प्रणव की दास्तान

sachin_haryana2000 2012-01-16 Comments

प्रेषक : सचिन शर्मा

यह मेरे दो दोस्तों की कहानी है, कहानी है 8 मार्च की, होली की, जो होली प्रणव को कभी भी नहीं भूलेगी।

प्रणव एक 22 साल का साधारण सा लड़का है पर वो औरों से थोड़ा अलग था क्योंकि उसे लड़कियाँ नहीं लड़के अच्छे लगते थे। प्रणव का रंग गेहूँआ, कद 5.7″ इंच, गठीला शरीर था। वो अपने दोस्तों में बिल्कुल सामान्य बर्ताव करता था अन्य सभी लड़कों की तरह !

पर उस दिन वो बहुत बेचैनी महसूस कर रहा था, एक तो होली का दिन, फिर पानी में गीला होना और जिधर देखो उधर ही स्मार्ट स्मार्ट लड़के बनियान टीशर्ट्स निक्कर में घूम रहे थे।

उसके दोस्त भी ऐसे ही थे, उसे वो भी बहुत सेक्सी लग रहे थे फिर एक दूसरे को पकड़ना इधर उधर हाथ लगाना, कभी किसी की बाहों में गुलाल लगाना तो किसी की गर्दन मसलना ! प्रणव भी ये सब कर रहा था और उसके साथ भी यह सब हो रहा था। इस कारण वो बहुत उत्तेजित हो गया था।

तभी उसका दोस्त सन्नी उसके घर होली खेलने आया, सन्नी के कुछ दोस्त भी आए थे, उसके साथ सबने खूब होली खेली और फिर सबने तय किया कि सब उनके दूसरे दोस्त आदित्य के घर चलते हैं।

और सब लड़के लोग अपनी बाइक और स्कूटर्स पर बैठ गये और प्रणव भी सन्नी के दोस्त अंकित के स्कूटर पर बैठ गया। अंकित सन्नी का बहुत अच्छा दोस्त था इसलिए प्रणव भी उसको जानता था और शायद थोड़ा पसंद भी करता था। उस दिन भी वो उसे होली खेलते हुए देख रहा था।

अंकित 5’9″ का लड़का था, रंग साफ, फीचर्स शार्प, बड़ी बड़ी भूरी आँखे, भूरे घुंघराले बाल, गुलाबी होंठ, चौड़ा शरीर जिम बिल्ट था, छाती पर थोड़े बाल थे, जांघें भरी भरी, मतलब कुल मिला कर 100 में से 100 अंक !

अंकित ने डेनिम की टाइट सी बिना बाजू की शर्ट पहनी थी और स्लेटी रंग की जीन्स पहन रखी थी। शर्ट के दो बटन खुले थे ऊपर से जिससे उसकी छाती के थोड़े से बाल दिख रहे थे और चेहरे पर एक दिन की शेव थी, बाल भी बिल्कुल रफ और बिखरे हुए थे।

प्रणव ने सफ़ेद कुर्ता और नीली कोटराई की ट्राउज़र पहनी थी, कुर्ता भीगने के बाद उसकी छाती से चिपक गया था और उसकी पूरी छाती दिख रही थी।

सफ़ेद रंग का कुर्ता अब रंगबिरंगा हो गया था। अंकित और प्रणव एक दूसरे को जानते तो बहुत दिनों से थे और थोड़ी बहुत दोस्ती भी थी। जब प्रणव और अंकित स्कूटर पर जैसे ही निकले तो अंकित की आँख में कुछ चला गया तो उसने दो मिनट के लिए स्कूटर रोका और प्रणव को कहा- दोस्त, एक काम करेगा? मेरे हाथों पर तो रंग लगा हुआ है पर तेरे हाथ बिल्कुल साफ हैं, मेरी आँख में कुछ चला गया है, ज़रा मेरी आँख साफ कर दे !

तो प्रणव ने उसकी आँख साफ करने के लिए हाथ आगे किया और अंकित ने सिर झुकाया और वो शायद पहली बार उसके इतना करीब हुआ, उन दोनों की साँसें आपस में टकराई और प्रणव ने उसकी आँख साफ करते हुए उसकी सांसों की खुशबू सूँघी, इतने में ऊपर वालों ने एक बाल्टी पानी की और डाल दी उन दोनों पर और वो पूरी तरह से गीले हो गये, समझ लो कि एक तरह से चिपक से गए थे। प्रणव एकदम हटा और थोड़ा आगे चला गया, उस बेचारे की तो हालत खराब थी क्यूँकि वो अपने दोस्त की तरफ बहुत ज़्यादा आकर्षित हो रहा था पर वो कुछ कर भी नहीं सकता था, बस अपने आप को कंट्रोल करने और कोसने के अलावा।

फिर उन दोनों ने स्कूटर उठाया और निकल पड़े।

रास्ते में उनको सारे दोस्त भी मिल गये, वो उनके लिए थोड़ा आगे जाकर रुक गये थे। फिर होली वाले दिन तो सभी मस्ती में होते हैं, ऐसा ही लड़का अनुज जो सन्नी के पीछे बैठा हुआ था, सन्नी की शर्ट को बार बार ऊपर कर रहा था।

प्रणव ने भी जब यह खेल देखा तो उसने भी अंकित की डेनिम की शर्ट को ऊपर करना शुरू कर दिया तो अंकित ने कहा- साले पंगे मत ले नहीं तो !

तो प्रणव ने कहा- नहीं तो क्या?

तो अंकित ने कहा- अभी बताता हूँ !

और उसने स्कूटर का फुल स्पीड पर कर दिया तो प्रणव की फट गई, वो चीखने लगा- यार मरवाएगा क्या?

फिर इतनी देर में आदित्य का घर आ गया और उसने इतनी ज़ोर से ब्रेक मारी कि प्रणव अंकित से टकरा गया और फिर वही कमबख्त आकर्षण ! मतलब प्रणव अपने को काफ़ी असहज महसूस करने लगा।

आदित्य के घर पर अंकित ने कहा- साले, स्कूटर पे मेरी शर्ट से मज़े ले रहा था? अब देख !

और उसने सन्नी को बोला- ज़रा पकड़ इसे !

सन्नी ने प्रणव को पकड़ा और अंकित ने उसका कुर्ता ऊपर किया और सारी कमर और छाती में अच्छे से रंग मसल डाला। फिर यही सब उन दोनों ने अनुज के साथ भी किया।

फिर अनुज और प्रणव भी कहा पीछे रहने वालों में से थे, उन्होंने पहले सन्नी की छाती पर नीला रंग रगड़ा और फिर अनुज ने अंकित को पकड़ लिया और उसकी शर्ट ऊपर करके प्रणव ने उसकी छाती पर गोल्डन रंग पोत दिया और कमर पर सिल्वर !

ये सब करते हुए प्रणव को बहुत मज़ा आ रहा था, वो तो साला रंग पर रंग लगाए जा रहा था तो अंकित ने कहा- अब छोड़ भी दे, नहीं तो उतरने में बहुत दिक्कत करेगा।

पर इन सबके बाद तो प्रणव का तो पूरी तरह खंबा बन चुका था।

फिर आदित्य ने अपनी कार की डिक्क़ी में से बीयर की बॉटल्स निकाली।

सबने कहा- ये क्या है?

तो उसने कहा- ऐसे ही होली के लिए पहले से ही स्टॉक ले रखा था।

फिर वहाँ पर सब ने दो दो बॉटल्स पेली और फिर एक आखरी बॉटल बची थी और पीने वाले आठ तो सबने एक एक घूंट पी।

तभी प्रणव का सेल बजा, उसने फोन उठाया तो उसकी मम्मी ने कहा- बेटा, अभी घर आ जा, हमको तुम्हारे मामाजी के जाना है होली मिलन के लिए, उनके दो फोन आ चुके हैं।

तो प्रणव ने कहा- अभी आता हूँ।

प्रणव ने पूछा- मुझे कौन छोड़ कर आ रहा है?

उसके दोस्त सन्नी ने कहा- मुझे तो अनुज को ड्रॉप करना है और फिर घर पर भी कुछ काम है।

तब अंकित ने कहा- चल कोई प्रोब्लम नहीं है, मैं प्रणव को ड्रॉप कर दूँगा।

और फिर वो सब वहाँ से निकल पड़े और अपने रास्ते हो लिए। प्रणव अंकित की तरफ काफ़ी आकर्षित पहले से ही था, अब तो उसे दारू भी चढ़ गई तो वो अंकित से स्कूटर पर पूरे मज़े ले रहा था और पर वो अपनी हद से बाहर नहीं जा रहा था।

और दोस्तो में तो ऐसे मज़े चलते ही हैं, यग सोच कर वो अंकित से मज़े लिए जा रहा था, पर शायद उसे खुद को नहीं पता था कि आगे क्या होने वाला है।

जैसे ही प्रणव और अंकित घर पहुँचे तो अंकित के स्कूटर का टायर पंक्चर हो गया, उसने कहा- साला गाण्डू स्कूटर ! हमेशा अपनी और मेरी मरवाता है ! शिट यार ! आज तो स्टेपनी भी नहीं है।

तब प्रणव ने कहा- ऐसा करते हैं, हम सन्नी को कॉल करते हैं वो तुझे मेरे यहाँ से पिक करके ड्रॉप कर देगा या फिर तू एक घंटा यहीं रुक जा ! जैसे ही मेरे पेरेंट्स आ जाते हैं, वैसे ही मैं तुझे अपनी बाइक पर ड्रॉप कर दूँगा ! तू अपना स्कूटर कल आकर ले जाइयो।

तब उन्होंने सन्नी को फोन मिलाया पर किसी और ने फोन उठाया। अंकित ने कहा- ठीक है, में तेरे घर पे वेट करता हूँ !

वो दोनों बाल्कनी में बैठ गये। फिर दोनों ने टीवी देखने का मन बनाया दोनों को बुरी तरह से चढ़ी हुई थी, सही से चल भी नहीं पा रहे थे अब तो ! फिर वो दोनों ज़मीन पे बैठ गये जिससे सोफा न खराब हो रंग से !

प्रणव ने अपना कुरता भी उतार दिया था।

तब अंकित ने कहा- यार, मुझे यह शर्ट सूखने के बाद बड़ी बुरी तरह से काट रही है (मतलब चुभ रही है)

तो प्रणव ने झूमते हुए कहा- तो तू भी शर्ट उतार दे, क्या हुआ? कौन सा तू लड़की है !

तब अंकित ने अपनी शर्ट उतार दी, अब वो दोनों टॉपलेस बैठे हुए थे।

अंकित ने कहा- यार, तू तो बड़ा चिकना है। तेरी छाती पर तो एक भी बाल नहीं है।

प्रणव ने कहा- साले तेरी चेस्ट तो जैसे बालों की ख़ान है ना?

तब अंकित ने कहा- साले तेरे से तो बहुत ज़्यादा है !

और फिर अंकित ने प्रणव की खिंचाई करने के लिए कहा- मुझे तो लगता है तेरे लंड पे भी बाल नहीं हैं।

प्रणव- पूरा का पूरा जंगल है।

अंकित- मुझे तो शक़ है !

प्रणव- दिखाऊँ क्या?

अंकित- दम है दिखाने का?

प्रणव- मर्द हूँ !

अंकित- तो फिर शरमाता क्यूँ है?

प्रणव- एक शर्त है।

अंकित- क्या?

प्रणव- तू भी साथ दिखाएगा !

अंकित- मंजूर है।

दोनों में से किसी को भी नहीं पता था कि वो क्या करने जा रहे हैं, प्रणव गे था पर स्ट्रेट की तरह बिहेव करता था, शायद बियर, रंग, पानी और होली के नशे में सब कुछ भूल चुका था।

और अंकित जो स्ट्रेट था पर बियर, रंग पानी के नशे में उससे इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ रहा था।

प्रणव- साथ उतारेंगे !

अंकित- ठीक है।

प्रणव- रेडी, वन-टू और थ्री !

और प्रणव ने अपनी पैन्ट उतार दी, उसका 6 इंच का काला लंड जो अब खड़ा था, अंकित के सामने झूल गया और सही में उसके लंड के आसपास पूरा जंगल था।

और फिर अंकित ने भी जीन्स उतार दी, उसका भी 6 इंच का पर थोड़ा मोटा लंड था, वो भी उत्तेजना के कारण खड़ा था। फिर उनकी ट्राउज़र्स गीली थी तो उन्होंने उनको सूखने के लिए रख दिया और नहीं पहना, अंडरवीयर में बैठे रहे। पर उनके अंडरवीयर बिल्कुल गीले थे और फिर ऊपर से लंड भी खड़े थे तो बहुत ही टाइट हो गये थे।

अंकित- यार अंडरवीयर भी गीला है, इसको भी उतार दें क्या?

प्रणव- नहीं यार, कोई आ गया तो?

अंकित- तेरे घर पे अभी कोई नहीं आएँगे एक घंटे से पहले !

प्रणव- हाँ, वैसे भी एक दूसरे को नंगा देख ही लिया है, अब कोई शरम तो बची ही नहीं है।

फिर दोनों ने अंडरवीयर भी उतार दिया और एकदम नंगे बैठ गये, दोनों को पूरी चढ़ी हुई थी इसलिए कुछ भी पता नहीं चल रहा था। अब शुरू हुआ असली खेल, किसने किसका फ़ायदा उठाया या यह सब नॅचुरल था दोनों में से किसको पता नहीं चला।

प्रणव- यार एक बात पूछूँ?

अंकित- पूछ गाण्डू !

प्रणव- कुत्ते, गाण्डू होगा तू !

अंकित- अच्छा पूछ गाण्डू नहीं कमीने !

प्रणव- लंड चुसवाने में कैसा मज़ा आता है?

अंकित- यार दोस्त ने बताया था, बड़ा मज़ा आता है।

प्रणव- तूने कभी चुसवाया अपनी गर्लफ़्रेन्ड से?

अंकित- साले, वो भाभी है, तमीज़ से बात कर यार ! वैसे भी हम दोनों में आज तक फिज़िकल नहीं हुए है, शी इस सो स्वीट ! पर हम शादी से पहले कुछ भी नहीं करेंगे।

प्रणव- और शादी के बाद?

अंकित- नहीं यार, वो नहीं मानेगी इस चीज़ के लिए ! मुझे कभी भी लंड चुसवाने का मज़ा नहीं मिलेगा।

प्रणव- तू सही है यार !

अंकित- तू चूसेगा मेरा?

प्रणव- मै। होमो नहीं हूँ।

अंकित- तो मैं कौन सा होमो हूँ, ऐसे ही तजुर्बा कर ले !

प्रणव- एक शर्त पे !

अंकित- फिर शर्त?

प्रणव- तू मेरा चूसेगा !

अंकित- चल पहले तू चूस !

प्रणव की दिल की तमन्ना पूरी हो रही थी पर उसे खुद को शायद मालूम नहीं था कि वो क्या कर रहा है।

फिर प्रणव ने उसका लंड अपने मुँह में लिया और उसकी स्किन पीछे करी और पागलों की तरह चूसना शुरू कर दिया। अब तो अंकित ने सिसकारियाँ भरनी शुरू कर दी, वो कभी उसका लंड चूसता तो कभी बाल्स ! दोनों रंगे हुए थे, कहीं पर लाल कहीं पर गोल्डन !

अंकित- हाँ मेरी ईशा (अंकित की गर्लफ़्रेंड) चूस चूस !

प्रणव- चूस रहा हूँ साले, सब्र रख !

वो उससे तो सब्र रखने के लिए कह रह था पर खुद सब कुछ खो चुका था। अब वो लंड से ऊपर उठ कर उसकी छाती मसलने लगा। फ़िर उसकी गोल्डन छाती को चूमने लगा।

तब अंकित- साले, यह क्या कर रहा है?

प्रणव- यार तू अब मेरे को बिल्कुल श्रुति लग रहा है।

प्रणव के सारे दोस्तो को यह लगता था कि प्रणव श्रुति को पसंद करता है इसलिए प्रणव ने झूठ कह दिया।

अंकित- चल भाई मज़ा आ रहा है, कर !

प्रणव ने उसके निप्पल जो ब्राउन से गोल्डन कलर के हो गए थे, उनको चूमा और काटा, अब तो अंकित भी पूरी तरह बहक गया था और वो प्रणव से चिपक गया, दोनों एक दूसरे की बाहों में थे और एक दूसरे को चूमने लगे।

पहले प्रणव ने अंकित के होंठों को किस किया, फिर अंकित ने उसके होंठ चूमे और फिर एक दूसरे की जीभ काटने लगे। दो जवान रंगीन लड़के रंगीन काम कर रहे थे, कभी कोई कान काटता तो कभी को गले में बाइट करता, वो पूरी तरह एक दूसरे से मज़े ले रहे थे। प्रणव नई नई चीज़ें ट्राइ कर रहा था जो उसने ब्लू फिल्म में देखी थी।

वही सब चीज़ें अंकित भी कर रहा था। प्रणव अब अंकित के छाती के बालों को चाट रहा था और अंकित प्रणव के गले को।

फिर प्रणव ने कहा- अंकित, तू अब मेरा तो चूस !

अंकित ने भी नशे की हालत में मना नहीं किया और चूसना शुरू कर दिया और उसको पूरा लोलीपोप की तरह चाटने लगा और प्रणव उछल कर उससे चटवा रहा था।

अब अंकित ने भी उसकी छाती दबाई, निप्पल चूसे, पूरा कमरा उनकी सिसकारियों से गूँज रहा था और मज़े की बात यह है कि दोनों ही लड़कियों के नाम ले रहे थे, अंकित ईशा का तो प्रणव श्रुति का !

बस फर्क इतना था कि शायद अंकित सच्चा था और प्रणव झूठा !

फिर प्रणव ने अंकित का फिर से चूसा और अंकित झड़ने वाला था तो उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया और अपना सारा माल प्रणव के मुँह पर गिरा दिया। फिर उन्होंने एक दूसरे को फिर किस किया पर अंकित अब शायद नशे की हालत से बाहर आ गया था तो वो वॉश करने के लिए बाथरूम में चला गया।

इधर प्रणव के सर से भी नशा कम हो रहा था पर वो अभी तक झड़ा नहीं था, वो अपना लंड ज़ोर ज़ोर से मसलने लगा और फिर ज़ोर ज़ोर से मूठ मारी और अपना खाली करा दिया।

फिर प्रणव ने अपना घर साफ किया और खुद का मुँह धोया। बस अब एक बात थी दोनों लड़कों के सारे रंग मिल चुके थे और दोनों बिल्कुल एक रंग ले लग रहे थे, रेडिश गोल्डन !

फिर दोनों ने कपड़े पहने और टीवी देखने लगे और उनको भूख भी लगी थी तो उन्होंने कांजी पी, गुजिया और दही भल्ले खाए।

तभी दरवाजे पर घण्टी बजी और प्रणव के मम्मी-पापा भी आ गए, फिर प्रणव ने अंकित को ड्रॉप कर दिया उसके घर तक..

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