प्रेमिका के साथ पहला प्यार

(Premika Ke Sath Pahla Pyar)

दोस्तो, मेरा नाम हनी है. मैं 23 साल का हूँ. मेरी हाइट 5 फुट 10 इंच है. लंड का साइज़ 5 इंच लंबा 2 इंच मोटा है. मैं मानता हूँ कि मेरा लंड ज्यादा बड़ा नहीं है, पर इतना दमदार ज़रूर है कि किसी भी लड़की या औरत को खुश कर दे. बाकी चुदाई करने के लिए फोरप्ले जैसे कुछ तरीके भी होते हैं, जिससे लंड को चूत चुदाई करने का भरपूर मजा आता है.

ये कहानी मेरी और मेरी प्रेमिका की है. मैंने कहानियां तो बहुत पढ़ी हैं, पर सभी सच हैं या नहीं … ये मुझे नहीं लगता. फिर भी मुझे इधर प्रकाशित हिंदी की सेक्स कहानी पढ़ना अच्छा लगता है.

चूंकि हम भारतीयों के संस्कार काफी मजबूत चरित्र बनाते हैं, इसलिए मुझे सगी माँ और सगी बहन के साथ की सेक्स कहानी पढ़ना पसंद नहीं है, बाकी सबके साथ चुदाई की कहानी पढ़ना ठीक लगता है. मतलब चाची या भाभी की चुदाई की कहानी बड़ा रस देती हैं.

मैं बिहार से हूँ, पर अभी भोपाल में रहता हूँ. मेरी ये कहानी शतप्रतिशत सत्य है.

आपको पहले मैं अपनी प्रेमिका के बारे में बता दूं. उसका नाम डिंपल जयश्री है उसे उसके उपनाम डीजे कह कर बुलाना अच्छा लगता है. डीजे की हाइट 4 फुट 10 इंच है और फिगर 32-30-34 का है उम्र 20 साल की है. डीजे कमाल की माल लगती है. यूं समझ लीजिए कि डीजे को देखते ही लंड खड़ा हो जाए. डीजे चूंकि गोरी तो है ही … एकदम मिल्की वाइट … ऊपर से उसका शेप भी वैसा ही मस्त है. ऊपर से आगे की तरफ बूब्स निकले हैं … तो नीचे पीछे की तरफ गांड उठी हुई है.

यह बात तब की है, जब छुट्टियों में मैं अपने घर गया था. हमारी बातें फ़ेसबुक से चैटिंग से शुरू हुई थीं. कुछ समय बाद जब व्हाट्सैप से बात करने का जमाना आया, तो व्हाट्सैप से बात होने लगी. फिर स्काईप से वीडियो कॉलिंग होने लगी. हम हमेशा चाहते थे कि हम मिलें पर कभी ऐसा हो नहीं पाया.

पर कहते हैं ना कि भगवान सबकी सुनते हैं.

एक दिन की बात है, जब वो घर में अकेले रहने वाली थी. ऐसा पहली बार नहीं हुआ था, लेकिन इस बार सीन ये था कि मैं भी इन दिनों अपने घर आया हुआ था. वैसे तो उसका घर मेरे घर से 60 किलोमीटर दूर है, पर फिर भी बहुत तड़फने के बाद मौका मिला था. हम दोनों ने उसी के घर पर मिलने का प्लान बनाया. मैंने मेरे एक दोस्त से बात की, फिर उसके साथ अगले दिन सुबह उसके घर के लिए निकल गया.

लगभग 11 बजे में उसके घर जा पहुंचा. मैंने डोर बेल बजाई, उसने दरवाजा खोला.

क्या कमाल की लग रही थी … वो गुलाबी सूट में … मन किया कि साली को वहीं दबोच लूँ. फिर मैंने अपने आपको काबू में किया. उसने मुस्कुरा कर हम दोनों को जल्दी से घर के अन्दर किया. मैं और मेरा दोस्त दोनों अन्दर आ गए.

वो चाय बनाने किचन में चली गई.
मेरा दोस्त बोला- यार मैं बाहर जा रहा हूँ.
वो जानता था कि इससे अच्छा मौका मुझे शायद ही फिर मिलेगा, सो वो ज़िद करके निकल गया.
मैंने उसको बहुत बोला कि रूको, पर वो माना ही नहीं.

उसके जाने के बाद मैं गेट बंद करके किचन में चला गया. किचन में जाकर मैंने उसको अपनी बांहों में भर लिया.
वो बोली- आते आते शुरू हो गए?
मैंने बोला- बहुत तड़फाया है, अब नहीं छोडूंगा.
वो बोली- हां डियर मिलने की तो मुझे भी बहुत पड़ी थी. न जाने कब से तुमसे मिलने का मन में संजो कर रखा था.
मैंने कहा- सिर्फ मिलने का ही मन बनाया था या और भी कुछ करने का मन था.
वो शर्मा गई और बोली- ये बात कोई भी लड़की अपने मुँह से कैसे कह सकती है.

मैं समझ गया और उसको चोदने का मन बना लिया. मैं अब भी ये सोच रहा था कि सब कुछ ठीक रहा, तो ही इसकी लूँगा.

मैंने उसको गर्दन के पास हल्के से चूमा, तो वो मुझसे चिपकने लगी. अब मैंने पीछे से उसके दोनों मम्मों को अपने हाथों से पकड़ लिया और जोर जोर से दबाने लगा. साथ ही उसके गालों पर, गर्दन पर किस करने लगा. वो भी मुझसे सहयोग करने लगी. उसके इस सहयोगी रवैये से मुझे समझ आ गया कि आज तो ये पक्के में लंड लेने का मन बना कर बैठी है.

चूमाचाटी परवान चढ़ने लगी, इस चक्कर में चाय तो बनी नहीं. सो उसने गैस चूल्हे को ऑफ कर दिया. उसने चूल्हा बंद किया और पलट कर मेरी बांहों में समा गई उसने खुद को मेरे हवाले कर दिया.

मैं उसको उसके बेडरूम में ले गया. वहां उसको पलंग पर धकेल कर मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसे किस करने लगा. मैं कभी उसके होंठों पर चुम्मी करता, कभी गले पर चूमता.
फिर मैंने उससे कहा- जान अगर तुमको एतराज न हो, तो तुम्हारी कमीज़ उतार दूं?
उसने आँख मारते हुए कहा- उतार दो.

मैंने उसकी कमीज़ निकाल दी. उसने गुलाबी ब्रा पहनी थी. मैंने उसके मम्मों को ब्रा से आजाद कर दिया और पागलों की तरह उसके मम्मों को चूसने लगा.
वो भी दूध चुसवाते हुए आहें भरने लगी उम्म्ह… अहह… हय… याह…

मैं एक हाथ से उसके एक बूब को दबाता रहा और दूसरे को चूसता रहा. जब एक मम्मे से मन भर गया, तो फिर ऐसे ही उसके दूसरे चूचे को चूसने लगा. पहले को दबाने लगा. वो भी अपने मम्मे उठा कर मुझे पिलाए जा रही थी. उसके निप्पल हार्ड होने लगे थे.

इसके बाद मैंने उसके होंठों पर किस किया और पूछा- क्या तुम्हारी सलवार भी निकाल दूँ?
उसने मुझे चूमते हुए कहा- अब क्या दिक्कत है … निकाल ही दो बेबी.

मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खींच दिया और उसकी सलवार को निकाल दिया. सलवार हटाते ही उसकी गीली पेंटी दिखी तो मैंने उसकी पेंटी भी निकाल दी.

नंगी लौंडिया सामने देखी, तो मैंने उसकी दोनों टांगों को फैला दिया. उसकी चूत सामने उभर कर आ गई, मैं उसकी चूत को सक करने लगा.
क्या बताऊं मज़ा आ गया था … आज भी वो सीन याद आता है … तो बहुत तड़फ उठता हूँ. मैंने फर्स्ट टाइम किसी का चूत को सक किया था.

उसकी चूत का रस नमकीन और काफ़ी टेस्टी लग रहा था. सच में मुझे चूतरस काफी टेस्टी लगा.

पहले जब मैं कभी सेक्स स्टोरी पढ़ता था, तो सोचता था कि लोग कैसे चूत चाट लेते हैं. लेकिन उस दिन मुझे समझ में आ गया था कि इस खजाने को क्यों पसंद किया जाता है.

मैं पागलों की तरह उसकी चूत को चूसे जा रहा था. वो काम वासना से सिसकारियां ले रही थी.

अब उसने मुझसे कपड़े उतारने को बोला. मैंने बोला- तुम खुद ही उतार दो.

उसने झट से मेरी शर्ट के सारे बटन खोले … और मेरी शर्ट को निकल दिया. फिर उसने मेरी जींस के बटन और ज़िप भी खोल दी. अगले ही पल मेरी बनियान और अंडरवियर भी मेरे जिस्म से अलग हो गई थी. वो मुझसे लिपट गई.

मैंने बोला- लंड चूसो ना.
वो शर्मा गई और बोली- नहीं!
मैंने बोला- प्लीज़!

वो मेरे लंड को पकड़ कर चूसने की शुरुआत की, पहले तो उसने सुपारा टेस्ट किया. फिर धीरे धीरे लॉलीपॉप की तरह पूरा लंड चूसने लगी. मुझे इतना मज़ा आज तक कभी नहीं आया था. फिर मुझे भी उसका छेद चूसने का मन हुआ. मैंने उसके नितम्ब सहला कर उसे इशारा किया, तो वो मेरे सीने पर आ गई. उसने अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दी. मुझे उसकी चूत चूसना बहुत अच्छा लग रहा था.

कुछ ही देर में हम दोनों 69 की पोज़िशन में आ गए. मैं उसकी बुर को चूसता रहा, वो मेरा लंड चूसती रही.

क्या बताऊं यारो … वो भी क्या दिन था.

फिर मैंने उसको सीधा होने को कहा और अपना लंड उसकी रसीली हो चुकी चूत पर रख कर धीरे से अन्दर किया ही था कि वो दर्द से कराहने लगी.

मैंने धीरे धीरे प्यार से लंड अन्दर डाला और उसके होंठों को किस करता रहा. उसे काफ़ी दर्द हो रहा था. मैं धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर करता रहा. दर्द तो उसे अब भी था, पर फिर भी उसे अच्छा लग रहा था.
मैं ऐसे ही धक्के लगाता रहा. उसकी आहें निकलती रहीं ‘आहह … आआआहह!
कुछ ही देर में उसका दर्द खत्म हो गया और चूत चुदने के लिए मचल उठी. उसकी गांड उठ उठ कर मेरे लंड से लड़ रही थी.

दस मिनट चुदाई के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया. मैं उसके ऊपर ही लेटा रहा. फिर मैं उठा और हम दोनों ने खुद को साफ किया.

इसके बाद मैंने घड़ी में टाइम देखा, तो दोपहर के 2 बज रहे थे. मैंने अपने दोस्त को कॉल किया कि हम दोनों फ्री हो चुके हैं, तुम आ जाओ.
जब तक वो आता … हम दोनों ने कपड़े पहने और बाहर आ गए. तब तक मेरा दोस्त भी आ गया.

उसने मुझे बहुत रोका कि चाय बना रही हूँ, पी कर जाना. लेकिन दोस्त ने मुझे इशारा किया कि काम बन गया हो, तो जबरदस्ती मत रुको.

मुझे मेरे दोस्त के अनुभव पर भरोसा था. इसलिए हम दोनों उधर से निकल गए. उसके पास से जाने का मन तो मेरा था नहीं, पर क्या करते, जाना तो था ही. कब तक वहां रहता. शाम तक उसके परिवार वाले आ ही जाते. इसलिए हम वहां से निकल लिए.

बाहर कुछ दूर आकर हम दोनों एक होटल में गए और खाना खाया.

फिर चलने से पहले मैंने अपनी प्रेमिका से फोन करके बात की.
उसने पूछा- फिर कब मिलोगे?
मैंने कहा- फिर कभी किस्मत में तुम्हारी संगत होना होगी, तो हम दोनों जरूर मिलेंगे.

हमारी बातें आज भी होती हैं, पर कभी मिल नहीं पाते हैं. मेरे काम के चलते मैं कम ही घर जा पाता हूँ. यही सबसे बड़ी प्राब्लम है. हम दोनों वीडियो कॉल से या फिर फोन से फोन सेक्स से ही काम चला लेते हैं.

आपका बहुत बहुत धन्यवाद, जो आपने मेरी कहानी पढ़ी. आप सभी से निवेदन है कि आपको मेरी सेक्स स्टोरी कैसी लगी, मुझे ज़रूर बताएं.
मेरी ईमेल आईडी है [email protected]

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