एक लड़के को देखा तो ऐसा लगा-3

(Ek ladke ko dekha to aisa laga- Part 3)

मेरी गे सेक्स कहानी के दूसरे भाग
एक लड़के को देखा तो ऐसा लगा-2
में आपने पढ़ा कि मैं एक जाट लड़के के कमरे में था और उसका लंड चूस कर अपनी इच्छा पूर्ति कर चुका था.
अब आगे …

>मैं घर जाने के लिए नीचे पार्किंग तक पहुंच गया था. जैसे ही मैंने आखिरी सीढ़ी पर कदम रखा तो सामने से नवीन आ गया.
मैंने नवीन को पकड़ लिया और वहीं उसको गले से लगा लिया. पता नहीं मुझे क्या हो गया था. मैंने जैसे ही उसे गले से लगाया तो मेरा कलेजा जैसा भर सा आया.पता नहीं दारू का नशा था या सच में ही मुझे उस पर इतना प्यार आ रहा था. मैं उससे ऐसे लिपटा जैसे वो मेरा बॉयफ्रेंड हो.
मैंने कहा- तू कहां चला गया था यार …
उसने कहा- कम्पनी से फोन आ गया था. चल ऊपर चल … ऐसी हालत में कहां जाएगा बाहर?< नवीन ने यहाँ-वहाँ देखकर यह सुनिश्चित किया कि हमें कोई देख न रहा हो. उसे शायद डर था कि कोई मुझे उसके साथ ऐसी हरकतें करते हुए देख न ले. हम दोनों ऊपर चल दिए और वह मुझे अपने साथ दोबारा ऊपर कमरे में ले गया. उसने कमरे का दरवाज़ा बंद कर दिया और मुझे कम्बल ओढ़ने के लिए कह दिया. मैं दीवार का सहारा लेकर कम्बल ओढ़कर बैठ गया. फिर वह भी मेरे साथ कम्बल में आकर बैठ गया. उसने कहा- क्या बात है, तू इतना परेशान क्यूँ है. मैंने कहा- कुछ नहीं, बस ऐसे ही ... उसने पूछा- तू संजीव को कैसे जानता है? मैंने उसे बताया कि इंटरनेट पर हमारी बात हुई थी और मैं ऐसे ही उससे मिलने के लिए आ गया. शायद जानता तो वह भी सब कुछ था लेकिन उस वक्त मैं पूरे होश में नहीं था इसलिए वह मुझसे जान-बूझकर ये सब बातें कर रहा था. उसने कहा- तो जब मैंने तुझे रुकने के लिए बोला था तो मुझसे मिले बिना ही क्यों जा रहा था. मैंने कहा- यहाँ कमरे पर कोई था ही नहीं ... मैंने आपका इंतज़ार भी किया लेकिन आप पता नहीं कहां चले गए थे. उसने कहा- संजीव ने तुझे बताया नहीं कि मैं काम से गया हूँ। मैंने कहा- नहीं, वो तो मुझे ऐसे ही सोता हुआ छोड़कर चला गया था. नवीन ने मेरा हाथ अपने हाथ से सहलाते हुए कहा- तेरे हाथ तो बिल्कुल लड़कियों जैसे हैं. नरम-नरम. वह मेरे हाथ को अपने हाथ में लेकर सहला रहा था. उसने कहा- ऐसे ही हाथ मेरी बीवी के हैं. मैंने कहा- आपकी शादी भी हो चुकी है? वो बोला- हां, मेरी तो तीन साल की एक बेटी भी है. मैंने कहा- मगर देखने में तो आप बिल्कुल कुंवारे लगते हो. वो हंसने लगा और बोला- नहीं भाई, अब तो मेरी बीवी दूसरी बार पेट से है. मैंने कहा- मगर आपको देखने में तो बिल्कुल ऐसा लगता है जैसे ... उसने कहा- कैसा लगता है ... मैंने कहा- जैसे आप 22-23 साल के ही हो. वो बोला- नहीं, मैं तो 27 साल का हो चुका हूँ. 22 वें साल में मेरी शादी हो चुकी थी. मेरे मुंह से निकल गया- उस दिन रात को जब आपको देखा तो मैं आपको देखता ही रह गया था. वो हंसकर बोला- क्यूँ? मैंने कहा- आप बहुत प्यारे लगते हो. वह बोला- तेरी भाभी भी ऐसे ही कहती है. मगर वह तो लड़की है. लेकिन तू लड़का है. तुझे मैं कैसे प्यारा लगा? मैंने कहा- मुझे तो आप जैसे लड़के बहुत पसंद हैं. उसने कहा- मैं जानता हूँ. मैंने पूछा- कैसे ... वह बोला- संजीव की आई-डी से मैं ही तो तुझसे बात किया करता था. यह सुनते ही मेरा सारा नशा उतर गया. वह बोला- जब संजीव ने तेरे बारे में बताया था तो मैंने उसको पहले ही बता दिया था कि तू क्या चाहता है. इसलिए जब भी तेरा मैसेज आता था तो संजीव फोन मुझे पकड़ा देता था. उसकी बातें सुनकर मुझे यकीन नहीं हो रहा था. मैंने कहा- मगर फोन तो संजीव का था, आप कैसे बात करते थे? वह बोला- अरे, हम पुराने यार हैं. यहां बहुत दिनों से रह रहे हैं. यहां के लौंडों को अच्छी तरह जानते हैं. रात में तो कई बार सड़क पर मटकते हुए मिल जाते हैं. मैंने तो कईयों को चोदा भी हुआ है. कहकर उसने मेरा हाथ अपनी पैंट के ऊपर से ही अपने लंड पर रखवा लिया. उसका लंड पैंट में अंदर पहले से ही तना हुआ था. मैंने और कुछ जानने की कोशिश नहीं की मगर एक बात अब भी समझ नहीं आ रही थी जो मैंने उससे पूछ ली. मैंने कहा- तो मुझे कमरे पर बुलाने का प्लान आपका था या संजीव का? वह बोला- संजीव को गांडुओं में इतना इंटरेस्ट नहीं है लेकिन मैंने तो अपने गांव में गई लौंडों की गांड मारी हुई है. मुझे तो बहुत मज़ा आता है. मैंने पूछा- तो फिर रात को आप मेरे साथ ही सोए हुए थे, मगर आपने तो मुझे छुआ भी नहीं. वह बोला- देख, एक तो रात को बाकी लोग भी साथ में थे और दूसरा मैं यह देख रहा था कि तू कुछ करता है या नहीं. मैंने कहा- मुझे तो आपके साथ बहुत कुछ करने का मन था लेकिन मेरी बात संजीव से हुई थी और आप मेरी तरफ देख भी नहीं रहे थे इसलिए मैंने कुछ करना ठीक नहीं समझा. वह बोला- अगर तू कुछ करता भी तो मैं रात को तेरे साथ कुछ नहीं करता. मुझे तेरी बातों से समझ आ गया था कि तू इतना चुदक्कड़ नहीं लग रहा. नवीन का लंड उसकी पैंट में तनकर पूरा खड़ा हो गया था. उसने कहा- अब तो रूम में भी कोई नहीं है, अब तो कर ले ... कुछ. मैंने उसकी पैंट की चेन खोल दी और उसके कच्छे के ऊपर से ही उसके लंड को सहलाने लगा. उसने पैंट के नीचे शार्ट्स वाला कच्छा डाला हुआ था जिसके कपड़े में से मुझे उसके लंड की फील अच्छी तरह हाथ में महसूस हो रही थी. नवीन का लंड झटके देने लगा था और उसने मेरी पैंट में पीछे से हाथ डालकर मेरे चूतड़ों को दबाना और मसलना शुरू कर दिया था. फिर मैंने उसकी पैंट को खोल दिया और उसने खुद ही अपनी पैंट को कच्छे समेत नीचे सरका कर जांघों तक ऩंगा हो गया. उसका लंड चिपचिपा पदार्थ छोड़कर आगे से गीला हो चुका था. उसके झांट काफी बड़े-बड़े, घने और बिल्कुल काले रंग के थे. उसकी जांघों पर रोएंदार बाल थे. गोरी जांघों के बीच में उसका लम्बा, सांवला सा लंड खड़ा हुआ था. मैंने उसके भीगे मुंह वाले लंड को बिना पूछे ही अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया. उसका लंड ज्यादा मोटा तो नहीं था लेकिन संजीव से लगभग 2 इंच ज्यादा लम्बा था. फिर उसने मेरी गांड में उंगली घुसाने की कोशिश की. मुझे एक बार तो हल्का सा दर्द हुआ लेकिन उसके सेक्सी गोरे बदन की फीलिंग ने जल्दी ही गांड को विरोध करने से मना कर दिया और उसकी उंगली मेरी गांड में अंदर तक जाने लगी. फिर उसने मेरी गांड से उंगली बाहर निकाली और अपना स्वेटर उतारने लगा. वह शर्ट के बटन खोलने लगा और मुझसे भी कपड़े उतारने के लिए कहा. मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और नंगा हो गया. वह गद्दे पर मेरे सामने नंगा लेट गया. जब मैंने उसको पूरा नंगा देखा तो मैं उस पर टूट पड़ा. मैंने उसकी गर्दन को चूसा, उसकी निप्पलों को मुंह में भरा तो उसने मुझे वहां से हटा दिया. शायद उसको यह अच्छा नहीं लगा. फिर उसने मेरी गर्दन पकड़ कर नीचे लंड की तरफ धकेलते हुए मुझे लंड को चूसने का इशारा किया. मैंने उसके लंड को एक बार फिर से मुंह में ले लिया. लंड काफी लम्बा था और मैं उसको पूरा कवर करने की कोशिश कर रहा था. इसलिए उसका लंड मेरे गले में जाकर लग जाता था. उसके टट्टे भी काफी प्यारे थे. मैं बीच-बीच में उसके ट्टटों को भी मुंह में भर लेता था जिससे उसकी आह्ह ... निकल जाती थी. फिर वह एकदम से उठा और सामने दीवार में बनी अलमारी में से सरसों के तेल की शीशी उठा ली. उसने थोड़ा सा तेल अपनी हथेली पर निकाला और अपने लंड पर मल दिया. मुझे पता था कि वह मेरी गांड मारने की तैयारी कर रहा है. लंड तो मैंने इससे पहले भी एक-दो बार लिया था लेकिन नवीन जैसे हैंडसम लड़के का नहीं. उसने शीशी मेरे हाथ में देते हुए कहा- अपने घट्टे पर तेल लगा ले. मैंने थोड़ा सा तेल निकाला और अपनी गांड के छेद पर मल लिया. नवीन बोला- अब पलटकर लेट जा. मैं नीचे गद्दे पर छाती के बल लेट गया. मैंने कहा- मुझे ठंड लग रही है. वह बोला- रुक, अभी दूर करता हूं तेरी ठंड. वह आकर मेरे ऊपर लेट गया और उसने हम दोनों जिस्मों को कंबल के नीचे ढक लिया. नवीन ने मेरी गांड के छेद में उंगली डाल दी और मेरी गांड ने उसकी उंगलियों को रास्ता देना शुरू कर दिया. 3-4 मिनट तक अपनी उंगलियों से मेरी गांड को ढीली करने के बाद उसने कम्बल हटाकर मेरे चूतड़ों को अपने हाथों से चौड़ा करके देखा. फिर अपने लंड को मेरे छेद पर लगाकर अपना पूरा भार मेरे शरीर पर डालते हुए मेरे ऊपर लेटने लगा. उसका 8 इंच के करीब की लम्बाई वाला लंड मेरी गांड में अपना रास्ता बनाने लगा तो मुझे जलन होने लगी. मुझे असहनीय दर्द होने लगा मगर वह अपना पूरा भार डालता हुआ मेरे ऊपर लेट गया और उसकी छाती मेरी कमर पर आकर सट गई- आई ... उफ्फ ... नवीन ... दर्द हो रहा है यार ... निकाल ले एक बार! तभी उसने मेरी पीठ को अपने होंठों से चूमना शुरू कर दिया. उसके होंठों की छुअन से मेरी गांड अपने आप ही ढीली होने लगी. 2 मिनट बाद तो मैंने खुद ही गांड को हिलाकर एडजस्ट करते हुए उसके लंड को पूरा अंदर ले लिया. बहुत अच्छा अहसास था वह ... एक हैंडसम देसी लड़के का लंड मेरी गांड में है और वह चूम-चूम कर मुझे प्यार कर रहा है. एक गे को और भला क्या चाहिए होता है. फिर नवीन ने अपनी गांड को मेरी गांड पर हिलाना शुरू किया. उसका लंड मेरी गांड में हरकत करने लगा. 2-3 मिनट तक वह मेरे ऊपर लेटकर ऐसे ही हिलता रहा. अब मुझे मज़ा आने लगा था और मैंने पीछे हाथ ले जाकर उसके चूतड़ों को पकड़ते हुए अपनी तरफ धकेलने की कोशिश की. वह समझ गया कि मुझे मजा आ रहा है. उसने मेरे हाथ अपने चूतड़ों से हटाए और मुझे बाईं कवरट लेटा लिया. फिर उसने मेरी दाईं टांग को गद्दे से नीचे फर्श की तरफ फैला दिया और मेरे सिर को थो़ड़ा आगे धकेल दिया. धनुषाकार पोज़ बनाकर उसके लंड को मेरी गांड में अच्छी तरह अंदर-बाहर होने का रास्ता मिल गया. फिर उसने मेरे हाथ पकड़कर पीछे की तरफ खींचे और मेरी गांड की चुदाई शुरू कर दी. उसके लंड से चुदकर मुझे मजा आने लगा. मन करने लगा कि उसके लंड को और अंदर तक आने दूं. उसे गांड मारने का काफी तजुरबा था. फिर उसने मुझे डॉगी पोज में झुका लिया और घुटनों के बल खड़ा होकर मेरी गांड में अपना लंड पेलने लगा. मेरा सिर दीवार पर लगने लगा. इस पोज में मुझे काफी दर्द होने लगा तो मैंने उससे कहा कि आराम से करे. मगर वह अपने रिदम में मेरी गांड मारे जा रहा था. फिर उसने मुझे दोबारा नीचे छाती के बल पटक दिया और मैंने गांड हल्की सी ऊपर उठा ली ताकि उसका लंड पूरा अंदर जा सके. उसने लम्बे-लम्बे धक्के देने शुरु कर दिए. साथ ही वह नीचे हाथ ले जाकर मेरी छाती को भी मसलने-दबाने लगा जैसे चूचे ढूंढ रहा हो. उसके लंड के घर्षण से मेरी गांड में इतना आनंद आ रहा था कि गद्दे पर रगड़ लगते-लगते मेरे लंड ने नीचे पिचकारी मार दी और मैं उससे पहले ही झड़ गया. मेरी गांड नीचे आने लगी तो शायद वह समझ गया कि मेरा छूट चुका है. फिर उसने अपनी स्पीड थोड़ी बढ़ाई और 4-5 जोर के झटके देकर वह थमता चला गया. मैं भी समझ गया कि उसका वीर्य मेरी गांड में गिर चुका है. वह कुछ पल मेरे नंगे बदन पर ऐसे ही पड़ा रहा और फिर उसने जब लंड को बाहर निकाला तो मुझे फिर से जलन सी हुई. नवीन के लंड से चुदकर मुझे पहली बार इतना आनंद मिला कि मुझे उससे प्यार ही हो गया. मगर मैं ठहरा गांडू ... मेरे नसीब में प्यार कहां था. उस दिन तो मैं वहां से आ गया मगर बार-बार नवीन की याद मुझे सताने लगी. जब मैंने उसे दोबारा फोन किया तो उसने मेरा फोन ही नहीं उठाया. मैंने संजीव को मैसेंजर पर कॉन्टेक्ट करने की कोशिश की लेकिन उसने भी मुझे ब्लॉक मार दिया. मैं समझ गया कि अब वो दोनों मुझे भाव नहीं देने वाले. स्ट्रेट लड़के के जिस्म की तरफ हम आकर्षित तो बहुत जल्दी हो जाते हैं. लेकिन जो बदले में हम उनसे चाहते हैं वह मिलना नामुमकिन सी बात है. हाँ, इतना जरूर हो सकता है कि अपने लंड की प्यास बुझाने के लिए वह आपको कुछ पल वह प्यार वाला अहसास दे दें लेकिन वह तब तक ही होता है जब तक उनके लंड से वीर्य नहीं निकल जाता. इसलिए अगर आप किसी स्ट्रेट लड़के का प्यार पाने की उम्मीद में बैठे हैं तो यह आपकी बहुत बड़ी गलतफहमी है. इस सुनहरे ख्बाव से बाहर निकलें और जिंदगी की सच्चाई को समझने के साथ-साथ अपनाने की आदत भी डालें. गांडुओं की जिंदगी तो वैसे भी धोबी के कुत्ते के जैसी होती है. घर में उनको उनकी मन-मर्जी के मुताबिक रहने नहीं दिया जाता और घाट उन्हें उम्र भर मिल नहीं पाता. मैं अंश बजाज ... फिर लौटूंगा जिंदगी की ऐसी ही एक और सच्चाई के साथ! 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