मेरी गांड एक बड़े लंड के नाम- 1

(Gandu Ki Chudai Kahani: Meri Gand Ek Bade Lund Ke Nam- Part 1)

जब आपके घर वाले, पड़ोस वाले भैया के घर आपको अकेला छोड़ दें और भैया का मन आप पर आया हो, तो क्या होता है! जब आप पहली पहली बार किसी देसी मर्द को एंजाय करते हो … तब क्या क्या होता है … यही सब जानिए मेरी सेक्स कहानी मेरे पड़ोसी के साथ, उस रात जब मैंने अपनी गांड पहली बार किसी के हवाले की थी.

मेरी पिछली गांडू की चुदाई कहानी
एक शाम जवानी के नाम
का अगला हिस्सा आपकी सेवा में हाजिर है.

रात को जब हम दोनों की आंखें बंद हुईं … तब वो मेरी नजरों के सामने ही थे और मैं उनकी नजरों के सामने. दोनों बेड के बीच, मैंने ही अपने आपको मोड़ा और हम दोनों एक दूसरे में ही खोते हुए सो गए थे.

रात को तीन बजे के करीब मेरी आंख खुली, तो मैंने खुद को हल्की लाल रोशनी में बेड पर अकेला पाया. मैं डर से जाग गया. मेरी आंखें अनिल भैया को खोज रही थीं … और उनका बिस्तर पर न होना, मुझे बड़ा अजीब सा लग रहा था.

मैंने अपनी आंखें मसलीं और भैया को ढूंढने लगा. अचानक मेरी नजर कमरे के फर्श पर गयी, तो देख कर मैं हक्का-बक्का रह गया. भैया कमरे के फर्श पर नंगे ही दीवार का सहारा लेकर बैठे थे. मैं उनको इस हालत में देख कर डर गया.

मैंने अपने आपको पास ही पड़े कम्बल में खुद को आधा लपेटते हुए पूछा- क्या हुआ भैया … आप वहां क्यों बैठे हो … सब ठीक तो है न!

इसी के साथ मैंने पास ही बेड साइड के लैंप को जलाया और देखा तो उनके पास वाइन की एक आधे से ज्यादा खाली बोतल और एक गिलास पड़ा था.

भैया ने अपनी नशीली आंखों को जुम्बिश दी और कहा- बस तुझे सोते हुए देखना अच्छा लग रहा था, तो मैं यहां बैठ कर तुझे ही देख रहा था. मुझे लगा कि कहीं मेरी वजह से तेरी नींद न ख़राब हो जाए तो यहीं बैठ गया.
मैंने कहा- मैं अकेले तो हमेशा ही सोता हूँ … आप मेरे पास आ जाओ, आप पास होगे, तो नींद भी आएगी और डर भी नहीं लगेगा.

मेरी बात सुनकर पास ही में रखे आधे भरे गिलास में से उन्होंने एक बड़ी सिप भरते हुए गिलास खाली कर दिया और उठकर मेरी तरफ आ गए.

उनके गठीले बदन को देखना मुझे बेहद अच्छा लग रहा था. उनके शरीर का कोई भी हिस्सा लटकता ही नहीं था, सब कुछ कितना सटीक तरह से बांधा गया था … जैसे किसी पत्थर की मूर्ति को छैनी हथौड़े से गढ़ कर बनाया गया हो.

उन्होंने दोनों हाथ बेड पर रखे, अपने सर को मेरे सर से मिलाया और नाक से नाक मिलाते हुए गरम गरम सांसें छोड़ने लगे.

मैं मस्त होने लगा.

फिर धीरे से रेंगते हुए भैया मेरे करीब आए और अपने हाथों को मेरे दोनों गालों पर रख दिया. फिर भैया अपने अंगूठे से मेरे होंठ सहलाने लगे, मेरे निचले होंठ को थोड़ा सा अपनी जगह से खिसकाया और मेरे दांतों तक ले गए.

मैं भी आंखें बंद किए हुए उनकी इन मस्तियों में मस्त हो रहा था.

उन्होंने मेरे मुँह को अपने दोनों अंगूठों को अन्दर डाल कर खोला और ऊपर वाले होंठ को अपने मुँह में दबा लिया.
मैं सिहर उठा.

फिर भैया ने मेरे मुँह को थोड़ा और खोल कर, अपने दोनों होंठों को मेरे मुँह में डाला और पूरा ब्लॉक करके अपने मुँह की शराब मेरे मुँह में उड़ेलते हुए मेरे मुँह पर अपनी पकड़ बढ़ा दी.

वाइन का टेस्ट आते ही मेरी आंखें खुल गईं और उनकी आंखों से टकरा गईं. उनका वाइन पी जाने का इशारा साफ़ था … मैं भी मदहोश नजरों को और भी मदहोश करने की तलब से पी गया.

फिर भैया ने फिर से हाथ बढ़ा कर बोतल और गिलास उठाया और गिलास को भर कर एक और सिप मेरे छोटे से मुँह में अपने मुँह से उड़ेल दी. मैंने उसे भी पी लिया.

अनिल भैया अब मेरे मुँह को बेतहाशा ऐसे चूम रहे थे, जैसे पता नहीं कितने सालों से उनको कोई होंठ चूसने के लिए ही न मिला हो.

थोड़ी देर बाद उनको रिस्पांस देते हुए मैं रुक गया. पर वो नहीं रुके. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि उनको क्या हो गया है.

धीरे धीरे मेरा सांस लेना मुश्किल होता गया. वो अपने बड़े से मुँह में मेरा छोटा सा मुँह ऐसे खा रहे थे, जैसे कि मेरा मुँह नहीं, कोई गुलाब का फूल हो. बिना उसे बर्बाद किए, वो अपने मुँह में पूरा डाल लेने की कोशिश कर रहे थे. मेरे थोड़ा छटपटाने के बाद उन्होंने मुझे अपने होंठों की गिरफ्त से आज़ाद कर दिया.

एक पल बाद ही भैया ने खुद लेट कर मुझे अपनी छाती पर खींच लिया.

मैंने उनके सीने पर हाथ घुमाते हुए कहा- अगर आप मुझे इसी तरह पिलाते रहे, तो सुबह सबको पता चल जाएगा कि रात में मैंने वाइन पी है और फिर मेरी गांड सुताई शुरू हो जाएगी.

अनिल भैया- तू किसी भी बात की चिंता मत कर … मैं हूँ न अब तेरे लिए … किसी भी बात के लिए मैं सदा तेरे साथ हूँ. तुझे किसी चीज की जरूरत होने से पहले मैं तुझे लाकर दूंगा. और रही बात तेरे घर वालों की, तो उनसे मैं तुझे तीन दिन की छुट्टी दिलवाकर लाया हूँ, तो तू बस मजे कर.

ये कहते हुए वो थोड़ा सा ऊपर की ओर खिसक गए, जिससे कि मेरा मुँह अब उनके पेट और लंड के बीच में आ गया था.

मैं बुदबुदाया- तीन दिन!
फिर मुझे याद आया कि आने से पहले वो पापा से मिलने गए थे. उसी समय बात कर ली होगी … या फिर अभी शायद वो मजाक कर रहे हैं.

मैंने कहा- चलो अब सो जाते हैं.

अनिल भैया ने अपना लंड मेरे मुँह के पास लाने के हिसाब से अपने जिस्म को जरा सैट किया.
फिर वे बोले- सोने के लिए थोड़े न आए है हम यहां … आज तो हम पूरी रात प्यार करेंगे. अभी तो मूवी का एक ही पार्ट पूरा हुआ है. दूसरा पार्ट तो अभी बाकी है … वो भी तो पूरा करना है कि नहीं करना है!

मैं- दूसरा पार्ट?
भैया- हां दूसरा पार्ट … अभी तू एक काम कर … वो दारू की बोतल और गिलास उठा ला … और वो रिमोट भी लेकर आ जा. मैं तुझे दूसरा पार्ट दिखाता हूँ.

अनिल भैया ने जैसे ही मुझसे कहा, मैं अपनी पतली सी कमर को मटकाते हुए भाग कर गया और सब सामान लेकर आ गया.

मैंने बेड पर कम्बल के अन्दर जाते हुए पूछा- दूसरे पार्ट में क्या करने वाले है ये लोग … और उसका प्रैक्टिकल क्या हम लोग भी करेंगे?

अनिल भैया ने वाइन की बोतल को साइड टेबल पर रखा और खुद बेड की सिरहाने का सहारा लेकर बैठ गए. उन्होंने अपना सीधा पैर घुटने से मोड़ा और उस पर अपना हाथ टिकाया और उस पर रिमोट से टीवी को ऑन करके मूवी चलाने लगे. अपने लेफ्ट पैर को उन्होंने लम्बा ही रखा था. मैं उसी के बगल से होते हुए उनके लेफ्ट हैंड के नीचे से होता हुआ उनके कंधे का सहारा लेकर बैठ गया.

उन्होंने गे पोर्न की साईट को चालू किया और गे मूवी की एक लम्बी लिस्ट में से एक को प्ले कर दिया.

मूवी में एक बंदा वही सब कर रहा था, जो हम पहले से कर चुके थे. उसके बाद बंदे ने अपना लंड निकला और दूसरे बंदे की गांड में डाल दिया

‘ओ तेरी … ये क्या है … इतने छोटे से छेद में इसने इतना बड़ा लंड डाल दिया. ये तो बेचारा तो मर ही जाएगा!’
मैं जोर से बोला और अपनी आंखें बंद कर लीं.
क्योंकि टीवी पर जिस बंदे की गांड में लंड गया था, उसकी सच में हालत ख़राब हो गयी थी. होती भी क्यों नहीं … जिसको रोक्को स्टील (पोर्न अभिनेता) चोदे और उसकी गांड में दर्द न हो, ऐसे बहुत ही कम लोग होते हैं.

टीवी पर कोई आवाज नहीं थी, तो मैंने आंखें खोल लीं. अनिल भैया की हंसी फूट पड़ी और वो जोर जोर से हंसने लगे.

अनिल भैया- तूने पहले कभी पोर्न नहीं देखा क्या … ये लोगों का काम ही यही है. इसको दर्द नहीं हो रहा, इसको तो मजा आ रहा है. ये सिर्फ हमें ऐसा दिखा रहे हैं कि दर्द हो रहा है. आगे देख, अभी ये खुद लपक लपक कर अपनी गांड में लंड लेगा.

उनकी हंसी रुक ही नहीं पा रही थी.

मैं- मैं तो नहीं लूंगा, मेरी तो आपके हथौड़े से ही फट जाएगी, मुझे डर लग रहा है … बोल दो कि हम ये नहीं करने वाले. आपका तो खुद गधे से भी बड़ा लंड है.
अनिल भैया- अरे नहीं है … देख कितना छोटा सा ही तो है.

भैया ने अपने बैठे हुए लंड की तरफ इशारा करते हुए बोला, जो अब दिखने में बिल्कुल उसी छोटे शैतान बच्चे की तरह लग रहा था, जिसने पापा के आने से पहले घर ने तबाही मचाई हो और पापा के आते ही ‘मैंने कुछ नहीं किया..’ वाला लुक देने लगता है. पर इसने मेरे मुँह में क्या भूकंप मचाया था, ये तो मुझे ही पता था.

‘हैंअ … जब इसमें कुछ कुछ होता है, तो ये बड़ा हो जाता है … और जब कुछ कुछ नहीं होता, तो ये छोटा बन जाता है. मेरे को अन्दर नहीं करवाना.’

मैंने भैया को जैसे तैसे करके मनाने की कोशिश की, पर भैया कहां मानने वाले थे.

‘ठीक ही ट्राई तो करते हैं … दर्द होगा तो कुछ और कर लेंगे … इतना तो ट्रस्ट है न मुझ पर कि मैं कुछ जबरदस्ती नहीं करूंगा … चल अभी पीते हैं पहले!’

उन्होंने गिलास में वाइन डाली और आधे से ज्यादा खाली करके बाकी का मेरी तरफ बढ़ा दिया.

‘पापा ने कल पीटा न … तो आपकी इस चिड़िया को काट कर खा जाऊंगा … याद रखना भैया..!’
ये बोलकर मैंने गिलास की वाइन को पूरा पी लिया.

भैया ने मेरे हाथ से गिलास लेकर साइड में रखा और इस बार सीधा बोतल से ही पीने लगे और मेरे मुँह में भी बोतल से ही पिलाने लगे. नीट दारू की जलन के कारण में छोटे छोटे सिप ही ले रहा था.

अनिल भैया- चल अब चिड़िया को थोड़ा बड़ा करते हैं … और देखते है कि ये चिड़िया उड़ती है या नहीं … मुँह में ले ले और जितना सिखाया है, वैसे ही चूस.

भैया ने ये कहते हुए अपने लंड को मेरे मुँह की तरफ धकेल दिया. मैं उनके लंड के पास जाता, उससे पहले ही उन्होंने अपने लंड के पास थोड़ी सी वाइन लगा दी … ताकि मुझे वाइन का टेस्ट आते रहे. खुद अनिल भैया ने भी मुझे पलटा कर, मेरा लंड चूसना चालू कर दिया.

उनकी छोटी सी चिड़िया पूरी मेरी मुँह में जा रही थी और उन्होंने चिड़िया के अंडे भी मुँह के अन्दर डाल ही दिए थे.

फिर जब उनका लंड पूरा आकर लेकर चिड़िया से बाज़ बन गया और शिकार के लिए तैयार हो गया, तो वो उठे और बेड के साइड में खड़े हो गए. मैं बेड के उस तरफ आ गया, जहां वो बैठे थे. उन्होंने मुझे अपनी जगह पर बिठाया और खुद मेरे मुँह के सामने बेड के ऊपर खड़े हो गए. उनका लंड मेरे सर के ऊपर था.

उन्होंने मेरे पैरों को समेटा और मेरे पैरों के दोनों तरफ जगह बना कर अपने घुटने टिका दिए. अब उनका लंड बिल्कुल मेरे मुँह के सामने था.

मैंने उनका सुपारा मुँह में लिया और बाकी का लंड हाथ से पकड़ कर अच्छे से चूसने लगा. उन्होंने लंड चूसना सिखा ही दिया था … बाकी मूवी में जो हो रहा था, वो सब मैंने करने की कोशिश की. कभी मैं उनके लंड के आंडों को चाटता, तो कभी उनके सुपारे को.

उनको कुछ खास मजा नहीं आ रहा था. तो उन्होंने मेरे दोनों हाथों को अपने हाथों से पकड़ा और दीवार से सटा दिया. फिर धीरे धीरे अपना लौड़ा मुँह में धकेलने लगे.

पहले पहले धक्के को तो मैं झेल गया … लेकिन बाद के धक्कों में लंड मुँह में गले के अन्दर तक जाने से ही मेरी जान निकलने लगती … तभी अनिल भैया का लंड ही मेरी उस निकलती हुई जान को वापस हलक से अन्दर डाल देता.

पूरी और बुरी तरह से चोद लेने के बाद उन्होंने मेरे मुँह को ढंग से चूसा और फिर मेरे साथ बेड पर लेट गए.

‘चल अब तेरी हिम्मत दिखाने की बारी है … देखते हैं कितना दम है.’

ये कहकर उन्होंने मुझे उल्टा लिटाया और खुद मेरे ऊपर लेट कर मेरी गर्दन को, कानों को, पीठ पर चाटने और चूमने लगे.

अब शायद गांडू की चुदाई का समय आ गया था. हालांकि मुझे डर लग रहा था, पर कुछ तो वाइन के कारण और कुछ सामने टीवी पर चल रही गे ब्लू-फिल्म के चलते मेरा मूड बनने लगा था.

इस गांडू की चुदाई कहानी के अगले भाग में आपको मेरी गांड मारने का रस मिलेगा. मेरे साथ बने रहें और मुझे मेल करना न भूलें.
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गांडू की चुदाई कहानी का अगला भाग: मेरी गांड एक बड़े लंड के नाम- 2

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