तीनों के सामने नंगी हो गई, उसकी दी हुई पिंक बिकिनी पहन ली और एक सीट पर लेट गई तो उसके दोनों दोस्त उसी सीट पर आकर बैठ गए जिस पर मैं थी।

एक मेरे पैर को और एक मेरे हाथ को सहलाने लगा और बोला- जानती हो रूचि, तुम इन कपड़ों में एकदम पटाखा लग रही हो… जी कर रहा है कि तुम्हें हमेशा इन्हीं कपड़ों में देखता रहूँ।

एक लड़का बोला- सिर्फ़ देखता ही नहीं रहूँ, तुम्हें चोदता रहूँ, बस चोदता रहूँ और कुछ नहीं करूँ…

तभी हर्ष बोला- मैं तो सिर्फ़ तुम्हारी इन बड़ी-बड़ी और मस्त चूचियों के पीछे पागल हूँ।

वो उठा और मेरी चूची दबाने लगा कि तभी दरवाजे पर नॉक हुई। मैंने एक चादर लेकर ओढ़ ली।

टी.टी था तो हर्ष ने सबके टिकट दिखाए और वो चला गया, फिर उसने अंदर से डोर लॉक कर लिया।

मैं बोली- मैं इतने कम कपड़ों में और तुम सब लोग पूरे कपड़ों में अच्छे नहीं लग रहे हो।

तो सब ने अपने-अपने कपड़े उतार दिए और सब लोग सिर्फ़ अंडरवीयर में थे।
की तभी उसके एक दोस्त ने अपने लंड को भी बाहर निकाल लिया और मेरे हाथ में पकड़ा दिया, मैं उसको पकड़ के सहलाने लगी तो उसने मेरे बाल पकड़ के अपनी ओर खींचा और बोला- इसको अपने मुँह में लो ना…

मैं नीचे बैठ गई और वो खड़ा हो गया, मैं उसके लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी तो वो मेरे सर को पकड़ के अपना लंड अंदर-बाहर करने लगा, फिर उसका लंड मेरे कंठ तक पहुँच गया और कुछ देर के बाद उसने लंड निकाल लिया।

तब तक दूसरा भी अपना लंड लेकर पहुँच गया, मैंने उसका लंड अपने मुंह में ले लिया और पहले के लंड को अपने हाथ से हिलाने लगी, फिर कुछ-कुछ देर दोनों के लंड को चूसने लगी तो एक मेरी चूची मसलने लगा।

तभी हर्ष ने भी मेरे चूतड़ पर किस किया और उसको मसलने लगा। फिर मैं घोड़ी बन गई और हर्ष मेरी पैंटी को साइड करके अपने लंड को मेरी चूत में डालने की कोशिश करने लगा, आगे मैं उसके एक दोस्त के लंड को चूस रही थी और एक के लंड को हाथ से सहला रही
थी।

तभी हर्ष ने मेरी दोनों टाँगों के बीच में आकर अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और अंदर-बाहर करने लगा और बीच-बीच में मेरे चूतड़ों पे चपत भी मार रहा था।

तभी वो मेरे दोनों चूतड़ पकड़ कर तेज़-तेज़ झटके मारने लगा और मेरे मुँह से आआ… आहहा… आआआ उउम्म्म् ममाआअ की आवाज आने लगी तो उसके एक दोस्त ने फिर मेरे मुँह में अपना लंड डाल दिया और मेरी आवाज अंदर ही रह गई।

फिर दोनों ने एक साथ अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया और हर्ष पीछे लगा हुआ था।

फिर कुछ देर में उसका एक दोस्त पीछे गया और मैं हर्ष के लंड को चूसने लगी, फिर दूसरा पीछे चोद रहा था और दो आगे
लंड चुसवा रहे थे।

फिर उन्होंने मुझे नीचे लिटा दिया और मेरी एक टाँग उठा के चोदने लगे, एक अपना लंड मेरे मुँह में और एक मेरी चूची दबा कर मेरी ड्रेस की डोरी को खोल दिया जिससे मेरी चूची आज़ाद हो गई तो उसको चूसने लगा और तीनों ने बारी-बारी अपनी पोजीशन बदल-बदल के मुझे चोदा।

दिल्ली पहुँचने तक मैं दो बार सामूहिक रूप से चुदी।

फिर दिल्ली पहुँच कर भी कभी-कभी उन लोगों से चुदवाती रही लेकिन हर्ष बड़ा ही कमीना निकला, उसने मेरी दीदी को मतलब अपनी भाभी को भी चोद दिया और एक बार हम दोनों बहनों को भी एक साथ चोदा।

यह बात मैं आपको अगली कहानी में लिखूँगी लेकिन तभी जब आप लोगों के मेल मुझे मिलेंगे।

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