आरक्षण की आग में मिला जाट का लंड-2

(Aarakshan Ki Aag Me Mila Jaat Ka Lund-2 )

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अभी तक आपने पढ़ा…
मैं अपने आप काबू नहीं रख पा रहा था और इसके चलते मैंने अपना हाथ पीयूष के पेट पर रख दिया, मुझे अच्छा लगा और वासना बढ़ने लगी उसके मर्दाना शरीर को छूकर… उसके बाद मैंने अपनी टांग घुटने के पास से मोड़ते हुए उसकी जांघों के बीच में उसके कच्छे में बने उभार पर रख दी, घुटना सीधा पीयूष के लंड पर जा टिका… पीयूष के सामान को छूकर बहुत ही आन्द मिला।

उसका लंड आधे तनाव में लग रहा था.. मैंने पैर से लंड को थोड़ा और टटोलना चाहा तो पीयूष को शक हुआ और उसने दीपेश से कहा ..कि तेरा दोस्त हरकत कर रहा है.. कर दूँ क्या इसका काम?
दीपेश अभी तक मेरे बर्ताव के बारे में पूरा आश्वस्त नहीं था, बोला- कोई बात नहीं यार, जाने दे.. नींद में हो गया होगा.. और वैसे भी फिर बात मेरे ऊपर ही आएगी कि दीपेश ने अपने दोस्त को चुदवा दिया।

ये सब सुनकर मैं चुपचाप लेट गया और आँखों से आँसू आने लगे कि एक समलैंगिक को सिर्फ चोदने की वस्तु समझा जाता है।
रात भर रोता रहा और सुबह भी मुँह उतरा रहा।

दीपेश चला गया तो मैंने अपनी गर्लफ्रेंड को फोन किया और अपनी रात बीती रोते रोते उसको बताई।
वो बोली- कोई बात नहीं, तू अपनी फीलिंग्स पर कंट्रोल रखा कर.. सब ठीक हो जाएगा धीरे धीरे..
अब उस पगली को कैसे समझाऊँ कि यह कोई बिमारी नहीं है और मैं इसको बदल नहीं सकता..

ये सब बातें करते करते दीपेश आ गया, उसने कुछ बातें सुन ली और वो समझ गया, उसने पूछा तो पहले मैंने बहाना किया लेकिन उसने दबाव डाला तो सब बता दिया।
वो बोला- कोई बात नहीं, तू दुनिया में अकेला थोड़े ही है जिसको लड़कों में रुचि है, हजारों और भी हैं! इसमें कुछ गलत भी नहीं है.. मैं पीयूष से बात करता हूँ!

मैं दीपेश के गले लगकर जोर जोर से रोने लगा, उसने मुझे समझा बुझाकर चुप करवाया।
दीपेश ने यह बात अपने तीनों दोस्तों से शेयर की, उनमें से दो बोले कि कोई बात नहीं, अगर बच्चा कुछ चाहता है तो कर देखुश..
पीयूष ने भी उनके दबाव से हाँ कर दी।

उस रात दीपेश ने खुद मुझे पीयूष के पास सुला दिया लेकिन पीयूष ने अपने पेट पर हाथ रखवाने के सिवा कुछ भी न करने दिया क्योंकि अब वो मेरी सच्चाई जान चुका था।
सारी रात ऐसी ही गुज़र गई.. अगले दिन मेरे आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे.. मैं गाने सुन रहा था और रोए जा रहा था।

दीपेश समझ गया कि मेरी हसरत पूरी नहीं हुई.. उसने पीयूष को फिर बोला..
लेकिन पीयूष ने कहा- ये अभी से इतना इमोशनल हो रहा है, अगर मैंने इसके साथ कुछ कर दिया तो बाद में और ड्रामा हो जाएगा।
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दीपेश ने मुझसे कहा- देख प्रिंस, हमारे कहने पर पीयूष तेरे साथ एक बार कर लेगा लेकिन अगर तू यह चाहता है कि ये अपनी गर्लफ्रेंड को छोड़कर तेरे साथ रहे तो ये नहीं हो सकता..
अब मेरे पास कोई और रास्ता नहीं बचा था, मैंने कहा- ठीक है.. मैं एक बार के बाद कभी नहीं कहूँगा।
दीपेश बोला- ठीक है।

उस दिन आरक्षण की आग ने बहुत जोर पकड़ लिया था और हॉस्टल खाली होने लगा.. एक लड़का अपने घर चला गया।
बचे हम – मैं, दीपेश, पीयूष और दीपक..
दीपक का एक दोस्त कॉलेज के ही टीचर के साथ कहीं दूसरी जगह रूम पर रहता था, उस समय वो टीचर भी अपने घर जा चुका था तो दीपेश के दोस्त ने टीचर के रूम पर ही हम तीनों को भी बुला लिया।

दीपेश और पीयूष आरक्षण में चले गए.. माहौल बदतर हो चुका था अब तक.. रात को सभी लोग वापस हॉस्टल चले गए और अगले दिन पीयूष फिर आरक्षण में निकल गया।
मुझे चिंता होने लगी… मैंने दीपेश को बार बार कहा कि कॉल करके पीयूष के बारे में पूछ ले कि वो ठीक है या नहीं..
दीपेश ने एक दो बार तो पूछा लेकिन फिर उसको भी मेरी बात से चिड़ होने लगी और बोला- तुझे पीयूष के पास ही छोड़ दूंगा टीचर के रूम पर..

दीपेश मुझे टीचर के रूम पर ले गया और कुछ देर बाद पीयूष भी आ गया।
दीपेश बोला- अब प्रिंस तेरे पास ही रहेगा!
पीयूष ने पूछा- अगर इसने कुछ ज्यादा हरकत की तो?
दीपेश बोला- इसका बैग उठाकर इसका हाथ पकड़कर बाहर कर देना!

कहकर दीपेश चला गया और पीयूष भी वापस आरक्षण में जाने लगा.. मुझसे रहा नहीं गया और जैसे ही वो बाहर जाने के लिए दरवाजे की तरफ मुड़ा, मैंने उसे उसकी पाठ की तरफ से बाहों में भर लिया और उससे चिपक गया..
बहुत सुकुन का पल था वो..
लेकिन 2 सेकेंड बाद ही उसने मेरे हाथ हटाए और बोला- मैं समलैंगिक नहीं हूँ और ना ही मेरे अंदर तेरे लिए ऐसी कोई फीलिंग है..
यह कहकर वो निकल गया और मैं रोता रह गया।

रात को वापस आने के बाद हम खाना खाकर लेट गए और वो अपनी गर्लफ्रेंड के साथ चैट करने लगा।
मैंने उसके पेट पर हाथ रखा हुआ था.. काफी देर हो गई ऐसे ही.. मैंने पूछा- पीयूष, क्या मैं आपको हग कर सकता हूँ?
उसने कहा- देख, मैं पहले भी बता चुका हूँ कि मेरे अंदर ऐसी कोई फीलिंग नहीं है अगर तू मेरे साथ कुछ करना चाहता है तो मुझे उत्तेजित कर और अपना काम कर ले…

यह कहकर वो फिर चैट में लग गया..

मैंने कुछ देर सोचा और फिर उसकी लोअर के ऊपर से ही उसके लंड पर हाथ रख दिया जो 6 इंच लंबा और लगभग 2 इंच मोटा था और आधा खड़ा हो चुका था।
मैंने उसके लंड हो ऊपर से ही हाथ में भर लिया और सहलाने लगा। दो मिनट बाद उसका पूरा तन गया और 8 इंच की लंबाई के साथ 3 इंच मोटा हो गया और लोअर में से ही फड़कने लगा।

मुझमें तो पहले से ही जोश था, मैंने उसकी लोअर नीचे किया, उसकी फ्रेंची में से खड़े लंड को निकाल कर मुंह में भर लिया और पागलों की तरह चूसने लगा।
वो भी सिसकारियाँ लेने लगा..

मैं उसके लंड को अपने गर्म गर्म मुंह पूरा गले तक ले जा रहा था और मेरे होंठ उसके आंडों को चूमकर आ रहे थे.. मैं और जोर से उसके मोटे हथौड़े जैसे लंड को चूसने लगा, उसके हाथ मेरे सिर पर आ गए और वो मेरे मुंह को चोदने लगा।

उसका जोश बढता जा रहा था.. वो बोला- थूक लगाऊँ या तेल लगाएगा?
मैंने कहा- तेल ले आता हूँ..
मैं तेल ले आया और उसने लाइट बंद कर दी।

मैं पेट के बल लेट गया पलंग पर.. वो पीछे से आया और अपना मोटा लंबा खड़ा लंड मेरी गांड की दरार में लगाकर मेरे ऊपर लेट गया।
‘आह…’ मैं तो जैसे स्वर्ग में पहुँच गया.. उसका पूरा बदन मेरे बदन पर था और उसका लंड मेरी गांड के छेद पर टिका हुआ अंदर जाने के लिए बेताब था।

उसने मेरे कंधे पकड़कर एक जोर का धक्का मारा लेकिन उसका मोटा लंड नहीं घुस पाया..
उसने अब बार और जोर लगाकर दूसरा धक्का मारा और आधा लंड मेरी गांड को चौड़ी फैलाता हुआ अंदर चला गया..
दर्द के मारे जान निकल गई मेरी… मैं चीख पड़ा, मैं आगे सरक गया और लंड बाहर निकल गया।

लेकिन उसने मुझे दबोच लिया और इस बार मजबूती से मुझे पकड़कर जोर का धक्का मारा तो लंड फिर से आधा गांड में घुस गया। उसने कुछ देर ऐसे लंड को गांड में दिए रखा और तीसरा धक्का दबा कर मारा तो पूरा लंड गांड में उतर गया।
मुझे लगा किसी ने जैसे गांड में डंडा फंसा दिया हो!

उसने पीछे से अपने हाथ मेरी चूचियों पर लाकर कस दिए और उनको दबाते हुए धीरे धीरे गांड में लंड को आगे पीछे करना शुरु किया। मेरा दर्द हल्का सा कम हुआ और मैं उसका साथ देने लगा, अब उसका लंड काफी हद तक गांड में अंदर बाहर होने लगा, वो मेरी चूची दबाता हुआ मेरी गांड को पेलने लगा।

जाट का लंड था तो मज़ा भी दोगुना दे रहा था.. कुछ देर बाद मैं जन्नत में जाने लगा… वो भी मेरी चूचियों को दबाते हुए मस्ती से मुझे चोद रहा था.. 20 मिनट तक उसने मुझे चोदा और वो मेरी गांड में झड़ गया.. मुझे बहुत आनन्द आया।

उसके बाद वो तुरंत नहाकर आया और मेरा बिस्तर अलग लगवा दिया..
मैंने कहा- अब मैं आपको बिल्कुल परेशान नहीं करूँगा लेकिन मुझे अपने पास सोने दो..
लेकिन वो नहीं माना..

मैं भी कहाँ मानने वाला था.. उसके सोने के बाद फिर से उसके पास जाकर उससे चिपक गया और रात भर उसको प्यार किया।

उस घटना के बाद वो एक बार फिर मुझे अपने दोस्त के रूम पर बुलाकर चोद चुका है और मैंने भी अपनी गांड उसके नाम कर दी है।
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