रज़ाई में भाई का लंड चूसा

(Razai Mein Bhai Ka Lund Chusa)

अज्ञात 2019-04-13 Comments

दोस्तो, मेरा नाम हर्षित है. मैं पंजाब के होशियारपुर जिले का रहने वाला हूँ. मेरा रंग गोरा है और शरीर बिल्कुल लड़कियों की तरह है. मुझे बचपन से ही लड़कियों की तरह रहना पसंद है. जब मैं बड़ा हुआ तो उसके बाद मैं चोरी-छिपे लड़कियों की तरह तैयार होकर भी देखने लगा. जब भी मैं घर में अकेला होता था तो मैं सज-संवर कर तैयार हो जाता था.

मैं काफी समय से अंतर्वासना पर सेक्स की कहानियाँ पढ़ रहा था. मुझे अंतर्वासना की सेक्स कहानियाँ बहुत पसंद आती हैं. चूंकि मेरी रूचि भी लड़कियों वाले कामों में थी तो मैं गे सेक्स स्टोरी पढ़कर मजे लेता रहता था. फिर एक दिन मैंने सोचा कि मुझे अपने जीवन की घटना भी अंतर्वासना पर आप लोगों के साथ शेयर करनी चाहिए.

इसलिए आज मैं अपनी पहली कहानी लिख रहा हूँ. अगर कुछ गलती हो जाये तो मुझे माफ कर दीजियेगा.
मैं आपको बता दूँ कि मैंने अब से पहले बहुत लोगों के साथ सेक्स किया है. मुझे लड़कों के साथ सेक्स करने में बहुत मजा आता है. आज की जो कहानी मैं आपको बताने जा रहा हूँ वह भी मेरे जीवन की ऐसी ही एक घटना है जिसमें मैंने पहली बार किसी लड़के के लंड तक पहुंचने की कोशिश की थी.

मैं अपने चाचा के लड़के को बहुत पसंद करता था. मेरे चाचा के लड़के का नाम कमल है. जब भी वो मेरे सामने आता था तो मैं उसके शरीर को देखने लग जाता था. उसे जिम करते हुए काफी दिन हो चुके थे. एक दिन मैंने उसको बिना शर्ट के देखा. वह नहाकर बाहर आया था. मैंने उसके भीगे बदन पर सिक्स पैक एब्स देखे. उसे देख कर ही मेरे अंदर सेक्स की आग जलने लगी.

उसी दिन मैंने सोच लिया था कि किसी न किसी तरह अपने इस सेक्सी जवान भाई के लंड तक पहुंचना है. मैं उसी के सपने देखने लगा था. उस दिन उसका बदन देख कर मैं पागल हो गया था. जब भी वो मेरे सामने आता मेरे साथ ऐसा ही होता. मैं उसको देखता ही रह जाता.

यह बात आज से दो साल पहले की है. एक दिन मेरा बहुत मन कर रहा था कि मैं किसी के लंड को पकड़ कर अपने हाथ में लूं. किसी के लंड को मुंह में लेकर चूस लूं. मगर समझ नहीं आ रहा था कि किस के पास जाऊं. मैं कुछ सोच कर अपने चाचा के घर चला गया. शाम का वक्त था और 6 बजे का टाइम हो रहा था.
उस टाइम पर सर्दी का मौसम था. मैं गांव में रहता था तो सब लोग जल्दी ही सोने के लिए चले जाते थे.

जब मैं अपने चाचा के घर पहुंचा सबने खाना खा लिया था. वो लोग बिस्तर पर लेट कर आराम कर रहे थे. आप हैरान हो रहे होंगे कि शाम के 6 बजे कौन खाना खाता है. मगर गांव में ऐसा ही होता है. वहाँ पर लोग शाम का खाना जल्दी खा लेते हैं.

तो हुआ यूं कि मैं भी अपने चाचा के घर जाकर उनके साथ बिस्तर पर बैठ गया. यहाँ-वहाँ की बातें होने लगीं. करीब आधे घंटे के बाद मेरे चाचा का लड़का भी काम से वापस घर लौट आया. उसने हाथ मुंह धोकर खाना खाया और फिर अपने बिस्तर पर आराम करने लगा. उसका बिस्तर दूसरे कमरे में था.
मैं उसी के कमरे में चला गया. उसने मुझसे हैलो बोला और मैं उसके साथ उसके बिस्तर पर जाकर बैठ गया. मैंने भैया को बताया कि चाचा और चाची तो सो चुके हैं. इसलिए मैं उनके पास आ गया. मैं वहाँ पर बोर हो रहा था.

वह बोला कि कोई बात नहीं. उसने मुझे रजाई में लेटने के लिए कह दिया. उसके बाद कमल अपने फोन में कुछ देखने लगा. मैं भी उसके साथ ही रजाई में लेटा हुआ था.
बीच-बीच में हम दोनों इधर-उधर की बातें कर रहे थे. हमें लेटे हुए काफी टाइम हो जाने के बाद चाचा का लड़का यानि कि मेरा भाई भी सोने लगा. उसने मुझसे गुड नाइट बोल दिया.

मगर उस सेक्सी भैया के साथ मुझे कहाँ नींद आने वाली थी. कुछ देर के बाद जब मुझे लगा कि वो सो चुका है तो मैंने अपनी हरकतें शुरू कर दीं. मैंने धीरे से उसकी छाती पर हाथ रख दिया. मैंने अपनी एक टांग को उठा कर उसकी टांग पर इस तरह रख दिया कि मेरा घुटना मुड़ कर उसके लंड के ऊपर जाकर टच हो गया.

मैं यह सब इस तरह से कर रहा था कि उसको ऐसा लगे जैसे मैं ये सब नींद में कर रहा हूँ. मैं इस बात का पूरा ख्याल रख रहा था कि उसको मेरी हरकतों पर शक न हो. अगर जरा सी भी चूक हो जाती तो बात बिगड़ सकती थी.

कुछ देर इसी अवस्था में रहने के बाद मैंने अपना हाथ उसकी छाती पर फेरना शुरू कर दिया. शायद उसको अहसास हो गया था कि मेरा हाथ उसकी छाती पर चल रहा है. उसने मेरे हाथ को अपने हाथ से पकड़ कर साइड में हटा दिया.

मगर मैं कहाँ हार मानने वाला था. कुछ देर के बाद मैंने फिर से अपना हाथ उसकी छाती पर रख दिया. उसकी छाती को अपने हाथ से सहलाने लगा. कुछ देर उसकी छाती को सहलाने के बाद मैंने धीरे से अपना हाथ उसके पेट पर रख दिया. उसने मेरा हाथ अबकी बार नहीं हटाया. यह जानकर मेरी हिम्मत बढ़ गई. मैं धीरे-धीरे उसके पेट को भी सहलाने लगा.

जब कुछ पल बीत गए तो उसने खुद ही मेरा हाथ पकड़ा और नीचे ले जाकर अपनी पैंट के ऊपर से ही अपने लंड पर रखवा दिया. उसका लंड अभी सोया हुआ था. जब उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखा तो मैं थोड़ा सा घबरा गया, मैं उसके लंड पर हाथ रख कर ऐसे ही लेटा रहा.

जब मैंने कोई हरकत नहीं की तो कमल ने खुद ही मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर मेरे हाथ से दबाव बनाना शुरू कर दिया. उसका मन कर रहा था कि मैं उसके लंड को अपने हाथ में पकड़ लूँ. मुझे भी उसके लंड पर हाथ रख कर मजा आने लगा था. मैं तो चाहता ही यही था कि किसी तरह उसके लंड तक पहुंच पाऊं.

कुछ ही पल में उसके लंड में तनाव आना शुरू हो गया और उसका लंड पैंट में ही तन कर बिल्कुल टाइट हो गया. उसका लंड काफी मोटा था. उसका आकार मैं अपने हाथ में महसूस कर रहा था. अब मेरे अंदर की हवस भी बढ़ती जा रही थी.

जिस लंड को अपने हाथ में लेने के सपने मैं देख रहा था आज वह लंड मेरे हाथ में था. मगर अभी मैं ज्यादा जल्दी नहीं कर रहा था. मैंने उसके लंड को अपने हाथ से पकड़ लिया था.

कमल अचानक से उठा और रजाई से बाहर निकल गया. जब वो कुछ देर के बाद वापस रजाई में आया तो उसने पैंट निकाल दी थी. वह केवल अंडरवियर में था. जब उसने दोबारा से मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखा तो मुझे पता चला कि उसने पैंट निकाल दी है. उसका लौड़ा उसके अंडरवियर में तना हुआ था.

अब मैं भी कंट्रोल नहीं कर पा रहा था और मैंने उसके लंड को अपने हाथ में पकड़ कर हिलाना और सहलाना शुरू कर दिया. कुछ देर के बाद उसने रजाई के अंदर ही अपने अंडरवियर को निकाल दिया और उसका लंड नंगा होकर मेरे हाथ में आ गया. उसका लंड बिल्कुल गर्म हो चुका था. वह आजाद होकर मेरे हाथ में भर गया था. मैं रजाई के अंदर ही था इसलिए मैं उसके लंड को अभी तक देख नहीं पाया था.

मैंने उसके लंड को अपनी आंखों से देखने के लिए रजाई को थोड़ा सा साइड में से उठा दिया और कुछ रोशनी अंदर आने लगी. मैंने गर्दन उठा ली और नीचे की तरफ जाकर उसके लंड को देखने लगा. उसके लंड को देखते ही मेरे मुंह से लार टपकने लगी. उसके लंड का रंग हल्का सा काला था और वह काफी मोटा और बड़ा था. उसका लौड़ा तनकर बिल्कुल सीधा खड़ा था.

मैं नीचे की तरफ ही था कि उसने मेरी गर्दन को पकड़ा और अपना लंड मेरे मुंह में दे दिया. वह मेरे मुंह को चोदने लगा. सब कुछ बहुत जल्दी हो रहा था. उसने अपना लंड मेरे मुंह में देकर ऊपर नीचे चलाना शुरू कर दिया था. ऐसा लग रहा था कि जैसे वो मेरे मुंह को ही चोद रहा है.

कुछ देर मेरे मुंह को चोदने के बाद वो रुक गया. उसने अपने लंड को वापस बाहर निकाल दिया.
मेरे मन में यह बात खटकी. अचानक इसको क्या हो गया कि इसने इतने जोश में खड़ा हुआ लंड मुंह से वापस बाहर निकाल दिया. फिर मैंने ध्यान दिया.

उसका लंड मुंह में लेकर मैं अपनी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं कर रहा था. मुझे लगा कि शायद वो नाराज हो गया है इसलिए उसने अपना लंड मेरे मुंह से बाहर निकाल लिया है.
यह सोचकर कि इस मौके को अब मैं हाथ से नहीं जाने दूंगा, अचानक से मैंने उसका लंड दोबारा अपने हाथ में पकड़ा और पूरे मन के साथ उसके लंड को मुंह में लेकर चूसने लगा. मैं उसके लंड के टोपे को भी चाट रहा था. मेरे मुंह में उसके पेशाब की हल्की सी खुशबू भी आ रही थी.

उसके लंड का स्वाद थोड़ा नमकीन था मगर मुझे मजा आ रहा था. लगभग पंद्रह मिनट तक उसका लंड चूसने के बाद उसने मुझे गर्दन से पकड़ लिया. वह मेरे मुंह को अपने लंड पर दबाने लगा. वह जोर-जोर से अपने लंड पर मेरे मुंह के धक्के लगा रहा था. वह पूरी ताकत से अपना लंड मेरे मुंह में घुसाने लगा.

कुछ ही देर में मेरा मुंह दुखने लगा था. उसका लंड पूरा का पूरा मेरे गले में जाकर लग जाता था.
पांच मिनट की इस जबरदस्त चुसाई के बाद उसका शरीर अकड़ने सा लगा. मैं समझ गया कि कमल अब अपना वीर्य छोड़ने वाला है. इससे पहले कि मैं कुछ और समझ पाता उसके लंड ने मेरे मुंह में वीर्य की पिचकारी मारनी शुरू कर दी.

जब उसका वीर्य मेरे मुंह में गिरने लगा तो मैंने लंड को बाहर निकालने की सोची मगर उसने मेरी गर्दन को पकड़ रखा था और दूसरे हाथ से मेरे सिर को भी अपने लंड पर पूरी ताकत के साथ दबा दिया था. उसका वीर्य कई झटकों में पूरा का पूरा मेरे मुंह में ही खाली हो गया.

उसके वीर्य के स्वाद से मुझे अजीब सी घिन्न आ रही थी क्योंकि मैंने आज से पहले किसी का वीर्य नहीं पीया था. मैं उसके लंड को अपने मुंह से बाहर निकालने की दोबारा कोशिश करने लगा. मगर उसने मेरे सिर को पकड़े रखा. उसकी सांसें काफी तेज चल रही थीं और मेरी सांसें भी काफी तेज चल रही थी. कुछ देर में हम दोनों सामान्य हो गये.
वीर्य निकलने के बाद भी उसने अपना लंड मेरे मुंह से नहीं निकाला. मुझे जबरन उसका वीर्य अपने गले में अंदर ही उतारना पड़ा. मैंने पहली बार किसी लड़के का वीर्य पीया था. मुझे यह सब गंदा सा लगा. मगर साथ ही इस बात की खुशी भी थी कि मैं कमल के लंड तक पहुंचने में कामयाब हो गया था.

धीरे-धीरे उसका लंड मेरे मुंह में ही सिकुड़ने लगा. उसका लंड बिल्कुल ढीला पड़ गया था. मगर अभी भी उसने मेरे मुंह से अपने लंड को बाहर नहीं निकाला था. उसका लंड सिकुड़ कर छोटा सा हो गया था.
जब मैंने देखा कि अभी उसका मन नहीं कर रहा है कि मैं उसके लंड को अपने मुंह से बाहर निकालूँ तो मैंने उसके सिकुड़े हुए लंड पर फिर से जीभ चलाना शुरू कर दिया. मैं अभी भी उसके लंड को मुंह में लेकर चूस रहा था. दस मिनट के बाद उसने मेरे मुंह से अपना लंड बाहर निकाला. उसने अपना अंडरवियर पहन लिया. उसके बाद वो बिस्तर उठ कर बाथरूम में चला गया. शायद उसको पेशाब लगा था.

उसके जाने के बाद मैं सोचने लगा कि कहीं यह घर में सबको बता तो नहीं देगा कि मैं गांडू हूँ? इतनी ही देर में कमल वापस आ गया. वह रजाई में घुसकर लेट गया और सो गया. न उसने कुछ कहा और न मैंने कुछ बोला. मगर मुझे अभी भी नींद नहीं आ रही थी.

मैंने फोन में टाइम देखा तो रात के एक बज चुके थे. मैं धीरे से रजाई से बाहर निकला और चाचा के घर के अंदर बनी सीढ़ियों से ऊपर छत पर चला गया. मेरे चाचा की छत हमारी छत से मिली हुई थी. मैं अपनी छत पर कूद गया और अपने घर चला गया. नीचे सब सो रहे थे. मैं भी चुपके से अपने कमरे में आकर सो गया.

मगर अभी भी मुझे नींद नहीं आ रही थी. कमल के साथ हुई घटना बार-बार मेरे मन में घूम रही थी. मेरा मन में सेक्स चढ़ने लगा था. मैंने कमल के लंड के बारे में सोच कर अपनी लुल्ली को सहलाना शुरू कर दिया. उसके लंड को चूसने के बारे में सोचते हुए मैंने अपने छोटे से लंड की मुट्ठ मारी और अपना पानी अंडरवियर में ही निकाल दिया. मैं शांत हो गया. उसके बाद मुझे नींद आ गयी.
मुझे बहुत खुशी हो रही थी कि मैंने कमल के लंड को चूस लिया है. मगर साथ ही यह डर भी था कि कहीं किसी को पता न लग जाये. मगर कुछ भी हो, अपने भाई का लंड चूस कर सच में मजा आ गया मुझे.

उसके बाद कई दिन तक मैं अपने चाचा के घर पर नहीं गया. मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि पता नहीं कमल मेरे बारे में क्या सोच रहा होगा. मुझे इस बात का डर भी सता रहा था कि कहीं उसने मेरे बारे में अपने घर वालों को बता न दिया हो. मगर अब जो होना था वो तो हो चुका था.

मुझे दूसरी तरफ यह भी विश्वास था कि वह शायद अपने घर वालों के सामने इस तरह कोई बात नहीं बतायेगा. कुछ दिन के बाद मैं दोबारा से अपने चाचा के घर गया. उस दिन भी कमल घर में नहीं था. मगर चाचा और चाची की बातों से मुझे नहीं लगा कि कमल ने उनको मेरे बारे में कुछ बताया है.
मेरे मन को थोड़ी शांति मिली. मैं खुशी-खुशी घर वापस आ गया और अपनी सफलता पर फूला नहीं समा रहा था.

अगली कहानियों में मैं आपको बताऊंगा कि कैसे मेरी गांड चुदाई की शुरूआत हुई. मैंने कैसे अपनी गांड मरवानी शुरू की.
अगर इस कहानी में कोई गलती हो गई हो तो मुझे माफ करना. धन्यवाद.
आपका हर्षित गांडू.
लेखक का इमेल नहीं दिया जा रहा है.

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