गांड मराने का पहला अनुभव-1

(Gand Marane Ka Pahla Anubhav- Part 1)

आजाद गांडू 2020-05-12 Comments

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मेरे गांडू दोस्तों को मेरा सलाम, नमस्ते. जो मेरी तरह लौंडों से गांड मरवाने को तैयार रहते हैं. नए नए लौंडों से गांड मरवाने के मजे लूटते हैं … अपनी गांड में लंड पिलवाते हैं … उन्हें नमस्ते.

उन दोस्तों को भी नमस्ते, जिनके गांड प्रेमी लौंडेबाज लंडों की वजह से हमें गांड मरवाने के मौके मिलते हैं और हम मजे से गांड खोले चुपचाप लेटे लेटे लंड के धक्कों का मजा लेते हैं.
हमारे लौंडेबाज दोस्त ‘दे दना दन … दे दनादन..’ गांड मारने में लगे रहते हैं … साले पसीने पसीने हो जाते हैं, पर जब तक पानी नहीं छूट जाता, रूकते नहीं हैं. हांफ जाते हैं … घुटने छिल जाते हैं … सुपारे में दर्द होने लगता है … लंड गर्म हो जाता है.

उनकी तो ऐसी तैसी हो जाती है, पर भोसड़ी वाले मेरे से पूछते रहते हैं कि मजा आ रहा है कि नहीं.

मैं औरों की तो नहीं जानता, पर मेरे ख्याल से तो गांड मरवाने में मुझे तो सबसे ज्यादा मजा आता है … आनन्द आता है. जिस समय मेरी गांड में किसी का लंड पिला हो, तो लगता है जैसे स्वर्ग में हूं. क्योंकि मुझे कुछ करना नहीं पड़ता, बस गांड खोले चुपचाप औंधे, गांड चौड़ाए लेटा रहता हूं.

मैंने अधिकतर जमीन पर या पलंग पर औंधे लेट कर ही अपनी गांड मरवाई है. दूसरी पोजीशन में गांड मराने के मौके कम ही आए हैं. कभी कभी खड़े खड़े या घोड़ी बन कर भी गांड मराई है, पर बहुत कम बार … केवल इमरजेंसी की हालत में ही ऐसा हुआ होगा. वो सब इतनी जल्दी होता है कि मैं उसका मजा बता ही नहीं सकता.

आपसे गुजारिश है कि यदि आपके साथ किसी दूसरी पोजीशन में गांड मराने के सुख का अनुभव हुआ हो तो उस घटना की विस्तृत चर्चा अवश्य कीजिए, हम जैसे अपने दोस्तों को अपने अनुभव जरूर बताएं.

मैं उन दोस्तों का तो बहुत शुक्रगुजार हूं, जिन्होंने कई बार लौंडिया चोदने का मौका होने पर भी गांड से मुँह नहीं फेरा. स्टूडेंट कॉलेज लाईफ में मेरे साथी लोग लौंडिया सैट करके लाते थे. मगर मेरे महान गांडप्रेमी दोस्त हसीन से हसीन चुत को देख कर लंड मोड़ लेते थे. उनको सिर्फ गांड मारने में ही सुख मिलता था.

मेरे कुछ ही दोस्त ऐसे थे, जिन्होंने उस सामूहिक चुदाई में उपस्थित रहते हुए भी बिना कोई कारण बताए लौंडिया चोदने से मना कर दिया था … जबकि वे उन लौंडों में सबसे मस्त लौंडे होते थे. ये सबसे तगड़े, सबसे ऊंचे लौंडेबाज दोस्त थे.

दोस्तों के लौंडिया के चुदाई कार्यक्रम निबट कर जाने के बाद इन महान गांड प्रेमी दोस्तों ने मेरी गांड उसी कमरे में प्रेम से मार कर गांड मराई को ही श्रेष्ठ माना. एक ही ने नहीं, कभी कभी तो ऐसे एक से ज्यादा लौंडे होते थे. उस वक्त मैं भी सबको खुश कर देता था. मैं निराश किसी को नहीं करता था.

मेरी गांड मारने के बाद वे भी मेरे लंड के लिए अपनी गांड खोल देते थे. फिर मुझे उनके आग्रह पर जबरदस्ती उनकी गांड मारना पड़ती थी. वे भी उसी मस्ती से गांड में लंड करवाते थे.

पर हां, मेरे द्वारा जरा भी न नुकुर करने पर साले गालियों की की बौछार कर देते थे- मादरचोद … भोसड़ी वाले … साले मेरे लंड का मजा ले लिया … अब हरामी बहाने कर रहा है … जल्दी डाल, मेरी गांड भी कुलबुला रही है. गांड मार मां के लौड़े!

वे दोस्त मुझे अब भी याद हैं. आप इस लम्बी बेकार की बकवास सुन कर शायद बोर हो गए होंगे, पर क्या करूं … आपसे अपनी बात शेयर किए मैं रह ही नहीं पाता हूँ … मुझे माफ करें.

अब मैं अपनी गांड मरवाने की असली सेक्स कहानी पर आता हूं. आप समझ ही गए होंगे कि अब में एक जवान मर्द हो गया हूं. पांच फीट आठ इंच के करीब लम्बा हूँ, रोज दौड़ता हूं … हल्की कसरत भी करता हूं … योगासन वगैरह भी करता हूँ. अब नौकरी के कारण ज्यादा नियमित नहीं हो पाता, मगर छरहरे जिस्म से थोड़ा ज्यादा मस्कुलर, गोरा और बड़ा वाला गांडू हूं … तो चिकना भी हूँ. लोग हैंडसम भी कहते हैं. कोई दोस्त चिकना भी कह देते हैं. साफ़ शब्दों में अब मैं मेच्योर एडल्ट हो गया हूं.

मैं बाईसेक्सुअल हूं … जैसे अधितर लोग होते हैं. अब तो मुझे, मुझसे गांड मराने वाले लौंडे ही ज्यादा मिलते हैं. मेरी गांड मारने कोई तैयार नहीं होता … या मिलता ही नहीं है. मैं भी किसी से कह नहीं पाता. कोई मुझे प्रपोज भी नहीं करता.

पहले मैं गांव में रहता था. उत्तर प्रदेश के महोबा जिला के एक कस्बे में था. मैं तब स्कूल में पढ़ता था. आप मेरी उम्र का अंदाजा लगा सकते हैं. यही कोई किसी मर्द से गांड मराने की उम्र का हो गया था. उस उम्र के लड़कों जैसा ही था … मतलब दुबला, पर थोड़ा ठीक. गोरा रंग था … मेरे गुलाबी होंठ थे.

बाहर के लोगों के अलावा घर के सदस्य भी कहते थे कि मैं सुन्दर था. घुंघराले बाल व सुन्दर चेहरा मेरा था. वो मेरी माशूकी की उम्र थी. हर लौंडा माशूक नहीं होता है, मगर मैं था … क्योंकि दोस्त कहा करते थे.

मेरे दोस्त व मेरे से ऊंची कक्षा में पढ़ने वाले लड़के, जब तब कोशिश में रहते थे कि मेरे गालों पर हाथ फेरने का या मेरे चूतड़ सहलाने का अवसर मिल जाए. वो खुद ही ऐसे मौके ढूंढते रहते थे. कुछ ज्यादा स्मार्ट लड़के, मेरी गांड पर हाफ पैंट के ऊपर से ही हाथ फेर देते और मुस्करा देते.

हम पचास लड़कों की क्लास में चार पांच ही माशूक लौंडे थे. सबको ही धीरे धीरे चालू कर दिया गया था. कुछ को लौंडेबाज मास्टरों ने, कुछ को हमारे से ऊंची क्लास के लौंडेबाज लड़कों ने, जिनकी और लोगों ने गांड मार कर उन्हें ट्रेंड कर दिया था.

लौडों की माशूकी की उम्र बहुत कम होती है … बस उसका आप अंदाजा ही लगा लीजिए कि किशोरावस्था से जवानी की दहलीज तक. अगर किसी पारखी लौंडेबाज की नजर पड़ गई, तो लौंडा गांड मराने का हुनर सीख ही गया समझो. अन्यथा की स्थिति में बस उसकी गांड केवल हगने के काम आती है.

कुछ किस्मत वाले ही अपनी गांड में लंड का मजा लेना सीख पाते हैं. सब माशूक लौंडे गांडू नहीं होते हैं. जब लंड में खुजली होती है, तो लोग कैसे भी बेकार लौंडे की गांड मार कर काम चला लेते हैं.
पर लौंडा अगर माशूक हो, नमकीन हो, गांड मराने का हुनर भी आता हो, तो सोने में सुहागा जैसा होता है. इसके लिए जरूरी है कि किसी कारीगर लौंडेबाज से शुरू शुरू में ही सीखा हो … यह भी एक आर्ट है. इसकी भी ट्रेनिंग जरूरी है … है कि नहीं.

और सबसे अच्छा ऊंचा कारीगर, गांड मारने वाला वही होता है … जिसने खुद अपनी गांड माशूकी की उम्र में लौंडोंबाजों के हवाले करके फीता कटवा लिया हो. फिर कम से कम बीस पच्चीस काबिल लौंडे बाजों से मरवा मरवा कर गांड ढीली करवा ली हो. ये हुनर रातों रात नहीं आता … पुराना गांडू ही बाद में अच्छा लौंडेबाज होता है.

वह इस आर्ट के प्रति समर्पित होता है. लौंडे पटाने में एक्सपर्ट होता है.

लो … मैं फिर बहक गया.

हां … तो मैं एक गोरा चिकना नमकीन लौंडा था. इस समय भले में कहने को ही चिकना नहीं हूँ, पर उस वक्त मैं सही में चिकना लौंडा था. मेरे गाल चिकने थे दाढ़ी मूंछ का कोई निशान नहीं था … न ही कहीं शरीर पर सिर के अलावा कहीं बाल थे. न लौड़े पर झांटे थीं, न गांड पर ही बाल थे. ऊपर से दिखने वाले चिकने गालों के साथ ही पेंट के अन्दर मेरे बड़े ही गोरे गोरे मस्त चूतड़ थे.

जब दोस्तों के साथ मैं अपने कस्बे के तालाब में नहाने जाता, तो हम सब लौंडे जिनमें मैं व मेरे सारे दोस्त, अपना हाफपेंट व कमीज झट से उतार फेंकते और तालाब में उतर जाते. छपाक छपाक तैरते, मस्ती करते. तालाब की ऊंची दीवार से पानी में कूदते, जिसे हम मुटार लगाना कहते थे.

आस-पास नहाने वाले मेरे मोहल्ले के हमसे बड़ी उम्र के लड़के तालाब में नहाने वाले या घाट पर बैठे लड़के फौरन आ जाते और हमें तैरना सिखाने के बहाने हमें पानी में पीछे से पकड़ लेते और कहते कि हाथ पैर चलाओ. इस बहाने वे हमारे दोस्तों व मेरे चूतड़ सहलाते.

उस समय वे अपने खड़े लंड को तो नहीं पेल पाते, पर वे लंगोट या तौलिया पहने होते, उसमें से अपना उत्तेजित खड़ा लंड हमारी गांड से छुला देते. अपना लंड हमारे चूतड़ों से चिपका देते, कभी जानबूझ कर लंगोट ढीला कर देते, जिसमें से झांकता उनका मस्त फनफनाता लंड हम सभी की गांड से टकरा जाता. वे कभी एक लड़के को पकड़ते, कभी दूसरे को … बारी बारी से वे सभी की गांड से अपना लंड छुलाते.

हम समझ तो जाते कि ये हमारी गांड पर धावा बोलने की फिराक में हैं, पर हम उन्हें मना नहीं कर पाते थे. वे हम लोगों की इसी कमजोरी का फायदा उठा कर हमारे गाल मसक देते, पेट व पीठ सहला देते. हमारी पीठ पर साबुन लगाने को कह कर पूरी पीठ में साबुन लगाते लगाते चूतड़ों में लंड लगा देते. हमें बुरी तरह मसल देते. कई बार गांड में अपनी मोटी उंगली घुसेड़ कर उंगली को आगे पीछे करने लगते.

उनकी इस हरकत से एक बार तो हमारे एक दो साथियों की तो टट्टी तक निकल गई थी. चूंकि नहाने का और कोई साधन नहीं था, इसलिए उधर जाना हमारी मजबूरी थी. हमारे कस्बे में तब नल भी नहीं लगे थे. न बिजली थी. गर्मी से राहत व ठंडक पाने का एक मात्र साधन तालाब में नहाना था. किसी से शिकायत का मतलब था कि तालाब में नहाने जाना बंद हो जाना, जो हम नहीं चाहते थे, इसलिए चुप रहते थे.

उन्हीं हरामियों में से एक नसीम भाई थे. वे जवान पट्ठे थे. गोरे इकहरी देह के बड़े ही चिकने और सुंदर से लगते थे. उन्होंने हमारे एक साथी की गांड में साबुन लगा कर अपनी दो उंगलियां ठूंस दीं.

मेरा साथी जोर से चिल्ला पड़ा- आ आ आ …

पास ही में प्रकाश भाई पानी में खड़े थे. वे उसकी चीख सुनकर जल्दी से पास आए और डांटा- क्यों बे … क्या हुआ?
नसीम उंगलियां डाले ही डाले दांत निपोरे हंस रहे थे … बोले- कुछ नहीं भैया जी, थोड़ी देर में लौंडे का दर्द बंद हो जाएगा.

वो लड़के की कमर पकड़े थे. उंगलियां उसकी गांड में आगे पीछे करने लगे.

प्रकाश भाईसाब ने जल्दी से उनका हाथ पकड़ कर बाहर खींचा और डपट कर बोले- नसीम छोड़ बे … लौंडे की गांड फट गई, तो लेने के देने पड़ जाएंगे.

वो लड़का अब शांत हो गया था. उन्होंने उसके चूतड़ सहलाए और कहा- कोई बात नहीं … चुप हो जा.

उस लौंडे की मखमली गांड से खुद प्रकाश भाईसाब को मजा आ गया. फिर प्रकाश भाईसाब ने उसके चूतड़ फैला दिए. उसकी गांड पर थूका, अपनी उंगली से सहलाते रहे. फिर साबुन लगा कर थूक के साथ अपनी एक उंगली उसकी गांड में डाल कर सहलाई और घुमाते रहे.

फिर उंगली निकाल कर बोले- बस अब तो नहीं लग रही न!
लड़का मुस्करा दिया.

वे घुटनों तक पानी में खड़े थे. उन्होंने लड़के के चूतड़ के दो तीन चुम्बन ले डाले और बोले- जाओ बाहर बैठो.

उस समय हम सबने देखा कि उनका मस्त लंड खड़ा हो गया था. खड़ा लंड ढीले लंगोट से झांक रहा था.

हम लोगों ने पहली बार एक जवान खड़े लम्बे मोटे मस्त लंड को देखा था. नसीम यह देख कर हंस पड़ा.

वो बोला- भाई साहब … आपका भी तो उसकी चिकनी गांड देख कर मचल गया.
प्रकाश भाई की चोरी पकड़ी गई. वे मुस्कुरा दिए- मेरा खड़ा उसकी गांड में जाने को नहीं भोसड़ी के, तेरी गांड में जाने को मचल रहा है.
नसीम बेशर्मी से मुस्कुरा कर बोला- तो डाल दो.

बस प्रकाश भाई को जोश आ गया. वे एकदम से नसीम पर झपट पड़े. उन्होंने नसीम को पकड़ लिया और जोर से उसकी चड्डी नीचे खींच दी. फिर उसे तालाब की दीवार से चिपका कर उसकी गांड में लंड टिका दिया.

वह शायद कुछ तैयार सा ही था … कुछ नखरे तो करता रहा, पर प्रकाश भाई ने जब धीरे से लंड पर थूक मला, तो नसीम लंड देखता रहा. फिर उसने अपनी गांड में लंड पिलवा लिया. साले ने जरा सी भी गांड नहीं हिलाई … न सिकोड़ी. अब प्रकाश भाईसाब जोरदार धक्के दे रहे थे. हम लौंडों से मानो उन्हें कोई शरम नहीं थी.

हम लड़कों ने पहली बार हगने के अलावा गांड का एक और इस्तेमाल देखा था.

उधर नसीम को मजा आ रहा था. वह उचक उचक कर गांड मरवा रहा था. वो लड़का भी इस सीन को देख रहा था, जिसकी गांड में नसीम ने अपनी दो उंगलियां डाल कर उसकी गांड फाड़ दी थी.

दो दिन बाद तालाब पर नसीम ने फिर से हमारे उस दोस्त की गांड में दो उंगलियां डाल दीं. आज वो क्रीम लाया था. लड़का थोड़ी देर चिल्लाया, फिर शांत हो गया. इसके बाद नसीम ने अपना लंड निकाला और हम सबके सामने उसकी गांड पर लौड़ा टिका दिया. हम सब कौतूहल व आश्चर्य से ये सब देख रहे थे. नसीम ने धीरे धीरे अपना पूरा लंड उस माशूक की चिकनी गांड में उतार दिया. लंड पलते समय उसने खूब सारी क्रीम भी लगाई, बहुत सारा थूक भी लगाया.

आज हम लोग दूसरी बार गांड मराई देख रहे थे. वैसे गांड मराई हमारे कस्बे में आम बात थी. बहुत सारे लोगों की गांड मारने के किस्से सुनने में आते थे.

मेरा दोस्त नसीम से गांड मरा कर थोड़ी देर गांड सहलाता रहा, फिर नॉरमल हो गया. यह उसका गांड मराने का पहला एक्सपीरियंस था … वह शांत था.

नसीम ने भी गीले कपड़े उतारे और सूखे पहन लिए. हम सबने भी अपने अपने कपड़े पहने और घर को चले आए.

इस घटना से सिर्फ हमारे दोस्त का ही डर कम नहीं हुआ था … उसे देख कर हम सब समझ गए थे कि गांड मराना कोई खास कष्टकारक काम नहीं है.

इन दो महीने में गर्मियों की छुट्टियों में हम सब लौंडे काम चलाऊ तैरना सीख गए थे. मतलब हम सभी तालाब के बीच में पानी से घिरी एक पहाड़ी तक तैर कर पहुंच जाते थे.

ये उस दिन की बात है, जब हम सब दूसरी बार तैर कर उस पहाड़ी तक पहुंचे थे. उस दिन साथ में नसीम भाई भी थे.

यह हमारी नसीम भाई के साथ पहली विजय थी, विजयोत्सव के रूप में भी गुरू दक्षिणा देनी पड़ी. नसीम भाई का लंड एक दूसरे माशूक लौंडे को, जो उन्हें पंसद था … उसे अपनी गांड में डलवाना पड़ा. उस लौंडे ने लंड लेने में बहुत नखरे किए, पर इस बार सब उसे मना रहे थे. आखिर वह तैयार हो गया. इस बार भी नसीम भाई ने हम सबके सामने ही उसकी गांड मारी. पर इस बार नसीम ने लंड पर केवल थूक लगा कर गांड मारी थी … क्योंकि बीच पहाड़ी पर क्रीम लाने का कोई साधन नहीं था.

वह लड़का कुनमुनाते हुए कह भी रहा था कि मेरी गांड केवल थूक लगा कर … उसकी क्रीम लगा कर मारी थी.

नसीम बार बार उसे मनाते हुए पूछ रहा था कि यार मजा आया कि नहीं … अगली बार और बढ़िया क्रीम लाउंगा.

तीसरी बार हमारे साथ प्रकाश भाईसाब भी थे. नसीम कह रहा था कि इस बार तीसरे लौंडे का नम्बर है. उसकी निगाह मेरे पर थी.

पर प्रकाश भाईसाब ने कहा- नहीं … मेरा लंड लौंडे नहीं झेल पाएंगे … ये अभी छोटे हैं.
वे नसीम से जोर से बोले- भोसड़ी के तू अपनी खोल.
नसीम नखरे करने लगा- वाह भाईसाहब … बार बार मेरी ही लोगे?
प्रकाश भाईसाब बोले- साले नखरे नहीं … जल्दी से खोल … वरना समझ ले.
नसीम ने घबरा कर जल्दी पैंट उतार दी.

प्रकाश भाईसाब बोले- अबे यार खड़े खड़े नहीं; तू औंधा लेट जा.
फिर इस बार प्रकाश भाईसाब ने नसीम की जम कर उचक उचक कर गांड मारी. उसकी बुरी तरह से रगड़ दी.

मेरी ये गांड मराने वाली सेक्स कहानी अभी बाकी है. कल फिर मिलता हूँ, मेरे गांडू भाइयों आपकी गांड में चुनचुनी हो रही होगी. मगर गांड में कोई चीज या लंड डलवाने से पहले मेल करके जरूर बताएं कि सेक्स कहानी कैसी लग रही है.

आपका आजाद गांडू
कहानी जारी है.

लेखक की पिछली गे कहानी: मेरी गांड की प्यास

कहानी का अगला भाग: गांड मराने का पहला अनुभव-2

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