राजू और शब्बो की घमासान चुदाई-3

(Raju Aur Shabbo Ki Ghamasan Chudai Part-3)

एक्स मैन 2016-08-04 Comments

This story is part of a series:

आपने अब तक पढ़ा.. कि शब्बो ने रश्मि के पूछने पर राजू ड्राईवर के साथ उसके जिस्मानी संबंधों को बड़ी तरतीब से बताना चालू कर दिया था और अभी ये किस्सा लण्ड कि चुसाई तक आ चुका था.. अब आगे..

रश्मि ने पूछा- आगे क्या हुआ?

‘दीदी.. किस करते-करते राजू के हाथ मेरे मम्मों को सहलाने लगे। मेरा मज़ा जैसे दुगुना हो गया। वो कुर्ते के ऊपर से ही मेरे स्तनों को दबाने लगा।
मैंने उसका हाथ लेकर अपने कुर्ते के नीचे पेट पर रख दिया। नंगे पेट पर उसका खुरदुरा स्पर्श पा कर मैं जैसे बौरा उठी। राजू भी मेरा इशारा समझ गया। उसका हाथ बिना वक़्त गँवाए ऊपर की ओर बढ़ने लगा। जल्दी ही वो काले रंग की ब्रा में कसे मेरे उरोजों तक पहुँच गया और उन्हें मसलने लगा।

मैं तो जैसे पगला गई थी। राजू की शर्ट में हाथ डाल कर उसकी बालों वाली छाती को सहलाते हुए मैं उसे और भी ज़ोरों से किस करने लगी।
राजू ने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और ब्रा को ऊपर खिसका दिया। जैसे ही मेरे मक्खन जैसे मम्मे उसके सामने आए.. वो पागलों की तरह उन पर टूट पड़ा। दोनों हाथों से उन्हें दबाते हुए वो उन्हें चूमने-चाटने लगा।मेरे कड़क निप्पलों को अपनी जीभ से चाट रहा था। निप्पल तो तन कर एकदम कड़क हो चुके थे। वो हाथों से दबा भी रहा था। हाय दीदी.. क्या बताऊँ इतना मज़ा आ रहा था कि पूछो मत।’ शब्बो ने साइड बदलते हुए कहा।

वो इतनी गर्म हो रही थी कि उसके लिए एक पोजिशन में बैठना मुश्किल हो रहा था।

शब्बो ने आगे कहा- दीदी.. तभी मुझे उसका हाथ नीचे अपनी जाँघों के बीच महसूस हुआ। मेरी रूह जैसे झनझना उठी। सलवार के ऊपर से ही वो ‘वहाँ’ दबाने लगा.. हाथ रगड़ने लगा।
‘चूत पे?’ रश्मि पूछे बिना नहीं रह सकी।

शब्बो ने आश्चर्य से उसकी ओर देखा। शायद वो रश्मि से ‘चूत’ जैसा शब्द बोलने की आशा नहीं कर रही थी.. इसलिए खुद भी बोलते हुए हिचक रही थी।
रश्मि ने उसे अपने को घूरते देखा तो ठहाका लगा के हँस दी- आगे बताओ शब्बो रानी!
कह कर उसने शब्बो को छेड़ा।

‘दीदी उसने मेरी चूत को रगड़ना चालू रखा। चूत में से ढेर सारा पानी निकलने लगा। उत्तेजना के मारे मैं अब खड़ी नहीं रह पा रही थी.. तो उसने मुझे रसोई के प्लेटफ़ॉर्म पर लिटा दिया, कुर्ता और ब्रा ऊपर कर उसने अपना मुँह मेरे मम्मों पर लगा लिया और हाथ मेरी चूत पर!’

‘तेरे ब्रेस्ट वैसे तो काफ़ी बड़े दिखते हैं.. साइज़ क्या है उनकी?’ रश्मि अचानक पूछ बैठी।
‘दीदी मैंने तो कभी नापे नहीं।’ शब्बो बोली- पर मेरी ब्रा पर कुछ 36 जैसा लिखा है।

‘हम्म..’ रश्मि मुस्कुराई, ‘पहले से इतने बड़े थे.. कि राजू ने कर दिए?’
‘क्या दीदी आप भी..’ शब्बो एकदम से लजा गई।
‘हा..हा..हा..’
‘जाओ मैं नहीं बताती आपको कुछ भी।’ शब्बो झूठमूठ की रूठ गई।

‘अच्छा-अच्छा नहीं छेडूंगी.. आगे बता.. राजू ने तेरी सलवार उतारी?’ रश्मि ने सीधे ही सवाल कर दिया।

शब्बो एक क्षण के लिए ठिठक गई.. उसे रश्मि से ऐसी बेबाक़ी की उम्मीद नहीं थी।

वो बोली- अरे दीदी.. वो कहाँ छोड़ने वाला था ऐसे.. एक ही झटके में उसने मेरी सलवार और चड्डी दोनों खींच दिए नीचे.. हरामी ने एकदम से नंगा कर दिया।
मैं शर्म के मारे दोहरी हो गई, शर्म के मारे मैंने घुटने मोड़ लिए तो उसने जबर्दस्ती उन्हें सीधा कर दिया और..’ आगे कहते-कहते शब्बो रुक गई।

‘और क्या?’ रश्मि ने पूछा- बोल ना.. शर्मा क्यों रही है?
‘जी वो.. फ़िर उसने मेरी टाँगें फ़ैला दीं।’ शब्बो धीरे से बोली।
‘हुम्म..’ रश्मि की धड़कन जैसे ठहर गई।

‘और.. मेरी चूत से अपना मुँह सटा लिया। मेरी जाँघों पर उसकी जीभ का गरम और गीला स्पर्श होने लगा। वो पागलों की तरह मेरे क़मर के नीचे चूमने-चाटने लगा।
मेरे शरीर में जैसे बिज़ली का करण्ट दौड़ने लगा, मेरी साँसें तेज़-तेज़ चलने लगीं। इतना अच्छा मुझे कभी नहीं लगा था।

मैंने अपनी जाँघें थोड़ी और फ़ैला लीं.. ताकि वो मेरी चूत को अच्छे से चूम सके। उसने अपना मुँह मेरी चूत से सटा लिया और चूत पर चुम्बन अंकित करने लगा। फ़िर वो अपनी जीभ से चूत में से निकलने वाला पानी चाटने लगा। मेरे कोमल अंगों पर तेज़ी से लपलपाती उसकी जीभ मुझे पागल बनाए जा रही थी।

उसने मेरी क़मर को थाम रखा था। मैं अब मस्त हुई जा रही थी। एक तूफ़ान सा मेरे अन्दर उमड़ रहा था। मैं चाह रही थी कि उसके जीभ की चोट मेरी चूत पर ऐसे ही पड़ती रहे।

हर एक गुज़रते क्षण में मेरे अन्दर का तूफ़ान बड़ा होता जा रहा था, मेरा तन एक अज़ीब से तनाव से भर उठा।
शायद राजू कि जीभ मेरी चूत के भीतर तक घुस चुकी थी, वो तेज़ी से जीभ बाहर-अन्दर कर रहा था और चूत बावली हो कर और और रस छोड़ रही थी।
राजू की उंगलियाँ मेरी चूत के दाने को मसल रही थी। वो इस खेल का पक्का खिलाड़ी था.. उसने मुझ पर अपने सारे हुनर आज़मा लिए।

मैं अब आनन्द के चरम पर थी। मैंने उसका सिर दोनों हाथों से अपनी चूत में दबा रखा था और नीचे से अपने नितम्ब उछाल रही थी। वो बेफ़िक्री से मेरी रसभरी चूत को चाटे जा रहा था।

कुछ समय तक ऐसे ही चलता रहा फ़िर अचानक़ मुझे कुछ हो गया.. मैं अपने होश खो बैठी। मेरे शरीर के भीतर से जैसे कुछ छूटा और मैं आनन्द के चरम पर पहुँच गई, मेरा शरीर हल्के-हल्के झटके खाने लगा, मुझे और कुछ याद नहीं रहा.. सिवाय मेरे ज़िस्म में दौड़ती करण्ट की लहरों के।
यह मेरे जीवन का पहला चरमानन्द था, वो वक़्त शायद संसार का सबसे हसीन पल था अल्लाह कसम..’

रश्मि ने देखा शब्बो का शरीर काँप रहा था। शायद वो मस्ती के उन पलों को याद करती हुई फ़िर उसी चरमानन्द का अनुभव करने लगी थी।

‘पता नहीं कितनी देर तक मैं यूँ ही पड़ी.. उस हसीन अनुभव को जज़्ब करती रही। राजू मेरे करीब आ गया और मैं उससे लिपट गई।
कुछ देर मुझे सीने से सटा कर रखा तो मैंने उसे किस करने शुरू हर दिए। मैं उसका शुक्रिया करना चाहती थी और वो हरामी फ़िर शुरू हो गया।

मैं प्लेटफ़ॉर्म पर बैठ गई और वो मेरी टाँगों के बीच खड़ा था। वो मेरे मम्मों को थाम कर उन्हें हल्के-हल्के मसलने लगा और निप्पलों को हल्के-हल्के से चूसने-चाटने और दांतों से काटने भी लगा।

एक रोमांच फ़िर से दिल में होने लगा। मैंने अपना कुर्ता और ब्रा को तन से अलग कर दिया और उसकी शर्ट के बटन खोलने लगी। क़मर से नीचे तो वो वैसे भी नंगा था ही.. शर्ट के उतरते ही.. ना उसके ज़िस्म पर एक भी कपड़ा था.. ना मेरे!’

इतना कह कर शब्बो ने रश्मि की ओर देखा रश्मि बड़ी तन्मयता से उसे सुन रही थी।

शब्बो ने कहना शुरू किया- मैं प्लेटफ़ॉर्म से टाँगें नीचे लटका कर बैठी थी और वो उनके बीच में था। वो जब मुझसे सटा तब उसका लण्ड मेरे पेट से टकराया। मैंने उसको मुट्ठी में भर लिया और मसलने लगी।

हम दोनों ना जाने कब तक किस करते रहे कि अचानक़ राजू मेरे कान में फ़ुसफ़ुसाया- चुदोगी?
मैंने कहा- धत्त्..
और मैं नीचे देखने लगी।
उसने फ़िर पूछा- मेरा लौड़ा लोगी अपनी भोसड़ी में?

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मैंने उसका लण्ड और ज़ोर से पकड़ लिया। दिल अचानक़ ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा और चूत फ़िर से गीली हो गई।
राजू ने वहीं प्लेटफ़ॉर्म पर पड़े अपने पैण्ट की जेब से एक कण्डोम निकाला और अपने तने हुए लण्ड पर चढ़ा दिया। मेरा दिल धक्क से रह गया।मुझे पता था कि राजू अब मुझे चोदने वाला था।

शब्बो ने यह कहा तो रश्मि रोमांचित हो उठी, उसकी चूत भी गीली हो गई।

‘मैंने कुछ बोलना चाहा तो राजू बोला कि भरोसा करो.. कुछ नहीं होगा।’

मैंने कहा- पर राजू.. मुझे बहुत दर्द होगा.. तुम्हारा तो काफ़ी बड़ा है। ये मेरे अन्दर कैसे जाएगा?
राजू बोला- सब मुझ पर छोड़ दो। तुम बस मज़े लो।

इतना कह कर उसने खूब सारा थूक अपने हाथ में लिया और पहले अपने लण्ड पर और फ़िर मेरी चूत के अन्दर लगाया। उसका हाथ अपनी चूत पर लगाते ही मैं जैसे सारे विरोध भूल गई।

उसने मुझे प्लेटफ़ॉर्म पर लेट जाने को कहा और मेरी एक जाँघ अपने कन्धे पर रख दी। फ़िर अपना थूक से सना लण्ड मेरी चूत के मुँह पर रख कर रगड़ने लगा।

फ़िर बोला- शब्बो बस शुरू में थोड़ा सा दर्द होगा.. तुम हिम्मत रखना फ़िर बहुत मज़ा आएगा।

यह कह कर उसने अपने लण्ड को मेरी चूत में घुसाना शुरू किया। चूत के रस और थूक के कारण चूत हालांकि पूरी लसलसाई हुई थी और लण्ड का आगे का कुछ हिस्सा मेरी चूत में आसानी से घुस गया। लेकिन पीछे से उसका लण्ड बहुत मोटा है दीदी.. जैसे ही उसने एक धक्का दिया..

मुझे बहुत ज़ोर का दर्द हुआ, मेरी जान निकल गई और मैं उसे रोकने लगी- आहऽऽ राजू..

इस पर उसने धक्के रोक दिए और अपना लण्ड बाहर खींच लिया। फ़िर अपनी हथेली में ढेर सारा थूक लेकर अपने लण्ड पर लगाया। वापस मेरी चूत के मुँह पर रख कर एक धक्का दिया।
इस बार लण्ड कुछ ज्यादा अन्दर चला गया, थोड़ा दर्द तो हुआ पर राजू हल्के-हल्के से धक्के लगाने लगा।
मुझे दर्द तो हुआ.. लेकिन कुछ मज़ा भी आया।

राजू ने मेरे मम्मों को थाम लिया और मुझे किस भी करने लगा, मेरा ध्यान दर्द से हट गया और मैं उसके गहरे चुम्बनों का आनन्द लेने लगी।

राजू ने मुझे आराम में पाकर अपने धक्कों की रफ़्तार थोड़ी बढ़ा दी। उसका मोटा लण्ड मेरी चूत की दीवारों से रगड़ खा रहा था। दर्द हालांकि हो रहा था.. लेकिन मज़ा ज्यादा आ रहा था।
फच्च-फच्च की आवाज़ मेरी गीली चूत से आने लगी और मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं।’

रश्मि शब्बो की बातों से मानो खुद को चुदास के नशे में डूबती हुई महसूस करने लगी थी।

‘दीदी.. मुझ पर नशा सा सवार हो गया था। मस्ती की लहरें मेरे तन-मन को भिगो रही थीं। मैं तेज़-तेज़ साँसें लेने लगी। मैं भी अपने नितम्ब उछाल-उछाल कर राजू के लण्ड को पूरा लेने को बेताब हो रही थी।
राजू ने ये देख कर अपनी रफ़्तार तेज़ कर दी। पूरी रसोई ‘फ़च्च फ़च्च’ की आवाज़ और मेरी सिसकारियों से गर्मा गई थी।

मैं राजू को देख रही थी उसका बदन पसीने-पसीने हो गया था और साँसें भी तेज़ चल रही थीं.. लेकिन उसकी चोदने की गति कम नहीं हुई।

मेरे शरीर का तूफ़ान अब ज़ोर मारने लगा था, आनन्द की लहरें योनि की दीवारों से उठ कर दिमाग को झनझना रही थीं। मेरा तन अकड़ने लगा।
दिमाग में वैसे ही हल्के-हल्के विस्फ़ोट होने लगे.. जैसे थोड़ी देर पहले चरम सुख पर पहुँचने के वक़्त हो रहे थे।
मैं चरम के निकट थी, मैंने राजू की क़मर को थाम लिया और उसके चोदने की ताल से ताल मिलाने लगी, मेरे मुँह से भी सीत्कारें फूटने लगीं- आहऽऽ.. राजू.. आऽऽह.. हाँ राजू ऐसे ही चोदो मुझे.. हाँ राजू ज़ोर से और ज़ोर से..’ की मादक आवाज़ें निकालने लगीं।

‘मेरी इन सिसकारियों ने राजू की उत्तेजना को और बढ़ा दिया वो मुझे बेरहमी से पेलने लगा।
मेरी साँसें और तेज़ हो गईं.. मैं अब झड़ने लगी थी।
मेरी चूत अब आनन्द का सरोवर बन चुकी थी.. जिसमें राजू और मैं गोते लगा रहे थे।

थोड़ी देर में ही मेरे अन्दर से आनन्द का एक फ़व्वारा छूटा और मैं अपनी सुध-बुध खो बैठी। अगले कुछ मिनटों तक मुझे कुछ होश नहीं रहा। सुध-बुध लौटी तो महसूस हुआ कि राजू का लौड़ा अभी भी मेरी चूत की दीवारों से सिर टकरा रहा था।

आनन्द की लहरें कम हुई तो दर्द लौट आया। पूरी चूत और जाँघों में पीड़ा होने लगी। या मालिक ये इन्सान थकता नहीं हैं क्या? मेरी कराहें निकलने लगीं।

रश्मि एकदम से गर्म हो उठी थी और वो बस आँखें फाड़े एकटक शब्बो की तरफ निहार रही थी।

‘उई अम्मा.. मैं मर गई.. हाय दैय्या.. बस करो राजू मेरी फ़ट जाएगी राजू..’
मैं मिन्नतें करने लगी, राजू तुम्हें अल्लाह का वास्ता.. बस भी करो। अब कल कर लेना राजू.. प्लीज़ मुझे छोड़ दो प्लीज़।

राजू को मेरे दर्द का एहसास शायद हो गया था इसलिए उसने अपना लण्ड बाहर खींच लिया।

मैंने राहत की साँस ली। वो तेज़ी से मेरे मुँह के पास अपना लण्ड लाया.. उसने अपना कण्डोम खींच कर निकाला और अपने हाथ से अपने लौड़े को तेज़ी से हिलाने लगा।
मैंने देखा कि उसका लण्ड मेरी चूत का पानी पी कर और मोटा हो गया था।

कुछ पलों के बाद लण्ड से गाढ़े और गर्म वीर्य का एक फ़व्वारा छूटा जो मेरे चेहरे.. मुँह और दूधिया छातियों को भिगो गया। कुछ वीर्य मेरे मुँह में भी चला गया।
नमकीन सा स्वाद अज़ीब था.. लेकिन अच्छा लगा।

राजू ने मेरे मम्मों पर पड़ा सारा वीर्य मेरे बदन पर फ़ैला दिया।
मैंने मुस्कुरा कर कहा- हरामी ये क्या कर रहा है.. अब मुझे नहाना पड़ेगा।
तो मुझे चूम कर बोला- चल रानी.. इकट्ठे ही नहा लेते हैं। मैंने हँस कर उसके पिछवाड़े पर एक चपत जमा दी।

फ़िर वो बोला- तेरे मुँह से ‘हरामी’ सुनना बड़ा अच्छा लगता है.. अब से तू मुझको हरामी ही बुलाना।’
‘तू है ही हरामी साले.. कितना ज़ोर-ज़ोर से चोदता है। कितना दर्द हुआ.. मुझे लगा फ़ट ही जाएगी मेरी तो..’
‘दीदी.. वो हँसा और अपने कपड़े पहन कर बाहर चला गया और मैं ना जाने कितने देर तक वैसे ही पड़ी रही।’

रश्मि शबनम के चहरे पर तृप्ति की लाली साफ़ देख पा रही थी।

दोस्तो, आगे क्या हुआ ये मुझे लिखने का मन तो है पर अभी मैंने लिखा नहीं है यदि आप लोग मुझे ईमेल से लिखेंगे और मुझे लगा कि आपको आगे की दास्तान भी सुनना है तो मैं अन्तर्वासना के माध्यम से आप तक फिर आऊँगा।

मुझे ईमेल कीजिएगा।
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