अब्बू के दोस्त और मेरी अम्मी की बेवफाई -6

(Abbu Ke Dost Aur Meri Ammi Ki Bewafai- Part 6)

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अब तक आपने पढ़ा..

मैं भी फटाफट अपनी सलवार कुर्ती उतार कर नंगी हो गई। अम्मी ने मेरी चूत को सहलाया और बोली- आज तुम्हारे अंकल इसमें अपना लण्ड पेलकर बहुत खुश होंगे। एक बात बता दूँ.. उन्होंने मुझसे कहा था कि शहनाज़.. एकाध नए माल का इंतज़ाम करो.. पैसों की फ़िक्र मत करना।

अम्मी ने मुझे रगड़-रगड़ कर अच्छी तरह नहलाया.. मेरी चूत के बाल साफ़ किए और तब बोलीं- अब तुम्हारी चूत लण्ड लेने के लिए एकदम तैयार है।

अब आगे..

शाम को अकरम अंकल आए तो मैं उनको निहारती रह गई। क्या बलिष्ठ गठा हुआ बदन पाया था अंकल ने..! मैं समझी कि अम्मी असलम अंकल की बात कर रहीं हैं लेकिन मेरी चुदाई का प्रोग्राम अकरम अंकल के साथ था।

हम लोग खाना खाकर लेटने की तैयारी करने लगे। आज हम तीन लोग एक ही कमरे में एक ही बिस्तर पर आ गए।

अम्मी ने अंकल से कहा- क्यों जी.. आप किसी नए माल के बारे में कह रहे थे.. आज मैं अपनी मासूम बच्ची को आपके हवाले कर रही हूँ.. लेकिन ध्यान रखिएगा.. कि बेचारी की चूत एकदम कोरी है बहुत आराम से पेलिएगा..
‘फ़िक्र मत करो शहनाज़.. बस तुम देखो कैसे आज मैं तुम्हारी इस बच्ची को मासूम कच्ची कली से पूरी औरत बनाता हूँ।’
‘हम्म..’

अंकल बोले- शाहनाज़.. तुम भी तो साथ ही रहोगी.. जब मैं इसकी बुर में अपना डंडा पेलूँगा.. तो तुम देखती रहना।
अम्मी ने कहा- हाँ मेरा रहना ज़रूरी है.. क्या पता तुम क्या हाल करोगे मेरी बच्ची का..
अम्मी ने हँसते हुए जवाब दिया।

मैं बोली- अम्मी मैं बच्ची नहीं हूँ.. आप ऐसे ही डर रही हो..

इस दौरान अम्मी ने कुर्ती और सलवार निकाल दी, मेरी बुर को सहलाकर अंकल को दिखाकर बोलीं- देखो जी कितनी चिकनी गुलाबी चूत है.. मेरी रानी बिटिया की..
मैंने अंकल के पजामे पर हाथ फ़ेरते हुए कहा- अंकल इस उम्र में भी आपका लण्ड भी कोई कम नहीं है..

अम्मी ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए, अंकल भी अपने कपड़े उतार चुके थे, अब हम तीनों मादरजाद नंगे थे। अंकल मेरे होंठों को चूसते हुए एक हाथ से मेरी चूत को सहला रहे थे.. तथा दूसरे हाथ से अम्मी की गाण्ड सहला रहे थे।
मैं तो गर्म होने लगी.. लेकिन अम्मी अभी गरम नहीं हुई थीं।

अम्मी ने मुझसे पूछा- क्यों बेटी.. लण्ड चूसोगी?
मैंने कहा- आप लोग जैसा आदेश करें.. मैं तो अनाड़ी हूँ.. मुझे आप लोगों की निगाहबानी में ही चूत चुदवानी है।
अम्मी बोलीं- तब ठीक है..मैं जैसा कहती हूँ.. तुम वैसा करो।

हम तीनों ऐसी पोजीशन में हो गए कि मैं अकरम अंकल का लण्ड चूस रही थी। अम्मी मेरी चूत चाट रही थीं और अंकल अम्मी की चूत चाट रहे थे.. अर्थात तीनों लोगों ने एक सर्किल बना रखा था।

मैं तो अम्मी द्वारा चूत की चटाई से ही एक बार झड़ गई।

थोड़ी देर बाद मैंने अम्मी से कहा- अम्मी.. मेरी बुर में जल्दी लण्ड डलवा दो नहीं तो मैं पागल हो जाऊँगी।
अम्मी ने कहा- अच्छा.. अपनी टांगें फैलाकर पीठ के बल लेट जाओ.. मैं वैसलीन की शीशी लाती हूँ।

अम्मी ने मेरी चूत के अन्दर वैसलीन लगा दी और अंकल से बोलीं- मेरी रानी बिटिया की कुंवारी चूत को अपने लम्बे लण्ड से आबाद कीजिए।
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अम्मी ने अंकल के सुपाड़े पर भी वैसलीन लगा दी। अंकल ने मेरी टांगों को फैलाकर लण्ड को मेरी प्यासी चूत के मुहाने पर रखा और मेरी अम्मी ने अंकल के पीछे से मेरी चूत को फैला रखा था।
अंकल ने धक्का लगाया लेकिन निशाना चूक गया।
मेरी चूत लौड़े के लिए तड़प रही थी.. कि जल्दी से उसमें लण्ड घुसे, मैं लगभग रोते हुए बोली- अम्मी.. पेलवा दो न.. क्यों देरी हो रही है?

अम्मी ने कहा- इस बार घुस जाएगा बेटी.. घबराओ मत.. मैं भी तो लगी हूँ इसी कोशिश में.. पेलिए जी मेरी बेटी को.. देखो बेचारी तड़प रही है।
जब इस बार अंकल ने अपना सुपाड़ा घुसा दिया तो मुझे लगा कि मेरी जान निकल जाएगी.. लेकिन मैंने अपने दांत भींच लिए।
‘आईईए.. अम्मी.. दर्द हो रहा है..’
मैंने सोचा नहीं था कि अकरम अंकल का लण्ड असलम अंकल से मोटा और लम्बा भी है।

‘बस.. बस.. धीरे धीरे.. अकरम.. अभी ये कमसिन कुंवारी है..’
अम्मी मेरी चूत को पीछे से सहला रही थीं ताकि दर्द न हो।

अंकल ने थोड़ा और घुसाया तो मुझे लगा कि अब पूरा हो गया.. लेकिन जब मैंने अंकल से कहा- अब धक्का लगाइए.. तो उनके बोलने से पहले अम्मी ने बाहर निकले हुए लण्ड को नापकर कहा- बस बेटी 5 इंच लण्ड अभी बाहर है.. 3 इंच तो तुमने निगल लिया है।

यह सुनकर मेरी तो हालत खराब हो गई.. खैर अंकल ने थोड़ा और जोर लगाया.. तो दो बार में पूरा लण्ड जड़ तक घुस गया। अंकल ने स्पीड तेज़ की तो धीरे-धीरे मुझे मज़ा आने लगा।

मैं बोलने लगी ‘आह्ह्ह्ह ऊह..ह उह.. पेल दो अंकल.. फाड़ दो मेरी बुर को.. उफ़..’
थोड़ी देर के बाद ‘फच.. फच..’ की आवाज़ आने लगीं।

मुझे बहुत अच्छा लग रहा था.. अंकल ने मेरी छोटी-छोटी कच्ची गुलाबी चूचियों के निप्पल को दबा-दबा कर लाल कर दिया था।

उधर अम्मी मेरी चूत को सहला रही थीं.. बीच-बीच में वह मेरी चूत और उसमें फंसे हुए लण्ड को चाटने भी लगती थीं।
अम्मी सिर्फ कॉलेज में ही नहीं बल्कि बिस्तर पर भी एक अच्छी टीचर थीं।

कुछ देर के बाद मुझे ऐसा लगा कि मैं आसामान में उड़ रही हूँ। अंकल ने मेरे छोटे से दुबले-पतले जिस्म को अपने कसरती शरीर में खूब जोर से भींच लिया था।
मैं अपनी गाण्ड इस क़दर उचकाने लगी कि लण्ड खूब गहराई तक घुस जाए।

अब मेरा काम-तमाम होने वाला था। मैं बड़बड़ाने लगी- अह.. मेरे राजा उन्ह.. आह औउच.. ओह.. मैं आ गई.. आह..ह ह हह ओह.. ओहोहोह..

मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया.. लेकिन अंकल रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। अम्मी ने मुझसे पूछा- क्यों बेटी मज़ा आया? कहो तो अब मैं भी चुदवा लूँ.. तुम्हें चुदवाते देखकर मेरी बुर भी पनिया गई है।

अंकल ने अपना 8 इंच का लपलपाता हुआ लण्ड बाहर निकाल लिया। अम्मी को इतना जोश चढ़ चुका था कि अंकल ज्यों ही पीठ के बल लेटे, अम्मी ने उनके खड़े लण्ड को अपनी चूत में फंसा दिया और धक्का मारने लगीं।

मैं अम्मी के पीछे जाकर उनकी चिरी हुई चूत में अंकल के फंसे हुए लण्ड को देखने लगी।

क्या गज़ब का नजारा था। मैं बुर लण्ड के संधिस्थल को चाटने लगी। मेरी बुर फिर से पनियाने लगी थी। अम्मी ने उछल-उछल कर खूब चुदवाया। अब अम्मी पीठ के बल लेट गईं और अंकल ने सामने से अपना लण्ड घुसा दिया और जोर-जोर से चोदने लगे।

थोड़ी देर बाद उनका पानी निकल गया। उस रात को अंकल ने मुझे तीन बार और अम्मी ने जबरन दो बार चूत चुदवाई।
रात के तीन बजे हम लोग सो गए।

फिर धीरे-धीरे हम चारों एक साथ इस खेल को खेलने लगे थे। अम्मी के कहने पर अकरम ने इस गैंग-बैंग में अपनी पत्नी आयशा को भी शामिल कर लिया था, वो आयशा को अपने साथ हमारे घर लाते और तीन गर्म बदनों के साथ खेलते।
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