मैरिज पैलेस के वाशरूम में

आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद, आपने मेरी करवाई गई सभी चुदाइयाँ पसन्द की, कई इमेल्स आ रही हैं, काफी फ्रेंड रिक्वेस्ट याहू पर भी मिलीं, सभी पाठकों का पुनः धन्यवाद, जो मुझे इतना प्यार दे रहे हैं।

कुछ दिन बाद ही मुझे एक और नया लंड मिल गया। हमारे मोहल्ले में ही गुप्ता जी का घर है, उनके बेटे की सगाई थी और उसके लिए उन्होंने एक पैलेस बुक किया था।

हमें भी न्यौता मिला था। पैलेस बहुत शानदार था, ‘वेस्टर्न-लुक’ दी गई है। उसके वाशरूम ख़ास करके बेहतरीन हैं, साफ़-सुथरे खुलापन लिए हुए थे।

वहाँ एक बंदे की पक्की ड्यूटी थी, जरा सा भी पानी गिरता था, वो साफ़ कर देता था। वैसे वो भी काफी साफ़-सुथरा इंसान दिखता था, लेकिन नज़र से हरामी था।

मेरी तो आदत सी है कि अकेले में मर्द देख गाण्ड मचलने लगती है और मेरी चाल बदल जाती है। पहली बार तो में वहाँ सच में पेशाब करने गया था, जब उसके पास से गुज़रा तो मैंने नोट किया उसकी नज़र मेरी गोल-मोल गांड पर थी।

वो थोड़ा सा मुस्कुराया भी लेकिन मैंने देख कर अनदेखा किया, बीस मिनट बाद मैं दुबारा उस साइड गया।

वहाँ दो वाशरूम थे, एक हॉल में था और एक दूर ग्राऊंड में। छोटे फंक्शन हॉल में हो जाते थे लेकिन सर्दियों में शादी का सीजन होता तो बाहर स्टेज लगती।

अब जब उसके करीब से निकला जब उसने देखा मैं भी मुस्कुरा दिया।
वो बोला- बहुत जल्दी वापस आ गए, बहुत पेशाब आता है तुझे !

मैंने उसको देखा, बोला- तुझे मेरा आना अच्छा नहीं लगता?

“मुझे भला क्या दिक्कत होगी !”

“मेरी शर्ट थोड़ी अस्त-व्यस्त हो गई है, वैसे मुँह धोने के लिए आया था।” मैंने शीशे के सामने खड़े होकर मुँह धोया।

वो बिल्कुल पीछे था, मैं उसको देख रहा था। मैंने अपनी बैल्ट खोली, पैंट का हुक कमीज़ ठीक से अंदर करने के लिए मैंने कमीज उठाई, पैंट नीचे सरकाई, अंडरवियर भी, चिकनी गोरी गोल गांड के दोनों चूतड़ों पर हाथ फेरा, उसकी नज़र मुझ पर ही थी। कमीज़ अंदर करने से पहले दूसरी बार भी उसको गांड दिखाई, वो खड़ा हो गया।

मैंने जल्दी से पैंट बाँध ली, वो उठकर पेशाब करने लगा।
मैं अपने बाल सही कर रहा था। पेशाब करके लंड अंदर किये बिना वो पलटा, मेरे सामने मुझे दिखाकर लंड को झाड़ा, उसको सहला कर अंदर कर लिया।

मैंने उसके लंड में आग लगाई थी, जो मुझे दिखी और उसने बदला लेते हुए मेरी गांड में आग जला डाली। मैं वहाँ से चला आया। अब सगाई में भी रुकना था, माँ-पापा वहीं थे, ज्यादा देर गायब रहना मुश्किल था। आधा घंटा बीत गया, सगाई भी हो गई। वहाँ डी.जे पर लोग नाचने लगे।

पौने घंटे बाद मैंने पापा से कहा- मैं घर जा रहा हूँ, आप आ जाना।

“ठीक है !”

मैं पौधों के पीछे-पीछे वहाँ चला गया। उसकी आँखें शायद मेरा इंतज़ार कर रही थीं।

उसको लगा था कि शायद में अब नहीं आने वाला, पर उसकी आँखें चमक उठीं, वो मुस्कुराने लगा। मैंने भी उसकी आँखों में आँखें डाल कर देखा।

अबकी बार मैंने स्टेंडिंग वाले पॉट पर पेशाब नहीं किया, इंग्लिश सीट वाले सबसे आखिर में बने वाशरूम में घुस गया। दरवाज़ा बंद नहीं किया, सिर्फ हल्का सा उढ़का लिया था, अपनी पैंट खोल ली, मैं जानता था वो आएगा।

पाँच मिनट बाद वो आया, उसने हल्के से धक्का दिया और जल्दी से अंदर आकर कुण्डी लगाई। मैंने पैंट पहले सरकाई थी, वो आते ही मेरी गांड पर हाथ फेरने लगा, मैं गर्म होने लगा और पैंट उतार कर टांग दी।

“साले, मैंने तो सोचा कि तुम नहीं आने वाले !”

“कमीने तुमने तो अपना लंड जिस तरह झाड़ कर दिखाया था, भला कैसे नहीं आता?”

“साले, तुमने भी तो चिकनी गांड दिखाई थी।” यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !

मैंने जल्दी से उसकी जिप खोली सीट पर बैठ गया उसका पूरा खड़ा नहीं था। मैंने मुँह में डाला चूसने लगा। वो पागल हो गया। उसने सोचा था शायद मैं गांड मरवा कर चला जाऊँगा लेकिन जब मैंने उसका लंड मुँह में लिया वो पागल हो गया।

लेकिन वो असली मर्द था, पानी नहीं निकला था। मैं वहीं घोड़ी बन गया, उसने पीछे से आकर थूक लगाया और अपना लंड मेरी गांड में घुसा दिया और जोर-जोर से चोदने लगा।

“हाय ! तौबा क्या चोदते हो राजा !”

मैंने उसके हाथ जब कमीज़ के अंदर डलवा कर मम्मों पर टिकाये तो वो हैरान हो गया।

वो पागल होने लगा, “तेरे तो गजब के मम्मे हैं !”

उसने लंड निकाला और आगे आकर कमीज़ उठा, “वाह मेरे लाल ! मैं तुझे पूरी जिंदगी अपनी बना लूँगा।”

उसने मेरे चूचुक खूब मसले, चूसे और फिर दुबारा गांड मारने लगा और हल्का होकर रुका, मुझे खूब चूमा बोला, “दिल नहीं भरा साले!”

वो मुझे लेकर रूम में चला, जो पैलेस में उसको मिला था। करीब एक घंटा हम रूम में घुसे रहे। उसने मुझे जम कर पेला और मेरी प्यास बुझा डाली।

दोस्तो, यह थी पिछली चुदाई के बाद एक और लंड लेने की असली सच्ची चुदाई।
जल्दी ही नई चुदाई करवा कर आपके सामने हज़ार होऊँगा, तब तक के लिए बाय-बाय !

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