गोरे लड़के ने गांड मरवाई

(Gore Ladke Ne Gand Marvayi)

डीके की और मेरी दोस्ती हाल ही में बनी थी. हम कभी मिले नहीं थे, पर अक्सर चैट किया करते थे. एक दिन यूं ही चैट करते करते मैंने डीके से कहा कि मुझे सफेद रंग के लोग (यूरोप वासी जैसा रंग) बड़े अच्छे लगते हैं. वैसे तो मैं कुछ ऐसी वैसी हरकत करता नहीं हूँ, पर दूध की तरह सफेद स्किन देखता हूँ तो मन में कुछ कुछ होता है.

उस दिन तो बात आयी गयी हो गयी, पर कुछ दिनों बाद डीके ने मुझे बताया के उसने एक बिल्कुल ही सफ़ेद चमड़ी के लौंडे के साथ सेक्स किया है.

“हाय काश मैं भी वहाँ होता..” मैसेज भेजा.
“होते तो क्या करते?” डीके ने पूछा.
“आँख भर कर उसे देख लेता..” मैंने मजाक में लिखा.
“सिर्फ देखते? कुछ करते नहीं?” डीके ने मजाक में पूछा.
“करता ना..” मैंने लिखा.
“क्या करते?” डीके ने पूछा.
“तुम दोनों को सब कुछ करते हुए देखता.” मैंने लिखा.
डीके हंसा और फिर बातचीत खत्म हो गयी.

कुछ दिनों बाद डीके का फिर मैसेज आया, हमारी बातचीत के बारे में डीके ने उस सफेद लड़के को बताया था. उस लड़के को यह बात बड़ी कौतूहल भरी लगी थी. यूं भी लोग सेक्स में अलग अलग एक्सपेरिमेंट्स करने को उत्सुक रहते हैं. वो लड़का मेरी मौजूदगी में सेक्स करने को तैयार हो गया था.

मैं तुरंत तैयार तो नहीं हुआ, पर दो चार बार के वार्तालाप के बाद में उस लड़के को बस एक नजर देखने को तैयार हो गया.

तय दिन और तय वक्त पर मैं डीके के बताये हुए पते पर चला गया. लड़के ने अपने घर पर हमें बुलाया था. डीके वहाँ पहले से मौजूद था. मेरे जाते ही दोनों ने मेरा गर्म जोशी से स्वागत किया.

लड़के का नाम जॉन था. वो हमारी ही कदकाठी का था, पर बहुत ज्यादा सफेद रंग का था, बिल्कुल दूध जैसा सफेद. डीके को भी मैं पहली बार आमने सामने मिल रहा था. उसकी पर्सनालिटी भी काफी अच्छी लग रही थी.

वे दोनों भी लगभग मेरी उम्र के आधे उम्र के नौजवान थे. इसलिये हम तीनों में पहले पहले कुछ हिचकिचाहट रही. पर बाद में जैसे जैसे गपशप होने लगी, कहानियों का, पॉर्न का और सेक्स का जिक्र होता गया, माहौल अपने आप बनता गया. बावजूद इसके मेरी उम्र और कामकाज को ध्यान में रखते हुए, जॉन मुझे सर कहकर ही संबोधित करने लगा. डीके से काफी दिन से बात हो रही थी पर उसने मुझे संबोधन करने के लिये ज्यादातर आप शब्द का ही प्रयोग किया था. उस वक्त भी वह आप आप ही किए जा रहा था.

मैं वहाँ रात में गया था, इसलिये खाना-वाना खाकर हम सोफे पर बैठ गए.
“कुछ शुरू करें? जॉन ने पूछा.
“हाँ चलो..”

यह कहते हुए डीके तैयार हो गया, पर मेरी मौजूदगी में वह थोड़ा हिचकिचा रहा था. दरअसल हम लोग भले ही खुलकर सेक्स पर चर्चा करते थे, पर एक दूसरे का आदर भी उतनी ही करते थे. उसकी हिचकिचाहट देखकर मैंने वहाँ से निकलना मुनासिब समझा. पर जॉन ने मुझे रोक लिया. जॉन चाहता था कि मेरी मौजूदगी में वो सेक्स करे.

“सर आपसे एक रिक्वेस्ट है.” जॉन बोला.
“बोलो..” मैंने बोला.
“आप भले ही सेक्स में इनव्हॉल्व मत होना.. पर इस खेल का हिस्सा बनोगे तो अच्छा होगा.” जॉन बोला.
“कैसे?” मैंने आश्चर्य से पूछा.
“जैसे कोई पॉर्न फिल्म मेकर लाँग शॉट, क्लोजअप लेने के लिये अलग अलग पोजीशन्स लेता है. आप भी वैसी पोजीशन्स में आ जाईये. इससे एक अलग ही माहौल बनेगा.”
“पर मेरे यहाँ रहने से डीके शरमायेगा.” मैंने कहा.
“ओह सर.. डोंट यू वरी.. मैं उसकी भी और आपकी भी शर्म निकाल भगाऊँगा.” ये कहते हुए जॉन ने डीके को किस करना शुरू किया.

डीके अब भी थोड़ा हिचकिचा रहा था. उसकी हिचकिचाहट देखकर जॉन उसे मेरे पास ले आया, मेरी जांघों पर उसे लिटा कर उसको किस करने लगा.
“सर आप मेरे और डीके के बाल सहलाइये. ऐसा करने से माहौल थोड़ा दोस्ताना हो जाएगा.” जॉन ने मुझसे कहा.

उसके कहे मुताबिक मैं दोनों के बाल सहलाने लगा. उसकी बात सही निकली डीके थोड़ा सहज हो गया. पर दिक्कत मेरी बढ़ गयी. मेरा लंड खड़ा होकर गीला होने लगा.
मैंने कहाँ- अब यार मैं निकलता हूँ.
“क्यों सर? अच्छा नहीं लगा?” जॉन ने पूछा.
“नहीं ऐसी बात नहीं.. पर ऐसे ही सब कुछ होता रहा तो बिना कुछ किए ही मेरा पानी निकल जाएगा. सारे कपड़े खराब हो जाएंगे. घर जाने के वांदे हो जाएंगे.” मैंने हिचकिचाते हुए हकीकत बता दी.
“आप कपड़े निकाल दीजिये ना सर..!” जॉन बोला.
“नहीं मुझे शर्म आती हैं, मैं बिना कपड़ों के कभी रहता नहीं हूँ.” मैंने बताया.
“बेडरूम में चलो, वहाँ घुप अंधेरा है. ना आपका बदन दिखेगा, ना आपको शर्म आएगी.” जॉन ने सजेस्ट किया.

मैं भी किस्मत से मिले इस मौके को गंवाना नहीं चाहता था. हामी भरते हुए और डीके का मनोमन शुक्रिया अदा करते हुए मैं उन दोनों के पीछे पीछे बेडरूम में चला गया.

चाँदनी की हल्की सी रोशनी में हमारे बदन किसी छाया की तरह दिख रहे थे.. पर जॉन चूंकि सफेद रंग का था.. इसलिए उस चांदनी में भी चमक रहा था.

जॉन ने मुझे बेड पर लिटाया, उसने ही मेरी पेंट शर्ट निकाली. फिर डीके और खुद के कपड़े निकाल कर मेरे सीने पर बिल्कुल मेरे मुँह के सामने डीके का मुँह रखा और उसे चूमने लगा. मेरे एक हाथ को लेकर अपनी पीठ पर रखा और दूसरे को डीके की पीठ पर रखा. जैसे जैसे उनकी किसिंग बढ़ती गयी, मैं अपने हाथों से दोनों को सहलाने लगा.

एक अजब सा सुकून, एक अजब सी फीलिंग थी वो. जिन चीजों को सिर्फ पॉर्न फिल्मों में होते हुए देखा था, आज वो चीजें मेरे सामने, मेरे बदन पर हो रही थीं. पूरी तरह से भले ना हो, पर आंशिक रूप से मैं खुद भी इस खेल का हिस्सा बन चुका था.

एक बार तो यूं लगा कि कहीं जॉन का यह सेंसेटिव सिडक्शन तो नहीं? पर ऐसा नहीं था. जो कुछ हो रहा था, एक रियलिटी पर बेस था.

उन दोनों की किसिंग अब इतनी चरम सीमा पर पहुँच गयी थी कि बार बार दोनों के गाल मेरे होंठों को अनायास ही छू रहे थे. एक तरह से ऐसा लग रहा था, जैसे वे दोनों बारी बारी मुझे अपने गाल की पप्पी दे रहे हों. मेरी हालत खस्ता होती जा रही थी. उनके बीच में हो रहे सेक्स का हिस्सा ना होते हुए भी मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे मैं खुद भी उसमें शामिल हूँ.

कुछ देर यह किसिंग का दौर यूं ही चलता रहा. थोड़ी देर बाद वे दोनों उठ गए.

“सर मैं आपसे एक फेवर चाहता हूँ.” जॉन ने मुझसे कहा.
“मेरे साथ सेक्स मत करना प्लीज.” मैंने कहा.
“अरे नहीं नहीं सर.. मैं बस चाहता था कि जैसे पॉर्न में थ्रीसम के वक्त तीसरा पार्टनर बिना सेक्स किए सपोर्ट करता है, वैसे आप भी सपोर्ट कीजिये न.” जॉन ने अपनी बात रखी.
“पर पॉर्न में तो तीसरा पार्टनर लंड चूसता हैं या चुत चूसता है. मैं वैसा कुछ नहीं कर सकता.” मना करते हुए मैंने कहा.
“कोई बात नहीं, बस एक इजाजत दीजिए. मैं आपके ऊपर सो जाऊं और डीके मेरे ऊपर आ जाए.” जॉन ने नया प्रपोजल रखा.
“इससे तो तुम दोनों का माल मेरे ऊपर गिर जाएगा. मेरी अंडरवियर खराब हो जाएगी.” मैंने कहा.
“अंडरवियर तो अब आप निकाल ही दीजिए.” ये कहते हुए जॉन ने बिना मेरी इजाजत के मेरी अंडरवियर निकाल दी.

मुझे अजीब तो बहुत लग रहा था, पर अब मजा भी आ रहा था.

“अरे सर आपका तो छोटा है.” जॉन ने मेरे लंड को सहलाते हुए कहा.
“हाँ तो मुझे कौन सा म्यूजियम में रखना है.. और आपको मेरे साथ नहीं डीके के साथ सेक्स करना है.” मैंने कहा.
“मेरी हमेशा से ख्वाहिश थी कि किसी कमसिन लौंडे के साथ मैं सेक्स करूँ. आपका लंड भी किसी कमसिन लौंडे जैसा ही है.” ये कहकर उसने मेरा और अपना लंड एक दूसरे से सटा लिया.

अपने एक हाथ की मुठ्ठी में हम दोनों का लंड पकड़ कर दूसरे हाथ से वो पास खड़े डीके का लंड हिला रहा था. कुछ देर डीके का लंड सहलाने के बाद वो मेरे ऊपर लेट गया.

उसका लंड मेरे लंड के ऊपर था, चेहरा मेरे चेहरे पर रखते हुए उसने अपने हाथ मेरी गर्दन के पीछे डालकर मुझे जकड़ लिया था. मैंने भी अपने दोनों हाथ उसकी पीठ पे रख दिए थे.

आगे का काम डीके ने किया था. अपने लंड को उसने जॉन की गांड में उतार दिया था. जैसे जैसे लंड जॉन की गांड में उतरता गया, जॉन मुझे और ज्यादा कसता गया.
डीके ऊपर से धक्के मारने लगा. उसके हर धक्के के साथ जॉन का लंड मेरे लंड पर घर्षण कर रहा था. हर धक्के के साथ जॉन मचलता. कभी मेरे चेहरे के दाहिनी तरफ.. तो कभी बाईं तरफ अपना चेहरा रगड़ता और कानों के पास मस्ती भरे शब्द फुसफुसाता “आह.. उह्ह.. उम्म..”

लंड पर लंड की घर्षण, चेहरे पर चेहरे की घर्षण होने से मैं उत्तेजित हो गया. जैसे जैसे डीके के धक्के बढ़ते गए, मेरे और जॉन के बीच का घर्षण भी बढ़ता गया. मैंने जोश में आकर जॉन को और ज्यादा कस लिया. उसके चेहरे को अपने चेहरे पर दबाकर मैंने उसके मुलायम सफेद गालों का लुत्फ़ उठाना चाहा.

जॉन समझ गया था कि मैं अपना आपा खो चुका हूँ. उसने अपने गुलाबी होंठों से मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया. मैं भी अब उसका साथ देने लगा था. डीके भी बीच में चुदाई छोड़ के हम दोनों के बीच अपना मुँह डाल के ट्रिपल किसिंग का मजा लेता, फिर पीछे जाके चुदाई करने लगता.

हम तीनों के मुँह से सेक्स की उत्तेजना से भरी अजीब अजीब आवाजें निकल रही थीं. हम तीनों ही पागलों की तरह बड़बड़ा रहे थे.

डीके अब जोर जोर से जॉन की गांड में धक्के मार रहा था. ऐसा लग रहा था, जैसे उसका पानी निकलने वाला है. उसके जोरों के धक्कों के बीच ही नीचे से मेरा पानी छूट गया. मेरे पीछे पीछे जॉन भी झड़ गया.
हमारी जांघें चिपचिपी हो गईं, जिसके कारण डीके के हर धक्के के साथ चपक चपक पचक पचक की आवाजें आने लगीं. कुछ ही पलों में उसने भी अपना पानी जॉन की गांड में छोड़ दिया.

थोड़ी देर शांत रहने के बाद डीके ने अपना लंड बाहर खींच लिया. जॉन जो मेरे ऊपर पेट के बल लेटा था, अब पलटी मार के पीठ के बल सो गया. उसकी गीली गांड अब मेरे गीले लंड पर आ बसी थी. डीके को अपनी ओर खींच कर उसने अपने ऊपर पेट के बल लिटा दिया और उसे चूमने लगा. फिर मेरे दोनों हाथों को ऊपर लेकर उसने डीके की गांड पर रखा.

डीके से इस कदर फिजिकल टच होने का मेरा यह पहला मौका था. मैं आहिस्ते आहिस्ते डीके की गांड को सहलाने लगा. शायद डीके और मेरे साफ सुथरे रिश्ते की जिस्मानी रिश्ते में बदलने की यह शुरूआत थी. मेरे द्वारा गांड सहलाये जाने पर डीके भी थोड़ा सहज हुआ और अब वो जॉन के साथ साथ मुझे भी किस करने लगा.
हम तीनों अब पूरी तरह से खुल गए थे.

धीरे धीरे लंड में फिर से कठोरता आने लगी. लंड फिर से तनकर खड़े हो गए.
“सर इस बार आप भी चुदाई करना.” ये कहते हुए जॉन उठ गया और डॉगी स्टाईल में झुक गया.

डीके चोदने को तैयार हो गया तो जॉन ने कहा- सिर्फ एक बार अन्दर डालकर बाहर निकाल ले. एक बार तू डाल, एक बार सर डालेंगे. इस तरह एक एक बार दोनों डालना.

उसके कहे मुताबिक हम दोनों एक एक बार उसकी गांड में लंड डाल के निकाल रहे थे. उसे कैसा फील हो रहा था, पता नहीं.. पर यकीनन मजा आता होगा क्योंकि हर बार लंड बदली होने पर उसके मुँह से मजेदार सीत्कार निकल रही थी.
कभी छोटा लंड कभी मोटा लंड.. मतलब उसको चटपटा चाट जैसा कुछ लगा होगा. काफी देर यह क्रिया चलती रही.

कुछ देर बाद हम बारी का इंतजार करने की बजाए अलग हो गए. जॉन को पीठ के बल लिटाया. डीके ने उसकी टांगें उठाकर गांड में लंड डाला और मैंने होंठ फैलाकर उसके मुँह में लंड डाला.

जैसे सफेद रंग के लड़के या लड़की को नंगा देखने की ख्वाईश थी मेरी, वैसे ही माऊथ सेक्स की भी चाहत थी. इतने सालों से अपनी इन चाहतों को मैंने अपने मन में दबाये रखा था. आज डीके और जॉन की बदौलत मेरी यह दोनों इच्छाएं एक ही वक्त पर पूरी हो रही थीं, वो भी बड़े मजेदार तरीके से.

अपने लंड को एक लौंडे से चुसवा कर मैं बेहद खुश था. उस खुशी को शब्दों में बयान करना ना मुमकिन है.

चूंकि हमारा यह सेकंड राऊंड था, काफी देर तक हमारे लंड अपना कमाल दिखाते रहे. लेकिन झड़ना तो तब भी था. डीके ने फिर अपना पानी जॉन की गांड में छोड़ा. मैंने भी अपना पानी जॉन के मुँह में छोड़ा.

थोड़ी देर बाद हम फ्रेश होकर सो गए.
मैं बीच में था. मेरे एक तरफ जॉन था तो दूसरी तरफ डीके था. उन दोनों ने अपने हाथ और पैर मेरे बदन पर डाल रखे थे. मैंने भी अपने दोनों हाथ उनकी गर्दन के पीछे से आगे लेकर उनके सीने पर रख रखे थे.

पड़े पड़े मैं हौले हौले उन दोनों के निप्पल सहला रहा था. वे दोनों, दोनों तरफ से हल्के हल्के मेरे गालों को किस कर रहे थे.

यह इमोशनल अटैचमेंट था. हम फिर तीसरे राऊंड की तरफ अपने आप को ले जा रहे थे.

इस सेक्स कहानी के बारे में कुछ लिखा जाना जरूरी समझता हूँ.
मन में उमड़ते जज्बात, घुटन और सेक्स की पूरी ना कर सकने वाली चाहत का नतीजा होती हैं कहानियाँ. हमारे सामाजिक और पारिवारिक जीवन को ठेस पहुँचाए बिना खुद को तृप्त करने का जरिया मात्र होती हैं कहानियाँ. इनसे हमें शारीरिक संतुष्टि तो नहीं मिल पाती, पर कुछ हद तक मानसिक संतुष्टि अवश्य मिलती है.

पाठकों को यह बता देना मेरा फर्ज समझता हूँ कि मेरी सारी कहानियाँ काल्पनिक होती हैं. अपने निजी जीवन को लोगों पर जाहिर करना, वैसे भी अपने सेक्स पार्टनर की इज्जत उछालने जैसा है. मैं मानता हूँ कि औरों को भी ऐसे काम नहीं करने चाहिये, ना ही मुझसे अपनी पर्सनल सेक्सलाईफ को जानने की कोशिश करनी चाहिये.

छिछोरे लोग बेहूदा मैसेज करके मेरा और अपना वक्त बरबाद ना करें. आप अपने अच्छे सुझाव जरूर भेजें.
प्लीज़ मेल करते वक्त असभ्य भाषा का प्रयोग ना करें. आप किस कहानी के बारे में बात कर रहे हैं, यह भी लिखें. अगर आप किसी विशेष घटना या स्टोरी टाईटल का जिक्र नहीं करते हैं तो ये समझ पाना मुश्किल होता है कि आप मेरी किस कहानी को लेकर बात कर रहे हैं.

आपका रविराज मुंबई
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top