वह खतरनाक शाम

(Voh Khatarnak Sham)

चन्दा रानी 2018-12-12 Comments

मैं चंद्रप्रकाश हूँ. फिल्म देखने की चाह ने मुझे सत्यम का शिकार बना दिया था. सत्यम ने लपक के मेरी गांड मारी और मुझे अपना मूसल लंड चुसवाया. उसी दिन से मेरे अंदर की लड़की जाग गयी और मैं गांडू बन गया. यह बात आपने मेरी प्रिय वेबसाइट अन्तर्वासना पर मेरी पहली कहानी
ऐसे बना चंद्र प्रकाश से चंदा रानी
में पढ़ी थी.

सत्यम के साथ मेरे जीवन के कुछ सुहावने दिन बीते. मैंने सत्यम सीरिज की दूसरी कहानी
बन गई मैं सत्यम की दुल्हन
लिखी जिसे अन्तर्वासना ने बहुत प्रतीक्षा के बाद 20 नवम्बर को प्रकाशित किया. मेरी पहली कहानी को छाप दिए जाने के बाद मेरे आशिकों की संख्या में बहुत बढ़ोतरी हो गयी. कइयों ने मुझे अपने छोटे बड़े, बैठे खड़े लंडों की फोटो भेजी हैं और मेरे साथ रात गुजारने की इच्छा जाहिर की है. कुछ ने यह जानना चाहा था कि आगे सत्यम ने मेरे साथ क्या किया. मेरी दूसरी कहानी ‘बन गयी सत्यम की दुल्हन’ अन्तर्वासना की वेबसाइट पर भेजकर मैंने उन सभी की जिज्ञासा शांत की.

हूँ तो मैं लड़का … मगर मुझे लड़की की तरह बात करना अच्छा लगता है. तो यह पूरी कहानी और मेरी हर कहानी स्त्रीलिंग में ही लिखी मिलेगी.

आज मैं मेरे जीवन की एक और वास्तविक घटना को कहानी का रूप देकर आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रही हूँ. इसको पढ़कर जहाँ आपके लंड खड़े हो जायेंगे वहीं आपकी आँखों से आंसू भी बह निकलेंगे.
वह खतरनाक शाम, जिसे मैं भूल जाना चाहती हूँ, लेकिन भूल नहीं पाती हूँ. हालांकि उस दिन गांड मरवाने का एक नया तरीका भी देखने को मिला था. बाद में मेरी इच्छा हुई थी कि खतरनाक शाम का वह विलेन मेरी गांड फिर से ले. मगर उसके अपने सिद्धांत थे, क्या सिद्धांत हो सकते हैं एक गांड मारने वाले के. आप खुद बजरिये इस कहानी जान लेंगे तो लीजिये सुनिए:

कॉलेज में उस दिन एक्स्ट्रा क्लास थी. बी.ए. फर्स्ट इयर के अपने साथियों के साथ बैठकर मैंने दिन भर पढ़ाई की. बीच बीच में मैं अपने टीचर और आस पास बैठे छात्रों के पैन्ट की चेन की तरफ भी देख लेती थी. हमारे एक प्रोफेसर बहुत ही टाईट पैन्ट पहनते थे. उनका लंड भी बड़ा था तो वह अपने पूरे शेप के साथ दिखाई देता. मैं एकटक देखती रहती … सोचती कि इन्हें पटा लूं. हे भगवान, ये टीचर लौंडेबाज हो तो मजा आ जाये. पढ़ाई में कम मगर लंडों में मेरा ध्यान ज्यादा लगता. कभी सोचती कि काश लंडों की कुर्सी होती तो पूरे समय लंड पर बैठने का सुख उठाती.

चार बजे कॉलेज समाप्त हुआ. मैंने अपना बैग उठाया और गांड मटकाते हुए कक्षा से बाहर आ गयी. कॉलेज से थोड़ा आगे ही बस स्टॉप था. वहां से मुझे मेरे कमरे तक के लिए बस या टेम्पो मिल जाती थी. मैं पैदल जा रही थी. तभी मेरे पास से दो मोटरसाइकल निकली. उन पर कुल पांच लड़के बैठे थे. उनमें से एक मोटर सायकल थोड़ी आगे जाकर रुक गयी. उस चलाने वाले लड़के ने पीछे मुड़कर अपने साथियों से कुछ कहा. तीनों नीचे उतर गये और मेरी तरफ देखने लगे.

मैं जैसे ही उनके पास से निकली तो बड़ी बड़ी मूंछों वाले लड़के ने मेरे बाल पकड़कर पीछे खींच लिया और जोर से अपनी बांहों में जकड़ लिया. बीच सड़क पर अकस्मात हुई इस घटना से मैं हकबका गयी और थोड़ा डर भी गयी. तीन में से एक लड़का नाटा था, एक मुच्छड़ था और एक चिकना था.
मुच्छड़- क्यों छमिया, कहाँ से आ रही है?
मैं रोते हुए- छमिया क्यों कह रहे हो भैया?
मुच्छड़- अरी रंडी. भैया नहीं सैंया बोल?

मैं गांडू हो चुका था और लंड मुझे पसंद थे मगर फिर भी मैंने कहा- मुझे जाने दीजिये भाई साहब!
मुच्छड़- पहले हमारे लौड़े ले. फिर जाने देंगे तुझे.
मैं- आपको कुछ गलत फहमी हो गयी है सर. मैं लड़का हूँ. मैं यह कार्य नहीं करता.
मुच्छड़- तू लड़का है? तू लौड़े नहीं खाता?
मैं- हाँ लड़का हूँ जी.

मुच्छड़- सुनो यारो! ये लड़का है. और लड़के आजकल गांड मटकाकर चलते हैं. मेरी जान, मैंने तुझे दूर से चलते हुए देखा तो ऐसा लगा जैसे फेशन टीवी पर कोई मॉडल कैट वाक कर रही है और हाँ आजकल के लड़के बनियान नहीं ब्रा पहनते हैं.
यह कहते हुए उसने मेरे शर्ट को खींचकर मेरे शर्ट के बटन तोड़ दिए. मैंने अंदर ब्रा पहन रखी थी. मेरी फेवराईट पिंक कलर की ब्रा!

वो आगे बोला- जानू .. तेरी ब्रा की स्ट्रिप क्लियर दिख रही है तेरे शर्ट से. अगर ब्रा पहनती है तो पेंटी भी पहनती होगी. खोल चैन नहीं तो पैन्ट खोल दूंगा तेरी.

मैं फंस चुका था. मैंने धीरे से अपना पैन्ट नीचे किया तो उसमें पिंक कलर की पेंटी थी. तब तक उनके साथियों की मोटर सायकल भी आ गयी थी. नाटा उस मोटर सायकल पर बैठ गया. चिकना आगे बैठा गाड़ी चलाने के लिए. मुझे बीच में बैठाया और मेरे पीछे मुच्छड़ बैठ गया. उसका लंड खड़ा हो चुका था. वह इतना बेशर्म था कि उसने इतनी भीड़ भरी सड़क पर भी अपना लंड चेन से बाहर निकाल कर मुझसे सटा दिया. चिकने ने मोटरसायकल आगे बढ़ा दी. पाँचों के पाँचों हंस रहे थे. जोर जोर से.

अब मैं लड़की हो चुकी थी तो मेरे छटी इन्द्री कह रही थी कि आज कुछ बहुत अलग होगा. और वास्तव में बहुत अलग हुआ.

मुच्छड़ ने शर्ट के अंदर से हाथ डालकर मेरी ब्रा के ऊपर से मेरे निप्पल को जोर जोर से मसलना प्रारम्भ कर दिया. साथ ही वह अपने लंड को मेरे कूल्हों पर रगड़ता भी जा रहा था. चिकना और अन्य लड़के खिलखिला रहे थे.

नाटा बोला- भाभी के साथ यहीं रोड पर सुहागरात मनाने का मूड है क्या बलवंत?
ओहो तो इसका नाम बलवंत है. स्साले में बल भी बहुत था.
मुच्छड़- क्यों रे छोरो, तुमने महाभारत नहीं पढ़ी रे. ये अपनी द्रोपदी है और अपन पाँचों पांडव हैं. मिल बांटकर खायेंगे इस मिठाई को.
नाटा- ये ठीक कही आपने बल्लू दादा. कल से कह रहे थे ना कि छोरियों की चूतें तो बहुत मारी हैं अब कोई नमकीन लौंडा मिले तो उसकी भी गांड फाड़ दें. लो जी मिल गया लौंडा.
चिकना- बलवंत भैया, मेरी भी इच्छा थी कि किसी छोकरे को अपनी लुल्ली चूसा लूँ. भगवान ने इतनी छोटी बनाई कि किसी लड़की के सामने नंगा होने में शर्म आती है. इसकी गांड आपकी और इसके ये लाल लाल होंठ मेरे!
सब हंस पड़े.

हवा की रफ्तार से वे मुझे नगर के बाहर एक सुने खंडहर में ले गये. चारों तरफ सुनसान था. शाम का समय था. ठंडी ठंडी हवा चल रही थी. मेरे हाथ पैर थरथर काँप रहे थे. कहीं दिल के कोने में मुझे खुशी भी हो रही थी कि इतने सारे जवान लड़के मेरी गांड मारने और मुझे अपने लंड चुसाने के लिए बेताब थे.

नाटा खंडहर की दीवार पर चढ़ गया और चारों तरफ देखकर उसने बताया कि दूर दूर तक कोई नहीं है. काम शुरू किया जाए.

एक मिनट में ही सारे के सारे नंगे हो गये. वाकई चिकने की लुल्ली बहुत ही छोटी थी लेकिन बाकी सभी के लंड जबर्दस्त थे. बलवंत का लंड तो खलबत्ते की मूसली की तरह था. वह ऊपर नीचे हो रहा था.

अगले ही पल उन्होंने मेरे कपड़े उतार दिए. मैं ब्रा और पेंटी में थी. चारों मुझे चूमने चाटने लगे. कुछ ही देर में मेरी ब्रा और पेंटी उन्होंने फाड़कर फेंक दी.
मुझे कुछ कुछ अच्छा लगने लगा था मगर फिर भी मैंने कहा- मुझे जाने दीजिये न बलवंत भैया!
बलवंत ने मेरे होंठों को लालीपाप की तरह चूसते हुए बहुत ही प्यार से बांहों में सम्भाले हुए दीवार के पास ले गया और मुझे उससे चिपका दिया. फिर मेरी गांड पर धीरे धीरे थपकी देने लगा.
उसने मुझे सिर से पकड़कर नीचे दबाया और जमीन पर बैठा दिया और प्यार से बोला- मुंह खोल मेरे गंडमरे!
मैंने मुंह खोल दिया.
वह बोला- जब तक मैं न कहूँ बंद मत करना. अब मैं वो करूंगा जो न करूं तो मुझे चोदने में आनन्द नहीं आता. प्यारे मेरे … यह तो मैंने अपनी बीवी के साथ सुहागरात को भी किया था.

मैंने जैसे ही मुंह खोला, वह लंड लेकर मेरी तरफ बढ़ा. मुझे लगा कि अब ये अपना लंड चुसायेगा मुझे. मैंने आँख बंद की ही थी कि मेरे मुंह में गर्म गर्म धार पड़ी. बहुत तेजी से वह पेशाब करने लगा. मूतते हुए बोला- पी जा साले, अमृत है.
सब अट्टाहास करने लगे. वह मूत लिया तो दूसरा और फिर तीसरा मूता.
चिकना बोला- जानेमन मेरी धार कम आयेगी. तू आराम से पीना.

उसके बाद नाटा खंडहर की दीवार से मूतने लगा. उसकी पेशाब मेरे मुंह में कल और मेरे शरीर पर ज्यादा गिर रही थी.
मेरा पूरा शरीर पेशाब से भर गया था. यह मेरे लिए नया अनुभव था. यह सेक्स की दुनिया भी ना कितनी अजीब है. यहाँ हर व्यक्ति की अलग अलग चाहतें और हरकतें होती हैं.
बलवंत- क्या नाम है तेरा?
मैं- चंदा… मेरा मतलब है चन्द्रप्रकाश.
वे सभी- चंदा डार्लिंग. आओ अब तुम्हें चोद दें.
बलवंत- करो तो रे इसकी टांगा-टोली.

एक तरफ एक बलिष्ठ लड़का हो गया और दूसरी तरफ दो लड़के हो गये. उन्होंने मुझे उलटा किया और हवा में ऊपर उठाया तथा आगे पीछे करने लगे. जैसे किसी को झूला झूला रहे हों.
बलवंत ने अपने लंड पर कंडोम चढ़ाया और बहुत सारा थूक उस पर मल दिया. उसके इशारे पर मेरी गांड को बलवंत के मुंह के सामने ऊपर उठा दिया. बलवंत खड़ा था. लड़कों ने मेरे पैर चौड़े कर रखे थे. मेरी गांड का फैला हुआ छेद बलवंत के ठीक सामने था.

बलवंत ने मुंह में बहुत सारा थूक इकट्ठा किया और एक पिचकारी सी मारते हुए मेरी गांड के छेद पर फेंकने लगा. उंगली से उसने गांड का जायजा लिया.
बलवंत- देखो मैं ना कहता था यह छमिया है. इस छमिया की तो मरी पड़ी है. अपनी किस्मत में तो गांड भी सील पैक नहीं है. लाओ चंदा रानी को मेरे लंड के सामने.
चिकना- बलवंत दादा, आपकी चोदने की यह स्टाइल शानदार है. मैं तो आपको छोदते हुए देखकर ही मस्त हो जाता हूँ. आप अपना हथियार लेकर दीवार के सहारे खड़े हो जाते हो और हम सभी चूतिये चूत वाली को पकड़कर आपके हेंडपंप के आगे पीछे करते रहते हैं. चूतों पर तो आपका यह चल जाता है. आज देखते हैं गांड पर भी चलता है क्या.

बलवंत दीवार के सहारे खड़ा होकर मुस्कुरा रहा था. मुझे उठाने वालों ने धीरे धीरे मेरी गांड को पीछे ले जाकर उसके लंड पर सेट किया. मेरे पैर दीवार से टकराने लगे तो मैंने उन्हें मोड़ लिया. अब मैं भी सोच रही थी कि ये करेंगे क्या?

बलवंत ने दो झटके में ही अपना मूसल जैसा लंड मेरी गांड में पेल दिया. मैं दर्द और कामसुख से चीख उठा. आगे का काम बलवंत के चमचों ने किया. वे मुझे आगे पीछे करते रहे. बलवंत को बिना कुछ किये मेरी गांड मारने का मजा मिल रहा था. मुझे भी मजा आने लगा था. खंडहर में फच्च फच्च की आवाजें आ रही थीं. बीच बीच में बलवंत की सिसकारियां और अश्लील वाक्य गूंज रहे थे.

आधे घंटे में बलवंत झड़ा. वह खंडहर के बाहर जाकर सिगरेट पीने लगा. उसके बाद तीन लोगों ने मेरी गांड मारी. और चिकने ने अपनी छोटी सी लुल्ली मुझे चूसने पर मजबूर कर दिया.
जब उन सभी का काम हो गया तो वे वहीं बैठकर दारु पीने लगे. मैं निढाल होकर वहीं पड़ी रही.
अब वे सभी नशे में झूम रहे थे.

बलवंत बोला- चलो ! इस साले गांडू को यहीं छोड़ जाते हैं.
मैं- बोला- प्लीज मुझे मेरे घर छोड़ दीजिये.”
नाटा- बलवंत भैया, जिस औरत को एक बार चोद लेते हैं उसकी तरफ दुबारा देखते भी नहीं. तू तो गंडूआ है. तेरी गांड मारने के बाद तो अब तुझ पर थूकेंगे भी नहीं.
बलवंत- गांडू कहीं के! सही कहा रे नाटे तूने. अब मैं इसे दुबारा नहीं चोदूँगा मगर आज इसने मुझे मजा बहुत दिया. मैं इनाम के तौर पर इस पर मूत तो सकता हूँ.

बलवंत और उसके साथियों ने फिर मुझे पर पेशाब की. इस बार मैं जमीन पर उल्टा लेटा हुआ था. मेरा पूरा शरीर तरबतर कर दिया.
सभी ने अपने कपड़े पहने और चल दिए.
मैं वहां अकेली थी … बेहाल. चार लंड लेने के कारण गांड भी फट चुकी थी. उससे खूब बह रहा था. मन भी टूट चुका था. ये कैसे लोग थे. कहाँ सत्यम और कहाँ ये. इन्होंने मेरे शरीर का उपभोग किया. क्या ये मुझे घर तक छोड़ भी नहीं सकते थे.

चार ताकतवर लोगों से गांड मरवाने के बाद क्या होता है यह तो वही समझ सकता है जिसने मरवाई हो. वैसे मुझे उन चारों से कोई रंज नहीं था, उन्होंने मुझे गांड चुदाई का एक नया अनुभव दिया था जिसका दर्द भरा आनन्द मैंने भी लिया था.

दो घंटे तक मैं वहीं पड़ी रही. जब शरीर सूख गया और दर्द थोड़ा कम हुआ तो जैसे तैसे कपड़े पहने. पेंटी और ब्रा के टुकड़े समेटे. वो सत्यम की निशानी थे, उन्हें अपने सीने से लगाया मेरी आँखों में आंसू आ गये. बहुत परेशानियों का सामना करते हुए घर पहुंची इस संकल्प के साथ कि अब गांडूगिरी नहीं करूंगा.

मगर अपने संकल्प पर मैं अडिग नहीं रहा.

कैसी लगी आपको मेरी यह कहानी. मुझे ई मेल करें[email protected] पर. मैं इन्तजार करूंगी. और हाँ मैं हर मेल का जवाब देती हूँ.

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top