काम प्रपंच: दोस्तों के लंड

(Kaam Prapanch: Doston Ke Lund)

नील काम 2019-03-03 Comments

अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा प्रणाम.
मैंने कुछ महीनों पहले अपनी सेक्स कहानी पेश की थी
दोस्त को जन्मदिन का तोहफ़ा
जिसमें मैंने अपनी मंगेतर वैशाली को अपने दोस्त बृजेश को उसके जन्मदिन के तोहफ़े के तौर पर चोदने के लिए गिफ्ट की थी, उसके बारे में बताया था. उस कहानी में मैंने बताया था कि मैं बाईसेक्सुअल हूँ और लड़कों के साथ भी मेरे सेक्स सम्बन्ध हैं. आज मैं आपसे उसी गे सम्बन्ध के बारे में अपनी कहानी सुनाऊंगा. मेरी सेक्स लाइफ की शुरुआत गे सेक्स से ही हुई थी.
आप सभी के प्यार की अपेक्षा रखते हुए कहानी शुरू करता हूँ.

मैं स्कूल के समय से ही अपने दोस्तों के प्रति आकर्षित रहता था. उस समय लगता था कि ये तो दोस्ती वाला आकर्षण ही है. उस समय तो गे सेक्स के बारे में कुछ जानता भी नहीं था और सोच भी नहीं सकता था. फिर जैसे जैसे उम्र बढ़ती गई, समझ भी आती गई. कोलेज के उन दिनों में पता चला कि ये सिर्फ दोस्ती वाला लगाव नहीं है, ये जिस्म की प्यास भी है. मैं अपने कोलेज के दोस्तों की ओर हमेशा ही आकर्षित रहने लगा था और उनकी ओर वासना भरी नज़र से ही देखता था. पर उनको यह बताने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था.

बृजेश कोलेज के समय से ही मेरा करीबी दोस्त था. मैं हमेशा ही उसके जिस्म का प्यासा रहता था, मैं जब भी उसके करीब रहता था, मेरे दिल की धड़कन बढ़ जाती थी, मेरा रोम रोम उसे ही चाहता था, मैं उसे अपनी बांहों में भर लेना चाहता था, उसके पूरे जिस्म को चूमने का और चाटने के जी करता था. उसका लंड कैसा होगा यह सोच सोच कर ही मेरे मुंह में पानी आता था और भूख प्यास का तो पता ही नहीं चलता था. बस उसी के साथ सेक्स करने के सपने देखता रहता था, पर उसे कभी ये बात बता नहीं पाया.

कोलेज के दिनों में तो मेरे मनसूबे पूरे नहीं हुए. मगर कोलेज के बाद तो जैसे किस्मत ही जाग उठी. मैंने कोलेज के बाद आगे पढ़ाई करने और अपना करिअर बनाने के लिए अपना छोटा शहर छोड़ कर पास के बड़े शहर में जाने का तय किया और मेरे माता-पिता ने भी बिना हिचकिचाहट सहमति दे दी.
बस फिर क्या था, मैं बड़े शहर चला.

शुरूआती तौर में मैंने अपनी बुआ के घर रहने का निर्णय किया. सोचा कि कोई जॉब लग जाए, उसके बाद कोई रूम किराए पर लेकर वहां रहूँगा, तब तक बुआ के घर ही रहने का सोचा था.
कुछ दिन पढ़ाई में गुजरे, कुछ जॉब ढूंढने में गुजरे. कहीं पर काम का मज़ा नहीं आया तो कहीं पर ऑफिस पोलिटिक्स बुरी बला थी. ऐसे ही कुछ महीनें बीत गए.

फिर एक दिन एक कंपनी में अच्छी जॉब लग गई. सैलेरी भी अच्छी थी. मैंने जॉब जॉइन कर ली और अपने लिए किराए पर रूम ढूंढने लगा.
तभी नसीब से मेरी मुलाक़ात बृजेश से हुई. कोलेज के बाद हमारे संपर्क जैसे टूट ही गए थे, इतने महीनों बाद उसे मिला तो मेरा मन जैसे झूम ही उठा. तभी बातों बातों में पता चला कि वो भी एक कंपनी में जॉब करता है, किराए के रूम में अकेला ही रहता है और अपने लिए एक रूम पार्टनर ढूंढ रहा है.
मुझे तो जैसे लोटरी ही लग गई, मैंने सीधा ही कह दिया- मुझे भी रूम ज़रूरत है, तो मैं ही तुम्हारा पार्टनर बन जाता हूँ.
उसे भी ये अच्छा लगा और हम एक ही रूम में रहने लगे.

अब हम बहुत ही जिगरी दोस्त बन गए थे. अपनी हर एक चीज एक दूसरे से शेयर करते थे. मुझे अपना सपना सच होते हुए लगता था. मैं बस उसके साथ सेक्स करने का मौका ढूंढ रहा था. एक दिन किस्मत जाग उठी और मौसम की पहली बारिश हुई. ज़ोरों की बारीश में हम दोनों छत पर बहुत देर तक नहाते रहे. हम दोनों पूरे ही भीग गए थे. भीगे बदन में वो बहुत ही सेक्सी लग रहा था.
हम दोनों ने सिर्फ शोर्टी और टीशर्ट ही पहनी थी. उसका छः फिट का लंबा कद, चौड़ी छाती, हाथ पैर के चौड़े पंजे, उसकी आँख, होठ, जांघे और कूल्हे मुझे उसका पूरा बदन चाटने के लिए पागलों की तरह खींच रहे थे.

तभी मेरी नज़र उसकी शोर्टी में से उभर रहे उसके अकड़े हुए लंड पर पड़ी और बस बिना पलके झपकाए हुए उसे देखता ही रह गया. उसे अब ये पता चल गया कि मेरे मन में उसके लंड की प्यास जल रही है.
उसने बिना झिझक के ही मुझे पूछ लिया- मुंह में लोगे क्या?
मैंने भी अब बता दिया- सिर्फ मुंह में ही नहीं … जहाँ देना चाहो वहां दे दो, मैं तो कब का प्यासा हूँ.

फिर उसने आसपास के मकानों की छत की ओर देखा, कहीं पर कोई नहीं था तो वो पास वाली दीवार से अटककर खड़ा हो गया और अपनी बांहें फैला कर मुझे आने का इशारा किया. मैं भी बड़ी ही दीवानगी से उसे लिपट गया और उसे चूमने लगा. पहली बार मैं किसी को किस कर रहा था. बड़ा ही मज़ा आ रहा था.

मैंने उसे काफी देर तक चूमा, फिर उसकी टीशर्ट उतार दी, उसकी छाती को चूमने लगा. उसने भी मेरी टीशर्ट उतार दी और मेरी चूची को चूमने और दबाने लगा. मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था. मेरा लंड भी अकड़ गया था.

फिर हम दोनों ने एक दूसरे की शोर्टी भी उतार दी. उसका छः इंच लंबा और मोटा लंड देख कर मैं सन्न ही रह गया. उसके मुकाबले मेरा लंड छोटा था. मेरा लंड करीब चार से साढ़े चार इंच का है, मोटा है पर उसके जितना मोटा नहीं, मीडियम साइज का है. मैं उसका लंड अपने हाथों में लेकर सहलाने लगा, फिर उसका लंड अपने लंड से लगा कर उसे पूरी तरह लिपट गया.
यह लंड मिलन मुझे बहुत ही मज़ा दे रहा था.

फिर मैं अपने घुटनों के बल बैठ गया और उसके लंड का सुपारा चाटने लगा, फिर धीरे धीरे पूरा लंड चाटने लगा, गोटियों से लेकर सुपारे तक पूरा लंड चाटने लगा. फिर उसका लंड अपने मुंह में लेने की कोशिश करने लगा. उसने भी मेरा सिर पकड़ लिया और मेरा मुंह में अपना लंड अंदर बाहर करने लगा जैसे कि वो मेरे मुंह में ही चोद रहा हो.
उसका लंड लेकर मेरा भी जी मचल रहा था. अब वो ज़ोर लगा कर मेरे मुंह में चोद रहा था. कुछ देर तक ऐसे ही चोदने के बाद उसने अपनी मलाई मेरे मुंह में ही छोड़ दी. उसकी गर्मागर्म मलाई मैं पूरी तरह पी गया. मुझे तो जैसे जन्नत ही मिल गई थी.

मेरे मुंह में मलाई छोड़ने के बाद वो नीचे लेट गया और मैं उसके पूरे बदन को चाटने लगा. उसकी छाती को, बाज़ुओं को, पेट को, जांघ को, लंड को. इस तरह उसका बदन चाटने पर उसका लंड फिर से खड़ा हो गया और मैं फिर से चुदाई के लिए तैयार हो गया.
वो बोला- अब तुम्हारी गांड की बारी है.
मैंने कहा- मुझे भी गांड मरवानी है, मगर मेरा लंड भी बहुत अकड़ रहा है तो पहले इसका कुछ करो.
वो बोला- मैं गांड नहीं मरवाता.
मैंने कहा- मैं कहाँ मरवाने को कह रहा हूँ? बस मेरे ऊपर चढ़ जाओ, जैसे लड़का लड़की को चोदने के लिए उसके ऊपर चढ़ता है वैसे. और अपना लंड मेरे लंड से रगड़ दो. मैं झड़ जाऊं, उसके बाद मेरी गांड मार लेना.
उसने कहा- ठीक है.

और मुझे नीचे लिटाकर वो मेरे ऊपर चढ़ गया. वो मुझे चूमने लगा, मेरे चूचियाँ चाटने दबाने और काटने लगा. मुझे अब दर्द हो रहा था मगर चुदाई का मज़ा भी आ रहा था. वो बड़े ही ज़ोर से मेरे लंड से उसका लंड रगड़ रहा था. मैं बहुत ही उत्तेजित हो उठा था. कुछ देर में मैं झड़ गया.

तब वो बोला- चलो अब मेरी घोड़ी बन जाओ.
मैं भी उसकी घोड़ी बन गया.

अब वो मेरी गांड के छेद में अपनी उंगली डालने लगा. मैंने पहले कभी मरवाई नहीं थी इसीलिए वो छेद में उंगली डाल कर उसे बड़ा कर रहा था जिससे लंड आसानी से जा सके. वो थूक लगाता था और उंगली डाल रहा था. पहले एक उंगली, फिर दो, फिर तीन.
मुझे अब बहुत दर्द हो रहा था पर फिर भी लंड की लज्जत लेने के लिए सब सह रहा था.

अब उसने अपने लंड पर थूक लगाया और मेरी गांड के छेद पर भी थूका. फिर वो अपना लंड मेरी गांड में डालने लगा. आख़िरकार उसने अपना लंड मेरी गांड में डाल ही दिया और उसे अंदर बाहर करने लगा. अब तो मेरी चीख ही निकल रही थी पर फिर भी वो तो डाले ही जा रहा था.
और अब उसने बड़े ही झटके से उसका पूरा लंड मेरी गांड में घुसेड़ दिया. मेरी भारी चीख निकल गई पर पूरा लंड गांड में जाने के बाद अब बहुत ही मज़ा आ रहा था.

अब वो अपने पूरे लंड से मेरी गांड मार रहा था. अब वो जंगली सांड सा लग रहा था. बड़ी ही बेरहमी से मुझे चोदे जा रहा था और गालियाँ दिए जा रहा था. मैं भी उसकी गाली सुन कर उत्तेजित हो रहा था और ‘चोदो मुझे … और चोदो!’ ऐसा कह कर उसे और तेज़ी से चोदने के लिए उकसा रहा था.
वो और तेज़ी से चोदे जा रहा था और माँ बहन की गंदी गालियाँ दिए जा रहा था. उसकी गालियाँ और मेरी वासना बढ़ती जा रही थी. फिर बड़े ज़ोर ज़ोर से झटके लगा कर उसने अपना सारा माल मेरी गांड में ही छोड़ दिया.

उसके लंड की और मेरी गांड की गर्मी अब शांत हो चुकी थी. बड़ा ही लुत्फ़ उठाया था मैं अपनी पहली गांड चुदाई का. मैं अपने आपको बहुत ही खुशनसीब मान रहा था जो बृजेश जैसे सांड ने मेरी चुदाई की.

इस चुदाई के बाद मेरे और बृजेश के बीच कई बार सेक्स होने लगा. मैं उसके लंड का दीवाना हो चुका था और हमेशा ही उसका लंड लेने के लिए तैयार रहता था. बृजेश की तो कई गर्लफ्रेंड भी हुआ करती थी इसीलिए हमारा सेक्स तो कभी कभी ही होता था. मगर जब भी होता था बड़ा मज़ा आता था. वो मेरे पूरे बदन को रगड़ देता था. मैं हमेशा ही इस पल के इंतजार में रहता था. चुदाई के बाद वो जब भी अपना वीर्य मेरे बदन पर छिड़कता था, बड़ी ही खुशी मिलती थी. मैं तो उसके वीर्य से अपनी मांग भी सजा लिया करता था. इतना दीवाना था उसका.

अब मेरे और बृजेश के बीच सेक्स संबंध आम हो गया था.

तभी एक दिन बृजेश ने कहा- आज मेरे एक कलीग निकुंज का जन्मदिन है और वो कुछ दोस्त निकुंज के फार्म हाउस पर पार्टी – शार्टी करने वाले हैं तो तू भी चल.
निकुंज और उसके कुछ दोस्तों को मैं भी जानता था. कभी कभी वीक एंड की छुट्टियों में हम साथ में घूमने जाते थे इसलिए थोड़ी बहुत पहचान थी उन सबसे.
तो मैंने भी कहा- हाँ, पार्टी करने वाले हो तो मज़ा आएगा, मैं भी चलता हूँ.

निकुंज के जन्मदिन की रात को हम उसके फार्म हाउस पर पार्टी करने गए. मै, बृजेश, निकुंज और उसके दो दोस्त प्रेम और आदिल … इस तरह कुल मिला कर हम पांच लोग थे. हमने बढ़िया सी पार्टी की. केक काटा, तोहफ़े दिए, डांस किया. फिर ड्रिंक और डिनर भी किया.

इस तरह पूरी पार्टी एन्जॉय करने के बाद हम सब मिल कर एक कमरे में इकट्ठे थे. सब सोने की तैयारी में लग रहे थे. सबने शोर्टी और बनियान पहनी थी, हंसी मजाक चल रही थी. तभी एडल्ट जोक और मजाक का दौर शुरू हुआ और उसका शिकार मैं बना, मेरा एडल्ट मजाक होने लगा.

बृजेश ने मेरे कूल्हों पर कमेंट किया और निकुंज ने मेरे बोबों पर.
फिर सब शुरू हो गए और निकुंज मेरे बोबों को और कूल्हों को छूने लगा. मैंने उसकी इस बात का विरोध किया तो सबने कहा कि आज उसका जन्मदिन है तो उसका हक़ बनता है, वो कहीं भी छू सकता है. छूने में क्या खराबी है? सिर्फ शरारत ही तो है.

उसकी छुअन और छेड़खानी मुझे भी पसंद आ रही थी. कितने दिनों से बृजेश के साथ सम्बन्ध नहीं बना था तो मेरा जी भी मचल गया, सोचा कि अगर वो छू लेता है तो मज़ा भी तो आता है तो चलो छू लेने दो.
अब मैंने भी उसकी ऐसी हरकतों कर विरोध करना बंद कर दिया. अब सब सो गए से लगते थे.

हम सब एक ही कमरे में सोये थे. निकुंज मेरे पास ही सोया हुआ था. वो अब फिर से मेरे बदन से शरारत करने लगा. मुझे मज़ा आ रहा था इसलिए जैसे मैं सो ही रहा हूँ, वैसे अनजान बन कर पड़ा रहा और उसे वो हरकतें करने दे रहा था.
वो मेरे चूतड़ों को दबा रहा था. फिर उसने मेरी चूचियाँ दबानी शुरू कर दी. वो धीरे धीरे मेरे ऊपर चढ़ने लगा. उसका अकड़ा हुआ लंड मैं महसूस कर रहा था. उसका लंड भी बड़ा और गर्म लग रहा था.

अब मैंने आँखे खोल दी. वो बिना हिचकिचाए अपनी हवस भरी निगाहों से मुझे ताकता हुआ बोला- इसमें क्या हुआ? तुम्हे तो पसंद है. एन्जॉय करो.
मेरा मन तो पहले से ही मचला हुआ था. लंड की छुअन से मेरे मुंह में भी पानी आ रहा था. मैंने बिना कुछ बोले उसे वो करने दिया जो वो कर रहा था.

अब वो पूरा मेरे ऊपर था. उसने अपने हाथों से मेरे हाथ पकड़ लिए थे और मेरे बोबे चूम कर मेरी चूचियों को काट रहा था. मेरी आह निकल गई पर सब होने दिया. कुछ देर मेरे बोबे दबा कर वो लेट गया और मुझे ऊपर करके मेरा सर पकड़ कर मेरा मुंह उसके लंड के ऊपर रख दिया. मैंने शोर्टी के ऊपर से ही उसके लंड पर किस की. उसका लंड शोर्टी में फुफाने मार रहा था. मैंने उसकी शोर्टी उतार दी.

उसका लंड देखकर मैं हैरान रह गया. उसका लंड भी बड़ा, मोटा और एकदम कड़क था. मैं उसे अपने मुंह में लेने लगा और उसका पूरा लंड चूसने लगा. कुछ देर बाद वो खड़ा हो गया और मुझे घुटनों के बल बैठा कर मेरे मुंह में अपना लंड डालने लगा. वो अब मेरे मुंह की चुदाई करने लगा, फिर मुझे उल्टा लिटा दिया और घोड़ी बना दिया.

अब वो मेरी गांड में अपना लंड डालने लगा और मेरे चूतड़ों पर अपने हाथ से थप्पड़ लगाने लगा. मेरी उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकलने लगी.
इसी आवाज़ से सब जाग गए. मेरी चुदाई देख कर सबके लंड खड़े हो गए.

प्रेम बोला- वाह बृजेश, क्या गांडू लाया है, सिर्फ निकुंज के लिए ही? हमें चुदाई नहीं करने देगा क्या?
आदिल भी बोला- मुझे भी तो अपने लंड की प्यास बुझानी है. हमें भी तो मज़ा लेने दो.
तब बृजेश बोला, मैं सुन कर हैरान ही रह गया, वो बोला- अरे ये तो बहती नदिया है, सब हाथ धो लो. ये लंड का दीवाना है, चलो आज इसको प्राइवेट प्रॉपर्टी से पब्लिक प्रॉपर्टी बना देते हैं.

यह सुन कर सबने अपने कपड़े उतार दिए. पहले तो मुझे सदमा लगा मगर जब मैंने सबके लंड अकड़े हुए लंड देखे तो मेरी प्यास और बढ़ गई. मुझे लगा कि मैं सच में ही मैं सिर्फ किसी एक लड़के का नहीं मगर सभी के लंड का दीवाना हूँ.
मैंने भी कह दिया- आ जाओ सब, और रांड की तरह पेल दो मुझे.

तब सबसे पहले प्रेम ने मेरे मुंह में अपना लंड डाल दिया. मैं उसका लंड चूसने लगा. निकुंज का गांड में और प्रेम का मुंह में, एक साथ दो लंड का मज़ा ले रहा था मै. तभी आदिल भी आ गया और मेरे मुंह के पास अपना लंड खड़ा करके खड़ा रह गया. अब मैं बारी बारी प्रेम और आदिल का लंड चूस रहा था. वो दोनों एक साथ ही मेरे मुंह में देने लगे.

तभी निकुंज भी गांड में जोर से झटके देने लगा. वो झड़ने आया तो वो आगे आ गया और आदिल पीछे चला गया. निकुंज ने अब मेरे मुंह में लंड दे कर अपना वीर्य मुझे पिला दिया और अब आदिल मुझे पेलने लगा.

तब बृजेश आगे आ गया, अब प्रेम और बृजेश के लंड मेरे मुंह में जाने लगे. कुछ देर बाद आदिल फिर से आगे आया और प्रेम ने मुझे पेलना शुरू कर दिया. अब आदिल की मलाई खाई मैंने. इसी तरह प्रेम की भी मलाई चाटी और अब बृजेश मुझे चोदने लगा.

तब निकुंज फिर से करीब आया और बोला- आज तो तेरी गांड को चीर ही दूंगा.
फिर बृजेश के साथ उसने भी मेरी गांड में लंड डाला.

जब मेरी आहें निकलने लगी तो प्रेम और आदिल ने एक साथ मेरे मुंह में लंड डाल दिए. अब दो लंड मेरी गांड में थे और दो लंड मेरे मुंह में. मैं सह भी नहीं पा रहा था और चीख भी नहीं पा रहा था.
फिर प्रेम सोफे पर बैठा, उसने उसका लंड मेरी गांड में डाल कर मुझे ऊपर बैठाया. तो बृजेश और आदिल ने मेरे एक एक पैर को फैला कर ऊपर की ओर कर के पकड़ लिया और निकुंज ने फिर से मेरी गांड में लंड डाला.
अब दो दो लंड से मुझे चोदा जा रहा था.

फिर बारी बारी सब मुझे उल्टा सीधा करके चोदने लगे. मेरी हवस भी कम नहीं थी. मैं भी सबको चोदने के लिए उकसाए जा रहा था. चार कद्दावर सांड के लंड को पा कर मेरे तन मन को दर्द के साथ सुकून भी मिल रहा था. सबने मेरी चुदाई करके अपना वीर्य मेरे बदन पर छिड़का था. मैं तो जैसे वीर्य से नहा उठा था. मुझे इस चुदाई का बड़ा ही मज़ा आया.

इस रात के बाद मेरे सब के साथ सेक्स सम्बन्ध बनने लगे. जब भी हम मिलते थे मैं किसी न किसी का लंड ले लेता था. इसके बाद कुछ और लड़कों के लंड भी एन्जॉय किए. इस तरह सेक्स लाइफ में मेरी शुरुआत गे सेक्स से हुई और करीब डेढ़ से दो साल तक मेरे सिर्फ गे रिलेशन ही रहे. इतने समय में करीब 15 लड़कों, मर्दों ने न जाने कितनी बार मेरी चुदाई की और लंड तो मैंने कई अनजान मर्दों का भी चूसा है जिसका कोई हिसाब भी नहीं.

इस तरह मेरा गांड चुदाई का ख्वाब पूरा हुआ.

और बाद में मेरे लड़कियों के साथ सम्बन्ध बनने लगे. उसके बारे में मैं आपको अपनी अगली कहानी में बताऊंगा. तब तक के लिए विदा.
आपको मेरी कहानी कैसी लगी? अपने प्रतिभाव आप मुझे इस ई-मेल पर भेज सकते हैं.
आपका प्यारा नील
[email protected]

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